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BNS (भारतीय न्याय संहिता ) Part- 12

बीएनएस धारा 321 क्या है |

BNS Section 321

बेईमानी से या धोखाधड़ी से लेनदारों के लिए ऋण उपलब्ध होने से रोकना

       जो कोई बेईमानी से या धोखाधड़ी से अपने या किसी अन्य व्यक्ति के कारण किसी ऋण या मांग को अपने ऋण या ऐसे अन्य व्यक्ति के ऋण के भुगतान के लिए कानून के अनुसार उपलब्ध होने से रोकता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी। जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 322 क्या है |

BNS Section 322

गलत प्रतिफल विवरण वाले हस्तांतरण विलेख का बेईमानी से या धोखाधड़ी से निष्पादन

        जो कोई बेईमानी से या कपटपूर्वक किसी ऐसे विलेख या लिखत पर हस्ताक्षर करता है, निष्पादित करता है या उस पर एक पक्ष बनता है जिसका तात्पर्य किसी संपत्ति, किसी संपत्ति, या उसमें किसी हित को हस्तांतरित करना या उसके अधीन होना है, और जिसमें ऐसे हस्तांतरण के लिए विचार के संबंध में कोई गलत बयान शामिल है या आरोप, या उस व्यक्ति या व्यक्तियों से संबंधित जिसके उपयोग या लाभ के लिए यह वास्तव में संचालित होने का इरादा है, किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 323 क्या है |

BNS Section 323

बेईमानी से या धोखाधड़ी से संपत्ति को हटाना या छिपाना

         जो कोई बेईमानी से या धोखाधड़ी से अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की किसी संपत्ति को छुपाता है या हटाता है, या बेईमानी से या धोखाधड़ी से उसे छुपाने या हटाने में सहायता करता है, या बेईमानी से कोई मांग या दावा जारी करता है जिसका वह हकदार है, उसे कारावास की सजा दी जाएगी। ऐसी अवधि का विवरण जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 324 क्या है |

BNS Section 324

         हमारे जीवन में कोई ना कोई ऐसा व्यक्ति जरुर होता है, जो हमें या हमारी किसी खास वस्तु को नुकसान पहुँचाने के इंतजार में रहता है। जब भी उसे मौका मिलता है वो किसी शरारत से नुकसान भी पंहुचा देता है। ऐसे में उस व्यक्ति को सजा दिलाने के लिए हमारे द्वारा क्या कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए, आज के लेख द्वारा हम आपको इसी विषय पर जानकारी देंगे। इसलिए आज हम आपको भारतीय न्याय संहिता के तहत शरारत के अपराध की धारा के बारे में विस्तार से जानेंगे की बीएनएस की धारा 324 क्या है (BNS Section 324 )? शरारत के अपराध की इस धारा में सजा, जमानत और बचाव के प्रावधान?

         शरारत यानी कोई ऐसा कार्य जिसके द्वारा किसी व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कार्य को अपराध माना जाता है। ऐसे अपराधों के लिए कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) 425, 427 व 440 के अलग-अलग प्रावधानों को लागू किया जाता था। परन्तु अब इन सभी को एक साथ मिलाकर हाल ही बने नए कानून BNS यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 व उसकी उपधाराओं के तहत लागू किया जाने लगा है। इसलिए आज हम आपको BNS Section 324 की संपूर्ण जानकारी देंगे। ऐसी जानकारी जो ना केवल इस अपराध के आरोपी व्यक्तियों को आगे कि कार्यवाही व बचाव उपायों में काम आएगी। साथ ही देश के हर नागरिक को ऐसे अपराधों को करने व उनसे होने वाले नुकसान से बचाएगी।

