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BNS (भारतीय न्याय संहिता ) Part 6

बीएनएस धारा 119 क्या है |

BNS Section 119

संपत्ति की उगाही करने के लिए, या किसी अवैध कार्य के लिए बाध्य करने के लिए स्वेच्छा से चोट या गंभीर चोट पहुंचाना

(1) जो कोई भी पीड़ित से, या पीड़ित में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति से, किसी भी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा को छीनने के लिए, या पीड़ित को या ऐसे पीड़ित में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति को कुछ भी करने के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से, स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है। गैरकानूनी है या जो किसी अपराध को करने में मदद कर सकता है, उसे दस साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

(2) जो कोई भी स्वेच्छा से उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी भी उद्देश्य के लिए गंभीर चोट पहुंचाता है, उसे आजीवन कारावास, या किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, से दंडित किया जाएगा, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

बीएनएस धारा 120 क्या है |

BNS Section 120

अपराध स्वीकार करने के लिए, या संपत्ति की बहाली के लिए मजबूर करने के लिए स्वेच्छा से चोट या गंभीर चोट पहुंचाना

(1) जो कोई भी पीड़ित से या पीड़ित में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति से कोई भी स्वीकारोक्ति या कोई जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से, जिससे अपराध या कदाचार का पता चल सकता है, या बाधा डालने के उद्देश्य से स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है। पीड़ित या किसी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा को बहाल करने या बहाल करने या किसी दावे या मांग को पूरा करने या ऐसी जानकारी देने में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति, जिससे किसी संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा की बहाली हो सकती है, दंडित किया जाएगा। किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

(2) जो कोई भी उप-धारा (1) में निर्दिष्ट किसी भी उद्देश्य के लिए स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

रेखांकन

(ए) ए, एक पुलिस-अधिकारी, ज़ेड को यह स्वीकार करने के लिए प्रेरित करने के लिए कि उसने अपराध किया है, ज़ेड को प्रताड़ित करता है। ए इस धारा के तहत अपराध का दोषी है।
(बी) ए, एक पुलिस-अधिकारी, बी को यह बताने के लिए प्रेरित करने के लिए प्रताड़ित करता है कि चोरी की गई कुछ संपत्ति कहाँ जमा की गई है। ए इस धारा के तहत अपराध का दोषी है।
(सी) ए, एक राजस्व अधिकारी, ज़ेड से देय राजस्व के कुछ बकाया का भुगतान करने के लिए उसे मजबूर करने के लिए ज़ेड को प्रताड़ित करता है। ए इस धारा के तहत अपराध का दोषी है।

बीएनएस धारा 121 क्या है |

BNS Section 121

       हाल ही के समय में कुछ ऐसे अपराधों में बढ़ोतरी देखी गई है, जहाँ पुलिसकर्मियों पर हमले, सरकारी अधिकारियों को धमकाना और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाना जैसी घटनाएँ आम हो गई हैं। ये घटनाएँ न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए खतरा हैं बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ी चुनौती हैं। आज के इस लेख में हम लोक सेवक को उसके कर्तव्य का पालन करने से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुँचाने के अपराध से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में जानेंगे कि बीएनएस की धारा 121 क्या है (BNS Section 121 )? सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाने के दोषी को सजा क्या मिलती है और धारा 121 जमानती है या गैर जमानती?

       कुछ महीनों पहले जब कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को जानबूझकर चोट पहुंचाता था, तो उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 332 और धारा 333 के तहत मामला दर्ज किया जाता था। लेकिन कुछ समय पहले हुए कानूनी बदलाव के चलते भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू की गई है। इस बदलाव के साथ ही इस तरह के मामलों पर अब बीएनएस की धारा 121 के तहत केस दर्ज किए जाने लगे हैं। जिसकी जानकारी सरल भाषा में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े।

बीएनएस की धारा 121 क्या है और यह कब लागू होती है – BNS Section 121 

       BNS की धारा 121 किसी लोक सेवक (Public Servant) को उसके कर्तव्य (Duty) के पालन से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुँचाने या गंभीर चोट (Serious Injury) पहुँचाने से संबंधित है। यह धारा उन व्यक्तियों को दंडित करती है जो किसी सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य का पालन करने से रोकने के इरादे से उस पर हमला (Attack) कर चोट पहुँचाते हैं। यह धारा सुनिश्चित करती है कि सभी लोक सेवक (सरकारी कर्मचारी) बिना किसी डर या खतरे के अपने कर्तव्य का पालन कर सकें।

बीएनएस सेक्शन 121(1):- जो कोई भी व्यक्ति किसी लोक सेवक या सरकारी कर्मचारी (Government Employee) को उसकी डयूटी को करने से रोकने के लिए जानबूझकर से मामूली चोट (Injury) पहुंचाएगा उस व्यक्ति पर धारा 121(1) के तहत कार्यवाही की जाएगी।
उदाहरण: यदि किसी सरकारी अधिकारी को हल्की चोट पहुँचाई जाती है, जैसे कि उसे धक्का देकर गिरा दिया गया या किसी छोटे हथियार से चोट पहुँचाई गई, और यह हमला उसे काम से रोकने के लिए किया गया हो तो इसे हल्की चोट के तहत माना जाएगा।

बीएनएस सेक्शन 121(2): अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को ज्यादा गंभीर चोट (Serious Injury) पहुंचाने का अपराध करता है, तो उस व्यक्ति पर धारा 121(2) के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

उदाहरण: अगर किसी पुलिसकर्मी पर हमला कर उसे गंभीर चोट पहुँचा दी जाती है, जैसे कि उसके शरीर के किसी अंग को तोड़ देना, या ऐसा नुकसान पहुँचाना जिससे वो आगे कोई काम ना कर पाए तो इसे गंभीर चोट माना जाएगा।

BNS 121 लगने के प्रमुख बिंदु
  • कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक (Public Servant) को जानबूझकर चोट पहुँचाता है।
  • कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को गंभीर चोट पहुँचाता है।
  • चोट पहुँचाने का उद्देश्य सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य का पालन करने से रोकना होना चाहिए।

उदाहरण: एक पुलिस अधिकारी को ड्यूटी के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा मारा जाना इस धारा के अंतर्गत अपराध माना जाएगा।

बीएनएस की धारा 121 के अपराध से संबंधित सरल उदाहरण

        प्रदीप को एक सरकारी दफ्तर में काम करने वाले किसी अधिकारी से कुछ आवश्यक काम करवाना था। लेकिन वह अधिकारी उसका काम नहीं कर रहे था। जिसके कारण गुस्से में आकर प्रदीप उस अधिकारी के दफ्तर में घुस गया और वहां की सारी फाइलें फाड़ डाली। उसने वहाँ के सभी कंप्यूटर भी तोड़ दिए और उस अधिकारी पर भी हमला कर दिया।

        प्रदीप ने यह सब इसलिए किया ताकि अधिकारी डर जाएं और उसका काम कर दें। प्रदीप द्वारा की गई ये सारे कार्य बीएनएस की धारा 121 के अंतर्गत अपराध माने जाते है। जिसके तहत उस पर कानूनी कार्यवाही भी की गई क्योंकि उसने जानबूझकर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और सरकारी कर्मचारी को डराकर उस पर भी हमला करने की कोशिश की।

BNS Section 121 के तहत अपराध में किए जाने वाले कुछ कार्य
  • कोई व्यक्ति किसी पुलिस वाले को जानबूझकर मारता है या उसे चोट पहुंचाता है ताकि वह अपना काम न कर सके, तो यह इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को धमकाता है या उसे डराता है ताकि वह अपना काम न कर सकें।
  • कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को गाली देता है या उसे अपमानित करता है।
  • अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर सरकारी दस्तावेजों (Government Documents) को नष्ट करता है या उन्हें छुपाता है ताकि सरकारी कामकाज बाधित हो, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • कोई व्यक्ति सरकारी संपत्ति (Government Property) को जानबूझकर नुकसान पहुंचाता है ताकि सरकारी कामकाज बाधित हो, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ झूठा आरोप (False Blame) लगाता है ताकि उसे परेशान किया जा सके और वह अपना काम न कर सके, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को बंदी बना लेता है।
  • अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी के घर में बिना अनुमति (Permission) के घुसता है और उसे डराता है या परेशान करता है, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 121 में सजा – Punishment Of BNS Section 121 

       बीएनएस की धारा 121 के उल्लंघन (Violation) पर सजा का फैसला इस बात पर निर्भर करता है कि चोट साधारण है या गंभीर। आइए इसे विस्तार से और सरल भाषा में समझते हैं:

  • BNS 121 (1) की सजा:- हल्की चोट: अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को केवल हल्की या मामूली चोट पहुँचाता है, और इसका उद्देश्य उस लोक सेवक को उसके कर्तव्यों (Duties) का पालन करने से रोकना होता है, तो उसे पांच साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ ही जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 121 (2) की सजा:- गंभीर चोट: यदि किसी व्यक्ति ने सरकारी कर्मचारी को गंभीर चोट (Serious Injury) पहुँचाई है, यानी ऐसी चोट जो शारीरिक रूप से बड़ा नुकसान पहुंचाती है या जिससे पीड़ित को लंबे समय तक तकलीफ होती है, तो सजा और अधिक होगी। इसमें कम से कम एक साल की जेल की सजा से लेकर अधिकतम सजा दस साल की जेल हो सकती है। इसके साथ जुर्माना भी लगाया जाएगा।
बीएनएस धारा 319 में जमानत के लिए क्या कानूनी प्रावधान है?

