Ex Parte Order और Set Aside Petition: भारतीय सिविल न्याय प्रक्रिया के अंतर्गत एक विस्तृत कानूनी अध्ययन
परिचय:
भारतीय सिविल न्याय प्रणाली (Civil Justice System) न्याय प्राप्ति का एक संगठित और अनुशासित माध्यम है। इसमें प्रत्येक पक्ष को समान अवसर (Principle of Natural Justice) देना आवश्यक माना गया है। तथापि, कुछ स्थितियों में जब किसी पक्ष (आमतौर पर प्रतिवादी) की अनुपस्थिति में न्यायालय को कार्यवाही आगे बढ़ानी पड़ती है, तब न्यायालय Ex Parte Order (एकपक्षीय आदेश) पारित करता है।
लेकिन यदि अनुपस्थित पक्ष यह सिद्ध कर देता है कि उसकी अनुपस्थिति के पीछे कोई उचित कारण था, तो वह न्यायालय से Set Aside Petition (एकपक्षीय आदेश को निरस्त करने हेतु याचिका) दायर कर सकता है। यह दोनों प्रक्रियाएँ भारतीय सिविल प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code, 1908) की Order IX के तहत विनियमित की गई हैं।
1. Ex Parte Order का अर्थ और स्वरूप
(क) अर्थ (Meaning):
“Ex Parte” एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ होता है — “केवल एक पक्ष की उपस्थिति में”।
जब वादी (Plaintiff) न्यायालय में उपस्थित होता है, लेकिन प्रतिवादी (Defendant) बिना किसी वैध कारण के अनुपस्थित रहता है, तब न्यायालय वादी के पक्ष में एकपक्षीय आदेश (Ex Parte Decree/Order) पारित कर सकता है।
(ख) कानूनी आधार (Legal Basis):
Ex Parte आदेश Order IX Rule 6 के अंतर्गत पारित किया जाता है। यह नियम यह कहता है कि यदि प्रतिवादी को उचित रूप से समन (Summons) प्राप्त हो चुका है और फिर भी वह उपस्थित नहीं होता, तो न्यायालय वादी की दलीलें सुनकर निर्णय पारित कर सकता है।
(ग) उद्देश्य (Purpose):
Ex Parte आदेश का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में देरी रोकना है। न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि केवल किसी पक्ष की अनुपस्थिति के कारण न्याय वितरण ठप न हो जाए।
(घ) परिणाम (Outcome):
Ex Parte आदेश अस्थायी या अंतिम हो सकता है।
- यदि यह अंतरिम आदेश है, तो यह कार्यवाही के दौरान प्रभावी रहेगा।
- यदि यह डिक्री (Decree) के रूप में है, तो मामला वादी के पक्ष में समाप्त हो सकता है।
(ङ) उदाहरण:
मान लीजिए किसी संपत्ति विवाद में प्रतिवादी को समन भेजा गया, परंतु उसने अदालत में उपस्थिति नहीं दी। तब अदालत वादी के सबूतों के आधार पर Ex Parte Decree पारित कर सकती है।
2. Set Aside Petition का अर्थ और प्रक्रिया
(क) अर्थ (Meaning):
जब किसी पक्ष के विरुद्ध Ex Parte Order पारित हो जाता है, तो वह पक्ष अदालत से अनुरोध कर सकता है कि उक्त आदेश को रद्द (Set Aside) किया जाए, ताकि वह अपने पक्ष में दलीलें प्रस्तुत कर सके।
इस प्रकार की याचिका को Set Aside Petition कहा जाता है।
(ख) कानूनी आधार (Legal Basis):
Set Aside Petition का प्रावधान Order IX Rule 13 of CPC में निहित है।
यह प्रावधान कहता है कि यदि प्रतिवादी यह साबित कर दे कि—
- उसे समन की वैध सेवा नहीं की गई थी, या
- वह उचित कारणवश अदालत में उपस्थित नहीं हो सका,
तो न्यायालय Ex Parte Decree को रद्द (Set Aside) कर सकता है।
(ग) उद्देश्य (Purpose):
इस प्रावधान का उद्देश्य न्याय के सिद्धांतों की रक्षा करना है। प्रत्येक पक्ष को सुनवाई का समान अवसर मिलना चाहिए। यदि किसी तकनीकी या वैध कारण से कोई पक्ष उपस्थित नहीं हो सका, तो उसे न्याय से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
3. दोनों के बीच प्रमुख अंतर (Difference between Ex Parte Order and Set Aside Petition)
| आधार | Ex Parte Order | Set Aside Petition |
|---|---|---|
| अर्थ | एक पक्ष की अनुपस्थिति में पारित आदेश | एकपक्षीय आदेश को रद्द करने हेतु दायर याचिका |
| कानूनी आधार | Order IX Rule 6, CPC | Order IX Rule 13, CPC |
| कौन लाता है | न्यायालय स्वयं पारित करता है | अनुपस्थित पक्ष द्वारा दायर |
| उद्देश्य | कार्यवाही में देरी रोकना | न्यायिक सुनवाई का अवसर प्राप्त करना |
| परिणाम | वादी के पक्ष में अस्थायी या अंतिम आदेश | यदि अनुमति दी गई तो मामला पुनः खुलता है |
| आवश्यक शर्तें | अनुपस्थिति पर्याप्त | अनुपस्थिति के पीछे वैध कारण या समन की कमी |
| समय सीमा (Limitation) | लागू नहीं | 30 दिन (आदेश की जानकारी मिलने से) |
| न्यायिक दृष्टिकोण | न्यायिक सुविधा का उपाय | न्यायिक पुनर्विचार का अधिकार |
4. Set Aside Petition दाखिल करने की प्रक्रिया
- याचिका तैयार करना:
प्रतिवादी या उसका वकील CPC के अनुसार याचिका तैयार करता है जिसमें अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट रूप से बताया जाता है। - समर्थन में हलफनामा (Affidavit):
