GST On Group Health Insurance Challenged: Kerala High Court Grants Interim Relief To Union Bank Pensioners
(ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पर GST चुनौती; केरल हाईकोर्ट ने यूनियन बैंक पेंशनर्स को अंतरिम राहत प्रदान की)**
✧ प्रस्तावना
भारत में जीएसटी (Goods and Services Tax) व्यवस्था को कर प्रणाली को सरल और एकरूप बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया था। लेकिन स्वास्थ्य सेवाएँ और बीमा योजनाएँ हमेशा से एक संवेदनशील क्षेत्र रही हैं, क्योंकि इनका सीधा संबंध आम नागरिकों की जीविका, स्वास्थ्य अधिकार और सामाजिक सुरक्षा से है। हाल ही में केरल हाईकोर्ट का एक महत्वपूर्ण आदेश इस चर्चा को फिर से ज़ोरदार तरीके से सार्वजनिक मंच पर ले आया।
मुद्दा:
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पेंशनर्स यूनियन ने ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST लगाने को चुनौती दी, और कोर्ट ने पेंशनर्स को अस्थायी राहत प्रदान करते हुए कहा कि GST वसूली पर फिलहाल रोक रहेगी।
यह आदेश न केवल बैंक पेंशनर्स के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह देश भर में लाखों रिटायर्ड कर्मचारियों, वरिष्ठ नागरिकों और उनके परिवारों के लिए एक प्रतीकात्मक जीत और संभावित व्यापक प्रभाव वाला निर्णय है।
✧ पृष्ठभूमि: विवाद कैसे उत्पन्न हुआ?
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए समूह स्वास्थ्य बीमा योजना (Group Health Insurance Scheme) प्रदान करता है। इस योजना के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों और उनकी जीवनसाथी को चिकित्सा खर्चों से सुरक्षा मिलती है।
पहले स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर टैक्स अपेक्षाकृत कम होता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद:
- 18% GST हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगाया गया
- पेंशनर्स, जिनकी आमदनी सीमित है, पर भारी आर्थिक बोझ बढ़ा
पेंशनर्स यूनियन का तर्क था कि:
“पेंशनधारी वरिष्ठ नागरिकों पर स्वास्थ्य बीमा पर GST लगाना अनुचित, अत्यधिक बोझिल और असंवैधानिक है। स्वास्थ्य सेवाएँ और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा राज्य का कर्तव्य है।”
इसके बाद मामला केरल हाईकोर्ट पहुँचा।
✧ याचिकाकर्ताओं का तर्क
पेंशनर्स ने अदालत के समक्ष निम्न प्रमुख तर्क रखे:
- स्वास्थ्य एक मौलिक अधिकार है
अनुच्छेद 21 (Article 21 – Right to Life) के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच नागरिक का अधिकार है।
बीमा प्रीमियम पर कर लगाना इस अधिकार के विपरीत है। - वरिष्ठ नागरिक सामाजिक सुरक्षा वर्ग हैं
सरकार को इस वर्ग को राहत देनी चाहिए, ना कि अतिरिक्त आर्थिक भार डालना चाहिए। - ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस लाभकारी प्रावधान है
यह व्यवसायिक मॉडल नहीं, बल्कि कर्मचारी कल्याण योजना है। अतः इसे GST से मुक्त रखा जाना चाहिए। - कल्याणकारी राज्य की संवैधानिक प्रतिबद्धता
संविधान अनुच्छेद 41 एवं 47 सरकार को नागरिकों—विशेषतः वृद्धजनों—के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देने को कहते हैं।
✧ सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार और GST अधिकारियों का तर्क था:
- GST कानून में स्वास्थ्य बीमा पर कर लगाने का स्पष्ट प्रावधान है।
- बीमा कंपनियाँ सेवा प्रदान करती हैं, अतः GST लागू होता है।
- यह कर नीति सार्वभौमिक है और इसमें संशोधन नीति निर्णय है, न्यायिक हस्तक्षेप नहीं।
हालाँकि कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए तुरंत कर हटाने की बजाय अंतरिम राहत प्रदान की।
✧ केरल हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश
कोर्ट ने कहा:
✔ पेंशनर्स फिलहाल GST भुगतान से अस्थायी रूप से मुक्त रहेंगे
✔ जिन पेंशनर्स ने GST दे दिया है, वह रिफंड मांग सकते हैं या समायोजन पा सकते हैं