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 121 के अनुसार किसी सरकारी कर्मचारी को उसके कार्यों को करने से रोकने व हमला कर चोट पहुँचाने का अपराध संज्ञेय व गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable) होता है। संज्ञेय अपराधों को गंभीर अपराध माना जाता है। जिसमें आरोपी को पकड़ने के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही की जा सकती है। इसके साथ ही धारा 121 के गैर-जमानती होने के कारण गिरफ्तारी के बाद आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) भी आसानी से नहीं मिलती है।

निष्कर्ष:- BNS की धारा 121 लोक सेवकों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति कानून के प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से जबरन नहीं रोक सकता और यदि कोई ऐसा करता है, तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।

बीएनएस धारा 122 क्या है |

BNS Section 122

उकसावे पर स्वेच्छा से चोट पहुंचाना या गंभीर चोट पहुंचाना

(1) जो कोई स्वेच्छा से गंभीर और अचानक उकसावे पर चोट पहुँचाता है, यदि उसका न तो इरादा है और न ही वह जानता है कि उकसाने वाले व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने की संभावना है, तो उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा। अवधि जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों के साथ।

(2) जो कोई स्वेच्छा से गंभीर और अचानक उकसावे पर गंभीर चोट पहुंचाता है, यदि वह उकसाने वाले व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने का न तो इरादा रखता है और न ही खुद जानता है, तो उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी। जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों।

स्पष्टीकरण.— यह धारा अपवाद 1, धारा 99 के समान प्रावधान के अधीन है।

बीएनएस धारा 123 क्या है |

BNS Section 123

अपराध करने के इरादे से जहर आदि के माध्यम से चोट पहुंचाना

        जो कोई ऐसे व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से, या किसी अपराध को करने या करने को सुविधाजनक बनाने के इरादे से, किसी भी व्यक्ति को कोई जहर या कोई स्तब्ध करने वाली, नशीली या अस्वास्थ्यकर दवा, या अन्य चीज देता है या दिलवाता है या यह जानते हुए कि यह संभावना है कि वह चोट पहुंचाएगा, किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

बीएनएस धारा 124 क्या है |

BNS Section 124

एसिड आदि के उपयोग से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना

(1) जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर के किसी अंग को स्थायी या आंशिक क्षति या विकृति का कारण बनता है, या जलाता है या अपंग करता है या विरूपित करता है या अक्षम करता है या उस व्यक्ति पर एसिड फेंककर या एसिड पिलाकर गंभीर चोट पहुंचाता है, या किसी अन्य साधन का उपयोग करने के इरादे से या यह जानते हुए कि वह ऐसी चोट या चोट पहुंचाने की संभावना रखता है या किसी व्यक्ति को स्थायी रूप से निष्क्रिय अवस्था में पहुंचाता है, उसे किसी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा। दस साल से कम, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी हो सकता है: बशर्ते कि ऐसा जुर्माना पीड़ित के इलाज के चिकित्सा खर्चों को पूरा करने के लिए उचित और उचित होगा:

बशर्ते कि इस धारा के तहत लगाया गया कोई भी जुर्माना पीड़ित को भुगतान किया जाएगा।

(2) जो कोई किसी व्यक्ति पर तेजाब फेंकता है या फेंकने का प्रयास करता है या किसी व्यक्ति को तेजाब पिलाने का प्रयास करता है, या किसी अन्य साधन का उपयोग करने का प्रयास करता है, स्थायी या आंशिक क्षति या विकृति या जलने या अपंग करने या विकृति या विकलांगता पैदा करने के इरादे से या उस व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाने पर, किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जो पांच साल से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

स्पष्टीकरण 1.— इस धारा के प्रयोजनों के लिए, “एसिड” में कोई भी पदार्थ शामिल है जिसमें अम्लीय या संक्षारक चरित्र या जलने की प्रकृति है, जो शारीरिक चोट पहुंचाने में सक्षम है जिससे निशान या विकृति या अस्थायी या स्थायी विकलांगता हो सकती है।

स्पष्टीकरण 2.— इस धारा के प्रयोजनों के लिए, स्थायी या आंशिक क्षति या विकृति या स्थायी वनस्पति अवस्था, अपरिवर्तनीय होने की आवश्यकता नहीं होगी।

बीएनएस धारा 125 क्या है |

BNS Section 125

        अक्सर हम समाचारों में हिंसा व मारपीट जैसे अपराधों की खबरें सुनते हैं, ऐसे अपराध जो दूसरों के जीवन और व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालता है। पिछले कुछ वर्षों में इस तरह के अपराधों में भारी वृद्धि हुई है, जिसने हमारे समाज की सुरक्षा को हिलाकर रख दिया है। ऐसे अपराध ना सिर्फ हमारे लिए बल्कि हमारे परिवार के लिए भी एक गंभीर खतरा बन सकते है। इसलिए आज हम भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 के बारे में बताएंगे, की बीएनएस धारा 125 क्या है (BNS Section 125 )? यह कब लगती है? BNS 125 (A) (B) में सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?

       किसी व्यक्ति के जीवन को खतरे में लाने वाले आपराधिक कार्यों के लिए पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 336 व 338 के तहत सजा की कार्यवाही की जाती थी। जिसे BNS के लागू किए जाने के बाद से भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 से बदल दिया गया है। इसलिए कानूनी छात्रों, पुलिस अधिकारी व देश के सभी नागरिकों के लिए इस कानून के बारे में जानना बहुत ही जरुरी है।

बीएनएस की धारा 125 क्या है – BNS Section 125 

        भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 125 में किसी व्यक्ति की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डालने वाले कार्यों को अपराध माना जाता है। यह धारा उन सभी मामलों को कवर करती है, जहां किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए कार्यों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचने का खतरा होता है।

       इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसा कोई भी कार्य करता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को या किसी भी अन्य तरीके से शारीरिक या मानसिक नुकसान होता है। तो ऐसे व्यक्ति पर BNS Section 125 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 के अपराध के रुप में लागू करने वाली मुख्य बातें:-
  • आरोपी द्वारा किया गया कार्य जानबूझकर किया जाना चाहिए।
  • किए गए कार्य के द्वारा किसी व्यक्ति की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को किसी प्रकार का खतरा होना चाहिए।
  • पीड़ित व्यक्ति को आरोपी द्वारा किए गए कार्य से शारीरिक व मानसिक नुकसान पहुँच सकता है।
  • इस अपराध के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों को कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।
कुछ ऐसे कार्य जिनको धारा 125 के तहत गंभीर अपराध माना जा सकता है
  • किसी व्यक्ति पर जानलेवा हमला करना, जैसे कि चाकू मारना, गोली मारना आदि।
  • किसी को जान से मारने की धमकी देना, जिसे आरोपी के द्वारा अंजाम भी देने की संभावना हो।
  • किसी व्यक्ति को ऐसी चोट पहुंचाना जिससे उसकी स्थायी विकलांगता हो जाए या उसकी जान को खतरा हो।
  • किसी को भी जबरदस्ती किसी स्थान पर ले जाना या बंदी बनाना।
  • यौन उत्पीड़न करना, जैसे कि छेड़छाड़, दुर्व्यवहार या बलात्कार।
  • बदनाम करने या डराने धमकाने की कोशिश करना।
  • जानबूझकर किसी को आग में फेंकना या किसी जहरीली वस्तु खिलाना।
इस धारा का आपराधिक उदाहरण

       राहुल और सुरेश दोनों पड़ोसी थे और अक्सर दोनों के बीच किसी ना किसी बात को लेकर अकसर झगड़े होते रहते थे। एक दिन, राहुल अपने घर के बगीचे में कुछ काम कर रहा था। उसी दौरान सुरेश ने जानबूझकर राम के बगीचे में पत्थर फेंक दिया जिससे राहुल को चोट लग गई।

      इसके बाद दोनों के बीच बहुत ही ज्यादा झगड़ा हो गया। कुछ ही देर में दोनों के बीच बात इतनी बढ़ गई की सुरेश ने राहुल पर एक लोहे की रॉड से हमला कर दिया। इस हमले के कारण राहुल को गंभीर चोटें आईं और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यह घटना BNS धारा 125 के अंतर्गत आती है क्योंकि सुरेश ने जानबूझकर राहुल को चोट पहुंचाई और उसकी जान को खतरे में डाला।

बीएनएस धारा 125 की सजा | Punishment Under BNS Section 125 (A) (B)

        इस धारा के तहत सजा अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है। इस सेक्शन के तहत अपराध की सजा को 2 केटेगरी में बांटा गया है जो है A और B. BNS 125 A के तहत यदि किसी व्यक्ति को मामूली चोट लगती है, तो दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को छह महीने तक की कैद या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

       BNS 125 B के तहत किसी व्यक्ति को गंभीर चोट लगती है, तो दोषी व्यक्ति को तीन साल तक की कैद या दस हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

BNS Section 125 में जमानत (Bail) कब व कैसे मिलती है

       बीएनएस की धारा 125 के तहत आने वाला अपराध संज्ञेय (Cognizable) और जमानती (Bailable) है। हालाँकि जमानत मिलना भी अपराध की गंभीरता और अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यदि अपराध ज्यादा गंभीर है, तो आरोपी व्यक्ति को जमानत मिलना मुश्किल हो सकता है। लेकिन यदि आरोपी द्वारा किया गया अपराध गंभीर नहीं है, तो जमानत मिल सकती है।

बीएनएस सेक्शन 125 में आरोपी व्यक्तियों के लिए उपयोगी बचाव उपाय

        यदि किसी व्यक्ति पर इस अपराध के आरोप लगते है तो वह नीचे दी गई बाते बचाव में काम आ सकती है:-

