Family Law -II (Mohammaden Law) short answer

1. मुस्लिम व्यक्तिगत कानून क्या है?
मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (Muslim Personal Law) उन नियमों का समूह है जो मुसलमानों के विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, मेहर, भरण-पोषण आदि मामलों में लागू होते हैं। यह कुरान, हदीस, इजमा और कियास पर आधारित होता है। भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 के अंतर्गत इसका संचालन होता है।


2. मुस्लिम विवाह (निकाह) की प्रकृति क्या है?
मुस्लिम विवाह एक धार्मिक अनुबंध है, न कि संस्कार। यह दो विपरीत लिंग के व्यक्तियों के बीच वैध यौन संबंध और संतति की वैधता स्थापित करता है। इसमें प्रस्ताव (Ijab) और स्वीकार (Qubul), दो गवाहों की उपस्थिति, तथा मेहर की व्यवस्था अनिवार्य होती है।


3. मेहर क्या होता है?
मेहर वह राशि या संपत्ति है जो पति द्वारा विवाह के समय या उसके बाद पत्नी को दी जाती है। यह विवाह का अनिवार्य तत्व है और पत्नी का कानूनी अधिकार होता है। यह तुरंत (prompt) या विलंबित (deferred) हो सकता है। तलाक या मृत्यु की स्थिति में भी यह देय रहता है।


4. मुस्लिम विवाह की शर्तें क्या हैं?
मुस्लिम विवाह हेतु निम्न शर्तें आवश्यक हैं: (1) प्रस्ताव और स्वीकार (Ijab-Qubul), (2) दोनों पक्षों की सहमति, (3) दो गवाहों की उपस्थिति (पुरुष), (4) दोनों का मुस्लिम होना, (5) मेहर की निश्चितता, (6) पक्षकारों की वैध उम्र और योग्य होना।


5. फासिद विवाह क्या होता है?
फासिद विवाह वह होता है जो कुछ दोषों के कारण अनियमित (irregular) होता है लेकिन प्रतिबंधित नहीं। जैसे बिना गवाहों के, एक से अधिक स्त्रियों से विवाह जिनमें संबंध निषिद्ध नहीं, इद्दत अवधि में विवाह आदि। यह सुधार के बाद वैध हो सकता है।


6. निकाह-ए-बातिल क्या है?
निकाह-ए-बातिल वह विवाह होता है जो पूर्णतः अवैध होता है, जैसे रक्त संबंधी विवाह, पति की पांचवीं पत्नी, धर्मांतरण के बिना किसी गैर-मुस्लिम से विवाह। ऐसे विवाह से कोई वैवाहिक अधिकार नहीं उत्पन्न होते।


7. निकाह-ए-सहीह किसे कहते हैं?
निकाह-ए-सहीह वैध विवाह है जो सभी शर्तों और औपचारिकताओं को पूरा करता है। इससे पति-पत्नी के वैवाहिक अधिकार और उत्तराधिकार के अधिकार उत्पन्न होते हैं। इसके परिणामस्वरूप संतान वैध मानी जाती है।


8. मुत्आ विवाह क्या होता है?
मुत्आ विवाह एक अस्थायी विवाह होता है, जिसे केवल शिया मुसलमान मान्यता देते हैं। इसमें एक निश्चित समय और मेहर तय होता है। निर्धारित समय के बाद यह विवाह स्वतः समाप्त हो जाता है।


9. तलाक की परिभाषा क्या है?
तलाक मुस्लिम पुरुष द्वारा वैवाहिक संबंध को समाप्त करने की विधि है। यह एकपक्षीय हो सकता है, जैसे तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-बिद्दत, या न्यायिक/सम्मिलित रूप से भी हो सकता है।


10. तलाक-ए-अहसन क्या है?
यह तलाक का सबसे मान्य और अनुशंसित रूप है, जिसमें पति पत्नी को पवित्र अवधि में एक बार तलाक देता है और इद्दत अवधि में सहवास नहीं करता। यदि इद्दत पूरी होने तक पति ने रजामंदी नहीं दी, तो तलाक प्रभावी हो जाता है।


11. तलाक-ए-बिद्दत क्या है?
यह तलाक का तत्काल प्रभाव वाला रूप है, जिसमें पति एक बार में तीन बार “तलाक” कहकर विवाह समाप्त कर देता है। यह सुन्नी मुसलमानों में प्रचलित था, लेकिन अब भारत में यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है।


12. तलाक-ए-तफवीज क्या है?
यह वह स्थिति है जब पति तलाक का अधिकार अपनी पत्नी को सौंप देता है। यदि पत्नी वह अधिकार प्रयोग करे, तो विवाह समाप्त हो सकता है। यह अधिकार मेहर अनुबंध या विवाह के समय दिया जा सकता है।


13. खुला तलाक क्या है?
खुला वह तलाक है जो पत्नी की मांग पर होता है, जब वह मेहर या अन्य संपत्ति त्याग कर पति से तलाक चाहती है। इसमें पति की सहमति आवश्यक होती है। यह एक प्रकार का आपसी समझौता होता है।


