Intellectual Property Law (“बौद्धिक संपदा कानून”) part -2

51. बौद्धिक संपदा कानून में ‘नॉलेज ट्रांसफर’ का महत्व क्या है?
‘नॉलेज ट्रांसफर’ का तात्पर्य होता है – शोध, नवाचार और तकनीक को प्रयोग में लाने हेतु विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों के बीच जानकारी का आदान-प्रदान। बौद्धिक संपदा कानून इस प्रक्रिया को सुरक्षित और नियंत्रित करता है। जब कोई संस्थान पेटेंट या लाइसेंस के माध्यम से किसी तकनीक को उद्योग को हस्तांतरित करता है, तो न केवल उसे आर्थिक लाभ मिलता है बल्कि नवाचार समाज तक पहुंचता है। इससे शिक्षा और व्यवसाय के बीच पुल बनता है।


52. बौद्धिक संपदा के संदर्भ में ‘Know-how’ क्या होता है?
‘Know-how’ किसी तकनीकी या व्यावसायिक प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी होती है, जो दस्तावेज़ों में नहीं बल्कि अनुभव में निहित होती है। यह तकनीक, उत्पादन विधि, फार्मूला, गुणवत्ता नियंत्रण आदि से संबंधित हो सकती है। इसे अक्सर गोपनीयता अनुबंध (NDA) के माध्यम से संरक्षित किया जाता है। ‘Know-how’ व्यापार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देता है और इसकी चोरी गंभीर कानूनी अपराध मानी जाती है।


53. बौद्धिक संपदा से सम्बंधित अंतरराष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है?
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस (World Intellectual Property Day) प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य नवाचार, सृजनात्मकता और बौद्धिक संपदा के प्रति वैश्विक जागरूकता फैलाना है। यह दिन WIPO द्वारा घोषित किया गया और पहली बार 2000 में मनाया गया। इस दिन विभिन्न संगोष्ठियाँ, प्रतियोगिताएँ और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


54. GI पंजीकरण से किसानों और कारीगरों को क्या लाभ होता है?
GI पंजीकरण से किसानों और कारीगरों को उनकी पारंपरिक और क्षेत्रीय उत्पादों की पहचान मिलती है। इससे नकली उत्पादों से बचाव होता है और बाज़ार में अधिक कीमत प्राप्त होती है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करता है और पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करता है। उदाहरण: महेश्वरी साड़ी, कंधमाल हल्दी। GI उत्पादों का निर्यात भी बढ़ता है जिससे वैश्विक पहचान मिलती है।


55. WIPO का क्या कार्य है?
WIPO (World Intellectual Property Organization) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था है जो वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रचार-प्रसार और सहयोग के लिए कार्य करती है। यह विभिन्न देशों को IPR नीतियाँ बनाने, पंजीकरण प्रणाली विकसित करने, प्रशिक्षण, विवाद समाधान और संधियों के क्रियान्वयन में सहायता प्रदान करती है। इसकी सदस्यता भारत सहित 190+ देशों के पास है।


56. पेटेंट और कॉपीराइट में प्रमुख अंतर
| बिंदु | पेटेंट | कॉपीराइट |
|——-|——–|———–|
| क्षेत्र | वैज्ञानिक/तकनीकी | साहित्यिक/कलात्मक |
| वैधता | 20 वर्ष | रचनाकार की मृत्यु + 60 वर्ष |
| पंजीकरण | अनिवार्य | वैकल्पिक |
| अधिकार | निर्माण, उपयोग, लाइसेंस | प्रकाशन, प्रदर्शन, अनुवाद |

दोनों का उद्देश्य सृजनकर्ता को कानूनी संरक्षण देना है।


57. बौद्धिक संपदा में ‘मोरल राइट्स’ क्या हैं?
‘मोरल राइट्स’ कॉपीराइट का एक महत्वपूर्ण भाग हैं जो रचनाकार को यह अधिकार देते हैं कि उनकी रचना के साथ उनका नाम जुड़ा रहे और उसे बिना अनुमति विकृत न किया जाए। भारत में कॉपीराइट अधिनियम की धारा 57 में यह अधिकार दिया गया है। उदाहरण: किसी लेखक की कहानी को बदलकर प्रकाशित करना, बिना नाम के – यह उनके नैतिक अधिकार का उल्लंघन है।


