यहाँ कुछ पर्यावरणीय विधि (Environmental Law) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

यहाँ कुछ पर्यावरणीय विधि (Environmental Law) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं:

1. पर्यावरणीय विधि क्या है? इसके महत्व को समझाइए।

उत्तर:
पर्यावरणीय विधि (Environmental Law) एक प्रकार का कानून है जो मानवों और उनके पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना, प्रदूषण को नियंत्रित करना और जैव विविधता को सुरक्षित रखना है। यह कानून न केवल प्रदूषण को रोकने के लिए जिम्मेदारी निर्धारित करता है, बल्कि यह यह भी सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय और सरकारी संगठन पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएँ। यह व्यक्तिगत, सामूहिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू होता है।

महत्व:

  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: यह भूमि, जल, वायु और वन जैसे संसाधनों की रक्षा करता है।
  • मानव स्वास्थ्य: प्रदूषण से बचाव के उपायों से मानव स्वास्थ्य को सुरक्षा मिलती है।
  • स्थिरता: यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जिससे भविष्य की पीढ़ियाँ भी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर सकें।
  • वैश्विक उत्तरदायित्व: वैश्विक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।

2. भारत में पर्यावरणीय विधि के प्रमुख तत्व कौन से हैं?

उत्तर:
भारत में पर्यावरणीय विधि के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं:

  • संविधान का अनुच्छेद 48A और 51A(g): अनुच्छेद 48A राज्य को यह निर्देश देता है कि वह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए उपाय करे, और अनुच्छेद 51A(g) नागरिकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाता है।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: यह अधिनियम पर्यावरणीय प्रदूषण और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने के लिए बनाया गया था।
  • जल (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974: यह कानून जल स्रोतों की रक्षा करता है और जल प्रदूषण को रोकने के उपाय करता है।
  • वायु (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1981: यह अधिनियम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए है।
  • वन संरक्षण अधिनियम, 1980: यह कानून वन क्षेत्र के संरक्षण को सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण (NEAT): यह संस्था पर्यावरणीय विवादों को सुलझाने के लिए कार्य करती है।

3. पर्यावरणीय अधिकार (Environmental Rights) और पर्यावरणीय न्याय (Environmental Justice) की अवधारणाओं को समझाइए।

उत्तर:
पर्यावरणीय अधिकार: यह अधिकार व्यक्तियों को पर्यावरण को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखने का अधिकार प्रदान करता है। यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ जल, हवा, और पर्याप्त जैव विविधता तक पहुँच हो।

पर्यावरणीय न्याय: यह अवधारणा यह सुनिश्चित करती है कि पर्यावरणीय लाभ और जोखिमों का वितरण समान रूप से हो। इसका मतलब है कि गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण अधिक जोखिम नहीं होना चाहिए। यह सामाजिक न्याय और पर्यावरण की रक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।

4. जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारतीय कानून और नीतियाँ क्या हैं?

उत्तर:
भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कई कानून और नीतियाँ बनाई गई हैं:

  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC): यह योजना भारत के जलवायु परिवर्तन नीतियों का ढाँचा प्रस्तुत करती है और इसके आठ मिशनों में अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, जल संसाधन प्रबंधन, और वन क्षेत्र संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • पेरिस समझौता: भारत ने पेरिस समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन में 33-35% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है।
  • राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा नीति: यह नीति अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा के विस्तार को बढ़ावा देती है।

5. भारत में पर्यावरणीय अपराधों के लिए दंड व्यवस्था क्या है?

उत्तर:
भारत में पर्यावरणीय अपराधों के लिए सख्त दंड व्यवस्था है, जो निम्नलिखित कानूनों के तहत लागू होती है:

  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: इसके तहत पर्यावरणीय प्रदूषण फैलाने वाले व्यक्तियों को भारी जुर्माना और कारावास की सजा हो सकती है।
  • वायु और जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम: इन अधिनियमों के तहत यदि कोई व्यक्ति या संगठन प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार पाया जाता है, तो उन्हें दंडित किया जा सकता है।
  • वन संरक्षण अधिनियम: वन क्षेत्र से अवैध कटाई या शिकार करने पर जुर्माना और कारावास का प्रावधान है।
  • राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण: यदि कोई व्यक्ति या संगठन पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करता है, तो उन्हें पर्यावरणीय न्यायाधिकरण द्वारा दंडित किया जा सकता है।

6. पर्यावरणीय विधि के अंतर्गत सजा और न्याय प्रणाली की भूमिका क्या है?

