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“‘No Refund, No Exchange’ बोर्ड लगाना कानूनन गलत: ग्राहक के अधिकारों का उल्लंघन”

“‘No Refund, No Exchange’ बोर्ड लगाना कानूनन अपराध: उपभोक्ता के अधिकारों का हनन”


✳️ भूमिका

भारतीय उपभोक्ता कानून का उद्देश्य केवल व्यापार को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार व्यवहार (Unfair Trade Practices) से सुरक्षा प्रदान करना है।
आज के समय में लगभग हर दुकान या शो-रूम पर एक आम दृश्य दिखाई देता है — एक बोर्ड जिस पर लिखा होता है:

“No Refund, No Exchange”

पहली नज़र में यह दुकान की नीति (Shop Policy) लगती है, परंतु वास्तव में यह एक कानूनी उल्लंघन है।
Consumer Protection Act, 2019 स्पष्ट रूप से कहता है कि कोई भी व्यापारी या सेवा प्रदाता ग्राहक के वैधानिक अधिकारों को सीमित नहीं कर सकता।
इसलिए, ऐसा बोर्ड लगाना या उसका पालन करवाना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है।


⚖️ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उद्देश्य

Consumer Protection Act, 2019 ने उपभोक्ता को कानूनन यह अधिकार दिया है कि वह –

  • दोषपूर्ण वस्तु (Defective Goods) के खिलाफ शिकायत कर सके,
  • खराब सेवा (Deficiency in Service) के लिए राहत मांग सके,
  • तथा अनुचित व्यापार व्यवहार (Unfair Trade Practice) को चुनौती दे सके।

यह अधिनियम 1986 के पुराने कानून की जगह लाया गया, ताकि बदलते बाजार, ई-कॉमर्स, और डिजिटल युग में उपभोक्ता को और अधिक सुरक्षा मिल सके।

इस अधिनियम की धारा 2(47) कहती है:

“यदि कोई व्यापारी किसी उपभोक्ता के वैधानिक अधिकारों को सीमित करता है या अनुचित लाभ कमाने की कोशिश करता है, तो यह अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाएगा।”


📜 ‘No Refund, No Exchange’ बोर्ड का कानूनी विश्लेषण

जब कोई व्यापारी यह बोर्ड लगाता है कि “No Refund, No Exchange”, तो इसका सीधा अर्थ यह है कि —

“अगर वस्तु खराब भी निकले, तो ग्राहक को कोई राहत नहीं मिलेगी।”

यह न केवल उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह भ्रामक व्यापार व्यवहार (Misleading Trade Practice) भी है।

Consumer Protection Act के अनुसार:

  • किसी भी उत्पाद के लिए व्यापारी को उपभोक्ता को दोषपूर्ण वस्तु पर रिफंड या रिप्लेसमेंट देना होगा।
  • उपभोक्ता के साथ अनुचित शर्तें लागू करना अनुचित अनुबंध (Unfair Contract) की श्रेणी में आता है।

अतः, कोई भी “No Refund, No Exchange” नीति उपभोक्ता के अधिकारों को खत्म नहीं कर सकती।


🧾 उपभोक्ता के मौलिक अधिकार

Consumer Protection Act, 2019 ने उपभोक्ता को छह प्रमुख अधिकार दिए हैं –

  1. सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety) – उपभोक्ता को असुरक्षित वस्तुओं से बचाने का अधिकार।
  2. सूचना का अधिकार (Right to Information) – उत्पाद की गुणवत्ता, मात्रा, मूल्य आदि जानने का अधिकार।
  3. चयन का अधिकार (Right to Choose) – किसी भी वस्तु या सेवा में स्वतंत्र रूप से चुनाव करने का अधिकार।
  4. सुनवाई का अधिकार (Right to be Heard) – अपनी शिकायत दर्ज कराने और सुनवाई पाने का अधिकार।
  5. प्रतिपूर्ति का अधिकार (Right to Redressal) – दोषपूर्ण वस्तु या सेवा के लिए मुआवज़ा पाने का अधिकार।
  6. शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education) – अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने का अधिकार।

“No Refund, No Exchange” जैसे बोर्ड Right to Redressal और Right to Information दोनों का उल्लंघन करते हैं।


🏛️ कानूनी प्रावधान: अनुचित व्यापार व्यवहार

Consumer Protection Act, 2019 की धारा 2(47) के अनुसार —

“कोई भी व्यवहार जो उपभोक्ता के हितों के खिलाफ हो, अनुचित व्यापार व्यवहार कहलाता है।”

इसमें शामिल हैं:

  • गलत या अधूरी जानकारी देना,
  • उपभोक्ता को भ्रमित करना,
  • वैधानिक अधिकारों को नकारना,
  • या अनुचित शर्तें लागू करना।

इस आधार पर “No Refund, No Exchange” बोर्ड सीधे Unfair Trade Practice के अंतर्गत आता है।


⚙️ उदाहरण से समझें

मान लीजिए आपने किसी दुकान से ₹5,000 की जूती खरीदी। घर पहुँचकर देखा तो उसका साइज गलत है या सिलाई टूटी हुई है।
आप दुकान पर वापस जाते हैं, तो दुकानदार कहता है:

