51. अपराध विज्ञान में पुनर्वास (Rehabilitation) का क्या महत्व है?
पुनर्वास का उद्देश्य अपराधी को समाज में पुनः स्थापित करना और अपराध की पुनरावृत्ति को रोकना है। यह दंड के स्थान पर सुधार को प्राथमिकता देता है। पुनर्वास कार्यक्रमों में शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहायता शामिल होती है। इससे अपराधी को आत्मनिर्भर और जिम्मेदार नागरिक बनने का अवसर मिलता है। विशेषकर किशोर अपराधियों, नशे के आदी अपराधियों और पहली बार अपराध करने वालों के लिए पुनर्वास अधिक प्रभावी होता है। अपराध विज्ञान मानता है कि दंड के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर समाज को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
52. पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण (Victim-Centric Approach) क्या है?
पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण वह नीति है जिसमें अपराध के बाद पीड़ित की सुरक्षा, सहायता और मुआवजे को प्राथमिकता दी जाती है। पारंपरिक व्यवस्था में अपराधी पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था, लेकिन आधुनिक अपराध विज्ञान मानता है कि पीड़ित को न्याय, सहानुभूति और सहायता देना उतना ही आवश्यक है। इस दृष्टिकोण में पीड़ित को प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाता है और उसे उसकी पीड़ा के अनुरूप सेवा दी जाती है, जैसे परामर्श, विधिक सहायता और पुनर्वास। इससे न्याय प्रणाली अधिक संतुलित और मानवीय बनती है।
53. संगठित अपराध का नियंत्रण कैसे किया जा सकता है?
संगठित अपराध को नियंत्रित करने के लिए समन्वित और बहुआयामी प्रयास आवश्यक होते हैं। प्रमुख उपायों में हैं – सख्त कानून जैसे मकोका, एनआईए अधिनियम; आधुनिक तकनीकी निगरानी; अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग; अपराधियों की संपत्ति की जब्ती; गुप्तचर सूचना नेटवर्क और जन सहयोग। संगठित अपराधों के पीछे आर्थिक लाभ होता है, इसलिए उनकी आर्थिक धारा को काटना प्रभावी रणनीति है। अपराध विज्ञान ऐसे नेटवर्क की संरचना और कार्यप्रणाली को समझकर विश्लेषण करता है, जिससे इन्हें तोड़ा जा सके।
54. अपराध विज्ञान में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका क्या है?
फोरेंसिक विज्ञान अपराध की जाँच और अपराधी की पहचान में अत्यंत उपयोगी है। यह वैज्ञानिक तरीकों जैसे डीएनए परीक्षण, फिंगरप्रिंट, खून, बाल, हथियारों की जांच आदि के माध्यम से प्रमाण जुटाने में मदद करता है। इससे न्यायालय में प्रमाण की गुणवत्ता और निष्पक्षता बढ़ती है। फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थल की जाँच कर साक्ष्य एकत्र करते हैं जो बाद में अभियोजन के लिए उपयोगी होते हैं। अपराध विज्ञान में फोरेंसिक का प्रयोग अपराध की प्रकृति, समय और प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है।
55. न्यायिक हिरासत और पुलिस हिरासत में अंतर बताइए।
पुलिस हिरासत तब होती है जब आरोपी को पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए रखा जाता है, अधिकतम 15 दिनों तक। यह मुख्यतः अनुसंधान हेतु होती है।
न्यायिक हिरासत तब होती है जब आरोपी को अदालत की अनुमति से जेल भेजा जाता है, जो 14 दिन से अधिक भी हो सकती है। इसमें पुलिस द्वारा सीधी पूछताछ संभव नहीं होती।
दोनों हिरासतों में आरोपी के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहते हैं। अपराध विज्ञान इन अवधियों के दौरान आरोपी के साथ मानवीय व्यवहार और कानूनी प्रक्रिया के पालन पर बल देता है।
56. बाल अपराधियों से निपटने के लिए कौन-कौन से संस्थान कार्यरत हैं?