58. डिज़ाइन पंजीकरण और पेटेंट में अंतर
डिज़ाइन पंजीकरण वस्तु की बाहरी संरचना को संरक्षित करता है, जबकि पेटेंट उसके कार्य या तकनीक को।

  • डिज़ाइन की वैधता 10+5 वर्ष है, जबकि पेटेंट की 20 वर्ष।
  • डिज़ाइन सौंदर्यशास्त्र पर आधारित है, पेटेंट नवाचार पर।
    उदाहरण: मोबाइल की बाहरी आकृति डिज़ाइन में आती है, उसका प्रोसेसर पेटेंट में।

59. ‘पासिंग ऑफ’ सिद्धांत क्या है?
‘Passing Off’ एक कानूनी सिद्धांत है जो ट्रेडमार्क कानून के अंतर्गत आता है। जब कोई व्यक्ति किसी प्रसिद्ध ब्रांड जैसा दिखने वाला नाम, लोगो या पैकेजिंग बनाकर उपभोक्ताओं को भ्रमित करता है और उस ब्रांड की प्रतिष्ठा का अनुचित लाभ उठाता है, तो यह ‘Passing Off’ कहलाता है। पीड़ित पक्ष अदालत में कार्रवाई कर सकता है और नकली उत्पाद को बंद करवा सकता है।


60. पेटेंट अधिकारों का अंतरराष्ट्रीय संरक्षण कैसे होता है?
पेटेंट क्षेत्रीय अधिकार होते हैं, अर्थात प्रत्येक देश में अलग पंजीकरण आवश्यक होता है। लेकिन Patent Cooperation Treaty (PCT) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय आवेदन दायर करके विभिन्न देशों में पेटेंट हेतु प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। यह प्रक्रिया समय, खर्च और श्रम को कम करती है। PCT भारत सहित 150+ देशों में मान्य है और WIPO इसकी निगरानी करता है।


61. सॉफ्टवेयर का कानूनी संरक्षण कैसे होता है?
भारत में सॉफ्टवेयर को कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत साहित्यिक कृति के रूप में संरक्षित किया जाता है। इसके अंतर्गत स्रोत कोड, इंटरफेस, दस्तावेज आदि शामिल होते हैं। यदि सॉफ्टवेयर किसी विशेष तकनीकी प्रक्रिया से जुड़ा हो, तो कुछ मामलों में पेटेंट भी संभव है। सॉफ्टवेयर लाइसेंस (जैसे GPL, MIT) भी कानूनी अधिकारों को नियंत्रित करते हैं।


62. बौद्धिक संपदा कानून में ‘डोमेन नेम’ की भूमिका
डोमेन नेम इंटरनेट पर किसी कंपनी या ब्रांड की पहचान होती है। इसे भी ट्रेडमार्क की तरह संरक्षित किया जा सकता है। अगर कोई प्रसिद्ध ब्रांड के नाम से मिलता-जुलता डोमेन ले लेता है, तो यह ‘साइबर स्क्वैटिंग’ कहलाता है। भारत में यह विवाद IT अधिनियम और ट्रेडमार्क अधिनियम के अंतर्गत सुलझाया जाता है। डोमेन नेम आज डिजिटल व्यापार की संपत्ति बन चुके हैं।


63. ‘कंपल्सरी लाइसेंसिंग’ क्या होती है?
कंपल्सरी लाइसेंसिंग वह व्यवस्था है जिसमें सरकार किसी उत्पाद, जैसे दवा, के सार्वजनिक हित में उपयोग हेतु तीसरे पक्ष को बिना पेटेंटधारी की अनुमति के उत्पादन की अनुमति देती है। भारत में पेटेंट अधिनियम की धारा 84-92 इसके अंतर्गत आती है। यह व्यवस्था तब लागू होती है जब आवश्यक वस्तु महंगी या अनुपलब्ध हो। इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य और आपूर्ति संतुलन बनाए रखना है।


64. कॉपीराइट में ‘फर्स्ट ओनरशिप’ सिद्धांत क्या है?
कॉपीराइट में ‘प्रथम स्वामित्व’ का सिद्धांत यह कहता है कि किसी रचना का पहला स्वामी उसका रचनाकार होता है। लेकिन यदि वह रचना किसी कंपनी या नियोक्ता के लिए नौकरी के दौरान बनाई गई है, तो स्वामी नियोक्ता होगा। यह सिद्धांत कॉपीराइट के अधिकारों की मूलभूत स्थिति स्पष्ट करता है और विवादों को रोकता है।


