“आईटी अधिनियम और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम डिजिटल अनुशासन”

लेख शीर्षक:
“आईटी अधिनियम और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम डिजिटल अनुशासन”


प्रस्तावना

इक्कीसवीं सदी के डिजिटल युग में सूचना का प्रवाह जितना आसान हुआ है, उतनी ही तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अभद्र भाषा, फेक न्यूज़, डेटा चोरी, साइबर अपराध, और निजता के उल्लंघन जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं।
इन चुनौतियों से निपटने और डिजिटल स्पेस को अनुशासित करने के लिए भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) बनाया। यह अधिनियम समय-समय पर संशोधित होता रहा है, विशेष रूप से 2021 और 2023 के नियमों के माध्यम से, जिससे सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल न्यूज़ मीडिया पर नियंत्रण संभव हो सके।
यह लेख डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण से जुड़े कानूनी पहलुओं, अधिकारों, दायित्वों और विवादों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।


1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) का परिचय

भारत सरकार ने आईटी अधिनियम, 2000 को डिजिटल और साइबर दुनिया में कानून का ढांचा स्थापित करने के उद्देश्य से लागू किया। इसका मुख्य उद्देश्य है:

  • ई-गवर्नेंस को वैधानिक मान्यता देना
  • साइबर अपराधों पर नियंत्रण
  • डिजिटल संचार के लिए नियमन
  • निजता, डेटा संरक्षण और अभिव्यक्ति पर संतुलन

2. आईटी अधिनियम की प्रमुख धाराएँ और उनका प्रभाव

धारा 66A (अब निष्क्रिय)

  • किसी भी आपत्तिजनक सामग्री को ऑनलाइन साझा करने पर दंड का प्रावधान था।
  • Shreya Singhal v. Union of India (2015) में सुप्रीम कोर्ट ने इसे संवैधानिक रूप से अवैध ठहराया क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Article 19(1)(a)) का उल्लंघन था।

धारा 69A

  • भारत सरकार को डिजिटल सामग्री या वेबसाइट को ब्लॉक करने का अधिकार देता है।
  • अक्सर राष्ट्र-विरोधी, अश्लील या फेक न्यूज से संबंधित वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

धारा 66C और 66D

  • व्यक्तिगत डेटा की चोरी, पासवर्ड हैकिंग, और ऑनलाइन फ्रॉड को दंडनीय बनाता है।

धारा 67, 67A, 67B

  • अश्लील, यौन और बाल यौन शोषण संबंधित सामग्री के प्रसारण या प्रकाशन पर रोक लगाता है।

3. आईटी नियम, 2021 और 2023 (Intermediary Guidelines & Digital Media Ethics Code)

🧾 आईटी नियम, 2021 की प्रमुख विशेषताएँ

  • सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज़ को अनिवार्य रूप से:
    • शिकायत अधिकारी (Grievance Officer) नियुक्त करना
    • शिकायत का समाधान 15 दिन में करना
    • सरकारी आदेश पर आपत्तिजनक सामग्री हटाना
    • “पहला प्रवर्तक (First Originator)” की जानकारी उपलब्ध कराना (End-to-End Encryption के बावजूद)
  • डिजिटल न्यूज़ पोर्टल्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए:
    • तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली
    • आचार संहिता (Code of Ethics)
    • सूचना और प्रसारण मंत्रालय को रेगुलेटरी शक्तियाँ

🔄 आईटी नियम, 2023 संशोधन

  • सरकार द्वारा PIB Fact Check Unit को यह शक्ति दी गई कि वह किसी खबर को “फेक” घोषित कर सकती है।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ऐसी खबर हटानी होगी।
  • इस प्रावधान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश की आशंका को जन्म देता है।

4. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण के उद्देश्य

  • फेक न्यूज़ और अफवाहों की रोकथाम
  • सांप्रदायिक तनाव और साइबर अपराध पर नियंत्रण
  • महिलाओं और बच्चों की डिजिटल सुरक्षा
  • डेटा गोपनीयता और डिजिटल नागरिक अधिकारों की रक्षा
  • OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री पर निगरानी

5. न्यायपालिका का दृष्टिकोण

⚖️ Shreya Singhal केस (2015)

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अनावश्यक अंकुश असंवैधानिक है
  • लेकिन सरकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और राष्ट्रहित में सीमित हस्तक्षेप कर सकती है।

⚖️ WhatsApp v. Union of India (मूल्यांकन जारी)

  • IT Rules की वैधता को चुनौती दी गई है, विशेषकर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के उल्लंघन और निजता के अधिकार (Right to Privacy) पर प्रभाव के कारण।

6. आलोचना और समर्थन

समर्थक पक्ष

  • कानून से डिजिटल प्लेटफॉर्म अधिक उत्तरदायी होंगे।
  • बाल अश्लीलता, साइबर बुलिंग, फर्जी खबरें आदि पर नियंत्रण संभव होगा।
  • यूज़र डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

आलोचक पक्ष

  • यह कानून सरकार को अत्यधिक सेंसरशिप की शक्ति देता है।
  • डिजिटल स्वतंत्र मीडिया की आवाज दबाने के प्रयास की आशंका।
  • कुछ प्रावधान व्यावहारिक रूप से लागू करना कठिन है (जैसे First Originator की पहचान)।
  • OTT प्लेटफॉर्म पर रचनात्मक स्वतंत्रता का हनन हो सकता है।

7. सुधार के सुझाव

  • कानूनों में स्पष्ट परिभाषा और पारदर्शिता हो
  • सरकार के बजाय स्वतंत्र नियामक निकाय फेक न्यूज़ या सामग्री पर निर्णय लें
  • डेटा संरक्षण कानून के साथ समन्वय आवश्यक है
  • जनहित बनाम निजता के संतुलन की आवश्यकता
  • सोशल मीडिया कंपनियों के साथ संवाद आधारित नीतियाँ

निष्कर्ष

आईटी अधिनियम और उससे संबंधित नियमों ने भारत के डिजिटल परिदृश्य को विनियमित और संरक्षित करने की दिशा में अहम कदम उठाए हैं। परंतु इन कानूनों का निर्माण और कार्यान्वयन ऐसा होना चाहिए जिससे एक ओर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अनुशासन बना रहे, और दूसरी ओर लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और नवाचार को बाधा न पहुंचे
नियम, स्वतंत्रता और जवाबदेही — तीनों के बीच संतुलन ही डिजिटल भारत की सच्ची पहचान होगी।