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BNS (भारतीय न्याय संहिता ) Part 7

बीएनएस धारा 138 क्या है |

BNS Section 138

अपहरण

        जो कोई किसी व्यक्ति को किसी स्थान से जाने के लिए बलपूर्वक बाध्य करता है, या किसी कपटपूर्ण साधन से उत्प्रेरित करता है, वह उस व्यक्ति का अपहरण करता है, ऐसा कहा जाता है।

बीएनएस धारा 139 क्या है |

BNS Section 139

भीख मांगने के लिए किसी बच्चे का अपहरण करना या अपंग बनाना

(1) जो कोई भी अठारह वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे का अपहरण करता है या ऐसे बच्चे का वैध अभिभावक न होते हुए, बच्चे की अभिरक्षा प्राप्त करता है, ताकि ऐसे बच्चे को भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या उपयोग किया जा सके। कठोर कारावास से दंडनीय, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

(2) जो कोई भी अठारह वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को अपंग बना देगा ताकि ऐसे बच्चे को भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या उपयोग किया जा सके, वह कारावास से दंडनीय होगा जो बीस वर्ष से कम नहीं होगा, लेकिन जिसे जीवन तक बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास और जुर्माना होगा।

(3) जहां कोई भी व्यक्ति, जो अठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे का वैध संरक्षक नहीं है, ऐसे बच्चे को भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या उपयोग करता है, यह माना जाएगा, जब तक कि इसके विपरीत साबित न हो जाए, कि उसने अपहरण किया है या अन्यथा प्राप्त किया है। ऐसे बच्चे की अभिरक्षा ताकि ऐसे बच्चे को नियोजित किया जा सके या भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सके।

(4) इस खंड में “भीख माँगना” का अर्थ है—

(i) किसी सार्वजनिक स्थान पर भिक्षा मांगना या प्राप्त करना, चाहे गायन, नृत्य, भाग्य बताने, करतब दिखाने या सामान बेचने या अन्यथा के बहाने;
(ii) भिक्षा मांगने या प्राप्त करने के उद्देश्य से किसी निजी परिसर में प्रवेश करना;
(iii) भिक्षा प्राप्त करने या जबरन वसूली के उद्देश्य से, किसी घाव, घाव, चोट, विकृति या बीमारी को उजागर करना या प्रदर्शित करना, चाहे वह स्वयं की हो या किसी अन्य व्यक्ति की या किसी जानवर की;
(iv) भिक्षा मांगने या प्राप्त करने के उद्देश्य से ऐसे बच्चे को एक प्रदर्शनी के रूप में उपयोग करना।

बीएनएस धारा 140 क्या है |

BNS Section 140

       क्या आप जानते हैं कि जब कोई किसी व्यक्ति को जबरदस्ती कहीं ले जाता है और उसे मारने या नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है, तो यह एक गंभीर अपराध माना जाता है? जी हाँ अकसर लोग पैसे के लालच में आकर या अपनी किसी प्रकार की दुश्मनी के चलते अपहरण करके जान से मारने के गंभीर अपराध को अंजाम देते है। आज के इस लेख द्वारा आपको इस तरह के अपराध के लिए लगती वाली कानूनी धारा के बारे में बात करेंगे। आज हम भारतीय न्याय संहिता की धारा 140 के बारे में बताएंगे, कि बीएनएस की धारा 140 क्या है (BNS Section 140 )? यह कब लगती है और इस धारा के तहत सज़ा कितनी होती है और जमानत का क्या प्रावधान है?

         किसी को अगवा करके उसे जान से मार देना या अन्य किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँचाना एक बहुत ही गंभीर अपराध माना जाता है। इस अपराध के लिए पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364, 365 व 367 के तहत कार्यवाही की जाती थी। परन्तु IPC से BNS बने नए कानून के बाद से इन सभी धाराओं में बताए गए अपराध को भारतीय न्याय संहिता की धारा 140 में जोड़ दिया गया है। इसलिए इस अपराध से जुड़े बचाव उपायों व अन्य सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने व समझने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े।

बीएनएस की धारा 140 क्या है व यह कब लगती है – BNS Section 140 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 140 एक बहुत ही गंभीर अपराध से संबंधित है। यह धारा किसी व्यक्ति की हत्या करने, फिरौती मांगने या गंभीर चोट पहुँचाने के लिए अपहरण (Kidnapping) करने के अपराध से संबंधित है।

       सरल भाषा में कहे, तो जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करने, पैसे मांगने या किसी भी प्रकार की गंभीर चोट पहुंचाने के लिए उसका अपहरण करेगा। उस व्यक्ति पर BNS की धारा 140 व उसकी उपधाराओं (Sub-Sections) को लागू कर कार्यवाही की जा सकती है।

बीएनएस धारा 140 के अंदर अपहरण के अपराध के तरीकों को 4 अलग-अलग उपधाराओं के द्वारा बताया गया है, जो कि इस प्रकार है:-

  1. BNS Section 140 की उपधारा (1): इसके द्वारा बताया गया है कि आरोपी व्यक्ति (Accused Person) जब किसी व्यक्ति को जान से मारने या हत्या (Murder) करने के लिए अपहरण करता है, तो उस पर धारा 140(1)के तहत कार्यवाही की जाती है। यह एक बहुत ही गंभीर अपराध है और इसके दोषी (Guilty) व्यक्ति को बहुत ही कठोर सजा से दंडित किया जाता है।
  2. BNS Section 140 की उपधारा (2): इस कानून में किसी व्यक्ति को फिरौती यानी पैसे या किसी अन्य वस्तु की मांग के लिए जबरदस्ती अगवा (Kidnapped) करने के अपराध के बारे में बताया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी को पकड़कर ले जाता है। जिसके बाद उसे या उसके परिवार को धमकाता है कि अगर वे पैसे या कोई और चीज नहीं देते तो उन्हें नुकसान पहुंचाया जाएगा। ऐसे व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 140 (2)के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
  3. BNS Section 140 की उपधारा (3): किसी व्यक्ति को गुप्त और गलत तरीके से बंदी बनाने के इरादे (Intention) से उसका अपहरण करने के अपराध के बारे में धारा 140(3) के द्वारा बताया गया है। सरल भाषा में अगर कोई किसी को जबरदस्ती उठाकर ले जाता है और उसे किसी गुप्त जगह पर छुपाकर या बंदी बनाकर रखता है, तो उस व्यक्ति पर धारा 140(3) के तहत कार्यवाही की जाती है।
  4. BNS Section 140 (4) किसी व्यक्ति को गंभीर चोट (Serious Injury) पहुँचाने, गुलाम बनाने या गलत काम करने के इरादे से अपहरण करने के बारे में बताया गया है। इस कानून का उद्देश्य व्यक्तियों को अत्यधिक खतरे, शोषण या क्रूरता की स्थितियों में मजबूर होने से बचाना है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 140 की मुख्य बातें
  • अपहरण या अगवा करना:- किसी व्यक्ति को जबरदस्ती कहीं उठाकर ले जाना या उसको बंदी बनाना।
  • हत्या का इरादा: अपराधी का इरादा अपहरण के बाद व्यक्ति की हत्या करने का होना चाहिए।
  • फिरौती के लिए रखना: अपराधी का इरादा अपहरण के बाद व्यक्ति को फिरौती (Ransom) के लिए बंदी बनाने का हो।
  • गंभीर चोट पहुंचानागुलामी या यौन शोषण: धारा 140 में ऐसे मामलों को भी शामिल किया गया है जहां अपहरण का उद्देश्य व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाना, गुलाम बनाना या यौन शोषण करना हो।
  • दंड: इस अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को कारावास या जुर्माने का कठोर दंड दिया जा सकता है।
कुछ ऐसे कार्य जिनको धारा 140 के तहत गंभीर अपराध माना जा सकता है
  • किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ किसी जगह पर ले जाना।
  • उस व्यक्ति को किसी ऐसे स्थान पर छिपाना जहां उसे आसानी से ढूंढा ना जा सके।
  • किसी व्यक्ति को बंधी बनाकर उसे छोड़ने के लिए उसके परिवार वालो से पैसे या किसी अन्य कीमती चीज की मांग करना।
  • किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रूप से धमकाना ताकि वह अपनी मर्जी के खिलाफ कुछ करें।
  • किसी व्यक्ति को कई दिनों तक भूखा या प्यासा रखना, यानी उसे खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं देना।
  • जबरदस्ती किसी को सोने यानी नींद पूरी करने से रोकना।
  • जबरन किसी को उठाकर किसी ऐसे व्यक्ति को सौंप देना जिससे उसको खतरा हो।
इस धारा के अपराध का उदाहरण

       साहिल और रवि नाम के दो व्यक्ति प्रोपर्टी का काम करते थे। साहिल एक बहुत ही अच्छा इंसान था और उसका काम रवि से बहुत ही अच्छा चल रहा था। जिसके कारण रवि उससे बहुत नफरत करता था और हमेशा उसे नुकसान पहुँचाने की सोचता रहता था। एक दिन रवि किसी की मदद से साहिल के बेटे को अगवा कर लेता है। जिसके बाद रवि साहिल को फोन करके, उसके बेटे को छोड़ने के लिए 1 करोड़ रुपये कि मांग करता है। साहिल के पैसे देने के लिए इतने पैसे नहीं होते, इसलिए वो रवि से कुछ दिन का समय मांगता है।

       रवि साहिल के बेटे को कई दिनों तक ऐसे ही बंधक बनाकर, भूखा व प्यासा रखता है। ऐसे ही कई दिन गुजरने के बाद जब उसे साहिल से पैसे नहीं मिलते तो वो उसके बेटे की हत्या कर देता है। जिसके बाद साहिल की शिकायत पर पुलिस रवि को गिरफ्तार कर लेती है और BNS 140 के तहत उस पर आगे की कार्यवाही करती है।

बीएनएस धारा 140 में सजा – Punishment Of BNS 140 

        बीएनएस सेक्शन 140 में अपहरण के अपराध की सजा (Punishment) को इसकी उपधाराओं में अपराध की गंभीरता के आधार पर बताया गया है।

  1. धारा 140(1) की सजा:- किसी व्यक्ति की हत्या करने के लिए अगवा करने के दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को 10 वर्ष तक की कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment), से लेकर आजीवन कारावास (Life Imprisonment) या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
  2. धारा 140(2) की सजा:- फिरौती मांगने के लिए किसी व्यक्ति का अपहरण करने के दोषी व्यक्ति को बहुत ही सख्त सजा हो सकती है, जिसमें मौत की सजा या आजीवन कारावास भी शामिल है।
  3. धारा 140(3) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति किसी को जबरदस्ती उठाकर ले जाता है और उसे किसी गुप्त जगह (Secret Place) छिपाकर रखने का अपराध करता है। ऐसे व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर सात साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  4. धारा 140(4) की सजा:- जो कोई भी किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाने, गुलाम बनाने या उसके साथ कोई गलत कार्य करने के इरादे से अपहरण करता है, उसे दस साल तक की कैद व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 140 में जमानत कब व कैसे मिलती है