14. मुबारात क्या है?
मुबारात में दोनों पक्ष तलाक के लिए सहमत होते हैं। यह तलाक आपसी सहमति से होता है, जहाँ दोनों एक-दूसरे से अलग होना चाहते हैं। इसमें दोनों पक्षों का तलाक हेतु सहमत होना आवश्यक है।


15. इद्दत अवधि क्या होती है?
इद्दत वह अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि है जो तलाक या पति की मृत्यु के बाद पत्नी को पुनर्विवाह से पहले निभानी होती है। तलाक में यह तीन मासिक धर्म और मृत्यु में चार महीने दस दिन होती है। गर्भवती महिला के लिए बच्चे के जन्म तक।


16. हाला संबंध क्या होता है?
हाला संबंध ऐसे वैवाहिक संबंध होते हैं जो स्थायी रूप से निषिद्ध होते हैं, जैसे माता-पिता, भाई-बहन, मौसी, बुआ आदि से विवाह। इनसे विवाह शरीयत में पूर्णतः वर्जित है।


17. मुस्लिम विधवा की विवाह स्थिति क्या होती है?
मुस्लिम विधवा इद्दत अवधि पूरी होने के बाद पुनः विवाह कर सकती है। विधवा की इद्दत अवधि पति की मृत्यु के बाद चार महीने दस दिन होती है, और यदि गर्भवती हो तो प्रसव तक।


18. दायित्व के लिए मुसलमानों की विवाह आयु क्या है?
भारतीय कानून के अनुसार मुस्लिम लड़की की विवाह योग्य आयु 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष है। लेकिन शरीयत के अनुसार, विवाह बालिग होने पर यानी यौन परिपक्वता पर वैध हो जाता है।


19. नफ्का (Maintenance) क्या है?
नफ्का वह भरण-पोषण है जो पति अपनी पत्नी, छोटे बच्चों और यदि आवश्यक हो तो माता-पिता को देता है। पत्नी को केवल वैध विवाह की स्थिति में ही नफ्का प्राप्त होता है। तलाक के बाद इद्दत तक नफ्का देय होता है।


20. विरासत में पुत्र और पुत्री का हिस्सा क्या होता है?
इस्लामी उत्तराधिकार कानून के अनुसार पुत्र को पुत्री से दोगुना हिस्सा मिलता है। यदि एक पुत्र और एक पुत्री हो, तो पुत्र को 2/3 और पुत्री को 1/3 हिस्सा मिलता है।


21. इज्मा (Ijma) क्या है?
इज्मा का अर्थ है—इस्लामी विद्वानों का किसी धार्मिक या वैधानिक मुद्दे पर सर्वसम्मत मत। जब कुरान और हदीस में किसी विषय पर स्पष्ट उत्तर न हो, तब इज्मा एक स्रोत के रूप में काम करता है। इसे तीसरा प्रमुख स्रोत माना जाता है।


22. कियास (Qiyas) क्या है?
कियास इस्लामी न्यायशास्त्र में तर्कपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया है। इसमें किसी पूर्व निर्धारित मामले के आधार पर समान स्थिति में निर्णय लिया जाता है। यह चतुर्थ स्रोत है जब कुरान, हदीस और इज्मा मौन हों।


23. मुसलमानों के चार प्रमुख फिरके कौन से हैं?
इस्लाम में चार प्रमुख सुन्नी फिरके हैं—हनाफ़ी, मालिकी, शाफ़ई और हम्बली। इनके अतिरिक्त शिया मुसलमानों में इमामिया और इस्माइली प्रमुख माने जाते हैं।


24. शरीयत क्या है?
शरीयत इस्लामी जीवनशैली का संहिता है, जो कुरान, हदीस, इज्मा और कियास पर आधारित है। यह मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक, नैतिक और कानूनी नियमों को नियंत्रित करती है।


25. मुत्तलिका स्त्री को नफ्का का अधिकार कब तक होता है?
तलाकशुदा (मुत्तलिका) महिला को तलाक के बाद सिर्फ इद्दत अवधि तक नफ्का (maintenance) मिलता है। शाह बानो केस में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे विस्तारित किया था, जिसे बाद में मुस्लिम महिला (विवाह विघटन अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 1986 से सीमित कर दिया गया।


26. इद्दत के दौरान स्त्री के अधिकार क्या हैं?
इद्दत अवधि में महिला को पति द्वारा निवास और भरण-पोषण का अधिकार प्राप्त होता है। उसे घर से नहीं निकाला जा सकता। यह अवधि समाप्त होने पर पुनर्विवाह किया जा सकता है।


27. हलाला विवाह क्या होता है?
जब पति ने तीन तलाक दे दिया हो और वह पुनः अपनी पत्नी से विवाह करना चाहता हो, तो पहले उस महिला को किसी अन्य पुरुष से विवाह कर तलाक लेना और इद्दत पूरी करना आवश्यक होता है। इसे हलाला कहा जाता है।


28. मुस्लिम स्त्री को तलाक का अधिकार कैसे प्राप्त होता है?
मुस्लिम स्त्री को तलाक का अधिकार तलाक-ए-तफवीज, खुला, लिआन (झूठा आरोप), फास्ख (न्यायिक विघटन), या अनुबंध द्वारा मिल सकता है। इसके लिए वह काजी या कोर्ट की सहायता भी ले सकती है।


