बीएनएस धारा 190 क्या है |
BNS Section 190
जब भी हमारे माता-पिता या घर के बड़े बुजुर्ग हमें किसी जगह जाने से रोकते है, तो उनकी इस रोक-टोक के पीछे हमारी ही भलाई छिपाई होती है। क्योंकि उन्हें अपने बीते जीवन के अनुभव से हर चीज की समझ होती है। परन्तु आजकल हम बिना सोचे समझे किसी भी व्यक्ति के साथ कही भी चले जाते है। किसी भी गैर-कानूनी रुप से इकट्ठा हुई भीड़ वाली जगह जाने पर अगर कोई घटना घट जाती है, तो हमें कानूनी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आज हम इसी प्रकार के अपराधों पर लागू होने वाली धारा के बारे में बात करेंगे, की बीएनएस की धारा 190 क्या है (BNS Section 190)? भारतीय न्याय संहिता की इस धारा में सज़ा और ये धारा जमानती है या गैर-जमानती?
किसी भी गैर-कानूनी रैली या भीड़ में शामिल लोगों द्वारा किए जाने वाले अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149 के तहत केस दर्ज किए जाते थे। लेकिन BNS के लागू होती ही इस अपराध के आरोपी व्यक्तियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 190 के तहत केस दर्ज किए जाने लगे है। जिसके बारे में जानकारी होना देश के हर नागरिक के लिए आवश्यक है। इसके साथ ही इस अपराध के आरोपी व्यक्तियों को भी बचाव उपायों से लेकर आगे की कार्यवाही की जानकारी इस लेख में मिलेगी।
बीएनएस धारा 190 क्या है – कब लगती है | BNS Section 190
भारतीय न्याय संहिता की धारा 190 एक बहुत ही उपयोगी धारा है, जो गैरकानूनी सभाओं (Unlawful Assemblies) से जुड़े अपराधों से संबंधित है। यह धारा कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी गैरकानूनी सभा का सदस्य (Member) है और उस सभा के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कोई अपराध किया जाता है। तो उस सभा के सभी सदस्यों को किए गए अपराध के लिए दोषी (Guilty) ठहराया जा सकता हैं।
सरल शब्दों में इसका अर्थ है कि जब पाँच या उससे अधिक लोग किसी चीज का विरोध करने के लिए गैर-कानूनी सभा या प्रर्दशन करते है। वहाँ उस सभा में मौजूद कोई एक सदस्य भी अगर किसी अपराध को अंजाम दे देता है, तो उस सभा के सभी व्यक्तियों को दोषी माना जाएगा। भले ही आपने खुद वह अपराध नहीं किया हो, लेकिन अगर आप केवल उस सभा में उपस्थित भी थे तो आप पर भी BNS Section 190 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 190 के आवश्यक तत्व:-
धारा 190 के तहत अपराध को किसी भी व्यक्ति पर लागू करने से पहले कुछ आवश्यक बातों का होना बहुत जरुरी है, जो कि इस प्रकार है:-
- कोई ऐसा समूह बनाया जाता है जिसका उद्देश्य कानून का उल्लंघन (Violation) करना हो।
- पाँच या उससे अधिक लोगों का समूह एक सामान्य अवैध उद्देश्य (Illegal Purpose) के साथ इकट्ठा होना चाहिए।
- सामान्य उद्देश्य का मतलब है, जैसे कि किसी को नुकसान पहुंचाना, संपत्ति को नष्ट करना, या किसी कानून को तोड़ना।
- सभा के कम से कम एक सदस्य द्वारा कोई अपराध किया जाना चाहिए।
- जब अपराध किया गया था तब आरोपी व्यक्ति उस गैरकानूनी सभी में मौजूद होना चाहिए।
इस धारा के तहत अपराध में किए जाने वाले कुछ कार्य
- दंगा: यदि एक गैरकानूनी सभा के सदस्य किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए हिंसा करते हैं, तो सभी सदस्यों को दंगे (Riots) का दोषी माना जा सकता है।
- आगजनी: यदि कोई सदस्य जानबूझकर किसी संपत्ति को आग लगाता है, तो वहाँ मौजूद सभी सदस्यों को आगजनी करने के अपराध का दोषी माना जा सकता है।
- हत्या या हत्या का प्रयास: यदि कोई सदस्य किसी व्यक्ति की हत्या (Murder) कर देता है या किसी की भी हत्या करने का प्रयास करता है, तो वहाँ उपस्थित सभी लोगों को हत्या या हत्या के प्रयास (Attempt To Murder) का दोषी माना जा सकता है।
- अपहरण: यदि कोई सदस्य किसी व्यक्ति का अपहरण (Kidnaping) करता है, तो सभी सदस्यों को अपहरण का दोषी माना जा सकता है।
- लूट: यदि कोई सदस्य किसी व्यक्ति या संपत्ति को लूटता है, तो सभी सदस्यों को लूट के अपराध के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
- गैरकानूनी कब्जा: यदि कोई सदस्य किसी संपत्ति पर गैरकानूनी कब्जा (Unlawful Possession) करता है, तो सभी सदस्यों पर गैरकानूनी कब्जा करने के जुर्म के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
- अवैध हथियार रखना: अगर किसी सभा का सदस्य अवैध हथियार (Illegal Weapons) रखता है, तो सभी सदस्यों को अवैध हथियार रखने का दोषी माना जा सकता है।
बीएनएस सेक्शन 190 के अपराध का उदाहरण
एक दिन किसी छोटे से शहर में एक समूह के कुछ लोग एक मंदिर के दोबारा से बनाए जाने के विरोध में एकत्रित हुए। इस समूह का नेतृत्व राहुल कर रहा था। राहुल ने ही सभी लोगों को बुलाकर वहां पर इकट्ठा किया था। पहले तो वहाँ सब कुछ ठीक चल रहा होता है, लेकिन कुछ ही देर बाद उसी समूह का एक व्यक्ति पुलिस पर पत्थरबाजी करने लग जाता है। जिसके कारण वहाँ पर हिंसा फैल जाती है, और उनमें से एक व्यक्ति मंदिर के पुजारी पर भी हमला कर देता है।
जिसके बाद पुलिस स्थिति को काबू करती है और वहाँ उपस्थित सभी लोगों को गिरफ्तार कर लेती है। इसके बाद जिन लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी नहीं की थी, उन सभी पर भी किए गए अपराध व BNS 190 के तहत कार्यवाही की जाती है। क्योंकि वे सभी उस समूह में उस अपराध के होने के समय भी शामिल थे, और उनका उद्देश्य भी मंदिर बनाने को रोकने का था।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 190 की सजा – Punishment Of BNS 190
बीएनएस धारा 190 के तहत सजा (Punishment) उस अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है जो समूह द्वारा किया गया है। जिसमें कारावास की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकती है। इसका मतलब है कि किसी समूह का कोई सदस्य जब किसी अपराध को करेगा तो जो अपराध उसने किया है। वहाँ मौजूद सभी लोगों को उसी अपराध में बताई गई सजा से ही दंडित किया जाएगा।
उदाहरण के लिए:- अगर समूह में मौजूद किसी एक व्यक्ति ने भी किसी की हत्या की है, तो समूह के सभी सदस्यों को हत्या के लिए दोषी ठहराया जा सकता है और उन्हें आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा हो सकती है।
बीएनएस की धारा 190 में जमानत कब व कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 190 में जमानत (Bail) का मिलना ना मिलना भी किए गए अपराध की धारा के अंतर्गत ही पता चल सकता है। यदि कोई ऐसा अपराध किया गया है जो जमानती है तो आरोपी व्यक्तियों को जमानत मिल सकती है। लेकिन अगर कोई गंभीर अपराध किया गया है जो गैर-जमानती (Non-Bailable) हो तो जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है, जैसे:- हत्या का अपराध गैर-जमानती है।
BNS 190 के आरोपी के लिए उपयोगी बचाव उपाय
- ऐसे अपराध के किसी भी मामलों में यदि आप पर कार्यवाही की जाती है तो सबसे पहले किसी वकील (Lawyer) के पास जाकर कानूनी सलाह जरुर ले।
- बचाव उपायों में आरोपी यह साबित कर सकता है कि वह अपराध होने के समय किसी भी गैरकानूनी सभा में उपस्थित नहीं था।
- इसके लिए यदि आपके पास कोई गवाह, सीसीटीवी फुटेज या अन्य सबूत है तो ये सभी आपके बचाव (Defence) में काम आ सकते है।
- आरोपी यह दलील (Plea) दे सकता है कि उसे सभा के असली उद्देश्य के बारे में पता नहीं था। यानी उसे नहीं पता था कि वहाँ सभी लोग क्यों इकट्ठा हुए है।
- आरोपी व्यक्ति को अपने बचाव के लिए यह साबित करना होगा कि वह केवल एक दर्शक था या उसे जबरदस्ती वहाँ ले जाया गया था।
- इसके अलावा आरोपी यह भी साबित सकता है कि पुलिस ने उसे किसी अन्य व्यक्ति के रुप में पहचान कर गिरफ्तार कर लिया। जिसके लिए आपको गवाहों (Witnesses) की जरुरत पढ़ सकती है।
- यदि आप निर्दोष (Innocent) है और आपने कोई गुनाह नहीं किया है तो वकील की सहायता से आप ऐसे मामलों से बच सकते है।
निष्कर्ष :- BNS Section 190 समाज के लोगों के हितों के लिए बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि यह समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती है। यह धारा हमें याद दिलाती है कि हमारे द्वारा किए गए कार्यों के कारण हमें कानूनी रुप से दंडित किया जा सकता है। यदि आप इस प्रकार की किसी भी कानूनी समस्या का सामना कर रहे है तो कानूनी सलाह प्राप्त करने के लिए हमारे अनुभवी वकीलों से बात कर सकते है।
बीएनएस धारा 191 क्या है |
BNS Section 191
अपने दोस्तों या किसी अन्य जानने वाले व्यक्ति के साथ किसी जगह जाकर किसी धर्म या व्यक्ति के बारे में कुछ गलत बोलना एक बड़ी हिंसा का कारण बन सकता है। जिसके कारण तोड़-फोड़ से लेकर दंगे जैसे हालात भी बन सकते है, साथ ही किसी भी गैर-कानूनी सभा में जाना भी हमें कानून की नजरों में एक अपराधी बना सकता है। भारतीय कानून के अंदर ऐसे ही अपराध के लिए धारा है, जिनकी जानकारी हम में से बहुत से लोगों को आज तक नहीं है। इसलिए आज हम भारतीय न्याय संहिता के तहत दंगे के अपराध की धारा के बारे में सारी महत्वपूर्ण जानकारी आपको बहुत ही सरल भाषा द्वारा देंगे की जैसे कि बीएनएस धारा 191 क्या है? (BNS Section 191 in Hindi)? इस सेक्शन में सजा का क्या प्रावधान है और धारा 191 में जमानती है या जमानती?