65. बौद्धिक संपदा संरक्षण और मेक इन इंडिया अभियान का संबंध
‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत भारत में नवाचार, निर्माण और स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए IPR का संरक्षित और प्रभावी ढांचा जरूरी है। बौद्धिक संपदा संरक्षण नवाचार को सुरक्षा और आर्थिक मूल्य देता है, जिससे विदेशी निवेश आता है। पेटेंट और ट्रेडमार्क पंजीकरण में सुधार और आसान प्रक्रिया से मेक इन इंडिया को मजबूती मिलती है।


66. साउंड ट्रेडमार्क (Sound Trademark) क्या होता है?
साउंड ट्रेडमार्क किसी उत्पाद या सेवा की पहचान के लिए विशेष ध्वनि या जिंगल होती है। जब कोई ध्वनि उपभोक्ताओं को किसी ब्रांड की याद दिलाती है, तब वह साउंड ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत की जा सकती है। उदाहरण: नोकिया की ट्यून, आईसीआईसीआई बैंक की जिंगल। भारत में यह ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 के तहत पंजीकृत होता है। इसे संगीत फ़ाइल और संगीत की स्क्रिप्ट के रूप में सबमिट किया जाता है।


67. ट्रेड सीक्रेट (Trade Secret) क्या है और इसका संरक्षण कैसे होता है?
ट्रेड सीक्रेट वह गोपनीय जानकारी है जो किसी व्यापार को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देती है, जैसे – फार्मूला, ग्राहक सूची, निर्माण प्रक्रिया आदि। भारत में इसका कोई विशिष्ट कानून नहीं है, परंतु कॉन्ट्रैक्ट लॉ, गोपनीयता समझौते (NDA) और न्यायिक निर्णयों के माध्यम से संरक्षण संभव है। Coca-Cola का फार्मूला एक प्रसिद्ध ट्रेड सीक्रेट का उदाहरण है।


68. बौद्धिक संपदा और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) का संबंध
CSR के अंतर्गत कंपनियाँ सामाजिक हित के लिए कार्य करती हैं। बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में CSR गतिविधियाँ जैसे – नवाचार को बढ़ावा देना, छोटे उद्योगों को IP जागरूकता देना, स्थानीय GI उत्पादों को सहयोग देना आदि CSR के तहत किया जा सकता है। इससे ब्रांड की छवि सुधरती है और सामाजिक-आर्थिक विकास होता है।


69. अंतरराष्ट्रीय कॉपीराइट संधियाँ कौन-कौन सी हैं?

  1. बर्न कन्वेंशन (1886): साहित्यिक व कलात्मक रचनाओं की रक्षा हेतु।
  2. TRIPS Agreement: WTO के अंतर्गत सभी प्रकार की बौद्धिक संपदा को शामिल करता है।
  3. WIPO Copyright Treaty: डिजिटल कॉपीराइट संरक्षण हेतु।
    भारत इन संधियों का सदस्य है और इनके अनुरूप अपने कानून लागू करता है।

70. पेटेंट की पूर्वता (Priority) का सिद्धांत क्या है?
पेटेंट की पूर्वता का सिद्धांत बताता है कि किसका पेटेंट पहले माना जाएगा यदि दो आवेदकों का एक जैसा आविष्कार हो। सामान्यतः जो पहले आवेदन करता है उसे प्राथमिकता मिलती है। यदि किसी देश में पहले आवेदन किया गया है और बाद में PCT या अन्य देश में किया गया, तो पहले की तारीख को प्राथमिकता मिलती है। यह नवाचार को सुरक्षित करने में सहायक होता है।


71. बौद्धिक संपदा और ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म का संबंध
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart पर बिकने वाले उत्पादों की ब्रांड पहचान और डिजिटल संपत्ति भी IPR द्वारा संरक्षित होती है। अगर नकली उत्पाद बेचे जाते हैं, तो IP धारक उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर ब्रांड को विशेष सुरक्षा, हटा देने की मांग और क्षतिपूर्ति का अधिकार होता है। यह उपभोक्ताओं के हित की रक्षा भी करता है।


