बीएनएस की धारा 70 क्या है
(BNS Section 70)
सामूहिक बलात्कार
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहां हर दिन अखबारों की सुर्खियों में सामूहिक बलात्कार के नए-नए मामले सामने आते रहते हैं। यह एक ऐसा जघन्य अपराध जो न केवल किसी महिला के व्यक्तिगत जीवन को तबाह कर देता है बल्कि देश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है। सामूहिक बलात्कार एक ऐसा अपराध है जिसमें एक महिला के साथ एक से अधिक व्यक्ति जबरन शारीरिक संबंध बनाते हैं। इस विषय पर जागरूकता फैलाकर भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकना व अपराध से जुड़ी सभी कानूनी जानकारी प्राप्त करना हम सभी के लिए बहुत ही जरुरी है। आज हम BNS में सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) के अपराध की धारा 70 के बारे विस्तार से जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 70 क्या है (BNS Section 70 )? इस धारा के जुर्म के लिए दंड क्या है और धारा 70 में जमानत का क्या प्रावधान है?
सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से निपटने के लिए बनाए गए कानूनों को पहले से और अधिक कठोर बना दिया गया है। पहले ऐसे मामलों में Indian Penal Code (IPC) की धारा 376d के तहत मुकदमे दर्ज होते थे। लेकिन BNS के कुछ समय पहले लागू किए जाते ही Bhartiya Nyaya Sanhita की धारा 70 के तहत इन अपराधों के खिलाफ कार्रवाई की जाने लगी है। इस अपराध में कई बदलावों के साथ ही कुछ अन्य प्रावधानों को भी जोड़ा गया है। जिसको जानने व समझने के लिए इस लेख को पूरा जरुर पढ़े।
बीएनएस की धारा 70 क्या है – BNS Section 70
भारतीय न्याय संहिता की धारा 70 सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) से संबंधित है। यह धारा तब लागू होती है जब दो या दो से अधिक व्यक्ति एक साथ मिलकर किसी महिला के साथ बलात्कार (Rape) करते हैं। सामूहिक बलात्कार एक अत्यंत गंभीर अपराध है और इसके तहत अपराधियों को कठोर सजा का प्रावधान (Provision) है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हो रहे जघन्य अपराधों को रोकना और दोषियों को सख्त सजा देना है।
धारा 70 के इस अपराध को 2 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है जो कि इस प्रकार है:-
- BNS 70 (1):- जब एक महिला के साथ एक या एक से अधिक व्यक्ति मिलकर या एक सामान्य इरादे (Common Intention) के साथ बलात्कार करते हैं, तो इस धारा के अनुसार सभी को दोषी माना जाएगा। इसका मतलब है कि चाहे कोई व्यक्ति सीधे तौर पर बलात्कार में शामिल हो या न हो अगर वह उस कार्य में किसी भी तरह से सहयोग कर रहा हो, वह भी समान रूप से अपराधी माना जाएगा।
- BNS 70 (2):- अगर 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ एक समूह में लोग बलात्कार करते हैं, या वे एक सामान्य इरादे से मिलकर यह अपराध करते हैं, तो उनमें से प्रत्येक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी (Guilty) माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप (Directly) से बलात्कार में शामिल है या किसी भी तरह से उसमें मदद कर रहा है, वह सभी को समान रूप से दोषी माना जाएगा।
बीएनएस धारा 70 के अपराध से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु:-
- इस अपराध को करने में कम से कम दो या दो से अधिक व्यक्ति शामिल होते हैं।
- सभी व्यक्ति एक साथ मिलकर या एक ही इरादे (Same Intention) से इस अपराध को अंजाम देते हैं।
- अपराध का शिकार हमेशा एक महिला होती है।
- पीड़ित महिला आमतौर पर भय के कारण विरोध करने में असमर्थ होती है।
- कई मामलों में यह अपराध पहले से ही योजना बनाकर किया जाता है।
- अपराध के दौरान पीड़ित महिला के साथ अक्सर शारीरिक या मानसिक हिंसा की जाती है।
- इस अपराध में अक्सर समूह द्वारा पीड़ित महिला का उत्पीड़न (Harassment) किया जाता है।
- यदि पीड़ित 18 वर्ष से कम उम्र का है, तो इस अपराध के लिए सजा और भी कठोर है।
धारा 70 के तहत अपराध की श्रेणी में आने वाले कुछ अन्य गंभीर कार्य
- यदि एक से अधिक व्यक्ति किसी महिला के साथ उसकी सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाते हैं, तो यह सामूहिक बलात्कार का अपराध माना जाएगा।
- यदि महिला को धमकाकर किसी चीज का भय (Fear) दिखाकर, या उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता है, तो यह भी गंभीर अपराध है।
- किसी महिला को नशीला पदार्थ देकर या उसे बेहोश कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) करना।
- महिला को जबरदस्ती कहीं ले जाकर उसके साथ एक से अधिक लोगो द्वारा बलात्कार करना भी इस धारा के तहत दंडनीय (Punishable) है।
- यदि कोई व्यक्ति बलात्कार में शामिल किसी अन्य व्यक्ति की सहायता करता है, चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से यौन क्रिया में शामिल न हो, तब भी उसे दोषी माना जाएगा।
- बलात्कार के दौरान महिला की वीडियो रिकॉर्डिंग या तस्वीरें लेना, और इसे ब्लैकमेल के लिए इस्तेमाल करना भी अपराध है।
- यदि कोई व्यक्ति बलात्कार की योजना बनाता है या इस तरह की साजिश में शामिल होता है, तो उसे भी BNS की धारा 70 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।
इस धारा के लगने का आपराधिक उदाहरण
अंजली खुशी से रहने वाली बहुत ही हंसमुख लड़की थी, जो अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करती थी। उसकी अपने एक दोस्त राजेश के साथ बहुत ही सालों पुरानी दोस्ती थी, और वह उस पर पूरा भरोसा करती थी। एक दिन अंजली राजेश के साथ किसी पार्टी में चली जाती है। कुछ समय बाद राजेश का दोस्त विकास भी उसी पार्टी में आ जाता है। राजेश और विकास अंजली के पानी के गिलास में कुछ मिला देते है। अंजली को पता नहीं था कि उसमें नशीला पदार्थ मिलाया गया है। जैसे ही उसने पानी पिया, उसे बेहोशी सी महसूस होने लगी।
इसका फायदा उठाकर राजेश और विकास ने अंजली के साथ जबरदस्ती की। अंजली ने खुद को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकी। राजेश और विकास ने मिलकर उसका शोषण किया। इस दौरान दोनों का उद्देश्य केवल अंजली का बलात्कार करना था, और उन्होंने इसमें एक-दूसरे का पूरा सहयोग किया। अंजली जब होश में आई तो वह बुरी तरह से टूट चुकी थी। जिसके बाद उसने हिम्मत जुटाई और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस राजेश व विकास दोनों को गिरफ्तार कर लेती है और उन पर सामूहिक बलात्कार की धारा 70 के तहत कार्यवाही करती है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 70 के अपराध के लिए दंड
बीएनएस की धारा 70 में किसी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने के अपराध के दोषी व्यक्तियों के लिए सजा (Punishment) को इसकी उपधारा 70 (1) और उपधारा (2) के अंदर बताया गया है जो कि इस प्रकार है:-
- बीएनएस सेक्शन 70 (1) की सजा:- किसी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के दोषी पाये जाने वाले सभी व्यक्तियों को इस गंभीर अपराध के लिए एक समान सजा दी जाएगी। इसके लिए उन्हें कम से कम 20 साल की सजा मिलेगी, और यह सजा उनके पूरे जीवन तक भी बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा दोषियों को जुर्माना भी देना होगा और यह जुर्माना उस महिला के इलाज और उसके पुनर्वास (Rehabilitation) के लिए होगा।
- बीएनएस सेक्शन 70 (2) की सजा:- 18 वर्ष से कम उम्र की किसी लड़की के साथ एक सामूहिक रुप से बलात्कार करने के दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा दी जा सकती है। इसके साथ ही अपराध की गंभीरता को देखते हुए सभी दोषी व्यक्तियों को मौत की सजा (Death Sentence) से भी दंडित (Punished) किया जा सकता है। इसके अलावा दोषियों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो पीड़िता के चिकित्सा खर्च (Medical Expenses) और पुनर्वास के लिए निर्धारित किया जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 70 में जमानत का प्रावधान
बीएनएस की धारा 70 के अनुसार किसी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का अपराध संज्ञेय (Cognizable) यानी बहुत ही गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। जो एक गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) भी माना होता है, जिसका मतलब है कि इस धारा के तहत आरोपी व्यक्तियों को जमानत (Bail) मिलना अत्यंत कठिन होता है।
ऐसे गंभीर अपराधों में न्यायालय केवल विशेष परिस्थितियों में ही जमानत पर विचार कर सकता है, जब यह साबित हो जाए कि आरोपी पर लगे आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है या वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। ऐसे अपराध किसी प्रकार के समझौते (Compromise) के योग्य नहीं होते है।
निष्कर्ष:- BNS Section 70 के तहत सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। यह धारा महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है और न्यायिक प्रक्रिया में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक है। अगर आपको किसी भी कानूनी समस्या की जानकारी चाहिए या कोई भी सहायता चाहिए तो आप हमारे काबिल वकीलों से घर बैठे बात कर सकते है।
बीएनएस की धारा 71 क्या है
(BNS Section 71)
बार-बार अपराध करने वालों के लिए सजा
जो कोई भी पहले धारा 63 या धारा 64 या धारा 65 या धारा 66 या धारा 67 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और बाद में उक्त धाराओं में से किसी के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, उसे आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा जिसका अर्थ होगा उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास, या मृत्युदंड।
बीएनएस की धारा 72 क्या है
(BNS Section 72)
कुछ अपराधों आदि के पीड़ित की पहचान का खुलासा
(1) जो कोई नाम या किसी भी मामले को मुद्रित या प्रकाशित करता है जिससे किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान हो सकती है जिसके खिलाफ धारा 63 या धारा 64 या धारा 65 या धारा 66 या धारा 67 या धारा 68 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया है या पाया गया है अपराध किया गया है (इसके बाद इस धारा में पीड़ित के रूप में संदर्भित किया गया है) को किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
(2) उपधारा (1) में कुछ भी नाम या किसी भी मामले के मुद्रण या प्रकाशन तक विस्तारित नहीं है, जिससे पीड़ित की पहचान ज्ञात हो सकती है यदि ऐसा मुद्रण या प्रकाशन है-
(ए) पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी या ऐसे अपराध की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी के लिखित आदेश के तहत ऐसी जांच के प्रयोजनों के लिए सद्भावना में कार्य करना; या
(बी) पीड़ित द्वारा या उसकी लिखित अनुमति से; या
(सी) जहां पीड़ित मर चुका है या नाबालिग है या मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति है, पीड़ित के निकटतम रिश्तेदार द्वारा या उसकी लिखित अनुमति के साथ: बशर्ते कि निकटतम रिश्तेदार द्वारा ऐसा कोई प्राधिकरण किसी अन्य को नहीं दिया जाएगा। किसी भी मान्यता प्राप्त कल्याण संस्था या संगठन के अध्यक्ष या सचिव से, चाहे किसी भी नाम से पुकारा जाए।
स्पष्टीकरण.—इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, “मान्यता प्राप्त कल्याण संस्था या संगठन” का अर्थ केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में मान्यता प्राप्त एक सामाजिक कल्याण संस्था या संगठन है।
(3) जो कोई भी उप-धारा (1) में निर्दिष्ट अपराध के संबंध में किसी अदालत के समक्ष किसी कार्यवाही के संबंध में किसी भी मामले को ऐसी अदालत की पूर्व अनुमति के बिना मुद्रित या प्रकाशित करेगा, उसे एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा। इसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। स्पष्टीकरण.-किसी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के निर्णय का मुद्रण या प्रकाशन इस धारा के अर्थ में अपराध नहीं है। महिलाओं के खिलाफ आपराधिक बल और हमले का
बीएनएस की धारा 73 क्या है
(BNS Section 73)
न्यायालय की कार्यवाही से संबंधित किसी भी सामग्री को बिना अनुमति के छापना या प्रकाशित करना
जो कोई धारा 72 में निर्दिष्ट किसी अपराध के संबंध में किसी न्यायालय के समक्ष किसी कार्यवाही के संबंध में किसी भी मामले को ऐसे न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना मुद्रित या प्रकाशित करेगा, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। जुर्माना भी देना होगा.
