भारतीय न्याय संहिता 2023 में क्या नया है ।

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, ने भारतीय दंड संहिता (IPC) को प्रतिस्थापित करते हुए कई महत्वपूर्ण बदलाव और सुधार प्रस्तुत किए हैं। प्रमुख परिवर्तनों में शामिल हैं:

  1. राजद्रोह कानून का निरसन: बीएनएस 2023 में राजद्रोह (Sedition) को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। हालांकि, राष्ट्र के खिलाफ किसी भी गतिविधि को दंडनीय अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है।
  2. आतंकवाद की परिभाषा: पहली बार, आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
  3. सामुदायिक सेवा का प्रावधान: कुछ अपराधों के लिए सजा के रूप में सामुदायिक सेवा को शामिल किया गया है, जिससे न्याय प्रणाली में सुधार और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  4. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त सजा: गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। यदि पीड़िता नाबालिग है, तो आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
  5. संगठित अपराध के लिए नए प्रावधान: संगठित अपराधों के लिए नई धाराएं जोड़ी गई हैं, जो सिंडिकेट की गैर-कानूनी गतिविधियों को दंडनीय बनाती हैं।
  6. ई-एफआईआर और जीरो एफआईआर का प्रावधान: नागरिकों की सुविधा के लिए ई-एफआईआर और जीरो एफआईआर की व्यवस्था की गई है, जिससे किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जा सकती है, भले ही अपराध उस क्षेत्र के बाहर हुआ हो।
  7. फॉरेंसिक जांच की अनिवार्यता: सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है, जिससे न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी।
  8. नए अपराधों का समावेश: शादी, रोजगार, प्रमोशन, या झूठी पहचान के आधार पर यौन संबंध बनाना अब नया अपराध माना गया है।

इन परिवर्तनों के माध्यम से, बीएनएस 2023 का उद्देश्य न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना है।