बीएनएस की धारा 324 क्या है, कब लगती है – BNS Section 324 

      भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 शरारत (Mischief) के कार्य को अपराध के रुप में परिभाषित करती है। इसमें कहा गया है कि जो भी व्यक्ति आम जनता को या किसी व्यक्ति को गलत तरीके से नुकसान या क्षति पहुँचाने का कार्य करता है, जैसे – किसी संपत्ति को तोड़ देना, उसमें बदलाव कर देना। उस व्यक्ति पर धारा 324 व उसकी उपधाराओं (Sub Sections) के तहत कार्यवाही की जाती है।
सरल भाषा में इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी संपत्ति (Property) को नुकसान पहुँचाता है, जिससे उस संपत्ति के मालिक या जनता को नुकसान होता है तो वह शरारत करने का अपराध कहलाता है।

           बीएनएस की धारा को मुख्य रुप से 6 उपधाराओं में बाँटा गया है, जिसमें अपराध की गंभीरता के हिसाब से सजा के बारे में बताया गया है। जो कि इस प्रकार है:-

  1. बीएनएस धारा 324 की उपधारा (1): जो भी व्यक्ति आम जनता या किसी व्यक्ति की संपत्ति को जानबूझकर व गलत तरीके से नुकसान (Damage) पहुँचाता है या उसमें बदलाव करके उसकी कीमत कम करता है। तो उस व्यक्ति पर बीएनएस 324 की उपधारा(1) के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाती है।
  2. बीएनएस धारा 324 की उपधारा (2): इसमें केवल धारा 324(1) के अपराध की सजा (Punishment) के बारे में बताया गया है। जो भी व्यक्ति इस अपराध को करने का दोषी (Guilty) पाया जाएगा, उसे जेल व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
  3. बीएनएस सेक्शन 324 की उपधारा (3) इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति सरकार या स्थानीय प्राधिकरण (Govt Or local Authority) की किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है। उस व्यक्ति पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 324(3) के तहत कार्यवाही की जाती है।
  4. बीएनएस धारा 324 (4) इस Section के प्रावधान अनुसार यदि कोई शरारत करता है जिससे बीस हजार रुपये या उससे अधिक किन्तु एक लाख रुपये से कम की हानि या क्षति (Loss Or Damage) होती है तो उस व्यक्ति को अलग से सजा के बारे में बताया गया है।
  5. बीएनएस धारा 324 (5) इसके तहत यदि कोई शरारत का अपराध करता है जिससे एक लाख रुपये या उससे अधिक की हानि या क्षति होती है। तो उस व्यक्ति को BNS Section 324 की अन्य उपधाराओं से ज्यादा सजा मिलती है।
  6. बीएनएस धारा 324 (6) जो कोई भी शरारत के अपराध के दौरान किसी व्यक्ति को मृत्यु, चोट, गलत तरीके से रोकने का भय (Fear) पैदा करने की तैयारी करता है। उस मामले में सजा को अन्य सभी उपधाराओं के मुकाबले और भी सख्त कर दिया जाता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 की मुख्य बातें:-
  • इसमें अपराधी का संपत्ति के मालिक को नुकसान पहुंचाने का इरादा (Intention) जरूरी नहीं है। इसका मतलब है कि ऐसे मामलों में मुख्य रुप से अपराधी व्यक्ति केवल प्रॉपर्टी को नुकसान पहुँचाता है ना कि उसके मालिक को किसी भी प्रकार का शारीरिक नुकसान।
  • यह धारा सार्वजनिक संपत्ति (Public Property) को नुकसान पहुंचाने पर भी लागू (Apply) होती है।
  • सजा की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि क्या नुकसान पहुंचाने की योजना पहले से ही बनाई गई थी।
  • इसमें किसी भी संपत्ति को पूरी तरह से नुकसान पहुँचाना या नष्ट (Destroyed) करना शामिल है।
  • इसमें ऐसे कार्य शामिल हैं जो संपत्ति को आगे के उपयोग के काबिल नहीं रहने देते, जिससे उनकी कीमत भी कम हो जाती है।
  • इस अपराध का महत्वपूर्ण तत्व अपराधी का इरादा है। यह कार्य गलत तरीके से नुकसान या क्षति पहुँचाने के इरादे से किया जाना चाहिए। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि केवल असुविधा या परेशानी पैदा करना इस धारा के तहत शरारत नहीं माना जाएगा।
  • यदि अपराधी ने किसी व्यक्ति को मृत्यु, चोट, गलत तरीके से रोकना या इनमें से किसी भी चीज का डर पैदा करने के लिए पहले से तैयारी की है, तो उसे सख्त से सख्त सजा हो सकती है।
BNS धारा 324 के तहत अपराध माने जाने वाले आम कार्य
  • किसी भी संपत्ति को जलाना या आग लगा कर नुकसान पहुँचाने की कोशिश करना।
  • किसी कंपनी की मशीनों, उपकरणों (Devices) व अन्य वस्तुओं को तोड़ना।
  • किसी व्यक्ति के खेतों में फसलों (Crops) को जानबूझकर नष्ट करना या नुकसान पहुंचाना।
  • किसी व्यक्ति की कार, मोटरसाइकिलों या अन्य वाहनों को नुकसान पहुँचाना।
  • बिजली लाइनों, टेलीफोन लाइनों या इंटरनेट कनेक्शन की तारों को तोड़ना।
  • सार्वजनिक संपत्ति जैसे पार्क, सड़क व अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना।
  • मंदिरों, मस्जिदों या चर्चों जैसी धार्मिक इमारतों (Religious Buildings) को नुकसान पहुंचाना।

