LEGAL ETHICS, ACCOUNTABILITY FOR LAWYERS Multiple Choice

1. विधि व्यवसाय का कौन सा स्वर्णिम सिद्धान्त है :

(a) कर्त्तव्य एवं हित के बीच संघर्ष होने की स्थिति में कर्तव्य को वरीयता।

(b) बेईमानीपूर्ण वादों को बढ़ावा न देना।

(c) अपने न्यायालय एवं मुवक्किल के प्रति हमेशा स्वच्छ छवि रखना।

(d) उपरोक्त सभी हैं।

उत्तर-(d)

2. विधिक आचार का उद्देश्य :

(a) विधिक व्यवसाय की मर्यादा और सम्मान के बनाए रखना।

(b) न्याय के सर्वोच्च मानक की अभिवृद्धि में बेंच और बार के मध्य मित्रतापूर्ण सहयोग की भावना सुनिश्चित करना।

(c) परामर्शदाता का उसके मुवक्किल, प्रतिपक्षी और साक्षियों के साथ उचित और सम्मानपूर्ण व्यवहार की स्थापना करना।

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर-(d)

3. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की किस धारा में अधिवक्ता को उल्लिखित किया गया है :

(a) धारा 2 (क)           (b) धारा 2(घ)

(c) धारा 2 (ख)           (d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर-(a )

4. अधिवक्ता अधिनियम की किस धारा में वर्णित है कि केवल अधिवक्ता वर्ग ही विधि व्यवसाय करने का हकदार है :

(a) धारा 28 में

(c) धारा 30 में

(b) धारा 29 में

(d) धारा 31 में

उत्तर-(b)

5. “विधि व्यवहारी” से तात्पर्यित है :

(a) किसी उच्च न्यायालय का एक अधिवक्ता या एक वकील।

(b) एक अधिवक्ता

(c) एक मुख्तार का प्रत्येक

(d) उपरोक्त का प्रत्येक

उत्तर-(d )

6. विधिक वृत्ति है :

(a) एक आदर्श वृत्ति

(b) एक व्यापार

(c) जन हेतुकों की सेवा हेतु तात्पर्थित।

(d) (a) और (b) दोनों शुद्ध हैं।

उत्तर-(d)

7. भारतीय विधिज्ञ परिषद् कर सकती है :

(a) इसके द्वारा पारित किये गये किसी आदेश की पुनर्समीक्षा

(b) स्वप्रेरणा से या अन्यथा इसके द्वारा पारित किये गये किसी आदेश की पुनर्समीक्षा।

(c) उस आदेश की तिथि के 60 दिनों के भीतर पुनर्समीक्षा

(d) उपरोक्त सभी शुद्ध हैं।

उत्तर-(d)

8. घर में रहते समय एक अधिवक्ता का एक कर्तव्य होता है कि:

(a) अपने मुवक्किलों से भेंट करें।

(b) तब सावधानीपूर्वक उसकी व्यथा को सुनें।

(c) सुनिश्चित करें कि उसके मुवक्किल के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाय।

(d) उपरोक्त का प्रत्येक

उत्तर-(d)

9. प्रत्येक विधिज्ञ परिषद् है :

(a) शाश्वत उत्तराधिकार एवं एक सर्वनिष्ठ मुहर रखती हुई एक निगमित निकाय।

(b) संविदा करने में सक्षम और चल और अचल सम्पत्ति अर्जित करने और कारित करने में सक्षम।

(c) वादकरण या वादकृत हो सकता है।

(d) उपरोक्त सभी शुद्ध है।

उत्तर-(d)

10.  धारा 16 (1) के अनुसार अधिवक्ताओं के निम्नलिखित वर्ग है :

(a) तीन वर्ग हैं नामतः वरिष्ठ अधिवक्ता कनिष्ठ अधिवक्ता और अन्य अधिवक्तागण।

(b) दो वर्ग हैं, नामतः वरिष्ठ अधिवक्तागण एवं अन्य।

(c) दो वर्ग हैं, नामतः सरकारी वकील एवं निजी अधिवक्तागण

(d) तीन वर्ग है नामतः, वरिष्ठ अधिवक्तागण, शासकीय अधिवक्तागण एवं कनिष्ठ अधिवक्ता।

उत्तर-(b )

11. बार काउन्सिल ऑफ इण्डिया के नियमों के अनुसार निम्नलिखित में से क्या एक सीनियर एडवोकेट द्वारा किया जा सकता है  :

(a) जूनियर एडवोकेट के निर्देश पर मुव्वकिल की ओर से रियायतें दे।

(b) एक प्लीडिंग ड्राफ्ट करने के निर्देश स्वीकार करें।

(c) मुव्यकिल से सीधे ब्रीफ ग्रहण करे।

(d) उपरोक्त में कोई नहीं।

उत्तर-(a)

12.  एक अधिवक्ता को न्यायालय में विहित परिधान में उपस्थिति प्रस्तुत किये जाने योग्य होनी चाहिए :

(a) सदैव आवश्यक है

(c) कभी-कभी आवश्यक है

(b) आवश्यक नहीं है

(d) कभी आवश्यक नहीं है

उत्तर-(a)

13. धारा 24 व्यक्तियों की निम्नलिखित योग्यतायें विहित करती है जो अधिवक्ता के रूप में प्रविष्ट किया जा सकेगा :

(a) उसे भारत का एक नागरिक अवश्य होना चाहिए

(b) उसे इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण कर लिया हुआ अवश्य होना चाहिये।

(c) उसे विधि में एक डिग्री धारक होना चाहिए

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर-(d)