दंगे जैसे गंभीर अपराधों पर बहुत पहले से ही सख्त कानून बनाकर कार्यवाही की जाती रही है, लेकिन कुछ ही समय पहले बने नए कानून BNS के आने से इस अपराध को और भी सख्त कर दिया गया है। पहले दंगे के अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 146 व 148 लागू की जाती थी। लेकिन अब से दंगे से जुड़े अपराधों के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 191 व उसकी उपधाराओं को लागू कर कार्यवाही की जाएगी। इसलिए इन सभी नए बदलावों की जानकारी देश के प्रत्येक व्यक्तियों व इस अपराध के आरोप झेल रहे लोगों को होना बहुत ही जरुरी है। जिससे इस अपराध के सभी प्रावधानों के साथ-साथ बचाव उपायों की भी जानकारी आप सभी को हो जाए, इसलिए इस लेख को आखिर तक पढ़े।
बीएनएस की धारा 191 क्या है – BNS Section 191
भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 दंगा (Riot) करने के अपराध से संबंधित है। दंगा एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें पांच या उससे अधिक लोग एक साथ मिलकर गैर-कानूनी रुप से सभा (Unlawful Assembly) का आयोजन करके एकत्र होते है। इन सभी का उद्देश्य कानून के विरुद्ध कार्य करने या बल प्रयोग करने का होता है।
बीएनएस धारा 191 को मुख्य रुप से 3 उपधाराओं (Sub-Sections) में बाँटा गया है जो कि इस प्रकार है :-
- BNS 191 (1):– धारा 191(1) में दंगे के अपराध की परिभाषा के बारे में बताया गया है। जिसमें कहा गया है कि जब किसी गैर-कानूनी सभा (Unlawful Assembly) में 5 या 5 से अधिक लोग इकट्ठे होते है, व उस सभा में बल व हिंसा (violence) का प्रयोग करते है। तो उस सभा के प्रत्येक सदस्यों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 191(1) लागू कर कार्यवाही की जाती है।
- BNS 191 (2): धारा 191(2) में साधारण दंगे के अपराध की सजा के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति या समूह किसी गैर-कानूनी सभा में बिना किसी घातक हथियार (Dangerous Weapons) के हिंसा करता है, तो ऐसे व्यक्ति को दोषी (Guilty) पाये जाने कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
- BNS 191 (3) इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी गैर-कानूनी सभा में घातक हथियार के साथ हिंसा करेगा। उस व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर साधारण दंगे की सजा में दी जाने वाली सजा से ज्यादा दंड दिया जाता है।
नोट :- इन सभी उपधाराओं की सजा के बारे में नीचे संपूर्ण जानकारी दी गई है, जिनको पढ़ कर आप सजा व जुर्माने के दंड की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 की मुख्य बातें:-
- अवैध सभा: पाँच या उससे अधिक व्यक्तियों का एक साथ इकट्ठा होना, जिसका उद्देश्य गैर-कानूनी हो या जिसके होने पर सार्वजनिक शांति (Public Peace) खराब हो।
- बल या हिंसा: दंगा करने के अपराध के लिए बल या हिंसा (force or violence) का प्रयोग आवश्यक है। इससे व्यक्तियों या संपत्ति को नुकसान पहुँचाना शामिल हो सकता है।
- सामान्य उद्देश्य: गैरकानूनी सभा का एक सामान्य उद्देश्य होना चाहिए, और बल या हिंसा का प्रयोग उस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए होना चाहिए।
- सदस्यता: बल या हिंसा के प्रयोग के समय आरोपी व्यक्ति को गैरकानूनी सभा का सदस्य होना चाहिए। यानी जिन लोगों पर आरोप लगाए गए है वे हिंसा के समय उस सभा में मौजूद होने चाहिए।
BNS धारा 191 के तहत अपराध माने जाने वाले कार्य
- लोगों के समूह द्वारा सार्वजनिक स्थानों (Public Places) पर तोड़ फोड़ करना सड़कों, इमारतों या अन्य सार्वजनिक संपत्ति को जानबूझकर (Intentionally) नुकसान पहुंचाना।
- घरों, दुकानों या वाहनों को आग लगाना।
- पुलिस या अन्य लोगों पर पत्थर मारकर हमला करना।
- लाठियां, डंडे या अन्य हथियारों का उपयोग करके लोगों को घायल करना।
- दुकानों या घरों में घुसकर सामान लूटना या तोड़फोड़ करना।
- सड़कों को जाम करके या वाहनों को नुकसान पहुंचाकर यातायात (Traffic) को बाधित करना।
- सरकारी कार्यालयों या अन्य सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
- मंदिरों, मस्जिदों या चर्चों जैसे धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना।
- दंगा भड़काने के लिए झूठी अफवाहें फैलाना।
- भाषण या अन्य माध्यमों से लोगों को हिंसा के लिए उकसाना।
- जानबूझकर एक गैरकानूनी सभा में शामिल होना।
- बल या धमकी के माध्यम से अन्य लोगों को गैरकानूनी सभा (Unlawful Assembly) में शामिल होने के लिए मजबूर करना।
बीएनएस सेक्शन 191 का आपराधिक उदाहरण
अजय, विजय और रोहित एक छोटे से शहर में रहते थे। कुछ ही समय पहले उनके शहर में एक नई फैक्ट्री खोली गई थी, जिसके कारण उस क्षेत्र का प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया था। बढ़ते प्रदूषण से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने फैक्ट्री के मालिक से प्रदूषण कम करने के लिए कहा, लेकिन फैक्ट्री के मालिक ने उनकी बात को अनदेखा कर दिया। इस बात से नाराज होकर अजय, विजय और रोहित अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर प्रदर्शन करने की सोचते है। जिसके बाद वो बिना पुलिस की अनुमति के गैर-कानूनी रुप से प्रदर्शन करने लग जाते है। पहले तो प्रदर्शन बहुत ही शांतिपूर्ण रुप से चल रहा होता है, लेकिन कुछ ही देर बाद कुछ शरारती लोगों ने प्रदर्शन में शामिल होकर हिंसा शुरू कर दी।
उन्होंने सड़कों को जाम किया, दुकानों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पत्थरबाजी की। अजय, विजय और रोहित ने भीड़ को शांत करने की भी बहुत कोशिश की लेकिन वे उसमें असफल रहे। आखिर में हिंसा ज्यादा बढ़ते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। क्योंकि अजय, विजय और रोहित एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे जिसमें बल और हिंसा का उपयोग किया गया था, इसलिए वे भी BNS की धारा 191 के तहत अपराध के दोषी पाए जा सकते हैं।
BNS Section 191 (1) (2) (3) के तहत सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 में दंगे के अपराध की सजा (Punishment For Rioting) में बताया गया है कि किसी भी गैर-कानूनी सभा में किसी भी प्रकार की हिंसा होती है। तो उस सभा के सभी सदस्यों (Members) को दोषी (Guilty) मानकर सजा दी जा सकती है। दंगे के अपराध की सजा को BNS की धारा 191 की अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) में बताया गया है।
- बीएनएस की धारा 191 (2) की सजा:- धारा 191(2) में साधारण दंगे के अपराध की सजा के बारे में बताया गया है। यदि किसी दंगे में घातक हथियार का शामिल ना किया गया हो, तो ऐसे अपराध में दोषी व्यक्तियों को 2 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित (Punished) किया जाता है।
