“BNSS 2023 के तहत वारंट जारी होने पर बेल (ज़मानत) की प्रक्रिया: हाई कोर्ट या मजिस्ट्रेट?”
🔍 प्रस्तावना:
भारत में जब किसी आरोपी के विरुद्ध वारंट जारी होता है, तो यह प्रश्न अक्सर उठता है कि बेल (ज़मानत) कहां से ली जा सकती है — हाई कोर्ट से या न्यायिक मजिस्ट्रेट से? भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 – BNSS) के लागू होने के बाद इस प्रक्रिया में कुछ स्पष्टताएं और व्यावहारिक बदलाव सामने आए हैं।
⚖️ BNSS 2023 और वारंट की प्रकृति:
BNSS, 2023 की धारा 72 से 84 के अंतर्गत वारंट से संबंधित प्रावधान हैं। मुख्य रूप से दो प्रकार के वारंट होते हैं:
- बैरिस्टेबल (Bailable) वारंट
- नॉन-बैरिस्टेबल (Non-Bailable) वारंट
वारंट की प्रकृति यह निर्धारित करती है कि जमानत कहाँ से और किसके द्वारा दी जा सकती है।
🏛️ यदि मजिस्ट्रेट ने वारंट जारी किया है:
यदि किसी मजिस्ट्रेट (जैसे CJM या JMFC) ने वारंट जारी किया है, तो:
- बैरिस्टेबल वारंट की स्थिति में आरोपी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करके वहीं से जमानत प्राप्त कर सकता है।
- नॉन-बैरिस्टेबल वारंट की स्थिति में आरोपी को पहले मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा और यदि जमानत नहीं मिलती है, तो वह सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट में जमानत की याचिका दाखिल कर सकता है।
🏛️ यदि हाई कोर्ट ने वारंट जारी किया है:
यदि किसी मामले में हाई कोर्ट स्वयं वारंट जारी करता है, तो:
- आरोपी को सामान्यतः हाई कोर्ट से ही जमानत लेनी होती है।
- लेकिन अगर हाई कोर्ट ने वारंट केवल निष्पादन (execution) हेतु जारी किया है और ट्रायल कोर्ट में केस लंबित है, तो मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण कर जमानत की याचिका दायर की जा सकती है, जब तक कि हाई कोर्ट ने कोई विशेष निर्देश न दिए हों।
📌 BNSS 2023 की विशेषता:
BNSS 2023 ने यह सुनिश्चित किया है कि:
- जमानत प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता हो।
- आरोपी को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करने से पहले उचित सुनवाई का अवसर दिया जाए (धारा 482 के अनुसार)।
- बेल आवेदन को निष्पक्ष और शीघ्र निर्णय के लिए सुनवाई की जाए।
✅ निष्कर्ष:
इसका उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि वारंट किस स्तर के न्यायालय द्वारा जारी किया गया है और किस प्रकार का है:
वारंट जारी करने वाला | वारंट का प्रकार | बेल की याचिका कहां होगी? |
---|---|---|
मजिस्ट्रेट | बैरिस्टेबल | मजिस्ट्रेट के पास |
मजिस्ट्रेट | नॉन-बैरिस्टेबल | पहले मजिस्ट्रेट, फिर आवश्यकता अनुसार सेशन या हाई कोर्ट |
हाई कोर्ट | कोई भी | आमतौर पर हाई कोर्ट में |