अंतर्राष्ट्रीय संगठन का विकास और वृद्धि
प्रश्न 1: अंतर्राष्ट्रीय संगठन के विकास और वृद्धि की जांच करें।
या
संक्षेप में अंतर्राष्ट्रीय संगठन के ऐतिहासिक विकास की व्याख्या करें।
परिचय:
अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Organization) का विकास अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, शांति, सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक उन्नति के उद्देश्य से हुआ है। ये संगठन विभिन्न राष्ट्रों के बीच समन्वय स्थापित करने और वैश्विक समस्याओं का समाधान निकालने में सहायक होते हैं।
ऐतिहासिक विकास:
- प्रारंभिक काल (1648-1815):
- वेस्टफेलिया की संधि (1648) के बाद संप्रभु राष्ट्रों की संकल्पना विकसित हुई।
- 18वीं शताब्दी में विभिन्न यूरोपीय राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संधियाँ हुईं।
- वियना कांग्रेस और 19वीं शताब्दी (1815-1914):
- नेपोलियन युद्धों के बाद 1815 में वियना कांग्रेस का गठन किया गया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में स्थिरता आई।
- 19वीं शताब्दी में रेड क्रॉस (1863), यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (1874) और इंटरनेशनल टेलिग्राफ यूनियन (1865) जैसी संस्थाएँ बनीं।
- लीग ऑफ नेशंस (1919-1946):
- प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के बाद 1919 में “लीग ऑफ नेशंस” का गठन हुआ।
- इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति बनाए रखना था, लेकिन यह द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) को रोकने में विफल रहा।
- संयुक्त राष्ट्र संघ (1945-वर्तमान):
- 1945 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की स्थापना हुई, जिसने लीग ऑफ नेशंस का स्थान लिया।
- वर्तमान में UN और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे WTO, WHO, IMF, और विश्व बैंक वैश्विक प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2: लीग ऑफ नेशंस से पहले अंतर्राष्ट्रीय संगठन के विकास पर चर्चा करें।
परिचय:
लीग ऑफ नेशंस के गठन से पहले भी कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन और संधियाँ थीं, जो राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती थीं।
मुख्य बिंदु:
- 1648: वेस्टफेलिया की संधि – इस संधि ने संप्रभु राष्ट्रों की अवधारणा को जन्म दिया।
- 1815: वियना कांग्रेस – यूरोप में स्थिरता और कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास।
- 1863: रेड क्रॉस की स्थापना – युद्ध में घायल सैनिकों की सहायता के लिए यह पहला अंतर्राष्ट्रीय संगठन बना।
- 1874: यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन – अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवा के लिए यह एक महत्वपूर्ण संगठन बना।
- 1899 और 1907: हेग सम्मेलन – अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए पहली बार वैश्विक स्तर पर चर्चा हुई।
प्रश्न 3: लीग ऑफ नेशंस से लेकर वर्तमान तक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विकास पर टिप्पणी करें।
लीग ऑफ नेशंस (1919-1946):
- यह प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांति बनाए रखने के लिए बनाया गया था।
- इसके मुख्य उद्देश्य थे: युद्ध की रोकथाम, अंतर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान और सहयोग को बढ़ावा देना।
- कमजोरियों के कारण यह द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में असफल रहा।
संयुक्त राष्ट्र संघ (1945-वर्तमान):
- 1945 में संयुक्त राष्ट्र (UN) की स्थापना हुई।
- इसके प्रमुख अंग हैं: महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय आदि।
- WHO, UNESCO, IMF, विश्व बैंक जैसे संगठन भी स्थापित हुए।
आधुनिक युग में विकास:
- यूरोपीय संघ (EU): 1957 में स्थापित, यह यूरोप में आर्थिक और राजनीतिक एकीकरण को बढ़ावा देता है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO): 1995 में बना, जो वैश्विक व्यापार को नियंत्रित करता है।
- G-7, G-20, BRICS: प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह जो वैश्विक वित्त और नीति-निर्माण में सहायक होते हैं।
प्रश्न 4 (a): अंतर्राष्ट्रीय संगठन अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक महत्वपूर्ण घटक है।
उत्तर:
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन राष्ट्रों के बीच संधियों, समझौतों और अंतर्राष्ट्रीय नियमों को लागू करने में सहायक होते हैं।
- UN, WTO, WHO, और ICC जैसे संगठन अंतर्राष्ट्रीय कानून के दायरे में काम करते हैं।
प्रश्न 4 (b): समकालीन विश्व में अंतर्राष्ट्रीय कानून केवल राज्यों के बीच संबंधों तक सीमित नहीं है। उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर:
- पहले अंतर्राष्ट्रीय कानून केवल राज्यों के बीच संधियों और संबंधों तक सीमित था।
- अब यह व्यक्तियों (जैसे युद्ध अपराध न्यायाधिकरण), अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) तक विस्तारित हो गया है।
- उदाहरण:
- ICC (अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय) युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों पर सुनवाई करता है।
- UNHCR (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी) शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा करता है।
प्रश्न 5: लीग ऑफ नेशंस का नामकरण, सदस्यता और उद्देश्य समझाएँ।
नामकरण:
- इसका आधिकारिक नाम “League of Nations” था।
- इसे “अंतर्राष्ट्रीय संघ” भी कहा जाता था।
सदस्यता:
- प्रारंभ में 42 देश सदस्य बने।
- अधिकतम 58 देश इसके सदस्य थे।
उद्देश्य:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
- युद्ध को रोकना और विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
प्रश्न 6: लीग ऑफ नेशंस की विफलता के मुख्य कारण।
विफलता के कारण:
- प्रभावशाली देशों की अनुपस्थिति – अमेरिका ने इसमें सदस्यता नहीं ली, जिससे इसकी शक्ति कमजोर हो गई।
- अनिर्णायक निर्णय प्रणाली – सभी निर्णय सर्वसम्मति से लेने पड़ते थे, जिससे निर्णय लेना कठिन था।