भारत में बाल अपराधियों से निपटने के लिए कई संस्थान हैं:
- किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board): जो बाल अपराध के मामलों की सुनवाई करता है।
- बाल सुधार गृह: जहां किशोर अपराधियों को शिक्षा, प्रशिक्षण और परामर्श दिया जाता है।
- चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC): जो अनाथ या परित्यक्त बच्चों की देखरेख करती है।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR): जो बाल अधिकारों की निगरानी करता है।
इन संस्थानों का उद्देश्य बच्चों में सुधार लाकर उन्हें समाज में पुनः समाहित करना है।
57. सजा के प्रकारों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
भारतीय दंड संहिता के अनुसार सजा के प्रमुख प्रकार हैं:
- मृत्यु दंड: सबसे कठोर सजा, जैसे दुर्लभतम मामलों में।
- आजीवन कारावास: संपूर्ण जीवन जेल में रहना।
- साधारण कारावास: सुधार के उद्देश्य से कारावास।
- कठोर कारावास: श्रम सहित कारावास।
- जुर्माना: आर्थिक दंड।
- जुर्माना + कारावास: दोनों का संयुक्त रूप।
अपराध की गंभीरता, उद्देश्य और प्रभाव को देखते हुए न्यायालय उपयुक्त सजा निर्धारित करता है।
58. निवारक सजा (Deterrent Punishment) का उद्देश्य क्या है?
निवारक सजा का उद्देश्य समाज में अपराध के विरुद्ध भय पैदा करना है ताकि अन्य लोग अपराध करने से डरें। यह सजा अपराधी को दंडित कर अन्य व्यक्तियों के लिए चेतावनी बनती है। जैसे – सार्वजनिक रूप से फांसी या कठोर दंड देना। अपराध विज्ञान मानता है कि यह दृष्टिकोण तात्कालिक प्रभावी हो सकता है, परन्तु दीर्घकालिक समाधान नहीं है। साथ ही, यह मानवीय दृष्टिकोण से आलोचना का विषय भी बनता है, क्योंकि डर से नहीं बल्कि समझ और सुधार से अपराध कम हो सकते हैं।
59. पीड़ितों को मुआवजा देने की नीति क्या है?
पीड़ित मुआवजा नीति के अंतर्गत उन व्यक्तियों को आर्थिक सहायता दी जाती है जो अपराध के कारण शारीरिक, मानसिक या आर्थिक हानि का शिकार हुए हैं। भारत में ‘पीड़ित मुआवजा योजना’ (Victim Compensation Scheme) विभिन्न राज्यों में लागू है, जिसमें बलात्कार, एसिड अटैक, हत्या, दहेज मृत्यु आदि मामलों में पीड़ित या उनके परिजनों को राशि दी जाती है। यह नीति पीड़ित के अधिकारों की रक्षा, न्याय और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अपराध विज्ञान इस नीति को पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण का हिस्सा मानता है।
60. किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत:
- 16 से 18 वर्ष के किशोर अपराधी यदि गंभीर अपराध करें, तो उन्हें वयस्कों की तरह दंडित किया जा सकता है।
- ‘जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड’ अपराध की प्रकृति और मानसिक स्थिति का मूल्यांकन करता है।
- सभी बाल अधिकारों की रक्षा की जाती है – जैसे परामर्श, शिक्षा, पुनर्वास।
- बच्चों के लिए विशेष देखभाल गृह, सुधार गृह और पुनर्वास योजनाएं चलाई जाती हैं।
यह अधिनियम न्याय के साथ-साथ सुधार को भी महत्व देता है।
61. अपराध विज्ञान में अपराधी प्रोफाइलिंग (Criminal Profiling) क्या है?
अपराधी प्रोफाइलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी अपराधी की मानसिक, सामाजिक, शारीरिक और व्यवहारिक विशेषताओं का अनुमान उसके अपराध के आधार पर लगाया जाता है। इसका उद्देश्य अपराधी की पहचान, तलाश और अपराध की रोकथाम में सहायता करना है। यह मुख्यतः गंभीर अपराध जैसे हत्या, बलात्कार, सीरियल अपराधों में उपयोगी होती है। इसमें अपराध स्थल, साक्ष्य, पीड़ित की स्थिति आदि का विश्लेषण किया जाता है। अपराध विज्ञान इसे एक वैज्ञानिक उपकरण मानता है जो जाँच एजेंसियों को सटीक दिशा देता है।
62. ‘Criminal Justice System’ में अभियोजन पक्ष की भूमिका क्या होती है?