- बीएनएस की धारा 191 (3) की सजा:- इसमें बताया गया है कि जब भी किसी गैर-कानूनी सभा के सदस्य दंगे में किसी घातक हथियार से हमला (Attack) करने के अपराध के दोषी पाये जाते है। उन्हें सजा के तौर पर 5 वर्ष तक कारावास व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। घातक हथियार का मतलब कोई भी ऐसा हथियार है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति को मारने या गंभीर रूप से घायल (injured) करने के लिए किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 में जमानत कब व कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 191 के अनुसार दंगे के अपराध को बहुत ही गंभीर अपराध माना जाता है। यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) होता है, जिसमें आरोपी व्यक्तियों को तुरन्त पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके साथ ही यह एक गैर-जमानती (Non-Bailable) अपराध भी होता है, जिसमें गिरफ्तारी के बाद आरोपी व्यक्ति को अधिकार के तौर पर जमानत (Bail) पर रिहा नहीं किया जा सकता।
BNS 191 के अपराध में बचाव के कुछ उपाय
- दंगे के अपराध के तहत यदि आप पर कार्यवाही की जाती है तो अपने बचाव (Defence) के लिए आपका सबसे पहला कदम किसी वकील से मिलकर सलाह लेना होना चाहिए।
- वकील (Lawyer) आपके मामले को अच्छे से जानेगा व आगे की कार्यवाही के लिए रणनीति बनाएगा।
- इसके अलावा आप अपने बचाव के लिए यह साबित कर सकते हैं कि आप उस सभा में मौजूद ही नहीं थे जहां दंगा हुआ था।
- अगर गलती से आप सभा में मौजूद भी थे, तो आप यह साबित कर सकते हैं कि आपने किसी भी हिंसक गतिविधि (Violent Activity) में भाग नहीं लिया था।
- आप अपने बचाव के लिए यह साबित कर सकते हैं कि आपने हिंसा को रोकने की कोशिश की थी।
- आप यह दावा कर सकते हैं कि आपको जबरदस्ती या धमकी देकर उस सभा में शामिल किया गया था।
- आप यह साबित कर सकते हैं कि पुलिस ने आपको गलत व्यक्ति के रुप में पहचान लिया है, आप वो नहीं है जिसे पुलिस द्वारा समझा जा रहा है।
- आप यह साबित कर सकते हैं कि पुलिस ने आपके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है।
- यदि आपने किसी हमले के जवाब में बल का प्रयोग किया था, तो आप आत्मरक्षा का दावा कर सकते हैं।
- यदि आप मानसिक रूप से बीमार थे, तो आप यह दावा कर सकते हैं कि आप अपने किए गए कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं थे।
- इसके साथ ही यदि आपके पास अपने बचाव से संबंधित कुछ अन्य सबूत (Evidences) भी है तो आप उन्हें अपने वकील की सहायता से कोर्ट में पेश कर सकते है।
ध्यान रहे ये बचाव तब ही काम करेंगे जब आप सच में निर्दोष (Innocent) होंगे यदि आपने अपराध किए है तो आपको कानूनी रुप से सजा जरुर मिलेगी। इसके अलावा बचाव उपायों के लिए आप किसी वकील की सहायता ले सकते है, जो आपकी ऐसे मामलों में पुरी मदद करेगा।
निष्कर्ष :- BNS Section 191 दंगे करने वाले लोगों को सजा देने के साथ-साथ पीड़ित व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए एक बहुत ही अहम कानून है। इसके द्वारा देश में होने वाली हिंसा के मामलों को रोका जा सकता है। इसलिए ऐसे अपराध की जानकारी आप सभी के लिए भविष्य में बहुत ही काम आएगी। यदि किसी वजह से आप इस प्रकार के अपराध का शिकार हो गए है, और जमानत या बचाव के लिए कानूनी सहायता प्राप्त करना चाहते है। तो आज ही आप हमारे अनुभवी से सलाह लेकर समस्या का हल प्राप्त कर सकते है।
बीएनएस धारा 192 क्या है |
BNS Section 192
दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना – यदि दंगा किया जाए; यदि प्रतिबद्ध नहीं है
जो कोई भी दुर्भावनापूर्ण तरीके से, या स्वेच्छा से कुछ भी करके, जो कि गैरकानूनी है, किसी व्यक्ति को उकसाता है या यह जानते हुए कि इस तरह के उकसावे के कारण दंगा करने का अपराध किया जाएगा, यदि परिणामस्वरूप दंगा का अपराध किया जाता है, तो उसे उकसाना होगा। ऐसे उकसावे के लिए, किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा; और यदि दंगा करने का अपराध नहीं किया जाता है, तो किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 193 क्या है |
BNS Section 193
उस भूमि के मालिक, कब्जाधारी आदि का दायित्व, जिस पर गैरकानूनी सभा या दंगा होता है
(1) जब भी कोई गैरकानूनी सभा या दंगा होता है, तो उस भूमि का मालिक या कब्जाधारी जिस पर ऐसी गैरकानूनी सभा आयोजित की जाती है, या ऐसा दंगा किया जाता है, और ऐसी भूमि में रुचि रखने वाला या दावा करने वाला कोई भी व्यक्ति दंडनीय होगा। जुर्माने की राशि एक हजार रुपये से अधिक नहीं होगी, यदि वह या उसका एजेंट या प्रबंधक यह जानते हुए कि ऐसा अपराध किया जा रहा है या किया गया है, या यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसा होने की संभावना है, इसकी जल्द से जल्द सूचना अपने कार्यालय में न दें। निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को शक्ति दें, और यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि यह होने वाला है, तो इसे रोकने के लिए अपनी शक्ति में सभी वैध साधनों का उपयोग न करें और, इसके घटित होने की स्थिति में, दंगे या गैरकानूनी जमावड़े को तितर-बितर करने या दबाने के लिए अपनी शक्ति के सभी वैध साधनों का उपयोग न करें।
(2) जब भी कोई दंगा किसी ऐसे व्यक्ति के लाभ के लिए या उसकी ओर से किया जाता है जो उस भूमि का मालिक या कब्जाधारी है जिसके संबंध में ऐसा दंगा होता है या जो ऐसी भूमि में किसी हित का दावा करता है, या किसी विवाद का विषय है जिसने दंगा भड़काना, या जिसने उससे कोई लाभ स्वीकार किया है या प्राप्त किया है, ऐसा व्यक्ति जुर्माने से दंडनीय होगा, यदि उसके या उसके एजेंट या प्रबंधक के पास यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसा दंगा होने की संभावना थी या गैरकानूनी सभा जिसके द्वारा ऐसा दंगा होने की संभावना थी, ऐसे जमावड़े या दंगे को होने से रोकने के लिए और उसे दबाने और तितर-बितर करने के लिए अपनी शक्ति में सभी वैध साधनों का उपयोग नहीं करेगा।
(3) जब भी कोई दंगा किसी ऐसे व्यक्ति के लाभ के लिए या उसकी ओर से किया जाता है जो उस भूमि का मालिक या कब्जाधारी है जिसके संबंध में ऐसा दंगा होता है, या जो ऐसी भूमि में किसी हित का दावा करता है, या किसी विवाद का विषय है जो दंगे को जन्म दिया, या जिसने उससे कोई लाभ स्वीकार किया या प्राप्त किया, ऐसे व्यक्ति का एजेंट या प्रबंधक जुर्माने से दंडनीय होगा, यदि ऐसे एजेंट या प्रबंधक के पास यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसा दंगा होने की संभावना थी, या जिस गैरकानूनी जमावड़े द्वारा ऐसा दंगा किए जाने की संभावना है, वह ऐसे दंगे या जमावड़े को होने से रोकने और उसे दबाने और तितर-बितर करने के लिए अपनी शक्ति में सभी वैध साधनों का उपयोग नहीं करेगा।
बीएनएस धारा 194 क्या है |
BNS Section 194
आजकल छोटी-छोटी बातों पर भी लोग इतने गुस्सा हो जाते हैं, जिसके कारण वे सार्वजनिक स्थानों पर झगड़े करने से भी नहीं चूकते। चाहे वो सड़क पर हो, बाजार में हो या फिर किसी रेस्तरां में, झगड़े की खबरें आए दिन सुनने को मिलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह के झगड़े करना कानून अपराध है और ऐसे झगड़े करने के लिए सजा भी हो सकती है? इस लेख में हम आपको भारतीय न्याय संहिता की धारा 194 के बारे में विस्तार से बताएंगे कि, बीएनएस की धारा 194 क्या है (BNS Section 194 in Hindi)? यह किस अपराध में लागू होती है? इस सेक्शन के तहत सजा और जमानत का प्रावधान क्या है?
