शीर्षक: बिना उचित कारण पति से अलग रहने पर भरण-पोषण का अधिकार नहीं: पारिवारिक न्यायालय का निर्णय
प्रस्तावना:
भारतीय पारिवारिक विधि के अंतर्गत पति-पत्नी के संबंधों में यदि अलगाव की स्थिति उत्पन्न होती है, तो पत्नी को भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के अंतर्गत भरण-पोषण (Maintenance) का अधिकार प्राप्त है। किन्तु यह अधिकार तभी वैध माना जाता है जब पत्नी अपने पति से उचित कारण से अलग रह रही हो। हाल ही में कानपुर के पारिवारिक न्यायालय द्वारा दिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले में इस सिद्धांत को और स्पष्ट किया गया है।
प्रकरण का विवरण:
कानपुर के किदवई नगर निवासी एक महिला ने अपने दिल्ली निवासी शिक्षक पति के विरुद्ध भरण-पोषण की मांग करते हुए पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया था। महिला का विवाह 22 जनवरी 2018 को हुआ था। महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति उसे प्रताड़ित करता है और उसे अपने साथ नहीं रखना चाहता। उसने पति की मासिक आय 80,000 रुपये बताते हुए 40,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता दिलाने की मांग की थी।
पति की ओर से प्रस्तुत पक्ष:
पति ने कोर्ट में यह स्पष्ट किया कि उसने पत्नी के साथ किसी भी प्रकार की मारपीट या दुर्व्यवहार नहीं किया। इसके विपरीत, पत्नी ने उस पर झूठे आरोप लगाकर पुलिस थाने में बंद करा दिया। इसके बाद, वह अपने रिश्तेदारों के साथ पति के घर पहुंची और वहां से जेवर और लगभग 70,000 रुपये नकद लेकर चली गई। इसके पश्चात वह अपने माता-पिता के साथ रहने लगी और फिर वापस नहीं आई।
न्यायालय का निर्णय:
पारिवारिक न्यायालय के अपर प्रमुख न्यायाधीश मालोक कुमार की पीठ ने इस मामले की सभी परिस्थितियों का गहराई से अवलोकन किया और पाया कि महिला ने कोई ठोस और वैध कारण प्रस्तुत नहीं किया जिसके आधार पर वह पति से अलग रह रही है।
अतः कोर्ट ने कहा कि:
“यदि पत्नी बिना पर्याप्त और उचित कारण के अपने पति को छोड़ देती है और अलग रहती है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं होती।”
न्यायालय ने इस आधार पर भरण-पोषण का मुकदमा खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने पूर्व में तय की गई 1300 रुपये प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण की राशि को फैसले की तिथि तक दिए जाने का आदेश दिया।
न्यायिक निर्णय का महत्व:
यह निर्णय भारतीय न्याय प्रणाली में उन मुकदमों के लिए दृष्टांत (precedent) का कार्य करेगा, जिनमें पत्नी बिना उचित कारण के अलग रहकर भरण-पोषण की मांग करती हैं। यह स्पष्ट करता है कि भरण-पोषण का दावा केवल तर्कसंगत और वैध आधार पर ही किया जा सकता है।
कानूनी आधार:
- भारतीय दंड संहिता, 1973 की धारा 125 के अनुसार, यदि पत्नी स्वयं को असमर्थ पाती है और उसका पति उसका भरण-पोषण नहीं करता है, तो वह न्यायालय में भरण-पोषण की मांग कर सकती है।
- लेकिन, यदि पत्नी “स्वेच्छा से” या “बिना उचित कारण” अपने पति को छोड़कर अलग रहती है, तो उसे भरण-पोषण का अधिकार नहीं होता।
निष्कर्ष:
इस निर्णय से यह सिद्ध होता है कि न्यायालय केवल उन्हीं मामलों में भरण-पोषण की अनुमति देता है जहां पत्नी के अलग रहने के पीछे ठोस कारण हों, जैसे घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, व्यभिचार, या मानसिक प्रताड़ना। यदि पत्नी जानबूझकर और दुर्भावनापूर्वक पति से अलग रहती है, तो वह कानूनी रूप से भरण-पोषण की अधिकारी नहीं मानी जाएगी।
यह निर्णय समाज में झूठे मामलों की प्रवृत्ति को कम करने और पारिवारिक संस्थान की गरिमा बनाए रखने में सहायक सिद्ध हो सकता है।