अभियोजन पक्ष (Prosecution) वह कानूनी पक्ष होता है जो आरोपी के विरुद्ध साक्ष्य प्रस्तुत करता है और न्यायालय से दंड की मांग करता है। अभियोजक साक्ष्य की प्रस्तुति, गवाहों की पेशी और कानूनी तर्कों द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास करता है कि आरोपी दोषी है। अभियोजन पक्ष की निष्पक्षता और दक्षता न्याय की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। अपराध विज्ञान अभियोजन की प्रभावशीलता, साक्ष्य की प्रस्तुति और पीड़ित की भागीदारी जैसे पहलुओं का विश्लेषण करता है।
63. साइबर अपराध की रोकथाम के उपाय बताइए।
साइबर अपराध की रोकथाम हेतु निम्न उपाय आवश्यक हैं:
- मजबूत साइबर कानून और उनका कड़ाई से पालन।
- साइबर पुलिस और साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं।
- नागरिकों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करना।
- फायरवॉल, एंटीवायरस, पासवर्ड सुरक्षा जैसे तकनीकी उपाय।
- बैंक और सोशल मीडिया सुरक्षा नीतियाँ।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग, क्योंकि ये अपराध सीमाओं से परे होते हैं।
अपराध विज्ञान साइबर अपराध की प्रवृत्तियों और मनोविज्ञान का विश्लेषण कर नीतिगत समाधान सुझाता है।
64. अपराधीकरण (Criminalization) का क्या तात्पर्य है?
अपराधीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी विशेष आचरण या व्यवहार को विधिक रूप से अपराध घोषित किया जाता है। उदाहरणतः – धूम्रपान प्रतिबंधित क्षेत्र में करना, ट्रैफिक नियम तोड़ना, घरेलू हिंसा आदि को समय के साथ अपराध घोषित किया गया। अपराधीकरण सामाजिक नैतिकता, जनहित और विधि व्यवस्था के अनुरूप किया जाता है। अपराध विज्ञान इस प्रक्रिया का विश्लेषण करता है कि कौन-सा आचरण आपराधिक घोषित होना चाहिए और क्या यह समाज के लिए उचित है।
65. आपराधिक न्याय प्रणाली की चुनौतियाँ क्या हैं?
भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है:
- लंबित मुकदमे और धीमी न्याय प्रक्रिया।
- पुलिस की निष्पक्षता और प्रशिक्षण की कमी।
- पीड़ितों की उपेक्षा।
- गवाहों की सुरक्षा की कमी।
- जमानत प्रणाली में असमानता।
- जेलों में भीड़ और पुनर्वास की कमी।
अपराध विज्ञान इन चुनौतियों की पहचान कर न्याय प्रणाली में सुधार के सुझाव देता है ताकि न्याय सुलभ, त्वरित और प्रभावी हो।
66. संगठित अपराध (Organized Crime) की विशेषताएँ बताइए।
संगठित अपराध में कुछ व्यक्तियों का एक समूह अपराधों को योजनाबद्ध, सुनियोजित और व्यावसायिक तरीके से अंजाम देता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- स्थायी संरचना और नेतृत्व।
- धन कमाने की मंशा।
- हिंसा और धमकी का प्रयोग।
- भ्रष्टाचार और प्रशासन में पैठ।
- गुप्त कार्यप्रणाली।
जैसे ड्रग्स तस्करी, मानव तस्करी, जालसाजी, अवैध हथियार व्यापार आदि संगठित अपराध के उदाहरण हैं। अपराध विज्ञान इस प्रकार के अपराधों को गंभीर सामाजिक चुनौती मानता है।
67. संगठित अपराध और सफेदपोश अपराध (White Collar Crime) में अंतर बताइए।
संगठित अपराध अवैध लाभ हेतु आपराधिक गिरोह द्वारा किया जाता है, जैसे माफिया, ड्रग्स तस्करी।
सफेदपोश अपराध उच्च पदों पर बैठे शिक्षित लोग कानूनी अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं, जैसे भ्रष्टाचार, कर चोरी।
संगठित अपराध हिंसक हो सकता है, जबकि सफेदपोश अपराध प्रायः शांत और छिपे तरीके से होता है।
अपराध विज्ञान इन दोनों को सामाजिक हानि पहुंचाने वाला मानते हुए उनके लिए अलग-अलग नियंत्रण रणनीति की सिफारिश करता है।
68. साइबर अपराधों के प्रमुख प्रकार कौन-से हैं?
साइबर अपराधों में शामिल हैं:
- हैकिंग – कंप्यूटर सिस्टम में अनधिकृत प्रवेश।
- फ़िशिंग – ईमेल द्वारा धोखाधड़ी।
- साइबर स्टॉकिंग – ऑनलाइन पीछा या उत्पीड़न।
- अश्लील सामग्री फैलाना।
- पहचान चुराना – ID theft।
- ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी।
- साइबर आतंकवाद।
इन अपराधों की रोकथाम के लिए साइबर कानून, तकनीकी निगरानी और साइबर साक्षरता जरूरी है।
69. अपराध विज्ञान और समाजशास्त्र का संबंध क्या है?