        बीएनएस की धारा 140 के तहत किसी व्यक्ति की हत्या करने, फिरौती मांगने के लिए अपहरण करना एक बहुत ही गंभीर अपराध (Serious Offence) माना जाता है। इस अपराध में किसी व्यक्ति की जान जाने व गंभीर चोट लगने के खतरे को देखते हुए ही संज्ञेय व गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable) भी रखा गया है। जिसका अर्थ है कि इस अपराध में आरोपी को जमानत (Bail) नहीं मिलती है।

BNS 140 में आरोपी व्यक्तियों के लिए बचाव उपाय
  • किसी को अगवा करके उसकी हत्या करना या कोई अन्य कार्य करना बहुत ही गंभीर अपराध होता है, इसलिए इस अपराध के आरोप (Blame) लगने पर तुरन्त किसी वकील की सहायता जरुर ले।
  • यदि आपने कोई अपराध नहीं किया है, तो अपने वकील को खुद के निर्दोष (Innocent) होने से संबंधित सबूत (Evidence) दे।
  • आरोपी व्यक्ति अपने बचाव (Defence) में यह भी साबित कर सकता है कि उस पर मानसिक दबाव था और उसे अपहरण करने के लिए किसी ने मजबूर किया था।
  • आरोपी अपने वकील की मदद से यह दावा कर सकता है कि उसे गलत पहचाना (Wrong Identify) गया है और वह अपराध करने वाला व्यक्ति नहीं है।
  • अगर आप किसी का अपहरण उसकी सुरक्षा करने के लिए करते है तो अपने बचाव में यह भी कह सकते है कि उस व्यक्ति को अपनी सुरक्षा में लिया था। क्योंकि उस व्यक्ति के जीवन को खतरा लग रहा था।
  • आरोपी यह भी दावा कर सकता है कि वो व्यक्ति उसके साथ अपनी मर्जी से गया था और उसका अपहरण नहीं किया गया था।
  • यदि आरोपी के पास ऐसे गवाह है जो उसके पक्ष में गवाही दें, तो उन्हें न्यायालय में गवाही के लिए जरुर बुलाए।

निष्कर्ष:- बीएनएस की धारा 140 एक बहुत ही उपयोगी प्रावधान (Provision) है जिसका उद्देश्य उन व्यक्तियों को रोकना और दंडित करना है जो हत्या या फिरौती के लिए अपहरण या अपहरण जैसे घृणित कृत्यों में शामिल हैं। इस धारा के तहत निर्धारित कठोर दंड अपराध की गंभीरता को दर्शाते हैं। इस कानून के प्रावधानों को समझकर ऐसे जघन्य अपराधों से खुद को बचाया जा सकता है। हमारे द्वारा दी गई इन सभी जानकारियों से अलग यदि आप किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता प्राप्त करना चाहते है, तो हमारे अनुभवी वकीलों से घर बैठे अभी बात कर सकते है l

बीएनएस धारा 141 क्या है |

BNS Section 141

विदेश से लड़की या लड़के का आयात

        जो कोई भारत के बाहर किसी देश से इक्कीस वर्ष से कम आयु की किसी लड़की या अठारह वर्ष से कम आयु के किसी लड़के को भारत में इस आशय से आयात करेगा कि लड़की या लड़के को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संभोग के लिए मजबूर किया जाए या बहकाया जाए, या यह सम्भाव्य जानते हुए कि लड़की या लड़के को मजबूर किया जाएगा या बहकाया जाएगा, तो उसे दस वर्ष तक के कारावास से दंडनीय होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

बीएनएस धारा 142 क्या है |

BNS Section 142

अपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छुपाना या कैद में रखना

        जो कोई, यह जानते हुए कि किसी व्यक्ति का अपहरण कर लिया गया है या अपहरण किया गया है, ऐसे व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाएगा या कैद करेगा, उसे उसी तरह से दंडित किया जाएगा जैसे कि उसने उसी इरादे या जानकारी के साथ, या उसी के लिए ऐसे व्यक्ति का अपहरण या अपहरण किया था। वह उद्देश्य जिसके लिए या जिसके लिए वह ऐसे व्यक्ति को छुपाता है या कारावास में रखता है।

बीएनएस धारा 143 क्या है |

BNS Section 143

व्यक्ति की तस्करी

(1) जो कोई, शोषण के उद्देश्य से, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को भर्ती, परिवहन, आश्रय, स्थानांतरण, या प्राप्त करता है, –

(ए) धमकियों का उपयोग करना; या
(बी) बल, या किसी अन्य प्रकार की जबरदस्ती का उपयोग करना; या
(सी) अपहरण द्वारा; या
(डी) धोखाधड़ी, या धोखाधड़ी का अभ्यास करके; या
(ई) सत्ता के दुरुपयोग से; या
(एफ) भर्ती, परिवहन, आश्रय, स्थानांतरित या प्राप्त व्यक्ति पर नियंत्रण रखने वाले किसी भी व्यक्ति की सहमति प्राप्त करने के लिए भुगतान या लाभ देने या प्राप्त करने सहित प्रलोभन द्वारा, तस्करी का अपराध करता है।

स्पष्टीकरण 1.—अभिव्यक्ति “शोषण” में शारीरिक शोषण का कोई भी कार्य या किसी भी प्रकार का यौन शोषण, गुलामी या गुलामी, दासता, भिक्षावृत्ति या जबरन अंगों को हटाने जैसी प्रथाएं शामिल होंगी।

स्पष्टीकरण 2.—तस्करी के अपराध के निर्धारण में पीड़ित की सहमति महत्वहीन है।

(2) जो कोई भी तस्करी का अपराध करेगा, उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात साल से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

(3) जहां अपराध में एक से अधिक व्यक्तियों की तस्करी शामिल है, वहां कठोर कारावास से दंडनीय होगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

(4) जहां अपराध में अठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे की तस्करी शामिल है, वहां कठोर कारावास से दंडनीय होगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और यह भी होगा जुर्माना लगाया जा सकता है।

(5) जहां अपराध में अठारह वर्ष से कम उम्र के एक से अधिक बच्चों की तस्करी शामिल है, वहां कठोर कारावास से दंडनीय होगा, जिसकी अवधि चौदह वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी देना होगा।

(6) यदि किसी व्यक्ति को एक से अधिक अवसरों पर अठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे की तस्करी के अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो ऐसे व्यक्ति को आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास होगा। , और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

(7) जब कोई लोक सेवक या पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति की तस्करी में शामिल होता है, तो ऐसे लोक सेवक या पुलिस अधिकारी को आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास होगा, और जुर्माना भी देना होगा.

बीएनएस धारा 144 क्या है |

BNS Section 144

तस्करी किए गए व्यक्ति का शोषण

(1) जो कोई, जानबूझकर या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि अठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे की तस्करी की गई है, ऐसे बच्चे को किसी भी तरीके से यौन शोषण में शामिल करेगा, उसे एक अवधि के लिए कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो इससे कम नहीं होगा पांच साल से अधिक, लेकिन जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

(2) जो कोई, जानबूझकर या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि किसी व्यक्ति की तस्करी की गई है, ऐसे व्यक्ति को यौन संबंध बनाता है किसी भी तरीके से शोषण करने पर कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि तीन साल से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी देना होगा।

बीएनएस धारा 145 क्या है |

BNS Section 145

दासों का आदतन व्यवहार

        जो कोई आदतन गुलामों का आयात, निर्यात, हटाना, खरीदना, बेचना, तस्करी करना या उनका सौदा करता है, उसे आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, या दस साल से अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

बीएनएस धारा 146 क्या है |

BNS Section 146

गैरकानूनी अनिवार्य श्रम

      जो कोई किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध अवैध रूप से श्रम करने के लिए मजबूर करेगा, उसे एक वर्ष तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 147 क्या है |

BNS Section 147

भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ना, या युद्ध छेड़ने का प्रयास करना, या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना

       जो कोई भी भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ता है, या ऐसे युद्ध छेड़ने का प्रयास करता है, या ऐसे युद्ध छेड़ने के लिए उकसाता है, उसे मौत की सजा दी जाएगी, या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

रेखांकन

        ए भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह में शामिल हो जाता है। ए ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।

बीएनएस धारा 148 क्या है |

BNS Section 148

धारा 145 द्वारा दंडनीय अपराध करने की साजिश

        जो कोई भी भारत के भीतर या बाहर और बाहर धारा 145 द्वारा दंडनीय किसी भी अपराध को करने की साजिश करता है, या आपराधिक बल या आपराधिक बल के प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार को भयभीत करने की साजिश करता है, उसे दंडित किया जाएगा। आजीवन कारावास, या किसी भी प्रकार का कारावास, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

स्पष्टीकरण. -इस धारा के अंतर्गत षड़यंत्र रचने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि उसके अनुसरण में कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो।

बीएनएस धारा 149 क्या है |

BNS Section 149

      भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार आदि इकट्ठा करना

     जो कोई भी भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध छेड़ने के इरादे से आदमी, हथियार या गोला-बारूद इकट्ठा करता है या अन्यथा युद्ध करने की तैयारी करता है, उसे आजीवन कारावास या अधिकतम अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। दस साल और जुर्माना भी देना होगा।

बीएनएस धारा 150 क्या है |

BNS Section 150

युद्ध छेड़ने की योजना को सुविधाजनक बनाने के इरादे से छिपाना

जो कोई भी किसी कार्य द्वारा, या किसी अवैध चूक द्वारा, भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की मंशा को छिपाता है, इस आशय से कि इस तरह के छिपाव से युद्ध छेड़ने में सुविधा होगी, या यह संभावना है कि इस तरह के छिपाव से युद्ध छेड़ने में सुविधा होगी। ऐसा युद्ध करने पर दस वर्ष तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 151 क्या है |

BNS Section 151

किसी वैध शक्ति के प्रयोग को मजबूर करने या रोकने के इरादे से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना

       जो कोई भी भारत के राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल को ऐसे राष्ट्रपति या राज्यपाल की किसी भी वैध शक्ति का प्रयोग करने या किसी भी तरीके से प्रयोग करने से रोकने के लिए प्रेरित या मजबूर करने के इरादे से हमला करता है या गलत तरीके से रोकता है, या गलत तरीके से प्रयास करता है आपराधिक बल या आपराधिक बल के प्रदर्शन के माध्यम से रोकना, या भयभीत करना, या भयभीत करने का प्रयास करना, ऐसे राष्ट्रपति या राज्यपाल को किसी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही दंडित किया जाएगा। जुर्माने का भागी होगा.

