Space Property and Resource Mining Law (अंतरिक्ष संपत्ति और संसाधन खनन कानून)

Space Property and Resource Mining Law (अंतरिक्ष संपत्ति और संसाधन खनन कानून) :


🔷 प्रस्तावना:

21वीं सदी में मानव जाति ने अंतरिक्ष में महत्त्वाकांक्षी कदम बढ़ाए हैं। अब केवल चंद्रमा या मंगल ग्रह पर पहुंचना ही उद्देश्य नहीं रह गया, बल्कि वहां उपलब्ध खनिज संसाधनों का खोज और दोहन (Mining) भी एक गंभीर विषय बन चुका है। अंतरिक्ष संसाधन जैसे — चंद्रमा की मिट्टी (Regolith), पानी, Helium-3, और क्षुद्रग्रहों (Asteroids) में मौजूद कीमती धातुएँ जैसे सोना, प्लेटिनम आदि — भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन सकते हैं।

परंतु, इस प्रकार की “संपत्ति” और “संसाधन खनन” से जुड़े कानूनी अधिकार, दायित्व और सीमाएँ क्या हैं? यह प्रश्न आज अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर एक गंभीर अंतरिक्ष कानून (Space Law) का विषय बन चुका है।


🔷 मुख्य परिभाषाएँ:

  • Space Property: अंतरिक्ष में कोई भी भौतिक वस्तु — जैसे चंद्रमा की भूमि, ग्रह, उपग्रह, या क्षुद्रग्रह।
  • Resource Mining: इन अंतरिक्षीय वस्तुओं से खनिज, गैस, बर्फ, धातुएँ आदि निकालने की प्रक्रिया।

🔷 अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत स्थिति:

1. Outer Space Treaty, 1967 (OST):

  • अंतरिक्ष में सभी राष्ट्रों का समान अधिकार है।
  • कोई देश चंद्रमा या किसी ग्रह पर संप्रभुता (sovereignty) का दावा नहीं कर सकता।
  • अंतरिक्ष का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।
  • संसाधनों पर व्यक्तिगत/राष्ट्रीय स्वामित्व की अनुमति नहीं दी गई।

👉 यह संधि स्पष्ट रूप से किसी भी देश को अंतरिक्ष “संपत्ति” पर अधिकार (ownership claim) करने से रोकती है, लेकिन संसाधनों के उपयोग (use/extraction) पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है — यहीं से विवाद की शुरुआत होती है।


2. Moon Agreement, 1979:

  • चंद्रमा और इसके संसाधन पूरी मानवता की साझा विरासत (Common Heritage of Mankind) हैं।
  • भविष्य में अंतरिक्ष खनन के लिए अंतरराष्ट्रीय विनियामक तंत्र (Regulatory Regime) की स्थापना की बात की गई।
  • केवल 18 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं — भारत ने किया है, लेकिन अमेरिका, रूस और चीन ने नहीं।

🔷 देशीय कानून (National Laws) की स्थिति:

1. अमेरिका — Commercial Space Launch Competitiveness Act, 2015:

  • अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों को क्षुद्रग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों से संसाधन निकालने और उनका स्वामित्व रखने का अधिकार देता है।
  • इसे “Space Resource Law” के रूप में जाना जाता है।

2. लक्ज़मबर्ग — Space Resources Law, 2017:

  • पहली यूरोपीय देश जिसने खनन के अधिकार को कानूनी रूप दिया।
  • निजी कंपनियों को स्पेस माइनिंग में भाग लेने और संसाधनों के व्यापार का अधिकार।

3. संयुक्त अरब अमीरात (UAE):

  • 2019 में स्पेस एक्ट लागू किया, जो निजी कंपनियों को संसाधन खनन की अनुमति देता है।

भारत:

  • भारत में अभी कोई विशिष्ट कानून अंतरिक्ष संपत्ति या संसाधन खनन को लेकर नहीं है।
  • Draft Space Activities Bill, 2017 में संसाधन उपयोग का उल्लेख है, लेकिन यह अब तक संसद में पारित नहीं हुआ है।

🔷 स्पेस माइनिंग से जुड़े प्रमुख कानूनी प्रश्न:

  1. स्वामित्व का अधिकार:
    क्या कोई निजी कंपनी या देश अंतरिक्ष में पाए गए संसाधनों का स्वामी हो सकता है?
  2. जवाबदेही और उत्तरदायित्व:
    यदि माइनिंग से पर्यावरणीय या अंतरिक्षीय क्षति होती है, तो कौन जिम्मेदार होगा?
  3. स्पर्धा बनाम सहयोग:
    क्या देशों के बीच संसाधनों को लेकर संघर्ष होगा, या सहयोग से उपयोग किया जाएगा?
  4. ट्रैकिंग और निगरानी:
    कौन संस्था यह सुनिश्चित करेगी कि कोई कंपनी नियमों से बाहर जाकर माइनिंग न करे?

🔷 Space Mining के संभावित लाभ:

  • पृथ्वी पर सीमित संसाधनों का विकल्प
  • ऊर्जा संकट से मुक्ति (Helium-3 जैसे तत्व)
  • अंतरिक्ष मिशनों के लिए ईंधन और पानी की उपलब्धता
  • वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में क्रांति

🔷 प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. कानूनी अनिश्चितता: कोई वैश्विक सहमति नहीं है कि संसाधनों पर किसका अधिकार होगा।
  2. तकनीकी जटिलता: माइनिंग तकनीक बहुत महंगी और जोखिमपूर्ण है।
  3. स्पेस डेब्रिस और पर्यावरणीय प्रभाव: अनियंत्रित माइनिंग से अंतरिक्ष में मलबे की समस्या बढ़ेगी।
  4. राजनीतिक संघर्ष: शक्तिशाली देश स्पेस रिसोर्सेज पर एकाधिकार करने की होड़ में हैं।

🔷 समाधान और सुझाव:

  • एक नया अंतरराष्ट्रीय संधि ढांचा तैयार किया जाए जो Space Mining के लिए स्पष्ट नियम तय करे।
  • UN के अंतर्गत एक Space Resource Authority की स्थापना की जाए।
  • भारत को अपनी नीति (Policy) और कानून (Legislation) शीघ्र बनानी चाहिए, जिसमें सरकारी और निजी दोनों पक्षों की भूमिका स्पष्ट हो।
  • अंतरिक्ष खनन में “न्याय, समानता और सतत विकास” के सिद्धांतों को प्राथमिकता दी जाए।

🔷 निष्कर्ष:

Space Property और Resource Mining कानून आधुनिक अंतरिक्ष कानून की सबसे जटिल और संवेदनशील शाखा है। जब मानव जाति अंतरिक्ष में संसाधनों की ओर कदम बढ़ा रही है, तो यह जरूरी हो गया है कि एक वैश्विक, पारदर्शी और न्यायसंगत नियम व्यवस्था तैयार की जाए, जिससे कि संसाधनों का उपयोग मानवता के सामूहिक हित में हो, न कि कुछ शक्तिशाली देशों के निजी लाभ के लिए।