अपराध विज्ञान और समाजशास्त्र में गहरा संबंध है। समाजशास्त्र समाज की संरचना, वर्ग, मूल्य और समूह व्यवहार का अध्ययन करता है, जबकि अपराध विज्ञान अपराध को इन्हीं सामाजिक संरचनाओं के संदर्भ में समझता है। जैसे – वर्ग संघर्ष, समाज में अवसर की असमानता, भेदभाव आदि अपराध के प्रमुख सामाजिक कारण हैं। समाजशास्त्र अपराध के कारणों को समझने में बौद्धिक आधार प्रदान करता है। दोनों मिलकर अपराध नियंत्रण की नीति निर्धारण में सहायक होते हैं।
70. पीड़ित अध्ययन (Victimology) क्या है?
पीड़ित अध्ययन अपराध विज्ञान की वह शाखा है जो पीड़ित की भूमिका, अधिकार, पीड़ा और न्यायिक प्रक्रिया में उसकी भागीदारी का विश्लेषण करती है। यह पीड़ितों को न्याय दिलाने, मुआवजा देने और पुनर्वास पर केंद्रित होता है। Victimology मानता है कि केवल अपराधी पर ध्यान देना पर्याप्त नहीं, बल्कि पीड़ित को भी न्याय प्रणाली का केंद्र बनाना चाहिए। बलात्कार, घरेलू हिंसा, एसिड अटैक जैसे मामलों में यह विशेष रूप से आवश्यक है।
71. अपराध विज्ञान में “प्रत्येक अपराधी एक रोगी है” – इस कथन की व्याख्या करें।
यह कथन सुधारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें अपराधी को रोगी के रूप में देखा जाता है, न कि केवल दंड के योग्य व्यक्ति के रूप में। यह माना जाता है कि जैसे रोगी के इलाज से वह स्वस्थ हो सकता है, वैसे ही अपराधी के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक कारणों को समझकर उसका सुधार संभव है। अपराध विज्ञान इस दृष्टिकोण को अपनाकर पुनर्वास और सामाजिक पुनःस्थापन को प्राथमिकता देता है। यह दंडात्मक व्यवस्था की अपेक्षा मानवीय और व्यावहारिक मानी जाती है।
72. ‘Differential Association Theory’ की व्याख्या कीजिए।
यह सिद्धांत अमेरिकी समाजशास्त्री एडविन सदरलैंड द्वारा प्रतिपादित किया गया। इसके अनुसार व्यक्ति अपराध करना सीखता है, जैसे अन्य सामाजिक व्यवहार। यदि कोई व्यक्ति ऐसे लोगों के संपर्क में आता है जो अपराध को उचित ठहराते हैं, तो वह भी अपराधी बन सकता है। यह सिद्धांत बताता है कि सामाजिक संगति और वातावरण अपराध की प्रवृत्ति को प्रभावित करता है। अपराध विज्ञान में यह सिद्धांत यह दर्शाता है कि अपराध जन्मजात नहीं होता, बल्कि सीखा जाता है।
73. पर्यावरण और अपराध में क्या संबंध है?
पर्यावरणीय स्थितियाँ जैसे – घनी बस्तियाँ, गरीबी, अंधेरे क्षेत्र, झुग्गी-झोपड़ियाँ, शराब की दुकानें, खराब प्रकाश व्यवस्था आदि अपराध को जन्म दे सकती हैं। इसके अलावा शहरीकरण, बेरोजगारी, और सामाजिक अव्यवस्था भी वातावरण को अपराध के अनुकूल बनाती है। अपराध विज्ञान इस सिद्धांत को “Situational Crime Prevention” में स्वीकार करता है, जिसमें पर्यावरण को सुरक्षित बनाकर अपराध रोका जाता है, जैसे CCTV लगाना, स्ट्रीट लाइट्स, पुलिस गश्त।
74. संगठित अपराध की रोकथाम में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका क्या है?
संगठित अपराध प्रायः सीमाओं से परे होता है, जैसे ड्रग्स तस्करी, मानव तस्करी, साइबर अपराध। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी होता है, जैसे –
- सूचना और डेटा साझा करना।
- आपसी प्रत्यर्पण संधियाँ।
- संयुक्त जांच एजेंसियाँ।
- इंटरपोल जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों का सहयोग।
अपराध विज्ञान वैश्विक स्तर पर अपराध से निपटने के लिए समन्वित रणनीति को आवश्यक मानता है।
75. अपराध विज्ञान में पुनरावृत्ति दर (Recidivism Rate) क्या है?
