प्रश्न 1: संपत्ति क्या होती है?
उत्तर:
संपत्ति का अर्थ है वह वस्तु जिसे व्यक्ति के स्वामित्व में लाया जा सकता है और जिसका कानूनी रूप से क्रय-विक्रय किया जा सकता है। संपत्ति दो प्रकार की होती है – चल संपत्ति (Movable Property) जैसे गाड़ी, फर्नीचर आदि, और अचल संपत्ति (Immovable Property) जैसे ज़मीन, मकान आदि। संपत्ति कानून का उद्देश्य संपत्ति के स्वामित्व, अधिकार, हस्तांतरण एवं उत्तराधिकार को नियंत्रित करना है। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी संपत्ति का उपयोग और स्थानांतरण न्यायपूर्ण, विधिसम्मत एवं सुरक्षित हो।
प्रश्न 2: संपत्ति का हस्तांतरण क्या है?
उत्तर:
संपत्ति का हस्तांतरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक व्यक्ति (प्रेषक) अपनी संपत्ति को दूसरे व्यक्ति (प्राप्तकर्ता) को कानूनन सौंपता है। यह हस्तांतरण क्रय, उपहार, वसीयत या विनिमय के माध्यम से हो सकता है। भारत में यह प्रक्रिया मुख्य रूप से Transfer of Property Act, 1882 द्वारा नियंत्रित की जाती है। यह अधिनियम यह निर्धारित करता है कि किस प्रकार की संपत्ति स्थानांतरित की जा सकती है, किन शर्तों पर और किन व्यक्तियों के बीच। किसी भी संपत्ति के हस्तांतरण में पारदर्शिता और दस्तावेजी प्रक्रिया आवश्यक होती है।
प्रश्न 3: वसीयत (Will) क्या होती है?
उत्तर:
वसीयत एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति के वितरण की इच्छा व्यक्त करता है। यह Indian Succession Act, 1925 के अंतर्गत आता है। वसीयत बनाने वाला व्यक्ति वसीयता करता (Testator) कहलाता है और जिसे संपत्ति दी जाती है वह उत्तराधिकारी (Beneficiary) कहलाता है। वसीयत लिखित रूप में होनी चाहिए और दो गवाहों द्वारा हस्ताक्षरित होनी चाहिए। व्यक्ति अपनी संपत्ति में किसी को भी उत्तराधिकारी बना सकता है, चाहे वह पारिवारिक सदस्य हो या न हो।
प्रश्न 4: संयुक्त स्वामित्व क्या होता है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी संपत्ति के मालिक होते हैं, तो इसे संयुक्त स्वामित्व (Co-ownership) कहा जाता है। इसमें सभी मालिकों को संपत्ति पर समान अधिकार होते हैं। संयुक्त स्वामित्व दो प्रकार का हो सकता है – Tenancy in Common और Joint Tenancy। भारत में सामान्यतः Tenancy in Common अधिक प्रचलित है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के पास अलग-अलग हिस्सा होता है और वह अपने हिस्से को स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित कर सकता है। संयुक्त स्वामित्व से संबंधित विवादों को अदालत द्वारा हल किया जा सकता है।
प्रश्न 5: संपत्ति का अधिकार क्या होता है?
उत्तर:
संपत्ति का अधिकार व्यक्ति को अपनी संपत्ति का उपयोग, लाभ उठाने, उसे बेचने, गिरवी रखने या किसी को देने का पूर्ण कानूनी अधिकार देता है। यह संविधान के अनुच्छेद 300(A) के अंतर्गत आता है, जो कहता है कि किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को कानून द्वारा अधिकृत किए बिना उससे छीना नहीं जा सकता। संपत्ति का अधिकार आज एक वैधानिक अधिकार है, मूल अधिकार नहीं। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी संपत्ति पर पूरा नियंत्रण रख सकता है और उसे सुरक्षित रख सकता है।
प्रश्न 6: भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1882 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1882 का मुख्य उद्देश्य संपत्ति के हस्तांतरण की प्रक्रिया को नियमित और न्यायिक बनाना है। यह अधिनियम यह निर्धारित करता है कि संपत्ति को कैसे, किन शर्तों के तहत, और किन व्यक्तियों के बीच स्थानांतरित किया जा सकता है। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी को रोकना, पारदर्शिता लाना और संपत्ति विवादों को कम करना है। अधिनियम अचल संपत्ति और कुछ हद तक चल संपत्ति पर भी लागू होता है। यह अधिकार, दायित्व और स्थानांतरण की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है।
प्रश्न 7: चल और अचल संपत्ति में अंतर क्या है?
उत्तर:
चल संपत्ति (Movable Property) वह होती है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना किसी नुकसान के ले जाया जा सकता है, जैसे- कार, सोना, फर्नीचर आदि। वहीं अचल संपत्ति (Immovable Property) वह होती है जिसे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, जैसे- जमीन, भवन, प्लॉट आदि। अचल संपत्ति का हस्तांतरण अधिक कानूनी प्रक्रिया से होता है, जैसे रजिस्ट्री, जबकि चल संपत्ति का हस्तांतरण अपेक्षाकृत सरल होता है। संपत्ति कानून दोनों के लिए अलग-अलग नियम निर्धारित करता है।
प्रश्न 8: उपहार (Gift) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
उपहार का अर्थ है बिना किसी मूल्य के एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को स्वेच्छा से संपत्ति का स्थायी हस्तांतरण करना। यह Transfer of Property Act, 1882 की धारा 122 के अंतर्गत आता है। उपहार केवल अचल या चल संपत्ति का हो सकता है और इसे लिखित रूप में, दो गवाहों की उपस्थिति में किया जाना चाहिए। उपहार देने वाला व्यक्ति सक्षम होना चाहिए, और प्राप्तकर्ता को उपहार को स्वीकार करना अनिवार्य होता है। बिना स्वीकृति के उपहार अधूरा माना जाता है।
प्रश्न 9: विक्रय (Sale) और विनिमय (Exchange) में क्या अंतर है?