14. राज्य विधिज्ञ परिषद् के सदस्यों के पद की कालावधि :

(a) 4 वर्ष             (b) 2 वर्ष।

(c) 5 वर्ष।           (d) 3 वर्ष

उत्तर- (c)

15. धारा 8-अ के द्वारा इस पर प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में भारतीय विधिज्ञ परिषद् को समाविष्ट करती हुई एक विशेष समिति का गठन कर सकती है यदि एक राज्य विधिज्ञ परिषद् कालावधि के अवसान के पूर्व चुनाव कराने में असफल रहती है-

(a) राज्य विधिज्ञ परिषद् के पदेन सदस्य को अध्यक्ष के रूप में।

(b) राज्य विधिज्ञ परिषद् की मतदाता सूची पर अधिवक्ताओं के बीच से भारतीय विधिज्ञ परिषद् द्वारा नामित किये जाने वाले दो सदस्यों

(c) उपरोक्त (a) और (b) शुद्ध हैं।

(d) दोनों (a) और (b) अशुद्ध हैं।

उत्तर-(d)

16. एक अधिवक्ता को :

(a) संगठन जिसका वह कार्यकारिणी सदस्य है या स्थायी अधिवक्ता है, के विरुद्ध किसी न्यायालय में उपस्थित नहीं होना चाहिए।

(b) अपने विवेकाधिकार में किसी न्यायालय में उपस्थित हो सकता है उस संगठन के विरुद्ध जिसका वह कार्यकारिणी सदस्य है या स्थायी अधिवक्ता है।

(c) दोनों (a) और (b) शुद्ध हैं।

(d) दोनों (a) और (b) अशुद्ध हैं।

उत्तर-(a)

17. कोई व्यक्ति जो अवैधानिक रूप से न्यायालय में व्यवहार करता है निम्नलिखित से दण्डित किया जायेगा

(a) कारावास से जो छः माहों तक विस्तारित हो सकता है।

(b) कारावास से जो तीन माहों तक विस्तारित हो सकता है।

(c) कारावास से जो एक माह तक विस्तारित हो सकता है।

(d) अर्थदण्ड से जो पाँच हजार रुपये तक विस्तारित हो सकता है।

उत्तर-(a)

18. जब एक राज्य की विधिज्ञ परिषद् नामांकित हेतु एक आवेदन अस्वीकृत कर देती है, तो एक अन्य राज्य की विधिज्ञ परिषद् इसे ग्रहण कर सकती है :

(a) शुद्ध अभिकथन

(b) आंशिक रूप से शुद्ध अभिकथन क्योंकि यह आवेदन अस्वीकृत करती हुई राज्य विधिज्ञ परिषद् और भारतीय विधिज्ञ परिषद् की लिखित सहमति के साथ ही सम्भव है।

(c) दोषपूर्ण अधिकथन, चूँकि एक अन्य राज्य की विधिज्ञ परिषद् ऐसा आवेदन ग्रहण नहीं कर सकती है।

(d) यह एक अन्य राज्य की विधिज्ञ परिषद् के विवेकाधीन है कि चाहे तो ऐसा आवेदन ग्रहण करे या नहीं।

उत्तर-(b)

19. भारतीय विधिज्ञ परिषद् निम्नलिखित सदस्यों को समाविष्ट करती है, अर्थात् :

(a) एटर्नी जनरल ऑफ इण्डिया, पदेन

(b) प्रत्येक राज्य विधिज्ञ परिषद् द्वारा इसके सदस्यों के बीच से चयनित एक सदस्य।

(c) सालिसिटर जनरल ऑफ इण्डिया, पदेन ।

(d) उपरोक्त का प्रत्येक

उत्तर-(d)

20. निम्नलिखित व्यक्तिगण एक राज्य सूची में एक अधिवक्ता के रूप में प्रविष्ट नहीं होंगे :

(a) नैतिक अधःपतन को संलिप्त करते हुए एक अपराध से दोषसिद्ध एक व्यक्ति।

(b) अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अधीन एक अपराध के लिये दोषसिद्ध एक व्यक्ति।

(c) एक व्यक्ति जिसे नैतिक अधःपतन को संलिप्त करते हुए किसी आरोप पर नियोजन से बर्खास्त कर दिया गया है या हटा दिया गया है।

(d) उपरोक्त का कोई भी नामांकित किये जाने का हकदार नहीं है।

उत्तर-(d)

21. अनुशासित समिति :

(a) प्रत्येक विधिज्ञ परिषद् के द्वारा गठित की जाती है।

(b) तीन व्यक्तियों को समाविष्ट करती है, दो चयनित सदस्य एवं एक सहयोजित।

(c) दोनों (a) और (b)।

(d) न तो (a) और न ही (b)

उत्तर-(c)

22. एक अधिवक्ता को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदनामित किया जा सकेगा यदि :

(a) वह सहमति देता है।

(b) उच्चतम न्यायालय या एक उच्च न्यायालय इस अभिमत के हैं कि वह अपनी सामर्थ्य, विधिज्ञजन के समक्ष प्रस्थिति के महत्वानुसार ऐसी विशिष्टता के योग्य है।

(c) उच्चतम न्यायालय या एक उच्च न्यायालय इस अभिमत की है कि वह अपने विशिष्ट ज्ञान या विधि में अनुभव के महत्वानुसार इस योग्य है।

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर-(d)

23. एक विधिश परिषद् का एक चुना गया सदस्य पद धारण करने से अयोग्य कर दिया जायेगा यदि :