उत्तर:
पर्यावरणीय विधि के अंतर्गत सजा और न्याय प्रणाली का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने वालों को उचित दंड मिले और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की जाए। इसके लिए न्यायालय और विशेष पर्यावरणीय न्यायाधिकरण (जैसे एनजीटी) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। न्यायालयों द्वारा जारी किए गए आदेश प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरणीय संरक्षण के प्रयासों को गति देते हैं। न्यायिक हस्तक्षेप से पर्यावरणीय उल्लंघनों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित होती है।

यहाँ 7 से 50 तक पर्यावरणीय विधि (Environmental Law) से संबंधित विस्तृत प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं:

7. प्रदूषण के विभिन्न प्रकार क्या हैं और उनके कानूनी उपाय क्या हैं?

उत्तर:
प्रदूषण के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • वायु प्रदूषण: इसमें हानिकारक गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों का उत्सर्जन होता है।
    कानूनी उपाय: वायु (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1981, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक।
  • जल प्रदूषण: इसमें जल स्रोतों में अपशिष्ट, रसायन, और अन्य हानिकारक पदार्थ मिलते हैं।
    कानूनी उपाय: जल (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974, जल संरक्षण प्राधिकरण।
  • मृदा प्रदूषण: इसमें भूमि पर खतरनाक रसायन या अपशिष्टों का जमा होना शामिल है।
    कानूनी उपाय: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, रासायनिक अपशिष्ट प्रबंधन।
  • ध्वनि प्रदूषण: अत्यधिक शोर के कारण होने वाला प्रदूषण।
    कानूनी उपाय: ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण) अधिनियम, 2000।

8. पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन करने पर क्या दंड होता है?

उत्तर:
पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और कारावास की सजा हो सकती है। उदाहरण के लिए:

  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: यदि कोई व्यक्ति प्रदूषण फैलाता है तो उसे 1 लाख रुपये तक का जुर्माना और 5 साल तक की कारावास सजा हो सकती है।
  • जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम: इन कानूनों के तहत, प्रदूषण फैलाने वाले व्यक्तियों को जुर्माना और कारावास हो सकता है।

9. पर्यावरणीय विधि में साक्ष्य और प्रमाण की भूमिका क्या है?

उत्तर:
पर्यावरणीय मामलों में साक्ष्य और प्रमाण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यह साबित करने के लिए कि कोई उल्लंघन हुआ है, यह आवश्यक है। इसमें प्रदूषण स्तर, वैज्ञानिक परीक्षण, विशेषज्ञ गवाही, और पर्यावरणीय विश्लेषण के प्रमाण शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, वायु प्रदूषण के मामले में वायु गुणवत्ता रिपोर्ट या जल प्रदूषण के लिए जल परीक्षण रिपोर्ट प्रमाण हो सकते हैं।

10. भारत में पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता की स्थिति क्या है?

उत्तर:
भारत में पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए कई पहलें की गई हैं। इसमें स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पर्यावरणीय शिक्षा का समावेश, सार्वजनिक जागरूकता अभियान, और पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की पहलें शामिल हैं। भारत सरकार द्वारा पर्यावरणीय संरक्षण पर जोर देने के लिए “स्वच्छ भारत अभियान” और “राष्ट्रीय पर्यावरण सप्ताह” जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

11. पर्यावरणीय न्यायाधिकरण (National Green Tribunal – NGT) क्या है?

उत्तर:
राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण (NGT) भारत में पर्यावरणीय विवादों को निपटाने के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण है। इसे 2010 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य पर्यावरणीय उल्लंघनों से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई करना और पर्यावरणीय कानूनों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है। NGT को प्रदूषण, वन संरक्षण, जल संरक्षण, और अन्य पर्यावरणीय विवादों से संबंधित मामलों की सुनवाई का अधिकार है।

12. पेरिस समझौता (Paris Agreement) क्या है और भारत पर इसका प्रभाव क्या है?

उत्तर:
पेरिस समझौता 2015 में हुआ था, जिसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना और प्रयास करना कि यह 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर न जाए। भारत ने इस समझौते के तहत अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ाने का संकल्प लिया है। भारत ने 2030 तक अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 33-35% की कमी करने का लक्ष्य रखा है।

13. पर्यावरणीय न्याय का परिभाषा और सिद्धांत क्या है?

उत्तर:
पर्यावरणीय न्याय का मतलब है कि सभी व्यक्तियों को स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण में रहने का समान अधिकार है। यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि पर्यावरणीय प्रदूषण और उसके प्रभाव का समान रूप से वितरण हो, ताकि गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग इससे प्रभावित न हों। यह सामाजिक और न्यायिक समानता को पर्यावरणीय पहलुओं में समाहित करता है।

14. पर्यावरणीय अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कैसे की जाती है?

उत्तर:
पर्यावरणीय अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई एनजीटी या अन्य न्यायालयों में की जा सकती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी ने प्रदूषण किया है या किसी ने वन संरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया है, तो प्रभावित व्यक्ति या समुदाय न्यायाधिकरण या न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं।

15. भारत में वन संरक्षण अधिनियम (Forest Conservation Act, 1980) के तहत क्या प्रावधान हैं?