- दंडात्मक शक्तियों की कमी – यह सैन्य शक्ति का उपयोग नहीं कर सकता था, जिससे आक्रामक राष्ट्रों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
- महाशक्तियों की उपेक्षा – जर्मनी, इटली और जापान ने इसकी अनदेखी की और आक्रामक नीति अपनाई।
- द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) – लीग ऑफ नेशंस युद्ध को रोकने में विफल रहा, जिससे इसका अंत हो गया और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई।
निष्कर्ष:
लीग ऑफ नेशंस की असफलता के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) की स्थापना हुई, जो अब तक प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है।
प्रश्न 6: लीग ऑफ नेशंस की कमजोरियाँ और विफलता के कारण
कमजोरियाँ:
- महाशक्तियों की अनुपस्थिति – अमेरिका, जिसने इसके निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, सदस्य नहीं बना।
- निर्णय लेने की कठिन प्रक्रिया – निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते थे, जिससे निर्णय लेना कठिन था।
- सैन्य बल का अभाव – लीग के पास अपने निर्णय लागू करने के लिए कोई सैन्य शक्ति नहीं थी।
- आर्थिक प्रतिबंधों की विफलता – आक्रामक देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने का प्रयास सफल नहीं हुआ।
- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रभावहीनता – लीग जापान के मंचूरिया पर कब्जे (1931) और इटली के इथियोपिया आक्रमण (1935) को रोकने में असफल रहा।
विफलता के कारण:
- अमेरिका की गैर-भागीदारी
- सदस्य देशों का अनुशासनहीन व्यवहार
- द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में असफलता
- अधिनायकवादी देशों (जर्मनी, इटली, जापान) की आक्रामक नीति
- प्रभावशाली नेतृत्व का अभाव
प्रश्न 7: लीग ऑफ नेशंस के अंग एवं असेंबली का संक्षिप्त विवरण
मुख्य अंग:
- असेंबली (Assembly)
- काउंसिल (Council)
- सचिवालय (Secretariat)
- स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (Permanent Court of International Justice)
असेंबली (Assembly):
- इसमें सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल होते थे।
- प्रत्येक सदस्य को एक वोट प्राप्त था।
- वार्षिक बैठक जिनेवा (Geneva) में होती थी।
- यह संगठन की नीतियाँ तय करने, नए सदस्यों को शामिल करने और बजट स्वीकृत करने का कार्य करता था।
प्रश्न 8: लीग ऑफ नेशंस की असेंबली के मुख्य कार्य
- नए सदस्य देशों की स्वीकृति।
- संगठन का बजट निर्धारण।
- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर चर्चा।
- अन्य अंगों की गतिविधियों की निगरानी।
- शांति एवं सुरक्षा से संबंधित सिफारिशें देना।
प्रश्न 9: लीग ऑफ नेशंस की काउंसिल पर निबंध
परिचय:
काउंसिल लीग ऑफ नेशंस का कार्यकारी अंग था, जिसका मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति बनाए रखना था।
संरचना:
- स्थायी सदस्य (Permanent Members)
- अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Members)
कार्य:
- विवादों को हल करना
- आक्रमण रोकने के उपाय सुझाना
- शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाना
प्रश्न 10: लीग ऑफ नेशंस के सचिवालय का संगठन और महत्व
संगठन:
- महासचिव (Secretary-General) इसका प्रमुख अधिकारी था।
- जिनेवा में इसका मुख्यालय था।
महत्व:
- प्रशासनिक कार्यों का संचालन
- लीग की बैठकों का आयोजन
- रिपोर्ट तैयार करना
- सदस्य राष्ट्रों के साथ समन्वय स्थापित करना
प्रश्न 11: स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (Permanent Court of International Justice) पर निबंध
संरचना:
- 15 न्यायाधीशों का एक पैनल।
- 9 साल के कार्यकाल के लिए चयन।
क्षेत्राधिकार:
- राष्ट्रों के बीच विवादों का समाधान।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून की व्याख्या।
- परामर्शी राय देना।
प्रश्न 12: लीग ऑफ नेशंस का संक्षिप्त मूल्यांकन
- सफलताएँ: अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा, दास प्रथा का अंत, विभिन्न विवादों का समाधान।
- विफलताएँ: द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में असफलता, आक्रामक देशों को नियंत्रित न कर पाना।
प्रश्न 13 (a): संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के उद्देश्य और सिद्धांत
उद्देश्य:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना।
- मानवाधिकारों की रक्षा करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- वैश्विक विकास और समृद्धि को प्रोत्साहित करना।
सिद्धांत:
- संप्रभु समानता
- आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
- अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान
- सामूहिक सुरक्षा का सिद्धांत
संयुक्त राष्ट्र की सफलता और असफलता:
- सफलताएँ:
- शीत युद्ध के दौरान मध्यस्थता।
- WHO, UNESCO जैसी संस्थाओं द्वारा वैश्विक विकास।
- शांति स्थापना अभियान।
- असफलताएँ:
- सुरक्षा परिषद में वीटो पावर के कारण निर्णयों में रुकावट।
- इराक, सीरिया, अफगानिस्तान जैसी जगहों पर युद्ध रोकने में असफलता।
प्रश्न 13 (b): “संयुक्त राष्ट्र एक वैधानिक व्यक्ति है” इस कथन का मूल्यांकन।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून में संयुक्त राष्ट्र को एक “कानूनी व्यक्तित्व” प्राप्त है।
- यह संधियाँ कर सकता है, मुकदमे दायर कर सकता है, और संपत्ति का मालिक हो सकता है।
प्रश्न 14: संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्राप्त करने, निलंबित करने और समाप्त करने के तरीके।
सदस्यता प्राप्त करने के तरीके:
- मूल सदस्य: 1945 में चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाले 51 देश।
- नए सदस्य: महासभा और सुरक्षा परिषद की स्वीकृति आवश्यक।
सदस्यता निलंबन और समाप्ति:
- सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा निलंबन कर सकती है।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर में स्पष्ट रूप से सदस्यता समाप्त करने का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या सदस्यता वापस ली जा सकती है?