स्पष्टीकरण.-किसी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के निर्णय का मुद्रण या प्रकाशन इस धारा के अर्थ में अपराध नहीं है।
बीएनएस की धारा 74 क्या है
(BNS Section 74)
कुछ लोगों द्वारा समाज में महिलाओं के सम्मान को हमेशा से शारीरिक और मानसिक रुप से चोट पहुंचाने का प्रयास किया जाता हैं। हमारे देश में महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ के मामलों में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी होती जा रही है, जिसके कारण समाज में महिलाओं को तरह-तरह के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। इसी कारण महिलाओं के सम्मान की रक्षा करने व ऐसे अपराध करने वाले लोगों को सख्त से सख्त सजा देने के लिए समय-समय पर कानूनों में बदलाव देखने को मिलते है। आज के इस लेख में हम आपको हाल ही में लागू हुए नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) की एक महत्वपूर्ण धारा के बारे में बताएंगे की बीएनएस की धारा 74 क्या है (BNS Section 74 ), यह धारा कब लगती है? BNS 74 में सजा और जमानत (Bail) का क्या प्रावधान है?
समाज में रहने वाली महिलाओं के उपर बुरी नजर रखना या उनकी इज्जत पर हमला करना एक गंभीर अपराध माना जाता है। महिलाओं की सुरक्षा (Women Safety) से जुड़े मामलों को भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अंदर अब पहले से अधिक गंभीरता से लिया जाने लगा है। इस लेख में हम बीएनएस की धारा 74 से जुड़ी सारी जरुरी जानकारियाँ आपको देंगे। क्योंकि यह धारा महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बीएनएस धारा 74 क्या है कब लगती है – BNS Section 74
भारतीय न्याय संहिता की धारा 74 के प्रावधान अनुसार बताया गया है कि “जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का अपमान करने के इरादे से उस पर हमला करता (Attack the woman With the intent to insult) है या किसी भी महिला पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है। इस प्रकार के आपराधिक कार्य करने वाले व्यक्ति पर सैक्शन 74 लागू कर दंड (Punishment) के लिए कार्यवाही की जाती है।
साधारण भाषा में इसका अर्थ यह है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला को परेशान करने के लिए उसके साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ करता है। या किसी भी प्रकार से उस पर हमला करने का प्रयास करता है, उस व्यक्ति पर इस प्रावधान (Provision) के तहत कार्यवाही कर दंडित किया जाएगा।
बीएनएस की धारा 74 के मुख्य तत्व
- हमला या आपराधिक बल: भारतीय न्याय संहिता की धारा 74 किसी महिला पर किए जाने वाले हमले और आपराधिक बल के बारे में बताती है। जिस भी कार्य से किसी महिला को नुकसान या चोट की आशंका पैदा होती है उसे आपराधिक बल कहा जाता है।
- लज्जा भंग करने का इरादा: बीएनएस की धारा 74 के तहत अपराध में किसी महिला की मर्यादा (Woman’s Dignity) या सम्मान का अपमान करने के इरादे के बारे में बताया गया है। साधारण भाषा में इसका अर्थ है, किसी व्यक्ति के द्वारा किसी महिला का अपमान करके उसकी इज्जत को ठेस पहुंचाना।
BNS Section 74 के तहत आने वाले आपराधिक कृत्य
- शारीरिक हमला (Physical Assault): किसी भी महिला पर जानबूझकर (Intentionally) हमला करना या उसे चोट (Injury) पहुँचाने की कोशिश करना जिससे समाज में उसका अपमान हो।
- गलत तरीके से छूना (Unwanted Touching): किसी महिला को उसकी सहमति (Permission) के बिना गलत तरीके से छूना।
- यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment): किसी महिला के लिए अश्लील या अनुचित टिप्पणियाँ करना, उसे गंदे इशारे करना, या अश्लील सामग्री दिखाना।
- छेड़छाड़ (Eve-Teasing): किसी महिला को सार्वजनिक स्थान (Public Palace) पर तंग करना, जैसे उसे पीछा करना, उसकी तरफ सीटी बजाना या अश्लील टिप्पणियाँ करना।
- धमकी देना (Threatening): किसी महिला का अपमान करने के इरादे से या उसे समाज में बेइज्जत करने की धमकी (Threat) देना।
- बलपूर्वक कपड़े हटाना (Forcibly Disrobing): किसी महिला के जबरन कपड़े उतारने की कोशिश करना।
- गंदी बातें बोलना (Verbal Abuse): किसी महिला को गंदी गालियाँ देना।
- सोशल मीडिया पर उत्पीड़न (Cyber Harassment): सोशल मीडिया या अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म पर किसी महिला को अश्लील संदेश (Dirty Messages), तस्वीरें, या वीडियो भेज कर परेशान करना।
- निजी तस्वीरें या वीडियो का दुरुपयोग (Misuse of Private Pictures or Videos): किसी महिला की निजी तस्वीरें (Private Photos) या वीडियो को बिना उसकी अनुमति के सार्वजनिक करना या उनका गलत तरीके से उपयोग करना।
IPC Section 354 व BNS Section 74 में क्या अंतर है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (पुरानी आईपीसी धारा) व बीएनएस की धारा 74 दोनों ही महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचाने या उनके साथ होने वाले किसी भी प्रकार के गलत व्यवहार के अपराध के बारे में बताती है।
इन दोनों में मुख्य अंतर यह देखने को मिलता है कि पहले यदि महिलाओं के साथ कोई ऐसा अपराध करता था तो वह आपराधिक मामला IPC 354 के तहत दर्ज होता था। लेकिन नए कानून यानी भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद से ऐसे मामलों को भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 74 के तहत दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी। जिसका अर्थ है IPC Section 354 को बदलकर BNS Section 74 कर दिया गया है।
बीनएस की धारा 74 के जुर्म का सरल उदाहरण
प्रीति एक दिन कॉलेज जाने के लिए बस स्टॉप पर खड़ी थी। उसी समय एक व्यक्ति प्रीति के पास आता है और उसके साथ गलत तरह के कामेंट करना शुरू कर देता है। ऐसा करते-करते वो प्रीति के पास आने की कोशिश करता है। प्रीति इस बात से परेशान होकर उससे दूर चली जाती है, लेकिन वो व्यक्ति फिर से प्रीति के पास आता है और उसे गलत तरीके से छूने लगता है। प्रीति तुरंत अपने मोबाइल से महिला पुलिस हैल्पलाइन न0 1091 पर फोन कर सारी बाते बता देती है।
कुछ ही समय बाद पुलिस मौके पर पहुंचकर उस व्यक्ति को गिरफ्तार (Arrest) कर लेती है और BNS Section 74 के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्यवाही करती है।
धारा 74 में सजा – BNS 74 Punishment
बीएनएस की धारा 74 में सजा (Punishment) के लिए बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने या परेशान करने जैसे गंभीर अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है। उस व्यक्ति को 1 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक की कैद (Imprisonment) की सजा व जुर्माने (Fine) के दंड से दंडित किया जा सकता है।
बीएनएस की धारा 74 में जमानत कब और कैसे मिलती है
भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 74 के तहत महिलाओं के सम्मान से जुड़े मामलों को ज्यादा गंभीरता से लिया जाता है। इसलिए यह एक संज्ञेय (Cognizable offence) यानी गंभीर अपराध के रुप में जाना जाता है। BNS Section 74 एक गैर-जमानती (Non-bailable) है, जिसमें आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को जमानत नहीं दी जा सकती।
बीएनएस की धारा 75 क्या है
(BNS Section 75)
यौन उत्पीड़न की बीएनएस धारा में सजा जमानत बचाव
आजकल यौन उत्पीड़न एक गंभीर अपराध व सामाजिक समस्या बनती जा रही है। हर दिन समाचारों में हम ऐसे मामले सुनाई देते हैं जहां महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। यह एक ऐसा अपराध है जो न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी पीड़ित को गहरा आघात पहुंचाता है। यौन उत्पीड़न के अपराध के बारे में समाज के हर सदस्य को जागरुक होना आवश्यक है, ताकि हम सभी मिलकर इस समस्या से लड़ सकें और एक सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकें। इस लेख में हम महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न अपराध से जुडी भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के बारे में जानेंगे, कि बीएनएस की धारा 75 के तहत क्या अपराध है (BNS Section 75 in Hindi)? इस धारा में सजा जमानत और बचाव के क्या प्रावधान है?