उत्तर:
विक्रय (Sale) वह प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति किसी संपत्ति को मूल्य लेकर स्थायी रूप से दूसरे को हस्तांतरित करता है, जबकि विनिमय (Exchange) में दो व्यक्ति अपनी संपत्तियों को आपसी सहमति से बदलते हैं। विक्रय में भुगतान नकद या ऋण के रूप में होता है, जबकि विनिमय में दोनों पक्ष संपत्ति का आदान-प्रदान करते हैं। दोनों के लिए रजिस्ट्री की आवश्यकता होती है अगर अचल संपत्ति शामिल हो। दोनों ही Transfer of Property Act द्वारा विनियमित होते हैं।
प्रश्न 10: पट्टा (Lease) क्या होता है?
उत्तर:
पट्टा एक कानूनी अनुबंध होता है जिसमें संपत्ति का स्वामी किसी व्यक्ति को निश्चित अवधि और शर्तों के अंतर्गत संपत्ति के उपयोग का अधिकार देता है। यह Transfer of Property Act, 1882 की धारा 105 के अंतर्गत आता है। पट्टे में स्वामी को “पट्टेदार” (Lessor) और उपयोगकर्ता को “पट्टाधारी” (Lessee) कहते हैं। पट्टे में किराया, अवधि, उपयोग की शर्तें आदि स्पष्ट रूप से लिखी जाती हैं। यह आमतौर पर लिखित अनुबंध होता है और रजिस्ट्री भी आवश्यक हो सकती है।
प्रश्न 11: बंधक (Mortgage) क्या होता है?
उत्तर:
बंधक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें संपत्ति का स्वामी किसी ऋण के बदले अपनी संपत्ति को ऋणदाता के पास गिरवी रखता है। यह Transfer of Property Act की धारा 58 के अंतर्गत आता है। बंधक में स्वामी संपत्ति का मालिक बना रहता है, लेकिन ऋण न चुकाने की स्थिति में ऋणदाता संपत्ति को जब्त कर सकता है। बंधक कई प्रकार के होते हैं जैसे साधारण बंधक, संपत्ति बंधक, सशर्त बंधक आदि। बंधक के लिए रजिस्ट्री जरूरी होती है।
प्रश्न 12: अंश स्वामित्व (Partition) क्या होता है?
उत्तर:
अंश स्वामित्व का अर्थ है संयुक्त परिवार या साझी संपत्ति में भागीदारी रखने वाले व्यक्तियों के बीच संपत्ति का विभाजन। इसमें प्रत्येक व्यक्ति को उसके हिस्से के अनुसार संपत्ति का स्वामित्व मिल जाता है। यह प्रक्रिया आपसी समझौते से या न्यायालय के आदेश से हो सकती है। विभाजन के पश्चात प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र रूप से अपने हिस्से का उपयोग और स्थानांतरण कर सकता है। यह अक्सर उत्तराधिकार या पारिवारिक विवादों के दौरान होता है।
प्रश्न 13: प्रतिज्ञा (Pledge) क्या होती है?
उत्तर:
प्रतिज्ञा एक प्रकार का अनुबंध होता है जिसमें ऋण लेने वाला व्यक्ति चल संपत्ति को गिरवी रखता है। यह विशेषकर बैंक ऋणों में होता है, जैसे सोने के बदले ऋण। प्रतिज्ञा में ऋणदाता के पास वस्तु का भौतिक कब्जा होता है लेकिन स्वामित्व ऋण लेने वाले के पास रहता है। ऋण चुकता होने पर वस्तु वापस मिल जाती है। यह Indian Contract Act के अंतर्गत आता है।
प्रश्न 14: ट्रस्ट संपत्ति क्या होती है?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति (सेटर) अपनी संपत्ति किसी ट्रस्टी को देता है, ताकि वह उसे किसी लाभार्थी के लिए प्रबंधित करे, तो उसे ट्रस्ट संपत्ति कहते हैं। ट्रस्ट संपत्ति को ट्रस्टी द्वारा विधिसम्मत तरीके से प्रबंधित करना अनिवार्य होता है। यह Indian Trusts Act, 1882 द्वारा नियंत्रित होती है। ट्रस्ट संपत्ति आमतौर पर परोपकारी कार्यों, शिक्षा, चिकित्सा आदि उद्देश्यों के लिए बनाई जाती है।
प्रश्न 15: उत्तराधिकार (Succession) क्या होता है?
(यह पहले दिया जा चुका है, यहाँ संक्षेप में दोहराया गया है)
उत्तर:
उत्तराधिकार उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति उसके उत्तराधिकारियों में बाँटी जाती है। यह वसीयत के साथ या बिना हो सकता है। यदि वसीयत नहीं है, तो कानून के अनुसार पत्नी, बच्चे आदि को अधिकार मिलते हैं।
प्रश्न 16: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 क्या है?
उत्तर:
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 एक प्रमुख कानून है जो हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म के अनुयायियों के उत्तराधिकार अधिकारों को निर्धारित करता है। यह अधिनियम बताता है कि मृत्यु के बाद संपत्ति किन लोगों को कैसे मिलेगी। इसमें पुत्र, पुत्री, पत्नी, माँ आदि को उत्तराधिकारी माना गया है। यह अधिनियम महिला और पुरुष को समान अधिकार देता है।
प्रश्न 17: सहमति द्वारा संपत्ति का विभाजन क्या होता है?
उत्तर:
जब संयुक्त परिवार के सदस्य आपसी समझौते से अपनी साझा संपत्ति को अलग-अलग हिस्सों में बाँट लेते हैं, तो उसे सहमति द्वारा विभाजन कहा जाता है। इसमें न्यायालय की आवश्यकता नहीं होती। यह विभाजन लिखित रूप में होता है और रजिस्ट्री द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है। ऐसा विभाजन विवाद को रोकता है।
प्रश्न 18: कानूनी वारिस कौन होता है?
उत्तर:
कानूनी वारिस वह व्यक्ति होता है जिसे कानून द्वारा मृतक की संपत्ति में हिस्सा पाने का अधिकार प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए, मृतक की पत्नी, पुत्र, पुत्री, माता आदि। यदि वसीयत नहीं है, तो संपत्ति इन वारिसों में बाँटी जाती है। Hindu Succession Act व अन्य उत्तराधिकार कानून इसे निर्धारित करते हैं।
प्रश्न 19: विरासत और उत्तराधिकार में अंतर क्या है?