(a) पर्याप्त कारण के बगैर परिषद् की तीन क्रमागत बैठकों से अनुपस्थित रहता है।

(b) उसका नाम अधिवक्ताओं की सूची से हटा दिया गया है।

(c) वह भारतीय विधिज्ञ परिषद् द्वारा विरचित किसी नियम के अधीन अन्यथा अयोग्य है।

(d) उपरोक्त का प्रत्येक एक अयोग्यता है।

उत्तर-(d)

24. विधिक वृत्ति :

(a) एक अति उच्च नैतिकता रखती है।

(b) एक जन सेवा है।

(c) मुवक्किलों के हेतुकों के लिये भयमुक्त एवं विश्वसनीयता रखती है।

(d) उपरोक्त सभी शुद्ध हैं।

उत्तर-(d)

25. अधिवक्ता को :

(a) किसी मामले में उपस्थित नहीं होना चाहिये जिसमें वह एक धनीय हित रखता है।

(b) किसी मामले में उपस्थित हो सकता है जिसमें वह एक धनीय हित रखता है।

(c) न्यायालय की पूर्व स्वीकृति से किसी मामले में उपस्थित हो सकता है जिसमें वह धनीय हित रखता है।

(d) वहाँ ऐसा कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

उत्तर-(3)

26. प्रत्येक विधिज्ञ परिषद् विधिक सहायता समिति गठित करेगी जो निम्नलिखित को समाविष्ट करेगी :

(a) कम से कम 5 सदस्यों किन्तु अधिकतम 9 सदस्य

(b) कम से कम तीन सदस्य किन्तु अधिकतम 9 सदस्य

(c) कम से कम 5 सदस्य किन्तु अधिकतम 7 सदस्य

(d) कम से कम 3 सदस्य किन्तु अधिकतम 7 सदस्य।

उत्तर-(a)

27. एक अधिवक्ता की वरिष्ठता का निर्धारण निम्नलिखित आधार पर किया जाता है :

(a) उसके नामांकन की तिथि।

(b) उसकी आयु

(c) उसके मुवक्किलों का विस्तार

(d) उच्च न्यायालय के समक्ष उसकी उपस्थिति की संख्या।

उत्तर-(a)

28. विधिक वृत्ति के लिये नैतिकता :

(a) एक आचार संहिता है।

(b) एक अधिवक्ता के कर्तव्यों का प्रावधान करती है और कर्तव्यों का अनुपालन करते समय उनके व्यवहार को विनियमित करती है।

(c) (a) और (b) दोनों शुद्ध हैं।

(d) (a) और (b) दोनों अशुद्ध हैं।

उत्तर-(c)

29 न्यायालय में अन्यथा सार्वजनिक स्थान पर एक अधिवक्ता :

(a) को बैण्ड या गाऊन नहीं पहनना चाहिये।

(b) गाऊन पहन सकता है किन्तु बैण्ड नहीं

(c) बैण्ड धारण कर सकता है किन्तु गाऊन नहीं।

(d) ऐसा कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

उत्तर-(a)

30. एक राज्य रजिस्टर में एक अन्य राज्य नामावली में अन्तरण हेतु एक अधिवक्ता को :

(a) भारतीय विधिज्ञ परिषद् को आवेदन करना होगा।

(b) भारतीय विधिज्ञ परिषद निदेश करेगी कि आवेदक का नाम अन्तरक विधिज्ञ परिषद के नामावली से निकाल दिया जाय या और अन्तरिती विधिज्ञ परिषद के नामावली में प्रविष्ठ किया जाय।

(c) आवेदक को विहित शुल्क का भुगतान करना होगा।

(d) केवल (a) और (b) शुद्ध हैं (c) दोषपूर्ण है चूंकि ऐसे अन्तरण हेतु कोई शुल्क संदेय नहीं है।

उत्तर-(d)

31. अधिवक्ता का कर्तव्य है :

(a) कि समस्त शुद्ध और सामान्य साधनों से अपने मुवक्किल के हित की भयमुक्त होकर संरक्षा करें।

(b) एक अपराध के अभियुक्त व्यक्ति की अभियुक्त के दोष के बारे में उसकी व्यक्तिगत अभिमत के होते हुये भी प्रतिरक्षा करे।

(c) निर्दोष की दोष सिद्धि से बचे।

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर-(d )

32. एक राज्य विधिज्ञ परिषद् की अनुशासनिक समिति के एक आदेश द्वारा व्यथित कोई व्यक्ति भारतीय विधिज्ञ परिषद् को एक अपील दाखिल कर सकता है :

(a) उसको आदेश के संचारण की तिथि से साठ दिनों के भीतर।

(b) उसको आदेश के संचारण की तिथि से तीस दिनों के भीतर।

(c) उसका आदेश के संचारण की तिथि से नब्बे दिनों के भीतर।

(d) ऐसे आदेश के विरुद्ध कोई अपील नहीं होती है।

उत्तर-(a)

33 धारा 8-ए भारतीय विधिज्ञ परिषद् पर निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदत्त करती है :

(a) अपील की।

(b) पुनरीक्षण की।

(c) पुनर्समीक्षा की।

(d) उपरोक्त का कोई नहीं।

उत्तर-(b)

34. निम्नलिखित परिस्थितियों में एक अधिवक्ता एक सार-संक्षेप को स्वीकार करने से इन्कार कर देगा :

(a) यदि अधिवक्ता शारीरिक रूप से अशक्त है और अतएव, मुवक्किल के लिये उपस्थित होने में असमर्थ है।

(b) यदि वह प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिये उपलब्ध नहीं है।