बीएनएस धारा 152 क्या है |

BNS Section 152

       भारत एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग राज्यों में बहुत से अलग-अलग धर्मों व जातियों और संस्कृतियों के लोग एक दूसरे के साथ मिल जुल कर रहते हैं। लेकिन कई कारणों के चलते हमारे देश में तनाव का माहौल बना दिया जाता है, कभी धर्म के नाम पर तो कभी राजनीति के नाम पर। ऐसे ही कारणों के चलते देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना हमेशा से एक चुनौती वाला कार्य रहा है। आज के इस लेख में हम भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों व उनके कारणों के बारे में जानेंगे कि, बीएनएस सेक्शन 152 क्या है (BNS Section 152)? यह धारा कब लगती है और BNS 152 के तहत दोषी व्यक्ति को कितनी सजा और जमानत का क्या प्रावधान है?

        आज के समय में जब सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए अपनी बात रखना इतना आसान हो गया है, वहां लोग बिना सोचे समझे कुछ भी पोस्ट कर देते है। कई बार कुछ देश विरोधी मैसेज सोशल मीडिया पर भेजना या सार्वजनिक जगहों पर बोलना कानून अपराध होता है। ऐसे ही मामलों के लिए पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 124a लागू कर कार्यवाही की जाती थी। परन्तु बीएनएस के आते ही पुराने कानूनों में बदलाव कर BNS की धारा 152 के तहत मामलों को दर्ज किया जाने लगा है। इसलिए आज की इस उपयोगी जानकारी को पूरी तरह समझने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े।

बीएनएस धारा 152 क्या है व यह कब लगती है – BNS Section 152 

        BNS की धारा 152 देश की एकता व अखंड़ता (बिना किसी बंटवारे के एक साथ रहना) बनाए रखने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान (Legal Provision) के रुप में देखी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य ही भारत की संप्रभुता, एकता, और अखंडता को सुरक्षित रखना है। यह धारा ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई का प्रावधान करती है, जो किसी भी प्रकार से देश को बाँटने या उसकी सुरक्षा को खतरे में डालने का प्रयास करते हैं।

         सरल भाषा में समझे तो, इस कानून के अनुसार ऐसे लोगों को सजा (Punishment) दी जा सकती है, जो व्यक्ति देश में हिंसा, विद्रोह या किसी अन्य तरीके के अपराध करके हमारे देश की एकता व सुरक्षा (Unity & Security) को खतरे में डालते है।

BNS की धारा 152 के जुर्म को लागू करने वाले मुख्य तत्व
  • धारा 152 के अनुसार जो भी व्यक्ति जानबूझकर अपने भाषण, अपने लेख या किसी चित्र द्वारा ऐसे संदेश फैलाता है जिससे देश में हिंसा (Violence) बढ़ने या अपराध होने की संभावना हो तो उस व्यक्ति पर कार्यवाही की जाएगी।
  • सोशल मीडिया, ईमेल, मैसेजिंग ऐप्स, या अन्य डिजिटल चीजों का उपयोग करके अगर कोई व्यक्ति भारत के खिलाफ या देश को तोड़ने वाले कार्य करता है तो उस पर भी इस प्रावधान के अनुसार कार्यवाही की जाएगी
  • यदि कोई व्यक्ति अपने पैसों का इस्तेमाल देश को तोड़ने वाले लोगों के फायदे में करेगा तो यह भी धारा 152 के तहत दंडनीय अपराध (Punishable Offence) होगा। जैसे आतंकवादी व देश-विरोधी (Terrorists and anti-nationals) लोगों की पैसे से सहायता करना।
  • यदि कोई व्यक्ति देश के किसी भी राज्य या क्षेत्र को भारत से अलग करने की बात करता है या ऐसे किसी व्यक्ति का समर्थन (Support) करता है, तो ऐसे व्यक्ति पर सजा के लिए कार्यवाही की जाएगी।
बीएनएस सेक्शन 152 के अपराध से संबंधित सरल उदाहरण

        राज और अजय दो दोस्त एक साथ एक ही शहर में रहते थे, दोनों में बहुत सालों से काफी अच्छी दोस्ती थी। लेकिन दोनों की सोच और विचारों में बहुत फर्क था, जिसके कारण अक्सर दोनों में बहस हो जाती थी। राज एक ऑनलाइन ग्रुप में रोजाना ऐसे मैसेज देखता था जिसमें कहा जाता है कि उसके राज्य को भारत में अलग होकर स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। इसी कारण राज की सोच भी वैसी ही बन गई थी। एक दिन उसने अजय को भी यह सारी बात बताते हुए कहाँ की हमें भी सोशल मीडिया पर व सभी तरीकों से लोगों को इसके बारे में बताना चाहिए।

       जिसके बाद अजय उससे गुस्सा होकर चला जाता है, लेकिन राज ने सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज किए जिससे लोग भड़कने लगें और हिंसा के हालात बनने लगे। जिसकी वजह से एक दिन पुलिस राज के घर आती है और उसे देश में खतरे की भावना फैलाने व सुरक्षा को खतरे में डालने के जुर्म में BNS 152 के तहत गिरफ्तार कर लिया।

BNS Section 152 के अपराध में किए जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
  • देश के किसी राज्य या क्षेत्र को अलग करने के लिए प्रदर्शन करना व लोगों को भड़काने की कोशिश करना।
  • किसी अखबार में ऐसा लेख (Article) लिखना जिससे देश में हिंसा का माहौल बन जाए और देश की सुरक्षा व अखंड़ता (Security & Integrity) को खतरा पैदा हो।
  • किसी भी व्यक्ति या समूह को हथियारों (Weapon) का इस्तेमाल कर भारत की सरकार के खिलाफ हमला करने के लिए भड़काना।
  • सार्वजनिक जगहों (Public Places) जैसे बाजारों, सड़कों पर ऐसे पोस्टर लगाना जिससे देश की अखंडता को खतरा पहुँचे।
  • सोशल मीडिया, ईमेल, व्हाट्सएप पर ऐसी वीडियो, या मैसेज भेजना जो देश के खिलाफ लोगों को भड़काने का कार्य करते हो।
  • किसी भी ऐसे संगठन या समूह (Organization Or Groups) को पैसे देकर मदद करना या किसी अन्य तरीके से भी मदद करना जो देश को नुकसान करने का प्रयास करते हो।
  • देश को बाँटने वाले लोगों या आतंकवादी समूहों (Terrorist Groups) को हथियार देना या उन्हें अपने घर में छिपने व खाने पीने की सहायता करना।
  • अलग-अलग धर्म व जातियों (Religion Or Cast) के लोगों को अलग-अलग बाँटकर उनमें हिंसा या विद्रोह करने की भावना को बढ़ावा देने की कोशिश करना।
  • स्कूल, कॉलेज, के छात्रों को देश को अलग करने व नुकसान पहुँचाने के लिए उकसाना।

ये सभी ऐसे कार्य है जिनसे हमारे देश की एकता व स्वतंत्रता (Unity Or Freedom) को खतरा पहुँच सकता है, जिनको करना गंभीर व दंडनीय अपराध है।

बीएनएस की धारा 152 के अपराध के दोषी व्यक्तियों को दी जाने वाली सजा

       भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 का उद्देश्य भारत में एकता बनाए रखना है। इसलिए यह धारा उन लोगों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान करती है जो किसी भी तरह से देश-विरोधी गतिविधियों (Anti National Activities) को बढ़ावा देते हैं। धारा 152 के अंतर्गत दोषी (Guilty) पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता को देखते हुए 7 वर्ष की जेल से लेकर आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा दी जाती है। इसके अलावा जेल की सजा के साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

       इसके अलावा न्यायालय दोषी व्यक्ति को सुनवाई (Hearing) के दौरान कुछ प्रतिबंध (Restrictions) भी लगा सकता है, ताकि वह आगे कोई देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल न हो सके। इसके तहत न्यायालय दोषी द्वारा देश के अलग- अलग हिस्सों में की जाने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकता है या उसकी संपत्ति (Property) को भी जब्त (Seized) कर सकता है।

BNS 352 में जमानत मिलने का क्या कानूनी प्रावधान है?

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के अंतर्गत देश को नुकसान पहुँचाने वाले कार्यों से संबंधित यह अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable) होते हैं। इसका मतलब यह है कि इस अपराध की शिकायत पर पुलिस के पास आरोपी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने का अधिकार होता है। क्योंकि यह अपराध गंभीर माना गया है और इसमें तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

        गैर-जमानती अपराध होने के कारण आरोपी व्यक्ति कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और इसमें जमानत (Bail) भी नहीं दी जाती है। इस अपराध से जुड़े सभी मामले सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय होते है।

निष्कर्ष:- BNS Section 152 के अनुसार देश को नुकसान पहुंचाने के लिए भड़काने वाले बयान देना, पोस्ट बनाना या ऐसी सोच रखने वाले लोगों का साथ देना इस प्रावधान के अनुसार आजीवन कारावास जैसी सख्त सजा का दोषी बना सकता है। इसलिए हमेशा सोशल मीडिया या अन्य किसी भी तरीके से कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिससे आप के लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बने।

       यदि आप या आपका कोई प्रियजन धारा 152 के तहत किसी मामले में सहायता चाहते हैं, तो हमारे अनुभवी वकीलों की टीम से आज ही संपर्क करें और अपने अधिकारों और कानूनी उपायों के बारे में विस्तार से परामर्श प्राप्त करें।

बीएनएस धारा 153 क्या है |

BNS Section 153

भारत सरकार के साथ शांति रखने वाले किसी भी विदेशी राज्य की सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना

        जो कोई भी भारत सरकार के साथ शांति रखने वाले किसी विदेशी राज्य की सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ता है या ऐसे युद्ध छेड़ने का प्रयास करता है, या ऐसे युद्ध छेड़ने के लिए उकसाता है, उसे आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसमें जुर्माना भी जोड़ा जा सकता है, या किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, जिसमें जुर्माना भी जोड़ा जा सकता है, या जुर्माना।

बीएनएस धारा 154 क्या है |

BNS Section 154

भारत सरकार के साथ शांति में रहने वाले विदेशी राज्य के क्षेत्रों पर लूटपाट करना

        जो कोई भी भारत सरकार के साथ शांति में रहने वाले किसी विदेशी राज्य के क्षेत्र में लूटपाट करेगा, या लूटपाट करने की तैयारी करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही उसे दंडित भी किया जाएगा। इस तरह के लूट-पाट को अंजाम देने में इस्तेमाल की गई या इस्तेमाल किए जाने का इरादा रखने वाली, या ऐसे लूट-पाट से अर्जित की गई किसी भी संपत्ति पर जुर्माना लगाया जा सकता है और उसे जब्त किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 155 क्या है |