उत्तर:
विरासत (Inheritance) जन्म से प्राप्त संपत्ति होती है, जबकि उत्तराधिकार (Succession) मृत्यु के बाद मिलने वाली संपत्ति को कहते हैं। विरासत में पूर्वजों की संपत्ति स्वतः मिलती है, जबकि उत्तराधिकार में कानून या वसीयत के अनुसार मिलती है।
प्रश्न 20: वसीयत के बिना संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है?
उत्तर:
यदि व्यक्ति वसीयत नहीं छोड़ता है, तो उसकी संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानून के अनुसार होता है। हिंदुओं के लिए यह Hindu Succession Act के तहत होता है जिसमें Class-I उत्तराधिकारी जैसे पत्नी, पुत्र, पुत्री, माँ को प्राथमिकता दी जाती है। यदि ये नहीं हों तो Class-II और अन्य उत्तराधिकारी संपत्ति के अधिकारी होते हैं।
प्रश्न 21: संपत्ति कर (Property Tax) क्या है?
उत्तर:
संपत्ति कर एक प्रकार का स्थानीय कर है जो किसी अचल संपत्ति जैसे मकान, प्लॉट, दुकान आदि के स्वामी से नगर निगम या नगरपालिका द्वारा वसूला जाता है। यह कर संपत्ति के मूल्य, क्षेत्र और उपयोग पर आधारित होता है। यह सरकार की आय का एक स्रोत होता है जिससे स्थानीय सुविधाएँ जैसे सड़क, प्रकाश, जल आदि प्रदान किए जाते हैं।
प्रश्न 22: वसीयत का पंजीकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
हालांकि वसीयत का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह भविष्य में किसी विवाद से बचने में सहायक होता है। पंजीकृत वसीयत को कानूनी रूप से अधिक प्रमाणिक माना जाता है। रजिस्ट्री कार्यालय में पंजीकरण कराने से वसीयत के साथ छेड़छाड़ की संभावना कम होती है।
प्रश्न 23: महिलाओं के संपत्ति अधिकार क्या हैं?
उत्तर:
Hindu Succession Act (संशोधित 2005) के अनुसार बेटियों को पुत्रों के समान संपत्ति में अधिकार मिला है। अब बेटी भी पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार है, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित। पत्नी, माँ और विधवा बहू को भी संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार होता है।
प्रश्न 24: कब्जे के अधिकार क्या हैं?
उत्तर:
कब्जे का अधिकार संपत्ति पर भौतिक नियंत्रण को दर्शाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर लम्बे समय तक बिना विवाद के कब्जा रखे, तो कुछ परिस्थितियों में उसे संपत्ति का वैध अधिकार मिल सकता है। इसे Adverse Possession कहा जाता है, जो सीमित समय के भीतर दावा न करने पर लागू होता है।
प्रश्न 25: संपत्ति का संयुक्त नाम पर रजिस्ट्रेशन क्या होता है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के नाम पर एक संपत्ति को रजिस्ट्री में दर्ज किया जाता है, तो उसे संयुक्त नाम पर रजिस्ट्रेशन कहते हैं। इसमें सभी व्यक्तियों को समान या निर्धारित हिस्सेदारी प्राप्त होती है और किसी एक के मृत्यु पर दूसरा उसका उत्तराधिकारी बन सकता है (यदि वैसा उल्लेख हो)।
प्रश्न 26: संपत्ति विवादों का समाधान कैसे होता है?
उत्तर:
संपत्ति विवादों का समाधान समझौते, पंचायत, मध्यस्थता (मेडिएशन) या न्यायालय के माध्यम से किया जा सकता है। यदि कोई पक्ष विवाद न सुलझा पाए तो सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। अदालत दस्तावेजों, गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देती है।
प्रश्न 27: संपत्ति का अपहरण (Encroachment) क्या होता है?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति अवैध रूप से किसी अन्य की भूमि या संपत्ति पर कब्जा कर लेता है, तो उसे संपत्ति का अपहरण या अतिक्रमण कहते हैं। यह एक दंडनीय अपराध है और इससे संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। पीड़ित व्यक्ति राजस्व विभाग या न्यायालय से सहायता ले सकता है।
प्रश्न 28: अनामद रजिस्ट्री (Benami Property) क्या है?
उत्तर:
अनामद संपत्ति वह होती है जो किसी अन्य के नाम पर खरीदी जाती है, लेकिन वास्तविक मालिक कोई और होता है। इसे रोकने के लिए Benami Transactions (Prohibition) Act, 1988 लागू किया गया। इस कानून के तहत ऐसी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है और दोषी को सजा भी दी जा सकती है।
प्रश्न 29: भूमि अभिलेख (Land Records) क्या होते हैं?
उत्तर:
भूमि अभिलेख सरकारी दस्तावेज होते हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि किसी भूमि का मालिक कौन है, भूमि का क्षेत्रफल क्या है और उसका उपयोग किस उद्देश्य से किया जा रहा है। ये रिकॉर्ड ऑनलाइन पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं और रजिस्ट्री, खसरा, खतौनी जैसे दस्तावेज शामिल होते हैं।
प्रश्न 30: संपत्ति का कानूनन उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र क्या है?
उत्तर:
कानूनन उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र एक वैधानिक दस्तावेज है, जो प्रमाणित करता है कि किसी मृतक व्यक्ति के वैध उत्तराधिकारी कौन हैं। यह प्रमाण पत्र मृतक की संपत्ति, बैंक बैलेंस, बीमा आदि के हस्तांतरण में आवश्यक होता है। यह संबंधित तहसील, नगरपालिका या उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। इसमें मृतक का नाम, मृत्यु तिथि, और उत्तराधिकारियों का विवरण शामिल होता है।
प्रश्न 31: निष्कासित संपत्ति क्या होती है?
उत्तर:
निष्कासित संपत्ति वह होती है जिसे कानून द्वारा उत्तराधिकार या हस्तांतरण से बाहर रखा गया हो। उदाहरण: धार्मिक न्यास की संपत्ति या सरकारी अधिग्रहण की गई भूमि। ऐसे मामलों में संपत्ति पर व्यक्तिगत अधिकार सीमित होता है।
प्रश्न 32: अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
यदि किसी व्यक्ति ने अवैध रूप से आपकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है, तो आप पहले थाने में शिकायत कर सकते हैं। यदि पुलिस मदद नहीं करती, तो आप सिविल कोर्ट में बाधा हटाने का वाद (Suit for Possession) दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट कब्जा हटाने का आदेश दे सकता है।
प्रश्न 33: संपत्ति का हस्तांतरण किन माध्यमों से होता है?