(c) यदि वह एक शाखा में विधि व्यवहार करने से असमर्थ है।

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर-(d)

35- राज्य विधिज्ञ परिषद् निम्नलिखित कृत्यों का अनुपालन करेगी :

(a) विधिज्ञ संघों को प्रोत्रत करने के लिये और विधि सुधार का समर्थन करने हेतु।

(b) गरीबों को विधिक सहायता प्रदान करने हेतु।

(c) विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करने के लिये।

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर-(d)

36. एक अधिवक्ता :

(a) एक कम्पनी के निर्देशक मण्डल का अध्यक्ष या निदेशक हो सकता है बशर्ते कि उसके कर्तव्य प्रशासकीय प्रकृति के नहीं है।

(b) कोई पूर्णकालिक नियुक्ति स्वीकार कर सकता है किन्तु विधिज्ञ परिषद् को सूचना के अधीन जहाँ वह पंजीकृत है, और उस मामले में उसे जब तक वह ऐसे नियोजन में बना रहता है, एक अधिवक्ता के रूप में व्यवहार करना बन्द कर देना चाहिये।

(c) (a) और (b) दोनों शुद्ध है।

(d) उपरोक्त का कोई नहीं।

उत्तर-(c)

37. एक विधिज्ञ परिषद् की अनुशासनिक समिति शक्ति रखती है :

(a) किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतियों की न्यायालय या कार्यालय से मांग करने के लिये।

(b) साक्षी या दस्तावेजों की परीक्षा हेतु कमीशन जारी करने के लिये।

(c) दोनों (a) और (b)।

(d) न तो (a) और न ही (b)।

उत्तर-(c)

38. एक अधिवक्ता पर निम्नलिखित द्वारा अधिरोपित किये जा सकते हैं, उसके द्वारा कारित किये गये दुराचरण के लिये :

(a) अधिवक्ता को फटकार लगाना।

(b) अधिवक्ता का एक विनिर्दिष्ट अवधि के लिये विधि व्यवहार से निलम्बन

(c) अधिवक्ता का नाम अधिवक्ताओं की राज्य सूची से निकाल दिया जाना।

(d) उपरोक्त का कोई एक।

उत्तर-(d)

39. राज्य विधिज्ञ परिषद् को किया गया एक अधिवक्ता के रूप में नामांकन हेतु एक आवेदन निम्नलिखित को निर्दिष्ट किया जायेगा :

(a) उस विधिज्ञ संघ के विधिक सहायता समिति को

(b) उस विधिज्ञ संघ की अनुशासनिक समिति को।

(c) उस विधिज्ञ संघ की नामांकन समिति को

(d) भारतीय विधिश परिषद् को।

उत्तर-(c)

40. एक अधिवक्ता को अवश्य होना चाहिये :

(a) ईमानदार

(b) विश्वसनीय

(c) परिश्रमी।

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर-(d)

41. भारतीय विधिज्ञ परिषद् अधिवक्ताओं के रजिस्टर से किसी व्यक्ति को नाम हटाये जाने का निदेश कर सकती है, यदि उस व्यक्ति ने अधिवक्ताओं के रजिस्टर पर अपना नाम प्रविष्ट कराया है :

(a) एक आवश्यक तथ्य के बारे में मिथ्या व्यपदेशन के द्वारा।

(b) कपट के द्वारा

(c) असम्यक् प्रभाव के द्वारा

(d) उपरोक्त में से किसी के द्वारा

उत्तर-(d)

42. भारतीय विधिज्ञ परिषद् के कृत्य सम्मिलित करते हैं –

(a) अधिवक्ताओं के लिये वृत्तिक आचरण एवं सम्यक् व्यवहार के मानदण्डों को स्थापित करना।

(b) अपनी अनुशासनिक समिति एवं प्रत्येक राज्य विधिज्ञ परिषद् की अनुशासनिक समिति के द्वारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया विहित करना।

(c) अधिवक्ताओं एवं हितों की रक्षा करना।

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर-(d )

43. प्रत्येक अधिवक्ता जिसका नाम राज्य रजिस्टर में प्रविष्ट है, वह विधि व्यवहार करने अधिकार रखता है

(a) उच्चतम न्यायालय को सम्मिलित करते हुये सभी न्यायालयों में।

(b) प्रत्येक अधिकरण या प्राधिकरण या साक्ष्य लेने हेतु विधिक प्राधिकृत व्यक्ति

(c) (a) और (b) दोनों शुद्ध हैं।

(d) एक अधिवक्ता में विधि व्यवहार करने के लिये कोई अधिकार निहित

उत्तर-(c)

44. एक अधिवक्ता निम्नलिखित के लिये अनुमति प्राप्त है :

(a) पारिश्रमिक हेतु संसदीय विधेयकों की पुनर्समीक्षा करना।

(b) एक वेतन पर विधिक पाठ्य पुस्तकों का अनुपालन करना।

(c) छात्रों को पढ़ाना एवं प्रश्न पत्रों को तैयार करना और परीक्षण करना।

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर-(d)

45. धारा 26-ए के अनुसार एक राज्य विधिज्ञ परिषद् रजिस्टर से किसी अधिवक्ता देने के लिये शक्ति रखती है यदि :

(a) वह मृत हो गया है।

(b) उसने उस निमित्त एक निवेदन किया है।

(c) या तो (a) या (b)।

(d) राज्य विधिज्ञ परिषद् को नाम हटाने के लिये कोई शक्ति नहीं है क्योंकि यह शक्ति भारतीय विधिज्ञ परिषद् में निहित है।

उत्तर-(c)