BNS के लागू होते ही यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के अपराधों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के तहत मुकदमे दर्ज किए जाने लगे है। लेकिन पहले इस अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354a के तहत कार्यवाही की जाती थी। इसलिए आपराधिक कानूनों में हुए इन सभी बदलाव की जानकारी पाने व भविष्य में ऐसे अपराधों से सुरक्षा की जानकारी विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े।
बीएनएस की धारा 75 क्या है – BNS Section
भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के अपराध से संबंधित है, जिसमें यौन उत्पीड़न को परिभाषित किया गया है। यौन उत्पीड़न का मतलब होता है किसी महिला को बिना उसकी इजाजत के शारीरिक व भावनात्मक रूप से परेशान करना। उसके साथ किसी भी प्रकार का गलत व्यवहार करना। यह एक ऐसा कार्य है जो किसी महिला की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाता है।
यौन उत्पीड़न के अपराध को भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 की 3 उपधाराओं (Sub-Sections) के अंदर विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार है:-
बीएनएस धारा 75 की उपधारा (1): इसमें यौन उत्पीड़न के अपराध के तहत आने वाले मुख्य कार्यों को 4 खण्डों (Clauses) द्वारा बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति इनमें बताई गई बातों में से कोई भी कार्य करता है तो उस पर धारा 75(1) के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
यौन उत्पीड़न के तहत आने वाले कुछ प्रमुख कार्य:-
- गलत तरीके से छूना: अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को जानबूझकर (Intentionally) गलत तरीके से छूता है या शारीरिक संपर्क बनाने की कोशिश करता है, तो यह यौन उत्पीड़न माना जाता है।
- अश्लील प्रस्ताव देना: अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को अपने साथ यौन संबंध (Sexual Intercourse) बनाने का प्रस्ताव देता है या इस प्रकार की मांग करता है।
- अश्लील सामग्री दिखाना: अगर कोई व्यक्ति महिला को अश्लील तस्वीरें, वीडियो या अन्य सामग्री दिखाता है या भेजता है, तो यह भी अपराध है।
- अश्लील बातें या इशारे करना: अगर कोई व्यक्ति महिला से अश्लील बातें करता है या उसे गंदे इशारे करता है।
बीएनएस धारा 75 की उपधारा (2): इसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति धारा 75 की उपधारा (1) में बताये गए खण्डों (i),(ii) व (iii) में बताए गई बातों में से कोई भी अपराध करेगा। उस व्यक्ति को धारा 75(2) के तहत कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित किया जाएगा।
बीएनएस सेक्शन 75 की उपधारा (3): यदि कोई व्यक्ति उपधारा(1) के खण्ड (iv) में बताए गए अपराध को करता है, तो उस व्यक्ति को उपधारा 2 में दी गई सजा से कम सजा व जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
यौन उत्पीड़न कितने प्रकार से होता है?
यौन उत्पीड़न का अपराध मुख्य रुप से 3 प्रकार से होता है, आइये विस्तार से जानते है:-
- शारीरिक उत्पीड़न:- किसी भी महिला के शरीर को बिना उसकी अनुमति के गलत तरीके से छूना शारीरिक उत्पीड़न (Physical Harassment) कहलाता है।
- मौखिक उत्पीड़न:- किसी भी महिला पर गलत तरीके से व गंदी टिप्पणियाँ करना, चुटकुले या अपमान करना मौखिक उत्पीड़न (Verbal Harassment) कहलाता है।
- गैर-मौखिक उत्पीड़न:- इसमें किसी महिला को अश्लील इशारे करना, गंदी नज़र से देखना या कोई अश्लील वस्तु दिखाना गैर-मौखिक उत्पीड़न (Non-Verbal Harassment) कहलाता है।
कुछ कार्य जिनको करना धारा 75 का अपराधी बना सकता है
- किसी महिला को बिना उसकी अनुमति (Permission) के छूना।
- महिला के शरीर पर जानबूझकर हाथ फेरना या गंदी नीयत से छूना।
- जबरदस्ती गले लगाने की कोशिश करना।
- महिला के कपड़ों या शरीर पर गलत टिप्पणी (Wrong Comment) करना।
- किसी महिला से उसकी सहमति के बिना संभोग करने के लिए दबाव डालना।
- किसी महिला का पीछा करना और उसे असहज (Uncomfortable) महसूस कराना।
- महिला के बारे में गंदी बातें फैलाना या अफवाहें बनाना।
- ऑफिस या किसी कार्यस्थल पर महिला को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना।
- उसके शरीर को घूरना या गंदी नजरों से देखना।
बीएनएस सेक्शन 75 का आपराधिक उदाहरण
निष्ठा एक बहुत ही होनहार महिला थी, जो बहुत ही सालों से एक बड़ी कंपनी में काम करती थी। वही पर प्रशांत नाम का एक व्यक्ति भी निष्ठा के साथ ही नौकरी करता था। प्रशांत कई बार निष्ठा के बहुत ही करीब आकर बैठ जाता, और उसके कंधे पर हाथ रख देता था। जिससे निष्ठा बहुत ही परेशान हो जाती थी। एक दिन प्रशांत निष्ठा के पास आता है और उसके शरीर पर गलत तरीके से हाथ फेरने लगता है।
जिसके बाद वो निष्ठा को अपने साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए भी कहता है। यह बात सुनकर निष्ठा बहुत परेशान हो जाती है जिसके बाद वो प्रशांत की शिकायत पुलिस में कर देती है। कुछ ही देर बाद पुलिस वहाँ आती है और प्रशांत को निष्ठा की शिकायत पर धारा 75 में यौन उत्पीड़न के अपराध के तहत गिरफ्तार कर लेती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के तहत सजा (Punishment Under BNS 75)?
बीएनएस की धारा 75 के अपराध में सजा (Punishment) को अलग-अलग उपधाराओं के द्वारा अपराध की गंभीरता के अनुसार बताया गया है। जो कि इस तरह से है:-
- BNS Section 75 (2) की सजा:- जो कोई भी व्यक्ति उपधारा 75 (1) में ऊपर बताए गए खण्डों (i), (ii) व (iii) के कार्यों द्वारा यौन उत्पीड़न का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे 3 साल तक की कारावास व जुर्माने (Imprisonment & Fine) से दंडित किया जा सकता है।
- BNS Section 75 (3) की सजा:- जो भी व्यक्ति उपधारा 75 (1) में ऊपर बताए गए खण्ड (Clause) (iv) के अपराध यानी अश्लील इशारे या गंदे इशारे करने का दोषी पाया जाएगा। उसे सजा के तौर पर 1 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित (Punished) किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 75 में जमानत कब व कैसे मिलती है
भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के तहत महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के अपराध को संज्ञेय (Cognizable) यानी गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस अपराध की गंभीरता के अनुसार ही इसी गैर-जमानती (Non-Bailable) भी रखा गया है। इसका मतलब है कि जिस भी व्यक्ति पर यौन उत्पीड़न के आरोप (Blame) लगते है उसे गिरफ्तारी के बाद अधिकार के तौर पर जमानत (Bail) नहीं दी जा सकेगी।
इसके साथ ही यह मामला सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय (Triable) होता है व इसमें किसी भी प्रकार का समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता है।
BNS Section 75 के तहत आरोपी व्यक्तियों के लिए कुछ आवश्यक बचाव उपाय
- इस अपराध के आरोप लगते ही तुरंत एक अनुभवी वकील से संपर्क करें जो यौन उत्पीड़न के मामलों में विशेषज्ञ (Expert) हो।
- एक वकील आपके केस से संबंधित कानूनी दिशा-निर्देश को समझकर बचाव (Defence) की रणनीति तैयार करेगा।
- आरोपी के लिए बचाव में सबसे जरुरी है, कि वह खुद के पक्ष में सबूत (Evidence) इकट्ठा करें, जैसे कि मैसेज, कॉल रिकॉर्डिंग, गवाहों के बयान आदि। जिनसे साबित हो सके कि आरोपी पर लगाए आरोप गलत व झूठे है।
- अगर आरोप झूठे हैं, तो आरोपी यह दावा कर सकता है कि उसे बदनाम करने या अन्य कारणों से फंसाया गया है। इसके लिए वह किसी भी पुराने विवाद या दुश्मनी के बारे में भी बता सकता है।
- अगर घटनास्थल पर कोई गवाह (Witness) मौजूद था, जो आरोपी के पक्ष में गवाही दे सकता है, तो उसका बयान बचाव के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता है।
- किसी भी पूछताछ के दौरान आरोपी को अपने बयान सोच-समझकर देने चाहिए, क्योंकि गलत बयान देने से केस कमजोर हो सकता है।
निष्कर्ष:- BNS Section 75 में महिलाओं के साथ होने वाले अश्लील व्यवहार को कानून में गंभीर अपराध माना गया है। चाहे वह ऑफिस में हो या कहीं और, किसी भी महिला को इस प्रकार की परिस्थिति में चुप नहीं रहना चाहिए बल्कि सही कदम उठाते हुए न्याय की मांग करनी चाहिए।
यदि आपको किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता की आवश्यकता है, तो आप हमारे वकीलों से संपर्क कर सकते हैं। हमारे अनुभवी वकील आपकी कानूनी समस्या में पूरी तरह से मार्गदर्शन करेंगे और आपको न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
बीएनएस की धारा 76 क्या है
(BNS Section 76)
आज हम एक ऐसे अपराध के बारे में बात करने जा रहे हैं जो महिलाओं के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। यह एक ऐसा अपराध है, जिसमें किसी महिला पर हमला करके उसे कपड़े उतारने या नग्न होने के लिए मजबूर किया जाता है। यह एक ऐसा कार्य है जो न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी किसी महिला को तबाह कर सकता है। समाचारों में आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं जिसमें इस तरह के कार्यों को अंजाम दिया गया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला करने के अपराध से जुड़ी भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में समझेंगे कि, बीएनएस की धारा 76 क्या है (BNS Section 76 ? धारा 76 कब व किन व्यक्तियों पर लागू होती है? इस धारा के दोषी को सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?