29. लिआन क्या है?
जब पति अपनी पत्नी पर व्यभिचार (adultery) का झूठा आरोप लगाता है और उसे प्रमाणित नहीं कर पाता, तब पत्नी न्यायालय में ‘लिआन’ के आधार पर तलाक प्राप्त कर सकती है।


30. फास्ख-ए-निकाह क्या है?
फास्ख वह न्यायिक तलाक है जो अदालत द्वारा दिया जाता है, यदि पति क्रूरता करे, नफ्का न दे, लापता हो, या किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो। यह Dissolution of Muslim Marriage Act, 1939 के अंतर्गत होता है।


31. मुसलमानों में गोद लेने की मान्यता क्या है?
इस्लाम में विधिवत गोद लेना (adoption) मान्य नहीं है। बच्चा गोद लेने पर भी जैविक माता-पिता के ही वारिस होते हैं। ऐसे बच्चे को ‘पालित’ माना जाता है, लेकिन वह गोद लेने वाले की संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं बनता।


32. इस्लाम में दत्तक पुत्र का उत्तराधिकार क्या है?
इस्लामी उत्तराधिकार कानून के अनुसार दत्तक पुत्र को गोद लेने वाले की संपत्ति में कोई वैधानिक हिस्सा नहीं मिलता। गोद लेने वाला यदि चाहे तो वसीयत के माध्यम से 1/3 संपत्ति दे सकता है।


33. वसीयत (Will) क्या है?
वसीयत वह घोषणापत्र है जो कोई मुसलमान व्यक्ति अपने जीवनकाल में करता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का क्या होगा। इस्लाम में वसीयत द्वारा अधिकतम एक-तिहाई संपत्ति ही दी जा सकती है।


34. वली किसे कहते हैं?
वली वह पुरुष संरक्षक होता है जो लड़की के विवाह में उसे प्रतिनिधित्व देता है। हानाफ़ी कानून में वली की अनुमति आवश्यक नहीं, लेकिन अन्य फिरकों में वली की सहमति आवश्यक होती है।


35. शरीयत एप्लीकेशन एक्ट, 1937 का उद्देश्य क्या है?
इस अधिनियम का उद्देश्य यह है कि मुसलमानों के निजी मामलों (विवाह, तलाक, उत्तराधिकार आदि) में शरीयत लागू हो, न कि किसी स्थानीय प्रथा या रिवाज का पालन किया जाए।


36. Dissolution of Muslim Marriage Act, 1939 का उद्देश्य क्या है?
इस अधिनियम का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को न्यायिक माध्यम से विवाह-विच्छेद (divorce) का अधिकार देना है, विशेषकर जब पति से तलाक प्राप्त करना संभव न हो।


37. मुस्लिम स्त्री को कब खुला तलाक मिल सकता है?
जब पत्नी पति से तलाक चाहती है और पति राज़ी होता है, तो वह अपनी संपत्ति या मेहर त्याग कर खुला तलाक ले सकती है। यह आपसी समझौते पर आधारित तलाक है।


38. वारिस और गैर-वारिस (Sharer and Residuary) में क्या अंतर है?
वारिस (Sharers) वे होते हैं जिनका कुरान में निश्चित हिस्सा तय होता है, जैसे माता-पिता, पत्नी। गैर-वारिस (Residuaries) वे होते हैं जिन्हें बाकी बची संपत्ति दी जाती है, जैसे पुत्र, भाई।


39. ‘मिरास’ किसे कहते हैं?
मिरास का अर्थ है—मृतक की संपत्ति का उत्तराधिकार द्वारा हस्तांतरण। मुस्लिम उत्तराधिकार में मिरास का वितरण शरीयत के अनुसार होता है, जिसमें Sharers और Residuaries को प्राथमिकता मिलती है।


40. मुसलमानों में मृत्यु के बाद संपत्ति का वितरण कैसे होता है?
मृत्यु के बाद सबसे पहले अंतिम संस्कार का खर्च, कर्ज और वसीयत (1/3 तक) पूरी की जाती है। शेष संपत्ति को शरीयत अनुसार Sharers और Residuaries में बांटा जाता है।


41. इस्लामी विवाह की कानूनी प्रकृति क्या है?
इस्लामी विवाह (निकाह) एक सामाजिक अनुबंध है न कि धार्मिक संस्कार। यह पुरुष और स्त्री के बीच वैध यौन संबंध स्थापित करता है और दोनों को पारिवारिक, सामाजिक व वैधानिक अधिकार व दायित्व प्रदान करता है। यह अनुबंध सहमति, मेहर और गवाहों की उपस्थिति पर आधारित होता है।


42. मुस्लिम विवाह की वैधता के लिए आवश्यक शर्तें क्या हैं?
मुस्लिम विवाह की वैधता के लिए: (1) दोनों पक्षों की सहमति हो, (2) मेहर निश्चित हो, (3) दो गवाहों की उपस्थिति हो, (4) पक्ष विवाह योग्य उम्र के हों, और (5) कोई वैधानिक निषेध (जैसे रक्त संबंध) न हो।