उत्तर:
संपत्ति का हस्तांतरण मुख्यतः विक्रय (Sale), उपहार (Gift), विनिमय (Exchange), वसीयत (Will) और बंटवारे (Partition) के माध्यम से होता है। ये सभी Transfer of Property Act, 1882 द्वारा नियंत्रित होते हैं। रजिस्ट्री, स्टांप शुल्क और गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
प्रश्न 34: अधिग्रहण (Acquisition) क्या है?
उत्तर:
अधिग्रहण वह प्रक्रिया है जिसमें सरकार या प्राधिकरण किसी निजी भूमि को जनहित के कार्यों (जैसे सड़क, बिजली, रेलवे) के लिए अधिग्रहण करती है। इसके बदले मालिक को उचित मुआवजा दिया जाता है। यह Land Acquisition Act, 2013 के तहत किया जाता है।
प्रश्न 35: सम्पत्ति के अधिकार में संविधान संशोधन का प्रभाव क्या रहा?
उत्तर:
44वां संविधान संशोधन (1978) के बाद संपत्ति का अधिकार मूल अधिकार नहीं रहा, बल्कि अब यह अनुच्छेद 300A के अंतर्गत एक वैधानिक अधिकार है। अब राज्य कानून द्वारा संपत्ति का अधिग्रहण कर सकता है, बशर्ते उचित मुआवजा दिया जाए।
प्रश्न 36: संपत्ति कर नहीं चुकाने पर क्या होता है?
उत्तर:
यदि कोई व्यक्ति संपत्ति कर नहीं चुकाता है, तो नगर निगम उस पर जुर्माना, ब्याज और कानूनी कार्रवाई कर सकता है। लंबे समय तक कर बकाया रहने पर संपत्ति को कुर्क या नीलाम भी किया जा सकता है।
प्रश्न 37: म्यूटेशन (नामांतरण) क्या होता है?
उत्तर:
म्यूटेशन एक प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसमें संपत्ति का स्वामित्व एक व्यक्ति से दूसरे में बदलने पर राजस्व रिकॉर्ड में नाम परिवर्तित किया जाता है। यह उत्तराधिकार, विक्रय, उपहार आदि के बाद आवश्यक होता है। यह नगर निगम या तहसील में किया जाता है।
प्रश्न 38: संपत्ति विवादों में मध्यस्थता की भूमिका क्या है?
उत्तर:
मध्यस्थता (Mediation) एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रिया है जिसमें तटस्थ व्यक्ति दोनों पक्षों को आपसी समझौते तक पहुँचने में सहायता करता है। यह प्रक्रिया कोर्ट से तेज, सस्ती और गोपनीय होती है। इससे संपत्ति विवाद जल्दी सुलझ सकते हैं।
प्रश्न 39: किसी व्यक्ति के नाम पर संपत्ति कैसे जांचें?
उत्तर:
आजकल राज्य सरकारों ने भूमि रिकॉर्ड ऑनलाइन कर दिए हैं। किसी व्यक्ति के नाम पर संपत्ति देखने के लिए आप राज्य की भूमि रजिस्ट्रेशन वेबसाइट या भूलेख पोर्टल (Bhulekh) पर नाम, खसरा संख्या, या खाता संख्या डालकर विवरण देख सकते हैं।
प्रश्न 40: विरासत कर क्या होता है?
उत्तर:
विरासत कर वह कर होता है जो उत्तराधिकारी को मृतक की संपत्ति प्राप्त करते समय देना होता है। भारत में वर्तमान में ऐसा कोई कर लागू नहीं है, लेकिन कुछ देशों में यह कर लिया जाता है। भारत में उत्तराधिकार कर 1985 में समाप्त कर दिया गया था।
प्रश्न 41: संपत्ति में महिलाओं का हिस्सा कैसे तय होता है?
उत्तर:
Hindu Succession Act के अनुसार बेटी को बेटों के बराबर हिस्सा मिलता है। अगर पिता की मृत्यु बिना वसीयत के होती है, तो पत्नी, पुत्र, पुत्री और माता सभी को बराबर हिस्सा मिलता है। मुसलमानों में शरीयत के अनुसार हिस्सा तय होता है।
प्रश्न 42: भूमिहीन व्यक्ति क्या संपत्ति खरीद सकता है?
उत्तर:
हाँ, कोई भी नागरिक (यदि वह कानूनी रूप से सक्षम हो) संपत्ति खरीद सकता है, चाहे वह पहले से भूमि का मालिक हो या नहीं। बस उसे खरीद के लिए आवश्यक दस्तावेज, पहचान पत्र और भुगतान का स्रोत स्पष्ट करना होता है।
प्रश्न 43: GPA (General Power of Attorney) से संपत्ति बेचना वैध है क्या?
उत्तर:
GPA के माध्यम से संपत्ति बेचना कानूनी रूप से वैध नहीं माना जाता जब तक कि GPA के साथ Sale Deed ना हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का वास्तविक हस्तांतरण केवल Sale Deed से ही संभव है। GPA से सिर्फ संचालन का अधिकार होता है।
प्रश्न 44: क्या किरायेदार संपत्ति का मालिक बन सकता है?
उत्तर:
नहीं, सामान्यतः किरायेदार संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता। उसे सिर्फ उपयोग का अधिकार होता है। हाँ, अगर लंबे समय तक कब्जा रहे और मालिक कोई दावा न करे, तो Adverse Possession के तहत मालिकाना अधिकार मिल सकता है, पर यह दुर्लभ होता है।
प्रश्न 45: संयुक्त संपत्ति बेचने के लिए सभी मालिकों की सहमति क्यों जरूरी होती है?