       इनसे अलग भी बहुत सारे ऐसे कार्य हो सकते है जिनको करने पर आप पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 के तहत कार्यवाही की जा सकती है। जिसमें दोषी पाये जाने पर आपको जेल भी जाना पड़ सकता है, इसलिए कोई भी ऐसा गलत कार्य ना करें।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 का उदाहरण

        राहुल और अर्जुन दोनों एक ही पार्क में खेलते थे। एक दिन राहुल की नजर अर्जुन की नई मोटर साइकिल पर पड़ती है, राहुल को मोटर साइकिल बहुत पसंद आती है। जिसके बाद राहुल अर्जुन से उस मोटर साइकिल को कुछ दिन अपने साथ ले जाने के लिए मांगता है। लेकिन अर्जुन उसे देने से मना कर देता है। जिसके कारण राहुल को बहुत गुस्सा आ जाता है और वो उसकी मोटर साइकिल को पत्थर मार-मार कर बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचा देता है।

        जिसके बाद दोनों में झगड़ा हो जाता है, इसके साथ ही जब अर्जुन अपनी मोटर साइकिल को लेकर घर जाने लगता है। तो राहुल उसे भी नुकसान पहुँचाने की धमकी देकर घर जाने से रोकता है। इस सब से परेशान होकर अर्जुन पुलिस के पास फोन कर देता है। कुछ ही समय बाद पुलिस वहाँ आती है, अर्जुन पुलिस को सारी घटना के बारे में बता देता है। जिसके बाद पुलिस राहुल के खिलाफ अर्जुन की मोटर साइकिल को नुकसान पहुंचाने की BNS Section 324 के तहत शिकायत दर्ज कार्यवाही करती है।

BNS Section 324 के तहत अपराध की सजा (Punishment)

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 के तहत शरारत के अपराध के लिए दंड को नुकसान की सीमा के आधार पर अलग-अलग प्रकार से बताया गया है जो कि इस प्रकार है:-