43. मेहर क्या है और इसके प्रकार क्या हैं?
मेहर वह धनराशि है जो पति विवाह के समय या बाद में पत्नी को देता है। यह पत्नी का वैधानिक अधिकार है। इसके दो प्रकार हैं: (1) मुज्जल (तत्काल देय) और (2) मुअज्जल (विलंबित)। पत्नी विवाह तक, या तलाक/मृत्यु के समय इसकी मांग कर सकती है।


44. मेहर का भुगतान अनिवार्य क्यों होता है?
मेहर विवाह का एक अनिवार्य तत्व है। यह स्त्री का वैधानिक हक है, जो उसे सम्मान और सुरक्षा देता है। यदि मेहर नहीं दिया गया, तो पत्नी अदालती सहायता ले सकती है, और यह तलाक के समय या पति की मृत्यु पर भी वसूल किया जा सकता है।


45. तलाक-ए-तफवीज क्या है?
तलाक-ए-तफवीज एक ऐसा तलाक है जिसमें पति पत्नी को तलाक देने का अधिकार देता है। यह अधिकार विवाह अनुबंध या अलग समझौते के माध्यम से दिया जा सकता है। पत्नी इस अधिकार का प्रयोग कर तलाक प्राप्त कर सकती है।


46. खुला और मुबारात में क्या अंतर है?
खुला में पत्नी तलाक चाहती है और पति उसे मेहर छोड़ने की शर्त पर तलाक देता है। जबकि मुबारात में दोनों पक्ष तलाक के लिए सहमत होते हैं। खुला एकतरफा मांग है, मुबारात द्विपक्षीय समझौता।


47. इद्दत की अवधि क्या होती है?
तलाक या पति की मृत्यु के बाद स्त्री को पुनर्विवाह से पूर्व एक प्रतीक्षा अवधि (इद्दत) का पालन करना होता है। तलाक पर यह 3 मासिक धर्म अवधि (या गर्भवती होने पर प्रसव तक) और पति की मृत्यु पर 4 महीने 10 दिन होती है।


48. नफ्का किसे कहा जाता है?
नफ्का वह भरण-पोषण है जो पति द्वारा पत्नी, बच्चों और माता-पिता को दिया जाता है। इसमें भोजन, वस्त्र, निवास, चिकित्सा आदि शामिल होते हैं। तलाक के बाद महिला को केवल इद्दत अवधि तक नफ्का मिलता है।


49. मुस्लिम महिला को तलाक के बाद संपत्ति का क्या अधिकार है?
मुस्लिम महिला को तलाक के बाद पति की संपत्ति में अधिकार नहीं होता, लेकिन इद्दत अवधि तक उसे नफ्का और रहने का अधिकार मिलता है। पति यदि वसीयत कर दे या उसने कुछ दान दिया हो, तो वह वैध होता है।


50. मुस्लिम विधवा के अधिकार क्या हैं?
मुस्लिम विधवा को पति की संपत्ति में निश्चित हिस्सा नहीं मिलता जब तक कि संतान हो। यदि संतान न हो, तो उसे 1/4 हिस्सा मिलता है। उसे इद्दत अवधि तक निवास और भरण-पोषण का भी अधिकार होता है।


51. मुत्ता विवाह क्या है?
मुत्ता विवाह एक अस्थायी विवाह है, जो विशेष रूप से शिया मुस्लिमों में प्रचलित है। इसमें विवाह की अवधि पहले से निश्चित होती है और समाप्ति पर स्वतः तलाक माना जाता है। सुन्नी मुस्लिम इसे अमान्य मानते हैं।


52. मुसलमानों में बहुविवाह की स्थिति क्या है?
इस्लाम पुरुष को अधिकतम चार विवाह की अनुमति देता है, बशर्ते कि वह सभी को समान अधिकार और न्याय दे। यदि पति समानता नहीं रख पाता, तो यह अनुचित और अन्यायपूर्ण माना जाता है।


53. मुस्लिम स्त्रियों के उत्तराधिकार अधिकार क्या हैं?
मुस्लिम स्त्रियों को शरीयत में उत्तराधिकार का अधिकार है, लेकिन उनका हिस्सा पुरुषों से कम होता है। जैसे पुत्र को 2/3 और पुत्री को 1/3। पत्नी को 1/4 (संतान न हो तो) या 1/8 (संतान हो तो) मिलता है।


54. मुसलमानों में विधवा पुनर्विवाह की क्या स्थिति है?
इस्लाम विधवा को पुनर्विवाह की स्वतंत्रता देता है, बशर्ते वह इद्दत अवधि पूरी कर चुकी हो। इस पर कोई सामाजिक या धार्मिक रोक नहीं है। पति की मृत्यु के 4 महीने 10 दिन बाद वह पुनः विवाह कर सकती है।


