2. व्यवसायिक एवं विधिक संप्रेषण में भाषा की भूमिका पर चर्चा कीजिए। साथ ही, अंग्रेजी भाषा की विधिक क्षेत्र में उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 2: व्यवसायिक एवं विधिक संप्रेषण में भाषा की भूमिका पर चर्चा कीजिए। साथ ही, अंग्रेजी भाषा की विधिक क्षेत्र में उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

1. व्यवसायिक एवं विधिक संप्रेषण में भाषा की भूमिका:

भाषा संप्रेषण का मुख्य माध्यम है। यह विचारों, सूचनाओं, निर्देशों तथा भावनाओं को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाने का साधन होती है। व्यवसायिक एवं विधिक संप्रेषण में भाषा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, जो निम्नलिखित बिंदुओं में स्पष्ट की जा सकती है:

  • स्पष्टता और सटीकता: विधिक दस्तावेजों और अनुबंधों में भाषा का स्पष्ट और सटीक होना अत्यावश्यक है, ताकि किसी प्रकार की भ्रम या विवाद की स्थिति न उत्पन्न हो।
  • प्रभावी संवाद: न्यायालय, अधिवक्ता, ग्राहक तथा सरकारी विभागों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए भाषा की प्रभावशीलता आवश्यक होती है।
  • प्रक्रियात्मक संप्रेषण: अदालत की कार्यवाही, नोटिस, समन, आदेश आदि विधिक दस्तावेज भाषा के माध्यम से ही तैयार होते हैं। इसलिए एक सुसंगत भाषा संप्रेषण प्रक्रिया का अनिवार्य भाग है।
  • प्रभावशाली प्रस्तुति: वकीलों द्वारा बहस, दलीलें एवं तर्क प्रस्तुत करने में भाषा की दक्षता का प्रमुख योगदान होता है।

2. अंग्रेजी भाषा की विधिक क्षेत्र में उपयोगिता:

विधिक क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा का विशेष महत्व है क्योंकि—

  • अंतरराष्ट्रीय मान्यता: अंग्रेजी भाषा विश्व की प्रमुख विधिक भाषाओं में से एक है, जो अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों, अनुबंधों और संधियों में प्रयुक्त होती है।
  • विधिक शब्दावली की प्रधानता: अधिकांश विधिक शब्दावली (जैसे – affidavit, writ, bail, petition, etc.) अंग्रेजी में ही होती है।
  • प्रचलित भाषा: उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में कार्यवाही अंग्रेजी में ही होती है, जिससे इसकी उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती है।
  • विधिक शिक्षा: भारत में विधि की अधिकांश पुस्तकें, अधिनियम, जर्नल्स और केस लॉ अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध हैं।
  • अंतर-राज्यीय संवाद: विभिन्न राज्यों में विधिक संवाद की एक समान भाषा के रूप में अंग्रेजी को अपनाया जाता है।

निष्कर्ष:

इस प्रकार, व्यवसायिक एवं विधिक संप्रेषण में भाषा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह संप्रेषण को प्रभावी, स्पष्ट एवं सुव्यवस्थित बनाती है। अंग्रेजी भाषा, विशेषतः विधिक क्षेत्र में, एक अनिवार्य उपकरण बन चुकी है, जो न्यायिक कार्यों, दस्तावेजों की प्रस्तुति तथा अंतरराष्ट्रीय विधिक संवाद में केंद्रीय भूमिका निभाती है।