NEET PG 2025: डबल शिफ्ट परीक्षा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले बढ़ी उम्मीदें – 2 जून से पहले सूचीबद्ध करने का अनुरोध

शीर्षक:
NEET PG 2025: डबल शिफ्ट परीक्षा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले बढ़ी उम्मीदें – 2 जून से पहले सूचीबद्ध करने का अनुरोध


भूमिका:
NEET PG 2025 (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट – पोस्ट ग्रेजुएट) को लेकर एक बार फिर विवाद सामने आया है। इस बार मुद्दा परीक्षा के डबल शिफ्ट (Double-Shift) फॉर्मेट को लेकर है, जिसे उम्मीदवारों के एक वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि इस नए प्रारूप को रद्द किया जाए या इसके खिलाफ उचित निर्देश जारी किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट से इस याचिका को 2 जून 2025 से पहले सूचीबद्ध (list) करने का अनुरोध किया गया है।


मामले की पृष्ठभूमि:
NEET PG 2025 के लिए राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) द्वारा घोषित परीक्षा प्रणाली के अनुसार, डबल शिफ्ट परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसका अर्थ है कि परीक्षा दो अलग-अलग पालियों (shifts) में होगी और सभी परीक्षार्थी एक ही दिन परीक्षा नहीं देंगे। यह निर्णय प्रशासनिक सुविधा और बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को समायोजित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

हालांकि, इससे परीक्षा की निष्पक्षता और समानता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दो शिफ्टों में होने वाली परीक्षा में कठिनाई स्तर (Difficulty Level) में अंतर हो सकता है, जिससे मेरिट और रैंकिंग प्रणाली प्रभावित होगी।


याचिका में उठाए गए मुख्य बिंदु:

  1. डबल शिफ्ट परीक्षा में असमानता की आशंका:
    याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दो अलग-अलग शिफ्ट में प्रश्नपत्रों का कठिनाई स्तर भिन्न हो सकता है, जिससे उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर असमान प्रभाव पड़ सकता है।
  2. पारदर्शिता की कमी:
    याचिका में यह भी आरोप है कि एनबीई ने इस डबल शिफ्ट प्रणाली के पीछे के तर्क और तैयारी की जानकारी स्पष्ट रूप से सार्वजनिक नहीं की है।
  3. Normalization प्रक्रिया पर सवाल:
    अगर दो शिफ्टों में परीक्षा होती है, तो अंक normalization किया जाएगा, जो तकनीकी रूप से निष्पक्ष नहीं हो सकता। इससे मेरिट लिस्ट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  4. पूर्ववर्ती परीक्षाओं का उदाहरण:
    याचिकाकर्ताओं ने JEE और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां normalization अपनाया गया है, वहां भी कई बार विवाद खड़े हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा स्थिति:
याचिका पर अभी प्रारंभिक सुनवाई लंबित है। याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष न्यायालय से अनुरोध किया है कि इसे 2 जून 2025 से पहले सूचीबद्ध (List before June 2) किया जाए क्योंकि परीक्षा संभावित रूप से जून के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित है। सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को संज्ञान में लिया है और प्रशासनिक रजिस्ट्री से मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने पर विचार करने को कहा है।


परीक्षार्थियों की चिंताएं और प्रतिक्रियाएं:
देशभर के हजारों NEET PG उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया और छात्र संगठनों के माध्यम से इस मुद्दे पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि मेडिकल जैसे उच्च स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में पूर्ण पारदर्शिता और समान अवसर मिलना अत्यंत आवश्यक है।


निष्कर्ष:
NEET PG 2025 को लेकर उभरे इस विवाद ने एक बार फिर यह प्रश्न उठाया है कि क्या तकनीकी और प्रशासकीय सुविधा के नाम पर परीक्षार्थियों के अधिकारों का उल्लंघन उचित है? सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई से न केवल इस परीक्षा प्रणाली की वैधता की समीक्षा होगी, बल्कि यह भविष्य में आयोजित होने वाली अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के स्वरूप को भी प्रभावित कर सकती है। अब सबकी निगाहें 2 जून से पहले इस याचिका पर आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं।