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POCSO मामलों में अदालत की संपूर्ण कार्यवाही: BNSS और POCSO Act के तहत FIR से लेकर Appeal तक की विस्तृत प्रक्रिया

POCSO मामलों में अदालत की संपूर्ण कार्यवाही: BNSS और POCSO Act के तहत FIR से लेकर Appeal तक की विस्तृत प्रक्रिया — बच्चों की सुरक्षा, न्याय और संवेदनशीलता का सम्पूर्ण विश्लेषण

        भारत में बाल यौन अपराधों को रोकने और पीड़ित बच्चों को त्वरित, संवेदनशील और न्यायपूर्ण प्रक्रिया प्रदान करने हेतु POCSO Act, 2012 तथा अब लागू Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS), 2023 ने मिलकर एक सुव्यवस्थित और कठोर न्यायिक ढांचा तैयार किया है। BNSS ने आपराधिक प्रक्रिया को आधुनिक, प्रभावी और अधिक victim-centric बनाया है, वहीं POCSO Act ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए विशेष संरक्षण प्रावधान लागू किए हैं।

       इस लेख में हम FIR Registration से लेकर Investigation, Chargesheet, Trial, Child-friendly Procedure और Appeal तक की पूरी कानूनी प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे। यह लेख विशेष रूप से छात्रों, वकीलों, शोधकर्ताओं और पुलिस/न्यायिक अधिकारियों के लिए उपयोगी है जो यह समझना चाहते हैं कि POCSO मामलों में न्याय कैसे अपनाया जाता है और BNSS के नए प्रावधानों ने इसे कैसे बदला है।


1. FIR का पंजीकरण — Sec. 173 BNSS

(तुरंत FIR, महिला अधिकारी, कानूनी सहायता अनिवार्य)

POCSO Act के तहत किसी भी बच्चे के विरुद्ध यौन अपराध की सूचना मिलते ही FIR दर्ज करना पुलिस का अनिवार्य दायित्व है। BNSS की धारा 173 ने इस प्रक्रिया को और अधिक स्पष्ट व कठोर बनाया है। महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार हैं:

(A) तुरंत FIR दर्ज करना अनिवार्य

पुलिस के पास सूचना पहुँचते ही देरी किए बिना FIR दर्ज की जानी चाहिए।
POCSO मामलों में देरी न केवल अपराध की गंभीरता को कम आंकती है बल्कि बच्चे के अधिकारों का उल्लंघन भी करती है।

(B) यदि पीड़िता लड़की है तो FIR महिला पुलिस अधिकारी द्वारा

यह एक महत्वपूर्ण child-sensitive सुधार है। NCRB और न्यायिक अनुभव बताते हैं कि बच्चियाँ प्रायः पुरुष अधिकारियों से खुलकर बात नहीं कर पातीं।

(C) मुफ्त कानूनी सहायता और काउंसलिंग उपलब्ध कराना

BNSS और Legal Services Authority Act के तहत:

  • पीड़ित को मोफत वकील
  • काउंसलर
  • सहायता कर्मचारी
  • मनोवैज्ञानिक सहयोग

दिलाने का दायित्व पुलिस पर है।

(D) FIR की कॉपी तुरंत अभिभावक को देना

इसके साथ-साथ पीड़ित की पहचान गोपनीय रखनी अनिवार्य है।


2. मेडिकल परीक्षण — Sec. 184 BNSS

(24 घंटे में मेडिकल, महिला डॉक्टर व अभिभावक की उपस्थिति अनिवार्य)**

POCSO मामलों में मेडिकल परीक्षण बच्चे की सुरक्षा और साक्ष्य संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण चरण है।

(A) 24 घंटे के भीतर अनिवार्य चिकित्सा परीक्षण

BNSS धारा 184 के अनुसार, पुलिस FIR के तुरंत बाद बच्चे को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजेगी।
देरी होने पर:

  • साक्ष्य नष्ट हो सकता है
  • बच्चे की मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है
  • अदालत देरी को संदेहपूर्ण मान सकती है

(B) महिला डॉक्टर द्वारा परीक्षण

यदि पीड़िता लड़की है, तो परीक्षण महिला डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए।
यदि महिला डॉक्टर उपलब्ध न हो, तो मेडिकल कारणों से आवश्यक नोट दर्ज किया जाता है।

(C) यदि बच्चा नाबालिग है—अभिभावक/गार्जियन की उपस्थिति अनिवार्य

POCSO Act स्पष्ट रूप से बच्चे की सुरक्षा और भावनात्मक स्थिरता को प्राथमिकता देता है।

(D) चिकित्सा रिपोर्ट को सील करके पुलिस को देना

साक्ष्य की सुरक्षा के लिए sealed cover अनिवार्य है।


3. मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान — Sec. 183 BNSS

(Video Recording, 90 days में Investigation पूरा करना)**

FIR और मेडिकल के बाद अगला महत्वपूर्ण चरण है बच्चे का धारा 164 CrPC जैसा बयान, जो अब BNSS धारा 183 के अंतर्गत आता है।

