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General Clauses Act, 1897: A Study in the Form of Bare Act

General Clauses Act, 1897: A Study in the Form of Bare Act

भारतीय विधि व्यवस्था में General Clauses Act, 1897 (सामान्य धाराएँ अधिनियम, 1897) का विशेष महत्व है। इसे अंग्रेज़ी में Interpretation Act भी कहा जाता है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी अधिनियम, अधिसूचना, नियम, विनियम आदि में प्रयुक्त शब्दों और वाक्यों की व्याख्या करना है। जब संसद या राज्य विधानमंडल कोई नया कानून बनाता है, तो उस कानून में प्रयुक्त परिभाषाओं, शब्दों और सामान्य प्रक्रियाओं के अर्थ स्पष्ट करने के लिए इस अधिनियम का सहारा लिया जाता है। इसे विधान की शब्दावली का मानक कानून भी कहा जाता है।


1. अधिनियम की प्रस्तावना (Preamble)

General Clauses Act, 1897 का उद्देश्य यह है कि भारत में लागू सभी अधिनियमों, नियमों और आदेशों की व्याख्या हेतु एक समान नियम उपलब्ध हो। इस अधिनियम के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि हर बार किसी कानून में एक ही परिभाषा बार-बार न दी जाए, बल्कि सामान्य शब्दों के लिए एक स्थायी नियम हो।


2. प्रयोजन (Object and Purpose of the Act)

  • प्रत्येक अधिनियम या नियम की भाषा को एकसमान अर्थ देना।
  • विधि में प्रयुक्त सामान्य शब्दों और वाक्यों की परिभाषा तय करना।
  • व्याख्या से संबंधित विवादों का निवारण करना।
  • कानून की भाषा को संक्षिप्त और स्पष्ट बनाना।

3. विस्तार (Extent and Application)

  • यह अधिनियम संपूर्ण भारत पर लागू है।
  • इसे 11 मार्च 1897 से लागू किया गया।
  • यह सभी केंद्रीय अधिनियमों और नियमों की व्याख्या पर लागू होता है, जब तक कि किसी अधिनियम में विशेष रूप से इसका अपवाद न किया गया हो।

4. परिभाषाएँ (Definitions under the Act)

General Clauses Act की धारा 3 में अनेक शब्दों की परिभाषाएँ दी गई हैं। ये परिभाषाएँ अन्य सभी कानूनों में लागू होती हैं।

प्रमुख परिभाषाएँ:

  • “abet” – किसी अपराध में उकसाना, सहायता करना या साजिश करना।
  • “act” – संसद या विधायिका द्वारा पारित किया गया कोई भी अधिनियम।
  • “affidavit” – शपथपत्र।
  • “India” – भारत का भौगोलिक क्षेत्र।
  • “immovable property” – भूमि, भवन, विरासत, लाभांश या कोई स्थायी संपत्ति।
  • “movable property” – चल संपत्ति।
  • “month” – ग्रेगोरियन कैलेंडर का महीना।
  • “oath” – शपथ या प्रतिज्ञान।
  • “person” – व्यक्ति में प्राकृतिक व्यक्ति, कंपनी, संघ, संस्था आदि शामिल।
  • “section” – किसी अधिनियम की धारा।
  • “will” – वसीयतनामा।
  • “writing” – किसी भी रूप में लिखित, प्रिंटेड या टाइप किया हुआ।

5. सामान्य नियम (General Rules of Construction)

General Clauses Act विभिन्न सामान्य सिद्धांत प्रदान करता है, जैसे—

(i) Gender and Number (धारा 13)

  • किसी भी अधिनियम में पुल्लिंग शब्द में स्त्रीलिंग भी शामिल होगा।
  • एकवचन शब्द में बहुवचन भी शामिल होगा और इसके विपरीत भी।

(ii) Commencement and Termination (धारा 5)

  • कोई अधिनियम यदि दिनांक निर्दिष्ट करता है तो वही तिथि उसके लागू होने की होगी।
  • यदि तिथि निर्दिष्ट नहीं है तो वह अधिनियम प्रकाशन की तिथि से लागू माना जाएगा।

(iii) Powers to be Exercised (धारा 14–19)