हमारे समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों ने हमें एक नई चुनौती के सामने खड़ा कर दिया है। आज से कुछ महीने पहले तक इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354B का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब BNS के लागू होने के बाद से इन मामलों में भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 लगाई जा रही है। आज का हमारा यह लेख आपके लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको इस कानूनी मुद्दे के संबंध में सभी प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी देगा।
बीएनएस की धारा 76 क्या है, कब लगती है – BNS Section 76
भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 जो महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान (Safety & Respect) के लिए बनाई गई है। यह धारा उन सभी अपराधों को कवर करती है जिनमें किसी महिला को जानबूझकर शर्मिंदा (Intentionally embarrassed) किया जाता है, या उसे उसके कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया जाता है।
सरल शब्दों में कहे तो, यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को अपमानित करने या उसके कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला (Attack) करता है या आपराधिक बल (Criminal Force) का प्रयोग करता है, तो वह इस धारा के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।
BNS 76 के अपराध से जुड़े मुख्य तत्व
- यह धारा सिर्फ महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों पर लागू होती है।
- इसमें अपराध करने वाला व्यक्ति जानबूझकर महिला को शर्मिंदा करने या उसके कपड़े उतारने का प्रयास करता है।
- अपराध का मुख्य उद्देश्य महिला को शर्मिंदा करना या उसे उसके कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना ही होता है।
- अपराध के दौरान महिला को शारीरिक या मानसिक (Physically Or Mentally) रूप से नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
- अगर कोई व्यक्ति धारा 76 के तहत दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उसे जेल की कैद व जुर्माने की सजा से दंडित (Punished) किया जा सकता है।
बीएनएस धारा 76 का आपराधिक उदाहरण
रिया एक कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा है। एक दिन वह बस से घर लौट रही थी। बस में एक अजनबी व्यक्ति ने उससे लगातार छेड़छाड़ की और उसे अपमानजनक टिप्पणियां कीं। जब रिया ने इस बात का विरोध किया तो उस व्यक्ति ने उसे धक्का दे दिया और उसके कपड़े फाड़ने की कोशिश की।
इस तरह के गलत कार्य करना BNS Section 76 के तहत गंभीर अपराध है। इस मामले में, व्यक्ति ने जानबूझकर रिया को शर्मिंदा किया और रिया की गरिमा (Dignity) को ठेस पहुंचाई।
BNS Section 76 के तहत अपराध में किए जाने वाले कुछ कार्य
- यदि कोई व्यक्ति महिला के कपड़े खींचकर उसे अपमानित (Insulted) करने की कोशिश करता है।
- किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध नग्न (Naked) करने का प्रयास करना।
- महिला पर दबाव डालना या धमकी देना कि वह अपने कपड़े उतारे।
- सार्वजनिक स्थान (Public Places) पर या भीड़ में महिला के कपड़े खींचने का प्रयास करना।
- किसी महिला को जबरदस्ती पकड़कर उसके कपड़े उतारने की कोशिश करना।
- महिला को शारीरिक या मानसिक धमकी (Threat) देकर उसके कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना।
- इरादतन (Intentionally) किसी महिला के कपड़ों को फाड़ना ताकि उसे अपमानित किया जा सके।
- महिला पर शारीरिक बल का प्रयोग करना ताकि वह अपने कपड़े उतार दे।
- किसी महिला को धमकाकर या डराकर उसे कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना।
बीएनएस की धारा 76 के जुर्म में दोषी व्यक्तियों को मिलने वाली सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 के अंतर्गत किसी महिला पर हमला करना या आपराधिक बल का प्रयोग करके उसे कपड़े उतारने या नग्न (Naked) होने के लिए मजबूर करना एक गंभीर अपराध (Serious Offence) माना गया है। इसलिए इस अपराध के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है, ताकि महिलाओं की गरिमा की रक्षा की जा सके। इस धारा के अंतर्गत अपराधी को कम से कम तीन साल और ज्यादा से ज्यादा सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, जिसका उद्देश्य इस प्रकार के कार्यों को रोकने के लिए अपराधी को आर्थिक दंड (Financial Penalty) देना है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 में आरोपी के लिए जमानत का प्रावधान है?
बीएनएस धारा 76 में महिलाओं के साथ किए जाने वाले इस अपराध को गैर-जमानती (Non-Bailable) रखा गया है। इसका मतलब है कि इस अपराध में आरोपी को आसानी से जमानत (Bail) नहीं मिल सकती है। आरोपी को जमानत पाने के लिए अदालत में विशेष अनुरोध करना होगा, और अदालत इस पर विचार करने के बाद ही जमानत देने का निर्णय लेगी। इसके साथ ही यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। इसका उद्देश्य अपराध के तुरंत बाद कार्रवाई करना और महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
यह अपराध सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। इसका मतलब है कि इस अपराध की सुनवाई और निपटारा सत्र न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।
निष्कर्ष:- BNS Section 76 महिलाओं के विरुद्ध अपमानजनक आचरण से संबंधित एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है। यह धारा महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।अगर ऐसे किसी भी मामले से जुड़ी जानकारी या कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए आप आज ही हमारे वकीलों से बात कर सकते है।
बीएनएस की धारा 77 क्या है
(BNS Section 77)
आज के डिजिटल युग में जहां हर कोई कैमरे का इस्तेमाल करता है, जिससे हमारी निजता लगातार खतरे में है। आजकल लोग बिना हमारी सहमति के हमारे निजी पलों को कैद करके इंटरनेट पर सार्वजनिक कर देते है। चाहे वह बाथरूम हो, बेडरूम हो या कोई अन्य निजी स्थान, बिना अनुमति के किसी को देखना या रिकॉर्ड करना एक गंभीर अपराध है। इस तरह के कार्यों के कारण किसी भी इंसान का पूरा जीवन खराब हो सकता है। ऐसे ही अपराधों को रोकने के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 77 बनाई गई है। इस लेख में हम जानेंगे, की बीएनएस की धारा 77 क्या है, यह कब लगती है (BNS Section 77 )? इस धारा के तहत आरोपी को कितनी सजा होती है और धारा 77 में जमानती है या गैर-जमानती?
किसी भी महिला को नहाते समय या कोई भी निजी कार्य करते समय देखना या फोटो लेने के इस अपराध के आरोपी व्यक्तियों पर पहले Indian Penal Code (IPC) की धारा 354C के तहत कार्यवाही कर सजा दी जाती थी। जिसे अब BNS के लागू होती ही Bhartiya Nyaya Sanhita की धारा 77 से बदल दिया गया है। अब से जो कोई भी व्यक्ति इस प्रकार के अपराध को करेगा उस पर धारा 77 के तहत ही कार्यवाही की जाएगी। इसलिए इस प्रकार के अपराधों से जुड़ी प्रत्येक उपयोगी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े।
बीएनएस की धारा 77 क्या है व यह कब लागू होती है – BNS Section 77
भारतीय न्याय संहिता की धारा 77 ताक-झांक (Voyeurism) के अपराध से संबंधित है। जिसमें किसी महिला की निजी गतिविधियों (Private Activities) को बिना उनकी जानकारी और अनुमति के देखने, रिकॉर्ड करने, या उनकी तस्वीर लेना अपराध माना जाता है। यह धारा किसी भी पुरुष को एक महिला को ऐसी स्थिति में देखना या उसकी तस्वीर लेना अपराध मानती है। जिसमें महिला को यह अपेक्षा हो कि उसे नहीं देखा जा रहा है, और उसने इसके लिए सहमति नहीं दी है।
इसका मतलब है कि जब कोई व्यक्ति किसी महिला को कोई निजी कार्य करते देखता है व उसकी फोटो या वीडियो बनाता है। जिस समय महिला कुछ ऐसा निजी कार्य कर रही होती है या ऐसी स्थिति में होती है। जिसमें किसी के भी द्वारा उसे देखा नहीं जाना चाहिए तो वह एक अपराध माना जाता है।
उदाहरण:- जैसे यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की नहाते हुए या कपड़े बदलते समय बिना उस महिला की अनुमति के छिपकर वीडियों बनाता है तो उस पर BNS की धारा 77 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
“निजी कार्य” की परिभाषा
धारा 77 के तहत “निजी कार्य” का मतलब होता है जिसको करते समय किसी महिला के जननांग (Genitals), पीछे का हिस्सा या स्तन (Breast) दिखाई देते हो। या केवल अंडरवियर में ढके होते हैं, या वह किसी व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बना रही होती है। जैसे कोई महिला शौचालय का उपयोग कर रही है तो उसे गोपनीयता की आवश्यकता होती है।
बीएनएस धारा 77 लगने के लिए मुख्य बिंदु
- किसी महिला को बिना उसकी सहमति (Consent) के निजी क्षणों (Private Moments) में रिकॉर्ड करना, चाहे वह वीडियो या फोटो के रूप में हो।