  • BNS 324 (2) की सजा:- धारा 324(2) में साधारण शरारत के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को छह महीने तक की कैद व जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
  • BNS 324 (3) की सजा:- जो कोई भी व्यक्ति सरकार या स्थानीय प्राधिकरण की संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का दोषी (Guilty) पाया जाता है। उस व्यक्ति को एक वर्ष तक की अवधि के लिए कारावास या जुर्माने (Imprisonment or fine) या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
  • BNS 324 (4की सजा:- यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को बीस हजार रुपये या उससे अधिक किन्तु एक लाख रुपये से कम का नुकसान करेगा। उसे दो वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
  • BNS 324 (5की सजा:- यदि कोई शरारत का अपराध करता है जिससे एक लाख रुपये या उससे अधिक की हानि होती है, तो दोषी व्यक्ति को 5 साल तक की जेल व जुर्माने से दंडित (Punished) किया जाएगा।
  • BNS 324 (6की सजा:- जो भी व्यक्ति इस अपराध के दौरान किसी व्यक्ति को मृत्यु, चोट, गलत तरीके से रोकने का भय पैदा करने की तैयारी करता है। ऐसे अपराध के दोषी व्यक्ति को 5 वर्ष तक की कैद व जुर्माने की सजा हो सकती है।
बीएनएस​ की धारा 324 में जमानत कब व कैसे मिलती है

        बीएनएस की धारा 324 में अपराध की गंभीरता को देखते हुए ही जमानत (Bail) के फैसले पर विचार किया जा सकता है। यदि अपराध कम गंभीर है तो उसमें आरोपी (Accused) को जमानत मिल जाती है। लेकिन वही अगर किसी संपत्ति को ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया है, तो यह ज्यादा गंभीर मामला हो जाता है। जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है, जैसे धारा 324 (6) को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

BNS Section 324 के अपराध में बचाव के कुछ उपाय
  1. भारतीय न्याय संहिता की धारा 324 के तहत अगर किसी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया जाता है, तो सबसे पहले आपको अपने बचाव के लिए सबसे पहले एक वकील की आवश्यकता होगी।
  2. वकील ही आपके मामले को कोर्ट में पेश करेगा व आपको बचाने का हर संभव प्रयास करेगा।
  3. आपको इस मामले में अपने बचाव के लिए यह साबित करना होगा कि आपका किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का कोई गलत इरादा (Wrong Intention) नहीं था।
  4. अगर उस संपत्ति के मालिक ने खुद आपको उसकी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की सहमति दी थी, तो इसे भी आप बचाव के रुप में इस्तेमाल कर सकते है।
  5. यदि आपके पास किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का कानूनी अधिकार (Legal Rights) था, तो आपका बचाव हो सकता है।
  6. यदि आपसे नुकसान दुर्घटनावश (Accidental Damage) हुआ था तो भी आपका बचाव हो सकता है।
  7. यदि किसी अन्य व्यक्ति ने आपको धमकी (Threat) देकर ऐसा कार्य करने के लिए मजबूर किया हो।
  8. कोर्ट में ऐसे सबूत (Evidence) जरुर पेश करें, जो आपको बेगुनाह साबित कर सकते है।

इसके अलावा भी ऐसे आपराधिक मामलों से बचाव के बहुत सारे उपाय हो सकते है। ऐसे मामलों में आप सभी को वकील का परामर्श जरुर लेना चाहिए।

निष्कर्ष :- बीएनएस की धारा 324 किसी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वाले व्यक्तियों को सजा व जुर्माना लगाकर रोकने के लिए एक बहुत ही आवश्यक कानून है। इसके जरिए पीड़ित व्यक्ति को जल्द से जल्द न्याय मिलता है, और इससे उनका कानून पर भरोसा भी बना रहता है। यदि आप भी इस प्रकार के किसी अपराध से पीड़ित है या आप पर इस अपराध के तहत मामला दर्ज किया गया है। तो आगे की कार्यवाही के लिए कानूनी सलाह प्राप्त करने के लिए हमारे काबिल वकीलों से बात कर सकते है।

बीएनएस धारा 325 क्या है |

BNS Section 325

         आजकल, सोशल मीडिया और समाचारों में पशु क्रूरता के कई ऐसे मामले सामने आते हैं जो हमें झकझोर कर रख देते हैं। ये घटनाएं न केवल जानवरों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा हैं। पशु क्रूरता सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के मानवीय मूल्यों पर एक हमला है। इस लेख में हम जानवर को मारकर या अपंग बनाकर शरारत करने के अपराध में कार्यवाही करने वाली भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में विस्तार से जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 325 क्या है (BNS Section 325)? इस धारा में दोषी को सजा कितनी होती है? धारा 325 में बेल मिलती है या नही?