46. एक अधिवक्ता को अपना प्रकरण प्रस्तुत करते समय या न्यायालय के समक्ष अन्यथा कार्य करते हुये –

(a) मर्यादा एवं आत्म-सम्मानपूर्ण आचरण करना चाहिये।

(b) न्यायिक अधिकारी की मर्यादा का अनुरक्षण करते हुये न्यायालय के प्रति सम्मानजनक प्रवृति का अनुरक्षण करना चाहिये।

(c) यद्यपि एक अधिवक्ता की बहस और तर्क को न्यायालय का समर्थन नहीं मिलता है, तथापि उसे समझौता करना चाहिये और न्यायालय तथा इसी प्रकार विधि की प्रभुता का अनुरक्षण करना चाहिये।

(d) उपरोक्त सभी शुद्ध हैं।

उत्तर: (d)

47- भारतीय विधिज्ञ परिषद् के कुछ कृत्य निम्नलिखित हैं :

(a) विधिक शिक्षा को प्रोन्नत करना और विधि सुधारों का समर्थन करना।

(b) विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करना जहाँ विधि में स्नातक उपाधि एक अधिवक्ता के रूप में नामांकित हेतु एक योग्यता है।

(c) सेमिनार एवं गरीबों को विधिक सहायता आयोजित करना और संचालन करना।

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर- (d)

48. बार काउन्सिल नियम के अध्याय ॥ के भाग VI के निम्नलिखित नियमों में से कौन सा मुव्यकिल द्वारा प्राप्त धन की किसी भी राशि के सम्बन्ध में एक अधिवक्ता के कर्तव्य से सम्बन्धित हैं :

(a) नियम 25

(c) नियम 24:

(b) नियम 33

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।

उत्तर-(a)

49. भारतीय विधिज्ञ परिषद् की अनुशासनिक समिति के एक आदेश द्वारा व्यथित कोई व्यक्ति निम्नलिखित के समक्ष एक अपील दाखिल कर सकता है :

(a) किसी उच्च न्यायालय के समक्ष

(b) भारतीय विधिज्ञ परिषद् की अपीलीय समिति के समक्ष

(c) भारत का उच्चतम न्यायालय के समक्ष

(d) कोई अपील नहीं होती है।

उत्तर-(c)

50- धारा 44 एक विधिज्ञ परिषद की अनुशासनिक समिति पर की शक्ति प्रदत्त करती हूँ :

(a) अपील।

(b) पुनरीक्षण

(c) पुनर्समीक्षा

(d) उपरोक्त का कोई नहीं।

उत्तर-(c)

51. एक अधिवक्ता को क्या नहीं करना चाहिये :

(a) न्याय प्रशासन का प्रोत्रत करना।

(b) आदर्शों का पालन करना सामाजिक न्याय के वाहक के रूप में समुदाय का विश्वास जीतना।

(c) एक संदिग्ध रीति के व्यवहार करना।

(d) उच्च नैतिक मूल्यों का अनुरक्षण करना।

उत्तर-(c)

52. एक राज्य । से एक अन्य राज्य की सूची में अन्तरण हेतु एक आवेदन अस्वीकृत कर दिया जायेगा :

(a) यदि कोई अनुशासनिक कार्यवाही आवेदक के विरुद्ध लम्बित है।

(b) यदि भारतीय विधिज्ञ परिषद् को यह प्रतीत होता है कि अन्तरण हेतु आवेदन सद्भावपूर्वक नहीं किया गया है और कि अन्तरण नहीं किया जाना चाहिये।

(c) आवेदन अस्वीकृत नहीं किया जा सकता है।

(d) उपरोक्त (a) और (b) दोनों आधारों पर।

उत्तर-(d)

53. एक राज्य विधिज्ञ परिषद् के कृत्य हैं :

(a) अधिवक्ताओं की सूची तैयार करना और अनुरक्षण करना और ऐसी सूची में अधिवक्ता के रूप में व्यक्तियों को प्रवेश देना।

(b) अपनी सूची पर अधिवक्ता के विरुद्ध दुराचरण के मामलों को ग्रहण करना और निर्धारण करना।

(c) अपनी सूची पर अधिवक्ताओं के अधिकारों, विशेषाधिकारों एवं हितों की रक्षा करना।

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर-(d)

54. यदि एक राज्य विधिज्ञ परिषद् अपने पाँच वर्षों के कार्यकाल के अवसान के पूर्व चुनाव कराने से असफल रहती है, तो भारतीय विधिज्ञ परिषद् :

(a) तीन माहों से अनधिक एक अवधि के लिये उक्त कालावधि को विस्तारित कर सकती है।

(b) छ:माहों से अनधिक एक अवधि के लिये उक्त कालावधि को विस्तारित कर सकती है।

(c) राज्य विधिज्ञ परिषद् को विघटित कर सकती है।

(d) विशेष समिति का गठन कर सकती है।

उत्तर-(b)

55. एक विधिज्ञ परिषद् की अनुशासनिक समिति पुनर्समीक्षा हेतु अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकती है :

(a) अपने स्वयं की पहल पर या अन्यथा

(b) आदेश की तिथि से साठ दिनों के भीतर

(c) उपरोक्त दोनों (a) और (b)।

(d) उपरोक्त न तो (a) और न ही (b)।

उत्तर-(c)

56. एक अधिवक्ता स्वीकार नहीं करेगा :

(a) एक फर्म में निष्क्रिय भागीदार होने के अलावा किसी व्यापार में किसी प्रकार संलग्न होना।