सार्वजनिक स्थान पर झगड़े के मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) 159 और 160 का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू होने के बाद से, ऐसे मामलों में बीएनएस की धारा 194 लगाई जाती है। अगर आप सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले इस प्रकार के किसी भी कानूनी प्रावधान को विस्तार से जानना चाहते है तो, इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
बीएनएस की धारा 194 क्या है – BNS Section 194
भारतीय न्याय संहिता की धारा 194 एक ऐसे अपराध को परिभाषित करती है जिसे “आपराधिक झगड़ा” (Affray) कहा जाता है। इस धारा के अनुसार जब दो या दो से अधिक व्यक्ति सार्वजनिक स्थान (Public Places) पर लड़ाई करते हैं और इससे सार्वजनिक शांति भंग होती है, तो उन्हें आपराधिक झगड़े का दोषी माना जाता है।
आसान भाषा में कहे तो, यह धारा उस स्थिति में लागू होती है जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर इस तरह से लड़ें कि इससे आम जनता की शांति भंग हो। उदाहरण के लिए सड़क पर, बाजार में, या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर झगड़ा करना धारा 194 के दायरे में आता है।
बीएनएस की धारा 194 के अपराध के मुख्य तत्व
इस धारा के तहत किसी आरोप व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने के लिए कुछ मुख्य तत्वों का होना आवश्यक है:-
- इस अपराध के लिए कम से कम दो लोग शामिल होना जरूरी है।
- झगड़ा किसी सार्वजनिक स्थान पर होना चाहिए, जैसे सड़क, बाजार, पार्क आदि। निजी संपत्ति (Private Property) पर होने वाला झगड़ा आमतौर पर इस धारा के दायरे में नहीं आता है।
- व्यक्तियों के बीच शारीरिक संघर्ष यानि मारपीट होना चाहिए। यह मारपीट इतनी गंभीर होना चाहिए कि इससे सार्वजनिक शांति (Public Peace) भंग हो।
- झगड़े का परिणाम सार्वजनिक शांति भंग होना होना चाहिए। इसका मतलब है कि झगड़े से आम लोगों में डर या असुरक्षा का भाव पैदा होना चाहिए।
धारा 194 के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
- किसी भी सार्वजनिक स्थान जैसे सड़क, बाजार, पार्क आदि में शारीरिक रुप से लड़ाई झगड़ा करना।
- बस, ट्रेन या अन्य सार्वजनिक परिवहन में अन्य यात्रियों के साथ झगड़ा करना।
- खेल के मैदान में अन्य खिलाड़ियों या दर्शकों के साथ मारपीट करना।
- मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि धार्मिक स्थलों पर अन्य लोगों के साथ झगड़ा (Fight) करना।
- राजनीतिक रैलियों या प्रदर्शनों के दौरान अन्य लोगों पर हमला करना।
- सार्वजनिक स्थान पर किसी व्यक्ति को डराना या धमकाना ताकि वह डर जाए या असुरक्षित महसूस करें।
- सार्वजनिक स्थान पर किसी व्यक्ति की निजता (Privacy) का उल्लंघन करना, जैसे कि उन्हें छूना या उनके साथ अभद्र व्यवहार (Abusive Behaviour) करना।
बीएनएस सेक्शन 194 के अपराध का एक सरल उदाहरण
राहुल और रोहित दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे। एक दिन वे दोनों एक बहुत ही बड़े रेस्तरां में खाना खाने गए। खाना खाने के बाद राहुल और रोहित की वेटर के साथ टिप को लेकर किसी बात पर बहस शुरु हो गई। देखते ही देखते बहस इतनी बढ़ती गई जिसके बाद रोहित व राहुल उस वेटर को को गाली-गलौज करने लगे।
रेस्तरां में मौजूद अन्य ग्राहक इस विवाद को देखकर परेशान हो गए। जिसके बाद उन्होंने वेटर के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी और अंततः वे एक-दूसरे को मारने लगे। रेस्तरां के कर्मचारियों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की लेकिन वे उन्हें रोक नहीं पाए। जिसके बाद पुलिस में शिकायत की गई पुलिस ने वहाँ आकर राहुल और रोहित को BNS की धारा 194 के तहत गिरफ्तार कर आगे की कार्यवाही की।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 194 के तहत सजा – Punishment Under BNS 194
बीएनएस की धारा 194 के तहत आपराधिक झगड़े के दोषी (Guilty) पाए जाने पर व्यक्ति को एक महीने तक की साधारण कैद (Simple Imprisonment) व एक हजार रुपये तक के जुर्माने (Fine) का दंड लगाकर दंडित किया जा सकता है। इसके अलावा अगर इस मारपीट के कारण किसी व्यक्ति को गंभीर चोट लग जाती है तो उस व्यक्ति पर अन्य आपराधिक मामलों के तहत भी कार्यवाही की जा सकती है।
BNS Section 194 में जमानत (Bail) का प्रावधान
बीएनएस की धारा 194 के प्रावधान अनुसार आपराधिक झगड़े का यह अपराध संज्ञेय (Cognizable) लेकिन जमानती (Bailable) होता है। इसका मतलब है कि इस अपराध के आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए पुलिस तुरन्त कार्यवाही कर सकती है। साथ ही इस अपराध के जमानती होने के कारण गिरफ्तारी के बाद आरोपी व्यक्ति जमानत प्रक्रिया का पालन कर जमानत (Bail) प्राप्त कर सकता है। इस अपराध से जुड़े मामलों की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
बीएनएस धारा 195 क्या है |
BNS Section 195
दंगा आदि को दबाते समय लोक सेवक पर हमला करना या बाधा डालना
(1) जो कोई किसी गैरकानूनी सभा को तितर-बितर करने, या दंगा या झगड़े को दबाने के प्रयास में किसी लोक सेवक पर हमला करता है या बाधा डालता है या अपने कर्तव्य के निर्वहन में किसी लोक सेवक पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है, उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा। एक अवधि के लिए जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पच्चीस हजार रुपये से कम नहीं होगा, या दोनों के साथ।
(2) जो कोई किसी लोक सेवक पर हमला करने की धमकी देता है या बाधा डालने का प्रयास करता है या गैरकानूनी भीड़ को तितर-बितर करने, या दंगा या झगड़े को दबाने के प्रयास में अपने कर्तव्य के निर्वहन में किसी लोक सेवक को धमकी देता है या आपराधिक बल का उपयोग करने का प्रयास करता है, उसे दंडित किया जाएगा। एक वर्ष तक की अवधि के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 196 क्या है |
BNS Section 196
धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना
(1) जो भी—
(ए) मौखिक या लिखित शब्दों द्वारा, या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से या अन्यथा, धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर प्रचार करता है या बढ़ावा देने का प्रयास करता है या विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच कोई अन्य आधार, वैमनस्य या शत्रुता, घृणा या द्वेष की भावना; या
(बी) कोई भी ऐसा कार्य करेगा जो विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल है, और जो सार्वजनिक शांति को परेशान करता है या बिगाड़ने की संभावना है; या
(सी) किसी भी अभ्यास, आंदोलन, ड्रिल या अन्य समान गतिविधि का आयोजन इस इरादे से करता है कि ऐसी गतिविधि में भाग लेने वाले आपराधिक बल या हिंसा का उपयोग करेंगे या प्रशिक्षित होंगे या यह जानते हुए कि ऐसी गतिविधि में भाग लेने वाले आपराधिक बल या हिंसा का उपयोग करेंगे या प्रशिक्षित होंगे आपराधिक बल या हिंसा का उपयोग करें, या आपराधिक बल या हिंसा का उपयोग करने का इरादा रखते हुए ऐसी गतिविधि में भाग लें या यह जानते हुए कि ऐसी गतिविधि में भाग लेने वाले किसी भी धार्मिक के खिलाफ आपराधिक बल या हिंसा का उपयोग करेंगे या प्रशिक्षित होंगे। , नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय और किसी भी कारण से ऐसी गतिविधि ऐसे धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय के सदस्यों के बीच भय या चिंता या असुरक्षा की भावना पैदा करती है या पैदा होने की संभावना है। कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
(2) जो कोई किसी पूजा स्थल में या धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोहों के प्रदर्शन में लगी किसी सभा में उपधारा (1) में निर्दिष्ट अपराध करेगा, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और दंडित भी किया जाएगा। जुर्माना लगाया जा सकता है.
बीएनएस धारा 197 क्या है |
BNS Section 197
राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप, दावे
(1) जो भी, बोले गए या लिखित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्य अभ्यावेदन द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से या अन्यथा, –
(ए) ऐसा कोई आरोप लगाता या प्रकाशित करता है कि किसी भी वर्ग के व्यक्ति, किसी धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय के सदस्य होने के कारण, कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा नहीं रख सकते हैं। या भारत की संप्रभुता और अखंडता को कायम रखना; या
(बी) यह दावा करता है, परामर्श देता है, सलाह देता है, प्रचारित करता है या प्रकाशित करता है कि किसी भी वर्ग के व्यक्तियों को, किसी धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय का सदस्य होने के कारण, नागरिक के रूप में उनके अधिकारों से वंचित या वंचित किया जाएगा। भारत की; या
(सी) किसी धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय के सदस्य होने के कारण व्यक्तियों के किसी भी वर्ग के दायित्व के संबंध में कोई दावा, वकील, दलील या अपील करता है या प्रकाशित करता है, और ऐसा दावा, वकील, दलील या अपील ऐसे सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच वैमनस्य या शत्रुता या घृणा या द्वेष की भावना पैदा करती है या पैदा करने की संभावना है; या
(डी) भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक जानकारी बनाता है या प्रकाशित करता है, तो कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
(2) जो कोई किसी पूजा स्थल में या धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोहों के प्रदर्शन में लगी किसी सभा में उपधारा (1) में निर्दिष्ट अपराध करेगा, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और दंडित भी किया जाएगा। जुर्माना लगाया जा सकता है.
