📜 सुप्रीम कोर्ट निर्णय: वसीयत की प्रामाणिकता और लिखित बयान – एक महत्वपूर्ण विश्लेषण
A. वसीयत की प्रामाणिकता (Genuineness of a Will)
संदर्भ:
- उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 63 (Section 63 of Succession Act)
- सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के आदेश 8 नियम 3 और 5 (Order 8 Rule 3 & 5 CPC)
मुख्य तथ्य:
- मृतक (testator) ने अपनी वसीयत में अपनी संपत्ति का एक हिस्सा अपने भाई की बेटी (जो उन्हें अपनी संतान जैसी लगती थी) को दे दिया।
- शेष संपत्ति मृतक की विधवा और नाबालिग पुत्री के लिए छोड़ी गई थी।
- वसीयत की वैधता पर प्रश्न उठाया गया कि विधवा और पुत्री का स्पष्ट उल्लेख क्यों नहीं है।
- यह भी आरोप था कि मृतक की मृत्यु के समय वह बीमार थे, जिससे वसीयत पर संदेह जताया गया।
कोर्ट की विश्लेषणात्मक टिप्पणियाँ:
- अभियुक्तों में से एक ने स्वीकार किया कि वह उस समय अपने मायके में थीं और न तो वसीयत के समय उपस्थित थीं, न ही मृत्यु के समय।
- इस आधार पर कोर्ट ने माना कि वसीयत संदेहास्पद परिस्थितियों से घिरी हुई नहीं थी।
- हाई कोर्ट का निर्णय सही ठहराया गया और सुप्रीम कोर्ट ने भी वसीयत को वैध और प्रामाणिक माना।
महत्त्व:
यह निर्णय बताता है कि किसी वसीयत की वैधता केवल पारिवारिक भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि प्रमाणिक तथ्यों और गवाहों की स्थिति के आधार पर तय होती है। यदि वसीयत निष्पक्ष रूप से और विधिक मानकों के अनुसार बनाई गई हो, तो उसमें पक्षपात या संदेह नहीं माना जाएगा।
B. लिखित कथन (Written Statement) में आवश्यक तत्व
संदर्भ:
- CPC Order 8 Rule 3 & 5
मुख्य बिंदु:
- प्रतिवादी को plaint (वाद पत्र) में लगाए गए प्रत्येक आरोप का स्पष्ट रूप से उत्तर देना चाहिए – क्या उसे स्वीकार किया जा रहा है या नकारा जा रहा है।
- यह उत्तर अनुच्छेद दर अनुच्छेद (paragraph-wise) होना चाहिए ताकि स्पष्टता और सटीकता बनी रहे।
- यदि प्रतिवादी कोई उत्तर नहीं देता या अस्पष्ट उत्तर देता है, तो आरोप स्वीकार किया हुआ माना जा सकता है (Order 8 Rule 5 CPC)।
उदाहरण के लिए:
यदि वादी ने दावा किया कि “प्रतिवादी ने संपत्ति पर अवैध कब्जा किया है”, और प्रतिवादी यह नहीं नकारता या अस्पष्ट उत्तर देता है, तो न्यायालय उस आरोप को मान्य मान सकता है।
📌 निष्कर्ष / Summary
- वसीयत को केवल इस आधार पर अवैध नहीं ठहराया जा सकता कि कुछ रिश्तेदारों को उसमें शामिल नहीं किया गया है, जब तक वसीयत स्वतंत्र और विधिक रूप से बनाई गई हो।
- प्रतिवादी का लिखित बयान तथ्यों के प्रत्येक भाग का क्रमशः और स्पष्ट उत्तर देना अनिवार्य है, अन्यथा वह स्वीकृत माने जा सकते हैं।
✅ सुझावित लेख शीर्षक (Suggested Title):
“वसीयत की वैधता और लिखित बयान की विधिक शक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का मार्गदर्शक निर्णय”