उत्तर:
संयुक्त संपत्ति में सभी मालिकों का हिस्सा होता है। इसलिए यदि किसी एक व्यक्ति को पूरी संपत्ति बेचनी है, तो उसे अन्य सभी हिस्सेदारों की लिखित सहमति लेनी होगी। बिना सहमति के विक्रय अवैध माना जाता है और रजिस्ट्री नहीं हो सकती।
प्रश्न 46: क्या वसीयत को बाद में बदला जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, वसीयत को व्यक्ति अपने जीवनकाल में कभी भी बदल सकता है। नई वसीयत बनाते समय पुरानी वसीयत को रद्द करना आवश्यक होता है। अंतिम वसीयत ही वैध मानी जाती है, बशर्ते वह सही विधि से बनाई गई हो।
प्रश्न 47: संपत्ति के ट्रांसफर के लिए कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी होते हैं?
उत्तर:
संपत्ति ट्रांसफर के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं:
- सेल डीड / गिफ्ट डीड
- पहचान पत्र (Aadhaar, PAN)
- स्टांप पेपर
- बिजली बिल / कर रसीद
- म्यूटेशन दस्तावेज
- नक्शा / रजिस्ट्री दस्तावेज
प्रश्न 48: क्या कृषि भूमि को रिहायशी में बदला जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, कृषि भूमि को रिहायशी में बदलने के लिए Land Use Conversion की प्रक्रिया अपनानी होती है। इसके लिए संबंधित नगर पालिका या विकास प्राधिकरण से अनुमति लेनी होती है और फीस जमा करनी होती है। नियम राज्य अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
प्रश्न 49: संपत्ति में धोखाधड़ी से कैसे बचें?
उत्तर:
- रजिस्ट्री से पहले दस्तावेजों की जाँच करें।
- भूमि रिकार्ड और म्युटेशन चेक करें।
- विक्रेता की पहचान और मालिकाना हक की पुष्टि करें।
- वकील से दस्तावेज सत्यापित कराएं।
- GPA से खरीद न करें।
- ऑनलाइन भूलेख वेबसाइट का उपयोग करें।
प्रश्न 50: भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
भूमि रजिस्ट्री वह प्रक्रिया है जिसमें विक्रेता संपत्ति को खरीददार के नाम पर स्थानांतरित करता है। इसके लिए उप-पंजीयक कार्यालय में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के साथ सेल डीड प्रस्तुत की जाती है। रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन और संपत्ति कर में नाम अपडेट होता है।
प्रश्न 50: भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
भूमि रजिस्ट्री वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से संपत्ति का अधिकार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को वैधानिक रूप से स्थानांतरित किया जाता है। यह उप-पंजीयक कार्यालय (Sub-Registrar Office) में होती है। इसमें खरीदार और विक्रेता दोनों की उपस्थिति, फोटो पहचान पत्र, संपत्ति के दस्तावेज, सेल डीड, स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस शामिल होती है। रजिस्ट्री के बाद खरीदार को मालिकाना हक मिलता है और म्यूटेशन कराना होता है। बिना रजिस्ट्री के कोई भी ट्रांसफर वैध नहीं माना जाता।
प्रश्न 51: सेल डीड और एग्रीमेंट टू सेल में क्या अंतर है?
उत्तर:
सेल डीड (Sale Deed) संपत्ति का अंतिम हस्तांतरण दस्तावेज है, जो संपत्ति के अधिकार को स्थायी रूप से ट्रांसफर करता है। यह रजिस्ट्री में दर्ज होती है और कानूनी रूप से वैध मानी जाती है। वहीं एग्रीमेंट टू सेल (Agreement to Sell) केवल एक वादा है जिसमें भविष्य में संपत्ति बेचने की सहमति होती है। इसमें बिक्री की शर्तें लिखी जाती हैं लेकिन इससे स्वामित्व हस्तांतरित नहीं होता। एग्रीमेंट टू सेल एक अस्थायी और प्रारंभिक समझौता होता है।
प्रश्न 52: क्या वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराना जरूरी है?
उत्तर:
भारतीय कानून में वसीयत (Will) को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह वैकल्पिक रूप से किया जा सकता है। रजिस्ट्री कराने से वसीयत की वैधता और प्रमाणिकता मजबूत होती है, जिससे बाद में विवाद की संभावना कम हो जाती है। यदि वसीयत विवादित होती है, तो अदालत में प्रोबेट (Probate) लेना पड़ता है। रजिस्टर्ड वसीयत को चुनौती देना कठिन होता है, इसलिए रजिस्ट्रेशन करवाना लाभकारी माना जाता है।
प्रश्न 53: म्यूटेशन (नामांतरण) क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
म्यूटेशन वह प्रक्रिया है जिसमें संपत्ति के स्वामित्व में बदलाव को सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। यह रजिस्ट्री के बाद आवश्यक होता है ताकि कर (टैक्स) और राजस्व रिकॉर्ड में नया मालिक दर्ज हो सके। म्यूटेशन से यह स्पष्ट होता है कि अब संपत्ति का वास्तविक स्वामी कौन है। बिना म्यूटेशन के भविष्य में संपत्ति विवाद, लोन, या बिक्री में परेशानी हो सकती है। यह स्थानीय नगर निगम या तहसील कार्यालय में कराया जाता है।
प्रश्न 54: संपत्ति का संयुक्त स्वामित्व क्या होता है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर एक ही संपत्ति के मालिक होते हैं, तो उसे संयुक्त स्वामित्व (Joint Ownership) कहते हैं। इसमें सभी स्वामियों का हिस्सेदारी के अनुसार संपत्ति पर अधिकार होता है। संयुक्त स्वामित्व की संपत्ति को बेचने, किराए पर देने या स्थानांतरित करने के लिए सभी मालिकों की सहमति आवश्यक होती है। यदि कोई मालिक अपने हिस्से को बेचना चाहता है, तो पहले अन्य मालिकों को सूचना देना अनिवार्य होता है।
प्रश्न 55: क्या बिना रजिस्ट्री के संपत्ति खरीदना सुरक्षित है?
उत्तर:
नहीं, बिना रजिस्ट्री के संपत्ति खरीदना सुरक्षित नहीं होता। ऐसी संपत्ति पर खरीदार का कोई वैधानिक अधिकार नहीं होता। Transfer of Property Act, 1882 और Registration Act, 1908 के अनुसार, ₹100 से अधिक मूल्य की संपत्ति की बिक्री का रजिस्टर्ड दस्तावेज होना अनिवार्य है। बिना रजिस्ट्री के न तो स्वामित्व स्थानांतरित होता है और न ही कानूनी सुरक्षा मिलती है। भविष्य में संपत्ति विवाद, धोखाधड़ी और कब्जे से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए रजिस्ट्री कराना आवश्यक है।
प्रश्न 56: गिफ्ट डीड (दानपत्र) क्या होता है?