बीएनएस धारा 198 क्या है |
BNS Section 198
लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से कानून की अवज्ञा करना
जो कोई, एक लोक सेवक होते हुए, जानबूझकर कानून के किसी भी निर्देश की अवज्ञा करता है, जिस तरह से उसे ऐसे लोक सेवक के रूप में आचरण करना है, ऐसा करने का इरादा रखता है, या यह संभावना जानता है कि वह ऐसी अवज्ञा से कारण बनेगा। किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाने पर साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
A, न्यायालय द्वारा Z के पक्ष में सुनाई गई डिक्री को संतुष्ट करने के लिए निष्पादन में संपत्ति लेने के लिए कानून द्वारा निर्देशित एक अधिकारी होने के नाते, जानबूझकर कानून के उस निर्देश की अवज्ञा करता है, यह जानते हुए कि वह संभवतः Z को चोट पहुंचा सकता है। A इस धारा में परिभाषित अपराध किया है.
बीएनएस धारा 199 क्या है |
BNS Section 199
लोक सेवक कानून के तहत निर्देश की अवज्ञा कर रहा है
जो कोई भी, लोक सेवक होने के नाते,—
(ए) जानबूझकर कानून के किसी भी निर्देश की अवज्ञा करता है जो उसे किसी अपराध या किसी अन्य मामले की जांच के उद्देश्य से किसी भी स्थान पर किसी भी व्यक्ति की उपस्थिति की आवश्यकता से रोकता है; या
(बी) जानबूझकर, किसी भी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हुए, उस तरीके को विनियमित करने वाले कानून के किसी अन्य निर्देश की अवज्ञा करता है जिसमें वह ऐसी जांच करेगा; या
(सी) धारा 64, धारा 65 धारा 66, धारा 67, धारा 68 के तहत दंडनीय संज्ञेय अपराध के संबंध में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 174 की उप-धारा (1) के तहत उसे दी गई किसी भी जानकारी को रिकॉर्ड करने में विफल रहता है। धारा 71, धारा 73, धारा 76, धारा 122 या धारा 141 या धारा 142 के तहत कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह महीने से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी देना होगा। .
बीएनएस धारा 200 क्या है |
BNS Section 200
पीड़ित का इलाज न करने पर सजा
जो कोई भी अस्पताल, सार्वजनिक या निजी, चाहे वह केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकायों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चलाया जाता हो, का प्रभारी होने के नाते, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 449 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा। एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 201 क्या है |
BNS Section 201
लोक सेवक चोट पहुंचाने के इरादे से गलत दस्तावेज तैयार कर रहा है
जो कोई, एक लोक सेवक होने के नाते, और ऐसे लोक सेवक होने के नाते, किसी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की तैयारी या अनुवाद का आरोप लगाता है, उस दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को उस तरीके से तैयार करता है, तैयार करता है या अनुवाद करता है जिसे वह जानता है या मानता है। गलत, कारित करने का इरादा रखते हुए या यह जानते हुए कि वह किसी व्यक्ति को चोट पहुंचा सकता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस धारा 202 क्या है |
BNS Section 202
लोक सेवक अवैध रूप से व्यापार में संलग्न
जो कोई, एक लोक सेवक होने के नाते, और ऐसे लोक सेवक के रूप में व्यापार में संलग्न न होने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होने के कारण, व्यापार में संलग्न होगा, उसे एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा। या सामुदायिक सेवा के साथ।
बीएनएस धारा 203 क्या है |
BNS Section 203
लोक सेवक गैरकानूनी तरीके से संपत्ति खरीदना या बोली लगाना
जो कोई, एक लोक सेवक होने के नाते, और ऐसे लोक सेवक के रूप में कानूनी रूप से बाध्य है, कुछ संपत्ति खरीदने या उसके लिए बोली लगाने के लिए नहीं, उस संपत्ति के लिए खरीद या बोली लगाता है, या तो अपने नाम पर या दूसरे के नाम पर, या संयुक्त रूप से, या दूसरों के साथ शेयरों में, साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा; और संपत्ति, यदि खरीदी गई, जब्त कर ली जाएगी।
बीएनएस धारा 204 क्या है |
BNS Section 204
एक लोक सेवक का रूप धारण करना
जो कोई लोक सेवक के रूप में किसी विशेष पद को धारण करने का दिखावा करता है, यह जानते हुए कि वह ऐसा पद धारण नहीं करता है या ऐसे पद धारण करने वाले किसी अन्य व्यक्ति का झूठा परिचय देता है, और ऐसे कल्पित चरित्र में ऐसे पद के तहत कोई कार्य करता है या करने का प्रयास करता है, किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जो छह महीने से कम नहीं होगा लेकिन जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जाएगा।
बीएनएस धारा 205 क्या है |
BNS Section 205
धोखाधड़ी के इरादे से लोक सेवक द्वारा उपयोग की जाने वाली पोशाक पहनना या टोकन रखना
जो कोई, लोक सेवकों के एक निश्चित वर्ग से संबंधित नहीं है, कोई पोशाक पहनता है या लोक सेवकों के उस वर्ग द्वारा उपयोग किए जाने वाले किसी भी परिधान या प्रतीक के समान कोई प्रतीक रखता है, इस इरादे से कि उस पर विश्वास किया जा सके, या यह जानते हुए कि यह है यह विश्वास किए जाने की संभावना है कि वह लोक सेवकों के उस वर्ग से संबंधित है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस धारा 206 क्या है |
BNS Section 206
समन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार होना
जो कोई किसी लोक सेवक, जैसे कि लोक सेवक, ऐसे समन, नोटिस या आदेश जारी करने के लिए कानूनी रूप से सक्षम है, से सम्मन, नोटिस या आदेश की कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाता है, –
(ए) एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से;
(बी) जहां ऐसा समन या नोटिस या आदेश व्यक्तिगत रूप से या एजेंट द्वारा उपस्थित होने के लिए है, या किसी न्यायालय में दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पेश करने के लिए है, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना से दंडित किया जाएगा। दस हजार रुपये तक या दोनों के साथ बढ़ाया जा सकता है।
बीएनएस धारा 207 क्या है |
BNS Section 207
समन या अन्य कार्यवाही की तामील को रोकना, या उसके प्रकाशन को रोकना
जो कोई भी किसी भी तरीके से जानबूझकर खुद को, या किसी अन्य व्यक्ति को, ऐसे समन, नोटिस या आदेश जारी करने के लिए कानूनी रूप से सक्षम किसी भी लोक सेवक से कार्यवाही करने वाले किसी भी सम्मन, नोटिस या आदेश की तामील करने से रोकता है, या जानबूझकर ऐसे किसी भी सम्मन, नोटिस या आदेश को किसी भी स्थान पर वैध रूप से चिपकाने से रोकता है या जानबूझकर ऐसे किसी भी सम्मन, नोटिस या आदेश को किसी भी स्थान से हटा देता है जहां वह वैध रूप से चिपकाया जाता है या जानबूझकर किसी लोक सेवक के अधिकार के तहत किसी भी उद्घोषणा को वैध बनाने से रोकता है। ऐसे लोक सेवक के रूप में कानूनी रूप से सक्षम, ऐसी उद्घोषणा करने का निर्देश देने के लिए,–
(ए) एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा;
(बी) जहां समन, नोटिस, आदेश या उद्घोषणा में व्यक्तिगत रूप से या एजेंट द्वारा उपस्थित होना है, या अदालत में एक दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पेश करना है, जिसमें छह महीने तक की साधारण कारावास की सजा हो सकती है, या जुर्माना हो सकता है। दस हजार रुपये तक या दोनों के साथ बढ़ाया जा सकता है।
बीएनएस धारा 208 क्या है |
BNS Section 208
लोक सेवक के आदेश के अनुपालन में गैर-उपस्थिति
जो कोई किसी लोक सेवक से सम्मन, नोटिस, आदेश या उद्घोषणा की कार्यवाही के अनुपालन में किसी निश्चित स्थान और समय पर व्यक्तिगत रूप से या किसी एजेंट द्वारा उपस्थित होने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, ऐसे लोक सेवक के रूप में, उसे जारी करने के लिए , जानबूझकर उस स्थान या समय पर उपस्थित होने से चूक जाता है या उस स्थान से, जहां वह उपस्थित होने के लिए बाध्य है, उस समय से पहले चला जाता है जिस समय उसके लिए प्रस्थान करना वैध है,–-
(ए) एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से;
(बी) जहां समन, नोटिस, आदेश या उद्घोषणा के लिए किसी न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से या एजेंट द्वारा उपस्थित होना हो, तो छह महीने तक की अवधि के लिए साधारण कारावास, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
रेखांकन
(ए) ए, कानूनी रूप से उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए बाध्य है, उस न्यायालय से जारी एक सम्मन का पालन करते हुए, जानबूझकर उपस्थित होने से चूक जाता है। ए ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