  • ऐसे गंभीर आपराधिक मामलों में आरोप लगते ही तुरन्त किसी अनुभवी वकील से अपने बचाव के लिए संपर्क करें।
  • वकील कानूनी दांव पेचों के द्वारा अपने अनुभव को इस्तेमाल करके आपके बचाव के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
  • आरोपी व्यक्ति को अपने बचाव के लिए यह देखना भी बहुत जरुरी है कि जो आरोप उस पर लगाए गए है वो सही भी है या नहीं।
  • यदि आप पर फंसाने के लिए झूठे आरोप लगाए गए है तो अपने बचाव से संबंधित सबूतों को न्यायालय में पेश करें।
  • यदि कोई ऐसा व्यक्ति आपके पास है जो आपके बेगुनाह होने की गवाही दे सकें, तो ऐसे व्यक्ति की सहायता जरुर ले।
  • ध्यान रखे कि खुद के बचाव के लिए कोई भी ऐसा सबूत या दस्तावेज ना दे जो गलत हो। क्योंकि ऐसा करने से आप और बड़ी समस्या में फंस सकते है।
  • कानून पर विश्वास रखें और अपने वकील से सलाह लेते रहे।

निष्कर्ष:- BNS Section125 समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह धारा उन लोगों को रोकती है जो दूसरों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। यह धारा पीड़ितों को न्याय दिलाने में भी मदद करती है। इस प्रकार के गंभीर अपराधों से संबंधित कोई भी कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए आप अभी हमारे वकीलों से बात कर सकते है।

बीएनएस धारा 126 क्या है |

BNS Section 126

       क्या हो जब हम कही जा रहे हो और रास्ते में कोई व्यक्ति आकर हमारे रास्ते में रुकावट पैदा करें, हमें उस जगह जाने से रोके, जहाँ जाना हमारा कानूनी रुप से अधिकार है। अकसर जब भी हमारे साथ इस प्रकार की कोई घटना होती है तो हम गुस्से में आकर कोई गलत कदम उठा लेते है। जैसे जो व्यक्ति हमारे रास्ते में रुकावट पैदा कर रहा है, उसके साथ झगड़ा करना। ऐसा हम इसलिए करते है क्योंकि हमें यह जानकारी नहीं होती की हमें ऐसे व्यक्ति पर कानूनी रुप से कैसे कार्यवाही करनी है। आज हम आपको रास्ता रोकने की भारतीय न्याय संहिता की एक अहम धारा के बारे में विस्तार से बताएंगे कि, बीएनएस की धारा 126 क्या है यह कब लागू होती है (BNS Section 126)? इस धारा में सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?

        किसी भी व्यक्ति के द्वारा हमारे आने जाने के रास्ते में रुकावट पैदा करना या किसी कार्य को करने से रोकना कानूनी रुप से गंभीर अपराध माना जाता है। इस प्रकार के अपराध को कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 339 व 341 के तहत दर्ज किया जाता था। लेकिन नए कानून BNS के लागू होने के बाद से इस मामले को भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 के तहत दर्ज किया जाने लगा है। इसलिए जो भी व्यक्ति इस प्रकार के अपराध का शिकार होते है या जिन लोगों पर इस अपराध के तहत आरोप लगे है। उन सभी को इस लेख के द्वारा आगे की कार्यवाही करने व अपना बचाव करने से जुड़ी संपूर्ण जानकारी मिलेगी।

बीएनएस की धारा 126 (1) (2) क्या है – BNS Section 126 

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 में बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी दिशा में जाने से रोकता है। जहाँ जाने का उस व्यक्ति को अधिकार है, तो ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति पर धारा 126 के तहत कार्यवाही की जाएगी। सेक्शन 126 को 2 मुख्य भागों में बाँटा गया है:-

BNS 126(1):- इसमें केवल इस अपराध की परिभाषा (Definition) के बारे में बताया गया है, कि जो भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जानबूझकर (Intentionally) किसी ऐसी जगह जाने से रोकता है, जहाँ जाने का उस व्यक्ति को पूरा अधिकार है। लेकिन फिर भी उसे वहाँ जाने से रोकने की कोशिश की जाती है तो ऐसे कार्यों को अपराध माना जाता है। जिसके तहत सेक्शन 126 में कार्यवाही की जा सकती है।

BNS 126(2):- बीएनएस सेक्शन 126 की उपधारा (2) में इस अपराध की सजा (Punishment) के बारे में बताया गया है, कि जो भी व्यक्ति किसी के आने जाने में बाधा (Obstacle) उत्पन्न करेगा व कानूनी रुप से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस की धारा 126 के जुर्म की मुख्य बातें
  • जानबूझकर किया जाना:- इसमें किसी व्यक्ति को रोकने का कार्य जानबूझकर किया जाना चाहिए। अचानक सामने आ जाना या अनजाने में रोकना गलत तरीके से रोके जाने का अपराध नहीं माना जाएगा।
  • बाधा: आरोपी व्यक्ति के द्वारा पीड़ित की आवाजाही (आने-जाने) को रोकने के लिए शारीरिक अवरोध (Physical barrier) बनाना चाहिए या रोकने के लिए धमकी (Threat) दी जानी चाहिए।
  • आगे बढ़ने का अधिकार: जिस व्यक्ति को रोका जा रहा है, उसके पास उस दिशा या रास्ते पर आगे बढ़ने का कानूनी अधिकार (Legal Rights) होना चाहिए।

उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को सार्वजनिक रास्ते (Public Place) पर आने जाने से रोकना गलत होगा, लेकिन आपकी निजी संपत्ति (Private Property) के अंदर किसी व्यक्ति को आने जाने से रोकना गलत नहीं होगा।

BNS Section 126 के तहत अपराध माने जाने वाले मुख्य कार्य
  • किसी व्यक्ति को बिना उसकी सहमति के कमरे में बंद कर देना।
  • किसी व्यक्ति को सड़क पर चलने से रोकना।
  • ट्रेन या बस में चढ़ने से किसी को रोकना।
  • यदि आप किसी व्यक्ति को आपकी संपत्ति से बाहर निकलने से रोकते हैं, तो वह भी अपराध माना जाता है।
  • किसी व्यक्ति को उसके काम पर जाते समय रोकना, या रोकने के लिए धमकी देना।
  • आप किसी व्यक्ति को अस्पताल जाने से रोकते हैं, तो यह भी अपराध माना जाएगा।

       इससे अलग भी बहुत सारे ऐसे कार्य हो सकते है, जिनको करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 के तहत अपराध माना जा सकता है।

बीएनएस धारा 126 का आपराधिक उदाहरण

         अजय नाम का एक व्यक्ति एक सोसाइटी में रहता था, रोजाना सुबह 8 बजे वो अपने आफिस के लिए निकलता था। एक दिन जब अजय आफिस अपनी गाड़ी से जा रहा था, तो प्रदीप नाम के एक व्यक्ति ने जानबूझकर बाहर से दरवाजे को बंद कर दिया। प्रदीप अजय से किसी बात को लेकर नफरत करता था, जिसके कारण वह अकसर उसे तंग करने के लिए कुछ ना कुछ करता रहता था। अजय बहुत देर तक वही पर फंसा रहा और अपने आफिस के लिए लेट हो गया।

       जिसके बाद अजय को बहुत गुस्सा आया और उसने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस के आने के बाद अजय ने सारी बात विस्तार से बताई। जिसके बाद पुलिस ने अजय कि शिकायत पर प्रदीप के खिलाफ BNS Section 126 के तहत मामला दर्ज कर प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया।

BNS Section 126 (2) में दोषी को सज़ा (Punishment) कितनी होती है

        बीएनएस की धारा 126 के तहत गलत तरीके से रोकने के लिए सजा के बारे में 126 की उपधारा 2 में बताते हुए कहा गया है कि जो भी व्यक्ति किसी को गलत तरीके से रोकने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे एक महीने तक की जेल व 5000 रुपये के जुर्माने से दंडित (Punished) किया जा सकता है। कुछ मामलों में अदालत कारावास और जुर्माना दोनों भी लगा सकती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 में जमानत कब व कैसे मिलती है

         बीएनएस की धारा 126 में गलत तरीके से रोकना एक संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) माना जाता है, जिसमें सजा भले ही ज्यादा कठोर ना हो। लेकिन फिर भी इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके साथ ही यह एक जमानती अपराध (Bailable offence) होता है, जिसमें आरोपी व्यक्ति के पास अदालत में आवेदन करके जमानत (Bail) प्राप्त करने का अधिकार होता है।

जमानत के लिए जानने योग्य कुछ आवश्यक बाते:-

  • आरोपी या उसका वकील पुलिस स्टेशन या न्यायालय (Court) में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • जमानत की राशि न्यायाधीश द्वारा निर्धारित की जाती है और यह अपराध की गंभीरता और आरोपी की व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
  • जमानती एक ऐसा व्यक्ति होता है जो जमानत की राशि जमा करता है और यह सुनिश्चित करने के लिए ज़िम्मेदार होता है कि आरोपी सुनवाई (Hearings) के दौरान अदालत में उपस्थित रहेगा।
  • न्यायाधीश जमानत के लिए कुछ शर्तें भी लगा सकता है, जैसे कि आरोपी को किसी निश्चित क्षेत्र में रहना, किसी से संपर्क नहीं करना, या पासपोर्ट जमा करना।

         ये कुछ ऐसी जरुरी बाते है जो हर जमानती अपराध में आरोपी व्यक्ति के काम आ सकती है।

धारा 126 के आरोपी व्यक्ति के लिए बचाव के कुछ उपाय

        यदि किसी व्यक्ति पर BNS Section 126 के तहत गलत तरीके से रोकने का आरोप लगाया जाता है, तो वे नीचे दिए गए उपायों के माध्यम से अपना बचाव (Defence) कर सकते हैं:-

  • ऐसे किसी भी मामले में फंसने पर सबसे पहले किसी वकील (Lawyer) की सहायता जरुर ले।
  • जो भी घटना हुई थी और जिस कारण हुई थी उसकी सही जानकारी विस्तार से अपने वकील को बताए।
  • यदि आपके पास कोई ऐसा सबूत या गवाह (Evidence or Witness) है जो साबित कर सके की आपने किसी व्यक्ति को कही आने जाने से नहीं रोका। तो उस सबूत को अपने वकील को दे दे।
  • पुलिस द्वारा कि जाने वाली पूछताछ के दौरान सच बोलें।
  • अदालत के निर्देशों का पालन करें व सुनवाई के दौरान समय पर पहुँचे।
  • अदालत के फैसले का इंतजार करें आप निर्दोष (Innocent) होंगे तो फैसला आपके ही हक में आएगा।

