1. क्षतिपूर्ति को संविदा किस धारा में परिभाषित की गई है :
(क) धारा 124 (ग) धारा 126
(ख) धारा 125 (घ) धारा 120
उत्तर-(क)
2. प्रत्याभूति की संविदा का अर्थ किस धारा में है :
(क) धारा 128
(ख) धारा 126
(ग) धारा 130
(घ) धारा इसमें से कोई नहीं
उत्तर-(ख)
3. कौन सा कथन सत्य है ?
(क) प्रत्याभूति की संविदा में दो पक्षकार होना आवश्यक है।
(ख) प्रत्याभूति की संविदा के मूल ऋणी का होना आवश्यक है।
(ग) प्रत्याभूति की संविदा का उद्देश्य ऋणी को सुरक्षा प्रदान करना है।
(घ) काल वर्जित ऋण के सम्बन्ध में भी प्रत्याभूति की संविदा की सकती है।
उत्तर-(ख)
4. प्रतिभू का दायित्व मूल ॠणी के दायित्व के समविस्तीर्ण होता है। किस धारा में उल्लिखित है-
(क) धारा 126
(ख) धारा 127
(ग) धारा 128
(घ) धारा 130
उत्तर-(ग)
5. चलत प्रत्याभूति किस धास में परिभाषित की गई है :
(क) धारा 129
(ख) धारा 130
(ग) धारा 127
(घ) इसमें से कोई नहीं
उत्तर-(क)
6. कौन सा कथन सत्य है :
(क) प्रत्याभूति की संविदा के लिए प्रतिफल आवश्यक है।
(ख) प्रत्याभूति की संविदा के लिए प्रतिफल आवश्यक नहीं है।
(ग) क्या ऐसा कोई संविधिक उपबन्ध नहीं है जो प्रत्याभूति की संविदा के लिए प्रतिफल की आवश्यक बनाता हो।
(घ) उपर्युक्त सभी कथन असत्य है।
उत्तर-(क)
7. उपनिधान को किस धारा में परिभाषित किया गया है :
(क) धारा 148
(ग) धारा 180
(ख) धारा 150 (घ) धारा 170
उत्तर-(क)
8. कौन सा वाद उपनिधान से सम्बन्धित है :
(क) स्टेट ऑफ गुजरात बनाम मेमन मोहम्मद
(ख) सैयद बनाम बट्ट
(ग) बैंक ऑफ बिहार बनाम डॉ० दामोदर प्रसाद
(घ) आफोर्ड बनाम डेविस
उत्तर-(क)
9. कौन सी धारा साधारण धारणाधिकार में सम्बन्धित है।
(क) धारा 170
(ख) धारा 171
(ग) धारा 172
(घ) धारा 174
उत्तर-(ख)
10- उपनिहितों के युक्तियुक्त सावधानी के कर्तव्य का उल्लेख किस धारा में किया गया है :
(क) धारा 150
(ख) धारा 151
(ग) धारा 152
(घ) धारा 158
उत्तर-(ख)
11. एडम्पन बनाम जारविस किस पर निग्दर्शक वाद है?
(क) उपनिधान
(ख) क्षतिपूर्ति की संविदा
(ग) प्रत्याभूति की संविदा
(घ) गिरवी
उत्तर-(ख)
12. उपनिहिती वह व्यक्ति है :
(क) जिसको माल परिदत्त किया जाता है।
(ख) जिसके क्रय माल परिदत्त किया जाता है।
(ग) जो माल परिदत्त करने में असफल रहता है।
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(क)
13. अभिकरण की स्थापना के लिए प्रतिफल आवश्यक नहीं है
(क) धारा 183
(ग) धारा 185
(ख) धारा 184
(घ) धारा 189
उत्तर- (ग)
14. अभिकर्ता की नियुक्ति की जा सकती है :
(क) स्वस्थचित अप्राप्तवय द्वारा
(ख) स्वस्थचित प्राप्तवय द्वारा
(ग) किसी भी व्यक्ति द्वारा जो स्वस्थ चित्त हो
(घ) किसी भी प्राप्तवय द्वारा जो स्वस्थ चित्त हो या नहीं
उत्तर-(ख)
15. भारतीय संविदा विधि के अन्तर्गत अभिकरण के सम्बन्ध में कौन सा कथन गलत है?