BNS Section 155

धारा 153 और 154 में उल्लिखित युद्ध या लूटपाट से ली गई संपत्ति प्राप्त करना

        जो कोई यह जानते हुए कि धारा 151 और 152 में वर्णित किसी भी अपराध को करने में संपत्ति ली गई है, कोई संपत्ति प्राप्त करता है, तो उसे किसी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही उसे दंडित भी किया जाएगा। जुर्माने और इस प्रकार प्राप्त संपत्ति को जब्त करने के लिए उत्तरदायी होगा।

बीएनएस धारा 156 क्या है |

BNS Section 156

लोक सेवक स्वेच्छा से राज्य या युद्ध कैदी को भागने की इजाजत दे रहा है

        जो कोई लोक सेवक होते हुए और किसी राज्य कैदी या युद्ध कैदी की अभिरक्षा में रहते हुए, स्वेच्छा से ऐसे कैदी को किसी ऐसे स्थान से भागने की अनुमति देता है जहां ऐसा कैदी कैद है, तो उसे आजीवन कारावास या किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 157 क्या है |

BNS Section 157

लोक सेवक लापरवाही से ऐसे कैदी को भागने में कष्ट दे रहा है

        जो कोई लोक सेवक होते हुए और किसी राज्य कैदी या युद्ध कैदी की अभिरक्षा में रहते हुए, लापरवाही से ऐसे कैदी को कारावास के किसी भी स्थान से भागने पर मजबूर करता है, जहां ऐसा कैदी कैद है, तो उसे एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा। इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 158 क्या है |

BNS Section 158

ऐसे कैदी को भागने में सहायता करना, छुड़ाना या आश्रय देना

         जो कोई जानबूझकर किसी राज्य कैदी या युद्धबंदी को वैध हिरासत से भागने में सहायता या सहायता करता है, या ऐसे किसी कैदी को बचाता है या छुड़ाने का प्रयास करता है, या ऐसे किसी कैदी को शरण देता है या छुपाता है जो वैध हिरासत से भाग गया है, या प्रस्ताव देता है या देने का प्रयास करता है। ऐसे कैदी को दोबारा पकड़ने में किसी भी तरह का विरोध करने पर आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

स्पष्टीकरण। -एक राज्य कैदी या युद्धबंदी, जिसे भारत में कुछ सीमाओं के भीतर अपनी पैरोल पर बड़े पैमाने पर रहने की अनुमति है, कहा जाता है कि यदि वह उस सीमा से परे चला जाता है जिसके भीतर उसे बड़े पैमाने पर रहने की अनुमति है।

बीएनएस धारा 159 क्या है |

BNS Section 159

विद्रोह के लिए उकसाना, या किसी सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को उसके कर्तव्य से विमुख करने का प्रयास करना

        जो कोई भी भारत सरकार की धारा 165 में निर्दिष्ट अधिनियमों के अधीन सेना, नौसेना या वायु सेना में किसी अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को विद्रोह करने के लिए उकसाता है या ऐसे किसी अधिकारी, सैनिक को बहकाने का प्रयास करता है, नाविक या वायुसैनिक को अपनी निष्ठा या कर्तव्य से विमुख करने पर आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 160 क्या है |

BNS Section 160

विद्रोह के लिए उकसाना, यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह किया जाता है

        जो कोई भी भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायु सेना में किसी अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को विद्रोह करने के लिए उकसाएगा, यदि उस उकसावे के परिणामस्वरूप विद्रोह किया जाता है, तो उसे मृत्युदंड या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा। आजीवन कारावास, या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

बीएनएस धारा 161 क्या है |

BNS Section 161

अपने कार्यालय के निष्पादन के दौरान सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी पर हमले के लिए उकसाना

        जो कोई भी भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायु सेना में एक अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा अपने कार्यालय के निष्पादन में किसी वरिष्ठ अधिकारी पर हमले के लिए उकसाएगा, उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसकी अवधि तीन साल तक l

बीएनएस धारा 162 क्या है |

BNS Section 162

ऐसे हमले के लिए उकसाना, यदि हमला किया गया हो

        जो कोई भी भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायु सेना में एक अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा अपने कार्यालय के निष्पादन में किसी वरिष्ठ अधिकारी पर हमले के लिए उकसाता है, यदि ऐसा हमला किया जाता है उस उकसावे के परिणाम के लिए सात साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 163 क्या है |

BNS Section 163

सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को देश छोड़ने के लिए उकसाना

        जो कोई भी भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायु सेना में किसी अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को त्यागने के लिए उकसाएगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या ठीक है, या दोनों के साथ।

बीएनएस धारा 164 क्या है |

BNS Section 164

भगोड़े को शरण देना

        जो कोई, इसके बाद अपवाद के रूप में, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायु सेना में एक अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक ने त्याग दिया है, ऐसे अधिकारी, सैनिक, नाविक या एयरमैन को दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

अपवाद.— यह प्रावधान उस मामले पर लागू नहीं होता है जिसमें आश्रय भगोड़े के पति या पत्नी द्वारा दिया गया है।

बीएनएस धारा 165 क्या है |

BNS Section 165

मास्टर की लापरवाही से व्यापारी जहाज पर भगोड़ा छिप गया

        किसी व्यापारिक जहाज का मालिक या प्रभारी व्यक्ति, जिस पर भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायु सेना का कोई भी भगोड़ा छिपा हुआ है, इस तरह के छिपाव से अनभिज्ञ होते हुए भी, अधिकतम दंड के लिए उत्तरदायी होगा। तीन हजार रुपये, यदि उसे इस तरह के छिपाव के बारे में पता था, लेकिन ऐसे स्वामी या प्रभारी व्यक्ति के रूप में अपने कर्तव्य की कुछ उपेक्षा के लिए, या जहाज के बोर्ड पर अनुशासन की कुछ कमी के लिए।

बीएनएस धारा 166 क्या है |

BNS Section 166

सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा अवज्ञा के कार्य के लिए उकसाना

         जो कोई भी भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायु सेना में किसी अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा अवज्ञा का कार्य करने के लिए उकसाता है, यदि अवज्ञा का ऐसा कार्य किया जाता है उकसाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 167 क्या है |

BNS Section 167

कुछ अधिनियमों के अधीन व्यक्ति

        सेना अधिनियम, 1950, भारतीय नौसेना (अनुशासन) अधिनियम, 1934, या वायु सेना अधिनियम, 1950 के अधीन कोई भी व्यक्ति इस अध्याय में परिभाषित किसी भी अपराध के लिए इस संहिता के तहत दंड के अधीन नहीं होगा।

बीएनएस धारा 168 क्या है |

BNS Section 168

सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग की जाने वाली पोशाक पहनना या टोकन ले जाना

         जो कोई, भारत सरकार की सेना, नौसेना या हवाई सेवा में सैनिक, नाविक या वायुसैनिक न होते हुए, ऐसे सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग की जाने वाली किसी भी पोशाक या प्रतीक के समान कोई पोशाक पहनता है या कोई चिन्ह रखता है। यह माना जा सकता है कि वह ऐसा सैनिक, नाविक या वायुसैनिक है, तो उसे तीन महीने तक की कैद या दो हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 169 क्या है |

BNS Section 169

उम्मीदवार, चुनावी अधिकार परिभाषित

इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए—

(ए) “उम्मीदवार” का अर्थ वह व्यक्ति है जिसे किसी भी चुनाव में उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया है;

(बी) “चुनावी अधिकार” का अर्थ है किसी व्यक्ति का चुनाव में खड़े होने, न खड़ा होने, उम्मीदवार बनने से हटने या वोट देने या वोट देने से परहेज करने का अधिकार।

बीएनएस धारा 170 क्या है |

BNS Section 170

        चुनावों में रिश्वतखोरी यह एक ऐसा अपराध है, जो हमारे लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है। जिसमें कोई व्यक्ति किसी उम्मीदवार को मतदान से दूर रहने के लिए या किसी उम्मीदवार के पक्ष में मत देने के लिए रिश्वत देता है या लेता है। हाल के वर्षों में चुनावों में रिश्वतखोरी के मामले तेजी से बढ़े हैं। राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा धन व बल का प्रयोग करके मतदाताओं को लालच देना और धमकाना जैसे अपराध बहुत आम हो गए हैं। इस लेख में हम रिश्वतखोरी के अपराध से जुड़ी BNS की धारा के बारे में बात करेंगे कि, बीएनएस की धारा 170 क्या है (BNS Section 170)? रिश्वतखोरी की इस धारा में सजा कितनी मिलती है और जमानत कैसे मिलती है?

        भारतीय चुनावों में रिश्वतखोरी हमेशा से एक गंभीर मुद्दा रहा है। इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए अभी तक Indian Penal Code (IPC) की धारा 171बी का इस्तेमाल किया जाता था। यह धारा विशेष रूप से चुनावों में रिश्वत लेने या देने के अपराध को परिभाषित करती थी। लेकिन, BNS के नए कानून के रुप में आते ही इस अपराध के सभी मामलों पर Bhartiya Nyaya Sanhita की धारा 170 के प्रावधानों के अनुसार मामले दर्ज किए जाने लगे है। जिसके बारे में जानकारी होना देश के प्रत्येक नागरिकों के लिए आवश्यक है।

बीएनएस की धारा 170 क्या है – BNS Section 170 

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 चुनावों में रिश्वतखोरी (Bribery in Elections) के अपराध को परिभाषित करती है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य चुनावों की पवित्रता और निष्पक्षता (Fairness) को बनाए रखना है। जिसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को पैसे, उपहार, या किसी अन्य प्रकार का लाभ देकर उसे वोट देने या न देने के लिए कहता है तो यह एक अपराध माना जाएगा।

        सरल भाषा में इसका मतलब है कि जो भी व्यक्ति चुनावों में वोट देने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति या मतदाता को पैसे या अन्य कोई वस्तु देता है या कोई मतदाता (Voter) खुद पैसे लेकर किसी के पक्ष में वोट डालता है। तो ऐसे व्यक्तियों पर रिश्वत लेने व देने के अपराध के लिए धारा 170 में केस दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।

उदाहरण: अगर अजय चुनाव में अपने पक्ष में वोट देने के लिए विजय को 2000 रुपये देता है और विजय उस पैसे के बदले अजय को वोट दे देता है, तो दोनों पर BNS 170 के तहत कार्यवाही होगी।