पुनरावृत्ति दर वह प्रतिशत है जो यह दर्शाता है कि कितने अपराधी सजा पूरी करने के बाद पुनः अपराध करते हैं। यदि यह दर अधिक हो, तो यह न्याय प्रणाली की विफलता का संकेत है। इसे कम करने के लिए सुधारात्मक प्रयास जैसे पुनर्वास, शिक्षा, मनोवैज्ञानिक परामर्श, और सामाजिक समर्थन आवश्यक हैं। अपराध विज्ञान इस दर के विश्लेषण से यह मूल्यांकन करता है कि दंड नीतियाँ कितनी प्रभावी हैं।
76. अपराध विज्ञान में “Broken Windows Theory” क्या है?
यह सिद्धांत जेम्स विल्सन और जॉर्ज केलिंग द्वारा प्रतिपादित है। इसके अनुसार यदि किसी क्षेत्र में छोटे अपराध या सामाजिक अव्यवस्था जैसे टूटी खिड़की, गंदगी, खुले में शराब पीना आदि को नजरअंदाज किया जाए, तो यह बड़े अपराधों को जन्म देता है। इसलिए छोटे अपराधों पर नियंत्रण आवश्यक है। यह सिद्धांत बताता है कि यदि समाज या पुलिस सतर्क रहे, तो अपराध की वृद्धि को रोका जा सकता है।
77. गवाहों की सुरक्षा का अपराध विज्ञान में क्या महत्व है?
गवाह न्याय प्रणाली की रीढ़ होते हैं। यदि गवाह डर, दबाव या प्रलोभन के कारण अपना बयान बदल दे, तो न्याय प्रभावित होता है। इसलिए गवाहों की सुरक्षा आवश्यक है। इसके अंतर्गत पहचान छिपाना, पुलिस सुरक्षा देना, अलग स्थान पर निवास, और विशेष अदालतों में गवाही जैसे उपाय होते हैं। अपराध विज्ञान मानता है कि न्याय तभी संभव है जब गवाह निडर होकर सत्य बोल सके।
78. महिला अपराधियों के पुनर्वास में कौन-से विशेष उपाय आवश्यक हैं?
महिला अपराधियों के पुनर्वास के लिए विशेष ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि वे अक्सर सामाजिक उपेक्षा, हिंसा, गरीबी और अशिक्षा की शिकार होती हैं। उपायों में शामिल हैं:
- महिला सुधार गृहों में परामर्श और प्रशिक्षण।
- बाल देखभाल की सुविधा, यदि महिला के साथ बच्चे हों।
- रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में सहायता।
- समाज की मानसिकता में बदलाव और स्वीकृति।
अपराध विज्ञान महिला अपराधियों को विशेष संवेदनशीलता से पुनः समाज में स्थापित करने पर बल देता है।
79. अपराध और नस्ल/जाति के बीच संबंध का विश्लेषण करें।
जाति या नस्ल आधारित भेदभाव अपराध की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है। सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक असमानता और अवसरों की कमी से वंचित वर्ग अपराध की ओर बढ़ सकता है। कभी-कभी कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ भी पूर्वग्रह से कार्य करती हैं, जिससे जाति विशेष के लोगों को अधिक अपराधी समझा जाता है। अपराध विज्ञान इस भेदभाव को अपराध की एक सामाजिक जड़ मानता है और समानता, न्याय और सामाजिक समरसता की आवश्यकता पर बल देता है।
80. अपराधियों के सामाजिक पुनःस्थापन की प्रक्रिया क्या है?
सामाजिक पुनःस्थापन का उद्देश्य अपराधी को समाज में एक सम्मानजनक जीवन देना है ताकि वह फिर अपराध न करे। इसमें निम्न कदम शामिल हैं:
- सुधार गृहों में परामर्श और शिक्षा।
- रिहाई के बाद रोजगार और आवास की व्यवस्था।
- समाज द्वारा अपराधी को स्वीकार करना।
- मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान की पुनःस्थापना।
अपराध विज्ञान इस प्रक्रिया को अपराध रोकथाम की कुंजी मानता है क्योंकि यह अपराधी को फिर से समाज का हिस्सा बनाता है।
81. “Mala in se” और “Mala prohibita” अपराधों में अंतर बताइए।
Mala in se वे अपराध होते हैं जो नैतिक रूप से गलत होते हैं, जैसे हत्या, बलात्कार, चोरी।
Mala prohibita वे अपराध होते हैं जो कानून द्वारा गलत ठहराए गए हैं, जैसे ट्रैफिक उल्लंघन, जुआ।
पहले प्रकार में अपराध नैतिक और कानूनी दोनों दृष्टि से गलत होता है, जबकि दूसरे में केवल कानूनी रूप से। अपराध विज्ञान इन दोनों श्रेणियों को समझकर कानून निर्माण और नीति निर्धारण में सहायता करता है।
82. अपराध रोकथाम में एनजीओ की भूमिका क्या है?
