नए खेल शासन अधिनियम का आयाम: National Sports Governance Act, 2025 एवं खेल विवादों में सुधार
प्रस्तावना
भारत में खेलों का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व सदियों पुराना है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक खेलों ने न केवल सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया है, बल्कि राष्ट्रीय पहचान और गौरव के प्रतीक भी रहे हैं। आज, भारत में खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और अंतरराष्ट्रीय सम्मान का माध्यम भी बन चुका है।
हालांकि, खेलों के क्षेत्र में अनेक चुनौतियाँ रही हैं। प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी, खिलाड़ियों के हितों की अनदेखी, महासंघों में राजनीतिक हस्तक्षेप, और खेल विवादों का जटिल निपटान जैसे मुद्दे भारतीय खेल पर छाया डालते रहे हैं। इन चुनौतियों के समाधान और खेलों के समग्र विकास के लिए National Sports Governance Act, 2025 को पारित किया गया। यह अधिनियम भारतीय खेल प्रशासन में एक नया युग स्थापित करता है, जिसका उद्देश्य खेलों में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारतीय खेल प्रशासन का ढांचा मुख्यतः राष्ट्रीय खेल महासंघों (National Sports Federations – NSFs) और सेंट्रल गवर्नमेंट के मंत्रालय के अधीन कार्य करता रहा है। इन महासंघों के माध्यम से खेलों के आयोजन, खिलाड़ियों का चयन, प्रशिक्षण, और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है।
परंतु, पिछले दशकों में महासंघों में भ्रष्टाचार, अयोग्य नेतृत्व, और प्रशासनिक अनियमितताओं के कई मामले सामने आए। उदाहरण के लिए:
- चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव।
- महासंघों द्वारा खिलाड़ियों की भलाई की अनदेखी।
- वित्तीय अनियमितताएँ और सरकारी अनुदान का दुरुपयोग।
- खेल विवादों के समाधान में लंबित मामले और न्यायिक देरी।
इस पृष्ठभूमि में National Sports Governance Act, 2025 ने भारतीय खेल प्रशासन में सुधार और पेशेवर ढांचा लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।
अधिनियम के प्रमुख उद्देश्य
- पारदर्शिता और जवाबदेही: सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों के चुनाव, वित्तीय प्रबंधन और प्रशासनिक गतिविधियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- खिलाड़ियों की भलाई: चयन प्रक्रिया, प्रशिक्षण सुविधा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा मानकों में सुधार।
- विवाद समाधान: खेल से संबंधित विवादों का शीघ्र, निष्पक्ष और न्यायसंगत समाधान।
- अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन: ओलंपिक और पैरालंपिक चार्टर, अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों के दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशासन।
- राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना: महासंघों की निगरानी, मान्यता, और वित्तीय सहायता वितरण का केंद्रीकृत तंत्र।
राष्ट्रीय खेल बोर्ड (National Sports Board)
अधिनियम के तहत राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना की गई है। इसके प्रमुख कार्य हैं:
- मान्यता प्रदान करना: केवल वे महासंघ जो नियमों और मानकों के अनुरूप काम कर रहे हैं, उन्हें केंद्रीय सरकार की मान्यता मिलेगी।
- निगरानी और मूल्यांकन: महासंघों की वार्षिक रिपोर्ट, वित्तीय उपयोग और प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा।
- सहायता और मार्गदर्शन: महासंघों को प्रशिक्षण, वित्त, और कार्यक्रमों के संचालन में सहयोग।
- अस्थायी प्रशासन: यदि कोई महासंघ अंतरराष्ट्रीय मान्यता खो देता है या संचालन में विफल रहता है, तो बोर्ड अस्थायी प्रशासन स्थापित करेगा।
इस प्रकार, बोर्ड खेल प्रशासन में जवाबदेही और प्रणालीबद्धता लाने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (National Sports Tribunal)
खेल विवादों के शीघ्र समाधान के लिए राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना अधिनियम के तहत की गई है।