- चार्टर में स्वैच्छिक रूप से हटने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन व्यवहारिक रूप में ऐसा संभव है (जैसे इंडोनेशिया का 1965 में अस्थायी रूप से हटना)।
प्रश्न 15: सुरक्षा परिषद की संरचना
संरचना:
- स्थायी सदस्य (Permanent Members) – 5 देश
- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन
- इन्हें वीटो पावर प्राप्त है।
- अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Members) – 10 देश
- 2 साल के लिए महासभा द्वारा चुने जाते हैं।
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा जाता है।
कार्य:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
- शांति स्थापना और शांति अभियानों की निगरानी।
- आक्रमणकारी राष्ट्रों पर प्रतिबंध लगाना।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार सैन्य कार्रवाई की अनुमति देना।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र, लीग ऑफ नेशंस से अधिक प्रभावी सिद्ध हुआ है, लेकिन इसमें भी सुधार की आवश्यकता है। विशेष रूप से सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति के कारण कई निर्णय प्रभावित होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की संरचना
परिचय:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जिसका मुख्य कार्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय V के तहत स्थापित किया गया था।
सुरक्षा परिषद की संरचना (Composition of the Security Council)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं, जिन्हें दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- स्थायी सदस्य (Permanent Members) – 5 देश
- अमेरिका (USA)
- रूस (Russia)
- चीन (China)
- फ्रांस (France)
- यूनाइटेड किंगडम (UK)
- इन देशों को वीटो पावर (Veto Power) प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि वे किसी भी प्रस्ताव को एकल रूप से रोक सकते हैं।
- अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Members) – 10 देश
- ये सदस्य दो साल के लिए चुने जाते हैं।
- इनका चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा किया जाता है।
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के आधार पर इनका चयन किया जाता है:
- अफ्रीका – 3 देश
- एशिया-प्रशांत – 2 देश
- लैटिन अमेरिका और कैरिबियन – 2 देश
- पश्चिमी यूरोप और अन्य – 2 देश
- पूर्वी यूरोप – 1 देश
महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
- वीटो पावर:
- केवल स्थायी सदस्यों के पास होती है।
- किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए 5 स्थायी सदस्यों में से कोई भी विरोध कर सकता है।
- यह शक्ति कई बार विवादों का कारण भी बनी है।
- निर्णय लेने की प्रक्रिया:
- किसी प्रस्ताव को पारित करने के लिए कम से कम 9 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होता है।
- अगर कोई स्थायी सदस्य वीटो करता है, तो प्रस्ताव अस्वीकार हो जाता है।
- बैठकें:
- सुरक्षा परिषद नियमित रूप से बैठकों का आयोजन करती है।
- किसी भी संकट की स्थिति में आपातकालीन बैठक बुलाई जा सकती है।
सुरक्षा परिषद के कार्य:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
- सैन्य कार्रवाई को मंजूरी देना।
- आर्थिक प्रतिबंध लगाना।
- शांति स्थापना (Peacekeeping Operations) का संचालन करना।
- नए सदस्य देशों की स्वीकृति की सिफारिश करना।
- महासचिव की नियुक्ति की सिफारिश करना।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, स्थायी सदस्यों की वीटो शक्ति के कारण कई बार यह विवादास्पद हो जाती है। कई देश सुरक्षा परिषद में सुधार और स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की संरचना
परिचय:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र (UNO) का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जिसका मुख्य कार्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। इसे 1945 में स्थापित किया गया था।
सुरक्षा परिषद की संरचना (Composition of the Security Council)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं, जिन्हें दो भागों में विभाजित किया गया है:
1. स्थायी सदस्य (Permanent Members) – 5 देश
ये वे देश हैं, जिन्हें वीटो पावर प्राप्त है।
- अमेरिका (USA)
- रूस (Russia)
- चीन (China)
- फ्रांस (France)
- यूनाइटेड किंगडम (UK)
इन देशों के पास वीटो पावर (Veto Power) होती है, जिसका अर्थ है कि वे किसी भी प्रस्ताव को एकल रूप से रोक सकते हैं।
2. अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Members) – 10 देश
- ये सदस्य दो वर्षों के लिए चुने जाते हैं।
- इनका चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा किया जाता है।
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा जाता है:
- अफ्रीका – 3 देश
- एशिया-प्रशांत – 2 देश
- लैटिन अमेरिका और कैरिबियन – 2 देश
- पश्चिमी यूरोप और अन्य – 2 देश
- पूर्वी यूरोप – 1 देश
प्रश्न 16: सुरक्षा परिषद के कार्य (Functions of Security Council)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
- आक्रामकता को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाना।
- संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (Peacekeeping Missions) को मंजूरी देना।
- सैन्य कार्रवाई की अनुमति देना।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नियुक्ति की सिफारिश करना।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन की सिफारिश करना।
प्रश्न 17-22: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव (Secretary-General of United Nations)
महासचिव का महत्व (Importance of Secretary-General)
- महासचिव संयुक्त राष्ट्र का प्रशासनिक प्रमुख होता है।
- यह संगठन का प्रतिनिधित्व करता है और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर मध्यस्थता करता है।
महासचिव की भूमिका (Role of Secretary-General)
- संयुक्त राष्ट्र के दैनिक कार्यों का संचालन।
- सुरक्षा परिषद, महासभा, आर्थिक और सामाजिक परिषद की बैठकों का समन्वय।
- शांति प्रक्रिया में मध्यस्थता करना।
- मानवाधिकार और विकास कार्यों को बढ़ावा देना।
- राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों द्वारा विवादों का समाधान करना।
महासचिव की नियुक्ति (Appointment of Secretary-General)
- महासचिव को संयुक्त राष्ट्र महासभा नियुक्त करता है।
- सुरक्षा परिषद महासभा को उम्मीदवारों का नाम प्रस्तावित करता है।
- सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है।
महासचिव के अधिकार और शक्तियाँ (Powers and Rights of Secretary-General)
- महासचिव को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय विवादों में मध्यस्थता का अधिकार है।
- महासचिव संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रमुख अंगों की बैठकों में भाग ले सकते हैं।
- उन्हें विशेष राजनीतिक, कूटनीतिक और प्रशासनिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 25-27: वीटो पावर (Veto Power) और डबल वीटो (Double Veto)
वीटो (Veto) क्या है?
- सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित करने के लिए 9 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होता है।
- लेकिन, यदि कोई स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूके) किसी प्रस्ताव पर वीटो करता है, तो वह प्रस्ताव अस्वीकृत हो जाता है।
डबल वीटो (Double Veto) क्या है?
- डबल वीटो तब लागू होता है जब कोई स्थायी सदस्य किसी प्रस्ताव को केवल अस्वीकार ही नहीं करता, बल्कि प्रस्ताव को चर्चा के योग्य भी नहीं मानता।
वीटो पावर की आलोचना (Criticism of Veto Power)
- इससे सुरक्षा परिषद में शक्ति असमान रूप से स्थायी सदस्यों के पास चली जाती है।
- कई बार यह वैश्विक निर्णयों को रोकने का कारण बनती है।
वीटो पावर की उपयोगिता (Utility of Veto Power)
- इससे स्थायी सदस्य महत्वपूर्ण वैश्विक निर्णयों पर संतुलन बनाए रखते हैं।
- यह किसी भी देश पर एकतरफा प्रतिबंध लगाने से बचाता है।
प्रश्न 28: क्या संयुक्त राष्ट्र विश्व शांति बनाए रखने में असफल रहा है?
संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियाँ:
- शांति स्थापना अभियान (Peacekeeping Operations)
- परमाणु युद्ध को रोकने में योगदान
- मानवाधिकारों की रक्षा
- वैश्विक स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार
संयुक्त राष्ट्र की विफलताएँ:
- इराक, सीरिया, अफगानिस्तान में संघर्ष रोकने में असफलता
- सुरक्षा परिषद में वीटो पावर के कारण निर्णय लेने में बाधा
- आतंकवाद को रोकने में सीमित सफलता
संयुक्त राष्ट्र ने कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की है, लेकिन कई मामलों में यह प्रभावी ढंग से कार्य करने में असफल भी रहा है।
प्रश्न 29: संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन की प्रक्रिया (Amendment of UN Charter)
- प्रस्तावना (Proposal) – महासभा या सुरक्षा परिषद संशोधन प्रस्ताव पेश कर सकता है।
- स्वीकृति (Approval) – सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है।
- राष्ट्रों की पुष्टि (Ratification) – कम से कम दो-तिहाई सदस्य देशों को इसे अनुमोदित करना होता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की संरचना
परिचय:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र (UNO) का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जिसका मुख्य कार्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। इसे 1945 में स्थापित किया गया था।
सुरक्षा परिषद की संरचना (Composition of the Security Council)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं, जिन्हें दो भागों में विभाजित किया गया है:
1. स्थायी सदस्य (Permanent Members) – 5 देश
ये वे देश हैं, जिन्हें वीटो पावर प्राप्त है।
- अमेरिका (USA)
- रूस (Russia)
- चीन (China)
- फ्रांस (France)
- यूनाइटेड किंगडम (UK)
इन देशों के पास वीटो पावर (Veto Power) होती है, जिसका अर्थ है कि वे किसी भी प्रस्ताव को एकल रूप से रोक सकते हैं।
2. अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Members) – 10 देश
- ये सदस्य दो वर्षों के लिए चुने जाते हैं।
- इनका चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा किया जाता है।
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा जाता है:
- अफ्रीका – 3 देश
- एशिया-प्रशांत – 2 देश
- लैटिन अमेरिका और कैरिबियन – 2 देश
- पश्चिमी यूरोप और अन्य – 2 देश
- पूर्वी यूरोप – 1 देश
प्रश्न 16: सुरक्षा परिषद के कार्य (Functions of Security Council)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
- आक्रामकता को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाना।
- संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (Peacekeeping Missions) को मंजूरी देना।
- सैन्य कार्रवाई की अनुमति देना।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नियुक्ति की सिफारिश करना।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन की सिफारिश करना।
प्रश्न 17-22: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव (Secretary-General of United Nations)
महासचिव का महत्व (Importance of Secretary-General)
- महासचिव संयुक्त राष्ट्र का प्रशासनिक प्रमुख होता है।
- यह संगठन का प्रतिनिधित्व करता है और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर मध्यस्थता करता है।
महासचिव की भूमिका (Role of Secretary-General)
- संयुक्त राष्ट्र के दैनिक कार्यों का संचालन।
- सुरक्षा परिषद, महासभा, आर्थिक और सामाजिक परिषद की बैठकों का समन्वय।
- शांति प्रक्रिया में मध्यस्थता करना।
- मानवाधिकार और विकास कार्यों को बढ़ावा देना।
- राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों द्वारा विवादों का समाधान करना।
महासचिव की नियुक्ति (Appointment of Secretary-General)
- महासचिव को संयुक्त राष्ट्र महासभा नियुक्त करता है।
- सुरक्षा परिषद महासभा को उम्मीदवारों का नाम प्रस्तावित करता है।
- सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है।
महासचिव के अधिकार और शक्तियाँ (Powers and Rights of Secretary-General)
- महासचिव को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय विवादों में मध्यस्थता का अधिकार है।
- महासचिव संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रमुख अंगों की बैठकों में भाग ले सकते हैं।
- उन्हें विशेष राजनीतिक, कूटनीतिक और प्रशासनिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 25-27: वीटो पावर (Veto Power) और डबल वीटो (Double Veto)
वीटो (Veto) क्या है?
- सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित करने के लिए 9 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होता है।
- लेकिन, यदि कोई स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूके) किसी प्रस्ताव पर वीटो करता है, तो वह प्रस्ताव अस्वीकृत हो जाता है।
डबल वीटो (Double Veto) क्या है?
- डबल वीटो तब लागू होता है जब कोई स्थायी सदस्य किसी प्रस्ताव को केवल अस्वीकार ही नहीं करता, बल्कि प्रस्ताव को चर्चा के योग्य भी नहीं मानता।
वीटो पावर की आलोचना (Criticism of Veto Power)
- इससे सुरक्षा परिषद में शक्ति असमान रूप से स्थायी सदस्यों के पास चली जाती है।
- कई बार यह वैश्विक निर्णयों को रोकने का कारण बनती है।
वीटो पावर की उपयोगिता (Utility of Veto Power)
- इससे स्थायी सदस्य महत्वपूर्ण वैश्विक निर्णयों पर संतुलन बनाए रखते हैं।
- यह किसी भी देश पर एकतरफा प्रतिबंध लगाने से बचाता है।
प्रश्न 28: क्या संयुक्त राष्ट्र विश्व शांति बनाए रखने में असफल रहा है?
संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियाँ:
- शांति स्थापना अभियान (Peacekeeping Operations)
- परमाणु युद्ध को रोकने में योगदान
- मानवाधिकारों की रक्षा
- वैश्विक स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार
संयुक्त राष्ट्र की विफलताएँ:
- इराक, सीरिया, अफगानिस्तान में संघर्ष रोकने में असफलता
- सुरक्षा परिषद में वीटो पावर के कारण निर्णय लेने में बाधा
- आतंकवाद को रोकने में सीमित सफलता
संयुक्त राष्ट्र ने कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की है, लेकिन कई मामलों में यह प्रभावी ढंग से कार्य करने में असफल भी रहा है।
प्रश्न 29: संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन की प्रक्रिया (Amendment of UN Charter)
- प्रस्तावना (Proposal) – महासभा या सुरक्षा परिषद संशोधन प्रस्ताव पेश कर सकता है।
- स्वीकृति (Approval) – सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है।
- राष्ट्रों की पुष्टि (Ratification) – कम से कम दो-तिहाई सदस्य देशों को इसे अनुमोदित करना होता है।
प्रश्न 30: संयुक्त राष्ट्र और लीग ऑफ नेशंस में अंतर
संयुक्त राष्ट्र, लीग ऑफ नेशंस की तुलना में अधिक प्रभावी संगठन है, लेकिन इसमें भी सुधार की आवश्यकता बनी हुई है।
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) और लीग ऑफ नेशंस (League of Nations) दोनों का उद्देश्य वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखना था, लेकिन कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता के मामले में दोनों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं।
लीग ऑफ नेशंस की स्थापना 10 जनवरी 1920 को प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्साय संधि के तहत हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में था। इसके अधिकतम 63 सदस्य देश थे, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली प्रभावी नहीं थी। लीग ऑफ नेशंस के निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते थे, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो जाती थी। इस संगठन के पास कोई सैन्य शक्ति नहीं थी, जिससे यह आक्रामक राष्ट्रों को रोकने में असफल रहा। इसके पास वीटो पावर जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, और यह द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में पूरी तरह असफल रहा। अंततः, 1946 में इसे भंग कर दिया गया।
इसके विपरीत, संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 को हुई। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क, अमेरिका में है। वर्तमान में इसके लगभग 193 सदस्य देश हैं, जो इसे अधिक व्यापक और प्रभावी बनाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के निर्णय बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं, हालांकि सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्यों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम) को वीटो पावर प्राप्त है। इसके पास शांति स्थापना के लिए अपनी सेना (Peacekeeping Forces) भी है, जिससे यह विश्व शांति बनाए रखने में अधिक सक्षम बनता है।
संयुक्त राष्ट्र लीग ऑफ नेशंस की विफलताओं से सीख लेकर बना और अब तक वैश्विक शांति, सुरक्षा, विकास और मानवाधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, कई लोग सुरक्षा परिषद में सुधार और वीटो पावर के दुरुपयोग को रोकने की मांग कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) और लीग ऑफ नेशंस (League of Nations) की तुलना
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) और लीग ऑफ नेशंस (League of Nations) दोनों का उद्देश्य विश्व शांति बनाए रखना था, लेकिन कई कारकों के कारण लीग ऑफ नेशंस विफल रही और उसकी जगह UNO को अधिक प्रभावी रूप में स्थापित किया गया।
लीग ऑफ नेशंस की स्थापना 1920 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद हुई थी, लेकिन इसमें निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी थी क्योंकि सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते थे। इसके पास अपनी कोई सैन्य शक्ति नहीं थी और इसमें वीटो पावर जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे यह प्रभावी रूप से कार्य करने में असफल रहा। द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने में इसकी असफलता के कारण 1946 में इसे समाप्त कर दिया गया।
इसके विपरीत, संयुक्त राष्ट्र संगठन की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में हुई। इसमें वर्तमान में 193 सदस्य देश शामिल हैं, और यह अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए अधिक प्रभावी प्रणाली अपनाता है। सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्यों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम) को वीटो पावर प्राप्त है, जो इसे अधिक व्यावहारिक बनाता है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के पास शांति स्थापना बल (Peacekeeping Forces) भी हैं, जो संघर्ष क्षेत्रों में शांति बनाए रखने में सहायता करते हैं।
Q.31: क्या संयुक्त राष्ट्र प्रणाली लीग ऑफ नेशंस से बेहतर है?
संयुक्त राष्ट्र संगठन लीग ऑफ नेशंस से अधिक प्रभावी है क्योंकि:
- सदस्यता अधिक व्यापक है, जिससे इसकी वैधता बढ़ती है।
- सुरक्षा परिषद में वीटो पावर निर्णयों को संतुलित बनाती है, जबकि लीग ऑफ नेशंस में यह सुविधा नहीं थी।
- शांति सेना (Peacekeeping Forces) के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र संघर्ष समाधान में अधिक प्रभावी है।
- महासभा और अन्य अंगों की सक्रिय भूमिका वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देती है।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा कानूनी विवादों का निपटारा किया जाता है।
हालांकि, सुरक्षा परिषद में वीटो पावर का दुरुपयोग और निर्णय लेने में जटिलताएँ संयुक्त राष्ट्र की कुछ सीमाएँ हैं।
Q.32: संयुक्त राष्ट्र महासभा (General Assembly) का गठन, शक्तियाँ और कार्य
संरचना (Composition)
- महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश शामिल होते हैं।
- प्रत्येक देश को एक मत (One Vote) प्राप्त होता है।
- महासभा का अधिवेशन हर वर्ष सितंबर में होता है।
मुख्य कार्य (Main Functions)
- शांति और सुरक्षा के मामलों पर चर्चा करना
- संयुक्त राष्ट्र के बजट को अनुमोदित करना
- नए सदस्य देशों को शामिल करने की सिफारिश करना
- महासचिव और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति में भाग लेना
- अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना
महासभा की बढ़ती भूमिका (Expanding Role of General Assembly)
महासभा वैश्विक समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन, गरीबी उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और अंतरराष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
Q.33: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (Security Council) पर निबंध
सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली अंग है, जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। इसमें 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। स्थायी सदस्यों को वीटो पावर प्राप्त है, जिससे वे किसी भी प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकते हैं।
सुरक्षा परिषद के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- युद्ध और आक्रामकता को रोकना
- आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगाना
- संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को तैनात करना
- महासचिव की नियुक्ति की सिफारिश करना
हालांकि, वीटो पावर के कारण कई बार सुरक्षा परिषद के निर्णय विवादास्पद हो जाते हैं।
Q.34: आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) की संरचना और योगदान
संरचना (Composition)
- इसमें 54 सदस्य देश होते हैं, जो तीन वर्षों के लिए चुने जाते हैं।
- यह विभिन्न आर्थिक और सामाजिक एजेंसियों के कार्यों का समन्वय करता है।
योगदान (Contribution)
- विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन
- शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार
- महिला सशक्तिकरण और मानवाधिकारों की रक्षा
- संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को लागू करना
Q.35: न्यास परिषद (Trusteeship Council) का गठन, शक्तियाँ और कार्य
न्यास परिषद उन क्षेत्रों की देखरेख के लिए बनाई गई थी, जो उपनिवेशवाद से स्वतंत्र हो रहे थे। हालांकि, 1994 में पलाऊ (Palau) की स्वतंत्रता के बाद इसकी भूमिका समाप्त हो गई और अब यह निष्क्रिय है।
Q.36: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की संरचना और न्यायिक क्षेत्राधिकार
संरचना (Composition)
- न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं, जो 9 वर्षों के लिए चुने जाते हैं।
- इनका चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा किया जाता है।
न्यायिक क्षेत्राधिकार (Jurisdiction)
- देशों के बीच कानूनी विवादों को हल करना
- संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद को कानूनी परामर्श देना
ICJ के निर्णयों की बाध्यता (Binding Nature of Decisions)
- इसके निर्णय केवल उन देशों पर बाध्यकारी होते हैं, जिन्होंने इसकी न्यायिक प्रक्रिया को स्वीकार किया हो।
- हालांकि, सुरक्षा परिषद इसके निर्णयों को लागू करने में मदद कर सकता है।
ICJ का योगदान (Contribution to International Law)
ICJ ने कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय कानून के विकास में मदद मिली है।
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र संगठन ने लीग ऑफ नेशंस की विफलताओं से सबक लेते हुए एक अधिक प्रभावी प्रणाली अपनाई है। महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, न्यायालय और महासचिव जैसे अंगों के माध्यम से यह वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि यह संगठन और अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सके।
अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की भूमिका और योगदान
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice – ICJ) संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है, जिसे अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए स्थापित किया गया है। इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में स्थित है।
ICJ की भूमिका और योगदान:
- राज्यों के बीच विवादों का समाधान: ICJ केवल संप्रभु देशों के बीच विवादों की सुनवाई करता है और उन पर कानूनी निर्णय देता है।
- कानूनी परामर्श (Advisory Opinion): यह संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद और अन्य एजेंसियों को कानूनी सलाह देता है।
- अंतरराष्ट्रीय कानून का विकास: इसके निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून को स्पष्ट और विकसित करने में मदद करते हैं।
- विश्व शांति में योगदान: शांतिपूर्ण समाधान के माध्यम से यह युद्धों और संघर्षों को रोकने में सहायता करता है।
- पर्यावरण और मानवाधिकार मामलों में योगदान: पर्यावरणीय विवादों और मानवाधिकारों से जुड़े मामलों में भी इसका योगदान महत्वपूर्ण है।
ICJ की अनिवार्य न्यायिक क्षेत्राधिकार (Compulsory Jurisdiction):
ICJ के पास अनिवार्य न्यायिक क्षेत्राधिकार तभी होता है जब:
- दोनों पक्ष विवाद को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने पर सहमत हों।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर या किसी अंतरराष्ट्रीय संधि में ICJ का अधिकार स्वीकार किया गया हो।
- एक पक्ष पहले से ICJ के अधिकार को मान्यता दे चुका हो और दूसरा पक्ष इसका उल्लंघन कर रहा हो।
हालांकि, कई देश ICJ के निर्णयों का पालन नहीं करते, क्योंकि इसके पास निर्णयों को लागू कराने की कोई प्रभावी शक्ति नहीं होती।
Q.38(a): अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (International Criminal Court – ICC) का क्षेत्राधिकार
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) 2002 में स्थापित किया गया था और यह चार प्रमुख अपराधों की सुनवाई करता है:
- जनसंहार (Genocide): किसी जातीय, धार्मिक, राष्ट्रीय या अन्य समूह को नष्ट करने का प्रयास।
- मानवता के विरुद्ध अपराध (Crimes Against Humanity): बड़े पैमाने पर हत्या, यातना, बलात्कार आदि।
- युद्ध अपराध (War Crimes): युद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन।
- आक्रामकता का अपराध (Crime of Aggression): किसी देश द्वारा अवैध रूप से सैन्य बल का प्रयोग।
ICC का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है, लेकिन यह केवल उन देशों पर अधिकार रखता है, जिन्होंने इसके अधिकार को मान्यता दी है।
Q.38(b):
(A) संयुक्त राष्ट्र चार्टर, 1945 का अनुच्छेद 104 (Article 104 of UN Charter, 1945)
अनुच्छेद 104 संयुक्त राष्ट्र को अपने कार्यों को प्रभावी रूप से करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी व्यक्तित्व (Legal Personality) प्रदान करता है। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र को अपने सदस्य देशों में स्वतंत्र रूप से कानूनी कार्य करने, संपत्ति रखने और समझौते करने की शक्ति मिलती है।
(B) क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन (Regional International Organisations)
ये वे संगठन होते हैं, जो किसी विशेष क्षेत्र (जैसे यूरोप, एशिया, अफ्रीका) के देशों को एकजुट करके आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ाते हैं। प्रमुख क्षेत्रीय संगठनों में यूरोपीय संघ (EU), अफ्रीकी संघ (AU), आसियान (ASEAN), और सार्क (SAARC) शामिल हैं।
Q.39: अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के विभिन्न तरीके
अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, राज्यों को अपने विवादों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल करना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जाते हैं:
- वार्ता (Negotiation): दो या अधिक देशों के बीच सीधी बातचीत द्वारा समाधान निकालना।
- मध्यस्थता (Mediation): एक तटस्थ तीसरे पक्ष द्वारा समाधान निकालने में मदद करना।
- सुलह (Conciliation): एक स्वतंत्र आयोग द्वारा विवाद की जांच और सिफारिशें देना।
- अन्यायाधिकरण (Arbitration): दोनों पक्षों की सहमति से एक तटस्थ न्यायाधिकरण द्वारा निर्णय लेना।
- न्यायिक समाधान (Judicial Settlement): अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में कानूनी विवादों का निपटारा।
क्या शांतिपूर्ण समाधान प्रभावी रहे हैं?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से हुआ है, लेकिन कुछ मामलों में ये तरीके विफल भी हुए हैं। यदि शांतिपूर्ण समाधान विफल हो जाता है, तो कुछ देश बल प्रयोग करने लगते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बन सकता है।
क्या देश केवल शांतिपूर्ण तरीकों से विवाद हल करने के लिए बाध्य हैं?