धारा 170 कब लागू होती है?
  • किसी उम्मीदवार या मतदाता (Candidate or Voter) को रिश्वत (Bribe) देने का प्रयास करता है।
  • वोट देने के तरीके को प्रभावित करने के लिए धन, उपहार या अन्य लाभ प्रदान करता है।
  • किसी व्यक्ति को चुनाव (Election) में किसी विशेष तरीके से मतदान करने या मतदान (Voting) से रोकने के लिए लालच देता है।
बीएनएस धारा 170 के कुछ आवश्यक स्पष्टीकरण
  • यदि कोई व्यक्ति किसी और को इस उद्देश्य से कोई लाभ या इनाम (जैसे पैसा, उपहार) देता है कि वह व्यक्ति चुनाव में किसी खास तरीके से वोट करें या किसी खास उम्मीदवार को वोट न दे, तो यह रिश्वतखोरी मानी जाएगी।
  • यदि कोई व्यक्ति खुद के लिए या किसी और के लिए वोट करने के बदले कोई इनाम या लाभ स्वीकार करता है, तो वह भी रिश्वतखोरी का अपराध करेगा।
  • उदाहरण: मान लीजिए कि किसी को यह कहकर पैसे दिए जाते हैं कि वह अपनी वोट किसी विशेष उम्मीदवार को दे, तो यह रिश्वतखोरी होगी।
  • इसी तरह, यदि कोई व्यक्ति इस शर्त पर पैसे स्वीकार करता है कि वह किसी खास उम्मीदवार को वोट देगा, तो यह भी रिश्वतखोरी मानी जाएगी।
  • अगर कोई व्यक्ति चुनाव में वोट देने के बदले किसी प्रकार का लाभ (जैसे पैसा, उपहार) लेता है या लेने के लिए केवल सहमत (Agree) भी होता है, तो उसे रिश्वत लेने वाला माना जाएगा।
  • अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने के इरादे के बिना केवल लाभ लेने के लिए रिश्वत स्वीकार करता है, तो भी उसे रिश्वत लेना माना जाएगा। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति इस इरादे से रिश्वत लेता है कि वह किसी खास उम्मीदवार को वोट देगा लेकिन बाद में वोट नहीं देता, तब भी वह रिश्वत लेने का दोषी होगा।
धारा 170 के तहत कुछ अपवाद या कार्य जिनको अपराध नहीं माना जाएगा

सार्वजनिक नीति की घोषणा:- अगर कोई उम्मीदवार या पार्टी चुनाव प्रचार (Election Campaign) के दौरान जनता के भले के लिए कोई नीति या योजना (जैसे मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, या सड़क निर्माण) की घोषणा करती है, तो इसे रिश्वत देने का अपराध नहीं माना जाएगा।

सार्वजनिक कार्रवाई का वादा:- यदि कोई उम्मीदवार चुनाव जीतने पर किसी विशेष सार्वजनिक सेवा (जैसे बिजली की सुविधा, पानी की सप्लाई) को सुधारने का वादा करता है, तो यह भी रिश्वत का अपराध नहीं माना जाएगा।
उदाहरण:- अगर कोई उम्मीदवार अपने प्रचार में कहता है कि अगर वह चुनाव जीतता है, तो वह पूरे क्षेत्र में स्कूल खोलेगा या सभी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देगा, तो यह घोषणा धारा 170 के अंतर्गत रिश्वतखोरी का अपराध नहीं मानी जाएगी।

इस धारा के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
  • किसी मतदाता को पैसे देकर अपने पक्ष में वोट डालने के लिए कहना।
  • चुनाव से पहले मतदाताओं को मुफ्त उपहार, जैसे मोबाइल फोन, कपड़े, या घरेलू सामान, देकर उनके वोट को प्रभावित करने का प्रयास करना।
  • किसी मतदाता के घर जाकर उसे अपने पक्ष में वोट करने की बात कहकर यह कहना की अगर वह चुनाव जीत गया तो उसे सरकार नौकरी लगवा देगा।
  • मतदाताओं को डराकर, धमकाकर, या हिंसा (Violence) का डर दिखाकर उन्हें किसी खास उम्मीदवार को वोट देने या न देने के लिए मजबूर करना।
  • मतदाताओं (Voters) को चुनाव के समय पार्टी या भोज में आमंत्रित करना और उनके वोट को मुफ्त भोजन और शराब देकर खरीदने की कोशिश करना।
  • मतदाताओं को मतदान केंद्र (Polling station) तक पहुँचने के लिए मुफ्त यात्रा या परिवहन (Transportation) की सुविधा प्रदान करना और फिर उन्हें मजबूर करना की वे उन्हें ही वोट दे।
बीएनएस की सेक्शन 170 के अपराध का उदाहरण

        एक बार एक गाँव में चुनाव का समय चल रहा था। सभी राजनीतिक पार्टियों के सदस्य अपनी तरफ से चुनाव प्रचार के लिए पूरा जोर लगा रहे थे। उसी गांव में राहुल नाम का एक व्यक्ति रहता था, जिसकी उस गांव में बहुत पहचान थी व लोग उसकी बात भी मानते थे। एक दिन उसके पास अजय नाम का एक नेता आता है, जो चुनाव में खड़ा हुआ था।

        अजय राहुल से मिलकर कहता है कि अगर राहुल गांव के सभी लोगों को अजय के पक्ष में वोट करने के लिए कहेगा तो इसके बदले वह उसे बहुत सारे पैसे व शराब देगा।

         राहुल पैसे के लालच में आकर अजय की बात मान लेता है, और अजय राहुल को बहुत सारे पैसे व शराब दे देता है। लेकिन एक व्यक्ति को इन सब बातों का पता चल जाता है जिसकी शिकायत वो पुलिस में कर देता है। इसके बाद पुलिस राहुल व अजय दोनों के खिलाफ धारा 170 के तहत मुकदमा दर्ज कर लेती है।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 170 – 173 के तहत सजा

         बीएनएस की धारा 170 में केवल चुनावों में रिश्वतखोरी (Bribery) के अपराध की परिभाषा के बारे में बताया गया है। इस अपराध के दोषी (Guilty) व्यक्ति को BNS की धारा 173 में बताई गई सजा के अनुसार दंड की कार्यवाही की जाती है। जो कि इस प्रकार है:-

BNS Section 173 के तहत सजा:- यदि कोई व्यक्ति रिश्वतखोरी के अपराध के तहत रिश्वत लेने या देने के अपराध का दोषी पाया जाएगा, उस व्यक्ति को एक वर्ष तक की जेल व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

बीएनएस की धारा​ 170 में जमानत का प्रावधान

       धारा 170 के तहत चुनावों में रिश्वतखोरी का यह अपराध गैर-संज्ञेय व जमानती (Non-Cognizable Or Bailable) होता हैं। यानी जिस किसी व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत आरोप लगाए जाते हैं, तो उसे थाने से ही जमानत मिल सकती है और उसे न्यायालय से जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होती है।

निष्कर्ष:- BNS Section170 चुनावी प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से बचाने और मतदाताओं के स्वतंत्र निर्णय को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। इसलिए, चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की रिश्वतखोरी का प्रयास कानूनन अपराध है और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। यदि आप किसी भी कानूनी मामले से संबंधित सहायता प्राप्त करना चाहते है, तो हमारे अनुभवी वकीलों से आज ही फोन पर बात कर सकते है।

बीएनएस धारा 171 क्या है |

BNS Section 171

चुनाव में अनुचित प्रभाव

(1) जो कोई भी स्वेच्छा से किसी चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करता है या हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है, वह चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने का अपराध करता है।

(2) उप-धारा (1) के प्रावधानों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जो भी-

(ए) किसी भी उम्मीदवार या मतदाता, या किसी भी व्यक्ति, जिसमें उम्मीदवार या मतदाता का हित है, को किसी भी प्रकार की चोट पहुंचाने की धमकी देता है; या
(बी) किसी उम्मीदवार या मतदाता को यह विश्वास दिलाने के लिए प्रेरित करता है या प्रेरित करने का प्रयास करता है कि वह या कोई भी व्यक्ति जिसमें वह रुचि रखता है, दैवीय नाराजगी या आध्यात्मिक निंदा का पात्र बन जाएगा या बना दिया जाएगा, के स्वतंत्र अभ्यास में हस्तक्षेप माना जाएगा। ऐसे उम्मीदवार या मतदाता का चुनावी अधिकार, उपधारा (1) के अर्थ के अंतर्गत।

(3) चुनावी अधिकार में हस्तक्षेप करने के इरादे के बिना सार्वजनिक नीति की घोषणा या सार्वजनिक कार्रवाई का वादा या मात्र अभ्यास या कानूनी अधिकार, इस धारा के अर्थ में हस्तक्षेप नहीं माना जाएगा।

बीएनएस धारा 172 क्या है |

BNS Section 172

चुनाव में प्रतिरूपण

        जो कोई किसी चुनाव में किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर मतपत्र के लिए आवेदन करता है, चाहे वह जीवित हो या मृत, या फर्जी नाम पर, या जिसने ऐसे चुनाव में एक बार मतदान किया हो, उसी चुनाव में मतपत्र के लिए आवेदन करता है। उसका अपना नाम, और जो कोई भी किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह से मतदान के लिए उकसाता है, खरीदता है या प्राप्त करने का प्रयास करता है, वह चुनाव में प्रतिरूपण का अपराध करता है:

बशर्ते कि इस धारा की कोई भी बात उस व्यक्ति पर लागू नहीं होगी जिसे किसी निर्वाचक के लिए प्रॉक्सी के रूप में मतदान करने के लिए उस समय लागू किसी भी कानून के तहत अधिकृत किया गया है, जहां तक कि वह ऐसे निर्वाचक के लिए प्रतिनिधि के रूप में मतदान करता है।

बीएनएस धारा 173 क्या है |

BNS Section 173

       रिश्वतखोरी एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो हमारे समाज के हर नागरिक के जीवन को प्रभावित करती है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें धन या अन्य मूल्यवान वस्तुओं का लालच दिखाकर सरकारी अधिकारी व अन्य व्यक्तियों से कोई भी अवैध कार्य करवा लेते है। जो लोग रिश्वत नहीं दे सकते, उनके काम नहीं होते या देरी से होते हैं, जबकि पैसे वाले लोग गलत तरीकों से अपना काम जल्दी करवा लेते हैं। रिश्वत लेना व देना दोनों भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, विकास को रोकती है और गरीबी को बढ़ाती है। आज हम भारतीय न्याय संहिता की धारा 173 के बारे में विस्तार से जानेंगे, की बीएनएस की धारा 173 क्या है व यह कब लागू होती है (BNS Section 173)? रिश्वत लेने के अपराध की सजा क्या है? धारा 173 में जमानत कैसे मिलती है?