72. पेटेंट की ‘क्लेम’ (Claim) क्या होती है?
क्लेम पेटेंट दस्तावेज़ का वह हिस्सा होता है जिसमें आविष्कार के दायरे को परिभाषित किया जाता है। यह स्पष्ट करता है कि आविष्कार में क्या नया है और किस हिस्से पर अधिकार मांगा गया है। क्लेम जितनी स्पष्ट, विशिष्ट और मजबूत होगी, पेटेंट उतना ही प्रभावी होगा। क्लेम से यह निर्धारित होता है कि उल्लंघन हुआ है या नहीं।


73. कॉपीराइट के तहत ‘ड्रैमेटिक वर्क’ की परिभाषा क्या है?
ड्रैमेटिक वर्क का अर्थ है – नाटक, नृत्य, पटकथा, स्क्रिप्ट, संवाद आदि। इसके तहत रचना की संरचना, दृश्य, क्रियाएँ और उनके प्रस्तुतीकरण को संरक्षित किया जाता है। लेखक को अधिकार होता है कि वह उसका प्रदर्शन, अनुवाद, रूपांतरण और फिल्मांकन करे या कराए। नाट्य लेखक और निर्देशकों के लिए यह विशेष महत्व रखता है।


74. GI टैग की वैधता और नवीकरण प्रक्रिया क्या है?
GI टैग की वैधता 10 वर्षों की होती है। इसके बाद हर 10 वर्षों के लिए इसे अनिश्चितकाल तक नवीकृत किया जा सकता है। नवीकरण हेतु GI धारक को आवेदन देना होता है और शुल्क जमा करना होता है। यदि समय पर नवीकरण नहीं किया गया, तो पंजीकरण रद्द हो सकता है। नवीकरण से उत्पाद की प्रतिष्ठा और अधिकार संरक्षित रहते हैं।


75. साइबर स्पेस में बौद्धिक संपदा का उल्लंघन कैसे होता है?
साइबर स्पेस में IPR उल्लंघन के उदाहरण हैं –

  • बिना अनुमति डिजिटल सामग्री का उपयोग
  • वेबसाइट का कॉपी किया गया डिज़ाइन
  • ई-पुस्तकों का पायरेटेड वितरण
  • ब्रांड नाम से मिलते-जुलते डोमेन लेना
    ऐसे मामलों में IT Act, 2000 और IPR कानून दोनों लागू होते हैं। डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ सख्त कानूनी प्रवर्तन ज़रूरी हो गया है।

76. बौद्धिक संपदा कानून में ‘नॉवेल्टी’ का क्या अर्थ है?
नॉवेल्टी का अर्थ है – पूर्ण नवीनता। यानी आविष्कार या रचना पूर्व में कहीं भी प्रकाशित, उपयोग या ज्ञात नहीं होनी चाहिए। यदि कोई जानकारी पहले से पब्लिक डोमेन में है, तो वह पेटेंट योग्य नहीं है। नॉवेल्टी पेटेंट, डिज़ाइन, और GI में अनिवार्य शर्त है। इसके निर्धारण के लिए ‘प्री-पब्लिकेशन सर्च’ किया जाता है।


77. बौद्धिक संपदा और प्रतिस्पर्धा कानून का संबंध
जहाँ बौद्धिक संपदा धारकों को विशेष अधिकार मिलते हैं, वहीं प्रतिस्पर्धा कानून यह सुनिश्चित करता है कि वे इन अधिकारों का दुरुपयोग न करें। यदि कोई कंपनी IPR का उपयोग कर बाजार में एकाधिकार स्थापित करती है और उपभोक्ताओं को हानि पहुंचाती है, तो CCI (Competition Commission of India) कार्रवाई कर सकता है। दोनों कानूनों के बीच संतुलन आवश्यक है।


78. लाइसेंसिंग और फ्रेंचाइज़िंग में अंतर बताइए।
| बिंदु | लाइसेंसिंग | फ्रेंचाइज़िंग |
|——–|————-|—————-|
| उद्देश्य | IPR का उपयोग | पूरे व्यवसाय मॉडल का विस्तार |
| नियंत्रण | कम | अधिक |
| शुल्क | रॉयल्टी | फ्रेंचाइज़ फीस + रॉयल्टी |
| उदाहरण | सॉफ़्टवेयर लाइसेंस | मैकडॉनल्ड्स फ्रेंचाइज़ी |


79. डिज़ाइन के रजिस्ट्रेशन हेतु क्या शर्तें होती हैं?