(क) मालिक संविदा करने में सक्षम हो
(ख) अभिकर्ता का प्राधिकार अभिव्यक्त या विवक्षित हो सकेगा।
(ग) अभिकरण का सृजन करने के लिए प्रतिफल आवश्यक है।
(घ) अप्राप्तवय का अभिभावक उसके लिए अभिकर्ता नियुक्त कर सकता है।
उत्तर- (ग)
16. कौन सा कथन सत्य है –
(क) अभिकरण के निर्माण के लिए प्रतिफल की आवश्यकता होती
(ख) अभिकर्ता को संविदा करने के लिए सक्षम होना आवश्यक है। (ग) अवयस्क अभिकर्ता नियोजित नहीं कर सकता।
(घ) इनमें से कोई कथन सत्य नहीं है।
उत्तर-(ग)
17. व्यपदेशन के आधार पर मालिक के दायित्व का उपबन्ध उल्लिखित है :
(क) धारा 182 में
(ख) धारा 200 में
(ग) धारा 201 में
(घ) उपर्युक्त में से किसी में नहीं।
उत्तर-(घ)
18. अभिकर्ता अपने मालिक की माँग पर उचित लेखा देने के लिए आबद्ध है यह किस धारा का उपबन्ध है :
(क) धारा 213
(ख) धारा 214
(ग) धारा 215
(घ) धारा 238
उत्तर-(क)
19. भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 222 –
(क) मालिक के प्रति अभिकर्ता के कर्त्तव्य से सम्बन्धित है।
(ख) अभिकर्ता के प्रति मालिक के कर्त्तव्य से सम्बन्धित है।
(ग) उपनिहिती के अधिकार से सम्बन्धित है।
(घ) उपनिधान के निर्माण से सम्बन्धित है।
उत्तर-(ख)
20. एक अभिकरण के सृजन हेतु –
(क) कोई प्रतिफल आवश्यक नहीं है।
(ख) कुछ प्रतिफल आवश्यक है।
(ग) पर्याप्त प्रतिफल आवश्यक है
(घ) उपर्युक्त में से कोई सत्य नहीं है।
उत्तर-(ख)
21. निःशुल्क उपनिधान समाप्त हो जाता है :
(क) उपनिधाता की मृत्य पर
(ख) उपनिहिती की मृत्यु पर
(ग) उपनिधाता या उपनिहिती की मृत्यु पर
(घ) उपनिधाता एवं उपनिहिती दोनों की मृत्यु पर
उत्तर- (ग)
22. पण्यम में सम्पत्ति या माल का स्वामित्व –
(क) पण्यमकार के पास रहता है।
(ख) पण्यम को अंतरित हो जाता है
(ग) किसी भी स्थिति में पण्यमदार को अंतरित नहीं हो सकता
(घ) किसी भी स्थिति में पण्यमकार के पास नहीं रह सकता।
उत्तर-(क)
23. एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किसी विशिष्ट प्रयोजन से माल देने को कहा जाता है –
(क) उपनिधान
(ख) गिरवी
(ग) बन्धकीकरण
(घ) बन्धक
उत्तर-(क)
24. ‘य’ की गाड़ी ‘क’ भाड़े पर लेता है. गाड़ी अक्षेम (Unsafe) है तथापि ‘य’ को नहीं है और ‘क’ क्षतिग्रस्त होता है। क्षति के लिए ‘क’ के प्रति ‘य’
(क) उत्तरदायी है
(ख) उत्तरदायी नहीं है.