       रिश्वत के अपराध को रोकने के लिए कानूनी रुप से सख्त से सख्त की जाती रही है। इस अपराध पर कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC( की धारा 171E के तहत मुकदमे दर्ज होते थे। जिसे BNS के लागू होने के बाद से भारतीय न्याय संहिता की धारा 173 में बदल दिया गया है। इसलिए इस अपराध से जुड़ी हर कानूनी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को अच्छे से समझने का प्रयास करें।

BNS Section 173  – बीएनएस धारा 173 क्या है व यह कब लागू होती है

        बीएनएस की धारा 173 रिश्वतखोरी के अपराध के दोषी व्यक्तियों के लिए दंड का प्रावधान करती है। जिसमें रिश्वत लेने या देने के अपराध के बारे में बताया गया है। धारा 173 के तहत जो कोई व्यक्ति किसी को रिश्वत देकर अपना काम करवाता है या किसी काम को करने के लिए रिश्वत माँगता है। उस व्यक्ति पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 173 के तहत मुकदमा दर्ज कर सजा देने के लिए कार्यवाही की जाती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 173 के अपराध को लागू करने वाली जरुरी बाते
  • यदि आप कोई सरकारी काम करवाना चाहते हैं, जैसे कि लाइसेंस बनवाना। अगर आप उस काम को जल्दी करवाने के लिए अधिकारी को पैसे या किसी अन्य वस्तु का लालच देते हैं, तो इसे रिश्वत देने का अपराध माना जा सकता है।
  • दूसरी ओर अगर कोई सरकारी अधिकारी आपसे कहता है कि वह आपका काम तभी करेगा जब आप उसे कुछ पैसे या उपहार देंगे, तो इसे रिश्वत लेना कहते हैं।
  • रिश्वत सिर्फ पैसे में ही नहीं होती, यह किसी भी प्रकार का लाभ हो सकता है, जैसे नौकरी में प्रमोशन, किसी सेवा का मुफ्त में लाभ लेना, या कोई महंगा उपहार देना।
  • यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार के अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसको कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।
धारा 173 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ कार्य
  • किसी सरकारी अधिकारी को अपना काम जल्दी से जल्दी करवाने के लिए पैसे या कुछ अन्य कीमती वस्तु देना।
  • किसी सरकारी ठेके को पाने के लिए किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत देना।
  • सरकारी नौकरी पाने के लिए किसी अधिकारी को रिश्वत देना।
  • किसी मुकदमे में अपने पक्ष में फैसला करवाने के लिए किसी न्यायाधीश या अन्य कानूनी अधिकारी को रिश्वत देने की कोशिश करना।
  • अपने घर या किसी अन्य बिल्डिंग को बनाने के परमिट को प्राप्त करने के लिए किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत देना।

        इससे अलग भी बहुत सारे ऐसे कार्य है जिनको करना BNS 173 के तहत अपराध माना जा सकता है।

बीएनएस की सेक्शन 173 के अपराध का उदाहरण

       प्रदीप एक बिल्डर है जो एक शहर में नई कॉलोनी बनाना चाहता था। उसने इसके लिए नगर निगम से कॉलोनी को बनाने के लिए मिलने वाले परमिट को प्राप्त करने के लिए आवेदन किया। कई दिनों तक प्रदीप को जब वहाँ से कोई जवाब नहीं मिला तो उसने नगर निगम के एक अधिकारी से संपर्क किया। उस अधिकारी ने प्रदीप से कहा कि अगर वह उसे कुछ पैसे दे देगा तो वो उसके काम को जल्द से जल्द बिना किसी रुकावट के करवा देगा। इसलिए अपने काम को जल्द से जल्द करवाने के लिए प्रदीप ने उस अधिकारी को पैसे दे दिए और कुछ दिनों बाद उसे कॉलोनी को बनाने का परमिट मिल गया।

        कुछ समय बाद एक अखबार में यह खबर छपी कि नगर निगम के कई अधिकारी रिश्वत ले रहे हैं। इस खबर के बाद पुलिस ने जांच शुरू की जिसमें सबूत मिलने पर प्रदीप व उस अधिकारी के खिलाफ BNS Section 173 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की गई।

BNS Section 173 में सजा (Punishment) कितनी होती है

       बीएनएस की धारा 173 के तहत यदि कोई व्यक्ति रिश्वत लेने या देने के अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उस व्यक्ति को एक साल तक की कैद व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 173 में जमानत कब व कैसे मिलती है

        बीएनएस की धारा 173 के अनुसार रिश्वतखोरी एक गैर-संज्ञेय व जमानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि यह अन्य अपराधों से कम गंभीर होता है। जिसमें आमतौर पर आरोपी को जमानत मिल जाती है। हालांकि, जमानत मिलने या न मिलने का निर्णय अदालत द्वारा कई कारकों को ध्यान में रखकर किया जाता है, जैसे कि:

  • अपराध की गंभीरता
  • आरोपी का पिछला रिकॉर्ड
  • आरोपी के भागने का खतरा
BNS Section 173 में आरोपी व्यक्तियों के लिए बचाव उपाय
  • यदि किसी व्यक्ति पर रिश्वत लेने के आरोप लगते है तो उसे सबसे पहले किसी वकील की सहायता लेनी चाहिए।
  • यदि कोई व्यक्ति आपको जानबूझकर इस अपराध में फंसाने के लिए झूठे आरोप लगाता है तो ऐसे मामले में वकील न्यायालय में आपका बचाव करेगा।
  • खुद को निर्दोष साबित करने वाले सबूतों व गवाहों को इकट्ठा करें, जिनसे यह साबित हो सके की आपने ना रिश्वत ली और ना ही रिश्वत दी।
  • यदि कोई आपके पास पैसों या किसी अन्य वस्तु को केवल कुछ समय के लिए संभालने के लिए रख कर गया था, तो आप इस बात को अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर सकते है।
  • कानून पर भरोसा रखे व किसी भी प्रकार का झूठ ना बोले, क्योंकि झूठ बोलने से आपका केस उलझ सकता है।

निष्कर्ष:- BNS Section 173 रिश्वतखोरी के अपराध से निपटने के लिए एक बहुत ही उपयोगी कानून है। यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि जो लोग रिश्वत लेते हैं या देते हैं, उन्हें दंडित किया जाए। इस धारा के द्वारा भारतीय समाज में भ्रष्टाचार कम करने में मदद मिलेगी। अगर आप इस तरह के किसी भी अपराधों से बचाव या न्याय पाने के लिए कानूनी सहायता पाना चाहते है, तो हमारे वकीलों से अभी बात कर सकते है।

बीएनएस धारा 174 क्या है |

BNS Section 174

चुनाव में अनुचित प्रभाव या दिखावे के लिए सजा

       जो कोई भी चुनाव में अनुचित प्रभाव या प्रतिरूपण का अपराध करेगा, उसे एक वर्ष तक के कारावास या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 175 क्या है |

BNS Section 175

चुनाव के संबंध में गलत बयान

        जो कोई किसी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के इरादे से कोई ऐसा बयान देता है या प्रकाशित करता है जो तथ्य का बयान होने का दावा करता है जो गलत है और जिसके बारे में वह व्यक्तिगत रूप से जानता है या झूठ मानता है या सच नहीं मानता है। किसी भी उम्मीदवार के चरित्र या आचरण के आधार पर जुर्माना लगाया जाएगा।

बीएनएस धारा 176 क्या है |

BNS Section 176

चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान

      जो कोई उम्मीदवार के लिखित सामान्य या विशेष अधिकार के बिना किसी सार्वजनिक बैठक के आयोजन, या किसी विज्ञापन, परिपत्र या प्रकाशन, या किसी अन्य तरीके से प्रचार या खरीद के उद्देश्य से खर्च करता है या अधिकृत करता है। ऐसे उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर जुर्माने से दंडित किया जाएगा जो दस हजार रुपये तक बढ़ सकता है:

बशर्ते कि यदि कोई व्यक्ति बिना प्राधिकार के दस रुपये से अधिक का कोई ऐसा खर्च नहीं करता है, तो उस तारीख से दस दिनों के भीतर, जिस दिन ऐसे खर्च किए गए थे, उम्मीदवार से लिखित अनुमोदन प्राप्त कर लेता है, तो उसे ऐसा खर्च किया हुआ माना जाएगा। उम्मीदवार का अधिकार.

बीएनएस धारा 177 क्या है |

BNS Section 177

चुनाव खाते रखने में विफलता

       जो कोई तत्समय प्रवृत्त किसी कानून या कानून की शक्ति वाले किसी नियम द्वारा चुनाव में या उसके संबंध में किए गए खर्चों का लेखा-जोखा रखने की अपेक्षा करता है, तो ऐसे लेखा-जोखा रखने में विफल रहता है, उसे जुर्माने से दंडित किया जाएगा। जो पांच हजार रुपये तक बढ़ सकता है.

बीएनएस धारा 178 क्या है |

BNS Section 178

नकली सिक्का, सरकारी टिकट, करेंसी-नोट या बैंक-नोट

        जो कोई भी राजस्व, करेंसीनोट या बैंक-नोट के प्रयोजन के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए किसी भी सिक्के, स्टाम्प की जालसाजी करेगा, या जानबूझकर जालसाजी की प्रक्रिया का कोई हिस्सा करेगा, उसे आजीवन कारावास या दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसकी अवधि दस साल तक बढ़ सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

स्पष्टीकरण.—इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए,—

(1) अभिव्यक्ति “बैंक-नोट” का अर्थ है दुनिया के किसी भी हिस्से में बैंकिंग का व्यवसाय करने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा जारी किए गए या उसके अधिकार के तहत जारी किए गए मांग पर धारक को धन के भुगतान के लिए एक वचन पत्र या प्रतिबद्धता। किसी भी राज्य या संप्रभु शक्ति के समकक्ष या उसके विकल्प के रूप में उपयोग करने का इरादा है पैसा;

(2) “सिक्का” का वही अर्थ होगा जो सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 की धारा 2 में दिया गया है और इसमें पैसे के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली धातु शामिल है और इसे किसी राज्य या संप्रभु शक्ति द्वारा या उसके अधिकार के तहत मुद्रांकित और जारी किया जाता है। इतना उपयोग किया जाना;

(3) एक व्यक्ति “सरकारी स्टांप की जालसाजी” का अपराध करता है, जो एक मूल्यवर्ग के असली स्टांप को दूसरे मूल्यवर्ग के असली स्टांप जैसा दिखाकर उसकी जालसाजी करता है;

(4) एक व्यक्ति जाली सिक्के का अपराध करता है जो धोखे का अभ्यास करने का इरादा रखता है, या यह जानते हुए कि धोखे का अभ्यास किया जाएगा, एक असली सिक्के को एक अलग सिक्के की तरह दिखने का कारण बनता है; और

(5) “नकली सिक्के” के अपराध में वजन कम करना या संरचना में परिवर्तन, या सिक्के के स्वरूप में परिवर्तन शामिल है।

बीएनएस धारा 179 क्या है |

BNS Section 179

सिक्के, सरकारी स्टांप, करेंसी-नोट या बैंक नोट का असली, जाली या नकली के रूप में उपयोग करना

       जो कोई राजस्व, मुद्रा-नोट या बैंक-नोट के प्रयोजन के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए किसी जाली या नकली सिक्के, स्टांप को बेचता है या वितरित करता है, या किसी अन्य व्यक्ति से खरीदता है या प्राप्त करता है, या अन्यथा तस्करी करता है या असली के रूप में उपयोग करता है, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह जाली या नकली है, आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, या किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

