“NDPS अधिनियम के तहत सर्च की वैधता: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय – थाना प्रभारी के अनुपस्थित होने पर प्रभारी अधिकारी कर सकता है तलाशी”

“NDPS अधिनियम के तहत सर्च की वैधता: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय – थाना प्रभारी के अनुपस्थित होने पर प्रभारी अधिकारी कर सकता है तलाशी”


भूमिका:
सुप्रीम कोर्ट ने State of Rajasthan vs Gopal & Others नामक एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत यदि थाना प्रभारी (Station House Officer – SHO) उपलब्ध नहीं है, तो थाना के प्रभारी अधिकारी (In-Charge SHO) द्वारा की गई तलाशी को अवैध नहीं ठहराया जा सकता। यह निर्णय कानून की व्याख्या में एक स्पष्टता प्रदान करता है और व्यावहारिक स्थितियों में पुलिस कार्यवाही को वैधता प्रदान करता है।


मामले की पृष्ठभूमि:
इस मामले में आरोपियों ने यह दलील दी कि NDPS अधिनियम की धारा 42 के तहत तलाशी केवल विधिवत नियुक्त थाना प्रभारी (SHO) द्वारा ही की जा सकती है। चूंकि तलाशी प्रभारी अधिकारी द्वारा की गई थी, इसलिए उन्होंने उस पर आपत्ति उठाई और उसे अवैध घोषित करने की मांग की।


प्रमुख प्रश्न:
क्या NDPS अधिनियम के अंतर्गत की गई तलाशी उस स्थिति में वैध मानी जा सकती है, जब थाना प्रभारी की अनुपस्थिति में थाना के प्रभारी अधिकारी (In-Charge SHO) द्वारा तलाशी की जाए?


सुप्रीम कोर्ट का अवलोकन और निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून की मंशा यह नहीं है कि जब तक विधिवत SHO उपलब्ध न हो, तब तक कोई भी कार्रवाई न की जाए।
  • NDPS जैसे गंभीर मामलों में समय पर कार्रवाई अत्यंत आवश्यक होती है।
  • इसलिए, जब SHO अनुपस्थित हो और कोई अन्य अधिकारी थाना प्रभारी के रूप में कार्यरत हो (In-Charge SHO), तो वह NDPS अधिनियम के तहत तलाशी लेने के लिए सक्षम और अधिकृत होता है।
  • अदालत ने यह भी कहा कि “In-Charge SHO” कानून की दृष्टि से SHO के समान ही होता है जब तक कि वह उस पद की जिम्मेदारी निभा रहा हो।

न्यायालय का तर्क:

  • सुप्रीम कोर्ट ने व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि विधि का अनुपालन कठोरता से नहीं बल्कि उद्देश्य की पूर्ति की भावना से किया जाना चाहिए।
  • NDPS अधिनियम की धाराओं को इस तरह पढ़ना चाहिए जिससे अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण हो सके, न कि तकनीकी आधारों पर अपराधी बच निकले।

प्रभाव और महत्व:

  • यह निर्णय पुलिस अधिकारियों के लिए मार्गदर्शक बन गया है, जिससे स्पष्ट हो गया है कि SHO की अनुपस्थिति में भी NDPS अधिनियम के तहत कानून सम्मत कार्यवाही हो सकती है।
  • इससे उन मामलों में जहां अपराधी तलाशी की वैधता को चुनौती देकर तकनीकी आधार पर छूट पा जाते थे, उस प्रवृत्ति पर विराम लगेगा।
  • कानून का उद्देश्य नशीले पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण है, न कि प्रक्रिया की अत्यधिक कठोरता।

निष्कर्ष:
State of Rajasthan vs Gopal & Ors. में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय NDPS अधिनियम के प्रावधानों की व्यावहारिक व्याख्या करता है और पुलिस को प्रभावी रूप से कानून लागू करने का अधिकार सुनिश्चित करता है, भले ही SHO स्वयं मौजूद न हो। यह फैसला न्याय, त्वरित कार्रवाई और विधिक उद्देश्य के समन्वय का एक उत्तम उदाहरण है।