उत्तर:
वन संरक्षण अधिनियम, 1980, का उद्देश्य भारतीय वन संसाधनों की रक्षा और संवर्धन करना है। इसके तहत, वन क्षेत्र में कोई निर्माण या अन्य गतिविधियाँ बिना सरकारी अनुमति के नहीं की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, यह अधिनियम वनों की अतिक्रमण रोकने और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर नियंत्रण करने के लिए भी है।

16. पर्यावरणीय अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून क्या हैं?

उत्तर:
अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों में प्रदूषण, वन नष्ट करने, जलवायु परिवर्तन, और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाने से संबंधित कई महत्वपूर्ण समझौते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • पेरिस समझौता (Paris Agreement)
  • बायल-कॉन्वेंशन (Basel Convention)
  • रैमसर सम्मेलन (Ramsar Convention)
  • बायोडायवर्सिटी कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity)

17. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत में क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर:
भारत में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत जलवायु परिवर्तन के उपायों को बढ़ावा देना।
  • नवीकरणीय ऊर्जा मिशन के तहत अक्षय ऊर्जा स्रोतों की क्षमता बढ़ाना।
  • ऊर्जा दक्षता योजना के तहत ऊर्जा की बचत के उपाय।
  • स्मार्ट शहरों का विकास और टिकाऊ नगरों का निर्माण।

18. जंगलों और वन्य जीवों की रक्षा के लिए भारतीय कानूनों का क्या महत्व है?

उत्तर:
भारत में जंगलों और वन्य जीवों की रक्षा के लिए कई कानून हैं:

  • वन संरक्षण अधिनियम, 1980: यह कानून जंगलों की रक्षा और उनकी अतिक्रमण से बचाव के लिए है।
  • जंगली जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: यह वन्य जीवों की रक्षा करने के लिए है और इनके शिकार पर प्रतिबंध लगाता है।
  • राष्ट्रीय वन नीति, 1988: यह नीति वन संसाधनों के सही तरीके से प्रबंधन और संरक्षण पर जोर देती है।

19. प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की भूमिका क्या है?

उत्तर:
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जैसे CPCB और SPCB) प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निगरानी रखते हैं और पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं। वे उद्योगों को पर्यावरणीय मानकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, प्रदूषण के स्तर की नियमित जांच करते हैं, और प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।

20. जैव विविधता की रक्षा के लिए भारत में कौन से कानून हैं?

उत्तर:
भारत में जैव विविधता की रक्षा के लिए प्रमुख कानून हैं:

  • जैव विविधता अधिनियम, 2002: यह कानून जैविक संसाधनों के संरक्षण और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए है।
  • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण: यह प्राधिकरण जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के लिए नीतियों का निर्माण करता है।

यहाँ 21 से 50 तक पर्यावरणीय विधि (Environmental Law) से संबंधित विस्तार से प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं:

21. भारत में जल संरक्षण के लिए कौन से प्रमुख कानून हैं?

उत्तर:
भारत में जल संरक्षण के लिए निम्नलिखित प्रमुख कानून हैं:

  • जल (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974: इसका उद्देश्य जल स्रोतों की रक्षा करना और जल प्रदूषण को नियंत्रित करना है।
  • राष्ट्रीय जल नीति, 2012: यह नीति जल संसाधनों के संरक्षण और उनकी सतत प्रबंधन के लिए बनाई गई है।
  • वाटर (वाटरशेड, रिवर बेसिन, और अंतरराज्यीय जल विवाद) कानून: यह कानून जल के उचित वितरण और वितरण विवादों का समाधान करने के लिए है।

22. पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assessment – EIA) क्या है?

उत्तर:
EIA एक प्रक्रिया है जो किसी परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों को पहले से समझा जाए और उन्हें कम करने के उपायों को लागू किया जाए। यह प्रक्रिया 2006 में भारत में पर्यावरणीय संरक्षण अधिनियम के तहत अनिवार्य की गई थी।

23. राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की संरचना और कार्य क्या है?

उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की संरचना में एक अध्यक्ष और 10 सदस्य होते हैं, जिनमें से कुछ न्यायिक सदस्य होते हैं और अन्य विशेषज्ञ होते हैं। इसका कार्य पर्यावरणीय विवादों की त्वरित सुनवाई करना और पर्यावरणीय कानूनों का पालन सुनिश्चित करना है। NGT का मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय न्याय प्रदान करना और प्रदूषण को नियंत्रित करना है।

24. भारत में प्रदूषण की रोकथाम के लिए कौन से प्रमुख संस्थान कार्य कर रहे हैं?

उत्तर:
भारत में प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रमुख संस्थान हैं:

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB): यह संस्था वायु, जल, और मृदा प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण करती है।
  • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB): यह राज्य स्तर पर प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है।

25. पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व और इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर:
पर्यावरणीय शिक्षा का उद्देश्य नागरिकों को पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक करना और उन्हें उनके पर्यावरणीय अधिकारों के बारे में जानकारी देना है। भारत में स्कूलों और कॉलेजों में पर्यावरणीय शिक्षा अनिवार्य की गई है, और सरकार विभिन्न अभियान और कार्यक्रमों का आयोजन करती है जैसे “स्वच्छ भारत अभियान” और “जल बचाओ अभियान”।

26. सतत विकास (Sustainable Development) क्या है और इसके लिए क्या कानून हैं?

उत्तर:
सतत विकास का मतलब है कि वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों का संरक्षण करना। भारत में सतत विकास के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006, और जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) जैसे कानून और नीतियाँ बनाई गई हैं।

27. पर्यावरणीय न्याय में नागरिकों की भूमिका क्या है?

उत्तर:
पर्यावरणीय न्याय में नागरिकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे पर्यावरणीय उल्लंघन की पहचान कर सकते हैं और न्यायालयों या एनजीटी में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। नागरिकों को अपनी जागरूकता बढ़ानी चाहिए और प्रदूषण से बचाव के उपायों को अपनाना चाहिए।

28. भारत में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के लिए क्या नियम और कानून हैं?

उत्तर:
भारत में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के लिए वायु (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1981, जल (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974, और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 जैसे कानून हैं। ये कानून उद्योगों पर प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का प्रयोग अनिवार्य करते हैं और प्रदूषण मानकों का पालन करने के लिए बाध्य करते हैं।

29. पर्यावरणीय विधि में अनौपचारिक निवारण के उपाय क्या हैं?

उत्तर:
अनौपचारिक निवारण के उपायों में मध्यस्थता और वार्ता शामिल हैं। इसमें पर्यावरणीय विवादों को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच संवाद और समझौते का प्रयास किया जाता है। एनजीटी में भी कुछ मामलों में मध्यस्थता का उपयोग किया जाता है।

30. भारत में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए कौन से उपाय किए गए हैं?

उत्तर:
भारत ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:

  • राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत ऊर्जा दक्षता और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का विस्तार किया गया है।
  • उदारीकरण और सुधार के द्वारा कोयला आधारित ऊर्जा परियोजनाओं के पर्यावरणीय मानकों को सुधारा गया है।
  • स्वच्छ ऊर्जा के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं।

31. भारत में पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) के नियम और प्रक्रिया क्या हैं?

उत्तर:
भारत में EIA प्रक्रिया 2006 के पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत निर्धारित की गई है। यह प्रक्रिया परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करती है और सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया से गुजरती है। EIA रिपोर्ट तैयार करने के बाद, पर्यावरण मंत्रालय परियोजना को मंजूरी या अस्वीकृति दे सकता है।

32. भारत में जलवायु परिवर्तन और ग्रीन हाउस गैसों के बारे में क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर:
भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे:

  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश: भारत सौर ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए कई योजनाएँ चला रहा है।
  • एनर्जी एफिशिएंसी मिशन: ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
  • क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौता: भारत ने वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

33. भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या तकनीकी उपाय हैं?

उत्तर:
भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभिन्न तकनीकी उपाय अपनाए गए हैं, जैसे:

  • वायु शोधन तकनीक (Air Scrubbers)
  • जल शोधन संयंत्र (Water Treatment Plants)
  • ठोस कचरे का प्रबंधन (Solid Waste Management)
  • पर्यावरणीय निगरानी उपकरणों का उपयोग (Environmental Monitoring Devices)

34. बायोडायवर्सिटी और इसके संरक्षण के लिए भारत में क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर:
भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

  • जैव विविधता अधिनियम, 2002: इस अधिनियम के माध्यम से जैविक संसाधनों की रक्षा की जाती है।
  • जैव विविधता कार्य योजना: यह योजना भारत की जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है।

35. जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारत की राष्ट्रीय रणनीतियाँ क्या हैं?

उत्तर:
भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई राष्ट्रीय रणनीतियाँ बनाई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC)
  • कृषि और जल प्रबंधन सुधार
  • उर्जा की कुशलता बढ़ाना और अक्षय ऊर्जा का प्रोत्साहन

36. स्मार्ट शहरों और टिकाऊ शहरीकरण के लिए भारत में कौन से कानून हैं?

उत्तर:
भारत में स्मार्ट शहरों और टिकाऊ शहरीकरण के लिए स्मार्ट सिटी मिशन और राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति लागू की गई है। यह कानून शहरीकरण को टिकाऊ बनाने के लिए ऊर्जा दक्षता, पर्यावरणीय सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं का प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं।

37. भारत में बंजर भूमि और डिफॉरेस्टेशन से निपटने के लिए कौन से उपाय हैं?

