RTI कानून: कैसे माँगे सरकार से जवाब?

शीर्षक: RTI कानून: कैसे माँगे सरकार से जवाब?

परिचय:

लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही अत्यंत आवश्यक तत्व हैं। भारत में नागरिकों को यह अधिकार देने के लिए एक ऐतिहासिक कानून लागू किया गया — सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (Right to Information Act, 2005)। यह कानून प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी सरकारी विभाग या संस्था से जानकारी मांग सके और शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सके। यह लेख RTI कानून की प्रक्रिया, महत्व, उपयोग और सावधानियों पर विस्तार से प्रकाश डालता है।


RTI कानून क्या है?

RTI यानी Right to Information भारत सरकार द्वारा 12 अक्टूबर 2005 से लागू किया गया एक केंद्रीय अधिनियम है, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ाना और जनता को सूचनाएं उपलब्ध कराना है। इसके अंतर्गत कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है, और संबंधित विभाग को 30 दिनों के भीतर उत्तर देना होता है।


RTI के तहत किन संस्थाओं से मांगी जा सकती है जानकारी?

  • केंद्र एवं राज्य सरकार के सभी विभाग
  • पंचायत, नगर निगम, नगरपालिका
  • सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय
  • सरकारी अनुदान प्राप्त संस्थाएं
  • सार्वजनिक उपक्रम (PSUs)
  • सरकारी हॉस्पिटल, बिजली बोर्ड, जल बोर्ड आदि

नोट: निजी संस्थाएं RTI के दायरे में नहीं आतीं, जब तक कि वे सरकारी फंड या नियंत्रण में न हों।


RTI आवेदन करने की प्रक्रिया:

  1. संबंधित विभाग पहचानें:
    सबसे पहले यह तय करें कि आपकी जानकारी किस सरकारी विभाग से संबंधित है।
  2. PIO (Public Information Officer) को आवेदन भेजें:
    हर सरकारी विभाग में एक जन सूचना अधिकारी नियुक्त होता है। आपको अपना आवेदन उसी अधिकारी को भेजना होता है।
  3. आवेदन पत्र तैयार करें:
    • आवेदन पत्र सादे कागज पर हिंदी, अंग्रेज़ी या स्थानीय भाषा में लिखा जा सकता है।
    • विषय स्पष्ट रूप से लिखें – जैसे, “मैं जानना चाहता/चाहती हूं कि…”
    • अपने प्रश्न संक्षेप और स्पष्ट रखें।
    • नाम, पता और संपर्क विवरण अवश्य लिखें।
  4. आवेदन शुल्क:
    • सामान्यतः ₹10 का पोस्टल ऑर्डर या कोर्ट फीस टिकट के रूप में भुगतान किया जाता है।
    • BPL (Below Poverty Line) कार्ड धारकों को शुल्क से छूट है।
  5. आवेदन कहां भेजें:
    • संबंधित विभाग के PIO को डाक द्वारा भेजें या हाथ से जमा करें।
    • आप ऑनलाइन भी RTI दाखिल कर सकते हैं: https://rtionline.gov.in/ (केवल केंद्र सरकार से संबंधित मामलों के लिए)

RTI के उत्तर की समय सीमा:

  • सामान्य मामलों में: 30 दिन के भीतर
  • अगर सूचना जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी हो: 48 घंटे के भीतर
  • अगर मामला किसी अन्य विभाग से जुड़ा हो: आवेदन 5 दिन में ट्रांसफर किया जाएगा, उत्तर 35 दिन में मिलेगा

अगर जवाब न मिले तो क्या करें? (अपील की प्रक्रिया)

  1. प्रथम अपील:
    • अगर 30 दिन में उत्तर नहीं मिला या असंतोषजनक उत्तर मिला हो, तो 30 दिन के भीतर उसी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को प्रथम अपील करें।
  2. द्वितीय अपील:
    • यदि प्रथम अपील से भी समाधान नहीं हो, तो आप राज्य या केंद्रीय सूचना आयोग में द्वितीय अपील कर सकते हैं।

RTI के अंतर्गत कौन-कौन सी जानकारियाँ नहीं दी जातीं?

  • देश की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी
  • न्यायालय द्वारा निषिद्ध जानकारी
  • अनुसंधान एवं वाणिज्यिक गोपनीय दस्तावेज
  • निजी जानकारी जिससे किसी की निजता भंग हो

हालांकि, यदि कोई सूचना जनहित में है तो वह अपवादस्वरूप दी जा सकती है।


RTI के सफल उपयोग के उदाहरण:

  • कई नागरिकों ने RTI के माध्यम से सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।
  • मनरेगा, पेंशन, राशन वितरण आदि में पारदर्शिता लाने में RTI का व्यापक उपयोग हुआ है।
  • सरकारी नियुक्तियों, परियोजनाओं और बजट व्यय की जानकारी प्राप्त कर आम लोगों ने प्रशासन को जवाबदेह बनाया है।

सावधानियां और सुझाव:

  • जानकारी स्पष्ट और संक्षिप्त शब्दों में मांगें।
  • व्यक्तिगत आरोप लगाने से बचें।
  • एक आवेदन में बहुत अधिक प्रश्न न पूछें।
  • केवल सूचना मांगें, स्पष्टीकरण या समाधान नहीं।
  • उत्तर प्राप्त होने पर कार्रवाई करने के लिए जागरूक रहें।

निष्कर्ष:

RTI कानून आम नागरिकों के हाथ में एक सशक्त हथियार है जो लोकतंत्र को मजबूत बनाता है। इसके माध्यम से लोग सरकार से सवाल पूछ सकते हैं, जवाब मांग सकते हैं और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता लाकर भ्र्ष्टाचार पर लगाम लगा सकते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि लोग इस अधिकार का सही, सटीक और जिम्मेदारी के साथ उपयोग करें।