(Pleading, Drafting & Conveyancing)
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर (Objective Questions)
1. शब्द ‘अभिवचन’ से तात्पर्थित है-
(a) बाद पत्र
(b) लिखित कथन
(c) बहस
(d) उपरोक्त (a) एवं (b)
उत्तर- (d)
2. सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश V1. नियम 2 के अनुसार अभिवचन को अवश्य वर्णित करना चाहिये-
(a) तथ्य और विधि दोनों
(b) समस्त तात्विक तथ्यों को और केवल तात्विक तथ्यों को
(c) तथ्यों के संक्षेप में किन्तु निश्चितता एवं यथार्थ के साथ
(d) (a) के अलावा सभी
उत्तर- (d)
3. अभिवचन का उद्देश्य है-
(a) विरोधी के प्रकरण को प्रत्येक पक्षकार को सुनवाई के दौरान आश्चर्य को रोकने के लिए शुद्ध नोटिस देना
(b) विलम्ब कारित करना
(c) प्रत्येक पक्षकार का प्रकरण क्या है स्पष्टतः समझना।
(d) निश्चित बिन्दुओं पर वादी और प्रत्यर्थी के मध्य विवाद को कम करना
उत्तर-(b)
4. अभिवचन को वर्णित किया जा सकता
(a) दावे, प्रतिदावे और तथ्यों को स्थापित करती हुई एक वाद के पक्षकारों का लिखित में अभिकथन।
(b) वादी को कारित की गयी सिविल दोष का अभिकथन जिस पर न्यायालय के मदद की ईप्सा की गयी है।
(c) वाद पत्र में उसके विरुद्ध किये गये अभियोजन के प्रति प्रत्यर्थी का प्रत्युत्तर ।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-(d)
5. वाद पत्र-
(a) आवेदक की सम्पूर्ण व्यथा का वर्णन है।
(b) वादी का अभिवचन है।
(c) प्रत्यर्थी का अभिवचन है।
(d) उपरोक्त केवल (a) और (b)।
उत्तर- (d)
6. अभिवचनों में एक संशोधन अनुज्ञात किया जा सकेगा-
(a) कार्यवाहियों के किसी स्तर पर।
(b) कार्यवाहियों के किसी स्तर पर किन्तु निर्णय पारित किये जाने के पूर्व।
(c) केवल विरोधी के अभिवचनों को दाखिल किये जाने के पश्चात्।
(d) पक्षकारों के साक्ष्य अभिलिखित किये जाने के पूर्व ।
उत्तर-(b)
7. मुजरा का उद्देश्य है-
(a) प्रत्यर्थी द्वारा एक नवीन वाद की आवश्यकता को दूर करने के लिए।
(b) प्रत्यर्थी को अपतर विशिष्टियाँ देने के लिये विवश करने हेतु।
(c) प्रत्यर्थी को वादी के विरुद्ध अपने दावा का वर्जन करने के लिये एक अवसर प्रदान करने हेतु ।
(d) यह जानने के लिये कि क्या वादी प्रत्यर्थी की कुछ धनराशि धारित करता है।
उत्तर- (a)
8. ‘वाद पत्र’ को शुद्धतः वर्णित किया जा सकेगा-
(a) एक व्यक्ति को एक अन्य व्यक्ति के द्वारा कारित की गयी किसी सिविल दोष के बारे में न्यायालय को दी गयी रिपोर्ट के रूप में।
(b) आवेदक को एक अन्य व्यक्ति के द्वारा कारित एक सिविल दोष के बारे में पुलिस थाना को लिखित में किये गये एक आवेदन के रूप में।
(c) आवेदक को एक अन्य व्यक्ति द्वारा कारित की गयी एक सिविल दोष के बारे में सिविल न्यायालय को लिखित में किये गये आवेदक के रूप में।
(d) आवेदक को एक अन्य व्यक्ति द्वारा कारित की गयी एक दोष के बारे में लिखित में मजिस्ट्रेट को दिया एक आवेदक के रूप में।
उत्तर-(c)
9. अशुद्ध अभिकथन चिह्नित करें-
(a) वादी द्वारा व्यथा का वर्णन लिखित अभिकथन के रूप में जाना जाता है।
(b) एक वाद वादपत्र प्रस्तुत किये जाने के द्वारा संस्थित होता है।
(c) व्यक्ति जो वादपत्र प्रस्तुत करता है, को वादी कहा जाता है।
(d) व्यक्ति जिसके विरुद्ध किया गया है, को प्रत्यर्थी कहा जाता है।
उत्तर- (a)