निष्कर्ष :- BNS Section 126 का मुख्य उद्देश्य देश के सभी लोगों को स्वतंत्र रुप से कही पर भी आने जाने की आजादी प्रदान करने का है। यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करता है तो उस व्यक्ति को इसके प्रावधानों के तहत सजा दी जाती है। यदि आप इस मामले से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान प्राप्त करना चाहते है, आप हमारे वकीलों से बात करके कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते है।

बीएनएस धारा 127 क्या है |

BNS Section 127

         कल्पना कीजिए कि किसी व्यक्ति को उसी के ही घर में कैद कर दिया जाए बिना किसी गलती के। साथ ही किसी व्यक्ति को कही पर भी आने जाने पर रोक लगा दी जाए। यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह एक सच्चाई है। जिसे कानूनी तौर पर गलत तरीके से बंदी बनाना कहते हैं। आजकल इस तरह के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चाहे वह पारिवारिक झगड़े हों, प्रेम संबंधों में विवाद हों या फिर सामाजिक दबाव के कारण लोग अपनी आजादी से वंचित हो रहे हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम गलत तरीके से कैद करने या रोकने के अपराध से संबधित भारतीय न्याय संहिता की धारा को समझेंगे कि, बीएनएस की धारा 127 का जुर्म क्या है (BNS Section 127)? BNS 127 के दोषी व्यक्तियों के लिए दंड क्या है और क्या यह धारा जमानती है?

       गलत तरीके से बंदी बनाने के अपराधों के लिए कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता की धारा 340, 342 से लेकर 348 तक की कई धाराएं लागू होती थीं। लेकिन कानूनी बदलाव के बाद ऐसे मामलों पर केवल भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 के तहत ही केस दर्ज किए जाते हैं। यह बदलाव कानून को और अधिक सरल और प्रभावी बनाने के लिए किया गया है। साथ ही इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अगर आप इस तरह की अपराधों में फंस जाते हैं तो आपको क्या करना चाहिए और क्या कानूनी मदद लेनी चाहिए।

बीएनएस की धारा 127 क्या है – BNS Section 127 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 उन परिस्थितियों को परिभाषित करती है, जहां किसी व्यक्ति के आने जाने की आजादी (Freedom) को जबरदस्ती रोका जाता है या उसे किसी जगह से जाने से गलत तरीके से रूप से रोका (Wrongful Confinement) जाता है। यदि कोई व्यक्ति बिना किसी वैध कारण के किसी अन्य व्यक्ति को जबरदस्ती बंदी बनाता है, उसकी गतिविधियों पर रोक लगाता है तो यह एक कानूनी अपराध है।

        इस धारा के अनुसार जबरदस्ती रोकने या किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने के लिए किसी वैध कानूनी आधार की आवश्यकता होती है। यदि ऐसा कोई कारण नहीं होता और किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ रोक दिया जाता है, तो आरोपी व्यक्ति के खिलाफ यह धारा लागू कर कार्यवाही की जा सकती है।

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 में गलत तरीके से कैद करना या रोके जाने के अपराध को इसकी 8 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है, जो इस तरह से है:-

  1. बीएनएस धारा 127 (1):- गलत तरीके से रोका जाना – अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को इस तरह से रोकता है कि उसे एक निश्चित समय के लिए बाहर जाने या अपनी इच्छानुसार कार्य करने से रोका जाए तो इसे “गलत तरीके से रोका जाना” कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ किसी जगह पर बांध दिया जाता है या उसे किसी खास क्षेत्र से बाहर जाने से जबरदस्ती रोका जाता है, तो यह एक अपराध है और इसके लिए धारा 127(1) लागू की जा सकती है।
  2. बीएनएस धारा 127 (2):- अगर कोई व्यक्ति धारा 127(1) में बताई गई बातों अनुसार किसी दूसरे व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, यानी उसकी मर्जी के खिलाफ उसे कहीं बंद कर देता है तो ऐसे व्यक्ति पर उपधारा 2 के तहत दंड देने की कार्यवाही की जाती है।
  3. बीएनएस सेक्शन 127 (3):– यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को तीन दिन या उससे अधिक समय तक गलत तरीके से कैद करता है, तो उस व्यक्ति पर धारा 127 (3) के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है।
  4. बीएनएस सेक्शन 127 (4):- अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को दस दिन या उससे अधिक समय तक गलत तरीके से कैद में रखता है, तो उसे उपधारा 127 (4) के तहत कठोर सजा का सामना करना पड़ता है।
  5. बीएनएस सेक्शन 127 (5):- अगर कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद में रखता है कि उस व्यक्ति की रिहाई के लिए कानूनी रूप से आदेश जारी किए गए है, तो उस व्यक्ति पर धारा 127(5) लागू कर कार्यवाही की जा सकती है।
  6. बीएनएस सेक्शन 127 (6):- अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को इस इरादे से गलत तरीके से कैद में रखता है कि उस व्यक्ति की कैद के बारे में किसी को भी पता न चले खासकर उस व्यक्ति के परिवार, दोस्तों या किसी लोक सेवक को, तो यह अपराध और भी गंभीर हो जाता है।
  7. बीएनएस सेक्शन 127 (7):- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, ताकि वह बंद व्यक्ति या उसके परिवार से किसी संपत्ति या कीमती सामान को छीन सके या उन्हें किसी अवैध काम करने के लिए मजबूर कर सके तो यह भी कानून के खिलाफ है।
  8. बीएनएस सेक्शन 127 (8):- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, ताकि वह बंद व्यक्ति या उसके परिवार से जबरन वसूली (Extortion) कर सके, या कोई जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें। जिससे किसी अपराध का खुलासा हो सके तो यह गंभीर अपराध माना जाएगा। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति या मूल्यवान सामान को वापस पाने के लिए, या किसी दावे या मांग को पूरा करने के लिए दबाव डालता है तो ऐसा करने पर आरोपी व्यक्ति (Accused Person) के खिलाफ धारा 127(8) लागू कर कार्यवाही की जा सकती है।
BNS 127 के अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व
  • धारा 127 तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ किसी जगह पर जाने से रोका जाता है।
  • इस धारा के तहत किसी की स्वतंत्र आवाजाही (Independent movement) को रोकने को अपराध माना जाता है। उदाहरण के लिए अगर आप किसी व्यक्ति को किसी विशेष स्थान से जाने से रोकते हैं, तो यह उसकी स्वतंत्रता पर रोक लगाने के समान है।
  • यदि बिना किसी कानूनी आधार के किसी को जबरदस्ती रोका जाए।
  • धारा 127 का उल्लंघन (Violation) तब माना जाता है जब व्यक्ति की सहमति के बिना उसे रोका जाए। अगर व्यक्ति की कही पर रुकने की अपनी मर्जी नहीं है और उसे जबरदस्ती कहीं कैद किया जा रहा है, तो यह कानून का उल्लंघन है।
  • इस धारा के तहत व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक (Physically or Mentally) रूप से बंदी बनाना अपराध है। इसका मतलब यह है कि न केवल शारीरिक रूप से किसी को रोकना, बल्कि किसी प्रकार के डर, दबाव या मानसिक तनाव का उपयोग करके भी उसकी स्वतंत्रता छीनना इस कानून के अंतर्गत आता है।
बीएनएस की धारा 127 के अपराध में किए जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
  • बिना किसी वैध (Valid) कारण के किसी को कमरे में बंद करना और उसे बाहर निकलने से रोकना।
  • किसी को उसके घर में ही नजरबंद (House Arrest) करके उसे बाहर जाने से रोकना।
  • किसी को धमकाकर या बल प्रयोग करके किसी जगह पर बंधक (Hostage) बनाना।
  • किसी व्यक्ति को किसी विशेष क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए बाधाएं खड़ी करना।
  • किसी को जबरदस्ती किसी वाहन में बंद करके एक जगह से दूसरी जगह ले जाना।
  • किसी को बिना किसी वैध कारण के किसी संस्थान (जैसे मानसिक अस्पताल, जेल आदि) में बंद करना।
  • किसी व्यक्ति को किसी समूह द्वारा घेरकर उसे किसी जगह पर रोकना।
  • किसी को धमकाकर या डराकर किसी जगह पर रोकना।
  • किसी को किसी कार्यक्रम में भाग लेने से रोकने के लिए बल प्रयोग करना या धमकी देना।
  • किसी को जबरदस्ती अपनी सेवा करने के लिए मजबूर करना।
भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 127 के अपराध का उदाहरण

       पवन और साहिल दो दोस्त एक ही अपार्टमेंट में रहते हैं। जिसके लिए वे दोनों आधा-आधा किराया देते थे। एक दिन दोनों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो जाती है। गुस्से में आकर पवन साहिल के कमरे का दरवाजा बंद कर देता है और चाबी अपने पास रख लेता है। जिसके बाद साहिल के पास घर से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता और वो वही फंसा रह जाता है। यह पवन द्वारा साहिल को गलत तरीके से बंदी बनाने के लिए धारा 127 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

बीएनएस की धारा 127 में सजा कितनी होती है

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 के अपराध में सजा (Punishment) को इसकी अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) में अपराध की गंभीरता के आधार पर विस्तार से बताया गया है जो इस प्रकार है:-