(ग) 50% की सीमा तक उत्तरदायी है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(क)
25. गिरवी की संविदा –
(क) क्षतिपूर्ति की संविदा है
(ख) प्रत्याभूति की संविदा है
(ग) उपनिधान की संविदा है
(घ) अभिकरण की संविदा है
उत्तर-(ग)
26. “प्रतिभू का दायित्व मूलऋणी के दायित्व के समविस्तीर्ण है” यह उपबन्धित है –
(क) धारा 126 के अन्तर्गत
(ख) धारा 127 के अन्तर्गत
(ग) धारा 128 के अन्तर्गत
(घ) धारा 129 के अन्तर्गत
उत्तर-(ग)
27. माल विक्रय अधिनियम, 1930 किस तिथि को लागू किया गया :
(क) 1 जुलाई, 1930
(ख) 8 जुलाई, 1932
(ग) 2 जुलाई, 1931
(घ) 1 जनवरी, 1930
उत्तर-(क)
28. भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के किन धाराओं में माल विक्रय के बारे में प्रावधान किया गया था :
(क) धारा 76-123 तक
(ख) धारा 123-166 तक
(ग) धारा 167-182 तक
(घ) धारा 182-196 तक
उत्तर-(क)
29. एक भागिक स्वामी और दूसरे भागिक स्वामी के मध्य विक्रय की संविदा हो सकेगी :
(क) शर्त रहित
(ख) शर्त सहित
(ग) आत्यन्तिक
(घ) आत्यन्तिक या सशर्त
उत्तर-(घ)
30. माल विक्रय अधिनियम, 1930 पारित होने के पूर्व ये संव्यवहार किस अधिनियम द्वारा शासित होते थे :
(क) सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम द्वारा
(ख) भारतीय संविदा अधिनियम द्वारा
(ग) भारतीय साक्ष्य अधिनियम द्वारा
(घ) उपरोक्त सभी द्वारा
उत्तर-(ख)
31. माल विक्रय अधिनियम, 1930 का प्रभाव भूतलक्षी नहीं है इस प्रावधान से सम्बन्धित धारा है :
(क) 66
(ग) 26
(ख) 36
(घ) 16
उत्तर-(क)
32. माल विक्रय अधिनियम लागू होता है :
(क) चल
(ग) चल-अचल
(ख) अचल
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(क)
33. माल विक्रय के सम्वयवहार में कितने पक्ष होते हैं :
(क) एक
(ख) तीन
(ग) दो
(घ) चार
उत्तर-(ग)
34. परिदान के लिए आवश्यक है कि :
(क) दो व्यक्तियों का अर्थात् क्रेता और विक्रेता का अस्तित्व
(ख) कब्जे का अन्तरण
(ग) ऐसा अन्तरण स्वेच्छया हो
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(घ)
35. परिदान के कौन-कौन से प्रकार हैं :
(क) वास्तविक परिदान
(ख) प्रलक्षित परिदान
(ग) प्रतीकारात्मक परिदान
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(घ)
36. कब्जा मुख्यतः कितने प्रकार का होता है :
(क) 2
(ख) 6
(ग) 5
(घ) 3
उत्तर-(क)
37. ‘माल’ शब्द में निम्नलिखित सम्मिलित किया गया है :
(क) प्रत्येक प्रकार की जंगम सम्पत्ति
(ख) स्टॉक एवं अंश
(ग) उगती फसलें एवं घास
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(घ)
38. निम्नलिखित में से कौन से संव्यवहार माल विक्रय की परिभाषा में नहीं आते हैं :
(क) वस्तु-विनिमय
(ख) दान
(ग) गिरवी या उपनिधान
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(घ)
39. निम्नलिखित में से कौन सा विक्रय एवं विक्रय के करार में अन्तर है :
(क) विक्रय में स्वामित्व का अन्तरण शीघ्र होता है जबकि विक्रय के करार में स्वामित्व भविष्य के अन्तरित होता है।
(ख) विक्रय में माल के साथ जोखिम भी शीघ्र अन्तरित हो जाता है जबकि विक्रय के करार में ऐसा नहीं होता है।
(ग) विक्रय में कार्य का निष्पादन शीघ्र हो जाता है जबकि विक्रय के करार में यह निष्पादन शेष रहता है।