(b) किसी व्यक्ति, फर्म, निगम, या प्रतिष्ठान में कोई पूर्णकालिक वैतनिक नियोजन ।

(c) दोनों (a) और (b) एक अधिवक्ता पर अधिरोपित प्रतिबन्ध है।

(d) ऐसा कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

उत्तर-(c)

57. एक व्यक्ति की बर्खास्तगी या हटाये जाने या अवमुक्त किये जाने से एक अवधि के व्यपगत होने के पश्चात् नामांकन हेतु निर्योग्यता का प्रभाव रखना समाप्त हो जायेगा :

(a) चार वर्ष

(b) तीन वर्ष।

(c) दो वर्ष

(d) एक वर्ष)

उत्तर-(c)

58. एक अधिवक्ता न्यायालय के विनिश्चिय को प्रमाणित करने के लिये कभी अपेक्षित नहीं है :

(a) किसी अवैधानिक, अशुद्ध या अनुचित साधनों के द्वारा

(b) एक न्यायाधीश के साथ एक लम्बित प्रकरण के सम्बन्ध में निजी संचारण के द्वारा।

(c) उपरोक्त न तो (a) और न ही (b) का अवलम्ब लेते हुये।

(d) अधिवक्ता पर ऐसा कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

उत्तर-(c)

59. विशेष समिति का गठन के पश्चात् और जब तक राज्य विधिज्ञ परिषद् गठित नहीं हो जाती है :

(a) राज्य विधिज्ञ परिषद् में निहित समस्त सम्पत्तियाँ एवं परिसम्पत्तियाँ विशेष समिति में निहित होगी। और

(b) समस्त अधिकार, दायित्व और बाध्यतायें विशेष समिति के अधिकार, दायित्व बाध्यतायें होंगी।

(c) राज्य विधिज्ञ परिषद् के समक्ष लम्बित समस्त कार्यवाहियाँ विशेष समिति को अन्तरित हो जायेगी।

(d) उपरोक्त सभी शुद्ध हैं।

उत्तर-(d)

60. एक अधिवक्ता का कर्तव्य है कि :

(a) अपने मुवक्किल को अनुचित व्यवहार या प्रतिक्रिया से रोकें।

(b) न्यायालय विरोधी अधिवक्ता और विरोधी पक्षकार के विरुद्ध कुछ करने से रोके।

(c) ऐसे मुवक्किल का प्रकरण लेने से इन्कार कर दे जो ऐसी अनुचित चालों पर विश्वास करता है।

(d) उपरोक्त बातों में से किसी से बचे।

उत्तर-(d)

61. अनुशासनिक समिति द्वारा किये गये आदेश के विरुद्ध अपील दाखिल करने के लिये विहितः परिसीमा अवधि आदेश के संधारण की तिथि से-दिनों की हैं-

(a) तीस दिनों।

(b) साठ दिनों।

(c) नब्बे दिनों।

(d) पन्द्रह दिनों।

उत्तर-(b)

62. अधिवक्ता की वरिष्ठता नामांकन की तिथि से निर्धारित की जायेगी किन्तु जहाँ दो या दो से अधिक व्यक्तियों की ऐसी तिथि एक ही है-

(a) एक जो न्यायालय में अधिक उपस्थित हुआ है, को दूसरे से वरिष्ठ माना जायेगा।

(b) एक जो आयु में वरिष्ठ हैं, जो दूसरे से वरिष्ठ माना जायेगा।

(c) उच्ब न्यायालय में व्यवहार करता हुआ एक व्यक्ति अन्य की अपेक्षा वरिष्ठ माना जायेगा अन्य न्यायालयों में व्यवहार कर रहा है।

(d) विवाद्यक के समाधान हेतु विधि में कोई मानक विहित नहीं है।

उत्तर-(b)

63. एक विधिज्ञ परिषद् की अनुशासनिक समिति वही शक्ति रखती है जैसी एक सिविल न्यायालय में निहित है, अर्थात्

(a) किसी व्यक्ति को समन करना और उसका उपस्थिति के लिये विवश करना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना।

(b) किसी दस्तावेज की खोज और प्रस्तुति की अपेक्षा करना।

(c) शपथमंत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना।

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर-(d)

64. धारा 48-एए, के अधीन भारतीय विधिज्ञ परिषद् निम्नलिखित शक्ति रखती है-

(a) पुनरीक्षण।

(b) पुनर्समीक्षा।

(c) अपील।

(d) उपरोक्त का कोई नहीं।

उत्तर-(b)

65. एक अधिवक्ता को- 

(a) किसी अभिकरण द्वारा अप्राधिकृत विधि व्यवहार के लिये अपना नाम या अपनी वृत्तिक सेवाओं का प्रयोग करने की अनुमति नहीं देनी ताहिये।

(b) एक प्रकरण में उपस्थित नहीं होना चाहिये जिसमें वहाँ पहले ही एक अधिवक्ता अभिलेख पर है, उसकी सहमति के अलावा।

(c) अपने मुवक्किल के हित को प्रभावित किये बगैर अपने सहकर्मियों की सुविधा के अनुकूल निवेदन से इन्कार नहीं करना चाहिये।

(d) उपरोक्त (a), (b) और (c) में उल्लिखित कोई कार्य नहीं करना चाहिये।

उत्तर-(d)

66. एक अधिवक्ता को जन सामान्य के किसी सदस्य के एक नियम के रूप में एक प्रकरण अवश्य लेना चाहिये-