  • BNS 127(2) की सजा:- जो कोई भी किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करेगा उसे एक वर्ष तक की जेल की सजा, या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित (Punished) किया जाएगा।
  • BNS 127(3) की सजा:- जो कोई भी किसी व्यक्ति को तीन दिन या उससे अधिक के लिए गलत तरीके से कैद करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास (Imprisonment) जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
  • BNS 127(4) की सजा:- जो कोई किसी व्यक्ति को गलत तरीके से दस दिन या उससे अधिक समय तक कैद में रखेगा उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है। जो दस हजार रुपये से कम नहीं होगा।
  • BNS 127(5) की सजा:- जो कोई भी किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करता है, यह जानते हुए कि उस व्यक्ति की रिहाई के लिए एक रिट (आदेश) जारी की गई है, उसे कैद करने की सजा के अलावा अलग से दो साल तक की सजा दी जा सकती है। उदाहरण: मान लीजिए कि राहुल को अदालत ने प्रदीप को रिहा करने का आदेश (Order) दिया है, लेकिन राहुल फिर भी प्रदीप को कैद में रखता है। इस स्थिति में राहुल को न केवल प्रदीप को गलत तरीके से कैद में रखने की सजा मिलेगी, बल्कि आदेश के बावजूद उसे नहीं छोड़ने पर अतिरिक्त 2 साल की सजा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 127(6) की सजा:- जो कोई किसी व्यक्ति को गलत तरीके से इस तरह से कैद करता है कि उसके बारे में किसी को भी जानकारी ना हो यानी गुप्त (Secret) तरीके से कैद करेगा, तो उसे किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
  • BNS 127(7) की सजा:- जो कोई किसी व्यक्ति को किसी कीमती वस्तु को छिनने के लिए गलत तरीके से कैद करेगा उसे तीन साल तक की जेल व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
  • BNS 127(8) की सजा:- जो कोई किसी को कैद करके जबरन वसूली (Extortion) का अपराध करेगा उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के दंड से दंडित किया जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 127 में जमानत का प्रावधान

       बीएनएस की धारा 127 के अंतर्गत गलत तरीके से किसी व्यक्ति को कैद करना एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। हालांकि यह अपराध जमानती (Bailable) है, जिसका मतलब है कि आरोपी को अदालत में पेश होने पर जमानत (Bail) मिल सकती है।

        जमानती अपराध होने के कारण आरोपी को पुलिस स्टेशन पर ही जमानत देने का प्रावधान भी हो सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में अदालत से जमानत लेना आवश्यक हो जाता है। यदि आरोपी पर अधिक समय तक कैद में रखने या अन्य गंभीर परिस्थितियों में गलत तरीके से कैद करने का आरोप है, तो जमानत प्रक्रिया थोड़ी कठिन भी हो सकती है।

धारा 127 के तहत गलत तरीके से कैद के अपराध में बचाव के उपाय
  • कानूनी अधिकार या आदेश: अगर आरोपी ने किसी कानूनी अधिकार (Legal Rights) या अदालत के आदेश के तहत किसी व्यक्ति को कैद किया है, तो यह एक वैध बचाव (Legal Defence) हो सकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को अदालत के आदेश पर हिरासत में लिया गया है, तो इसे गलत तरीके से कैद नहीं माना जाएगा।
  • आवश्यक रक्षा या सुरक्षा: अगर आरोपी यह साबित कर सके कि उसने किसी को कैद में इसलिए रखा क्योंकि उस व्यक्ति से खतरा था या किसी अन्य की सुरक्षा के लिए ऐसा करना आवश्यक था तो यह बचाव के रूप में मान्य हो सकता है। जैसे कि अगर किसी ने आत्मरक्षा (Self Defence) या दूसरों की सुरक्षा के लिए ऐसा किया हो।
  • स्वतंत्र सहमति: यदि कैद में रखे गए व्यक्ति ने खुद की इच्छा से कैद में रहना स्वीकार किया हो, तो इसे गलत तरीके से कैद नहीं माना जाएगा। सहमति (Consent) के सबूत होने पर आरोपी पर अपराध का आरोप साबित नहीं होगा।
  • गलत पहचान या झूठा आरोप: अगर आरोपी यह साबित कर सके कि उसे गलत तरीके से आरोपी ठहराया गया है या उसके खिलाफ झूठा आरोप (False Blames) लगाया गया है, तो यह भी एक बचाव हो सकता है। अक्सर व्यक्तिगत दुश्मनी या झूठे आरोप के आधार पर ऐसे मामले सामने आते हैं।

       इन उपायों का उपयोग बचाव के रूप में किया जा सकता है, लेकिन इन्हें अदालत में सबूतों (Evidences) के साथ साबित करना होगा।

निष्कर्ष:- हमने इस लेख में BNS Section 127 के बारे में विस्तार से चर्चा की है। यह धारा किसी व्यक्ति को गलत तरीके से बंदी बनाने के अपराध को परिभाषित करती है। यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इस अपराध के बारे में जागरूक रहें और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें। अगर आपको किसी कानूनी मामले में सहायता की आवश्यकता है, तो हमारे वकीलों से संपर्क करने में संकोच न करें। हम वकील आपको आपके अधिकारों के लिए लड़ने में मदद करेंगे।

बीएनएस धारा 128 क्या है |

BNS Section 128

बल

        यह कहा जाता है कि एक व्यक्ति दूसरे पर बल का प्रयोग करता है यदि वह उस दूसरे में गति, गति में परिवर्तन, या गति की समाप्ति का कारण बनता है, या यदि वह किसी पदार्थ में ऐसी गति, या गति में परिवर्तन, या गति की समाप्ति का कारण बनता है जो कि लाता है किसी दूसरे के शरीर के किसी भी हिस्से के संपर्क में आने वाला पदार्थ, या ऐसी किसी भी चीज़ के साथ जिसे वह पहन रहा है या ले जा रहा है, या ऐसी किसी भी चीज़ के साथ संपर्क में है कि ऐसा संपर्क उस दूसरे की भावना की भावना को प्रभावित करता है: बशर्ते कि वह व्यक्ति जो गति, या गति में परिवर्तन का कारण बनता है, या गति की समाप्ति, उस गति का कारण बनती है, गति में परिवर्तन, या गति की समाप्ति निम्नलिखित तीन तरीकों में से एक में होती है, अर्थात्:––

(ए) अपनी शारीरिक शक्ति से;
(बी) किसी भी पदार्थ को इस तरह से निपटाने से कि गति या परिवर्तन या गति की समाप्ति उसकी ओर से, या किसी अन्य व्यक्ति की ओर से किसी भी आगे के कार्य के बिना हो जाती है;
(सी) किसी भी जानवर को हिलने, उसकी गति बदलने या हिलना बंद करने के लिए प्रेरित करके।

बीएनएस धारा 129 क्या है |

BNS Section 129

आपराधिक बल

         जो कोई किसी अपराध को करने के लिए जानबूझकर किसी व्यक्ति पर उस व्यक्ति की सहमति के बिना बल का प्रयोग करता है, या ऐसे बल के प्रयोग से कारित करने का इरादा रखता है, या यह जानते हुए कि ऐसे बल के प्रयोग से वह ऐसा करेगा। जिस व्यक्ति पर बल का प्रयोग किया गया है, उसे चोट, भय या झुंझलाहट पैदा करना, दूसरे पर आपराधिक बल का प्रयोग करना कहा जाता है।

रेखांकन

(ए) जेड एक नदी पर बंधी नाव में बैठा है। क लंगर को खोल देता है, और इस प्रकार जानबूझकर नाव को धारा में बहा देता है। यहां A जानबूझकर Z को गति देता है, और वह पदार्थों को इस तरह से निपटाकर ऐसा करता है कि गति किसी भी व्यक्ति की ओर से किसी अन्य कार्रवाई के बिना उत्पन्न होती है। इसलिए A ने जानबूझकर Z पर बल का प्रयोग किया है; और यदि उसने किसी अपराध को करने के लिए ज़ेड की सहमति के बिना ऐसा किया है, या यह इरादा रखते हुए या यह जानते हुए कि बल के इस प्रयोग से ज़ेड को चोट, भय या झुंझलाहट होगी, तो ए ने ज़ेड पर आपराधिक बल का उपयोग किया है।

(बी) जेड एक रथ पर सवार है। A, Z के घोड़ों को मारता है, और इस प्रकार उनकी गति तेज़ कर देता है। यहां A ने जानवरों को अपनी गति बदलने के लिए प्रेरित करके Z की गति में परिवर्तन किया है। इसलिए A ने Z पर बल प्रयोग किया है; और यदि A ने Z की सहमति के बिना यह इरादा रखते हुए या यह जानते हुए किया है कि वह Z को घायल कर सकता है, डरा सकता है या परेशान कर सकता है, तो A ने Z पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

(सी) जेड एक पालकी में सवार है। A, Z को लूटने के इरादे से, खंभा पकड़ लेता है और पालकी रोक देता है। यहां A ने Z की गति को रोक दिया है, और उसने यह काम अपनी शारीरिक शक्ति से किया है। इसलिए A ने Z पर बल प्रयोग किया है; और चूँकि A ने किसी अपराध को अंजाम देने के लिए, Z की सहमति के बिना, जानबूझकर ऐसा कार्य किया है। A ने Z पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

(डी) ए जानबूझकर सड़क पर जेड के खिलाफ धक्का देता है। यहां A ने अपनी शारीरिक शक्ति से अपने ही व्यक्ति को Z के संपर्क में लाने के लिए प्रेरित किया है। इसलिए उसने जानबूझकर Z पर बल का प्रयोग किया है; और यदि उसने ज़ेड की सहमति के बिना ऐसा किया है, यह इरादा रखते हुए या यह जानते हुए कि वह ज़ेड को घायल कर सकता है, डरा सकता है या परेशान कर सकता है, तो उसने ज़ेड पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

(ई) एक पत्थर फेंको, यह इरादा रखते हुए या यह जानते हुए कि पत्थर इस प्रकार ज़ेड के संपर्क में आएगा, या ज़ेड के कपड़ों के साथ, या ज़ेड द्वारा ले जाए गए किसी चीज़ के साथ, या कि यह पानी से टकराएगा और पानी में गिर जाएगा ज़ेड के कपड़ों या ज़ेड द्वारा उठाए गए किसी चीज़ के खिलाफ। यहां, यदि पत्थर फेंकने से किसी पदार्थ के ज़ेड या ज़ेड के कपड़ों के संपर्क में आने का प्रभाव उत्पन्न होता है, तो ए ने ज़ेड पर बल का उपयोग किया है, और यदि उसने ज़ेड की सहमति के बिना ऐसा किया है उसने Z को घायल करने, डराने या परेशान करने के इरादे से Z पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