55. मुस्लिम उत्तराधिकार में ‘वारिस’ कौन-कौन होते हैं?
उत्तराधिकार में ‘वारिस’ वे होते हैं जिन्हें शरीयत अनुसार संपत्ति का हिस्सा मिलता है, जैसे—पुत्र, पुत्री, माता, पिता, पत्नी, पति आदि। उन्हें Sharers और Residuaries के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।


56. मुसलमानों में वसीयत की सीमा क्या है?
कोई भी मुसलमान अधिकतम 1/3 संपत्ति की ही वसीयत कर सकता है, वह भी गैर-वारिस के लिए। यदि वह वारिस के पक्ष में वसीयत करता है, तो सभी वारिसों की सहमति आवश्यक होती है।


57. मुसलमानों में मीरास वितरण का सिद्धांत क्या है?
मीरास वितरण में पहला अधिकार Sharers को दिया जाता है, फिर Residuaries को और अंत में Distant Kindred को। यह वितरण शरीयत में निर्दिष्ट भागों के अनुसार होता है। कोई भाग बंटवारे से वंचित नहीं किया जा सकता।


58. मुसलमानों में तलाक को नियंत्रित करने वाला कोई अधिनियम क्या है?
हां, ‘Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act, 1986’ और ‘Dissolution of Muslim Marriage Act, 1939’ मुस्लिम स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं। तीन तलाक पर 2019 में विधेयक पास हुआ।


59. तीन तलाक विधेयक, 2019 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
इस अधिनियम के अनुसार, एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) देना गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है। दोषी को तीन साल की सजा का प्रावधान है। यह महिला को न्यायिक सुरक्षा देता है।


60. मुस्लिम महिला तलाक के बाद पुनर्विवाह कर सकती है क्या?
हां, मुस्लिम महिला तलाक या पति की मृत्यु के बाद इद्दत अवधि पूरी होने पर पुनः विवाह कर सकती है। इस पर इस्लाम में कोई प्रतिबंध नहीं है। पुनर्विवाह महिला का वैधानिक और धार्मिक अधिकार है।


61. मुस्लिम कानून में फासिद निकाह क्या होता है?
फासिद निकाह एक दोषयुक्त विवाह है जो कुछ अनियमितताओं के कारण वैध नहीं माना जाता, परंतु पूर्णतः अमान्य (बाटिल) भी नहीं होता। जैसे– बिना गवाहों के विवाह, या इद्दत में विवाह करना। इसे उचित तरीके से सुधारने पर वैध बनाया जा सकता है।


62. मुस्लिम कानून में बाटिल निकाह किसे कहते हैं?
बाटिल निकाह पूर्णतः अमान्य विवाह होता है, जैसे– रक्त संबंध, दूध से संबंध, या पति-पत्नी दोनों एक साथ पहले से विवाहित हों। ऐसा विवाह कानूनी रूप से अस्तित्वहीन माना जाता है और इससे कोई अधिकार या दायित्व उत्पन्न नहीं होते।


63. मुस्लिम विवाह में गवाहों की क्या भूमिका होती है?
मुस्लिम विवाह में दो बालिग मुस्लिम पुरुष या एक पुरुष और दो स्त्रियों के गवाह आवश्यक होते हैं (सुन्नी कानून में)। इनका उद्देश्य विवाह को सार्वजनिक और प्रमाणिक बनाना होता है। बिना गवाह विवाह फासिद या अमान्य हो सकता है।


64. शरीयत के अनुसार विवाह का उद्देश्य क्या है?
इस्लामी दृष्टिकोण से विवाह का उद्देश्य नैतिक जीवन, संतति उत्पत्ति, यौन नियंत्रण, पारिवारिक व्यवस्था और समाज में स्थायित्व लाना है। यह एक धार्मिक कर्तव्य है जो समाज में अनुशासन और सुरक्षा प्रदान करता है।


65. हिलाला विवाह क्या होता है?
जब किसी महिला को तलाक-ए-बिद्दत के बाद अपने पूर्व पति से पुनः विवाह करना होता है, तो पहले वह किसी और से विवाह कर consummate कर तलाक लेती है—इसे हिलाला विवाह कहते हैं। इसे इस्लामी सिद्धांतों में नापसंद किया गया है।


66. तलाक के बिना विवाह समाप्ति की क्या स्थितियां हैं?
तलाक के बिना विवाह निम्नलिखित स्थितियों में समाप्त हो सकता है: (1) पति की मृत्यु, (2) विवाह का घोषित अमान्य (बाटिल) होना, (3) इद्दत के दौरान पति की मृत्यु होना, (4) अदालत द्वारा विवाह की निरस्तीकरण।


67. मुस्लिम महिला तलाक के लिए न्यायालय में कब जा सकती है?
Dissolution of Muslim Marriage Act, 1939 के तहत मुस्लिम महिला निम्न कारणों से तलाक के लिए कोर्ट जा सकती है: (1) पति का ग़ायब होना, (2) क्रूरता, (3) निर्वाह न देना, (4) विवाह के उपरांत यौन संबंध से इनकार आदि।