उत्तर:
भारत में बंजर भूमि और डिफॉरेस्टेशन से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं:

  • वन क्षेत्र संरक्षण अधिनियम, 1980
  • हरित पट्टी योजना (Green Belt Scheme)
  • वन पुनर्स्थापन परियोजनाएँ

38. भारत में जैव विविधता के लिए कौन से अंतरराष्ट्रीय समझौते हैं?

उत्तर:
भारत ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए निम्नलिखित अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं:

  • बायोडायवर्सिटी कन्वेंशन (CBD)
  • रैमसर कन्वेंशन (Ramsar Convention on Wetlands)

39. भारत में जलवायु परिवर्तन पर अनुसंधान और विकास के लिए क्या योजनाएँ हैं?

उत्तर:
भारत में जलवायु परिवर्तन पर अनुसंधान और विकास के लिए कई योजनाएँ हैं, जिनमें भारत जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (ICCP) और सतत विकास के लिए अनुसंधान और नीति कार्यक्रम शामिल हैं।

40. पर्यावरणीय अधिकारों के उल्लंघन के लिए भारत में कौन से न्यायालय हैं?

उत्तर:
पर्यावरणीय अधिकारों के उल्लंघन के लिए भारत में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के अलावा राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण (NGT) भी कार्य करता है।

41. जंगलों और वन्य जीवों की रक्षा के लिए क्या कानूनी पहलें हैं?

उत्तर:
जंगलों और वन्य जीवों की रक्षा के लिए वन संरक्षण अधिनियम, 1980, और जंगली जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 प्रमुख कानून हैं। इन कानूनों के माध्यम से जंगलों की कटाई और शिकार पर नियंत्रण किया जाता है।

42. भारत में प्रदूषण के स्तर की निगरानी कौन करता है?

उत्तर:
भारत में प्रदूषण के स्तर की निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) करते हैं। ये संस्थाएँ प्रदूषण मानकों की निगरानी करती हैं और औद्योगिक गतिविधियों पर नियंत्रण करती हैं।

43. भारत में कार्बन क्रेडिट और उत्सर्जन व्यापार (Emission Trading) के बारे में क्या जानकारी है?

उत्तर:
भारत में कार्बन क्रेडिट और उत्सर्जन व्यापार कार्यक्रम के तहत कंपनियाँ अपने उत्सर्जन स्तर को नियंत्रित करने के लिए क्रेडिट खरीद और बेच सकती हैं। यह कार्यक्रम क्योटो प्रोटोकॉल के तहत लागू किया गया है।

44. भारत में समुद्र और तटीय क्षेत्रों का संरक्षण कैसे किया जाता है?

उत्तर:
भारत में समुद्र और तटीय क्षेत्रों के संरक्षण के लिए तटीय क्षेत्र प्रदूषण (COASTAL ZONE MANAGEMENT) और समुद्री प्रदूषण नियंत्रण कानून लागू हैं।

45. भारत में जलवायु परिवर्तन के सामाजिक प्रभावों पर कौन से अध्ययन हुए हैं?

उत्तर:
भारत में जलवायु परिवर्तन के सामाजिक प्रभावों पर कई अध्ययन हुए हैं, जो मुख्य रूप से कृषि, जल स्रोतों, और गरीब वर्गों के प्रभावित होने पर केंद्रित हैं। इन अध्ययनों के आधार पर सरकार ने नीतियाँ और योजनाएँ बनाई हैं।

यहाँ 46 से 60 तक पर्यावरणीय विधि (Environmental Law) से संबंधित विस्तृत प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं:

46. पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और दंड किस प्रकार से निर्धारित किया जाता है?

उत्तर:
पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और दंड इस प्रकार से निर्धारित किया जाता है:

  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत, प्रदूषण फैलाने या अन्य उल्लंघनों के लिए जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है और पांच साल तक की सजा हो सकती है।
  • वायु और जल प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत जुर्माना अधिक हो सकता है, जो प्रति दिन के आधार पर बढ़ सकता है, यदि उल्लंघन जारी रहता है।
  • जंगली जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत, वन्य जीवों का शिकार करने या वन्य जीवों से संबंधित अपराधों के लिए जुर्माना और अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है।

47. भारत में वन संरक्षण के लिए वन्य जीवों और जंगलों की सुरक्षा को लेकर क्या विशेष पहल की गई हैं?

