लेख शीर्षक:
“फेक न्यूज़, हेट स्पीच और गलत सूचना के विरुद्ध कानूनी उपाय: डिजिटल युग में सत्य और न्याय की रक्षा”
प्रस्तावना
सूचना का अधिकार लोकतंत्र की रीढ़ है, लेकिन जब इस अधिकार का दुरुपयोग करके झूठी, भ्रामक या घृणास्पद बातें फैलाई जाती हैं, तब यह समाज, न्याय और राष्ट्र की स्थिरता को खतरे में डाल देती हैं।
फेक न्यूज़ (Fake News), हेट स्पीच (Hate Speech) और मिसइंफॉर्मेशन (Misleading Information) — ये तीनों आज के डिजिटल युग की सबसे गंभीर चुनौतियाँ हैं।
भारत में इन समस्याओं से निपटने के लिए कई कानूनी प्रावधान, न्यायिक दिशानिर्देश, और सरकारी उपाय मौजूद हैं। यह लेख इन्हीं उपायों का विश्लेषण करता है।
1. फेक न्यूज़, हेट स्पीच और गलत सूचना की परिभाषा
📌 फेक न्यूज़ (Fake News)
जानबूझकर फैलाई गई झूठी सूचना जिसे सत्य की तरह प्रस्तुत किया जाता है।
📌 हेट स्पीच (Hate Speech)
ऐसी भाषा, बयान या अभिव्यक्ति जो किसी धर्म, जाति, नस्ल, लिंग या समूह के प्रति घृणा, हिंसा या भेदभाव को उकसाती है।
📌 गलत सूचना (Mis/Disinformation)
- Misinformation: अनजाने में फैलाई गई गलत जानकारी
- Disinformation: जानबूझकर फैलाई गई भ्रामक या झूठी जानकारी
2. भारत में फेक न्यूज़ और हेट स्पीच के कानूनी उपाय
🧾 भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860
धारा | उद्देश्य |
---|---|
153A | विभिन्न समुदायों में वैमनस्य फैलाना (धार्मिक, जातीय, भाषाई) |
295A | धार्मिक भावनाओं का अपमान करने वाली दुर्भावनापूर्ण हरकतें |
505(1)(b) | भय या घबराहट फैलाने वाली झूठी खबरें |
499/500 | मानहानि |
124A | राजद्रोह (संदेहास्पद और विवादास्पद) |
🧾 आईटी अधिनियम, 2000
धारा | उद्देश्य |
---|---|
66D | ऑनलाइन धोखाधड़ी |
67, 67A, 67B | आपत्तिजनक, अश्लील और बच्चों से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री |
69A | सरकार को वेबसाइट/खबरें ब्लॉक करने का अधिकार |
🧾 आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 एवं 2023
- सोशल मीडिया कंपनियों को शिकायत अधिकारी नियुक्त करना अनिवार्य
- 24 घंटे में फर्जी या आपत्तिजनक पोस्ट हटाने की प्रक्रिया
- सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त फैक्ट चेक यूनिट (PIB Fact Check) के अनुसार “फेक” मानी गई सामग्री हटाना
- डिजिटल न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म और ओटीटी को आचार संहिता का पालन करना आवश्यक
🧾 केबल टेलीविज़न नेटवर्क अधिनियम, 1995
- हेट स्पीच या झूठे समाचार प्रसारित करने वाले चैनलों के विरुद्ध कार्रवाई
3. न्यायपालिका का दृष्टिकोण
⚖️ Shreya Singhal v. Union of India (2015)
- आईटी अधिनियम की धारा 66A को असंवैधानिक घोषित किया गया क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असंगत प्रतिबंध था।
- कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग रोकने के लिए अन्य प्रभावी कानून पर्याप्त हैं।
⚖️ Pravasi Bhalai Sangathan v. Union of India (2014)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच से निपटने के लिए मौजूदा दंड संहिताएँ पर्याप्त हैं, लेकिन इनका कड़ाई से पालन होना चाहिए।
⚖️ Tehseen Poonawala v. Union of India (2018)
- मॉब लिंचिंग रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को निर्देश दिए गए कि वे अफवाह और नफरत फैलाने वाले संदेशों पर त्वरित कार्रवाई करें।
4. फेक न्यूज़ और हेट स्पीच के दुष्परिणाम
- सांप्रदायिक हिंसा और दंगे (जैसे दिल्ली दंगे 2020)
- राजनीतिक ध्रुवीकरण और चुनावी धांधली
- जनता में डर, भ्रम और अविश्वास का माहौल
- मॉब लिंचिंग और भीड़ तंत्र
- मानहानि और प्रतिष्ठा को नुकसान
5. सरकारी प्रयास और संस्थागत उपाय
✅ PIB Fact Check
- भारत सरकार की आधिकारिक फैक्ट चेक सेवा
- सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर वायरल खबरों की पुष्टि और खंडन
✅ मीडिया संस्थानों की स्वनियमन इकाइयाँ
- NBDSA (News Broadcasting & Digital Standards Authority)
- Press Council of India (PCI)
✅ साइबर क्राइम सेल
- प्रत्येक राज्य में कार्यरत
- डिजिटल अपराधों के लिए रिपोर्टिंग और कार्रवाई
6. वर्तमान में उठ रही चिंताएँ और आलोचनाएँ
मुद्दा | विवरण |
---|---|
सरकारी सेंसरशिप का खतरा | सरकार के पास ‘फेक न्यूज़’ तय करने की शक्ति होने से स्वतंत्र पत्रकारिता पर खतरा |
सत्ताधारी पक्ष के पक्षपात का आरोप | कुछ मामलों में कार्रवाई केवल राजनीतिक विपक्ष या आलोचकों पर |
सामान्य नागरिकों की गिरफ्तारी | व्यंग्य, आलोचना या व्यावसायिक पोस्ट को भी अपराध माना जाना |
सोशल मीडिया पर मनमानी ब्लॉकिंग | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन |
7. समाधान और सुधार के सुझाव
- निष्पक्ष और स्वतंत्र फैक्ट चेकिंग यूनिट की स्थापना (सरकारी नहीं)
- अदालत की निगरानी में सामग्री हटाने की प्रक्रिया
- डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम – नागरिकों को सही-गलत जानकारी की पहचान सिखाना
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जवाबदेह बनाना
- कठोर साइबर कानूनों का प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन
- हेट स्पीच की परिभाषा स्पष्ट और सीमित हो, ताकि इसका दुरुपयोग न हो
निष्कर्ष
डिजिटल युग में जहां सूचना शक्ति है, वहीं गलत सूचना विनाशकारी हथियार बन चुकी है। भारत को फेक न्यूज़, हेट स्पीच और गलत जानकारी के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए संविधानसम्मत, न्यायसंगत और पारदर्शी प्रणाली की आवश्यकता है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदार सूचना – इन दोनों का संतुलन ही लोकतंत्र की गरिमा और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।