“फिल्म ‘स्पेशल 26’ की तर्ज पर कानपुर में फर्जी STF बनकर वसूली – ट्रैफिक दारोगा गैंग का खुलासा”

“फिल्म ‘स्पेशल 26’ की तर्ज पर कानपुर में फर्जी STF बनकर वसूली – ट्रैफिक दारोगा गैंग का खुलासा”

प्रस्तावना

भारतीय पुलिसिंग व्यवस्था में जब किसी वर्दीधारी पर ही कानून तोड़ने का आरोप लगे, तो यह न केवल कानून व्यवस्था के लिए बल्कि आम जनमानस के विश्वास के लिए भी गहरी चोट होती है। कानपुर शहर में सामने आए एक ऐसे ही सनसनीखेज मामले ने पुलिस की कार्यप्रणाली और आंतरिक अनुशासन पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं, जहाँ एक ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर (TSI) ने खुद को STF अधिकारी बताकर संगठित वसूली रैकेट चलाया।


घटना का खुलासा

कानपुर के हनुमंत विहार और शारदा नगर इलाके में सामने आए मामलों में आरोप लगाया गया कि एक फर्जी STF टीम बनाकर कुछ लोग सेक्स रैकेट और सट्टेबाजी के अड्डों पर छापेमारी करते थे। यह छापेमारी किसी कानूनी अनुमति या पुलिस अधीक्षक के आदेश पर नहीं, बल्कि फिल्म ‘स्पेशल 26’ की स्टाइल में की जाती थी – हूटर लगी गाड़ियों से, वर्दी पहने लोगों के साथ, और पूरी तरह एक नकली ऑपरेशन की तरह।

इस गिरोह का संचालन कर रहा था टीएसआई अजीत यादव, जो ट्रैफिक विभाग में कार्यरत था और घटना सामने आने के बाद से फरार है। गिरोह में एक महिला पीआरडी जवान, एक होमगार्ड और अन्य सहयोगी शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।


गिरोह का कार्यप्रणाली

  • फर्जी पहचान: खुद को STF अधिकारी बताकर गिरोह होटल, ओयो रूम्स और संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी करता था।
  • डर और धमकी: पकड़े गए लोगों की अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें वायरल करने की धमकी दी जाती थी।
  • वसूली की रकम: पीड़ितों से मारपीट कर 1.5 लाख से 1.7 लाख रुपये तक की वसूली की गई।
  • प्रायोजित छापेमारी: यह कार्रवाई केवल उन स्थानों पर की जाती थी जहाँ से गिरोह को पहले से सूचना मिलती थी कि वहां से पैसे वसूले जा सकते हैं।

शिकायत और एफआईआर का विवरण

हनुमंत विहार निवासी एक युवक और रावतपुर की महिला द्वारा दर्ज कराई गई FIR में कहा गया कि गिरोह ने उनके घर पर दबिश दी और उन्हें उनकी महिला मित्र समेत पकड़कर मारपीट की तथा उन्हें गाड़ियों में बैठाकर पैसे मांगे। इसी प्रकार शारदा नगर में भी एक महिला से मोटी रकम वसूली गई।


पुलिस कार्रवाई

  • पांच लोगों की गिरफ्तारी: गिरोह के पाँच सदस्यों को कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
  • मुख्य आरोपी फरार: टीएसआई अजीत यादव अभी फरार है, और उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है।
  • निलंबन: आरोपी टीएसआई को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
  • अन्य शिकायतें: घटना के खुलासे के बाद अन्य पीड़ितों द्वारा भी शिकायत दर्ज कराई जा रही है, जिससे मामले का दायरा और भी बढ़ सकता है।

कानूनी पहलू

इस मामले में भारतीय दंड संहिता की कई धाराएं लागू हो सकती हैं, जैसे:

  • धोखाधड़ी (धारा 420 IPC)
  • छलपूर्वक सरकारी पद का उपयोग (धारा 170 IPC)
  • गैरकानूनी वसूली (धारा 384 IPC)
  • आपराधिक धमकी (धारा 506 IPC)
  • गंभीर मारपीट (धारा 323/325 IPC)
  • आईटी अधिनियम की धाराएं – अश्लील वीडियो बनाने और धमकी देने के लिए

न्यायिक व सामाजिक विश्लेषण

इस प्रकार का मामला न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि यह पूरे पुलिस सिस्टम में नैतिक गिरावट का उदाहरण भी है। यदि वर्दीधारी अधिकारी ही अपने पद का दुरुपयोग कर नागरिकों को डराकर धन वसूलें, तो आम जनता की सुरक्षा की गारंटी कैसे दी जा सकती है? ऐसे मामलों से पुलिस की साख पर प्रश्न उठते हैं और पारदर्शिता तथा आंतरिक निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित किया जाता है।


निष्कर्ष

कानपुर में फर्जी STF बनकर वसूली करने वाले इस गिरोह का खुलासा एक गंभीर चेतावनी है कि अब अपराध केवल ‘बाहरी तत्वों’ तक सीमित नहीं है, बल्कि कभी-कभी वर्दी के भीतर भी छिपा होता है। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई, दोषियों की गिरफ्तारी और न्यायिक प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करना अनिवार्य है, ताकि जनता का विश्वास न्याय व्यवस्था और पुलिस बल पर बना रहे। साथ ही, पुलिस विभाग के भीतर सघन निगरानी प्रणाली और पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना समय की मांग है।