✔ केंद्र सरकार और GST परिषद को विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा
अदालत ने यह स्वीकार किया कि:
“वरिष्ठ नागरिकों के चिकित्सा अधिकारों की रक्षा राज्य का दायित्व है। उनके लिए स्वास्थ्य बीमा पर कर लगाना prima facie अत्यधिक बोझ प्रतीत होता है।”
✧ कानूनी एवं संवैधानिक आयाम
यह मामला केवल कर विवाद नहीं, बल्कि इन विषयों से जुड़ा है:
| पहलू | विवरण |
|---|---|
| मौलिक अधिकार | Article 21 – स्वास्थ्य संरक्षण |
| राज्य का कर दायित्व | Article 265 – कर केवल विधि के अनुसार |
| राज्य का कल्याण कर्तव्य | Article 41, 47 – वृद्धजन व स्वास्थ्य कल्याण |
| GST की प्रकृति | आपूर्ति आधारित कराधान (Service based taxation) |
यानी यह मामला कर नीति बनाम मानवाधिकार के द्वंद्व का एक उदाहरण है।
✧ न्यायिक मिसालें
सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट्स पहले भी कह चुके हैं:
- Consumer Education & Research Centre v. Union of India
स्वास्थ्य Article 21 का हिस्सा है। - Navtej Singh Johar Case
जीवन की गरिमा (Right to dignity) मौलिक अधिकार का हिस्सा। - Paschim Banga Khet Mazdoor Samity Case
राज्य का कर्तव्य है स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
इसी दिशा में यह आदेश एक और सकारात्मक कदम है।
✧ विश्लेषण: क्या GST वाकई अनुचित है?
✔ GST लगाने के दुष्परिणाम
- वरिष्ठ नागरिकों पर आर्थिक बोझ
- परिवारों के लिए बीमा affordability कम
- स्वास्थ्य सुरक्षा नीति के विपरीत
- सामाजिक सुरक्षा लक्ष्य कमजोर
✘ GST हटाने के पक्ष में चिंताएँ
- सरकार के राजस्व पर प्रभाव
- अन्य वर्ग भी छूट की मांग कर सकते हैं
लेकिन सामाजिक कल्याण नीतियों में हमेशा दुर्बल वर्ग की प्राथमिकता होती है।
✧ तुलनात्मक दृष्टिकोण: अन्य देशों में क्या होता है?
| देश | स्वास्थ्य बीमा टैक्स नीति |
|---|---|
| UK | NHS — वृद्धों को मुफ्त इलाज |
| Canada | Universal Health Scheme |
| USA | Senior Medicare facility |
| Australia | Senior discounts & public coverage |
भारत में भी PM-JAY, CGHS, ESIC जैसे मॉडल हैं, लेकिन निजी क्षेत्र पेंशनर्स के लिए ऐसी राहत सीमित है।
इसलिए अदालत का हस्तक्षेप कल्याणकारी लोकतंत्र के अनुरूप है।
✧ अर्थशास्त्रीय दृष्टिकोण
स्वास्थ्य पर खर्च उपभोग नहीं, सामाजिक निवेश है।
किसी राष्ट्र की आर्थिक उत्पादकता और सामाजिक स्थिरता उसके स्वास्थ्य संरचना पर निर्भर है।
वरिष्ठ नागरिकों पर अतिरिक्त कर:
- Out-of-pocket खर्च बढ़ाता है
- बीमा penetration कम करता है
- स्वास्थ्य बजट पर दबाव बढ़ाता है
अतः यह निर्णय आर्थिक दृष्टि से भी संतुलित है।
✧ प्रभाव और भविष्य की राह
✅ तात्कालिक प्रभाव
- यूनियन बैंक पेंशनर्स को राहत
- अन्य बैंक व PSU पेंशनर्स के लिए मार्ग खुला
- राष्ट्रीय स्तर पर बहस तेज़
🌐 संभावित भविष्य
- केंद्र सरकार संशोधन पर विचार कर सकती है
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए GST छूट की संभावना
- पेंशनर-केंद्रित स्वास्थ्य नीति का विकास
✧ निष्कर्ष
केरल हाईकोर्ट का यह आदेश भारतीय न्यायिक प्रणाली की संवेदनशीलता, मानवता और संविधान में वर्णित कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना का वास्तविक परिचायक है। यह निर्णय बताता है:
“कानून का उद्देश्य कठिनाई पैदा करना नहीं, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है।”
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पर GST का मामला केवल एक कर विवाद नहीं, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान, सुरक्षा और जीवन-गुणवत्ता से जुड़ा मुद्दा है।
यह निर्णय निश्चय ही स्वास्थ्य अधिकार और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
✧ Final Thought
“सशक्त समाज वह है जो अपने बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।”
स्वास्थ्य अधिकार कोई विलासिता नहीं — यह गरिमापूर्ण जीवन का अनिवार्य हिस्सा है।