उत्तर:
भारत में वन और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कई विशेष पहल की गई हैं:

  • वन संरक्षण अधिनियम, 1980: यह अधिनियम वन क्षेत्रों के अवैध उपयोग को रोकने और अतिक्रमण के खिलाफ है।
  • जंगली जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: यह कानून वन्य जीवों के संरक्षण के लिए है, जिसमें शिकार पर प्रतिबंध और संरक्षित क्षेत्रों की घोषणा की जाती है।
  • प्राकृतिक अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना: भारत में 500 से अधिक संरक्षित क्षेत्र हैं जो वन्य जीवों और वनस्पतियों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।
  • ग्रीन इंडिया मिशन: यह मिशन पर्यावरण के संरक्षण, वनों की पुनः वनीकरण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए लागू किया गया है।

48. भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए किस प्रकार के कानूनी उपाय किए गए हैं?

उत्तर:
भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कानूनी उपाय किए गए हैं:

  • जैव विविधता अधिनियम, 2002: यह अधिनियम जैव संसाधनों की संरक्षण, उपयोग और उनके लाभों को साझा करने के लिए लागू किया गया है।
  • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA): यह प्राधिकरण जैव विविधता संरक्षण से जुड़े निर्णय लेता है और जैविक संसाधनों के उपयोग पर निगरानी रखता है।
  • सार्वजनिक जानकारी और साक्षात्कार: अधिनियम के तहत जैविक संसाधनों के उपयोग और संरक्षित प्रजातियों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है।

49. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए भारत के प्रमुख प्रयास क्या हैं?

उत्तर:
भारत जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख प्रयास कर रहा है:

  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC): यह भारत का मुख्य दस्तावेज है जिसमें आठ मिशन शामिल हैं, जैसे कि राष्ट्रीय सौर मिशन, राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता मिशन, और जल प्रबंधन मिशन
  • पेरिस समझौता: भारत ने पेरिस समझौते के तहत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लिया है और 2030 तक 33-35% उत्सर्जन में कमी करने का लक्ष्य तय किया है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार: भारत ने 175 GW अक्षय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य तय किया है, जिसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और बायोमास शामिल हैं।
  • ग्रीन ऊर्जा फंड: ग्रीन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु सरकार ने ग्रीन ऊर्जा फंड की स्थापना की है।

50. भारत में पर्यावरणीय कानूनों के उल्लंघन को लेकर किस प्रकार के सामाजिक आंदोलनों और कानूनी संघर्ष हुए हैं?

उत्तर:
भारत में कई सामाजिक आंदोलन और कानूनी संघर्ष पर्यावरणीय कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ हुए हैं:

  • नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan): यह आंदोलन नर्मदा नदी पर बन रहे बांधों के निर्माण के विरोध में था, क्योंकि इससे आदिवासियों और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा था। यह आंदोलन पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
  • सलेम-चिन्ना-माला का संघर्ष (Salem-Chinna-Mala Case): यह केस प्रदूषण के कारण किसानों और स्थानीय समुदायों पर होने वाले प्रभावों को लेकर था, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण के उपायों की मांग की गई थी।
  • चिपको आंदोलन (Chipko Movement): यह आंदोलन 1970 के दशक में हिमालयी क्षेत्र के जंगलों की कटाई के खिलाफ शुरू हुआ था, जहां लोग पेड़ों को गले लगाकर उनके कटने का विरोध करते थे। इसे पर्यावरणीय जागरूकता और वन संरक्षण के एक प्रमुख संघर्ष के रूप में देखा जाता है।

51. भारत में पर्यावरणीय शिकार और वन्य जीवों के संरक्षण से संबंधित कानूनी ढांचा क्या है?

उत्तर:
भारत में पर्यावरणीय शिकार और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कानूनी ढांचे हैं:

  • जंगली जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: यह अधिनियम वन्य जीवों के शिकार, तस्करी और उनके अवैध व्यापार को रोकता है। यह भारतीय वन्य जीवों को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों और वन्य जीवन आश्रयों की स्थापना को बढ़ावा देता है।
  • वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB): यह संस्था वन्य जीवों के शिकार और तस्करी को रोकने के लिए काम करती है।
  • राष्ट्रीय अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान: भारत में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए 500 से अधिक राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य बनाए गए हैं।

52. भारत में प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए कौन से उपकरण और तकनीकी विधियाँ अपनाई जाती हैं?

उत्तर:
भारत में प्रदूषण के स्तर की निगरानी के लिए निम्नलिखित उपकरण और तकनीकी विधियाँ अपनाई जाती हैं:

  • वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (Air Quality Monitoring Stations): ये स्टेशन वायु में विभिन्न प्रदूषकों, जैसे कि PM 2.5, PM 10, NOx, SOx, और CO2 की निगरानी करते हैं।
  • जल परीक्षण उपकरण (Water Testing Kits): इन उपकरणों के माध्यम से जल की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाता है, जैसे कि जल में अशुद्धियों और रसायनों का पता लगाने के लिए।
  • डाटा लॉगिंग और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी: प्रदूषण के स्तर की निगरानी और विश्लेषण के लिए डाटा लॉगर्स और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

53. भारत में पर्यावरणीय न्याय का महत्व और इसके तहत किए गए कानूनी सुधार क्या हैं?