गैर-सरकारी संगठन (NGO) अपराध रोकथाम में कई क्षेत्रों में कार्य करते हैं:
- गरीब और वंचित वर्गों को शिक्षा और सहायता प्रदान करना।
- किशोर और महिला अपराधियों का पुनर्वास।
- नशा मुक्ति, घरेलू हिंसा, ट्रैफिकिंग के विरुद्ध अभियान।
- कानूनी सहायता और जनजागरूकता।
अपराध विज्ञान मानता है कि राज्य के साथ-साथ एनजीओ भी अपराध नियंत्रण में प्रभावी भागीदार हो सकते हैं।
83. “Labeling Theory” की संक्षिप्त व्याख्या करें।
Labeling Theory के अनुसार जब समाज किसी व्यक्ति को “अपराधी” या “खराब” का लेबल दे देता है, तो वह व्यक्ति उस लेबल को स्वीकार कर अपराध की ओर बढ़ सकता है। यह सामाजिक प्रतिक्रिया सिद्धांत है, जो बताता है कि समाज द्वारा दिए गए लेबल व्यक्ति की आत्म-छवि और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। अपराध विज्ञान इस सिद्धांत के आधार पर चेतावनी देता है कि सुधार की संभावना रखने वाले व्यक्तियों को स्थायी अपराधी के रूप में लेबल करना गलत है।
84. अपराध विज्ञान में पुनर्प्रवर्तन (Reintegration) का अर्थ क्या है?
पुनर्प्रवर्तन वह प्रक्रिया है जिसमें सजा पूरी करने के बाद अपराधी को समाज में वापस समाहित किया जाता है। इसमें अपराधी को रोजगार, शिक्षा, सामाजिक स्वीकृति और कानूनी अधिकार प्रदान किए जाते हैं। उद्देश्य यह है कि अपराधी फिर से सामान्य नागरिक का जीवन जी सके और पुनः अपराध की ओर न बढ़े। अपराध विज्ञान पुनर्प्रवर्तन को अपराध रोकथाम की दीर्घकालिक रणनीति मानता है।
85. किशोर अपराधियों के लिए परामर्श (Counseling) की भूमिका क्या है?
किशोर अपराधियों में भावनात्मक अस्थिरता, गलत संगति, पारिवारिक उपेक्षा जैसे कारण प्रमुख होते हैं। परामर्श उन्हें आत्म-निरीक्षण, भावना नियंत्रण, नैतिक निर्णय और व्यवहार सुधार में सहायता करता है। प्रशिक्षित परामर्शदाता उनकी समस्याओं को सुनते हैं और समाधान सुझाते हैं। यह दंड के बजाय सुधार का मार्ग है। अपराध विज्ञान किशोरों में परामर्श को पुनर्वास की एक अनिवार्य प्रक्रिया मानता है।
86. अपराध विज्ञान में पीड़ित के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाती है?
पीड़ितों को न्याय प्रणाली में पर्याप्त संरक्षण और भागीदारी मिलनी चाहिए। उनके अधिकारों में शामिल हैं:
- न्याय पाने का अधिकार।
- मुआवजा और पुनर्वास।
- गवाही देते समय सुरक्षा।
- गोपनीयता और सम्मान।
- निर्णय की जानकारी और प्रक्रिया में भागीदारी।
अपराध विज्ञान पीड़ित को न्याय व्यवस्था का केंद्र मानते हुए उनके अधिकारों की रक्षा की वकालत करता है।
87. अपराध विज्ञान में अपराध के आर्थिक प्रभावों का वर्णन करें।
अपराध के कारण समाज, व्यक्ति और राष्ट्र को अनेक आर्थिक क्षतियाँ होती हैं। जैसे – संपत्ति की हानि, स्वास्थ्य और जीवन की क्षति, व्यापार में अवरोध, पुलिस और न्याय व्यवस्था पर खर्च, बीमा प्रीमियम में वृद्धि आदि। संगठित अपराधों से राष्ट्रीय राजस्व में गिरावट आती है और विदेशी निवेश प्रभावित होता है। अपराध पीड़ित व्यक्ति को चिकित्सा, कानूनी सहायता और पुनर्वास पर खर्च करना पड़ता है। अपराध विज्ञान आर्थिक विश्लेषण के माध्यम से यह मूल्यांकन करता है कि अपराध समाज को कितनी आर्थिक क्षति पहुँचा रहा है और इसे रोकने के लिए कौन-कौन से वित्तीय उपाय अपनाए जाने चाहिए।
88. ‘Situational Crime Prevention’ क्या है?