याचिका के साथ शपथपत्र दिया जाता है जिसमें तथ्यों की सत्यता की पुष्टि होती है। - साक्ष्य प्रस्तुत करना:
यदि अनुपस्थिति का कारण बीमारी, यात्रा, या समन की अनुपलब्धता थी, तो उसके प्रमाण (Medical Certificate, Postal Record आदि) प्रस्तुत किए जाते हैं। - अदालत द्वारा सुनवाई:
अदालत दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह तय करती है कि Ex Parte Decree को रद्द किया जाए या नहीं। - परिणाम:
यदि याचिका स्वीकार की जाती है, तो मामला पुनः सुनवाई के लिए खोला जाता है। यदि अस्वीकृत होती है, तो मूल Ex Parte Decree कायम रहती है।
5. न्यायिक दृष्टिकोण और महत्वपूर्ण निर्णय
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि न्याय के हित में Set Aside Petition को उदार दृष्टिकोण (Liberal Approach) से देखा जाना चाहिए।
(क) Arjun Singh v. Mohindra Kumar (AIR 1964 SC 993)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायालय को यह देखना चाहिए कि अनुपस्थिति जानबूझकर थी या विवशता के कारण।
(ख) Sangram Singh v. Election Tribunal (1955 SCR 1)
अदालत ने कहा कि Ex Parte Order न्याय का अंतिम शब्द नहीं है; न्यायालय को सदैव यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर पक्ष को सुनने का अवसर मिले।
(ग) G.P. Srivastava v. R.K. Raizada (2000)
यह निर्णय कहता है कि यदि अनुपस्थित पक्ष के पास “सार्थक और वास्तविक कारण” है, तो Ex Parte Decree को रद्द किया जाना चाहिए।
6. समय सीमा (Time Limit):
Order IX Rule 13 CPC के तहत, Set Aside Petition 30 दिनों के भीतर दायर करनी होती है, और यह अवधि Limitation Act, 1963 के अंतर्गत गिनी जाती है।
यह 30 दिन उस तिथि से शुरू होते हैं जब प्रतिवादी को Ex Parte Decree की जानकारी मिलती है।
7. Grounds for Setting Aside an Ex Parte Order
- समन की वैध सेवा नहीं हुई।
- प्रतिवादी बीमारी या आपात स्थिति के कारण उपस्थित नहीं हो सका।
- गलत पते पर समन भेजा गया।
- न्यायालय की प्रक्रिया में त्रुटि हुई।
- कोई “सार्थक कारण” (Sufficient Cause) मौजूद था।
8. व्यावहारिक उदाहरण (Practical Illustration):
मान लीजिए, एक कंपनी के खिलाफ वसूली का मुकदमा दायर किया गया और कंपनी को समन भेजा गया, परंतु वह किसी लिपिकीय त्रुटि के कारण कार्यालय में नहीं पहुँचा। अदालत ने वादी के पक्ष में Ex Parte Decree पारित कर दी।
बाद में जब कंपनी को इस आदेश की जानकारी हुई, उसने Order IX Rule 13 के तहत Set Aside Petition दायर की और अपने अभिलेखों से यह साबित किया कि समन कभी प्राप्त ही नहीं हुआ।
न्यायालय ने इस कारण को “सार्थक” मानते हुए Ex Parte Decree को निरस्त कर दिया और मामले की पुनः सुनवाई का आदेश दिया।
9. Ex Parte Order और Natural Justice का संबंध:
Ex Parte आदेश न्यायिक प्रक्रिया का एक आवश्यक हिस्सा है, परंतु यह केवल प्रक्रियात्मक सुविधा (Procedural Necessity) है, न्याय का अंत नहीं।
Natural Justice (प्राकृतिक न्याय) के सिद्धांतों के अनुसार, “किसी को भी बिना सुने दंडित नहीं किया जाना चाहिए।”
इसीलिए CPC ने Set Aside Petition की व्यवस्था की है ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति के साथ अन्याय न हो।
10. निष्कर्ष:
Ex Parte Order और Set Aside Petition दोनों भारतीय न्याय प्रणाली के संतुलन के उपकरण (Balancing Mechanisms) हैं।
जहाँ Ex Parte Order न्यायिक कार्यवाही को तेज़ बनाता है, वहीं Set Aside Petition यह सुनिश्चित करती है कि न्याय की प्रक्रिया किसी की अनुपस्थिति में अन्यायपूर्ण न बन जाए।
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों की राय में, यदि अनुपस्थित पक्ष यह दिखा दे कि उसकी अनुपस्थिति जानबूझकर नहीं थी, तो उसे पुनः सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।
इस प्रकार, यह दोनों प्रावधान कानून और न्याय के बीच संतुलन बनाए रखते हैं — जिससे न्यायालयों का मूल उद्देश्य “सत्य और न्याय की प्राप्ति” सदा कायम रहता है।
मुख्य बिंदुओं का सारांश:
| बिंदु | Ex Parte Order | Set Aside Petition |
|---|---|---|
| कानूनी प्रावधान | Order IX Rule 6 CPC | Order IX Rule 13 CPC |
| दाखिल करने वाला | न्यायालय द्वारा स्वतः | अनुपस्थित पक्ष |
| उद्देश्य | कार्यवाही को जारी रखना | न्यायिक पुनर्सुनवाई सुनिश्चित करना |
| परिणाम | वादी के पक्ष में आदेश | मामला पुनः खुलता है |
| समय सीमा | लागू नहीं | 30 दिन |
| उदाहरण | प्रतिवादी अनुपस्थित | अनुपस्थिति के लिए उचित कारण |