उत्तर:
भारत में पर्यावरणीय न्याय का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण प्रदान करना है। पर्यावरणीय न्याय के तहत किए गए कानूनी सुधारों में शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT): यह संस्था पर्यावरणीय विवादों के त्वरित निवारण के लिए बनाई गई है, जिससे लोगों को पर्यावरणीय अधिकारों की रक्षा मिल सके।
  • सार्वजनिक कार्रवाई: लोगों को अधिकार है कि वे पर्यावरणीय उल्लंघनों के खिलाफ न्यायालय में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसे “लोकहित याचिका” (Public Interest Litigation) कहा जाता है, जो भारतीय न्यायिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार था।

54. भारत में वन संरक्षण से जुड़े प्रमुख कानून और नीतियाँ क्या हैं?

उत्तर:
भारत में वन संरक्षण से जुड़े प्रमुख कानून और नीतियाँ हैं:

  • वन संरक्षण अधिनियम, 1980: यह अधिनियम जंगलों की अतिक्रमण से रक्षा करता है और बिना अनुमति के वन क्षेत्रों में कोई निर्माण या अन्य गतिविधियाँ करने से रोकता है।
  • राष्ट्रीय वन नीति, 1988: यह नीति वनों के संरक्षण और उन्हें सही तरीके से प्रबंधित करने के लिए है।
  • हरित पट्टी योजना: यह योजना जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए हरित क्षेत्रों के विस्तार को बढ़ावा देती है।

55. भारत में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर:
भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC): इसमें आठ मिशन शामिल हैं, जो जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए हैं।
  • वातावरणीय कार्य योजना: इस योजना के तहत ऊर्जा बचत, ऊर्जा दक्षता और अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जाता है।
  • अक्षय ऊर्जा मिशन: भारत ने 175 GW तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया गया है।

56. भारत में पर्यावरणीय रचनात्मक न्याय की अवधारणा क्या है?

उत्तर:
पर्यावरणीय रचनात्मक न्याय की अवधारणा का मतलब है कि पर्यावरणीय उल्लंघन और प्रदूषण के कारण प्रभावित समुदायों के लिए न्याय के अलावा पुनर्निर्माण और पुनःस्थापना के उपायों का भी समावेश किया जाए। यह न्याय का एक नया दृष्टिकोण है, जिसमें आर्थिक और पर्यावरणीय पुनर्निर्माण पर भी ध्यान दिया जाता है।

यहाँ 57 से 63 तक पर्यावरणीय विधि (Environmental Law) से संबंधित विस्तृत प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं:

57. भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कौन से प्रमुख संगठन और संस्थाएँ काम करती हैं?

उत्तर:
भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रमुख संगठन और संस्थाएँ निम्नलिखित हैं:

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB): यह बोर्ड देशभर में वायु, जल, और भूमि प्रदूषण के नियंत्रण और निगरानी के लिए जिम्मेदार है। CPCB के पास प्रदूषण स्तर मापने के उपकरण होते हैं और यह प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करता है।
  • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB): यह राज्य स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी निभाता है और राज्य के पर्यावरणीय कानूनों का पालन सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT): यह ट्रिब्यूनल पर्यावरणीय विवादों और प्रदूषण से संबंधित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए कार्य करता है।
  • प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियाँ (Pollution Control Agencies): ये राज्य और केंद्र सरकार द्वारा स्थापित की जाती हैं, जो विभिन्न प्रदूषण स्रोतों पर निगरानी और नियंत्रण करती हैं।

58. भारत में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए कौन से उपाय किए गए हैं?

उत्तर:
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए कई उपाय किए गए हैं:

  • प्लास्टिक बैन: कई राज्यों और नगरपालिकाओं ने सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में 2022 में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू किया गया था।
  • स्वच्छ भारत अभियान: इस अभियान के तहत, प्लास्टिक कचरे की समस्या को गंभीरता से लिया गया और इसे ठीक से नष्ट करने के उपायों की योजना बनाई गई है।
  • पुनर्नवीनीकरण कार्यक्रम: प्लास्टिक कचरे के पुनर्नवीनीकरण के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि इसका पुन: उपयोग किया जा सके और पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके।
  • सामाजिक जागरूकता: प्लास्टिक के नुकसान और इसके विकल्पों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं।

59. भारत में जल संसाधनों के संरक्षण के लिए कौन सी विधियाँ अपनाई गई हैं?