  1. डिज़ाइन नया और मौलिक हो।
  2. सार्वजनिक डोमेन में पहले से न हो।
  3. दृश्य के आधार पर आकर्षक हो।
  4. कार्य नहीं, केवल आकार/रूप की सुरक्षा मिले।
    भारत में डिज़ाइन अधिनियम, 2000 के तहत रजिस्ट्रेशन किया जाता है।

80. भारत में GI टैग के प्रसिद्ध उदाहरण

  1. दार्जीलिंग चाय (पश्चिम बंगाल)
  2. बनारसी साड़ी (उत्तर प्रदेश)
  3. कांचीपुरम साड़ी (तमिलनाडु)
  4. अल्फांसो आम (महाराष्ट्र)
  5. कड़कनाथ मुर्गा (मध्य प्रदेश)
    इनसे न केवल क्षेत्रीय पहचान मिलती है, बल्कि किसानों और कारीगरों को आर्थिक लाभ भी होता है।

81. बौद्धिक संपदा में सामूहिक अधिकार क्या हैं?
जब किसी संस्था, समूह या समुदाय द्वारा कोई रचना, पहचान या नवाचार विकसित किया गया हो, तो वह सामूहिक अधिकार कहलाता है। उदाहरण: आदिवासी कला, पारंपरिक औषधियाँ, लोकगीत आदि। भारत में GI और पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) के माध्यम से इन अधिकारों की रक्षा की जाती है।


82. WIPO की भूमिका डिजिटल बौद्धिक संपदा में
WIPO डिजिटल युग में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा हेतु कई पहल करता है –

  • डिजिटल कॉपीराइट संधि (WCT)
  • ऑनलाइन विवाद समाधान सेवा
  • डिजिटल रजिस्ट्री प्रणाली
    यह डिजिटल मीडिया, ऑनलाइन सॉफ्टवेयर और ई-कंटेंट की वैश्विक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

83. बौद्धिक संपदा अधिकारों का अर्थशास्त्र पर प्रभाव
IPR नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देते हैं, जिससे उद्योग, व्यापार और निवेश में वृद्धि होती है। इससे रोजगार, निर्यात, और टैक्स राजस्व में इजाफा होता है। विश्व बैंक और WIPO के अनुसार, मजबूत IPR नीति से GDP में सकारात्मक वृद्धि देखी जाती है। यह राष्ट्रीय विकास का एक स्तंभ बन चुका है।


84. भारत में IPR शिक्षा की स्थिति
वर्तमान में भारत के कई विश्वविद्यालयों और लॉ स्कूलों में IPR पर विशेष पाठ्यक्रम, सर्टिफिकेट कोर्स और रिसर्च सेंटर स्थापित हैं। NLU, IIT, IIM जैसे संस्थानों में IPR केंद्रित अध्ययन बढ़ रहा है। सरकार भी स्कूल और कॉलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चला रही है, जिससे नवाचार को प्रारंभिक स्तर से बढ़ावा मिले।


85. बौद्धिक संपदा में ‘डबल पंजीकरण’ की स्थिति क्या है?
यदि किसी उत्पाद/रचना को दो या अधिक IPR के अंतर्गत पंजीकृत किया जा सकता है, तो उसे डबल पंजीकरण कहते हैं। उदाहरण: एक नया मोबाइल डिज़ाइन – डिज़ाइन पंजीकरण के साथ-साथ पेटेंट भी। या कोई ब्रांड – ट्रेडमार्क और कॉपीराइट दोनों से संरक्षित हो सकता है। यह मिश्रित संरक्षण देता है और उल्लंघन से अधिक सुरक्षा मिलती है।


86. बौद्धिक संपदा कानून और आत्मनिर्भर भारत (AatmaNirbhar Bharat)
आत्मनिर्भर भारत अभियान में IPR की प्रमुख भूमिका है। नवाचार, स्टार्टअप, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम IPR पर आधारित हैं। सरकार ने पेटेंट और ट्रेडमार्क आवेदन प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और सुलभ बनाया है। IPR नीति से भारत वैश्विक नवाचार मानचित्र में स्थान बना रहा है, जिससे आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।