68. न्यायालय द्वारा घोषित तलाक (judicial divorce) क्या है?
जब पत्नी को तलाक देने का अधिकार नहीं मिलता या पति तलाक नहीं देता, तो वह न्यायालय में याचिका देकर Dissolution of Muslim Marriage Act, 1939 के तहत तलाक प्राप्त कर सकती है। इसे न्यायिक तलाक कहा जाता है।


69. मुसलमानों में विरासत का सिद्धांत क्या है?
मुस्लिम उत्तराधिकार कानून में प्रत्येक वारिस को निर्धारित हिस्सा मिलता है। पुत्र को पुत्री से दोगुना हिस्सा, पत्नी को 1/4 या 1/8, माता को 1/6 और पति को 1/2 या 1/4 का हिस्सा मिलता है। यह निश्चित गणनाओं पर आधारित है।


70. मुसलमानों में संपत्ति के उत्तराधिकार के प्रमुख वर्ग कौन हैं?
उत्तराधिकार तीन वर्गों में बांटा गया है:

  1. Sharers – जिन्हें निश्चित हिस्सा मिलता है (जैसे माता, पत्नी)।
  2. Residuaries – शेष संपत्ति पाने वाले (जैसे पुत्र)।
  3. Distant Kindred – यदि ऊपर के वर्ग न हों तो।

71. वक्फ (Waqf) क्या है?
वक्फ एक इस्लामी संस्था है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को अल्लाह के नाम पर स्थायी रूप से धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित करता है। यह संपत्ति अब बेची, दान या उत्तराधिकार में नहीं दी जा सकती।


72. वक्फ के प्रकार क्या हैं?
वक्फ दो प्रकार के होते हैं:

  1. वक्फ-आलाल-औलाद – परिवार की भलाई के लिए।
  2. वक्फ-लिल्लाह – धर्मार्थ, धार्मिक या सार्वजनिक उपयोग के लिए। दोनों में संपत्ति पर मालिकाना हक समाप्त हो जाता है।

73. मुतवल्ली कौन होता है?
मुतवल्ली वक्फ संपत्ति का प्रशासक होता है। वह उसका मालिक नहीं होता बल्कि उसे उपयोगकर्ता और संरक्षक की तरह कार्य करना होता है। वह वक्फ की संपत्ति का प्रबंधन, रखरखाव और उपयोग धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए करता है।


74. वक्फ कैसे बनाया जा सकता है?
वक्फ मौखिक घोषणा, लिखित दस्तावेज या व्यवहारिक रूप से बनाया जा सकता है। उसमें स्पष्ट होना चाहिए कि संपत्ति स्थायी रूप से धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित की जा रही है। यह केवल मुस्लिम द्वारा किया जा सकता है।


75. वक्फ की समाप्ति किन कारणों से होती है?
वक्फ अनिवार्यतः स्थायी होता है, परंतु समाप्त हो सकता है यदि:
(1) उद्देश्य समाप्त हो जाए,
(2) संपत्ति नष्ट हो जाए,
(3) अदालत द्वारा अमान्य घोषित कर दिया जाए।


76. मुसलमानों में गोद लेने की मान्यता है क्या?
इस्लामी कानून में गोद लेने (adoption) की मान्यता नहीं है जैसा हिंदू कानून में है। लेकिन कोई बच्चा पाल सकता है, परंतु वह गोद लिया हुआ बच्चा गोद लेने वाले की संपत्ति का वारिस नहीं बनता।


77. मुस्लिम तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ‘शायरा बानो’ केस क्या था?
सुप्रीम कोर्ट ने Shayara Bano v. Union of India (2017) में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और अनुच्छेद 14, 15 और 21 के खिलाफ है।


78. तलाक के बाद बच्चों की अभिरक्षा किसे मिलती है?
इस्लाम में बच्चे की देखभाल का प्राथमिक अधिकार मां को होता है, विशेषकर लड़कियों के मामले में। लेकिन अंतिम निर्णय बच्चे के हित में होता है। पिता भरण-पोषण के लिए जिम्मेदार होता है।


79. मुस्लिम विवाह अनुबंध (Nikahnama) की कानूनी स्थिति क्या है?
निकाहनामा एक वैधानिक दस्तावेज होता है जो विवाह की शर्तें, मेहर, अधिकार आदि को दर्शाता है। यह साक्ष्य के रूप में प्रयोग होता है। इसे अदालत में प्रस्तुत किया जा सकता है।


80. मुसलमानों में ‘इद्दत’ के दौरान महिला के अधिकार क्या होते हैं?
इद्दत अवधि में तलाकशुदा या विधवा महिला को निवास, भरण-पोषण, सम्मान और सुरक्षा का अधिकार होता है। पति द्वारा तलाक देने पर उसे इद्दत अवधि तक निर्वाह भत्ता (नफ्का) देना अनिवार्य होता है।


81. मुस्लिम विधि में ‘मेहर’ क्या है?
मेहर वह अनिवार्य धनराशि है जो पति द्वारा पत्नी को विवाह के समय दी जाती है या देने का वचन दिया जाता है। यह पत्नी का वैधानिक अधिकार होता है और इसे विवाह का अभिन्न अंग माना गया है। यह सुरक्षा व सम्मान का प्रतीक है।