बीएनएस धारा 180 क्या है |

BNS Section 180

जाली या जाली सिक्के, सरकारी मोहर, करेंसी-नोट या बैंक-नोट का कब्ज़ा

        जिस किसी के पास राजस्व के प्रयोजन के लिए सरकार द्वारा जारी कोई जाली या नकली सिक्का, स्टांप, मुद्रा-नोट या बैंक-नोट है, वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह जाली या नकली है और उसका उपयोग करने का इरादा रखता है। असली के रूप में या इसका असली के रूप में उपयोग किया जा सकता है, तो सात साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 181 क्या है |

BNS Section 181

सिक्का, सरकारी स्टांप, करेंसी नोट या बैंक-नोट बनाने या जाली बनाने के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या रखना

       जो कोई उपयोग करने या जानने के उद्देश्य से कोई मशीनरी, डाई, उपकरण या सामग्री बनाता है या सुधारता है, या बनाने या सुधारने की प्रक्रिया का कोई हिस्सा करता है, या खरीदता है या बेचता है या निपटान करता है, या उसके कब्जे में है या यह विश्वास करने का कारण होने पर कि इसका उपयोग राजस्व, मुद्रा-नोट या बैंक-नोट के प्रयोजन के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए किसी सिक्के, स्टांप को बनाने या नकली बनाने के लिए किया जाना है, को आजीवन कारावास या कारावास से दंडित किया जाएगा। या तो एक अवधि के लिए विवरण, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 182 क्या है |

BNS Section 182

करेंसी-नोट या बैंक-नोट जैसे दस्तावेज़ बनाना या उपयोग करना

(1) जो कोई ऐसा दस्तावेज़ बनाता है, या बनवाता है, या किसी भी प्रयोजन के लिए उपयोग करता है, या किसी व्यक्ति को वितरित करता है, जो किसी भी तरह से या किसी भी तरह से मिलता-जुलता है, या इतना लगभग मिलता-जुलता है कि धोखा देने के लिए गणना की जाती है, किसी भी करेंसी-नोट या बैंक-नोट पर जुर्माना लगाया जाएगा जो तीन सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

(2) यदि कोई व्यक्ति, जिसका नाम किसी दस्तावेज़ पर दिखाई देता है, जिसे बनाना उप-धारा (1) के तहत अपराध है, किसी कानूनी बहाने के बिना, किसी पुलिस-अधिकारी को नाम और पता बताने से इनकार कर देता है। जिस व्यक्ति द्वारा इसे मुद्रित किया गया या अन्यथा बनाया गया, उसे जुर्माने से दंडित किया जाएगा जो छह सौ रुपये तक हो सकता है।

(3) जहां किसी व्यक्ति का नाम किसी दस्तावेज़ पर दिखाई देता है जिसके संबंध में किसी व्यक्ति पर उप-धारा (1) के तहत अपराध का आरोप लगाया गया है या उस दस्तावेज़ के संबंध में उपयोग किए गए या वितरित किए गए किसी अन्य दस्तावेज़ पर, यह तब तक हो सकता है जब तक कि इसके विपरीत न हो साबित हो गया है, तो यह मान लिया जाएगा कि उस व्यक्ति ने दस्तावेज़ बनवाया है।

बीएनएस धारा 183 क्या है |

BNS Section 183

सरकार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से सरकारी स्टांप वाले पदार्थ से लेखन को मिटाना, या इसके लिए इस्तेमाल किए गए स्टांप को दस्तावेज़ से हटाना

        जो कोई, धोखाधड़ी से या सरकार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से, राजस्व के प्रयोजन के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए किसी भी स्टाम्प, किसी भी लेख या दस्तावेज़ को हटा देगा या मिटा देगा, जिसके लिए ऐसे स्टाम्प का उपयोग किया गया है, या किसी से हटा देगा। किसी ऐसे स्टांप को लिखना या दस्तावेज़ बनाना जिसका उपयोग ऐसे लेखन या दस्तावेज़ के लिए किया गया हो, ताकि ऐसे स्टांप का उपयोग किसी भिन्न लेखन या दस्तावेज़ के लिए किया जा सके, उसे किसी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या ठीक है, या दोनों के साथ।

बीएनएस धारा 184 क्या है |

BNS Section 184

ज्ञात सरकारी स्टांप का उपयोग करना जो पहले इस्तेमाल किया गया हो

        जो कोई, धोखाधड़ी से या सरकार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से, राजस्व के उद्देश्य से सरकार द्वारा जारी किए गए स्टांप का उपयोग किसी भी उद्देश्य के लिए करता है, जिसके बारे में वह जानता है कि पहले इस्तेमाल किया गया था, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी। जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 185 क्या है |

BNS Section 185

उस चिह्न को मिटाना जो दर्शाता है कि स्टांप का उपयोग किया गया है

        जो कोई, धोखाधड़ी से या सरकार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से, राजस्व के उद्देश्य से सरकार द्वारा जारी किए गए स्टांप से मिटा देता है या हटा देता है, ऐसे स्टांप पर किसी भी चिह्न को यह दर्शाने के लिए लगाया या लगाया जाता है कि उसका उपयोग किया गया है, या जानबूझकर किसी ऐसे स्टाम्प को अपने कब्जे में रखता है या बेचता है या उसका निपटान करता है जिस पर से ऐसा चिह्न मिटा दिया गया है या हटा दिया गया है, या किसी ऐसे स्टाम्प को बेचता है या उसका निपटान करता है जिसके बारे में वह जानता है कि उसका उपयोग किया गया है, तो उसे दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसकी अवधि तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 186 क्या है |

BNS Section 186

काल्पनिक टिकटों का निषेध

(1) जो भी—

(ए) जानबूझकर कोई फर्जी स्टांप बनाता है, उसका लेनदेन करता है या बेचता है, या जानबूझकर किसी डाक प्रयोजन के लिए किसी फर्जी स्टांप का उपयोग करता है; या
(बी) बिना किसी वैध कारण के, कोई काल्पनिक स्टाम्प अपने कब्जे में रखता है; या
(सी) बिना कानूनी बहाने के, कोई फर्जी टिकट बनाने के लिए कोई डाई, प्लेट, उपकरण या सामग्री अपने कब्जे में रखता है, तो उसे जुर्माने से दंडित किया जाएगा जो दो सौ रुपये तक बढ़ सकता है।

(2) कोई भी काल्पनिक टिकट बनाने के लिए किसी भी व्यक्ति के कब्जे में ऐसा कोई भी टिकट, डाई, प्लेट, उपकरण या सामग्री जब्त की जा सकती है और यदि जब्त की जाती है तो उसे जब्त कर लिया जाएगा।

(3) इस धारा में “काल्पनिक स्टाम्प” का अर्थ है डाक शुल्क की दर दर्शाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला कोई भी स्टाम्प, या सरकार द्वारा जारी किए गए किसी भी स्टाम्प की कोई प्रतिकृति या नकल या प्रतिनिधित्व, चाहे वह कागज पर हो या अन्यथा। उस उद्देश्य के लिए।

(4) इस खंड में और धारा 176 से 179, और धारा 181 से 183 दोनों में, “सरकारी” शब्द, जब डाक की दर को दर्शाने के उद्देश्य से जारी किए गए किसी भी टिकट के संबंध में या उसके संदर्भ में उपयोग किया जाता है। , धारा 2 के खंड (11) में किसी भी बात के बावजूद, भारत के किसी भी हिस्से में या किसी विदेशी देश में कार्यकारी सरकार को प्रशासित करने के लिए कानून द्वारा अधिकृत व्यक्ति या व्यक्तियों को शामिल माना जाएगा।

बीएनएस धारा 187 क्या है |

BNS Section 187

टकसाल में कार्यरत व्यक्ति सिक्के का वजन या संरचना कानून द्वारा निर्धारित वजन से भिन्न बनाता है

         जो कोई, भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में कार्यरत रहते हुए, उस टकसाल से जारी किसी भी सिक्के को वजन से भिन्न वजन या संरचना का बनाने के इरादे से कोई कार्य करता है, या जो करने के लिए वह कानूनी रूप से बाध्य है उसे छोड़ देता है। या कानून द्वारा निर्धारित कंपोजीशन के लिए, किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 188 क्या है |

BNS Section 188

टकसाल से सिक्का बनाने के उपकरण को गैरकानूनी तरीके से लेना

       जो कोई भी, वैध प्राधिकार के बिना, भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी भी टकसाल से कोई सिक्का बनाने वाला उपकरण या उपकरण निकालेगा, उसे किसी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 189 क्या है |

BNS Section 189

         अक्सर समाचारों में हम ऐसे मामलों के बारे में सुनते हैं जहां गैरकानूनी जमावड़े हिंसा, तोड़फोड़ और अराजकता में बदल जाते हैं। ये घटनाएं न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि लोगों की जान को भी खतरे में डालती हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि गैरकानूनी जमावड़ा क्या है, इसके क्या परिणाम हो सकते हैं और हम इसे कैसे रोक सकते हैं। इस लेख में हम ऐसे अपराधों से जुडी एक ऐसे धारा भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, की बीएनएस की धारा 189 का अपराध क्या है (BNS Section 189)? गैरकानूनी जमावड़े की इस धारा में सजा जमानत और बचाव के उपाय?