(एफ) जानबूझकर एक महिला का घूंघट खींचता है। यहां ए जानबूझकर उस पर बल का प्रयोग करता है, और यदि वह ऐसा उसकी सहमति के बिना इस इरादे से करता है या यह जानते हुए करता है कि इससे उसे चोट लग सकती है, डर लग सकता है या वह परेशान हो सकता है, तो उसने उस पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

(जी) जेड स्नान कर रहा है। क स्नान के पानी में वह पानी डालता है जिसके बारे में वह जानता है कि वह उबल रहा है। यहां A जानबूझकर अपनी शारीरिक शक्ति से उबलते पानी में ऐसी गति पैदा करता है जिससे वह पानी Z के संपर्क में आता है, या अन्य पानी के साथ इस प्रकार स्थित होता है कि इस तरह के संपर्क से Z की अनुभूति की भावना प्रभावित होनी चाहिए; इसलिए A ने जानबूझकर Z पर बल का प्रयोग किया है; और यदि उसने ज़ेड की सहमति के बिना यह इरादा किया है या यह जानते हुए किया है कि इससे ज़ेड को चोट, भय या झुंझलाहट हो सकती है, तो ए ने आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

(ज) ए, ज़ेड की सहमति के बिना, एक कुत्ते को ज़ेड पर हमला करने के लिए उकसाता है। यहां, यदि A का इरादा Z को चोट, भय या झुंझलाहट पैदा करने का है, तो वह Z पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है।

बीएनएस धारा 130 क्या है |

BNS Section 130

हमला

         जो कोई कोई इशारा करता है, या कोई तैयारी करता है, यह इरादा रखता है या यह जानता है कि ऐसा इशारा या तैयारी किसी भी उपस्थित व्यक्ति को यह आशंका पैदा कर देगी कि वह इशारा या तैयारी करने वाला उस व्यक्ति पर आपराधिक बल का प्रयोग करने वाला है, तो कहा जाता है हमला करो।

स्पष्टीकरण.- मात्र शब्द हमले की श्रेणी में नहीं आते। लेकिन जिन शब्दों का उपयोग कोई व्यक्ति करता है, वे उसके इशारों या तैयारी को ऐसा अर्थ दे सकते हैं जिससे वे इशारे या तैयारी हमले के समान हो सकते हैं।

रेखांकन

(ए) ए, जेड पर अपनी मुट्ठी हिलाता है, यह इरादा रखते हुए या यह जानते हुए कि वह जेड को यह विश्वास दिला सकता है कि ए, जेड पर हमला करने वाला है। ए ने हमला किया है।

(बी) ए एक क्रूर कुत्ते के थूथन को खोलना शुरू कर देता है, यह इरादा रखते हुए या यह जानते हुए कि वह जेड को यह विश्वास दिला सकता है कि वह कुत्ते को जेड पर हमला करने के लिए मजबूर करने वाला है। ए ने जेड पर हमला किया है।

(सी) ए एक छड़ी उठाता है और जेड से कहता है, “मैं तुम्हें मारूंगा”। यहां, हालांकि ए द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द किसी भी मामले में हमले की श्रेणी में नहीं आ सकते हैं, और हालांकि केवल इशारा, किसी अन्य परिस्थिति के बिना, हमले की श्रेणी में नहीं आ सकता है, शब्दों द्वारा समझाया गया इशारा हमले की श्रेणी में आ सकता है।

बीएनएस धारा 131 क्या है |

BNS Section 131

       आजकल, सड़कों पर, घरों में और यहां तक कि सार्वजनिक स्थानों पर भी छोटी-छोटी बातों पर झगड़े और मारपीट की खबरें आम हो गई हैं। ऐसी घटनाएं न केवल पीड़ित के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ी समस्या बनती जा रही हैं। बिना किसी बड़े कारण या बेवजह किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने पर कानून क्या कार्यवाही की जाती है? अगर आप इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, तो इस लेख में विस्तार से आपको संपूर्ण जानकारी देंगे। आज हम आपको गंभीर उकसावे के बिना हमला करने के अपराध से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में बताएंगे कि बीएनएस की धारा 131 क्या है (BNS Section 131 )? इस धारा के लगने पर सजा कितनी होती है और क्या धारा 131 जमानती है?

         हर रोज अखबारों में, टीवी पर हम जितनी भी छोटी-छोटी बातों पर होने वाली मारपीट और झगड़ों की खबरें सुनते हैं। कानूनी रुप से ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 352 को लागू कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही की जाती थी। लेकिन जब से भारत में भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू हुई है, तभी से ऐसे मामलों में BNS की धारा 131 का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसलिए ऐसे अपराधों से संबंधित सभी उपयोगी जानकारियों को विस्तार से जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

बीएनएस की धारा 131 क्या है – BNS Section 131 

      भारतीय न्याय संहिता की धारा 131 एक बहुत ही महत्वपूर्ण धारा है जो गंभीर उकसावे के बिना हमला या आपराधिक बल प्रयोग (Assault or use of criminal force without grave provocation) से संबंधित है। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को बिना किसी गंभीर कारण के शारीरिक चोट पहुंचाता है या उसे डराता है, तो उस पर BNS 131 लागू कर कार्यवाही की जाती है।

        सरल भाषा में इसका अर्थ है कि अगर कोई व्यक्ति बिना किसी खास वजह के जानबूझकर किसी पर हमला (Attack) करता है, उसे धक्का देता है, या डराने-धमकाने का प्रयास करता है, तो उस पर यह धारा लागू होगी।

BNS की धारा 131 के अपराध से जुड़े मुख्य बिंदु
  • अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को बिना किसी बड़े कारण या उकसावे (Provocations) के मारता है, धक्का देता है, या किसी तरह से नुकसान पहुंचाता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी पाया जा सकता है।
  • सिर्फ मारना ही नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति को डराने या परेशान करने के लिए कोई भी ऐसा काम करना जो कानून के खिलाफ हो, आपराधिक बल (Criminal Force) का प्रयोग माना जाता है।
  • इस अपराध के लिए जेल, जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
  • अगर किसी व्यक्ति के साथ मारपीट करने या धक्का देने का कोई बड़ा कारण था, जैसे कि खुद को बचाने के लिए तो इस धारा के तहत सजा कम हो सकती है।
बीएनएस सेक्शन 131 के अपराध का उदाहरण

       सुनीता एक दुकान पर कुछ सामान खरीदने गई थी। उस समय दुकान पर काफी भीड़ थी और सुनीता को बहुत देर से अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा था। तभी एक राहुल नाम का लड़का अचानक वहाँ आता है और लाइन के बीच में घुसकर सुनीता से आगे खड़ा हो जाता है। सुनीता ने राहुल से कहा, “आपकी बारी नहीं थी, मैं यहाँ आपसे पहले से खड़ी हूँ।” यह बात सुनकर राहुल गुस्से में आ गया और उसने सुनीता को धक्का दे दिया।

        इस मामले में राहुल ने बिना किसी बड़े कारण के सुनीता को धक्का दिया, जो कि BNS 131 के तहत एक अपराध है। इसलिए सुनीता राहुल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज (Complaint Register) करा सकती है।

BNS Section 131 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ मुख्य कार्य

       धारा 131 के अंतर्गत ऐसे कई प्रकार के शारीरिक हमले शामिल होते हैं जो बिना गंभीर उकसावे के किए जाते हैं। आइये जानते है ऐसे ही कुछ कार्यों को:

  • बिना कारण के किसी को जोर से धक्का देना।
  • किसी व्यक्ति को लात मारना या उसके शरीर पर हमला करना।
  • किसी के साथ हाथापाई करना, जैसे घूंसा मारना।
  • किसी को मजबूती से पकड़ना और उसको कही आने जाने से रोकना।
  • किसी को डराने या धमकाने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग करना।
  • झगड़े के दौरान किसी को कोई वस्तु (जैसे किताब, चप्पल) फेंकना या मारना।
  • बिना उसकी अनुमति (Permission) के किसी का हाथ पकड़कर रखना।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 131 के कुछ महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण

      जब कोई व्यक्ति बिना गंभीर उकसावे (Serious Provocations) के किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करता है, तो यह BNS की धारा 131 के तहत अपराध होता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि हमला गंभीर और अचानक उकसावे (यानि किसी व्यक्ति को गुस्सा दिलाना जिससे वह व्यक्ति हमला करता है।) के कारण किया गया था तो यह भी विचार करने का विषय है कि क्या इस उकसावे का असर सजा (Punishment) को कम करने पर पड़ सकता है या नहीं? आइये इसे विस्तार से समझते है:-

  • स्वेच्छा से उकसाया: यदि कोई व्यक्ति खुद ही उकसावे (गुस्सा दिलाने) की स्थिति पैदा करता है, जैसे जानबूझकर किसी को गुस्सा दिलाना, तो ऐसे कार्यों को सजा कम करने के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा।
  • कानूनी कार्यवाही: अगर उकसावा किसी कानूनी कार्यवाही से उत्पन्न होता है, जैसे पुलिस का काम तो यह भी सजा कम करने के लिए आधार नहीं बनेगा।
  • पारदर्शिता: अगर उकसावा निजी रक्षा (आत्मरक्षा) के तहत हुआ है, तो भी यह सजा कम करने का कारण नहीं बनेगा यदि हमला बहुत ज्यादा हो या जरूरत से ज्यादा हो।
  • गंभीर उकसावा: अगर कोई अचानक आपको धक्का दे देता है या आपकी जान को खतरा उत्पन्न करता है, तो आप बदले में हमला कर सकते हैं। लेकिन आपको यह साबित करना होगा कि उकसावा इतना गंभीर था कि आपकी प्रतिक्रिया सही थी।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 131 के अपराध के दोषी व्यक्तियों को मिलने वाली सजा

        बीएनएस सेक्शन 131 का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को न्यायालय द्वारा दोषी (Guilty) पाये जाने पर तीन महीने तक के साधारण कारावास (Simple Imprisonment) की सजा हो सकती है। इसके अलावा इस अपराध में आरोपी व्यक्ति पर आर्थिक दंड (Financial Penalty) भी लगाया जा सकता है, जिसमें 1000 रुपये तक का जुर्माना (Fine) शामिल है। न्यायालय की विवेकाधिकार के अनुसार इस अपराध में या तो कारावास या जुर्माना, या फिर दोनों ही प्रकार की सजा का प्रावधान हो सकता है। सजा की गंभीरता अपराध की परिस्थितियों और व्यक्ति के आचरण पर निर्भर करती है।

बीएनएस की धारा 131 जमानती है या गैर-जमानती ?