उत्तर:
गिफ्ट डीड एक ऐसा कानूनी दस्तावेज होता है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति अपनी संपत्ति स्वेच्छा से बिना किसी मूल्य के दूसरे व्यक्ति को दान करता है। इसे Indian Contract Act और Transfer of Property Act के अंतर्गत बनाया जाता है। गिफ्ट डीड को रजिस्ट्री कराना अनिवार्य है और इसमें स्टांप ड्यूटी देनी होती है, जो राज्य अनुसार भिन्न होती है। एक बार गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड हो जाए, तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता, सिवाय धोखाधड़ी के मामले में।
प्रश्न 57: किरायेदारी समझौता क्या होता है?
उत्तर:
किरायेदारी समझौता (Rent Agreement) एक लिखित दस्तावेज होता है जो मकान मालिक और किरायेदार के बीच संपत्ति के उपयोग की शर्तों को निर्धारित करता है। इसमें किराया राशि, अवधि, जमा राशि, बिजली-पानी की व्यवस्था, और निष्कासन की शर्तें स्पष्ट की जाती हैं। आमतौर पर यह 11 महीने के लिए बनता है और स्टांप पेपर पर किया जाता है। यह विवादों से बचने और दोनों पक्षों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक होता है।
प्रश्न 58: कब्जाधारी (Possession Holder) का क्या अधिकार होता है?
उत्तर:
कब्जाधारी व्यक्ति वह होता है जो किसी संपत्ति पर वास्तविक रूप से कब्जा रखता है, भले ही वह मालिक न हो। भारतीय कानून में लम्बे समय तक शांतिपूर्ण और अबाध कब्जा रखने वाले व्यक्ति को कुछ परिस्थितियों में Adverse Possession के तहत मालिकाना हक मिल सकता है। हालांकि, कब्जाधारी को स्वामित्व अधिकार तभी मिलता है जब उसने संपत्ति पर 12 वर्षों तक बिना आपत्ति के कब्जा रखा हो और मालिक ने कोई कानूनी कार्यवाही न की हो।
प्रश्न 59: म्यूटेशन और रजिस्ट्री में क्या अंतर है?
उत्तर:
रजिस्ट्री वह प्रक्रिया है जिससे संपत्ति का कानूनी स्वामित्व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित होता है। यह उप-पंजीयक कार्यालय में होती है।
म्यूटेशन राजस्व रिकॉर्ड में मालिकाना नाम को अपडेट करने की प्रक्रिया है। यह स्थानीय नगर निगम या तहसील में की जाती है। रजिस्ट्री से मालिकाना अधिकार प्राप्त होता है जबकि म्यूटेशन से सरकारी रिकॉर्ड में कर अदायगी का अधिकार स्थापित होता है।
प्रश्न 60: क्या पुलिस संपत्ति विवाद सुलझा सकती है?
उत्तर:
पुलिस केवल आपराधिक मामलों जैसे धोखाधड़ी, जालसाजी, या जबरन कब्जे में हस्तक्षेप कर सकती है। संपत्ति स्वामित्व से जुड़े विवाद, जैसे कि बंटवारा, कब्जा, रजिस्ट्री आदि दीवानी (civil) प्रकृति के होते हैं, जिनका समाधान केवल सिविल कोर्ट द्वारा किया जा सकता है। यदि कोई आपराधिक पक्ष हो, जैसे कि फर्जी दस्तावेज या मारपीट, तो पुलिस कार्रवाई संभव है, अन्यथा संपत्ति विवादों में न्यायालय ही उपयुक्त मंच होता है।
प्रश्न 61: संपत्ति का विक्रय पत्र (Sale Deed) कब वैध होता है?
उत्तर:
विक्रय पत्र (Sale Deed) तभी वैध होता है जब वह विधिवत स्टांप पेपर पर तैयार हो, उसमें विक्रेता व खरीदार के हस्ताक्षर हों, और वह उप-पंजीयक कार्यालय में रजिस्टर्ड हो। रजिस्ट्री के बिना कोई भी सेल डीड कानूनी रूप से मान्य नहीं मानी जाती। यह दस्तावेज संपत्ति के स्वामित्व को स्थायी रूप से स्थानांतरित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कागजात होता है।
प्रश्न 62: संपत्ति में संयुक्त स्वामित्व से कैसे मुक्त हुआ जा सकता है?
उत्तर:
यदि संपत्ति दो या अधिक लोगों के नाम पर है और कोई एक व्यक्ति अपने हिस्से से मुक्त होना चाहता है, तो वह अपनी हिस्सेदारी अन्य स्वामियों को गिफ्ट डीड, सेल डीड या वसीयत द्वारा दे सकता है। इसके अलावा, संयुक्त स्वामित्व को समाप्त करने के लिए कोर्ट में Partition Suit (विभाजन वाद) दायर किया जा सकता है, जिसके बाद संपत्ति का कानूनी रूप से बंटवारा होता है।
प्रश्न 63: क्या किराएदार संपत्ति पर अधिकार जमा सकता है?
उत्तर:
किराएदार का संपत्ति पर स्वामित्व अधिकार नहीं होता, लेकिन कुछ परिस्थितियों में लंबे समय तक कब्जा और किराया न देने पर विवाद उत्पन्न हो सकता है। यदि मकान मालिक समय पर कानूनी कार्यवाही नहीं करता, तो किराएदार अवैध कब्जा करने का दावा कर सकता है। इसलिए मकान मालिक को रेंट एग्रीमेंट समय-समय पर नवीनीकृत करना और किराया वसूलना जरूरी होता है।
प्रश्न 64: नामांतरण प्रमाणपत्र (Mutation Certificate) कैसे प्राप्त करें?