        BNS के लागू होने के बाद से गंभीर अपराधों के खिलाफ लड़ाई में एक नया मोड़ आया है। पहले गैर-कानूनी रुप से इकट्ठा हुई भीड़ में शामिल होने वाले लोगों के द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर आईपीसी की धारा 141,145,150,151,157 व 158 के तहत अलग-अलग धाराओं के द्वारा कार्रवाई की जाती थी। लेकिन अब इन सभी पर बीएनएस की धारा 189 व उसकी उपधाराओं के तहत मामले दर्ज किए जाने लगे है। इसलिए इस लेख को पढ़कर आप इस धारा के बारे में पूरी तरह से जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।

बीएनएस धारा 189 क्या है व यह कब लागू होती है – BNS Section 189 

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 189 एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है, जो गैरकानूनी जमावड़े (unlawful assembly) के अपराध से संबंधित है। सरल शब्दों में कहे तो, यह धारा उन परिस्थितियों को स्पष्ट करती है जब कोई सभा (Assembly) जो शुरू में कानूनी होती है, लेकिन बाद में किन्हीं कारणों व परिस्थितियों के कारण व सभा गैरकानूनी बन जाती है।

      इसके अलावा अगर किसी सभा में पांच या उससे अधिक लोग शामिल होते हैं और उनकी गतिविधियों से सार्वजनिक शांति (Public Peace) भंग होने की संभावना होती है, तो उस सभा को गैर-कानूनी सभा माना जा सकता है।

        धारा 189 में गैर-कानूनी सभा से संबंधित अपराध के अलग-अलग तरीकों व परिस्थितियों को सजा के साथ इसकी 9 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार से है:-

बीएनएस की धारा 189 (1):- इसमें गैरकानूनी सभा की परिभाषा के द्वारा अपराध के बारे में बताया गया है। गैरकानूनी जमाव वह होता है, जब पाँच या उससे अधिक लोग एक साथ इकट्ठे होते हैं और उनका उद्देश्य या कार्य ऐसा होता है जो कानून के खिलाफ हो या सार्वजनिक शांति को भंग करना हो।

बीएनएस की धारा 189 (2): जो भी व्यक्ति धारा 189 (1) के तहत किसी गैर-कानूनी सभा का सदस्य पाया जाता है उस व्यक्ति को 189(2) के तहत सजा दी जाती है।
उदाहरण: अगर मोहल्ले में बिना अनुमति के भीड़ इकट्ठी हो गई और रोहित उसमें शामिल हो गया तो यह गैरकानूनी सभा मानी जाएगी और उसमें किसी भी प्रकार की हिंसा (Violence) या कुछ भी अपराध होने पर रोहित को भी सजा हो सकती है।

बीएनएस की सेक्शन 189(3): अगर कोई व्यक्ति किसी गैरकानूनी सभा में शामिल होता है। यह पता होते हुए भी की वो जिस सभा में शामिल है वो गैरकानूनी है, लेकिन फिर भी उसका सदस्य बना रहता है। ऐसे व्यक्ति पर धारा 189(3) के तहत कार्यवाही की जाती है।

बीएनएस की सेक्शन 189(4):- अगर कोई व्यक्ति किसी गैर-कानूनी भीड़ या सभा में कोई जानलेवा हथियार (Deadly Weapon) जैसे कि तलवार, बंदूक, या चाकू लेकर शामिल होता है, तो उस पर धारा 189(4) में मामला दर्ज किया जा सकता है।

बीएनएस 189 की उपधारा (5):- यदि किसी गैर-कानूनी जमावड़े या सभा को पुलिस या अन्य कानूनी अधिकारी तितर-बितर (Dispersed) होने का आदेश देते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति इस आदेश के बावजूद भीड़ में बना रहता है और वहां से नहीं हटता तो पुलिस धारा 189(5) के तहत उस व्यक्ति पर कार्यवाही कर सकती है।
उदाहरण: पुलिस के चेतावनी देने के बाद भी अगर रमेश भीड़ में बना रहा, तो उसे जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।

बीएनएस 189 की उपधारा (6):- जब कोई व्यक्ति गैरकानूनी रुप से इकट्ठा हुए लोगों की भीड़ में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल करने के लिए पैसे देता है। उन्हें लालच देता है, या किसी और तरीके से उन्हें उसमें भाग लेने के लिए उकसाता (provokes) है, तो यह धारा 189(6) के तहत अपराध माना जाता है।
उदाहरण: अगर सुरेश ने पैसे देकर कुछ लोगों को गैरकानूनी सभा में बुलाया, तो उसे इस अपराध के लिए सजा मिल सकती है।

बीएनएस 189 की उपधारा (7):- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर गैरकानूनी जमाव में शामिल लोगों को पुलिस से छिपाने की कोशिश करता है या उन्हें शरण देता है, तो वह इस धारा के तहत अपराध करता है।
उदाहरण: अगर महेश ने गैरकानूनी सभा के किसी भी सदस्य को अपने घर में छिपने दिया, तो उसे जेल व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस सेक्शन 189 (8):- अगर कोई व्यक्ति खुद किसी व्यक्ति से पैसे लेकर गैरकानूनी सभा में शामिल होता है, यानी वह अपनी मर्जी से किसी भीड़ का हिस्सा बनने के लिए पैसे लेता है, तो उस व्यक्ति पर धारा 189(8) के अनुसार केस दर्ज किया जा सकता है।
उदाहरण: अगर राकेश खुद पैसे लेकर किसी गैरकानूनी सभा में शामिल हुआ, तो उसे भी जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं

बीएनएस की धारा 189 (9):- अगर कोई व्यक्ति गैरकानूनी सभा में पैसे लेकर उसका सदस्य बनता है और उसके पास हथियार(Weapon) होता है, जैसे कि चाकू, बंदूक, या अन्य खतरनाक वस्तु, तो सेक्शन 189(9) उस व्यक्ति पर लागू कि जा सकती है।

इस धारा के तहत गैरकानूनी सभा के तत्व क्या हैं?
  • पाँच या अधिक व्यक्ति: पाँच या अधिक व्यक्तियों की सभा होनी चाहिए।
  • समान इरादा: व्यक्तियों का अपराध करने या आपराधिक बल या हिंसा (Criminal Force Or violation) का उपयोग करने या धमकी देने का एक समान इरादा (Same intention) होना चाहिए।
  • सार्वजनिक शांति में खलल डालने की संभावना: सभा से सार्वजनिक शांति में खलल (Disturbance) पड़ने की संभावना होनी चाहिए।
कुछ कार्य जिनको करना धारा 189 का अपराधी बना सकता है।
  • पांच या उससे अधिक लोगों को एकत्रित करना और उन्हें कानून के खिलाफ किसी कार्य में शामिल करना।
  • पुलिस द्वारा गैरकानूनी जमाव को तितर-बितर (Dispersed) करने का आदेश देने के बावजूद वहाँ बने रहना।
  • गैरकानूनी जमाव में हथियार लेकर शामिल होना, जैसे कि लाठियाँ, छुरी या अन्य खतरनाक चीजे ।
  • किसी व्यक्ति को गैरकानूनी जमाव में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना या उसे शामिल होने के लिए कहना।
  • गैरकानूनी जमाव के दौरान सार्वजनिक संपत्ति (Public Property) जैसे कि बस स्टॉप, सड़कें या सरकारी भवनों को नुकसान पहुँचाना।
  • इस सभा के दौरान लोगों को भड़काने वाला भाषण (Speech) देना या ऐसी बातें करना जिससे हिंसा भड़क सके।
  • ऐसे लोगों की भीड़ को भोजन, पानी या अन्य आपूर्ति प्रदान करना।
  • इस प्रकार के जमावड़े के दौरान चोरी, तोड़फोड़ या अन्य आपराधिक गतिविधियों में भाग लेना।
  • निजी वाहनों, दुकानों या अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुँचाना।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 189 के तहत सजा

      बीएनएस की धारा 189 के अपराध की सजा (Punishment) को इसकी उपधाराओं (Sub-Sections) के अंदर विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार है:-

  • धारा 189 (2) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति किसी गैर-कानूनी जमावड़े का सदस्य पाया जाता है, तो उसे 6 महीने तक की जेल व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
  • धारा 189 (3) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी की वो जिस भीड़ का सदस्य बन रहा है वह गैर-कानूनी है। उसका सदस्य बना रहता है ऐसे व्यक्ति की सजा को 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
  • धारा 189 (4) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति कानूनी या बिना कानूनी अनुमति के इकट्ठा हुई भीड़ में कोई खतरनाक हथियार (Dangerous Weapon) लेकर जाने का दोषी (Guilty) पाया जाएगा तो उसे 2 साल की जेल व साथ में जुर्माने का दंड भुगतना पड़ सकता है।
  • धारा 189 (5) की सजा:- यदि पुलिस भीड़ में खड़े सभी सदस्यों को वहाँ से जाने का आदेश देती है, लेकिन फिर भी कोई व्यक्ति उस आदेश का उल्लंघन (Violation) करेगा। उस व्यक्ति को 6 महीने की कैद या जुर्माना सजा के तौर पर देना पड़ सकता है।
  • धारा 189 (6), (7) व (8) के तहत बताए गए अपराधों के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को एक समान सजा यानी 6 महीने की सजा व जुर्माना लगाकर दंडित किया जाता है।
  • धारा 189 (9) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति पैसे लेकर किसी गैर-कानूनी भीड़ का सदस्य बनता है और वह अपने साथ कोई हथियार लेकर वहाँ जाता है। तो ऐसे व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर 2 साल की कारावास व जुर्माने (Imprisonment Or fine) की सजा दी जा सकती है।
बीएनएस की धारा 189 में जमानत का प्रावधान

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 189 के तहत गैरकानूनी सभा से जुड़े ये सभी अपराध संज्ञेय व जमानती अपराध (Cognizable Or Bailable Offence) होते हैं। इसका मतलब यह है कि इस अपराध के आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) मिल सकती है और वह जमानत के लिए अपने वकील की सहायता से अदालत में आवेदन कर सकता है। हालांकि, जमानत की शर्तें और प्रक्रिया मामले की गंभीरता और परिस्थितियों के आधार पर बदल सकती हैं। इस अपराध की सुनवाई (Hearing) किसी भी मजिस्ट्रेट की अदालत में की जा सकती है।

बीएनएस सेक्शन 189 का उल्लंघन करने के आरोपी व्यक्ति के लिए क्या बचाव उपलब्ध हैं?

       इस अपराध का उल्लंघन करने के आरोपी व्यक्ति के पास विभिन्न बचाव हो सकते हैं, जैसे:

  • आरोपी (Accused) यह तर्क दे सकता है कि सभा के सदस्यों के बीच अपराध करने या बल प्रयोग करने का कोई सामान्य इरादा नहीं था।
  • आरोपी यह दावा कर सकता है कि उन्होंने सभा को गैरकानूनी होने से पहले ही छोड़ दिया था।
  • यदि आरोपी ने आत्मरक्षा (Self Defence) में बल का प्रयोग किया है, तो वे अपने कार्यों को उचित ठहराने में सक्षम (Able) हो सकते हैं।
  • आरोपी यह दावा कर सकता हैं कि उसको गलत इंसान के रुप में पहचाना गया है और व उस घटना में शामिल नहीं था।
  • आरोपी व्यक्ति यह दावा कर सकते हैं कि पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है या झूठे आरोप (False Blame) लगाए हैं।
  • कुछ मामलों में आरोपी राजनीतिक कारणों से भी फंसाए जा सकते हैं।
  • यदि अभियोजन पक्ष (Prosecutors) आपके खिलाफ पर्याप्त सबूत (Sufficient Evidence) प्रस्तुत नहीं कर पाता है, तो आप बरी हो सकते हैं।

निष्कर्ष:- BNS Section 189 बहुत ही उपयोगी कानून है, जो सार्वजनिक शांति और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह धारा उन सभी गतिविधियों पर रोक लगाती है जो सार्वजनिक शांति भंग करने की संभावना रखती हैं। चाहे वह कोई गैरकानूनी जमावड़ा हो, हिंसा की धमकी हो या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना हो। यदि आप किसी भी कानूनी मामले से संबंधित कोई भी सहायता चाहते हैं, तो हमारे अनुभवी वकील आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार हैं।