  • यदि किसी प्राधिकारी को कोई शक्ति प्रदान की गई है तो उसे वह शक्ति बार-बार प्रयोग करने का अधिकार होगा।
  • यदि किसी पद पर नियुक्ति करने की शक्ति है तो हटाने की शक्ति भी उसी में निहित होगी।
  • यदि कोई नियम, अधिसूचना या आदेश जारी करने की शक्ति है तो उसमें उसे संशोधित, परिवर्तित या रद्द करने की शक्ति भी सम्मिलित होगी।

(iv) Time Computation (धारा 9)

  • समय की गणना करते समय पहला दिन बाहर रखा जाएगा और अंतिम दिन सम्मिलित होगा।
  • यदि अंतिम दिन सरकारी अवकाश है तो अगले कार्य दिवस को अंतिम दिन माना जाएगा।

(v) Distance (धारा 11)

  • दूरी की गणना सीधी रेखा में की जाएगी, न कि रास्ते की लंबाई से।

6. Repeal और उसका प्रभाव (Repeal and its Effect)

General Clauses Act की धारा 6 यह प्रावधान करती है कि—

  • यदि कोई अधिनियम निरस्त (Repeal) किया जाता है, तो—
    1. उस अधिनियम के अंतर्गत की गई कार्रवाइयाँ प्रभावित नहीं होंगी।
    2. उस अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त अधिकार और दायित्व सुरक्षित रहेंगे।
    3. दंडनीय अपराधों की कार्यवाही चालू रह सकती है।
    4. पुराने अधिनियम के तहत बने नियम तब तक लागू रहेंगे जब तक नए नियम न बनाए जाएँ।

7. Delegated Legislation और General Clauses Act

इस अधिनियम का एक महत्वपूर्ण कार्य यह है कि जब संसद या राज्य विधानमंडल किसी अधिनियम में नियम बनाने की शक्ति कार्यपालिका को सौंपता है, तो उसकी व्याख्या में यह अधिनियम सहायक होता है।


8. न्यायालयों की व्याख्या (Judicial Interpretation)

भारतीय न्यायालयों ने अनेक मामलों में General Clauses Act की धाराओं का प्रयोग किया है।

  • केस कानून:
    • Chief Inspector of Mines v. Karam Chand Thapar (AIR 1961 SC 838) – धारा 6 के अंतर्गत Repeal के प्रभाव को स्पष्ट किया गया।
    • State of Punjab v. Harnek Singh (2002) – नियुक्ति और हटाने की शक्ति पर धारा 16 लागू हुई।

9. अधिनियम का महत्व (Importance of the Act)

  • यह सभी अधिनियमों का आधारभूत व्याख्या अधिनियम है।
  • यह कानूनों को सरल और संक्षिप्त बनाता है।
  • यह बार-बार परिभाषा लिखने की आवश्यकता समाप्त करता है।
  • यह न्यायालयों को कानून की एकसमान व्याख्या करने में मदद करता है।

10. निष्कर्ष (Conclusion)

सामान्य धाराएँ अधिनियम, 1897 भारतीय विधि व्यवस्था का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अधिनियम है। इसके बिना किसी भी अधिनियम की व्याख्या में अस्पष्टता बनी रहती। इसने विधायिका और न्यायपालिका दोनों के कार्यों को सरल बनाया है और विधि भाषा को निश्चित स्वरूप प्रदान किया है।

अतः, General Clauses Act, 1897 को Indian Legislative Dictionary कहा जा सकता है, क्योंकि यह भारत के संपूर्ण विधिक ढाँचे में व्याख्या का एक स्थायी और सार्वभौमिक नियम प्रदान करता है।


General Clauses Act, 1897 – Important Q&A 

Q.1. सामान्य धाराएँ अधिनियम, 1897 की पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर चर्चा कीजिए।

Ans. यह अधिनियम 11 मार्च 1897 को लागू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य विधियों, नियमों और सरकारी दस्तावेजों की व्याख्या हेतु सामान्य नियम स्थापित करना है। यह विभिन्न कानूनों में बार-बार प्रयोग होने वाले शब्दों और वाक्यों की परिभाषाएँ देता है और व्याख्या में एकरूपता लाता है।


Q.2. General Clauses Act, 1897 की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

Ans.