- किसी व्यक्ति को बिना उसकी सहमति के ऐसे स्थान पर देखना जिसे वह पूरी तरह से निजी समझता हो, जैसे कि बाथरूम या बेडरूम।
- किसी महिला की अनुमति के बनाई गई रिकॉर्डिंग को दूसरों के साथ साझा करना।
- धारा 77 के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को कैद व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।
धारा 77 के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
- किसी महिला की कपड़े बदलते समय तस्वीरें लेना।
- किसी महिला की सहमति के बिना उसकी व्यक्तिगत तस्वीरों (Personal Photos) को इंटरनेट पर अपलोड करना।
- वॉशरूम में छिपे हुए कैमरे (Hidden Camera) से उसकी रिकॉर्डिंग करना।
- स्वीमिंग पूल या घर में नहा रही महिला छिपकर देखना या रिकॉर्ड करना।
- किसी महिला के दफ्तर (Office) के चेंजिंग रूम में छिपकर उसकी तस्वीर लेना।
- शौचालय में महिला की छिपे हुए कैमरे से फोटो लेना।
- किसी महिला के घर की खिड़की से उसको किसी व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध (Physical Relation) बनाते समय देखना।
बीएनएस सेक्शन 77 के जुर्म का उदाहरण
रिया एक कॉलेज की छात्रा थी जो कुछ सालों से अपने हॉस्टल में रहती थी। एक दिन जब रिया अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तब रिया को यह नहीं पता था कि उसके कमरे के वेंटिलेशन में अमित नाम के एक लड़के ने एक छोटा कैमरा छिपा रखा था। अमित जो उसी कॉलेज का छात्र था, उसने इस कैमरे के जरिए रिया के बहुत से निजी पलों को रिकॉर्ड कर लिया। जिसके बाद में अमित ने यह वीडियो अपने दोस्तों को दिखाया और सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिया।
इस मामले में अमित ने रिया की सहमति के बिना उसकी गोपनीयता का उल्लंघन किया, जो कि BNS Section 77 के तहत एक गंभीर अपराध है। रिया को जब इस बात का पता चला तो उसने अमित की शिकायत पुलिस में कर दी। जिसके बाद पुलिस ने अमित को गिरफ्तार कर लिया व उस पर धारा 77 के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही की गई।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 77 के तहत सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 77 के तहत महिलाओं की गोपनीयता (Women’s Privacy) का उल्लंघन करने वाले दोषी (Guilty) व्यक्तियों के लिए सख्त से सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति इस अपराध को करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे पहली बार इस अपराध को करने की सजा के तौर पर कम से कम 1 साल की कैद जिसे अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जिसकी राशि न्यायालय द्वारा निर्धारित की जाती है।
लेकिन यदि वही व्यक्ति दोबारा इस अपराध को करता है और धारा 77 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 3 साल की कैद की सजा (Punishment) दी जाएगी, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।
बीएनएस की धारा 77 में जमानत का प्रावधान
BNS Section 75 के तहत दर्ज किए गए अपराध संज्ञेय (Cognizable) और जमानतीय (Bailable) होते हैं। इसका मतलब यह है कि पुलिस इस अपराध में आरोपी व्यक्ति को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तारी कर सकती है। जिसके बाद आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जा सकता है। आरोपी व्यक्ति जमानत (Bail) के लिए अपने वकील की सहायता से मजिस्ट्रेट के सामने जमानत के लिए आवेदन कर जमानत प्राप्त कर सकता है। इस अपराध से संबंधित केस सत्र न्यायालय (Sessions Court) द्वारा विचारणीय (Triable) होते है।
BNS 77 के तहत आरोपी व्यक्तियों के लिए कुछ आवश्यक बचाव
- यदि आरोपी यह साबित कर सकता है कि महिला ने आरोपी (Accused) के द्वारा किए गए कार्यों के करने के लिए सहमति दी थी, तो इस अपराध में बचाव हो सकता है।
- अगर किसी महिला ने आरोपी व्यक्ति को फंसाने के लिए झूठे आरोप (False Blame) लगाए है और आरोपी के पास खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए सबूत (Evidence) है तो उन्हें वह अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
- यदि आरोपी व्यक्ति यह साबित कर सके कि किसी अन्य व्यक्ति ने उसके मोबाइल या कैमरा का इस्तेमाल करके इस अपराध को किया है तो इससे भी उसका बचाव हो सकता है।
- अगर आरोपी घटना के समय घटना स्थल पर मौजूद नहीं था और उसके पास उसके उस जगह उपस्थित ना होने के आवश्यक सबूत है तो भी बचाव हो सकता है।
- आरोपी के पास अगर कोई गवाह (Witness) हैं जो अदालत में यह साबित कर सकें कि आरोपी निर्दोष है या उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं।
- ऐसे मामलों में आरोपी व्यक्ति को एक वकील की सहायता जरुर लेनी चाहिए, जो आपके केस को अच्छे से समझकर व आप पर लगे आरोपों की जांच करके बचाव के उपायों को इस्तेमाल करेगा।
निष्कर्ष:- BNS Section 77 महिलाओं की गोपनीयता और सम्मान की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह धारा महिलाओं के खिलाफ होने वाले ताका झांकी जैसे गंभीर अपराधों को रोकने और दोषियों को सजा दिलाने में सहायक है। ऐसे किसी भी कानूनी समस्या से जुड़े मामलों में कानूनी सलाह प्राप्त करने के लिए आज ही आप हमारे वकीलों से बात कर सकते है।
बीएनएस की धारा 78 क्या है
(BNS Section 78)
आजकल, हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहां तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। लेकिन इसी तकनीक का कुछ लोगों द्वारा गलत इस्तेमाल भी किया जा रहा है। इनमें से एक सबसे गंभीर अपराध है “स्टॉकिंग” यानी किसी व्यक्ति को बार-बार परेशान करना। सोशल मीडिया, स्मार्टफोन और अन्य तकनीकों ने स्टॉकर्स के लिए अपने शिकार तक पहुंचना आसान बना दिया है। इसलिए इस अपराध की जानकारी हम सभी को होना बहुत जरुरी है। जिससे हम ऐसे अपराधों को करके आरोपी बनने या इस अपराध का शिकार होने से अपना बचाव कर सकते है। इसलिए इस लेख द्वारा हम भारतीय न्याय संहिता की धारा 78 के बारे में समझेंगे, कि बीएनएस की धारा 78 क्या है (BNS Section 78 ) यह कब लग सकती है? इस धारा में सजा, जमानत और बचाव की जानकारी।
“स्टॉकिंग” जैसे अपराधों से महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए अभी कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354d के तहत केस दर्ज किए जाते थे। जिसे BNS के लागू किए जाने के बाद से ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 78 से बदल दिया गया है। अब से भविष्य में होने वाले इस अपराध के सभी मामलों पर धारा 78 के तहत ही केस दर्ज किए जाएंगे। इसलिए चाहे आप एक छात्र हों, कोई कानूनी पेशेवर हों या एक घर पर रहने वाली महिला हर किसी के लिए इस अपराध से जुड़ी आवश्यक जानकारियों के बारे में जानना व समझना बहुत ही आवश्यक है।
बीएनएस की धारा 78 क्या है – BNS Section 78
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 78 जिसे आमतौर पर “स्टॉकिंग” (पीछा करना) के रूप में जाना जाता है। यह कानून किसी महिला का पीछा करने व उसे बार-बार परेशान करने से बचाने के लिए बनाया गया है। यह धारा उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध उसका पीछा करते हैं या उससे जबरदस्ती संपर्क (Forced Contact) करने की कोशिश करते हैं।
धारा 78 कब लगती है? अपराध साबित करने वाली मुख्य बातें:
इस धारा के तहत अपराध साबित करने के लिए नीचे दी गई निम्नलिखित बातों को साबित करना आवश्यक है:-
- आरोपी (Accused) द्वारा बार-बार किसी महिला का पीछा करने की गतिविधियां (Activities) की गई हों।
- आरोपी की हरकतों से पीड़ित महिला को डर या असुविधा (Fear Or Discomfort) महसूस हुई हो।
- आरोपी की हरकतों के पीछे एक विशेष इरादा हो कि वह महिला को डराना या असुविधा में डालना चाहता हो।
- महिला के बार-बार मना करने के बाद भी आरोपी उससे बात करने की कोशिश करता हो, या उस पर किसी तरीके से नजर रखता हो।
कौन से काम इस धारा के तहत अपराध माने जा सकते है हैं?
- किसी महिला को बार-बार फोन करके परेशान करना, भले ही उसने फोन करने से मना किया हो।
- किसी महिला को बार-बार मैसेज करना, चाहे वह टेक्स्ट, ईमेल, या सोशल मीडिया पर हो।
- किसी महिला को उसके घर, काम की जगह या अन्य स्थानों पर बार-बार पीछा करना।
- किसी महिला को सार्वजनिक स्थानों पर बार-बार परेशान करना, जैसे कि दुकानों, बस स्टॉप, या पार्कों में।
- किसी लड़की को उसकी सहमति के बिना फोटो या वीडियो भेजना।
- किसी लड़की को सार्वजनिक रूप से अपमानित (Insulted) करना या उसकी प्रतिष्ठा (Prestige) को नुकसान पहुंचाना।
- किसी महिला को शारीरिक या भावनात्मक (Physically or Emotionally) रूप से नुकसान पहुंचाने की धमकी (Threat) देना।
- झूठी अफवाहें (False Rumours) फैलाकर किसी महिला का अपमान करने की कोशिश करना।
यह धारा कब लागू नहीं होती?