(A) मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग

यह साक्ष्य की शुद्धता को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।

(B) पुलिस को 90 दिनों के भीतर पूरी जांच करनी होगी

BNSS ने इस सीमा को स्पष्ट किया है ताकि POCSO मामले लंबित न रहें।

(C) जांच रिपोर्ट (Chargesheet) विशेष POCSO कोर्ट को

सभी POCSO मामलों की सुनवाई Special Court (Sec. 28 POCSO Act) में होती है।


4. जाँच और चार्जशीट — Sec. 28–33 POCSO Act

(In-Camera, Speedy Trial, Special Court System)

POCSO Act की सबसे बड़ी विशेषता है—Special Courts, Special Public Prosecutors और Child-Friendly Investigation का ढांचा।

(A) 90 दिनों में जाँच पूरी करना

POCSO Act बच्चों के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करता है।

(B) Special Court को भेजी जाने वाली चार्जशीट

Sec. 33 A के अनुसार:

  • अदालत को बच्चों की गवाही प्राथमिकता से सुननी होगी
  • अनावश्यक adjournment नहीं दिए जा सकते

(C) In-Camera Proceedings (Sec. 37 POCSO Act)

अदालत में सुनवाई:

  • जनता
  • मीडिया
  • अनधिकृत व्यक्तियों

के बिना होती है।
यह बच्चे की मानसिक सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

(D) Screens, Video Links और बार-बार सामना कराने पर रोक

Sec. 36 में प्रावधान है कि बच्चे को आरोपी के सामने लाकर भयभीत ना किया जाए।


5. Child-Friendly Procedure — Sec. 36 POCSO Act

(नो एग्रेसिव क्वेश्चनिंग, Child Welfare Officer की मदद)

बच्चों की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए POCSO Act में कई child-friendly उपाय शामिल किए गए हैं।

(A) आक्रामक पूछताछ पर प्रतिबंध

बच्चे के डर, शर्म या मनोवैज्ञानिक दबाव को देखते हुए पुलिस/अदालत:

  • धमकाने
  • दबाव डालने
  • बार-बार पूछताछ

से बचती है।

(B) Child Welfare Officer की अनिवार्य उपस्थिति

उनका दायित्व है:

  • बच्चे का मानसिक समर्थन
  • प्रक्रिया को समझाना
  • भयमुक्त वातावरण देना
  • काउंसलिंग कराना

(C) बच्चे को आरोपी से सीधे सामना नहीं

जब आवश्यक हो तो:

  • स्क्रीन
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
  • सेपरेट रूम

का उपयोग किया जाता है।

(D) अदालत का दायित्व — प्रक्रिया में देरी न हो

अदालत को यह भी सुनिश्चित करना है कि बच्चे की स्कूलिंग और स्वास्थ्य प्रभावित न हों।


6. Trial की संपूर्ण प्रक्रिया — POCSO Special Court

Special Court एक fast-track mechanism है, जिसका उद्देश्य:

  • speedy trial
  • child-friendly atmosphere
  • minimal trauma

प्रदान करना है।

अदालत के मुख्य दायित्व:

  • बच्चे की एक बार गवाही
  • आरोपी द्वारा जिरह की मर्यादा
  • in-camera रिकॉर्डिंग
  • गवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग
  • सुरक्षित कस्टडी

7. Appeal — Sec. 420 BNSS

(Special Courts के निर्णय के विरुद्ध अपील की प्रक्रिया)

POCSO मामलों में अपील BNSS की धारा 420 के तहत की जाती है।

(A) Special Court के निर्णय के विरुद्ध अपील High Court में

जैसे:

  • दोषसिद्धि
  • बरी
  • सजा में परिवर्तन

(B) Appeal दाखिल करने की समय सीमा

अपील उचित समय के भीतर दायर की जानी चाहिए, जिसे अदालत में उचित कारण पर बढ़ाया जा सकता है।

(C) अपील न्यायालय का दायित्व

High Court को यह सुनिश्चित करना है:

  • कि बच्चे की पहचान गोपनीय रहे
  • कि hearing में child-sensitive approach जारी रहे

8. POCSO + BNSS प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ

  1. Speedy justice
  2. Specialized courts & prosecutors
  3. Child-friendly investigation
  4. In-camera trial
  5. Video recording & digital evidence
  6. Strict timelines for investigation
  7. Minimum trauma to victim

9. निष्कर्ष — POCSO Court Process एक संवेदनशील और प्रभावी न्यायिक प्रणाली

POCSO Act और BNSS ने मिलकर भारत में बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के मामलों में न्याय को:

  • तेज
  • सटीक
  • तकनीकी रूप से सुरक्षित
  • संवेदनशील
  • और child-centric

बनाने का कार्य किया है।

इस विस्तृत प्रक्रिया से स्पष्ट है कि—

POCSO कोर्ट का उद्देश्य केवल आरोपी को दंडित करना नहीं, बल्कि बच्चे की संपूर्ण सुरक्षा और मानसिक पुनर्वास सुनिश्चित करना है।

सही प्रक्रिया का पालन करना न केवल पुलिस व अदालत का दायित्व है, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है कि बच्चे निडर होकर न्याय प्राप्त कर सकें।