उत्तर:
नामांतरण प्रमाणपत्र के लिए संबंधित नगर निगम या तहसील कार्यालय में आवेदन करना होता है। इसके लिए रजिस्ट्री की प्रति, बिक्री दस्तावेज, नवीनतम बिजली-पानी के बिल, और पहचान पत्र संलग्न करने होते हैं। अधिकारी दस्तावेजों की जाँच कर संपत्ति रिकॉर्ड में नए स्वामी का नाम दर्ज करते हैं और प्रमाणपत्र जारी करते हैं। कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी होती है।
प्रश्न 65: क्या विरासत में मिली संपत्ति को बेचा जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, विरासत में मिली संपत्ति को बेचा जा सकता है, लेकिन उसके लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Legal Heir Certificate) या वसीयतनामा की वैधता सुनिश्चित करनी होती है। यदि संपत्ति कई वारिसों के नाम पर है, तो सभी की सहमति जरूरी होती है। संपत्ति का नामांतरण पूरा होने के बाद ही उसे कानूनी रूप से बेचा जा सकता है।
यह रहे Property Law (संपत्ति कानून) से संबंधित प्रश्न 65 से 75 तक के 11 लघु प्रश्नों के उत्तर, प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में और सरल हिंदी में समझाए गए हैं:
प्रश्न 65: क्या विरासत में मिली संपत्ति को बेचा जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, विरासत में प्राप्त संपत्ति को बेचना कानूनी रूप से संभव है, लेकिन इसके लिए कुछ औपचारिकताएँ पूरी करनी होती हैं। सबसे पहले उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Legal Heir Certificate) या वसीयतनामा के आधार पर संपत्ति का नामांतरण (Mutation) कराना होता है। यदि संपत्ति एक से अधिक उत्तराधिकारियों के नाम पर है, तो सभी की सहमति से बिक्री की जा सकती है। बिक्री से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद या बंधन न हो।
प्रश्न 66: वसीयत और उत्तराधिकार में क्या अंतर है?
उत्तर:
वसीयत (Will) वह दस्तावेज होता है जिसमें व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे की इच्छा व्यक्त करता है। यह इच्छानुसार किसी को भी संपत्ति दे सकता है।
वहीं, उत्तराधिकार (Intestate Succession) तब लागू होता है जब व्यक्ति बिना वसीयत के मरता है। तब संपत्ति उत्तराधिकार कानून (जैसे हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम) के अनुसार तय वारिसों को मिलती है। वसीयत में इच्छानुसार संपत्ति बाँटी जाती है, जबकि उत्तराधिकार में कानून के अनुसार।
प्रश्न 67: प्रॉपर्टी टैक्स क्या होता है?
उत्तर:
प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax) वह कर होता है जो स्थानीय नगर निगम या पंचायत द्वारा संपत्ति के मालिक से लिया जाता है। यह कर भवन, फ्लैट, जमीन आदि पर लगता है और इसका उपयोग सड़कों, स्ट्रीट लाइट, सफाई जैसी सेवाओं के लिए किया जाता है। यह कर संपत्ति के क्षेत्रफल, स्थान, उपयोग और निर्माण के आधार पर तय होता है। समय पर प्रॉपर्टी टैक्स जमा न करने पर जुर्माना और वसूली हो सकती है।
प्रश्न 68: संपत्ति के वैध स्वामित्व को कैसे प्रमाणित करें?
उत्तर:
किसी भी संपत्ति का वैध स्वामित्व प्रमाणित करने के लिए निम्न दस्तावेज जरूरी होते हैं:
- रजिस्टर्ड सेल डीड
- म्यूटेशन प्रमाणपत्र
- प्रॉपर्टी टैक्स रसीद
- बिजली/पानी बिल
- एनओसी (यदि प्रोजेक्ट में हो)
इन दस्तावेजों के आधार पर यह तय किया जा सकता है कि संपत्ति का वास्तविक और वैध मालिक कौन है। संपत्ति खरीदते समय इनकी जाँच आवश्यक है।
प्रश्न 69: संपत्ति पर लोन कैसे लिया जा सकता है?
उत्तर:
संपत्ति पर लोन लेने के लिए आपको अपनी संपत्ति को बैंक या वित्तीय संस्था के पास गिरवी (mortgage) रखना होता है। इसके लिए रजिस्ट्री, म्यूटेशन, प्रॉपर्टी टैक्स रसीद, नक्शा आदि दस्तावेज देने होते हैं। बैंक संपत्ति का मूल्यांकन करता है और तय सीमा तक लोन स्वीकृत करता है। लोन चुकाने के बाद नो ड्यू सर्टिफिकेट लेकर गिरवी हटाई जाती है। लोन के दौरान संपत्ति पर बैंक का हक रहता है।
प्रश्न 70: संपत्ति विवाद के समाधान के लिए कहां जाएं?
उत्तर:
संपत्ति विवाद के समाधान के लिए सबसे पहले सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जाता है। यदि मामला आपराधिक है (जैसे फर्जी दस्तावेज या धोखाधड़ी), तो पुलिस में शिकायत भी दर्ज की जा सकती है। कोर्ट में Title Suit, Partition Suit, या Injunction जैसी याचिकाएं दायर की जाती हैं। कुछ मामलों में लोक अदालत या मध्यस्थता के जरिए भी समाधान संभव होता है। दस्तावेज और गवाह अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 71: लीज और किरायेदारी में क्या अंतर है?
उत्तर:
लीज (Lease) दीर्घकालिक समझौता होता है जिसमें संपत्ति किसी व्यक्ति को 1 वर्ष या अधिक समय के लिए दी जाती है। इसका रजिस्टर्ड दस्तावेज होता है।
किरायेदारी (Tenancy) अल्पकालिक समझौता होता है, सामान्यतः 11 महीने के लिए, और यह अनरजिस्टर्ड होता है। लीज में किरायेदार को अधिक अधिकार मिलते हैं, जबकि किरायेदारी में मकान मालिक की अधिक शक्ति होती है।
प्रश्न 72: कृषि भूमि को आवासीय में कैसे बदला जाता है?
उत्तर:
कृषि भूमि को आवासीय भूमि में बदलने की प्रक्रिया को Land Use Conversion कहा जाता है। इसके लिए जिला भूमि राजस्व कार्यालय या नगर निगम में आवेदन देना होता है। साथ ही, प्रभार शुल्क भी देना होता है। अधिकारी भूमि का निरीक्षण कर अनुमति प्रदान करते हैं। अनुमति मिलने के बाद ही उस भूमि पर मकान, दुकान आदि का निर्माण किया जा सकता है। बिना अनुमति निर्माण अवैध माना जाता है।
प्रश्न 73: संपत्ति हड़पने पर क्या करें?