“साहब, यहाँ ‘No Exchange, No Refund’ पॉलिसी है।”

यह बयान कानूनी रूप से अमान्य है।
आपको कानूनन यह अधिकार है कि –

  1. आप रिप्लेसमेंट (Exchange) की मांग कर सकते हैं।
  2. यदि वस्तु ठीक नहीं है, तो Refund (धनवापसी) का दावा कर सकते हैं।
  3. व्यापारी की मनाही के बावजूद आप Consumer Forum में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

📱 ऑनलाइन शॉपिंग में लागू नियम

यह नियम केवल ऑफलाइन दुकानों पर ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी लागू होते हैं।
Amazon, Flipkart, Meesho, Myntra जैसे प्लेटफॉर्म उपभोक्ता संरक्षण कानून के अधीन आते हैं।
अगर कोई कंपनी कहती है कि “No Return Policy” है, तो –

  • उन्हें उत्पाद के विवरण में यह स्पष्ट रूप से लिखना होगा कि क्यों रिटर्न संभव नहीं है।
  • यदि वस्तु दोषपूर्ण, अधूरी, या भ्रामक निकले, तो उपभोक्ता पूर्ण रिफंड पाने का अधिकारी है।

🧑‍⚖️ न्यायालयों और आयोगों के निर्णय

1️⃣ NCDRC – Consumer Unity Case

नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने कहा:

“कोई भी व्यापारी उपभोक्ता के वैधानिक अधिकारों को सीमित करने के लिए किसी नीति का बहाना नहीं ले सकता।”

2️⃣ Delhi State Commission, 2018

इस केस में आयोग ने फैसला दिया:

“‘No Refund, No Exchange’ नीति अनुचित व्यापार व्यवहार है और उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन करती है।”

3️⃣ Supreme Court Observation

सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

“कानून उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए है, न कि व्यापारियों की मनमानी के लिए।”


🧾 उपभोक्ता के लिए कानूनी उपाय

अगर कोई दुकान या वेबसाइट रिफंड या एक्सचेंज देने से इनकार करती है, तो उपभोक्ता निम्न उपाय अपना सकता है:

  1. लिखित शिकायत करें – दुकान या कंपनी के पास ईमेल या पत्र के माध्यम से।
  2. Consumer Helpline (1915) – राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करें।
  3. www.consumerhelpline.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
  4. Consumer Commission (District/State/National) में आवेदन करें।
  5. CCPA (Central Consumer Protection Authority) को सूचित करें – यह संस्था दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है।

💰 दंड और क्षतिपूर्ति

यदि यह साबित हो जाए कि व्यापारी ने उपभोक्ता को धोखा दिया या उसके अधिकारों को सीमित किया, तो –

  • उस पर ₹10,000 से ₹1,00,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • बार-बार गलती करने पर दुकान का व्यापार लाइसेंस रद्द हो सकता है।
  • उपभोक्ता को मानसिक और आर्थिक क्षति के लिए मुआवज़ा मिल सकता है।

🧠 उपभोक्ता को क्या सावधानी रखनी चाहिए

  1. खरीदारी की रसीद अवश्य लें – यह सबूत के रूप में काम आएगी।
  2. उत्पाद की वारंटी व शर्तें पढ़ें।
  3. अगर ‘No Refund’ बोर्ड दिखे तो फोटो लें – यह प्रमाण के रूप में उपयोगी होगा।
  4. ऑनलाइन शिकायत पोर्टल पर सक्रिय रहें।
  5. Consumer Awareness Programs में भाग लें ताकि अपने अधिकारों को समझ सकें।

🌍 अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में भी ग्राहक को रिफंड और रिप्लेसमेंट का पूरा अधिकार है।

  • UK Consumer Rights Act 2015 के तहत, किसी भी दोषपूर्ण वस्तु पर 30 दिनों में रिफंड मिलना अनिवार्य है।
  • European Union Directive 2011/83 उपभोक्ता को 14 दिनों के भीतर किसी भी वस्तु को वापस करने का अधिकार देता है।
    भारत में भी Consumer Protection Act, 2019 इसी भावना को प्रतिबिंबित करता है — “ग्राहक सर्वोपरि है।”

🕊️ निष्कर्ष

“No Refund, No Exchange” बोर्ड केवल एक बहाना नहीं, बल्कि उपभोक्ता के अधिकारों पर हमला है।
Consumer Protection Act, 2019 ने यह सुनिश्चित किया है कि –

“हर ग्राहक को न्याय मिले, चाहे वह किसी भी आर्थिक वर्ग का क्यों न हो।”

हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि –

  • वह किसी व्यापारी की मनमानी का गुलाम नहीं है।
  • कानून उसकी सुरक्षा के लिए है।
  • अगर उत्पाद दोषपूर्ण है, तो रिफंड या एक्सचेंज उसका वैधानिक अधिकार है।

इसलिए अगली बार जब आप किसी दुकान में ऐसा बोर्ड देखें, तो याद रखें —

“आपका अधिकार किसी बोर्ड से कम नहीं हो सकता।”