- अगर कोई पुलिस वाला किसी अपराधी (Criminal) को पकड़ने के लिए किसी महिला का पीछा कर रहा है, तो यह अपराध नहीं है।
- अगर कोई ऐसी खास परिस्थिति है जिसमें किसी आदमी को किसी महिला का पीछा करना जरूरी हो, तो यह अपराध नहीं हो सकता। जैसे किसी महिला की सुरक्षा व बचाव के लिए पीछा करने पर।
पीछा करने के प्रकार – Type of Stalking in Hindi
- फिजिकल स्टॉकिंग (Physical Stalking): इसमें स्टॉकर पीड़ित (Victim) का शारीरिक रूप से पीछा करता है, जैसे जहाँ भी वो महिला जाए उसी जगह उसका पीछा करना, उसके घर के आस-पास मंडराना आदि।
- साइबर स्टॉकिंग (Cyber Stalking): इसमें स्टॉकर इंटरनेट, सोशल मीडिया, ईमेल, या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति को परेशान करता है। यह मैसेज, ईमेल, या सोशल मीडिया पर लगातार संपर्क करने की कोशिश के रूप में हो सकता है।
- फोन स्टॉकिंग (Phone Stalking): इसमें स्टॉकर (Stalker) बार-बार फोन कॉल्स, टेक्स्ट मैसेज, या वॉयस मैसेज के जरिए पीड़ित को तंग करता है।
- गिफ्ट स्टॉकिंग (Gift Stalking): इसमें स्टॉकर बिना महिला की अनुमति (Permission) के लगातार उपहार (Gift) भेजता है, जिससे व महिला खुद को बहुत ही परेशान महसूस करने लगती है।
Note:- इसमें Stalker का मतलब ऐसे इंसान से है जो उपर बताए गए कार्यों द्वारा इस अपराध में करता है।
बीएनएस सेक्शन 78 लगने का उदाहरण
शिल्पा एक कॉलेज की छात्रा थी। वह रोजाना अपने घर से कॉलेज के लिए बस से जाती थी। एक दिन उस महसूस होता है कि कोई अजनबी व्यक्ति लगातार कई दिनों से उसका पीछा कर रहा है। शिल्पा जहाँ भी जाती वो व्यक्ति उसी जगह आ जाता और शिल्पा पर नजर रखता था। शुरू में उसने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन धीरे-धीरे जब उसे लगा कि वह व्यक्ति उसका ही पीछा कर रहा है।
उससे अगले दिन भी व व्यक्ति शिल्पा के कॉलेज के बाहर ही दिखाई देता है और उसकी तरह बहुत ही अजीब तरीके से देखता है। शिल्पा इस घटना से बहुत डर जाती है और उस अजनबी व्यक्ति के खिलाफ BNS की धारा 78 के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवा देती है।
महिला का पीछा करने की बीएनएस धारा 78 में सजा कितनी होती है
बीएनएस की धारा 78 के तहत किसी महिला का पीछा करने के अपराध के दोषी (Guilty) पाए जाने वाले व्यक्ति को पहली बार अपराध के लिए 3 साल तक की कैद की सजा से दंडित (Punished) किया जाता है।
लेकिन अगर वही व्यक्ति दोबारा इस अपराध को करने का दोषी पाया जाता है, तो सजा 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा दोषी व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है। जो न्यायालय (Court) द्वारा अपराध की गंभीरता और स्थिति के आधार पर तय किया जाता है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS की धारा 78 में जमानत कब व कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 78 के प्रावधान (Provision) के तहत किसी महिला को परेशान करना या पीछा करना एक गंभीर या संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) होता है। जिसमें पुलिस द्वारा बिना किसी वारंट के केवल पीड़ित महिला (Victim Woman) की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके साथ ही यह एक जमानती अपराध (Bailable Offence) होता है।
जिसमें पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के बाद आरोपी (Accused) व्यक्ति अपने वकील की सहायता से जमानत के लिए अदालत में आवेदन करके आसानी से जमानत (Bail) प्राप्त कर सकता है। यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है।
निष्कर्ष:- BNS Section 78 एक ऐसी कानूनी व्यवस्था है जो किसी व्यक्ति की निजता और सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। यह कानून उन लोगों को न्याय दिलाने में मदद करता है जो लगातार किसी के द्वारा परेशान किए जा रहे हैं। स्टॉकिंग यानी किसी व्यक्ति को बार-बार परेशान करना, एक गंभीर अपराध है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
बीएनएस की धारा 79 क्या है
(BNS Section 79)
हमारे देश में महिलाओं को लगातार बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से एक सबसे बड़ी चुनौती है उनके साथ होने वाले अपराध। कुछ ऐसे अपराध जो न केवल महिलाओं की जिंदगी को बर्बाद करते हैं बल्कि उन्हें डर कर रहने के लिए मजबूर कर देते है। किसी भी महिला के लिए उनका सम्मान व सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है। लेकिन आजकल चाहे घर हो, ऑफिस हो या फिर सड़क, महिलाएं हर जगह असुरक्षित महसूस करती हैं। इसलिए आज हम महिलाओं के सम्मान से जुड़ी एक भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में जानेंगे, की बीएनएस की धारा 79 क्या है (BNS Section 79 )? इस धारा में सजा और जमानत का क्या प्रावधान है?
महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान के लिए बहुत सारे नियम व कानून बनाए गए है, जिनमें से एक कानून है, महिलाओं की लज्जा की रक्षा करना। जिसके उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर अभी कुछ महीनों पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 509 लागू कर कार्यवाही की जाती थी। लेकिन BNS के लागू होते ही इस धारा को भारतीय दंड संहिता की धारा 79 से बदल कर आरोपी व्यक्तियों पर लागू किया जाने लगा है। जिसके बारे में आम नागरिकों से लेकर देश के प्रत्येक इंसान को संपूर्ण जानकारी होना बेहद जरुर है।
बीएनएस की धारा 79 क्या है – BNS Section 79
भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 महिलाओं के सम्मान और गरिमा (Honor Or Dignity) की रक्षा के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान (Legal Provision) है। यह धारा किसी महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाने के इरादे से बोले गए किसी भी शब्द, इशारे या कार्य को अपराध घोषित करती है। यह धारा महिलाओं को यौन उत्पीड़न और अपमान से बचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बीएनएस धारा 79 तब किसी व्यक्ति पर तब लागू होती है, जब कोई व्यक्ति जानबूझकर (Intentionally) किसी महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाने का प्रयास करता है। ऐसे व्यक्ति जो किसी महिला को शर्मिंदा करने, अपमानित करने या डराने के लिए शब्दों या कार्यों का उपयोग करता है। इस अपराध के लागू किए जाने के लिए शारीरिक संपर्क (यानी छूना) आवश्यक नहीं है, केवल बोल कर किसी महिला का अपमान करना ही अपराध माना जा सकता है।
धारा 79 लागू होने के मुख्य तत्व
- इस अपराध के लागू किए जाने के लिए आवश्यक है कि आरोपी (Accused) ने कोई ऐसा शब्द बोला हो, कोई ऐसा इशारा किया हो या कोई ऐसा कार्य किया हो जिससे किसी महिला की मर्यादा को ठेस पहुंची हो।
- यह महत्वपूर्ण है कि आरोपी द्वारा किया गया कार्य किसी महिला के खिलाफ उसका अपमान या लज्जा भंग करने के लिए किया गया हो।
- आरोपी का इरादा यह होना चाहिए कि वह अपने कार्यों से महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाए।
- आरोपी के द्वारा की गई हरकतों या कार्यों द्वारा किसी महिला की मर्यादा को वास्तव में ठेस पहुंची हो।
धारा 79 के तहत कुछ ऐसे कार्य जिनको करना कानूनी रुप से अपराध माना जा सकता है
- सार्वजनिक स्थान यानी लोगों के आने जाने वाले स्थानों पर किसी भी महिला से अश्लील बातें करना व उनके लिए गंदे शब्दों का प्रयोग करना।
- किसी महिला की अनुमति के बिना उसकी फोटो वीड़ियो बनाना व बाद में उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना।
- किसी महिला को बार-बार फोन करना, मैसेज करना, या उनके घर के बाहर खड़े रहना।
- किसी भी लड़की को देखकर सीटी बजाना, गंदे गाने गाना।
- किसी भी महिला के बारे में झूठी अफवाहें फैलाकर उसके सम्मान को नुकसान पहुँचाना।
- लगातार ज्यादा देर तक किसी महिला को घूरना व उसको गलत नजर से देखना। किसी महिला को उसके धर्म, जाति या लिंग के आधार पर अपमानित करना।
बीएनएस की सेक्शन 79 के जुर्म का उदाहरण
सुमन एक बहुत बड़ी कंपनी में काम करने वाली बहुत ही समझदार महिला होती है। जब भी सुमन अपने दफ्तर जाती है तो उसका बॉस साहिल अक्सर उसके बारे में कुछ-कुछ टिप्पणियां करते हैं, जैसे कि “आप बहुत अच्छी लग रही हैं या “आपको यह स्कर्ट बहुत अच्छी लग रही है”। इसके साथ ही साहिल अक्सर सुमन के पास आकर खड़े हो जाते हैं और उसे देर तक घूरते रहते है, जिससे सुमन को बहुत परेशानी होती है।
सुमन ने साहिल को कई बार ऐसा न करने के लिए कहा, लेकिन साहिल नहीं माना। आखिरी में सुमन ने परेशान होकर साहिल की शिकायत पुलिस में कर दी। जिसके बाद पुलिस द्वारा साहिल के खिलाफ BNS 79 के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्यवाही की गई।
बीएनएस की धारा 79 की सजा – Punishment Of BNS 79
बीएनएस सेक्शन 79 के प्रावधान (Provision) अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की लज्जा भंग करने या उसके सम्मान को ठेस पहुँचाने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे इस अपराध की सजा (Punishment) के तौर पर तीन साल तक की कारावास व जुर्माने (Imprisonment or Fine) से दंडित किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 में जमानत कब व कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 79 के अनुसार किसी महिला का अपमान करना एक संज्ञेय (Cognizable) यानी गंभीर अपराध होता है। जिसे महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न (Harassment) को रोकने के लिए गंभीर अपराधों की श्रेणी में रखा गया है। परन्तु यह अपराध जमानती (Bailable) होता है, जिसमें आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तारी के बाद अधिकार के तौर पर जमानत (Bail) पर रिहा कर दिया जाता है। यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है।
निष्कर्ष:- BNS Section 79 एक ऐसा कानून है जो महिलाओं की गरिमा और सम्मान की रक्षा के लिए बनाया गया है। यह कानून किसी भी व्यक्ति के लिए एक स्पष्ट संदेश देता है कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बीएनएस की धारा 80 क्या है
(BNS Section 80)
दहेज हत्या
दहेज से संबंधित अपराध भारत में बहुत पुराने समय से ही एक बड़ी समस्या रहे है, जिसमें पता नहीं कितनी महिलाओं को दहेज की मांग के कारण उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और यहां तक कि मौत का सामना करना पड़ा है। दहेज हत्या (Dowry Death) केवल एक कानूनी अपराध नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर समस्या है जिसे सख्त कानून और जागरूकता के माध्यम से ही नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए आज हम दहेज हत्या से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धारा 80 के बारे में समझेंगे, की बीएनएस की धारा 80 क्या है (BNS Section 80 )? दहेज हत्या की सजा क्या है और धारा 80 में जमानत कैसे मिलती है?