(बी) ए, एक जिला न्यायाधीश के समक्ष गवाह के रूप में उपस्थित होने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होने के कारण, उस जिला न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए सम्मन का पालन करते हुए जानबूझकर उपस्थित होने से चूक जाता है। ए ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
बीएनएस धारा 209 क्या है |
BNS Section 209
2023 के अधिनियम की धारा 82 के तहत उद्घोषणा के जवाब में गैर-उपस्थिति
जो कोई भी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 84 की उप-धारा (1) के तहत प्रकाशित उद्घोषणा द्वारा अपेक्षित निर्दिष्ट स्थान और निर्दिष्ट समय पर उपस्थित होने में विफल रहता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा। तीन साल या जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा के साथ, और जहां उस धारा की उप-धारा (4) के तहत उसे घोषित अपराधी घोषित करने की घोषणा की गई है, तो उसे एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे बढ़ाया जा सकता है। सात साल और जुर्माना भी देना होगा।
बीएनएस धारा 210 क्या है |
BNS Section 210
इसे प्रस्तुत करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को दस्तावेज प्रस्तुत करने में चूक
जो कोई, किसी भी लोक सेवक को किसी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को प्रस्तुत करने या वितरित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, जानबूझकर उसे प्रस्तुत करने या वितरित करने से चूक जाता है,–-
(ए) एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से;
(बी) और जहां दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को अदालत में पेश या वितरित किया जाना है, उसे साधारण कारावास की सजा हो सकती है, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
रेखांकन
ए, जिला न्यायालय के समक्ष एक दस्तावेज पेश करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होने के कारण, जानबूझकर उसे पेश करने से चूक जाता है। ए ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
बीएनएस धारा 211 क्या है |
BNS Section 211
इसे देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को नोटिस या जानकारी देने में चूक
जो कोई, किसी भी लोक सेवक को किसी भी विषय पर कोई नोटिस देने या जानकारी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होने के कारण, जानबूझकर ऐसी सूचना देने या ऐसी जानकारी देने से कानून द्वारा अपेक्षित तरीके और समय पर चूक जाता है, –
(ए) एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से;
(बी) जहां किसी अपराध के घटित होने के संबंध में नोटिस या सूचना देने की आवश्यकता है, या किसी अपराध के घटित होने को रोकने के लिए या किसी अपराधी को पकड़ने के लिए आवश्यक है, वहां एक अवधि के लिए साधारण कारावास की सजा दी जाएगी। छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों;
(सी) जहां नोटिस या जानकारी देने की आवश्यकता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 447 के तहत पारित आदेश द्वारा की जाती है, जिसमें छह महीने तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। एक हजार रुपये तक, या दोनों के साथ।
बीएनएस धारा 212 क्या है |
BNS Section 212
गलत जानकारी प्रस्तुत करना
जो कोई, किसी भी लोक सेवक को किसी भी विषय पर जानकारी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, वह उस विषय पर जानकारी को सत्य मानकर प्रस्तुत करता है, जिसे वह जानता है या उसके गलत होने का विश्वास करने का कारण रखता है,–-
(ए) को साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा;
(बी) जहां वह जानकारी जो वह किसी अपराध के घटित होने के संबंध में देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, या किसी अपराध के घटित होने को रोकने के उद्देश्य से, या किसी अपराधी को पकड़ने के लिए आवश्यक है, दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास की सजा हो सकती है। जिसकी अवधि दो वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
रेखांकन
(ए) ए, एक भूमिधारक, अपनी संपत्ति की सीमा के भीतर एक हत्या के कमीशन के बारे में जानते हुए, जानबूझकर जिले के मजिस्ट्रेट को गलत सूचना देता है कि मौत सांप के काटने के परिणामस्वरूप दुर्घटनावश हुई है। ए इस धारा में परिभाषित अपराध का दोषी है।
(बी) ए, एक गांव का चौकीदार, यह जानते हुए कि पड़ोस में रहने वाले जेड के घर में डकैती करने के लिए अजनबियों का एक बड़ा समूह उसके गांव से गुजरा है, और यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 28 है, 2023 निकटतम पुलिस स्टेशन के अधिकारी को उपरोक्त तथ्य की शीघ्र और समय पर जानकारी देने के लिए, जानबूझकर पुलिस अधिकारी को गलत सूचना देता है कि संदिग्ध व्यक्तियों का एक समूह एक अलग स्थान पर एक निश्चित दूर के स्थान पर डकैती करने के उद्देश्य से गांव से होकर गुजरा है। दिशा। यहां ए इस खंड के उत्तरार्ध में परिभाषित अपराध का दोषी है।
स्पष्टीकरण.- धारा 209 में और इस धारा में “अपराध” शब्द में भारत के बाहर किसी भी स्थान पर किया गया कोई भी कार्य शामिल है, जो यदि भारत में किया जाता है, तो निम्नलिखित में से किसी भी धारा के तहत दंडनीय होगा, अर्थात् 97, 99, 172 , 173, 174, 175, 301, धारा 303 के खंड (बी) से (डी), धारा 304, 305, 306, 320, 325 और 326 और “अपराधी” शब्द में कोई भी व्यक्ति शामिल है जिस पर दोषी होने का आरोप है ऐसा कोई कृत्य l
बीएनएस धारा 213 क्या है |
BNS Section 213
लोक सेवक द्वारा विधिवत अपेक्षित होने पर शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना
जो कोई भी सत्य बोलने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा खुद को बाध्य करने से इनकार करता है, जब एक लोक सेवक द्वारा खुद को बाध्य करने के लिए कानूनी रूप से सक्षम होने की आवश्यकता होती है, तो उसे एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे बढ़ाया जा सकता है। छह महीने तक की सजा, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 214 क्या है |
BNS Section 214
सवाल करने के लिए अधिकृत लोक सेवक को जवाब देने से इनकार करना
जो कोई किसी लोक सेवक से किसी विषय पर सत्य कहने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उस लोक सेवक द्वारा अपनी वैध शक्तियों के प्रयोग में उस विषय से संबंधित पूछे गए किसी प्रश्न का उत्तर देने से इंकार करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
बीएनएस धारा 215 क्या है |
BNS Section 215
बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करना
जो कोई भी अपने द्वारा दिए गए किसी भी बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है, जब कानूनी रूप से सक्षम लोक सेवक द्वारा उस बयान पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है कि वह उस बयान पर हस्ताक्षर करेगा, तो उसे एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो तीन हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से।
बीएनएस धारा 216 क्या है |
BNS Section 216
लोक सेवक या शपथ या प्रतिज्ञान दिलाने के लिए अधिकृत व्यक्ति को शपथ या प्रतिज्ञान पर गलत बयान देना
जो कोई किसी लोक सेवक या कानून द्वारा ऐसी शपथ या प्रतिज्ञान दिलाने के लिए अधिकृत किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी विषय पर सत्य बयान करने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा कानूनी रूप से बाध्य किया जाता है, ऐसे लोक सेवक या पूर्वोक्त अन्य व्यक्ति को, इस बात को छूता हुआ देता है। विषय, कोई भी कथन जो झूठा है, और जिसे वह जानता है या झूठ मानता है या सच नहीं मानता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, और इसके लिए उत्तरदायी भी होगा। अच्छा।
बीएनएस धारा 217 क्या है |
BNS Section 217
लोक सेवक को किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने के लिए अपनी कानूनी शक्ति का उपयोग करने के इरादे से झूठी जानकारी
जो कोई किसी लोक सेवक को कोई ऐसी जानकारी देता है जिसके बारे में वह जानता है या झूठ मानता है, ऐसा लोक सेवक-
(ए) ऐसा कुछ भी करना या छोड़ना जो ऐसे लोक सेवक को नहीं करना चाहिए या छोड़ना चाहिए यदि ऐसी जानकारी जिसके संबंध में तथ्यों की सही स्थिति उसे ज्ञात थी; या
(बी) किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने या परेशान करने के लिए ऐसे लोक सेवक की वैध शक्ति का उपयोग करने के लिए, किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों के साथ.