Situational Crime Prevention का अर्थ है – ऐसी परिस्थितियाँ बनाना जिनसे अपराध करना कठिन, जोखिम भरा या कम लाभदायक हो जाए। इसमें मुख्यतः चार उपाय अपनाए जाते हैं:
- भौतिक सुरक्षा – जैसे CCTV, स्ट्रीट लाइट्स।
- डिज़ाइन में परिवर्तन – जैसे ATM को खुले स्थानों पर लगाना।
- जोखिम की वृद्धि – जैसे पुलिस गश्त बढ़ाना।
- अपराध से लाभ कम करना – जैसे बैंक सुरक्षा।
अपराध विज्ञान इस सिद्धांत को व्यवहारिक मानता है क्योंकि यह अपराध होने से पहले ही उसे रोकने का प्रयास करता है।
89. ‘Rational Choice Theory’ की व्याख्या करें।
Rational Choice Theory के अनुसार, अपराधी अपराध करने से पहले लाभ और हानि का विश्लेषण करता है। यदि उसे लगता है कि अपराध से अधिक लाभ मिलेगा और पकड़े जाने की संभावना कम है, तो वह अपराध करता है। यह सिद्धांत मानता है कि अपराधी तर्कसंगत होता है और निर्णय सोच-समझकर करता है। अपराध विज्ञान इस सिद्धांत को अपराध रोकथाम की नीति निर्धारण में उपयोग करता है, जिससे अपराध करने के जोखिम को बढ़ाया जाए और लाभ को कम किया जाए।
90. भारत में अपराध सांख्यिकी संग्रहण कौन करता है?
भारत में अपराध से संबंधित आंकड़ों का संग्रह नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) करता है, जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। यह ब्यूरो हर वर्ष क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट प्रकाशित करता है जिसमें हत्या, बलात्कार, चोरी, साइबर अपराध, किशोर अपराध आदि की विस्तृत जानकारी दी जाती है। NCRB के आंकड़े नीति निर्माण, अनुसंधान, और अपराध नियंत्रण रणनीति तैयार करने में सहायक होते हैं। अपराध विज्ञान में यह आंकड़े अपराध प्रवृत्तियों के विश्लेषण में उपयोगी होते हैं।
91. किशोर अपराधियों के लिए शिक्षा का क्या महत्व है?
किशोर अपराधियों में अपराध की एक बड़ी वजह अशिक्षा और दिशा की कमी होती है। शिक्षा उन्हें नैतिक मूल्यों, समाज के नियमों और आत्म-निर्भरता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। शिक्षा से उनमें आत्मविश्वास और भविष्य निर्माण की आशा जागती है। सुधार गृहों में व्यावसायिक और औपचारिक शिक्षा का समावेश किशोरों को एक नया जीवन देता है। अपराध विज्ञान शिक्षा को किशोर अपराध के निवारण और पुनर्वास की प्रभावशाली विधि मानता है।
92. अपराध विज्ञान में ‘Early Intervention’ क्या है?
Early Intervention का तात्पर्य है – उन बच्चों और किशोरों की पहचान करना जो भविष्य में अपराध की ओर बढ़ सकते हैं और समय रहते उनके जीवन को सही दिशा देना। इसमें स्कूल, परिवार और समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उपायों में – मानसिक स्वास्थ्य जांच, परामर्श, शिक्षा, सामाजिक सहायता आदि आते हैं। अपराध विज्ञान मानता है कि यदि प्रारंभिक अवस्था में हस्तक्षेप किया जाए तो गंभीर अपराधों की संभावना बहुत हद तक कम की जा सकती है।
93. अपराधियों के लिए नशा मुक्ति कार्यक्रम का महत्व बताइए।
कई अपराधी नशे की लत के कारण अपराध करते हैं या अपराध के बाद नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं। नशा व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति को कमजोर करता है। नशा मुक्ति कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें व्यसन से बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है, जिसमें चिकित्सा, परामर्श, समूह सहायता (जैसे – AA) आदि शामिल हैं। अपराध विज्ञान में नशा मुक्ति को पुनर्वास प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग माना गया है क्योंकि यह व्यक्ति को अपराध से दूर और स्वस्थ जीवन की ओर ले जाता है।
94. अपराध विज्ञान में ‘Restitution’ क्या है?
