कॉपीराइट (Copyright) की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अंतर्गत कॉपीराइट के अधिकार, उल्लंघन और दंडात्मक प्रावधानों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।

प्रश्न 2:
कॉपीराइट (Copyright) की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अंतर्गत कॉपीराइट के अधिकार, उल्लंघन और दंडात्मक प्रावधानों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।


परिचय (Introduction):

कॉपीराइट बौद्धिक संपदा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो मूल साहित्यिक, नाट्य, संगीत, कलात्मक कृतियों और फिल्मों व ध्वनि रिकॉर्डिंग जैसी रचनाओं पर रचनाकार को विशेष अधिकार प्रदान करता है। भारत में ‘कॉपीराइट अधिनियम, 1957’ इस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है। इसका उद्देश्य रचनाकारों के सृजनात्मक कार्यों की रक्षा करना तथा उनके आर्थिक एवं नैतिक अधिकारों को संरक्षित करना है।


कॉपीराइट की परिभाषा (Definition of Copyright):

कॉपीराइट एक ऐसा विधिक अधिकार है जो रचना के निर्माता को उसकी मूल रचना के प्रयोग, पुनरुत्पादन, प्रकाशन, संचार और वितरण पर विशेषाधिकार प्रदान करता है।

Section 14 of the Copyright Act, 1957 के अनुसार, कॉपीराइट का अर्थ है — किसी मूल रचना के संबंध में निम्नलिखित कार्यों को करने का विशिष्ट अधिकार:

  • उसे पुनरुत्पादित करना
  • अनुवाद करना
  • रूपांतर करना
  • सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन या संप्रेषण करना
  • वितरण और बिक्री करना

कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अंतर्गत रचनाओं के प्रकार:

  1. साहित्यिक कृति (Literary works) – जैसे उपन्यास, लेख, कविता, सॉफ्टवेयर
  2. नाट्य कृति (Dramatic works)
  3. संगीत कृति (Musical works)
  4. कलात्मक कृति (Artistic works) – जैसे चित्र, पेंटिंग, मूर्ति
  5. सिनेमा कृति (Cinematograph films)
  6. ध्वनि रिकॉर्डिंग (Sound recordings)

कॉपीराइट के अधिकार (Rights under Copyright):

1. आर्थिक अधिकार (Economic Rights):

कॉपीराइट धारक को अपनी रचना का व्यावसायिक उपयोग करने और उससे आर्थिक लाभ प्राप्त करने का अधिकार होता है:

  • पुनरुत्पादन का अधिकार (Right of reproduction)
  • वितरण का अधिकार (Right of distribution)
  • सार्वजनिक प्रदर्शन का अधिकार (Right of public performance)
  • अनुवाद और रूपांतरण का अधिकार (Right of translation and adaptation)

2. नैतिक अधिकार (Moral Rights) – Section 57:

  • रचनाकार को यह अधिकार प्राप्त होता है कि उसके नाम को उसकी रचना से जोड़ा जाए।
  • अगर कोई उसकी रचना को बिगाड़ता या अपमानित करता है तो वह आपत्ति उठा सकता है।

कॉपीराइट की अवधि (Term of Copyright):

  • साहित्यिक, नाट्य, संगीत और कलात्मक कृति: रचनाकार के जीवन + 60 वर्ष
  • सिनेमा फिल्म और ध्वनि रिकॉर्डिंग: प्रकाशन वर्ष से 60 वर्ष
  • सरकार द्वारा प्रकाशित कृति: प्रकाशन के 60 वर्ष तक

कॉपीराइट का उल्लंघन (Infringement of Copyright):

कॉपीराइट का उल्लंघन तब होता है जब –

  • कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी कृति की नकल करता है
  • सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करता है
  • बिक्री या किराए पर देता है
  • इंटरनेट पर अवैध रूप से अपलोड करता है

Section 51 of the Act

यह बताता है कि कब कोई कार्य कॉपीराइट का उल्लंघन माना जाएगा।


कॉपीराइट उल्लंघन से बचाव (Exceptions – Fair Use):

Section 52: Fair Use के अंतर्गत कुछ कार्य उल्लंघन नहीं माने जाते, जैसे –

  • निजी अध्ययन और अनुसंधान के लिए उपयोग
  • समीक्षा और आलोचना के लिए उपयोग
  • समाचारों की रिपोर्टिंग
  • शिक्षण संस्थानों में शैक्षिक उपयोग

दंडात्मक प्रावधान (Penal Provisions):

Section 63 – दंड (Punishment):

  • पहली बार उल्लंघन पर: 6 महीने से 3 वर्ष तक की सजा और 50,000 से 2 लाख रुपए तक जुर्माना
  • दोहराव की स्थिति में सख्त सजा दी जा सकती है
  • उल्लंघन करने वाले उपकरणों को जब्त करने का भी प्रावधान है

अन्य दंडात्मक धाराएं:

  • Section 63A: पुनरावृत्ति पर कठोर दंड
  • Section 65: फर्जी कॉपीराइट जानकारी देना
  • Section 66: कॉपीराइट ऑफिस को धोखा देना

न्यायिक दृष्टिकोण (Judicial Interpretation):

  • Eastern Book Company v. D.B. Modak (2008):
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी रचना में कॉपीराइट तभी मान्य होगा जब वह मौलिक हो और उसमें रचनात्मक प्रयास हो।
  • RG Anand v. Deluxe Films (1978):
    कॉपीराइट केवल विचार नहीं बल्कि उनके अभिव्यक्ति (expression) की रक्षा करता है।

कॉपीराइट पंजीकरण (Registration of Copyright):

  • कॉपीराइट स्वतः ही उत्पन्न होता है, जैसे ही रचना तैयार होती है
  • लेकिन पंजीकरण कराने से अदालत में कानूनी अधिकारों की रक्षा आसान होती है
  • पंजीकरण की प्रक्रिया भारत सरकार के Copyright Office द्वारा संचालित होती है

निष्कर्ष (Conclusion):

कॉपीराइट एक शक्तिशाली उपकरण है जो रचनाकारों को उनके बौद्धिक श्रम के लिए सम्मान, संरक्षण और आर्थिक लाभ प्रदान करता है। कॉपीराइट अधिनियम, 1957 ने भारत में रचनात्मक स्वतंत्रता और नवाचार को कानूनी संरक्षण प्रदान कर एक सशक्त विधिक ढांचा स्थापित किया है। हालांकि डिजिटल युग में उल्लंघन की संभावनाएँ बढ़ गई हैं, लेकिन कानून में समय-समय पर हुए संशोधनों ने इसकी प्रभावशीलता को बनाए रखा है। एक जिम्मेदार समाज में कॉपीराइट का सम्मान करना रचनात्मकता और प्रगति की कुंजी है।