(a) यदि एक शुद्ध और समुचित शुल्क उसे निविदत्त की जाती है।

(b) सम्यक् अनुदेश दिये जाते हैं।

(c) प्रकरण एक वर्ग का है जिसे करने के लिये अधिवक्ता अभ्यस्त हैं।

(d) उपरोक्त सभी शुद्ध हैं।

उत्तर-(d)

67 (a) मुवक्किल उसे एक युक्तियुक्त शुल्क का भुगतान करने के लिये तैयार नहीं है।

(a). अधिवक्ता द्वारा सार संक्षेप की न्यायोचित इन्कारी का आधार चिह्नित करें-

(b) वह केवल कुछ न्यायालयों और कुछ स्थानों पर विधि व्यवहार करता है।

(c) विरोधी पक्षकार ने पहले ही उससे परामर्श किया है।

(d) उपरोल्लिखित आधारों का प्रत्येक।

उत्तर-(d)

68. एक अधिवक्ता को एक न्यायाधीश जो उसका सम्बन्धी है, के समक्ष व्यवहार नहीं करना चाहिये

(a) इसका अनुसरण किया जाना आवश्यक नहीं है।

(b) इसका आवश्यकतः अनुसरण किया जाना चाहिये।

(c) कभी-कभी इसका अनुसरण किया जाना आवश्यक है।

(d) इसका अनुसरण करना कभी आवश्यक नहीं होता है।

उत्तर-(b)

69. एक अधिवक्ता को एक प्रकरण में उपस्थित होने के लिये एक सार संक्षेप को स्वीकार नहीं करना चाहिये जिसमें –

(a) उसका साक्षी के रूप में लाया जाना सम्भाविक है।

(b) उसका अपने मुवक्किल के लिये प्रतिभू होना सम्भावित है।

(c) उसने विरोधी पक्षकार को पहले ही परामर्श दिया है।

(d) उपरोक्त प्रकरणों के प्रत्येक में।

उत्तर-(d)

70. एक अधिवक्ता का विपक्षी के प्रति निम्नलिखित कर्तव्य होता है-

(a) विरोधी के विरुद्ध दोषारोपण नहीं करना जो साक्ष्य द्वारा समर्थित नहीं है।

(b) विरोधी अधिवक्ता के अलावा विवाद की विषय वस्तु पर किसी रूप में समझौता नहीं करना।

(c) विरोधी के विरुद्ध अनुचित दुर्भावनापूर्ण चालबाजी, व्यवहार या क्रियाविधि का प्रयोग नहीं करना चाहिये।

(d) उपरोक्त का प्रत्येक मान है।

उत्तर-(d)

71 . नैतिक रूप से एक अधिवक्ता को निम्नलिखित कार्य करने से विरत रहना चाहिये-

(a) वादकरण के परिणाम पर आधारित शुल्क का उल्लेख करना या परिणाम के आगमों में हिस्सेदारी के लिये कोई प्रतिशतता प्रभारित करना।

(b) विरोधी पक्षकार का सार संक्षेप स्वीकार करना।

(c) अपने मुवक्किल को वादकरण हेतु धन उधार देना।

(d) उपरोक्त सभी शुद्ध हैं।

उत्तर-(a)

72. वृत्तिक कदाचार है-

(a) न्यायालय के समक्ष तथ्यों का यह प्रकटीकरण न करना कि उसे पहले भी बार कौंसिल से विवर्जित किया गया था

(b) मद्यमान की स्थिति में न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना,

(c) अपने मुवक्किल को झूठी सूचना देना।

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर-(b)

73 . वृत्तिक कदाचार के अन्तर्गत नहीं आते-

(a) अधिवक्ता के कर्तव्य को पूरा करने में असावधानी एवं उपेक्षा दिखाना।

(b) स्वयं के अनैतिक क्रिया कलापों में अन्तर्ग्रस्त करना।

(c) अधिवक्ता एवं मुवक्किल के बीच होने वाली संसूचना का प्रकटीकरण।

(d) न्यायालय के समक्ष तथ्यों का यह प्रकटीकरण करना कि उसे पहले भी बार कौंसिल से विवर्जित किया गया था।

उत्तर-(d)

74. अधिवक्ता अधिनियम की कौन सी धारा में प्रावधानिक है कि वृत्तिक अथवा अन्य कदाचार शब्द का तात्पर्य वृत्तिक (व्यवसाय) में कदाचार अथवा अन्य क्षमता में कदाचार होता है और यह वृत्तिक क्षमता में किये गये कदाचार तक सीमित नहीं होता है।

(a) धारा 28

(b) धारा 35

(c) धारा 36

(d) धारा 30

उत्तर-(b)

75. न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12 (1) में यह उपबन्धित है कि न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 में अथवा किसी अन्य कानून में अभिव्यक्त रूप में अन्यथा प्रावधानित को छोड़कर न्यायालय अवमान के लिए साधारण कारावास से जिसकी अवधि हो सकेगी-

(a) छःमाह या जुर्माने से जो कि दो हजार रुपये तक हो सकता है या दोनों का दण्ड।

(b) तीन साल या जुर्माने से जो कि दो हजार हो सकेगे या दोनों से।

(c) तीन माह या जुर्माने से या दोनों से।

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।

उत्तर-(a)

76. दाण्डिक अवमान हेतु प्राप्त प्रतिरक्षायें क्या है।

(a) सामग्री का निर्दोष-प्रकाशन एवं वितरण।

(b) प्रकाशन के समय कार्यवाही का लम्बित न होना।

(c) प्रकाशन का अनभिज्ञतापूर्वक वितरण।

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।

उत्तर-(d)