- संरचना: अध्यक्ष एक उच्च न्यायालय के वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश होंगे, और दो सदस्य खेल और कानून में विशेषज्ञ होंगे।
- क्षेत्राधिकार: खेल विवाद, अनुशासनात्मक मामले, चयन विवाद, और महासंघों के निर्णयों के खिलाफ अपील।
- तत्काल प्रभाव: न्यायाधिकरण के आदेश का पालन अनिवार्य है, और अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही संभव है।
यह न्यायाधिकरण खिलाड़ियों, कोचों, और अन्य संबंधित पक्षों को त्वरित और निष्पक्ष न्याय प्रदान करता है।
चुनावों में पारदर्शिता
अधिनियम ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर खेल महासंघों के चुनावों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निम्न प्रावधान किए हैं:
- राष्ट्रीय चुनाव पैनल: केंद्रीय सरकार द्वारा गठित, महासंघों के चुनावों की निगरानी।
- महासंघीय चुनाव पैनल: प्रत्येक महासंघ अपने सहायक निकायों के चुनावों की निगरानी करेगा।
- अभिलेख और प्रक्रिया: चुनाव प्रक्रिया, नामांकन, मतदान, और परिणाम सार्वजनिक और पारदर्शी होंगे।
यह सुनिश्चित करता है कि खेल संगठन लोकतांत्रिक रूप से और निष्पक्ष ढंग से संचालित हों।
खिलाड़ियों की भलाई और सुरक्षा
खिलाड़ियों को सम्मान, सुरक्षा, और उचित अवसर प्रदान करना अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य है। इसके लिए:
- चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता।
- प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता।
- लैंगिक उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र।
- खिलाड़ियों के अनुशासन और व्यवहार से संबंधित दिशानिर्देश।
यह प्रावधान खिलाड़ियों को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है।
वित्तीय पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार
- महासंघों को वित्तीय रिपोर्ट और ऑडिट नियमित रूप से राष्ट्रीय खेल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी।
- सरकारी अनुदान केवल मान्यता प्राप्त और निष्पक्ष संचालन करने वाले महासंघों को मिलेगा।
- भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामलों में जांच और दंड की प्रक्रिया स्पष्ट है।
इससे खेलों में वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ सामंजस्य
अधिनियम ने भारतीय खेल प्रशासन को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया है:
- ओलंपिक और पैरालंपिक चार्टर का पालन।
- अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों के नियम और दिशानिर्देश।
- खिलाड़ियों के चयन, प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा में समान अवसर।
इससे भारत के खेलों की विश्वस्तरीय पहचान बढ़ती है और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में विश्वसनीयता आती है।
खेल विवादों में सुधार
राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण और पारदर्शी चुनाव प्रावधान खेल विवादों के समाधान को तेज़ और निष्पक्ष बनाते हैं।
- त्वरित निपटान: विवादों का 90 दिनों के भीतर समाधान।
- निष्पक्ष न्याय: स्वतंत्र और विशेषज्ञ सदस्यों द्वारा सुनवाई।
- अपील प्रावधान: न्यायाधिकरण के निर्णयों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील।
इससे खिलाड़ियों, कोचों और महासंघों के बीच विश्वास बढ़ता है।
निष्कर्ष
National Sports Governance Act, 2025 भारतीय खेल प्रशासन में ऐतिहासिक सुधार लाता है।
- खेलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
- खिलाड़ियों की भलाई और सुरक्षा को प्राथमिकता मिलती है।
- खेल विवादों का समाधान शीघ्र और निष्पक्ष होता है।
- अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशासन से भारत का खेल क्षेत्र सशक्त होता है।
अधिनियम भारतीय खेल प्रशासन को पेशेवर, जवाबदेह और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाता है। यह केवल खेलों के विकास का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और अंतरराष्ट्रीय सम्मान का भी माध्यम है।