इस धारा का मुख्य उद्देश्य ऐसे गंभीर अपराधों को रोकना और पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना है। इससे पहले आईपीसी की धारा 304b के तहत ऐसे अपराध के आरोपी व्यक्तियों पर कार्यवाही की जाती थी। परन्तु IPC से बदल कर BNS के नए कानून के रुप में लागू होते ही दहेज हत्या के सभी मामलों पर बीएनएस की धारा 80 के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही की जाने लगी है। इसलिए ना सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि देश के हर नागरिक के लिए इस अपराध से जुड़ी सभी उपयोगी जानकारियों की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है।
बीएनएस धारा 80 क्या है कब लगती है – BNS Section 80
भारतीय न्याय संहिता की धारा 80 दहेज हत्या (Dowry Death) के अपराध से संबंधित है। जिसमें दहेज के लिए किसी महिला की उसके पति या उसके पति के परिवार वालों द्वारा हत्या कर दी जाती है। दहेज हत्या का अपराध कानूनी रुप से एक बहुत ही गंभीर अपराध माना जाता है, जिसमें दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों को कठोर से कठोर सजा दी जा सकती है।
दहेज हत्या के अपराध को मुख्य रुप से 2 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा बताया गया है जो कि इस प्रकार है:-
- बीएनएस धारा 80 (1): इसमें केवल दहेज हत्या के अपराध की परिभाषा को बताया गया है। जब किसी महिला की शादी के सात साल के अंदर आग से जलने, शारीरिक चोट या अन्य किसी अप्राकृतिक कारणों से मृत्यु हो जाती है। और यह साबित हो जाता है कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित (Tortured) किया गया था तो उसके पति या उसके रिश्तेदारों पर धारा 80 (1) के तहत दहेज हत्या के आरोप (Blame) लगाकर कार्यवाही की जा सकती है।
- बीएनएस धारा 80 (2): इसमें केवल दहेज हत्या के दोषी व्यक्तियों को दी जाने वाली सजा (Punishment) के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति दहेज हत्या का दोषी पाया जाता है, तो उसे धारा 80(2) के तहत कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित (Punished) किया जा सकता है।
दहेज हत्या क्या होती है?
वैसे तो हर किसी को दहेज के बारे में जानकारी है, लेकिन जिनको नहीं पता उनके लिए दहेज (Dowry) के अपराध के बारे में भी समझना जरुरी है। दहेज भारत के कई हिस्सों में बहुत ही पुराने समय से चली आ रही एक ऐसी सामाजिक प्रथा है। जिसमें शादी के दौरान या शादी के बाद लड़की के परिवार वाले लड़के के परिवार वालो को कोई सामान या धन दहेज के रुप में देते है। इसलिए कई बार कम दहेज मिलने पर लड़के वाले उस लड़की की दहेज के लालच में हत्या (Murder) कर देते है, जो कि एक बहुत ही गंभीर अपराध है।
धारा 80 के अपराध को लागू करने वाली मुख्य बाते
- यह अपराध तब लागू हो सकता है जब किसी महिला की मृत्यु उसकी शादी के 7 साल के अंदर होती है।
- महिला की मृत्यु की वजह या तो जलने, शारीरिक चोट से होनी चाहिए या फिर असामान्य परिस्थितियों (Unusual Circumstances) में होनी चाहिए।
- महिला को दहेज की मांग के कारण पति या पति के रिश्तेदारों के द्वारा मानसिक या शारीरिक रूप से पीड़ा दी गई हो।
- उस महिला के साथ यह क्रूरता या उत्पीड़न (Cruelty & Harassment) उसकी मृत्यु के कुछ समय पहले हुआ होना चाहिए।
ऐसे कार्य जिनको करना धारा 80 के तहत एक गंभीर अपराध बन सकता है?
- दहेज के लालच में आकर किसी महिला को आग लगाकर जला देना।
- किसी महिला को दहेज के लिए परेशान करना व उसके खाने पीने की चीजों में जहर मिलाकर उसकी हत्या कर देना।
- अपनी मर्जी का सामान या दहेज ना मिलने पर महिला के साथ मार-पीट करना या शारीरिक रुप से नुकसान पहुँचाना।
- किसी महिला व उसके परिवार वालो को पैसे या गाड़ी के लालच में मानसिक रुप से परेशान करना। जैसे:- उनका अपमान करना, धमकियाँ देना।
- दहेज ना मिलने पर किसी महिला के लिए ऐसा माहौल बना देना जिससे व आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाए।
- दहेज की मांग के कारण भ्रूण हत्या की धमकी देना।
बीएनएस सेक्शन 80 लगने का उदाहरण
सुमन एक पढ़ी लिखी व आत्मनिर्भर महिला थी। जो अन्य लड़कियों की तरह शादी के बाद के अपने जीवन को बहुत ही खुशी से जीना चाहती थी। एक दिन उसकी शादी राजेश नाम के व्यक्ति से हो जाती है, जो की एक मध्यमवर्गीय (Middle Class) परिवार से था। शादी के कुछ महीने बाद ही राजेश और उसके परिवार वाले सुमन से दहेज के लिए महंगी गाड़ी की मांग शुरु कर देते है। सुमन इस बारे में अपने माता-पिता से बात करती है। लेकिन उसके माता-पिता इतने के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे दहेज में गाड़ी दे सके।
कुछ ही दिनों बाद राजेश और उसके परिवार वाले सुमन को रोजाना मारने व बहुत ज्यादा परेशान करने लगे। ऐसा अपराध सुमन के साथ बहुत ज्यादा होने लगा और एक दिन राजेश व उसके परिवार वालों ने सुमन को बहुत बुरी तरह पीटा। जिससे सुमन की हालत बहुत खराब हो गई और उसी समय उसकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद राजेश व उसके परिवार वालो पर BNS की धारा 80 के तहत दहेज हत्या के अपराध के तहत कार्यवाही की गई।
बीएनएस धारा 80 (2) की सजा | Punishment Under BNS Section
भारतीय न्याय संहिता की धारा 80 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति दहेज हत्या के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उसे धारा 80 की उपधारा 2 के तहत दंडित (Punished) किया जाता है। जिसमें उसे किए गए अपराध की गंभीरता के आधार पर कम से कम 7 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की कैद व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
BNS Section 80 में जमानत का प्रावधान
बीएनएस की धारा 80 के तहत किसी महिला की दहेज के लिए हत्या कर देना एक गंभीर अपराध माना जाता है। महिलाओं के साथ होने वाले इस अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए ही इसे संज्ञेय व गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable) भी रखा गया है। इसमें यदि किसी व्यक्ति पर दहेज हत्या के आरोप लगते है तो उसे पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। जिसके बाद आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) मिलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही इस अपराध में किसी भी प्रकार का समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता है, और यह सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।
भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 80 के आरोपी के लिए आवश्यक बचाव उपाय
- यदि किसी व्यक्ति पर दहेज हत्या के अपराध के आरोप लगते है तो उन्हें सबसे पहले ऐसे मामलों में अनुभवी वकील (Experienced Lawyer) के पास जाकर मदद लेनी चाहिए।
- वकील आप पर लगाए गए आरोपों को अच्छे से समझेगा व उसके बाद आपके बचाव (Defence) के लिए आगे की कार्यवाही करेगा।
- साथ ही वकील यह भी देखेगा की आप पर दहेज के झूठे आरोप (False Blame) तो नहीं लगे या सबूतों की कमी को देखते हुए वो आपके बचाव के लिए आगे की कार्यवाही करेगा।
- यदि आरोपी के पास के पास कोई ऐसा सबूत (Evidence) है जो यह साबित कर सके कि उसने ऐसा कोई अपराध नहीं किया तो उन सबूतों को अपने वकील की सहायता से न्यायालय के सामने जरुर पेश करें।
- यदि आपका कोई रिश्तेदार जो आपके निर्दोष (Innocent) होने की बात को जानता है और आपके पक्ष में गवाही दे सके तो वह भी आपके बचाव में बहुत काम आ सकते है।
- अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का हमेशा ध्यान रखें खुद के बचाव के लिए कोई भी ऐसा बयान ना दे जिससे आपको कोई समस्या हो जाए।
- अदालत द्वारा निर्धारित सभी निर्देशों और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें। किसी भी प्रकार की लापरवाही व न्यायालय की अवज्ञा (Disobedience) करने से बचें, क्योंकि यह आपके मामले को नुकसान पहुँचा सकता है।
निष्कर्ष:- BNS Section 80 का उद्देश्य व्यक्तियों को दहेज मांगने या स्वीकार करने से रोकना है, जिससे दहेज से संबंधित अपराधों की घटनाओं में कमी आएगी। यदि किसी भी महिला पर इस तरह का कोई अपराध किया जा रहा है, तो समय रहते कानूनी सहायता लेकर अपनी सुरक्षा के लिए बनाए गए अधिकारों का उपयोग जरुर करें। यदि आप घर बैठे किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह या सहायता पाना चाहते है तो आज ही हमारे वकीलों से बात कर सकते है।
बीएनएस की धारा 81 क्या है
(BNS Section 81)
किसी व्यक्ति द्वारा धोखे से वैध विवाह का विश्वास पैदा कर सहवास करना
प्रत्येक पुरुष जो धोखे से किसी भी महिला को, जो उससे कानूनी रूप से विवाहित नहीं है, यह विश्वास दिलाता है कि वह उससे कानूनी रूप से विवाहित है और उस विश्वास के साथ उसके साथ सहवास या यौन संबंध बनाता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी। जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी देना होगा।
बीएनएस की धारा 82 क्या है
(BNS Section 82)
दूसरी शादी की धारा में सजा, जमानत और बचाव
आजकल ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं जहां लोग अपनी स्वार्थी इच्छाओं के चलते कानून को नजर अंदाज कर एक से ज्यादा विवाह कर रहे है। इन मामलों में अक्सर महिलाओं का शोषण होता है और उन्हें गंभीर मानसिक और भावनात्मक पीड़ा झेलनी पड़ती है। पहले पति या पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह सिर्फ एक कानूनी अपराध ही नहीं है, बल्कि कई परिवार के जीवन को खराब कर देता है। इसलिए, इस मुद्दे के बारे में जागरूक होना और इसके लिए बनाए गए कानूनों की जानकारी होना बेहद जरुरी है। आज हम भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के विस्तार से जानकारी देंगे की, बीएनएस की धारा 82 क्या है (BNS Section 82 )? इस धारा के लागू होने के मुख्य बिंदु, सजा, जमानत और बचाव के प्रावधान?