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, सभी सदस्य देश अपने विवादों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, यदि शांतिपूर्ण तरीके विफल होते हैं और कोई देश आक्रामकता करता है, तो सुरक्षा परिषद सैन्य कार्रवाई को अधिकृत कर सकता है।
निष्कर्ष:
शांतिपूर्ण समाधान न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून का हिस्सा है, बल्कि यह विश्व शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। हालांकि, प्रभावी कार्यान्वयन और सभी देशों की भागीदारी के बिना, ये समाधान हमेशा सफल नहीं होते।
अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान के शांतिपूर्ण तरीके (Peaceful Methods of Settlement of International Disputes)
अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए विभिन्न विधियां अपनाई जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, सभी सदस्य देशों को अपने विवादों का समाधान बिना बल प्रयोग के करना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं:
- वार्ता (Negotiation): संबंधित देश आपसी बातचीत के माध्यम से विवाद का हल निकालते हैं।
- मध्यस्थता (Mediation): किसी तटस्थ देश या संगठन द्वारा विवाद समाधान में मदद की जाती है।
- सुलह (Conciliation): एक स्वतंत्र आयोग द्वारा सिफारिशें दी जाती हैं, जिन्हें पक्षकार मान सकते हैं या अस्वीकार कर सकते हैं।
- अन्यायाधिकरण (Arbitration): विवाद को हल करने के लिए एक तटस्थ ट्रिब्यूनल का गठन किया जाता है।
- न्यायिक समाधान (Judicial Settlement): अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के माध्यम से विवादों का कानूनी समाधान किया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (Security Council): गंभीर मामलों में सुरक्षा परिषद निर्णय ले सकती है और शांति बनाए रखने के लिए कदम उठा सकती है।
इन तरीकों ने कई अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करने में मदद की है, लेकिन कुछ मामलों में वे प्रभावी नहीं रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान के दंडात्मक तरीके (Coercive Methods of Settlement of International Disputes)
जब शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों का समाधान संभव नहीं होता, तो कुछ कठोर (coercive) उपाय अपनाए जाते हैं:
- राजनयिक प्रतिबंध (Diplomatic Sanctions): किसी देश के साथ कूटनीतिक संबंध खत्म करना।
- आर्थिक प्रतिबंध (Economic Sanctions): किसी देश पर व्यापारिक और वित्तीय पाबंदियां लगाना।
- सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध (UN Sanctions): संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा किसी देश पर विशेष प्रतिबंध लगाना।
- सैन्य हस्तक्षेप (Military Intervention): किसी देश के आक्रामक रवैये को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र या अन्य देशों द्वारा सैन्य कार्रवाई करना।
- प्रतिरोध का अधिकार (Right to Retaliation): अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत, यदि कोई देश हमले का शिकार होता है, तो उसे आत्मरक्षा का अधिकार प्राप्त होता है।
हालांकि, ये उपाय विवादों को हल करने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन कई बार ये नए संघर्षों को जन्म भी दे सकते हैं।
Q.41: निरस्त्रीकरण (Disarmament) और संयुक्त राष्ट्र का प्रयास
संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निरस्त्रीकरण से संबंधित प्रावधान
संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखना है, और इसके तहत निरस्त्रीकरण एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रमुख प्रावधान:
- अनुच्छेद 1(1): अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए हथियारों की संख्या को कम करने की दिशा में कार्य करना।
- अनुच्छेद 11: महासभा को निरस्त्रीकरण से जुड़े मामलों पर चर्चा करने और सिफारिशें देने का अधिकार।
- अनुच्छेद 26: सुरक्षा परिषद को हथियार नियंत्रण की योजना बनाने की जिम्मेदारी।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए प्रयास:
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT) – 1968: परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए।
- जैविक हथियार संधि (BWC) – 1972: जैविक हथियारों पर प्रतिबंध।
- रासायनिक हथियार संधि (CWC) – 1993: रासायनिक हथियारों के निर्माण और उपयोग पर रोक।
- परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) – 1996: परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने के लिए।
संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण प्रयासों के बावजूद, कई देश अब भी हथियारों की होड़ में लगे हुए हैं, जिससे वैश्विक शांति के लिए चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
Q.42: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के उद्देश्य और कार्य
उद्देश्य (Objectives):
- श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा।
- कार्यस्थल पर सुरक्षित और स्वस्थ माहौल सुनिश्चित करना।
- बाल श्रम और जबरन श्रम को समाप्त करना।
- सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देना।
कार्य (Functions):
- अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का निर्धारण।
- सदस्य देशों को श्रम सुधारों में सहायता प्रदान करना।
- श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच विवादों को हल करना।
- श्रम से जुड़े आंकड़ों और रिपोर्टों को प्रकाशित करना।
ILO ने श्रमिकों की स्थिति सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह संयुक्त राष्ट्र की पहली विशेष एजेंसी थी।
Q.43: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC)
SAARC (South Asian Association for Regional Cooperation) की स्थापना 1985 में हुई थी। इसके सदस्य देश हैं: भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, भूटान और अफगानिस्तान।
महत्व (Importance):
- आर्थिक सहयोग: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना।
- सामाजिक विकास: गरीबी उन्मूलन और शिक्षा को बढ़ावा देना।
- सांस्कृतिक सहयोग: सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
- आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सहायता।
हालांकि, राजनीतिक मतभेदों के कारण SAARC की प्रभावशीलता सीमित रही है।
Q.44: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का परिचय
WHO (World Health Organization) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1948 में हुई थी।
मुख्य कार्य:
- वैश्विक स्वास्थ्य मानकों को निर्धारित करना।
- संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों की रोकथाम।
- टीकाकरण अभियान चलाना।
- कोविड-19 जैसी महामारियों से निपटने में सहायता।
WHO ने पोलियो उन्मूलन और मलेरिया नियंत्रण जैसी कई स्वास्थ्य परियोजनाओं में योगदान दिया है।
Q.45: (i) विश्व बैंक (World Bank) और (ii) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
- विश्व बैंक (World Bank):
- विकासशील देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
- बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य परियोजनाओं में निवेश करता है।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF):