10. आदेश VII, नियम 1 से 8 के अनुसार वाद पत्र में निम्नलिखित से सम्बन्धित अभिकथन अवश्य समाविष्ट करना चाहिये-
(a) यदि वादी प्रतिनिधि के रूप में वादकरण करता है तो उस प्रभाव का एक अभिकथन।
(b) यदि वादी या प्रत्यर्थी एक अवयस्क है या अस्वस्थचित्त का एक व्यक्ति है, तो इस प्रभाव की एक उद्घोषणा ।
(c) तिथि जिस पर वाद हेतुक व्युत्पन्न हुआ, को सम्मिलित करते हुये सम्पूर्ण विवरण के साथ वाद हेतुक।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-(d)
11. निम्नलिखित आधारों में से कौन वाद पत्र अस्वीकृति हेतु पर्याप्त है-
(a) वाद का मूल्यांकन कम किया गया है।
(b) वाद पत्र में अपर्याप्ततः स्टाम्प लगा है।
(c) न्यायालय जिसके समक्ष यह प्रस्तुत किया जाता है, धनीय अधिकारिता से निहित नहीं है।
(d) उपरोक्त (a) और (b) दोनों।
उत्तर- (d)
12. सिविल प्रक्रिया संहिता का कौन सा प्रावधान मुजरा के साथ व्यवहार करता है-
(a) आदेश V, नियम।
(b) आदेश VII, नियम ।
(c) आदेश VI, नियम।
(d) आदेश VIII नियम ।
उत्तर- (d)
13. जाँच संचालित की जाती है-
(a) पुलिस अधिकारी द्वारा प्रकरण की कार्यवाहियों के लिये साक्ष्य का संग्रह करने हेतु ।
(b) मजिस्ट्रेट द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा।
(c) मजिस्ट्रेट द्वारा अप्रतर कारवाई करने के लिये अभिकथित तथ्यों की सत्यता या असत्यता का पता लगाने के लिये।
(d) उच्च न्यायालय द्वारा।
उत्तर-(c)
14. सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश VIII नियम के निबन्धनों में प्रत्यर्थी को अपना लिखित अभिकथन अवश्य दाखिल करना चाहिये-
(a) उस पर समनों की सेवा की तिथि से 90 दिनों के भीतर।
(b) उस पर समनों की सेवा की तिथि से साठ दिनों के भीतर।
(c) उस पर समन जारी किये जाने की तिथि से तीस दिनों के भीतर।
(d) उस पर समन जारी किये जाने की तिथि से पंद्रह दिनों के भीतर।
उत्तर-(c)
15. यदि वादी या प्रत्यर्थी अभिवचनों का संशोधन करने की इच्छा रखता है तो वह इसे निम्नलिखित की अनुमति से कर सकता है-
(a) विरोधी।
(b) पक्षकार का अधिवक्ता।
(c) न्यायालय
(d) उपरोक्त का कोई एक ।
उत्तर-(c)
16. प्रत्येक अभिकथन-
(a) तथ्यों को समाविष्ट करेगी किन्तु निश्चितता एवं यथार्थ के साथ संक्षिप्त रूप से।
(b) समस्त तात्विक तथ्यों का वर्जन करेगी जिस पर पक्षकार निर्भर करता है।
(c) प्रस्तरों में विभाजित की जायेगी, प्रत्येक संख्यांकित किया जायेगा और एक दोषारोपण का वर्जन करेगी।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर- (d)
17. “अपराधों का प्रशमन’ से तात्पर्थित है-
(a) कई अपराधों का सम्मेलन।
(b) अभियुक्त के विरुद्ध लगाये गये कुछ आरोपों को वापस लेना ।
(c) एक समझौता में प्रविष्ट होना
(d) कई अपराधियों में से एक अपराधी का नाम निकाल देना।
उत्तर-(c)
18. अभिवचनों में वादकार पक्षकार –
(a) विधि का वर्जन नहीं करेगा।
(b) परिसीमा एवं विबंध जैसी विधिक तर्क आपत्तियाँ अवश्य वर्णित करनी चाहिये।
(c) (a) और (b) दोनों शुद्ध हैं।
(d) (a) और (b) दोनों दोषपूर्ण हैं।
उत्तर-(c)
19. आदेश VII, नियम 9 कहता है कि यदि वादपत्र ग्रहण कर लिया गया है, तो वादी-
(a) बाद पत्र की प्रति की प्रत्यर्थी के लिये आपूर्ति करेगा।
(b) सात दिनों के भीतर प्रत्यर्थियों पर समनों की सेवा हेतु अपेक्षित शुल्क का भुगतान करेगा।
(c) वाद पत्र का संशोधन करेगा।
(d) उपरोक्त केवल (a) और (b))
उत्तर- (d)