  1. यह सभी केंद्रीय अधिनियमों और नियमों पर लागू होता है।
  2. बार-बार प्रयोग होने वाले शब्दों को परिभाषित करता है।
  3. विधायिका की मंशा स्पष्ट करता है।
  4. अस्पष्ट प्रावधानों की व्याख्या करता है।
  5. कानूनों के निरसन, पुनरुद्धार और संशोधन के नियम बताता है।

Q.3. General Clauses Act, 1897 के क्षेत्र और प्रयोजन की व्याख्या कीजिए।

Ans. यह अधिनियम संपूर्ण भारत में लागू है। इसका प्रयोजन है:

  • सभी अधिनियमों और नियमों की एकसमान व्याख्या करना।
  • सामान्य शब्दों के अर्थ स्पष्ट करना।
  • कानूनों के लागू होने और निरसन से जुड़े सिद्धांत निर्धारित करना।

Q.4. General Clauses Act, 1897 के अंतर्गत “Central Act” और “Central Government” की परिभाषा दीजिए।

Ans.

  • Central Act – संसद द्वारा पारित और राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त कानून।
  • Central Government – भारत का राष्ट्रपति और उसकी ओर से कार्य करने वाला कार्यपालिका तंत्र।

Q.5. General Clauses Act, 1897 में दिए गए व्याख्या संबंधी नियमों का महत्व स्पष्ट कीजिए।

Ans. व्याख्या संबंधी नियम कानूनों में निहित शब्दों और प्रावधानों का सही अर्थ निकालने हेतु बनाए गए हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि:

  • कोई अस्पष्टता न रहे।
  • समान शब्दों का समान अर्थ हो।
  • न्यायालय विधायिका की मंशा के अनुसार निर्णय दे सके।

Q.6. General Clauses Act, 1897 के अंतर्गत अधिकारों और शक्तियों के प्रयोग की व्याख्या कीजिए।

Ans. अधिनियम कहता है कि जब कोई शक्ति या अधिकार किसी प्राधिकारी को दिया गया है तो:

  • उसे बार-बार प्रयोग किया जा सकता है।
  • उससे संबंधित सहायक शक्तियाँ भी निहित मानी जाएँगी।
  • उसका प्रयोग उचित उद्देश्य और सीमा में ही किया जाएगा।

Q.7. General Clauses Act, 1897 में “Commencement” और “Repeal” के सिद्धांत समझाइए।

Ans.

  • Commencement – कोई अधिनियम राष्ट्रपति की स्वीकृति की तिथि से लागू होता है, जब तक उसमें अन्यथा न कहा गया हो।
  • Repeal – किसी अधिनियम का निरसन होने पर भी उसके अंतर्गत हुई कार्यवाही, अधिकार और दायित्व यथावत रहते हैं।

Q.8. General Clauses Act, 1897 में निरसन (Repeal) और पुनरुद्धार (Re-enactment) के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।

Ans.

  • निरसन से पूर्व हुए कार्य और दायित्व अप्रभावित रहते हैं।
  • नया अधिनियम लागू होने पर पहले से निरस्त कानून की व्याख्या नए कानून की भावना के अनुसार की जाएगी।
  • पुनरुद्धार होने पर निरस्त प्रावधान फिर से लागू हो जाते हैं।

Q.9. General Clauses Act, 1897 में दंडात्मक प्रावधानों की व्याख्या कैसे की जाती है?

Ans. अधिनियम के अनुसार यदि कोई अपराध लगातार किया जाता है, तो प्रत्येक दिन को अलग अपराध माना जाएगा और दंडानुसार दायित्व निर्धारित होगा। यह प्रावधान अपराधों की रोकथाम हेतु है।


Q.10. General Clauses Act, 1897 की न्यायिक मान्यता और महत्व का विश्लेषण कीजिए।

Ans. न्यायालयों ने बार-बार इस अधिनियम का उपयोग विधियों की व्याख्या करते समय किया है। यह अधिनियम कानूनों में स्पष्टता, एकरूपता और निश्चितता प्रदान करता है। यह भारतीय विधि-व्यवस्था का मूलभूत सहायक अधिनियम है।