82. मेहर के प्रकार क्या हैं?
मेहर दो प्रकार का होता है:

  1. मुज्जम्मी मेहर (Prompt Dower): विवाह के समय देय।
  2. मुअज्जल मेहर (Deferred Dower): तलाक या मृत्यु पर देय।
    यह पति की आर्थिक स्थिति और आपसी सहमति पर निर्भर करता है।

83. क्या पत्नी मेहर माफ कर सकती है?
हाँ, पत्नी वयस्क और समझदार हो तो वह अपनी मर्ज़ी से मेहर माफ कर सकती है। इसे ‘हिबा-ए-मेहर’ कहते हैं। यह स्वैच्छिक होना चाहिए और दबाव में नहीं किया जाना चाहिए।


84. तलाक-ए-सुन्नत क्या है?
तलाक-ए-सुन्नत वह तलाक है जो पैग़म्बर मुहम्मद की शिक्षाओं के अनुरूप होता है। इसके दो प्रकार हैं:

  1. तलाक-ए-अहसन
  2. तलाक-ए-हसन
    यह सोच-समझकर दिया गया तलाक होता है जिसमें पुनर्मिलन की संभावना रहती है।

85. तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन में अंतर बताइए।

  • अहसन: एक बार तलाक, इद्दत की अवधि में संभोग नहीं, पुनर्मिलन संभव।
  • हसन: तीन बार तलाक (एक-एक महीने में), पुनर्मिलन संभव।
    दोनों सुन्नत के अनुसार हैं और तलाक-ए-बिद्दत से बेहतर माने जाते हैं।

86. तलाक-ए-बिद्दत की स्थिति क्या है?
तलाक-ए-बिद्दत वह तलाक है जो एक साथ तीन बार “तलाक” कहकर दिया जाता है। यह इस्लामी सिद्धांतों के विरुद्ध माना गया है। Shayara Bano केस (2017) में इसे असंवैधानिक करार दिया गया।


87. मुस्लिम विवाह में बहुविवाह की स्थिति क्या है?
इस्लाम में पुरुष को अधिकतम चार विवाह करने की अनुमति है, बशर्ते वह सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार करे। यदि समानता नहीं रख सकता, तो इसे अनुचित और पाप माना गया है।


88. क्या मुस्लिम महिला को भी बहुविवाह की अनुमति है?
नहीं, मुस्लिम महिला को एक समय में केवल एक पति रखने की अनुमति है। बहुपति (Polyandry) इस्लाम में वर्जित है।


89. ‘इद्दत’ की अवधि क्या होती है?

  • तलाक पर: तीन हिजरी माहवारी या 3 माह।
  • गर्भवती हो: प्रसव तक।
  • पति की मृत्यु पर: चार महीने दस दिन।
    इस दौरान विवाह नहीं कर सकती।

90. मुस्लिम महिला को मेहर की वसूली का क्या अधिकार है?
यदि पति मेहर नहीं देता है तो पत्नी न्यायालय में दावा कर सकती है। यह उसका वैधानिक अधिकार है। देरी पर ब्याज भी मिल सकता है।


91. क्या मुस्लिम विधवा पुनः विवाह कर सकती है?
हाँ, इद्दत पूरी होने के बाद मुस्लिम विधवा पुनः विवाह कर सकती है। इस पर कोई पाबंदी नहीं है।


92. फतवा का कानूनी महत्व क्या है?
फतवा इस्लामी विद्वान द्वारा दिया गया धार्मिक परामर्श है, लेकिन इसका कानूनी रूप से पालन अनिवार्य नहीं होता। अदालतों में इसका परामर्शात्मक महत्व हो सकता है।


93. मुस्लिम उत्तराधिकार में अविभाज्य नियम क्या है?
मुस्लिम उत्तराधिकार में हिस्से निश्चित होते हैं। यह “क़ुरानिक फराइज़” के आधार पर होता है। पुत्र को पुत्री से दोगुना हिस्सा मिलता है।


94. वक्फ बोर्ड क्या है?
वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है जो वक्फ संपत्ति के प्रबंधन, नियंत्रण और सुरक्षा हेतु स्थापित किया गया है। यह बोर्ड वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत कार्य करता है।


95. मुस्लिम महिला (Protection of Rights on Divorce) Act, 1986 क्या है?
यह कानून मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को इद्दत की अवधि में और उसके बाद भरण-पोषण, निवास, और मेहर की व्यवस्था प्रदान करता है। यह शाह बानो मामले के बाद लाया गया था।


96. शिया और सुन्नी तलाक में मुख्य अंतर क्या है?

  • सुन्नी कानून तीन बार “तलाक” को तलाक मानता है।
  • शिया कानून में तीन बार तलाक एक साथ मान्य नहीं होता।
    शिया विधि में अधिक कठोर प्रक्रिया होती है।

97. मुस्लिम विवाह एक्ट, 1939 की भूमिका क्या है?
यह अधिनियम मुस्लिम महिलाओं को तलाक के अधिकार देता है यदि पति लापता हो, निर्वाह न दे, क्रूरता करे या यौन संबंध स्थापित न करे। यह महिला अधिकारों की रक्षा हेतु बना है।


98. खुला और मुबारात में अंतर क्या है?