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 131 के अनुसार बिना किसी कारण के हमला (Attack) करना एक जमानती अपराध (Bailable Offence) है। इसका मतलब है कि यह अपराध कम गंभीर होता है जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) आसानी से मिल सकती है और उसे हिरासत में नहीं रखा जाएगा। इसके साथ ही यह गैर-संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Offence) है, अर्थात पुलिस बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। इस अपराध से संबंधित मामले किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है।

निष्कर्ष:- BNS Section 131 एक महत्वपूर्ण धारा है जो व्यक्तिगत हमलों और शारीरिक हिंसा (Physical Violence) के अपराध से संबंधित है। यह धारा बिना किसी गंभीर उकसावे के किए गए हमलों के लिए दंड का प्रावधान करती है। यदि आप इस धारा के तहत किसी अपराध के आरोपी हैं तो आपको तुरंत किसी वकील से संपर्क करना चाहिए।

बीएनएस धारा 132 क्या है |

BNS Section 132

        कानून व्यवस्था के रखवालों को ही यदि कोई डराए या धमकाए तो क्या होगा? हम अक्सर खबरों में सुनते हैं कि आजकल ना सिर्फ आम व्यक्तियों बल्कि पुलिस अधिकारी, सरकारी कर्मचारी या अन्य लोक सेवकों पर हमले हो रहे हैं। यह एक गंभीर अपराध है, जिसे भारतीय कानून के तहत दंडनीय अपराध माना जाता है। आजकल ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे समाज में असुरक्षा का माहौल बन रहा है। आज हम लोक सेवकों को अपने कार्य करने से रोकने व उन पर हमला करने के अपराध से जुड़ी भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 132 क्या है (BNS Section 132 )? यह सेक्शन कब व किन व्यक्तियों पर लागू होती है? BNS 132 के तहत दोषी की सजा क्या होती है और इस धारा में बेल मिलती है या नही?

       पुलिसवालों पर या लोगों की सेवा में काम कर रहे सरकारी अधिकारियों को उनके काम को करने से रोकना व उन पर हमला करना न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए खतरा हैं बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिए भी चिंता का विषय हैं। पहले ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353 को लागू कर मामला दर्ज किया जाता था। लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) के नए कानून के रुप में लागू होते ही ऐसे मामलों में बीएनएस की धारा 132 के तहत कार्रवाई की जाने लगी है। ऐसे अपराधों में बचाव से लेकर कानूनी कार्यवाही तक विस्तार से जानने व समझने के लिए इस लेख को अंत तक जरुर पढ़े।

बीएनएस की धारा 132 क्या है और यह कब लगती है – BNS Section 132 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 132 किसी लोक सेवक (Public Servant) को उसके कर्तव्य का पालन करने से रोकने के लिए बल प्रयोग करने या आपराधिक बल (Criminal Force) प्रयोग करने के अपराध से संबंधित है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) को उनके कर्तव्यों के दौरान सुरक्षित रखना है, ताकि वे बिना किसी डर के अपने काम कर सकें। यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी सरकारी कर्मचारी पर हमला करता है या बल का उपयोग करता है, ताकि उसे उसके कर्तव्यों का पालन करने से रोका जा सके।

         इसका सरल भाषा में मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी, जैसे पुलिसकर्मी, डॉक्टर, या अन्य सरकारी कर्मचारी, को धमकाता है, धक्का देता है, या उसके खिलाफ हिंसा (Violence) का उपयोग करता है। ताकि वह अपना काम न कर सके तो यह धारा 132 के तहत अपराध माना जाता है।

BNS की धारा 132 के अपराध से जुड़े मुख्य तत्व
  • इस धारा के तहत अपराध तब माना जाएगा जब हमला या बल (Attack or Force) का प्रयोग किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ किया गया हो जो सरकारी कर्मचारी हो।
  • धारा 132 तब लागू होती है जब सरकारी कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा हो और उस पर हमला किया जाए या उसे बलपूर्वक रोका जाए।
  • अपराधी का इरादा सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्यों (Duties) से रोकने का होना चाहिए।
  • इस धारा के तहत दोषी (Guilty) पाए जाने पर जेल की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
बीएनएस सेक्शन 132 के अपराध का उदाहरण

        रवि एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी था जो सड़क पर ट्रैफिक कंट्रोल कर रहा था। उसी समय सुमित नाम का एक व्यक्ति रेड लाइट पर सिग्नल तोड़ देता है, और तेज रफ्तार से अपनी गाड़ी को भगाकर निकलने की कोशिश करता है। लेकिन तभी रवि उसकी गाड़ी को सामने से रोक लेता है और उससे पूछता है कि, “आपने रेड लाइट क्यों तोड़ी?” इस बात पर सुमित को गुस्सा आ जाता है। जिसके बाद वो रवि को धक्का देते हुए कहता है, “तुम मुझे रोकने वाले कौन हो?”

       इस मामले में सुमित ने जानबूझकर रवि को उसकी ड्यूटी करने से रोका और उस पर हमला किया। इस स्थिति में सुमित पर BNS की धारा 132 के तहत मामला दर्ज हुआ। जिसमें उसे जेल, जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है।

बीएनएस धारा 132 के अपराध के दोषी व्यक्तियों के लिए सजा

      भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 132 में दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को जेल की कैद की सजा भुगतनी पड़ सकती है। अगर कोई व्यक्ति सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए हमला करता है या बल प्रयोग करता है, तो उसे अधिकतम दो साल तक की कैद हो सकती है। यह कैद साधारण या सख्त दोनों तरह की हो सकती है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है।

        इसके साथ ही अपराधी पर जुर्माना ((Fine) भी लगाया जा सकता है। जुर्माने की राशि अदालत के विवेक पर निर्भर करती है, और यह अपराध की गंभीरता, परिस्थितियों और अन्य संबंधित तथ्यों को ध्यान में रखकर तय किया जाता है।

BNS Section 132 में जमानत (Bail) के लिए क्या कानूनी प्रावधान है?

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 132 के अनुसार किसी सरकारी कर्मचारी या लोक सेवक पर हमला करना एक संज्ञेय (Cognizable) यानी गंभीर अपराध है। जो गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) की श्रेणी में भी आता है। इसका अर्थ है कि इस धारा के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत (Bail) लेना आसान नहीं होता। ऐसे मामलों में जमानत अदालत के विवेक पर निर्भर करती है।

        गैर-जमानती अपराधों में न्यायालय (Court) स्थिति की गंभीरता और तथ्यों के आधार पर जमानत देने या न देने का निर्णय करता है। यह मामला किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।

भारतीय न्याय संहिता​ 132 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ कार्य
  • किसी पुलिस अधिकारी या अन्य सरकारी कर्मचारी पर हमला (Attack) करना जब वह अपनी ड्यूटी कर रहा हो।
  • सरकारी अधिकारी को उसके कार्य में बाधा डालने के लिए धक्का देना या उसे जोर से हटाने की कोशिश करना।
  • किसी सरकारी कर्मचारी को धमकाना ताकि वह अपना कर्तव्य न निभा सके।
  • अगर कोई व्यक्ति सरकारी कर्मचारी को उसके काम के दौरान रास्ते में रोकता है और उसे काम करने से रोकता है।
  • पुलिसकर्मी को किसी प्रकार से जबरदस्ती या हिंसा दिखाकर उसके कर्तव्यों का पालन करने से रोकना।
  • ट्रैफिक नियमों का पालन न करते हुए ट्रैफिक पुलिस पर हमला करना, जब वह अपनी ड्यूटी कर रहा हो।
  • सरकारी कर्मचारी के पास मौजूद महत्वपूर्ण दस्तावेजों (Important Documents) को छीनने या नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना।
  • सरकारी कर्मचारी को उसके कार्य से रोकने के लिए शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकी देना।
  • सरकारी कर्मचारी द्वारा उपयोग की जाने वाली सरकारी संपत्ति (Government Property) को नुकसान पहुंचाना ताकि वह अपनी ड्यूटी न निभा सके।

निष्कर्ष:- BNS Section 132 सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है और उनके कर्तव्यों के पालन में हस्तक्षेप करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करती है। यह धारा सरकार और आम जनता दोनों के हितों की रक्षा करती है, ताकि सरकारी कर्मचारी बिना किसी डर के अपनी ड्यूटी कर सकें और देश की सेवाओं को बेहतर ढंग से चला सकें।

बीएनएस धारा 133 क्या है |

BNS Section 133

गंभीर उकसावे के अलावा किसी व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग

       जो कोई किसी व्यक्ति पर गंभीर और अचानक उकसावे के अलावा उस व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से या दोनों से।

बीएनएस धारा 134 क्या है |

BNS Section 134

किसी व्यक्ति द्वारा लाई गई संपत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल

       जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, किसी संपत्ति पर चोरी करने का प्रयास करता है जिसे वह व्यक्ति पहन रहा है या ले जा रहा है, तो उसे दो साल तक की अवधि के लिए कारावास या जुर्माना से दंडित किया जाएगा। , या दोनों के साथ।

बीएनएस धारा 135 क्या है |

BNS Section 135

किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल

जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, उस व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करने का प्रयास करता है, तो उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों के साथ।

बीएनएस धारा 136 क्या है |

BNS Section 136

गंभीर उकसावे पर हमला या आपराधिक बल

       जो कोई किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए गंभीर और अचानक उकसावे पर उस पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, उसे एक अवधि के लिए साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो एक हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या साथ से दंडित किया जाएगा। दोनों.