Restitution एक न्यायिक व्यवस्था है जिसमें अपराधी को पीड़ित को उसकी हानि के बदले कुछ देना पड़ता है – जैसे आर्थिक मुआवजा, संपत्ति की वापसी आदि। यह दंडात्मक न्याय के स्थान पर पीड़ित की क्षति पूर्ति पर आधारित होता है। इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय देना और अपराधी को उसकी जिम्मेदारी का बोध कराना होता है। अपराध विज्ञान इस अवधारणा को मानवीय और पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण के रूप में देखता है।
95. अपराध की सामाजिक प्रतिक्रिया (Social Reaction to Crime) क्या होती है?
अपराध के प्रति समाज की प्रतिक्रिया अपराध की प्रवृत्ति और नियंत्रण दोनों को प्रभावित करती है। कभी समाज अपराधी को बहिष्कृत करता है, तो कभी पीड़ित को दोषी ठहराता है। यदि समाज दंड के साथ सुधार को प्राथमिकता दे, तो अपराधी में बदलाव संभव है। सामाजिक प्रतिक्रिया ही यह तय करती है कि कौन-सा व्यवहार अपराध माना जाएगा। अपराध विज्ञान इस प्रतिक्रिया का विश्लेषण करता है ताकि समाज न्यायपूर्ण और संतुलित दृष्टिकोण अपना सके।
96. सुधारात्मक सजा (Reformatory Punishment) क्या है?
सुधारात्मक सजा का उद्देश्य अपराधी को सुधारना और उसे समाज में पुनः शामिल करना होता है। यह शिक्षा, परामर्श, व्यावसायिक प्रशिक्षण और मनोवैज्ञानिक सहायता द्वारा दी जाती है। किशोर न्याय अधिनियम, नशा मुक्ति कार्यक्रम, और ओपन जेलें इसी सिद्धांत पर आधारित हैं। अपराध विज्ञान इस सजा को दीर्घकालिक अपराध नियंत्रण की कुंजी मानता है, क्योंकि यह अपराधी को एक दूसरा अवसर देती है।
97. सामुदायिक सेवा (Community Service) एक दंड के रूप में कैसे कार्य करती है?
सामुदायिक सेवा एक वैकल्पिक दंड है जिसमें अपराधी को समाज के लिए सेवा करनी होती है, जैसे – सफाई, वृक्षारोपण, जनजागरूकता कार्य। यह दंड विशेषतः मामूली अपराधों में दिया जाता है और इसका उद्देश्य अपराधी को सामाजिक जिम्मेदारी का अनुभव कराना होता है। इससे अपराधी में अपराधबोध और सुधार की भावना उत्पन्न होती है। अपराध विज्ञान सामुदायिक सेवा को मानवीय, उत्पादक और पुनर्वासपरक दंड मानता है।
98. अपराध नियंत्रण में मीडिया की सकारात्मक भूमिका क्या हो सकती है?
मीडिया अपराध की जानकारी समाज तक पहुंचाने, जागरूकता फैलाने, और अपराधियों पर दबाव बनाने का कार्य करता है। जैसे – लापता बच्चों की सूचना, अपराध रोकथाम के उपाय, कानूनी जानकारी। मीडिया न्याय प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ा सकता है। लेकिन उसे संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करना चाहिए। अपराध विज्ञान में मीडिया को अपराध नियंत्रण का एक शक्तिशाली, परंतु जिम्मेदार साझेदार माना गया है।
99. अपराध विज्ञान और मनोविज्ञान में क्या संबंध है?
मनोविज्ञान अपराधी के मानसिक कारणों, व्यवहार, व्यक्तित्व और निर्णय प्रक्रिया का विश्लेषण करता है। जैसे – साइकोपैथी, तनाव, आक्रोश नियंत्रण की कमी आदि। अपराध विज्ञान इन मानसिक पहलुओं का प्रयोग अपराधी की प्रोफाइलिंग, सुधारात्मक उपायों और पुनर्वास के लिए करता है। मनोविज्ञान यह समझने में मदद करता है कि अपराधी ऐसा क्यों करता है और कैसे उसका व्यवहार बदला जा सकता है।
100. भारत में अपराध विज्ञान शिक्षा का महत्व क्या है?
भारत में अपराध विज्ञान की शिक्षा पुलिस, न्यायिक अधिकारियों, विधिक विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, जेल अधिकारियों आदि के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह शिक्षा अपराध के कारण, प्रकार, नियंत्रण उपायों, पुनर्वास, फॉरेंसिक, और कानूनी प्रक्रिया की समझ विकसित करती है। भारत जैसे विविध सामाजिक संरचना वाले देश में अपराध विज्ञान के विशेषज्ञ अपराध नीतियों, अनुसंधान और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सकते हैं।