           हमारे समाज में पशुओं के प्रति क्रूरता के बढ़ते मामलों ने चिंता का विषय बना दिया है। पहले, ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 428 और 429 के तहत कार्रवाई की जाती थी। लेकिन कानूनी बदलावों के चलते अब इन मामलों को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 325 के तहत दर्ज किया जाता है। यह धारा पशुओं के प्रति क्रूरता के खिलाफ एक मजबूत कानून है। ये सेक्शन किसी पशु को मारने, जहर देने या उसे अपंग बनाने जैसे अपराधों को दंडनीय बनाती है।

बीएनएस की धारा 325 क्या है और यह कब लगती है – BNS Section 325

          भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 उन अपराधों से संबंधित है जिसमें जानवरों (Animals) को जानबूझकर शारीरिक नुकसान (Physical Harm) पहुंचाया जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी जानवर को मारता है, उसे जहर देता है, अपंग (Disabled) बनाता है या बेकार कर देता है, तो इसे शरारत माना जाएगा और यह धारा 325 के तहत अपराध होगा। यह धारा उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो जानवरों को बिना किसी कारण के हानि पहुंचाते हैं, चाहे वह जानवर पालतू हो या जंगली।

भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 325 का उद्देश्य
  • पशु कल्याण: भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 325 पशु कल्याण (Animal Welfare) को बढ़ावा देने और पशु क्रूरता (Animal Cruelty) को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कानूनी उत्तरदायित्व: यह धारा पशुओं के प्रति क्रूरता दिखाने वाले व्यक्तियों को कानूनी रूप से जिम्मेदार बनाती है।
  • समाज के मूल्य: यह धारा समाज को पशु अधिकारों के प्रति बढ़ते जागरूकता और सभी जीवित प्राणियों के संरक्षण (Protection) के महत्व को दर्शाती है।
BNS 325 के अपराध के कुछ आवश्यक तत्व
  • यदि कोई व्यक्ति किसी जानवर को मारने का काम करता है या उसे गंभीर चोट (Serious Injury) पहुंचाता है, तो यह अपराध माना जाएगा।
  • जानवर को जहर (Poison) देना, चाहे किसी भी उद्देश्य से, धारा 325 के अंतर्गत अपराध है।
  • जानवर को शारीरिक रूप से अपंग (Disabled) बनाना या उसकी कार्यक्षमता (functionality) को बेकार कर देना, इस धारा के तहत आता है।
  • अपराधी का इरादा जानवर को जानबूझकर नुकसान (Intentionally Harm) पहुंचाने का होना चाहिए। यदि नुकसान गलती से हुआ है, तो धारा 325 लागू नहीं होगी।
बीएनएस सेक्शन 325 के अपराध को समझने योग्य सरल उदाहरण

         एक दिन रवि नाम का व्यक्ति एक पार्क के पास बने रोड से अपनी मोटरसाइकिल पर कही जा रहा था। अचानक उसकी नजर रोड के किनारे बैठे के जानवर पड़ती है। रवि उस जानवर को देख कर उसे परेशान करने की योजना बनाता है। जिसके बाद वो अपनी मोटरसाइकिल द्वारा चुपचाप वहाँ जाता है, और उसके जानवर के पैर पर मोटरसाइकिल का पहिया चढ़ा देता है। जिसके कारण उस जानवर को बहुत ज्यादा चोट लग जाती है, रवि की इस हरकत को श्याम नाम का एक व्यक्ति देख लेता है। जिसके बाद वो रवि की शिकायत पुलिस में कर देता है, कुछ ही समय बाद पुलिस वहाँ आती है और रवि के खिलाफ BNS Section 325 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही करती है।