उत्तर:
भारत में जल संसाधनों के संरक्षण के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनाई गई हैं:

  • जल संरक्षण नीति: जल की बचत और उसके सही उपयोग के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं, जैसे कि वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) और जल पुनर्चक्रण।
  • नदी पुनर्जीवन परियोजनाएँ: उदाहरण के रूप में नमामि गंगे परियोजना है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी की सफाई और जल गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • सिंचाई प्रणाली का सुधार: किसानों के लिए सिंचाई की अधिकतम दक्षता सुनिश्चित करने के लिए ड्रिप सिंचाई और वर्षा जल संचयन जैसे उपायों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय जल नीति, 2012: इस नीति में जल संसाधनों के संरक्षण, पुनः उपयोग और कुशल वितरण के उपायों का समावेश किया गया है।

60. भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू किए गए कुछ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौते क्या हैं?

उत्तर:
भारत ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौतों में भाग लिया है:

  • पेरिस समझौता (Paris Agreement): यह समझौता 2015 में हुआ था और इसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है। भारत ने भी इस समझौते को स्वीकार किया है और अपने उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol): यह 1997 में हुआ था और इसके तहत औद्योगिक देशों को ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। भारत ने इस प्रोटोकॉल के तहत अपने प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू किया है।
  • एम्ब्रेला कॉन्वेंशन (Montreal Protocol): इस समझौते का उद्देश्य ओजोन परत की रक्षा करना है, और भारत ने इसमें अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित की है।
  • विश्व जल सम्मेलन (World Water Conference): भारत ने जल संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में भाग लिया है।

61. भारत में जल प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित मुख्य कानून और उनके उद्देश्य क्या हैं?

उत्तर:
भारत में जल प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित मुख्य कानून और उनके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • जल (प्रदूषण नियंत्रण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974: इस अधिनियम का उद्देश्य जल प्रदूषण को नियंत्रित करना है और जल की गुणवत्ता को बनाए रखना है। यह अधिनियम प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को अधिक अधिकार देता है ताकि वे जल प्रदूषण को रोक सकें।
  • जल जीवन मिशन: इस मिशन का उद्देश्य प्रत्येक घर में सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति करना है और जल स्रोतों को संरक्षित करना है।
  • राष्ट्रीय जल गुणवत्ता मानक: इन मानकों के तहत जल में विभिन्न प्रदूषकों के स्तर को नियंत्रित किया जाता है, ताकि जल स्रोतों की गुणवत्ता बनी रहे।

62. भारत में पर्यावरणीय अधिकारों के संरक्षण के लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान हैं?

उत्तर:
भारतीय संविधान में पर्यावरणीय अधिकारों के संरक्षण के लिए निम्नलिखित प्रावधान हैं:

  • अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार): इसे पर्यावरणीय अधिकारों से जोड़ा गया है, जहां सर्वोच्च न्यायालय ने इसे जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के हिस्से के रूप में मान्यता दी है।
  • अनुच्छेद 48A (पर्यावरण संरक्षण): यह अनुच्छेद राज्य को यह निर्देशित करता है कि वह पर्यावरण को संरक्षित और सुधारने के उपाय करे।
  • अनुच्छेद 51A (g): यह नागरिकों को यह दायित्व देता है कि वे पर्यावरण का संरक्षण करें और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करें।
  • लोकहित याचिका (Public Interest Litigation): नागरिकों को यह अधिकार है कि वे पर्यावरणीय मामलों के लिए अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं, जिससे पर्यावरणीय अधिकारों का संरक्षण हो सके।

63. भारत में हानिकारक रसायनों और विषाक्त पदार्थों के नियमन के लिए कौन से प्रमुख कानून हैं?

उत्तर:
भारत में हानिकारक रसायनों और विषाक्त पदार्थों के नियमन के लिए निम्नलिखित प्रमुख कानून हैं:

  • उत्पादक (रासायनिक पदार्थ) नियम, 1989: यह नियम रासायनिक उत्पादों के उत्पादन, आयात, उपयोग और उसके निपटान पर निगरानी रखता है।
  • रासायनिक हथियार सम्मेलन (Chemical Weapons Convention, CWC): भारत इस अंतरराष्ट्रीय समझौते का हिस्सा है, जो रासायनिक हथियारों के उत्पादन और उनके उपयोग को रोकने के लिए है।
  • खतरनाक रासायनिक पदार्थ (विनियमन) अधिनियम, 1986: यह अधिनियम खतरनाक रासायनिक पदार्थों के उत्पादन, भंडारण और परिवहन के नियमों को नियंत्रित करता है और उनके प्रभावों से बचाव के लिए उपाय करता है।
  • प्रदूषण नियंत्रण कानून: इन कानूनों के तहत प्रदूषण फैलाने वाले रसायनों के उत्पादन, उपयोग और डिस्पोजल पर नियंत्रण रखा जाता है।