77. न्यायालय का अवमान अधिनियम, 1971 की किस धारा में उल्लिखित है कि ‘न्यायालय के अवमान’ का अर्थ सिविल अवमान अथवा आपराधिक अवमान से है-

(a) धारा 2(क)

(b) धारा 2 (ख)

(c) धारा 3

(d) धारा 4

उत्तर-(a)

78. न्यायालय का अवमान अधिनियम, 1971 की किस धारा में उल्लिखित है कि ‘न्यायालय के अवमान’ का अर्थ सिविल अवमान अथवा आपराधिक अवमान से है-

(a) धारा 2(क)

(b) धारा 2 (ख)

(c) धारा 3(ग)

(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर-(c)

79. सिविल अवमान का आवश्यक तत्व कौन सा नहीं है-

(a) न्यायालय के आदेश, डिक्री व्यक्ति का उपालन हुआ हो (b) न्यायालय को दिये गये परिवचन का भंग या उल्लंघन हुआ हो

(c) यह अपालन या उल्लंघन जानबूझकर न किया गया हो

(d) यह अपालन या उल्लंघन जानबूझकर किया गया हो।

उत्तर-(c)

80. जहाँ कहीं भी परिवाद की प्राप्ति पर या किसी अन्य प्रकार से किसी बार कौंसिल को यह विश्वास हो जाता है कि उसकी सूची का यदि कोई अधिवक्ता वृत्तिक अथवा अन्य अवचार का दोषी पाया जाता हे तो यह मामले के विज्ञतारण के लिए अनुशासनात्मक समिति को संदर्भित कर देगा। उपरोक्त प्रावधान किस धारा में प्रावधानित है-

(a) धारा 34

(b) धारा 35

(c) धारा 36

(d) धारा 37

उत्तर-(b)

81. भारतीय विधिज्ञ परिषद् का प्रावधान अधिवक्ता अधिनियम 1961 की किस धारा में प्रावधानित है-

(a) धारा 3

(b) धारा 4

(c) धारा 5

(d) धारा 6

उत्तर-(b)

82. भारतीय विधिज्ञ परिषद् का गठन किन सदस्यों से होगा-

(a) भारत का महान्यायवादी, पदेन

(b) भारत का महासॉलिसिटर, पदेन

(c) प्रत्येक राज्य विधिज्ञ परिषद द्वारा, अपने सदस्यों में से निर्वाचित एक सदस्य

(d) उपरोक्त में से सभी

उत्तर-(d)

83. राज्य विधिज्ञ परिषद् का गठन किस धारा में किया गया है-

(a) धारा 3

(b) धारा 4

(c) धारा 5

(d) धारा 6

उत्तर-(a)

84. अनुशासन समितियाँ का उल्लेख अधिवक्ता अधिनियम 1961 की किस धारा में है-

(a) धारा 8

(b) धारा 10

(c) धारा 9

(d) धारा 11

उत्तर-(b)

85. विधिक सहायता समितियों के गठन सम्बन्धी प्रावधान किया गया है-

(a) धारा १ (क)

(b) धारा 9

(c) धारा 10

(d) धारा 10 क

उत्तर-(a)

86. विधिज्ञ परिषद् के किसी निर्वाचित सदस्य ने अपना पद रिक्त किया है ऐसा तब समझा जाएगा जब-

(a) वह उस परिषद् के लगातार तीन अधिवेशनों में पर्याप्त कारण के बिना अनुपस्थित रहा है।

(b) जब उसका नाम किसी कारणवश अधिवक्ताओं की नामावली से हटा दिया गया हो

(c) जब वह भारतीय विधिज्ञ परिषद् द्वारा बनाए गए किसी नियम के अधीन अन्यथा निरर्हित हो गया हो

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर-(d)

87. लेखा तथा लेखापरीक्षा से सम्बन्धित प्रावधान अधिवक्ता अधिनियम 1961 की किस धारा में किया गया है-

(a) धारा 12 में

(b) धारा 11 में

(c) धारा 13 में

(d) धारा 14 में

उत्तर-(a)

88. वरिष्ठ तथा अन्य अधिवक्ता से सम्बन्धित प्रावधान किस धारा में प्रावधानित है-

(a) धारा 16

(b) धारा 17

(c) धारा 18

(d) धारा 19

उत्तर-(a)

89. निम्न में से कौन सही सुमेलित है-

(a) धारा 15-वरिष्ठ तथा अन्य अधिवक्ता

(b) धारा 23-पूर्व सुनवाई का अधिकार

(c) धारा 22-ज्येष्ठता के बारे में विवाद

(d) धारा 21 नामांकन प्रमाण पत्र

उत्तर-(b)

90. अधिवक्ता के रूप में प्रवेश के लिए आवेदनों के निपटारा सम्बन्धी प्रावधान किया गया है-

(a) धारा 25 में

(b) धारा 26 में

(c) धारा 27 में

(d) धारा 28 में

उत्तर-(b)

91. प्रत्येक अधिवक्ता जिसका नाम राज्य नामावली में दर्ज है साधिकार विधि व्यवसाय करने का हकदार होगा-

(a) सभी न्यायालयों में, जिनमें उच्चतम न्यायालय भी सम्मिलित है।

(b) किसी ऐसे अधिकरण या व्यक्ति के समक्ष, जो साक्ष्य लेने के लिए वैध रूप से प्राधिकृत है,

(c) किसी अन्य ऐसे प्राधिकारी का व्यक्ति के समक्ष जिसके समक्ष ऐसा अधिवक्ता उस समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विधि व्यवसाय करने का हकदार है।

(d) उपरोक्त सभी

उत्तर-(d)

 

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