- वैश्विक वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
- आर्थिक संकट का सामना कर रहे देशों को ऋण प्रदान करता है।
Q.46: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)
UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) का उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के माध्यम से शांति को बढ़ावा देना है।
मुख्य कार्य:
- वैश्विक शिक्षा प्रणाली का विकास।
- संस्कृति और धरोहर संरक्षण।
- वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना।
Q.47: विश्व व्यापार संगठन (WTO) की संरचना और कार्य
WTO (World Trade Organization) अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने वाली एक वैश्विक संस्था है।
मुख्य कार्य:
- व्यापार नियमों का निर्माण और क्रियान्वयन।
- व्यापार विवादों को सुलझाना।
- व्यापार को उदार बनाने के लिए समझौतों को लागू करना।
WTO वैश्विक व्यापार को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसके फैसलों की निष्पक्षता पर सवाल उठते रहे हैं।
निष्कर्ष:
अंतरराष्ट्रीय संगठन वैश्विक शांति, सुरक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य और श्रम कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इनके प्रभावी कार्यान्वयन और सुधार की आवश्यकता बनी हुई है।
Q. 47 (b): खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agricultural Organization – FAO) पर संक्षिप्त टिप्पणी
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख एजेंसी है, जिसकी स्थापना 16 अक्टूबर 1945 को की गई थी। इसका मुख्यालय रोम, इटली में स्थित है।
उद्देश्य (Objectives)
- भूख और कुपोषण को समाप्त करना।
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी के सतत विकास को बढ़ावा देना।
- कृषि नीति और अनुसंधान में सहयोग करना।
मुख्य कार्य (Functions)
- कृषि उत्पादन में वृद्धि करना: उन्नत तकनीकों और संसाधनों का उपयोग कर खेती को अधिक उत्पादक बनाना।
- खाद्य संकट प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं और संघर्षों के समय खाद्य सहायता प्रदान करना।
- जलवायु परिवर्तन से निपटना: सतत कृषि विकास के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना।
- कृषि क्षेत्र में निवेश: विकासशील देशों में कृषि सुधार हेतु वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
FAO ने ‘जीरो हंगर’ (Zero Hunger) लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किए हैं। यह संगठन सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals – SDGs) में योगदान देता है।
Q. 48: अंतरराष्ट्रीय संगठनों की कानूनी क्षमता की सीमा और विस्तार पर चर्चा
परिचय
अंतरराष्ट्रीय संगठनों की कानूनी स्थिति (Legal Capacity) का निर्धारण उनके संविधान, चार्टर या संधियों के आधार पर किया जाता है।
कानूनी क्षमता की सीमा और विस्तार (Extent and Scope of Legal Capacity)
- स्वतंत्र कानूनी व्यक्तित्व (Legal Personality): अधिकांश अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सीमित या पूर्ण कानूनी व्यक्तित्व प्राप्त होता है, जिससे वे संधियाँ कर सकते हैं और संपत्ति रख सकते हैं।
- संधि बनाने की क्षमता (Capacity to Enter Treaties): कई अंतरराष्ट्रीय संगठन, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, अन्य राज्यों और संगठनों के साथ संधियाँ कर सकते हैं।
- न्यायिक अधिकार (Judicial Capacity): अंतरराष्ट्रीय संगठन मुकदमे दायर कर सकते हैं और उनके खिलाफ भी मुकदमे दायर किए जा सकते हैं।
- वित्तीय स्वायत्तता (Financial Autonomy): अंतरराष्ट्रीय संगठन अपने बजट और वित्तीय संसाधनों का स्वतंत्र रूप से प्रबंधन कर सकते हैं।
- कर्मचारियों की नियुक्ति और प्रशासनिक अधिकार: वे अपने कर्मचारियों की नियुक्ति, वेतन संरचना और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।
सीमाएं (Limitations)
- अंतरराष्ट्रीय संगठन संप्रभु राज्य नहीं होते, इसलिए उनकी कानूनी शक्ति सीमित होती है।
- कुछ मामलों में, संगठन को मेजबान देश के कानूनों का पालन करना पड़ता है।
- संगठन की कानूनी शक्ति उन संधियों और चार्टर तक ही सीमित होती है, जिनके तहत उनकी स्थापना हुई है।
निष्कर्ष: अंतरराष्ट्रीय संगठनों की कानूनी क्षमता का विस्तार उनकी संधियों और चार्टर पर निर्भर करता है। हालांकि, उनकी कार्यप्रणाली प्रभावी बनाने के लिए स्पष्ट कानूनी ढांचे की आवश्यकता होती है।
Q. 49: अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मिलने वाले विशेषाधिकार और छूट तथा उनकी कानूनी स्थिति
परिचय
अंतरराष्ट्रीय संगठन स्वतंत्र इकाइयाँ होते हैं और उन्हें विशेषाधिकार (Privileges) एवं छूट (Immunities) प्राप्त होती हैं ताकि वे अपने कार्यों को स्वतंत्र रूप से संचालित कर सकें।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मिलने वाले विशेषाधिकार और छूट
- न्यायिक छूट (Judicial Immunity): अंतरराष्ट्रीय संगठनों को किसी भी सदस्य देश की अदालत में मुकदमे से छूट प्राप्त होती है।
- कूटनीतिक विशेषाधिकार (Diplomatic Privileges): संयुक्त राष्ट्र और उसके एजेंसियों के अधिकारियों को कूटनीतिक अधिकारियों के समान विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं।
- कर छूट (Tax Exemption): संगठन को विभिन्न प्रकार के करों से मुक्त रखा जाता है, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बनी रहती है।
- संपत्ति और संपत्ति कर से छूट (Property and Asset Immunity): अंतरराष्ट्रीय संगठनों की संपत्तियाँ जब्त नहीं की जा सकतीं।
- संचार और गोपनीयता अधिकार: संगठनों की संचार प्रणाली गोपनीय होती है और इसे कोई भी सदस्य देश बाधित नहीं कर सकता।
- स्वतंत्र यात्रा अधिकार (Freedom of Movement): संगठन के अधिकारी बिना किसी पाबंदी के अपने कार्यों के लिए यात्रा कर सकते हैं।
कानूनी आधार (Legal Basis)
- संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (Convention on the Privileges and Immunities of the United Nations, 1946): यह संयुक्त राष्ट्र और इसकी एजेंसियों को विभिन्न विशेषाधिकार और छूट प्रदान करता है।
- अंतरराष्ट्रीय संधियाँ: कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए विशेषाधिकार अलग-अलग संधियों के माध्यम से तय किए जाते हैं।
- मेजबान देश समझौता (Host Country Agreement): जिन देशों में अंतरराष्ट्रीय संगठनों का मुख्यालय स्थित होता है, वे उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करते हैं।
सीमाएं (Limitations)
- कुछ देशों में ये विशेषाधिकार सीमित हो सकते हैं, विशेष रूप से जब संगठन किसी देश की संप्रभुता से टकराते हैं।
- यदि कोई संगठन अपने विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करता है, तो इन छूटों पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
- कर्मचारियों से जुड़े कानूनी मामलों में न्यायिक छूट एक विवादास्पद विषय बन सकता है।
निष्कर्ष:
अंतरराष्ट्रीय संगठनों को दिए गए विशेषाधिकार और छूट उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सहायता करते हैं। हालांकि, इन विशेषाधिकारों का संतुलित उपयोग और पारदर्शिता आवश्यक है ताकि उनका दुरुपयोग न हो।