रेखांकन
(ए) ए एक मजिस्ट्रेट को सूचित करता है कि जेड, एक पुलिस-अधिकारी, जो ऐसे मजिस्ट्रेट के अधीनस्थ है, कर्तव्य की उपेक्षा या कदाचार का दोषी है, यह जानते हुए कि ऐसी जानकारी झूठी है, और यह जानते हुए भी कि जानकारी मजिस्ट्रेट को नुकसान पहुंचाएगी। Z को बर्खास्त करने के लिए। A ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
(बी) ए ने एक लोक सेवक को झूठी सूचना दी कि ज़ेड के पास एक गुप्त स्थान पर प्रतिबंधित नमक है, यह जानते हुए कि ऐसी जानकारी झूठी है, और यह जानते हुए कि यह संभावना है कि सूचना का परिणाम ज़ेड के परिसर की तलाशी होगी, जिसमें झुंझलाहट होगी। Z. A ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
(सी) एक पुलिसकर्मी को झूठी सूचना देता है कि उस पर एक विशेष गांव के पड़ोस में हमला किया गया और लूट लिया गया। वह अपने हमलावरों में से किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं बताता है, लेकिन यह जानता है कि इस जानकारी के परिणामस्वरूप पुलिस पूछताछ करेगी और ग्रामीणों या उनमें से कुछ को परेशान करने के लिए गांव में तलाशी लेगी। ए ने इस धारा के तहत अपराध किया है।
बीएनएस धारा 218 क्या है |
BNS Section 218
किसी लोक सेवक के वैध प्राधिकारी द्वारा संपत्ति लेने का विरोध
जो कोई यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह ऐसा लोक सेवक है, किसी भी लोक सेवक की वैध प्राधिकारी द्वारा किसी संपत्ति को लेने का विरोध करेगा, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे छह तक बढ़ाया जा सकता है। महीने, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से।
बीएनएस धारा 219 क्या है |
BNS Section 219
लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा बिक्री के लिए प्रस्तावित संपत्ति की बिक्री में बाधा डालना
जो कोई किसी लोक सेवक के वैध प्राधिकारी द्वारा बिक्री के लिए पेश की गई संपत्ति की बिक्री में जानबूझकर बाधा डालता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच तक बढ़ाया जा सकता है। हजार रुपये, या दोनों के साथ।
बीएनएस धारा 220 क्या है |
BNS Section 220
लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा बिक्री के लिए प्रस्तावित संपत्ति की अवैध खरीद या बोली
जो कोई, किसी लोक सेवक के वैध प्राधिकारी द्वारा रखी गई संपत्ति की किसी भी बिक्री पर, किसी भी व्यक्ति के लिए किसी भी संपत्ति की खरीद या बोली लगाता है, चाहे वह खुद या कोई अन्य, जिसे वह जानता है कि वह कानूनी अक्षमता के तहत है उस बिक्री पर उस संपत्ति की खरीद, या ऐसी संपत्ति के लिए बोली लगाने का इरादा उन दायित्वों को पूरा करने का नहीं है जिनके तहत वह ऐसी बोली लगाकर खुद को रखता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना लगाया जा सकता है। दो सौ रुपये तक बढ़ाएँ, या दोनों के साथ।
बीएनएस धारा 221 क्या है |
BNS Section 221
लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना
जो कोई भी स्वेच्छा से किसी लोक सेवक को उसके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दो हजार पांच सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस धारा 222 क्या है |
BNS Section 222
सहायता देने के लिए कानून द्वारा बाध्य होने पर लोक सेवक की सहायता करने में चूक
जो कोई, किसी लोक सेवक को उसके सार्वजनिक कर्तव्य के निष्पादन में सहायता देने या देने के लिए कानून द्वारा बाध्य होने के कारण, जानबूझकर ऐसी सहायता देने से चूक जाता है,–
(ए) एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दो हजार पांच सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से;
(बी) और जहां किसी न्यायालय द्वारा कानूनी रूप से जारी किसी भी प्रक्रिया को निष्पादित करने या किसी अपराध के घटित होने को रोकने, या दंगा या झगड़े को दबाने के प्रयोजनों के लिए ऐसी मांग करने के लिए कानूनी रूप से सक्षम लोक सेवक द्वारा ऐसी सहायता की मांग की जाती है, या किसी अपराध के आरोपी या दोषी व्यक्ति को पकड़ने, या कानूनी हिरासत से भागने पर, साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों।
बीएनएस धारा 223 क्या है |
BNS Section 223
आजकल ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जहां लोग जानबूझकर कानून तोड़ रहे हैं और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ रहे हैं। चाहे वह यातायात नियमों को तोड़ना हो, लॉकडाउन के दौरान बाहर निकलना हो या फिर पुलिस के आदेश की अवहेलना करना हो, ये सभी कार्य इस कानूनी रुप से अपराध के दायरे में आते हैं। ऐसे में हम सभी का यह जानना बेहद जरूरी है कि कानूनी आदेशों का क्या महत्व होता है और इसके उल्लंघन के क्या परिणाम हो सकते हैं। आज के इस लेख में हम सरकारी आदेशों को ना मानने के अपराध में लागू की जाने वाली भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में बात करेंगे, कि बीएनएस की धारा 223 क्या है (BNS Section 223 )? इस धारा में अपराधी को सजा कितनी होती है और BNS 292 (A) (B) में जमानत का क्या प्रावधान है?
कुछ ही समय पहले तक जब भी कोई व्यक्ति सरकारी अधिकारी के द्वारा जनता के हितों के लिए लागू किए आदेशों की अवहेलना करता था, तो उस व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 लगाई जाती थी। लेकिन अब पहले के मुकाबले चीजें बदल गई हैं। भारतीय दंड संहिता की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू हो गई है। इस बदलाव के कारण ही ऐसे मामलों पर अब बीएनएस धारा 223 लगाई जाती है। जिसके बारे में सभी संबंधित जानकारियाँ आपको इस लेख के माध्यम से बहुत ही आसानी से प्राप्त हो सकती है।
बीएनएस की धारा 223 क्या है – BNS Section 223
BNS की धारा 223 जो सार्वजनिक शांति (Public Peace) और व्यवस्था (Arrangement) बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह धारा किसी लोक सेवक द्वारा जारी किए गए आदेश को ना मानने या अनदेखा करने से संबंधित है।
जब किसी लोक सेवक (जैसे पुलिस अधिकारी, सरकारी अधिकारी) द्वारा कानूनी रुप से कोई आदेश (Order) जारी किया जाता है और सभी व्यक्तियों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह एक खास काम न करे या किसी खास संपत्ति (Property) के संबंध में कुछ कदम उठाए, तब उस व्यक्ति को उस आदेश का पालन करना जरूरी होता है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर उन आदेशों का पालन नहीं करता तो इसे आदेश की अवहेलना (अनादर) कहा जाता है। जिसके लिए धारा 223 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
- बीएनएस धारा 223 का खण्ड (a) इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के द्वारा दिए गए आदेशों (Orders) को नहीं मानता और उनका उल्लंघन करता है जिसके कारण किसी अन्य व्यक्ति को चोट या असुविधा (injury or discomfort) होती है, तो उस व्यक्ति को खण्ड (Clause) (a) में बताई गई सजा से दंडित (Punished) किया जाता है।
- बीएनएस धारा 223 का खण्ड (b) अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी (Government Officer) के द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन (Violation) करता है जिससे किसी इंसान के जीवन को खतरा (Life Threatening) होता है, या दंगा (Riots) होना की संभावना होती है। तो ऐसे व्यक्ति को धारा 223 के खण्ड (b) में दी गई सजा से दंडित किया जाता है।
धारा 223 के अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व
- लोक सेवक: आदेश देने वाला व्यक्ति एक लोक सेवक यानि सरकारी अधिकारी (Govt. Officer) होना चाहिए, जैसे कि पुलिस अधिकारी, नगर निगम का अधिकारी, या कोई अन्य सरकारी अधिकारी।
- वैध आदेश: आदेश कानून के अनुसार होना चाहिए और सार्वजनिक हित (Public Interest) में जारी किया गया होना चाहिए।
- जानबूझकर अवहेलना: किसी व्यक्ति द्वारा कानूनी आदेशों की अवहेलना जानबूझकर करनी चाहिए। यानी उसे पता होना चाहिए कि वह क्या कर रहा है और वह आदेश का पालन करने से इनकार कर रहा है।
- दंगा या सार्वजनिक शांति भंग का खतरा: हालांकि यह आवश्यक नहीं है, लेकिन यदि आदेश को ना मानने के परिणामस्वरूप दंगा या सार्वजनिक शांति भंग होने का खतरा उत्पन्न होता है, तो यह अपराध और अधिक गंभीर हो जाता है।
बीएनएस की धारा 223 के अपराध के समझने के लिए एक उपयोगी उदाहरण