(घ) उपरोक्त सभी सत्य हैं।
उत्तर-(घ)
40. विक्रय के संविदा की शर्तें निम्नलिखित हो सकती हैं :
(क) अभिव्यक्त
(ख) विवक्षित
(ग) पूर्ववर्ती पश्चात्वर्ती
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(घ)
41. शर्त को कब वारण्टी मान लिया जायेगा इसका वर्णन है :
(क) धारा 10
(ख) धारा 13
(ग) धारा 15
(घ) धारा 28
उत्तर-(ख)
42. “Caveat-Emptor” नामक सिद्धान्त का वर्णन माल विक्रय अधिनियम की किस धारा में किया गया है :
(क) धारा 14
(ख) धारा 16
(ग) धारा 28
(घ) धारा 10
उत्तर-(ख)
43. “सम्पत्ति तब संक्रान्त होती है जब उसका संक्रान्त होना आशयित हो ऐसा किस धारा में वर्णित है :
(क) धारा 19
(ख) धारा 17
(ग) धारा 29
(घ) धारा 20
उत्तर-(क)
44. अ ने अपने गोदाम में रखा 100 टन चावल ब को बेचा और गोदाम की चाबी ब को दे दिया तो यह किस प्रकार का परिदान होगा :
(क) वास्तविक परिदान
(ख) प्रतीकात्मक परिदान
(ग) वर्तमान कालिक परिदान
(घ) भविष्यलक्षी परिदान
उत्तर-(ख)
45. क्रेता वह व्यक्ति है जो :
(क) माल का विक्रय करता है
(ख) माल को किसी को सौंपता है महाका
(ग) जो माल का क्रय करता है या क्रय करने का करार करता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(ग)
46. ‘कसूर’ का तात्पर्य है :
(क) कार्य
(ख) लोप
(ग) कार्य एवं लोप दोनों
(घ) सदोषकार्य का व्यतिक्रम
उत्तर-(घ)
47. ‘माल’ की परिभाषा में निम्नलिखित में से कौन सा सम्मिलित नहीं है :
(क) अनुयोज्य दावा
(ख) उगती फसले
(ग) घास
(घ) स्टाक का अंश
उत्तर-(क)
48. ‘विनिर्दिष्ट माल’ अभिप्रेत है जो :
(क) निश्चित न हो
(ख) जो अच्छा हो
(ग) उस समय जब विक्रय की संविदा की जाती है, परिलक्षित और करारित किया जाता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(ग)
49. विक्रय और अभिकरण में क्या फर्क है :
(क) अभिकरण में अभिकर्ता स्वामी से माल पर स्वामित्व प्राप्त करता है जबकि विक्रय में ऐसा नहीं होता
(ख) अभिकरण एवं विक्रय दोनों में माल पर स्वामित्व प्राप्त किया जाता है किन्तु अभिकरण में स्वामित्व स्थाई होता है और विक्रय में अस्थाई
(ग) अभिकरण में अभिकर्ता स्वामी का प्रतिनिधि होता है और माल पर अधिकार प्राप्त करता है न कि स्वामित्व जबकि विक्रय में क्रेता मूल्य के बदले स्वामित्व प्राप्त करता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(ग)
50. निम्नलिखित में से विक्रय और गिरवी में क्या फर्क है :
(क) विक्रय और गिरवी दोनों स्वामित्व का अन्तरण नहीं होता।
(ख) विक्रय में स्वामित्व का अन्तरण होता है गिरवी में नहीं।
(ग) गिरवी में स्वामित्व का अन्तरण होता है विक्रय में नहीं।
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-(ख)
51. ‘क्रेता की सावधानी’ का सिद्धान्त सर्वप्रथम किस न्यायाधीश द्वारा प्रतिपादित किया गया :
(क) कोकबर्न
(ख) ब्लैकवर्न
(ग) नौरिश
(घ) होल्ट
उत्तर-(क)
52. यदि माल का कुछ हिस्सा त्रुटिपूर्ण हो शेष हिस्सा नमूने के अनुसार है तो क्रेता को यह अधिकार है कि वह :
(क) शेष माल को स्वीकार न करें
(ख) त्रुटिरहित माल का मूल्य अदा कर दे
(ग) सम्पूर्ण माल को अस्वीकार कर सकता है।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-(ग)