86. बौद्धिक संपदा अधिकार और नवाचार में संबंध
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नवाचार को कानूनी संरक्षण प्रदान करते हैं, जिससे आविष्कारक और रचनाकार अपने कार्य से आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकें। पेटेंट, कॉपीराइट, डिज़ाइन, और ट्रेडमार्क जैसे अधिकार सृजन को सुरक्षित करते हैं और नवाचार को प्रोत्साहन देते हैं। IPR के कारण व्यक्ति या संस्थाएं नवाचार करने के लिए प्रेरित होती हैं क्योंकि उन्हें भविष्य में लाभ और अधिकार सुनिश्चित होते हैं।


87. भारत में IP बौद्धिक संपदा नीति, 2016 के प्रमुख उद्देश्य
भारत सरकार ने 2016 में एक व्यापक राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा नीति अपनाई। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं –

  1. IPR जागरूकता बढ़ाना
  2. नवीनता को प्रोत्साहित करना
  3. पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना
  4. प्रवर्तन को सशक्त बनाना
  5. वाणिज्यिकरण को बढ़ावा देना
  6. मानव संसाधन विकास
    यह नीति ‘Creative India, Innovative India’ के दृष्टिकोण को साकार करती है।

88. बौद्धिक संपदा में ‘इंडस्ट्रियल डिज़ाइन’ का क्या महत्व है?
इंडस्ट्रियल डिज़ाइन का संबंध उत्पाद के सौंदर्यशास्त्रीय स्वरूप से होता है, जैसे – आकार, आकृति, पैटर्न, रंग संयोजन आदि। यह उपभोक्ताओं को आकर्षित करता है और बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाता है। भारत में डिज़ाइन अधिनियम, 2000 के अंतर्गत इसे पंजीकृत किया जाता है। यह अधिकार 10 वर्ष के लिए वैध होता है जिसे 5 वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है।


89. पेटेंट आवेदन की अस्वीकृति के क्या कारण हो सकते हैं?
पेटेंट आवेदन अस्वीकृत हो सकता है यदि –

  1. आविष्कार में नवीनता न हो
  2. वह स्पष्ट न हो
  3. वह नैतिक या सार्वजनिक नीति के विरुद्ध हो
  4. उसमें पूर्ण विवरण न हो
  5. वह पेटेंट योग्य विषयवस्तु न हो
    इन कारणों से पेटेंट कार्यालय आवेदन को नामंज़ूर कर सकता है।

90. पारंपरिक ज्ञान और बौद्धिक संपदा संरक्षण
भारत का पारंपरिक ज्ञान – जैसे आयुर्वेद, योग, औषधीय पौधे – विश्वभर में प्रसिद्ध है। लेकिन इसके दुरुपयोग और गलत पेटेंट को रोकने के लिए भारत ने Traditional Knowledge Digital Library (TKDL) बनाई है। यह एक विशाल डेटाबेस है, जिसमें पारंपरिक ज्ञान का वैज्ञानिक रूप से दस्तावेजीकरण किया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय पेटेंट कार्यालयों को गलत पेटेंट रोकने में मदद करता है।


91. संगीत रचना का कॉपीराइट संरक्षण कैसे होता है?
संगीत रचना जैसे गीत, धुन, ताल आदि कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत संरक्षित होती है। इसमें दो प्रकार के अधिकार होते हैं –

  1. संगीतकार का अधिकार (Musical Work)
  2. रिकार्डिंग/साउंड प्रोड्यूसर का अधिकार (Sound Recording)
    रचनाकार को प्रदर्शन, रिकॉर्डिंग, अनुवाद, वितरण आदि का विशेषाधिकार प्राप्त होता है। उल्लंघन की स्थिति में सिविल और आपराधिक कार्रवाई संभव है।

92. भारत में ट्रेडमार्क कानून के तहत रंग और गंध का संरक्षण
सैद्धांतिक रूप से भारत में रंग संयोजन और गंध को भी ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है, बशर्ते वह पहचान योग्य, स्थायी और विशिष्ट हो। हालांकि गंध का पंजीकरण तकनीकी रूप से कठिन होता है क्योंकि उसकी ग्राफिकल प्रस्तुति मुश्किल होती है। रंगों का संयोजन यदि विशिष्ट ब्रांड पहचान बनाता है, तो वह संरक्षित हो सकता है।


93. बौद्धिक संपदा और स्टार्टअप इंडिया योजना का संबंध
स्टार्टअप इंडिया योजना के अंतर्गत सरकार नवाचार और बौद्धिक संपदा को बढ़ावा देने हेतु कई कदम उठा रही है –