एक शहर में हर साल एक बड़ा धार्मिक जुलूस निकाला जाता था। इस बार प्रशासन ने कुछ सड़कों पर जुलूस को जाने से रोकने के लिए आदेश जारी किया था। यह आदेश लोक सेवक अमित द्वारा दिया गया था। उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया था क्योंकि उस क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव का खतरा था और वहां से जुलूस निकलने से शांति भंग हो सकती थी।
प्रदीप जो इस जुलूस को करवा रहे थे उन्हें भी इस आदेश के बारे में जानकारी दी गई थी। लेकिन प्रदीप ने जानबूझकर इस आदेश को अनदेखा करने का फैसला किया। उसने जुलूस को उसी सड़क से निकालने का निर्देश दिया, जहां से गुजरने पर प्रतिबंध था।
प्रदीप की इस अवहेलना के कारण जुलूस जैसे ही प्रतिबंधित सड़क पर पहुंचा, वहां सांप्रदायिक तनाव (Communal tension) भड़क उठा। लोगों के बीच विवाद हुआ और हालात गंभीर हो गए। दंगे (Riots) का माहौल बनने लगा, और प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। जिसके बाद प्रदीप पर BNS Section 223 के तहत कार्यवाही की गई।
BNS Section 223 के अपराध से जुड़े कुछ कार्य
- जब सरकार कोई आपातकालीन स्थिति (Emergency Situation) घोषित करती है और लोगों को घर पर रहने का आदेश देती है, तो इसे तोड़ना भी इस धारा के तहत अपराध है।
- अगर पुलिस कोई कानून व्यवस्था (Law & Order) बनाए रखने के लिए कोई आदेश देती है और आप उसकी अवहेलना करते हैं, तो यह अपराध है।
- अगर किसी सार्वजनिक जगह (Public Places) पर, जैसे कि अस्पताल या लाइब्रेरी में, आप बहुत ज्यादा शोर मचाते हैं और किसी को परेशान करते हैं, तो यह भी इस धारा के तहत आ सकता है।
- अगर आप जानबूझकर किसी सार्वजनिक संपत्ति, जैसे कि बस स्टॉप या पार्क को नुकसान पहुंचाते हैं, तो यह भी अपराध है।
- अगर आप किसी धरना प्रदर्शन के दौरान हिंसक होते हैं या अन्य लोगों को हिंसा (Violence) के लिए उकसाते हैं, तो यह भी इस धारा के तहत आ सकता है।
- कोरोना जैसी महामारी के दौरान जारी किए गए निर्देशों को न मानना जैसे कि मास्क न पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना।
- अगर आप किसी सरकारी अधिकारी को धमकाते हैं या उसके काम में बाधा डालते हैं।
- बिना किसी वैध कारण के सार्वजनिक स्थान पर हथियार (Weapon) लेकर घूमना।
बीएनएस धारा 223 में सरकारी आदेशों को ना मानने के दोषी को कितनी सजा होती है
बीएनएस सेक्शन 223 के उल्लंघन (Violation) पर सजा का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि चोट या नुकसान कितना गंभीर है। आइए इसे विस्तार से और सरल भाषा में समझते हैं:
- BNS 223 (a):- अगर किसी व्यक्ति द्वारा सरकारी आदेशों को ना मानने के कारण किसी अन्य व्यक्ति को असुविधा, परेशानी या चोट लगती है, या इसका खतरा पैदा होता है, तो ऐसे व्यक्ति को अधिकतम 6 महीने तक के साधारण कारावास (जेल) की सजा दी जा सकती है। इसके साथ-साथ 2,500 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है, या दोनों सजा हो सकती हैं।
- BNS 223 (b):- अगर आदेश का उल्लंघन करने से मानव जीवन, स्वास्थ्य, या सुरक्षा को खतरा हो, या इससे दंगा या झगड़ा पैदा हो, तो ऐसे व्यक्ति को अधिकतम 1 वर्ष तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा 5,000 रुपये तक का जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, या दोनों सजा हो सकती हैं।
बीएनएस सेक्शन 223 में जमानत के लिए क्या कानूनी प्रावधान है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 का यह अपराध संज्ञेय (Cognizable) होता है, इसका अर्थ है कि जो भी व्यक्ति सरकारी आदेशों को ना मानकर लोगों के लिए असुविधा का कारण बनता है। उस व्यक्ति को तुरन्त पुलिस द्वारा गिरफ्तार (Arrest) किया जा सकता है। गंभीर होने के साथ-साथ धारा 223 जमानती (Bailable) होती है। जिसमें गिरफ्तारी के बाद आरोपी व्यक्ति को जमानत पर कुछ शर्तों के साथ रिहा किया जा सकता है।
निष्कर्ष:- BNS Section 223 सरकारी आदेशों का पालन ना करने वाले व्यक्तियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही करती है। जिससे लोगों की सुरक्षा व उनके हितों की रक्षा की जा सकती है। इन सभी जानकारियों की मदद से सभी लोगों को यह जानना व समझना बहुत जरुरी है कि कानूनी आदेश हमारे भले के लिए होते है, और हमें उनका पालन करना चाहिए।
बीएनएस धारा 224 क्या है |
BNS Section 224
लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी
जो कोई किसी लोक सेवक को, या किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके बारे में उसका मानना है कि उस लोक सेवक का हित है, चोट पहुंचाने की धमकी देता है, उस लोक सेवक को कोई कार्य करने के लिए प्रेरित करने के लिए, या किसी भी कार्य को करने से रोकने या विलंब करने के लिए। ऐसे लोक सेवक के सार्वजनिक कार्यों के अभ्यास से संबंधित कृत्य के लिए दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस धारा 225 क्या है |
BNS Section 225
किसी व्यक्ति को लोक सेवक की सुरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने के लिए चोट पहुंचाने की धमकी
जो कोई किसी व्यक्ति को किसी भी चोट के खिलाफ सुरक्षा के लिए कानूनी रूप से सशक्त किसी भी लोक सेवक को ऐसी सुरक्षा देने या ऐसा करने के लिए कानूनी आवेदन करने से रोकने या रोकने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाने की धमकी देता है। संरक्षण देने पर एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस धारा 226 क्या है |
BNS Section 226
वैध शक्ति के प्रयोग को मजबूर करने या रोकने के लिए आत्महत्या करने का प्रयास
जो कोई भी किसी लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए मजबूर करने या रोकने के इरादे से आत्महत्या करने का प्रयास करेगा, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों से या सामुदायिक सेवा से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस धारा 227 क्या है |
BNS Section 227
झूठा साक्ष्य देना
जो कोई, शपथ द्वारा या कानून के स्पष्ट प्रावधान द्वारा सत्य बयान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, या किसी विषय पर घोषणा करने के लिए कानून द्वारा बाध्य है, कोई भी ऐसा बयान देता है जो झूठा है, और जिसके बारे में वह जानता है या विश्वास करता है झूठा होना या सच न मानना, झूठा साक्ष्य देना कहा जाता है।
स्पष्टीकरण 1.— एक बयान इस खंड के अर्थ के भीतर है, चाहे वह मौखिक रूप से दिया गया हो या अन्यथा।
स्पष्टीकरण 2.- प्रमाणित करने वाले व्यक्ति के विश्वास के बारे में एक गलत बयान इस धारा के अर्थ के अंतर्गत है, और एक व्यक्ति यह कहकर झूठा साक्ष्य देने का दोषी हो सकता है कि वह उस चीज़ पर विश्वास करता है जिस पर वह विश्वास नहीं करता है, साथ ही साथ यह बताते हुए कि वह एक ऐसी चीज़ जानता है जो वह नहीं जानता है।
रेखांकन
(ए) ए, एक उचित दावे के समर्थन में, जो बी ने जेड के खिलाफ एक हजार रुपये के लिए किया है, एक मुकदमे में झूठी शपथ लेता है कि उसने जेड को बी के दावे के न्याय को स्वीकार करते हुए सुना है। ए ने झूठा साक्ष्य दिया है।
(बी) ए, सत्य बताने की शपथ से बंधा हुआ है, कहता है कि उसका मानना है कि एक निश्चित हस्ताक्षर ज़ेड की लिखावट है, जबकि उसे विश्वास नहीं है कि यह ज़ेड की लिखावट है। यहां ए वही बताता है जो वह जानता है झूठा हो, और इसलिए झूठा सबूत देता है।
(सी) ए, ज़ेड की लिखावट के सामान्य चरित्र को जानते हुए, कहता है कि वह एक निश्चित हस्ताक्षर को ज़ेड की लिखावट मानता है; ए नेकनीयती से ऐसा मानते हुए। यहां ए का बयान केवल उसके विश्वास के बारे में है, और उसके विश्वास के बारे में सच है, और इसलिए, हालांकि हस्ताक्षर जेड की लिखावट नहीं हो सकता है, ए ने गलत सबूत नहीं दिया है।
(डी) ए, सत्य बताने की शपथ से बंधा हुआ है, कहता है कि वह जानता है कि ज़ेड एक विशेष दिन पर एक विशेष स्थान पर था, इस विषय पर कुछ भी नहीं जानता था। A झूठा साक्ष्य देता है कि बताए गए दिन Z उस स्थान पर था या नहीं।
(ई) ए, एक दुभाषिया या अनुवादक, किसी कथन या दस्तावेज़ की सच्ची व्याख्या या अनुवाद देता है या प्रमाणित करता है, जिसकी वह सही व्याख्या या अनुवाद करने के लिए शपथ से बाध्य है, जो नहीं है और जिसे वह सच नहीं मानता है व्याख्या या अनुवाद. क ने झूठा साक्ष्य दिया है।