स्पष्टीकरण.- यह धारा धारा 129 के समान स्पष्टीकरण के अधीन है। अपहरण, अपहरण, दासता और जबरन श्रम

बीएनएस धारा 137 क्या है |

BNS Section 137

       व्यपहरण (Kidnapping) एक गंभीर अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति को बहला फुसलाकर या धोखे से अपने साथ ले जाया जाता है। ऐसे में व्यपहरण के शिकार व्यक्ति और उनके परिवारों के जीवन पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे उन्हें मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से भारी सदमा (Trauma) सहना पड़ता है। ऐसे अपराधों से बचने के लिए जागरूकता के साथ-साथ सावधानी बरतना भी आवश्यक है। इसीलिए आज हम ऐसे ही अपराधों को रोकने के लिए बनी भारतीय न्याय संहिता की महत्वपूर्ण धारा के बारे में जानेंगे की बीएनएस की धारा 137 क्या होती है? यह किस अपराध में लागू होती है? BNS Section137 के तहत सज़ा और जमानत का प्रावधान?

       हमारे देश में ऐसे बहुत सारे मामले रोजाना सुनाई देते है, जिनमें कोई व्यक्ति किसी बच्चे को कुछ खाने-पीने की चीज का लालच दिखाकर अपने साथ उठा ले गया। व्यपहरण के बढ़ते मामलों को देखते हुए हम सभी का ऐसे अपराधों से अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय कानून की अहम जानकारियों के बारे में ज्ञान होना बहुत जरुरी है। ऐसे अपराध का शिकार होने पर क्या आवश्यक कदम उठाने चाहिए। आज के लेख में हमने इन्हीं सभी बातों को विस्तार से बताया है। इसलिए ऐसे मामलों से निपटने व BNS Section 137 की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को पूरा पढे।

बीएनएस की धारा 137 क्या है व यह कब लागू होती है- BNS Section 137 

      भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 में व्यपहरण (Kidnapping) के अपराध के बारे में बताया गया है। व्यपहरण का मतलब होता है, किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना उसके माता-पिता या कानूनी रुप से वैध अभिभावक (Legal Guardian) ( जैसे दादा दादी-नाना नानी व अन्य) से बहला फुसला कर दूर ले जाना। इस अपराध को करने के लिए आरोपी द्वारा बल, धोखाधड़ी या छल का भी प्रयोग किया जा सकता है।

        कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 359, से लेकर 363 तक व्यपहरण व इससे जुड़े मामलों में लागू होती थी। परन्तु कुछ समय पहले ही लागू हुए नए कानून बीएनएस (BNS) की धारा 137 में इन सभी धाराओं (Sections) को एक साथ जोड़ दिया गया है। अब से इस प्रकार के सभी मामलों में बीएनएस की धारा 137 के तहत ही मुकदमे दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।

      BNS की धारा 137 दो प्रकार से अपराध के बारे में बताती है:-

  • भारत से व्यपहरण:- इसका मतलब है किसी व्यक्ति को उसकी अनुमति या उसके कानूनी अभिभावक की अनुमति के बिना भारत की सीमाओं (Borders of India) से बाहर ले जाना। इसमें माता-पिता की सहमति के बिना बच्चे को विदेश ले जाना या किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध देश छोड़ने के लिए मजबूर करना शामिल हो सकता है।
  • वैध अभिभावक के संरक्षण से अपहरण: यह धारा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों व मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्तियों को उनके माता-पिता या किसी भी कानूनी अभिभावक की अनुमति लिए बिना ले जाने पर लागू होती है। इसमें मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति की आयु कितनी भी हो सकती है।

Note:- कानूनी अभिभावक ऐसा व्यक्ति, जैसे माता-पिता, या न्यायालय द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को उस बच्चे की देखभाल का जिम्मा (Responsibility) सौंप दिया जाता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 की मुख्य बातें:-
  • पीड़ित (Victim) या तो बच्चा होना चाहिए या कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो अस्वस्थ दिमाग वाला समझा जाता हो, जिसका अर्थ है कि उनमें स्थिति को समझने और उचित सहमति प्रदान करने की मानसिक क्षमता (Mental Capacity) नहीं है।
  • यह कार्य पीड़ित के वैध अभिभावक (Legal Guardian) की सहमति के बिना किया जाना चाहिए। अभिभावक माता-पिता, कानूनी संरक्षक या कोई अन्य व्यक्ति हो सकता है जिसे कानूनी रूप से पीड़ित की देखभाल सौंपी गई हो।
  • पीड़ित को उसके कानूनी अभिभावक की देखभाल और नियंत्रण से दूर ले जाया गया है।
  • बिना सहमति के देश से बाहर ले जाया गया हो।
  • सहमति अगर कपट (Fraud), बहला फुसला कर या किसी दबाव में आकर दी गई है तो भी वह व्यपहरण ही माना जाएगा।
  • 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी लड़का या लड़की या मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति अपनी सहमति से भी किसी के साथ चला जाता है, तब भी ऐसे मामले को व्यपहरण का अपराध ही माना जाएगा। क्योंकि नाबालिग (Minor) व मानसिक रुप से अस्वस्थ व्यक्ति वैध (Valid) सहमति देने में असमर्थ माने जाते है।
  • इस धारा का मुख्य उद्देश्य बच्चों व मानसिक रुप से असमर्थ लोगों को गलत कार्यों के लिए प्रयोग किए जाने से बचाना है।
BNS Section 137 के कुछ अपवाद

        कुछ परिस्थितियाँ ऐसी हैं जहाँ किसी बच्चे या किसी अस्वस्थ व्यक्ते को ले जाना BNS Section 137 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। आइये जानते है ऐसी ही कुछ जरुरी बातों के बारे में विस्तार से।

  • यदि किसी व्यक्ति का बिना किसी महिला से शादी किए बच्चा हो जाता है, और किसी दिन वो अपने बच्चे को यह सोचकर अपने साथ ले जाता है कि इस पर उसका भी अधिकार है, तो यह किडनैपिंग नहीं माना जाएगा। क्योंकि इसमें उसका इरादे किसी बुरे काम को करने का नहीं है।
  • यदि किसी बच्चे के माता-पिता नहीं है, और उसका कोई दूर का रिश्तेदार बच्चे की भलाई की सोचकर उसे अपने साथ किसी सुरक्षित माहौल में ले जाए तो यह भी अपराध नहीं माना जाएगा।
  • अगर 18 वर्ष से ज्यादा आयु की कोई लड़की या लड़का किसी के साथ अपनी मर्जी से चले जाते है, तो भी यह अपराध नहीं माना जाएगा। ऐसा उस लड़की की मर्जी से होना चाहिए ना कि बहला फुसलाकर या किसी दबाव में आकर।

इन परिस्थितियों में भी, बच्चे को ले जाने वाले व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उनके इरादे अच्छे थे।

बीएनएस सेक्शन 137 के तहत अपराध उदाहरण

        राहुल नाम का एक लड़का प्रिया नाम की एक लड़की को झूठी बातों में बहला- फुसलाकर विदेश ले जाने के लिए मना लेता है। प्रिया इस बारे में अपने घर पर अपने माता-पिता को भी कुछ नहीं बताती है। एक दिन जब वे दोनों विदेश जाने के लिए अपने घर से निकलते है तो उनके ही पड़ोस का एक व्यक्ति उन्हें देख लेता है। वो व्यक्ति उसी समय जाकर प्रिया के घर पर सारी बात बता देता है।

जिसके बाद प्रिया के माता-पिता समय रहते दोनों को पकड़ लेते है। बाद में पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर पता चलता है कि वो लड़का प्रिया को अपनी बातों में बहला फुसलाकर विदेश ले जा रहा था। जिसके बाद राहुल उस लड़की को किसी गलत कार्य के लिए इस्तेमाल करता। ऐसे अपराध को करने के जुर्म में पुलिस राहुल को BNS Section 137 के तहत गिरफ्तार कर लेती है व आगे की कार्यवाही के लिए न्यायालय में पेश करती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 की सजा – BNS Section 137 Punishment 

      बीएनएस की धारा 137 में सजा के प्रावधान (Provision) अनुसार बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी को बहला फुसलाकर या धोखे से उनके माता-पिता के संरक्षण (Protection) से बिना उनकी अनुमति के ले जाने का दोषी (Guilty) पाया जाता है। ऐसे अपराध के दोषी व्यक्ति को 7 वर्ष तक की कारावास (Imprisonment) की कैद व जुर्माने के दंड से दंडित किया जा सकता है।

BNS Section 137 में जमानत कब व कैसे मिलती है

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 के तहत किसी व्यक्ति का व्यपहरण कर लेना एक बहुत ही गंभीर अपराध माना गया है। इसलिए यह अपराध संज्ञेय (Cognizable) होने के साथ गैर-जमानती (Non-Bailable) भी होता है। जिसका सीधा सा मतलब यह है कि इस अपराध के तहत यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे जमानत (Bail) नहीं दी जा सकेगी। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में एक वकील की मदद से आप जमानत पा सकते है, इसलिए ऐसे किसी भी मामलों में फंसने पर हमारे अनुभवी वकील की सहायता जरुर ले।