  • खुला: पत्नी की याचना पर पति द्वारा तलाक।
  • मुबारात: आपसी सहमति से तलाक।
    दोनों में तलाक होता है लेकिन पहल अलग-अलग पक्षों से होती है।

99. मुसलमानों में उत्तराधिकार की प्रणाली किन सिद्धांतों पर आधारित है?
यह क़ुरान और हदीस के अनुसार तय होता है। यह न्याय और समानता पर आधारित है। सभी उत्तराधिकारी पूर्वनिर्धारित हिस्से के अनुसार संपत्ति प्राप्त करते हैं।


100. क्या भारतीय अदालतें मुस्लिम धार्मिक नियमों को लागू करती हैं?
हाँ, जब तक वे संविधान के विरुद्ध नहीं हों। अदालतें व्यक्तिगत कानून के अनुसार निर्णय देती हैं लेकिन वे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।


101. मुस्लिम विवाह में ‘एजेंट के माध्यम से विवाह’ क्या होता है?
जब विवाह समारोह में पक्षकार स्वयं उपस्थित नहीं हो सकते, तब वे किसी विश्वसनीय व्यक्ति को प्रतिनिधि (वकील या एजेंट) नियुक्त कर सकते हैं, जिसे वक़ील कहते हैं। यह एजेंट उनकी ओर से कबूल (acceptance) कर सकता है। इसे निकाह बाय वक़ालत कहते हैं।


102. निकाह की वैधता के लिए कौन-कौन से अंग आवश्यक हैं?
निकाह के लिए तीन मुख्य तत्व आवश्यक हैं:

  1. प्रस्ताव (Ijab)
  2. स्वीकृति (Qubul)
  3. दो मुस्लिम गवाह (साक्षी)
    साथ ही, पक्षकारों की सहमति और विवाह की अयोग्यता का अभाव भी आवश्यक है।

103. क्या केवल मजहबी रस्म से विवाह वैध हो सकता है?
मजहबी रस्में यदि निकाह के आवश्यक अंगों को पूरा करती हैं (प्रस्ताव, स्वीकृति, गवाह आदि), तो वह वैध विवाह माना जाता है। केवल रस्मों से यदि कानूनी शर्तें पूरी न हों, तो विवाह अमान्य हो सकता है।


104. मुस्लिम विधि में ‘इल्हा’ क्या है?
इल्हा वह स्थिति है जब पति कसम खाता है कि वह अपनी पत्नी से यौन संबंध नहीं बनाएगा। यदि यह चार महीने तक जारी रहता है और पति संबंध नहीं बनाता, तो यह स्वतः तलाक का रूप ले लेता है।


105. मुस्लिम विधि में ‘ज़िहार’ क्या है?
ज़िहार वह प्रक्रिया है जिसमें पति अपनी पत्नी की तुलना किसी ‘हराम’ स्त्री (जैसे माँ या बहन) से करता है और उसे खुद पर हराम घोषित करता है। जब तक प्रायश्चित नहीं करता, तब तक पत्नी से संबंध बनाना निषिद्ध होता है।


106. मुस्लिम कानून में ‘ईला’ और ‘ज़िहार’ में क्या अंतर है?

  • ईला: पत्नी से यौन संबंध न बनाने की कसम।
  • ज़िहार: पत्नी की तुलना माँ/बहन से कर उसे हराम घोषित करना।
    दोनों में पति के व्यवहार पर नियंत्रण और परिणामस्वरूप विवाहिक संबंधों में रुकावट आती है।

107. मुस्लिम विवाह में ‘बाल विवाह’ की स्थिति क्या है?
मुस्लिम विधि के अनुसार, बाल विवाह मान्य होता है बशर्ते विवाह बालिग होने के बाद रद्द न किया जाए। नाबालिग के विवाह को बालिग होने पर ‘Option of Puberty’ के द्वारा अस्वीकृत किया जा सकता है।


108. ‘वधू का प्रतिनिधि’ (Wali) कौन होता है?
जब दुल्हन नाबालिग होती है या स्वयं निर्णय नहीं ले सकती, तब उसका निकट संबंधी (पिता, दादा, भाई) ‘वली’ होता है, जो उसके लिए विवाह तय करता है। वली की सहमति आवश्यक होती है।


109. क्या वली की अनुमति के बिना विवाह वैध है?
सुन्नी विधि में बालिग और समझदार महिला वली की अनुमति के बिना भी विवाह कर सकती है। जबकि शिया विधि में वली की अनुमति अनिवार्य होती है, विशेषकर यदि वधू कुंवारी हो।


110. मुस्लिम महिला को तलाक के बाद कौन-कौन से अधिकार प्राप्त होते हैं?
तलाक के बाद मुस्लिम महिला को निम्नलिखित अधिकार मिलते हैं:

  • मेहर की वसूली
  • इद्दत की अवधि का भरण-पोषण
  • बच्चों की देखभाल और संरक्षकता
  • दहेज और निजी संपत्ति की वापसी
  • मुस्लिम महिला संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अतिरिक्त संरक्षण