उत्तर:
यदि किसी ने आपकी संपत्ति पर जबरन कब्जा कर लिया है, तो सबसे पहले सिविल कोर्ट में Possession Suit या Injunction दाखिल करें। यदि कब्जा अपराध की श्रेणी में आता है (जैसे बलपूर्वक कब्जा), तो पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवा सकते हैं। अदालत में संपत्ति के स्वामित्व से जुड़े सभी दस्तावेज प्रस्तुत करें। समय पर कार्रवाई न करने पर कानूनन मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
प्रश्न 74: संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है?
उत्तर:
संपत्ति का बंटवारा आपसी सहमति से या अदालत के आदेश से हो सकता है। यदि सभी वारिस सहमत हों, तो Partition Deed बनाकर उसे रजिस्टर्ड कराया जा सकता है। यदि सहमति न हो, तो सिविल कोर्ट में Partition Suit दायर करना होता है। कोर्ट सबूतों के आधार पर प्रत्येक वारिस को उसका हिस्सा तय करता है और संपत्ति का वैध रूप से विभाजन कराता है।
प्रश्न 75: संपत्ति पर वसीयत के बिना वारिस कैसे तय होते हैं?
उत्तर:
यदि कोई व्यक्ति बिना वसीयत (Will) के मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उसकी संपत्ति का वितरण भारतीय उत्तराधिकार कानूनों के अनुसार होता है। हिन्दू परिवारों के लिए Hindu Succession Act, 1956 लागू होता है, जिसमें पत्नी, पुत्र, पुत्री और माता को प्रथम श्रेणी का वारिस माना जाता है। ये सभी बराबर के हिस्सेदार होते हैं। यदि प्रथम श्रेणी का कोई वारिस नहीं है, तो संपत्ति दूसरे श्रेणी के रिश्तेदारों (जैसे भाई, बहन, दादी आदि) को जाती है। मुस्लिम और ईसाई उत्तराधिकारियों के लिए अलग कानून होते हैं। संपत्ति का कानूनी बंटवारा करवाने के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र या सक्सेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 76: क्या पगड़ी सिस्टम में किरायेदार मालिक बन सकता है?
उत्तर:
पगड़ी सिस्टम एक पुराना किरायेदारी प्रथा है, जो खासकर मुंबई और कुछ अन्य शहरों में प्रचलित रहा है। इसमें किरायेदार मकान मालिक को एकमुश्त राशि देकर लंबे समय तक किराए पर रहता है और मामूली किराया देता है। हालाँकि, पगड़ी देने वाला व्यक्ति मालिक नहीं बनता। उसके पास केवल किरायेदारी का विशेष अधिकार होता है। वह बिना मालिक की अनुमति के संपत्ति नहीं बेच सकता। कुछ मामलों में किरायेदार संपत्ति में हिस्सा मांगते हैं, लेकिन कानूनी रूप से मालिक वही होता है जिसके नाम पर संपत्ति की रजिस्ट्री होती है।
प्रश्न 77: क्या अनाधिकृत निर्माण वैध कराया जा सकता है?
उत्तर:
अनाधिकृत निर्माण (Unauthorized Construction) का अर्थ है कि बिना नक्शा पास कराए या स्वीकृति लिए निर्माण कार्य करना। ऐसे निर्माण पर स्थानीय नगर निगम या विकास प्राधिकरण कार्रवाई कर सकता है, जैसे नोटिस देना या निर्माण गिराना। हालांकि, कुछ राज्यों में “रेगुलराइजेशन स्कीम” के तहत जुर्माना भरकर निर्माण को वैध कराया जा सकता है, लेकिन यह हर राज्य या शहर में उपलब्ध नहीं होती। वैधता पाने के लिए नगर निकाय से संपर्क करना पड़ता है और सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं। बेहतर है कि निर्माण शुरू करने से पहले नक्शा पास कराना ही सुरक्षित होता है।
प्रश्न 78: संपत्ति पर स्थगन आदेश (Stay Order) क्या होता है?
उत्तर:
स्थगन आदेश (Stay Order) एक न्यायिक निर्देश होता है, जो किसी कार्रवाई को अस्थायी रूप से रोकने के लिए अदालत द्वारा जारी किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर जबरन कब्जा करने, निर्माण करने या बिक्री करने की कोशिश करता है, तो असली मालिक अदालत से स्थगन आदेश ले सकता है। यह आदेश तब तक लागू रहता है जब तक मामला अंतिम निर्णय तक न पहुँच जाए। स्थगन आदेश संपत्ति की यथास्थिति बनाए रखने का कार्य करता है और विवाद के समय बेहद जरूरी कानूनी हथियार होता है।
प्रश्न 79: क्या को-पार्सनर बिना सहमति के संपत्ति बेच सकता है?
उत्तर:
हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्ति में को-पार्सनर (सह-उत्तराधिकारी) का हिस्सा तय नहीं होता जब तक कि विभाजन न हो जाए। इस कारण कोई भी को-पार्सनर संपत्ति को अकेले बेचने का अधिकारी नहीं होता, जब तक कि सभी सह-पार्सनरों की सहमति न हो। यदि वह ऐसा करता है तो बिक्री अवैध मानी जाती है और अदालत में चुनौती दी जा सकती है। यदि विभाजन हो चुका है और हिस्सा अलग हो चुका है, तो व्यक्ति अपने हिस्से को स्वतंत्र रूप से बेच सकता है।
प्रश्न 80: संयुक्त स्वामित्व में मृत्यु के बाद संपत्ति किसे मिलती है?
उत्तर:
संयुक्त स्वामित्व (Joint Ownership) में यदि एक स्वामी की मृत्यु हो जाती है, तो संपत्ति का हिस्सा मृतक के उत्तराधिकारियों को मिलता है। यदि रजिस्ट्री “Joint Tenancy with Right of Survivorship” के रूप में हुई है, तो जीवित स्वामी को पूरा अधिकार मिल जाता है। लेकिन यदि “Tenancy in Common” है, तो मृतक का हिस्सा कानूनी उत्तराधिकारी को स्थानांतरित होता है। सही उत्तर जानने के लिए रजिस्ट्री के शब्द और प्रकार की जाँच आवश्यक होती है।