भारतीय कानूनों में हुए बदलावों ने विवाह संबंधी अपराधों से निपटने के तरीके को भी बदल दिया है। पहले, दोहरे विवाह (Double Marriage) जैसे मामलों में आमतौर पर IPC की धारा 494 व 495 के तहत मुकदमे दर्ज होते थे। लेकिन, IPC की जगह BNS के द्वारा लिए जाने के बाद से अब ऐसे मामलों में BNS की धारा 82 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस लेख को पढ़ने के बाद आप धारा 82 के बारे में पूरी तरह से समझ जाएंगे और इसके सभी प्रावधानों की भी विस्तार से जानकारी आपको प्राप्त हो जाएगी।
बीएनएस की धारा 82 क्या है – BNS Section 82
भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 द्विविवाह (Bigamy) के अपराध के बारे में बताती है। जो भी व्यक्ति अपने जीवनसाथी के जीवित रहते हुए, किसी अन्य व्यक्ति से विवाह करता है, यह धारा उस व्यक्ति पर लागू होती है। सरल भाषा में कहे तो, यदि कोई पुरुष या महिला पहले से विवाहित (Married) है और फिर भी किसी दूसरे पुरुष या महिला से शादी करता है, तो वह धारा 82 के अपराध का दोषी पाया जा सकता है।
BNS Section 82 के इस अपराध को 2 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है जो कि इस प्रकार है:-
- बीएनएस की धारा 82 (1):- यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जो अपने जीवनसाथी के जीवित रहते हुए, व बिना उसे तलाक (Divorce) दिए दूसरा विवाह (Second Marriage) कर लेता है या लेती है। इस अपराध के दोषी पुरुष या महिला को जेल व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।
- बीएनएस की धारा 82 (2):- इस उपधारा के अनुसार यदि कोई किसी दूसरे व्यक्ति से विवाह करता है और उस विवाह से पहले किए गए विवाह की जानकारी को छुपाता है, तो उस व्यक्ति पर धारा 82(2) के तहत कार्यवाही की जाती है। इसमें दोषी (Guilty) साबित होने वाले व्यक्ति को 82(1) में दी गई सजा से अधिक सजा से दंडित किया जा सकता है। जिसके बारे में आगे विस्तार से जानेंगे।
उदाहरण:- राहुल ने अपनी पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी की, जिससे उसकी दूसरी पत्नी के साथ बाद में धोखा हुआ।
बीएनएस धारा 82 के महत्वपूर्ण बिंदु:-
- आरोपी व्यक्ति की पहली शादी कानूनी और मान्य (Legal & Valid) होनी चाहिए और वह शादी अभी भी जारी होनी चाहिए।
- आरोपी व्यक्ति ने पहली शादी के होते हुए दूसरी शादी की हो।
- आरोपी ने दूसरी शादी करते समय अपने पहले विवाह की जानकारी को जानबूझकर (Intentionally) छिपाया हो।
- पहले विवाह को छिपाने का उद्देश्य दूसरे व्यक्ति को धोखा देना हो।
- अगर पहली शादी कानूनी रूप से खत्म हो गई है या पहली पत्नी/पति की मृत्यु हो चुकी है, तो धारा 82 लागू नहीं होती।
धारा 82 के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
- पहले से ही शादीशुदा होते हुए किसी दूसरे पुरुष या महिला से शादी कर लेना।
- पहली पत्नी/पति के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करना।
- पहली शादी को खत्म किए बिना दूसरी शादी करना यानी बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर लेना।
- जिससे दूसरी शादी की जा रही है उससे पहली शादी की जानकारी छिपाना भी एक अपराध है।
- दूसरी शादी करते समय पहली शादी से जुड़े दस्तावेज (Documents) छिपाना।
- दूसरी शादी में पहले विवाह के बारे में झूठे दस्तावेज (False Documents) पेश करना।
- पहले विवाह के बच्चों की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी करना।
बीएनएस सेक्शन 82 के अपराध का उदाहरण
प्रतीक और सीमा की शादी बड़े धूमधाम से कई वर्षों पहले हुई थी। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और खुशहाल जिंदगी जी रहे थे। लेकिन शादी के पांच साल बाद, कुछ कारणों से रमेश और सीमा के बीच दूरियां बढ़ने लग जाती है। कुछ समय बाद प्रतीक की मुलाकात नेहा नाम की एक लड़की से होती है।
नेहा रमेश को बहुत ही पसंद करने लगती है, और दोनों शादी करने का फैसला कर लेते है। लेकिन प्रतीक ने नेहा को यह नहीं बताया कि वह पहले से शादीशुदा है और उसकी पहली पत्नी सीमा अभी भी जीवित है। जिसके बाद नेहा बिना किसी जानकारी के प्रतीक से शादी कर लेती है।
कुछ महीनों बाद जब नेहा को प्रतीक की पहली शादी के बारे में पता चलता है तो वह बहुत दुखी और गुस्सा हो जाती है। उसने महसूस किया कि प्रतीक ने उसे धोखा दिया है। जिसके बाद नेहा प्रतीक की शिकायत पुलिस में कर देती है। पुलिस के द्वारा प्रतीक के खिलाफ पहली पत्नी के होते हुए शादी करने व शादी की जानकारी अपनी दूसरी पत्नी नेहा से छिपाने के जुर्म में BNS Section 82 (1) व (2) के तहत कार्यवाही की जाती है।
बीएनएस धारा 82 के तहत सजा – Punishment Under BNS Section 82
बीएनएस की धारा 82 के अंतर्गत पहले से ही शादीशुदा होते हुए दूसरी शादी करने व पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी करने के अपराध की सजा को अलग- अलग प्रकार से दो उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा ही बताया गया है, जो कि इस प्रकार है:-
- BNS 82(1) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति अपनी पहली पत्नी या पति के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करता है, तो धारा 81(1) के तहत दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की जेल और जुर्माने (Imprisonment Or fine) की सजा हो सकती है।
- BNS 82(2) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति दूसरी शादी करते समय अपनी पहली शादी की जानकारी जानबूझकर छिपाता है, तो इस धारा के तहत 10 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 82 में जमानत का प्रावधान
बीएनएस की धारा 82 के अनुसार दूसरा विवाह करने का अपराध गैर-संज्ञेय (Non-Cognizable) हैं। इसका अर्थ है कि पुलिस इन मामलों में बिना अदालत के आदेश या वारंट के सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती। है। इसके साथ ही धारा 82 जमानती (Bailable) हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति पर इस अपराध के तहत आरोप (Blame) लगाए जाते हैं, तो उसे अदालत में जमानत आसानी से मिल सकती है। लेकिन यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौते के योग्य (Compoundable) नहीं हैं। यानी, इन अपराधों में पीड़ित और आरोपी के बीच आपसी समझौता नहीं किया जा सकता है।
इस धारा के अपवाद व आरोपी व्यक्तियों के लिए कुछ जरुरी बचाव उपाय
- यदि आरोपी साबित कर सके कि पहली शादी कानूनी रूप से अमान्य (Invalid) थी (जैसे, विवाह अवैध रीति-रिवाजों से हुआ था), तो इस से बचाव हो सकता है।
- अगर आरोपी साबित कर सके कि दूसरी शादी से पहले उसकी पहली पत्नी या पति की मृत्यु (Death) हो चुकी थी, तो यह भी एक मजबूत बचाव हो सकता है।
- अगर आरोपी दिखा सके कि दूसरी शादी से पहले तलाक (Divorce) हो चुका था और पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त हो गई थी, तो इसे भी बचाव के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कुछ धर्मों में (जैसे इस्लाम), एक से अधिक शादी करने की अनुमति है। अगर आरोपी इस छूट के अंतर्गत आता है, तो यह भी बचाव हो सकता है।
- अगर आरोपी साबित कर सके कि उसने दूसरी शादी से पहले अपने पहले विवाह के बारे में पूरी जानकारी दी थी और दूसरी पार्टी ने इसे स्वीकार किया था, तो यह एक मजबूत बचाव हो सकता है।
- अगर यह साबित हो जाए कि जानकारी छिपाने का इरादा नहीं था, बल्कि यह एक अनजानी गलती थी।
निष्कर्ष:- BNS धारा 82 (1) (2) एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो समाज में विवाह की पवित्रता को बनाए रखने में मदद करता है। यह धारा एक से ज्यादा विवाह करने जैसी कुप्रथा को रोकती है और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करती है। यदि आपको बीएनएस धारा 82 या किसी अन्य कानूनी मामले से संबंधित कोई समस्या है, तो हमारे अनुभवी वकीलों से संपर्क करने में संकोच न करें। हम आपको आपके मामले में सर्वोत्तम कानूनी सलाह प्रदान करेंगे।
बीएनएस की धारा 83 क्या है
(BNS Section 83)
वैध विवाह के बिना धोखे से विवाह समारोह संपन्न हुआ
जो कोई बेईमानी से या कपटपूर्ण इरादे से, यह जानते हुए भी कि उसने कानूनी तौर पर शादी नहीं की है, शादी की रस्म पूरी करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही उसे दंडित भी किया जाएगा। जुर्माना लगाया जा सकता है.