  1. IPR पंजीकरण हेतु रियायती शुल्क
  2. तेज़-प्रक्रिया (fast track)
  3. विशेषज्ञ IPR सलाहकार
  4. अवलोकन शुल्क में 80% छूट
    इससे नवोद्यमियों को अपने विचारों को सुरक्षित करने में सुविधा मिलती है और प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलती है।

94. कॉपीराइट में ‘सार्वजनिक प्रदर्शन’ का क्या अर्थ है?
सार्वजनिक प्रदर्शन का तात्पर्य है – किसी रचना को किसी समूह या जनसमूह के सामने प्रस्तुत करना, जैसे – नाटक, संगीत, फिल्म आदि। रचनाकार के पास यह विशेष अधिकार होता है कि वह सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति दे या रोके। बिना अनुमति किया गया प्रदर्शन उल्लंघन माना जाएगा, चाहे वह टिकट लेकर हो या निःशुल्क।


95. भारत में GI टैग प्रदान करने की प्रक्रिया
GI टैग के लिए आवेदन GI रजिस्ट्री, चेन्नई में किया जाता है। इसमें उत्पाद की विशेषता, भौगोलिक क्षेत्र, परंपरा और प्रमाण सहित विस्तृत दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं। तकनीकी जांच, विज्ञापन और आपत्तियों के निस्तारण के बाद पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। इसकी वैधता 10 वर्ष होती है।


96. ‘IP Valuation’ क्या होता है और इसका महत्व
IP Valuation का अर्थ है – बौद्धिक संपदा की आर्थिक मूल्यांकन प्रक्रिया। इसका उपयोग निवेश, ऋण, विलय, लाइसेंसिंग और टैक्सेशन जैसे मामलों में होता है। ट्रेडमार्क, पेटेंट, डिज़ाइन आदि का मूल्य उनकी आय उत्पन्न करने की क्षमता, बाजार मूल्य और प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति पर आधारित होता है। IP अब कंपनियों की ‘अदृश्य संपत्ति’ के रूप में माना जाता है।


97. ओपन सोर्स लाइसेंस और कॉपीराइट का संबंध
ओपन सोर्स लाइसेंस कॉपीराइट कानून के अंतर्गत ही आते हैं, परंतु वे उपयोगकर्ता को सॉफ्टवेयर के उपयोग, संशोधन और वितरण की अनुमति कुछ शर्तों के साथ देते हैं। उदाहरण: GNU General Public License (GPL), MIT License। कॉपीराइट रचनाकार को अधिकार देता है, और ओपन सोर्स में वह इन अधिकारों को साझा करता है।


98. GI उत्पादों के लिए प्रमाणीकरण लोगो का महत्व
प्रमाणीकरण लोगो उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद वास्तव में GI पंजीकृत है और उसी क्षेत्र का है। यह नकली उत्पादों से बचाता है, ब्रांड पहचान को मजबूत करता है और किसानों/कारीगरों को बाज़ार में बेहतर मूल्य दिलाने में सहायक होता है। भारत सरकार ने GI टैग वाले उत्पादों के लिए विशिष्ट लोगो भी विकसित किया है।


99. पेटेंट और व्यापार रहस्य (Trade Secret) में चयन कैसे करें?
यदि आविष्कार को सार्वजनिक करना संभव और अनिवार्य है, तो पेटेंट उपयुक्त है। यदि तकनीक को गोपनीय रखना ज़रूरी हो और उसका दीर्घकालीन लाभ हो, तो ट्रेड सीक्रेट बेहतर विकल्प है। उदाहरण: Coca-Cola ने अपनी रेसिपी को पेटेंट न करवाकर ट्रेड सीक्रेट रखा है, जिससे वह अनिश्चितकाल तक संरक्षित है।


100. भविष्य में बौद्धिक संपदा कानून की चुनौतियाँ
डिजिटल युग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी, मेटावर्स जैसे क्षेत्रों के कारण IPR कानूनों में नए प्रकार की चुनौतियाँ आ रही हैं –

  • AI द्वारा रचित सामग्री का अधिकार किसके पास होगा?
  • डिजिटल संपत्ति और NFT का IPR कैसे होगा?
  • वैश्विक प्रवर्तन कैसे सुनिश्चित हो?
    इन प्रश्नों के समाधान हेतु सतत सुधार और वैश्विक सहयोग आवश्यक है।