BNS Section 325 के तहत अपराध में किए जाने वाले कुछ कार्य
  • किसी जानवर को जानबूझकर मारना।
  • जानवर को जहर देना।
  • जानवर को अपंग बनाना।
  • जानवर को ऐसी चोट पहुंचाना जिससे वह चल-फिर न सके।
  • किसी भी जानवर को बिना कारण प्रताड़ित (Tortured) करना।
  • जानवर की आँख फोड़ देना या उसे अंधा करना।
  • जानवर को भूखा रखना और उसके खाने-पीने की चीजों में जहर मिलाना।
  • जानबूझकर जानवर को ऐसी जगह रखना जहां उसकी जान को खतरा हो।
  • जानवर को जलाना या किसी अन्य तरह से उसे पीड़ा देना।
  • जानवर को किसी भी प्रकार की असहनीय यातना (Unbearable Torture) देना।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 के दोषी को मिलने वाली सजा

       बीएनएस की धारा 325 के तहत किसी जानवर को मारना, जहर देना, अपंग बनाना, गंभीर अपराध है, जिसके लिए दोषी (Guilty) व्यक्ति को पांच साल तक की कैद (Imprisonment) हो सकती है व जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, या दोनों सजा दी जा सकती है। सजा का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि अपराध की गंभीरता कितनी है और जानवर को कितना नुकसान पहुंचा है।

बीएनएस की धारा 325 में आरोपी व्यक्ति के लिए जमानत का क्या प्रावधान है?

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 के तहत दर्ज होने वाला यह अपराध जमानती (Bailable) है, जिसका अर्थ है कि आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को अदालत द्वारा जमानत दी जा सकती है। यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) भी है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना आरोपी की गिरफ्तार के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही कर सकती है। जमानत का प्रावधान अदालत के विवेक पर निर्भर करता है और आरोपी को अपराध की गंभीरता के आधार पर इसे मंजूर किया जा सकता है।

निष्कर्ष:- BNS की धारा 325 भारत में पशु कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। यह धारा पशु क्रूरता को रोकने और पशुओं के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करती है। यदि आप किसी पशु क्रूरता के मामले का गवाह बनते हैं, तो कृपया तुरंत अधिकारियों से संपर्क करें।

बीएनएस धारा 326 क्या है |

BNS Section 326

चोट, बाढ़, आग या विस्फोटक पदार्थ, आदि द्वारा शरारत

  जो कोई उत्पात करता है,––––

(ए) कोई ऐसा कार्य करना जिसके कारण कृषि प्रयोजनों के लिए, या मनुष्यों के लिए भोजन या पेय के लिए या जानवरों के लिए, जो संपत्ति हैं, या स्वच्छता के लिए पानी की आपूर्ति में कमी आती है, या जिसके कारण होने की संभावना है, वह जानता है। किसी भी निर्माण को जारी रखने पर पांच साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा;

(बी) ऐसा कोई कार्य करना जो किसी सार्वजनिक सड़क, पुल, नौगम्य नदी या नौगम्य चैनल, प्राकृतिक या कृत्रिम, को यात्रा या संपत्ति ले जाने के लिए अगम्य या कम सुरक्षित बना देता है या जिसके बनाने की संभावना वह जानता है, उसे कारावास की सजा दी जाएगी। एक अवधि के लिए विवरण जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों के साथ;

(सी) कोई भी ऐसा कार्य करना जिसके कारण बाढ़ आती है या जिसके कारण किसी सार्वजनिक जल निकासी में बाधा उत्पन्न होती है या जिसके कारण चोट या क्षति होने की संभावना है, वह जानता है, तो उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। या जुर्माना, या दोनों;

(डी) रेल, विमान या जहाज के नेविगेशन के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भी संकेत या सिग्नल या नाविकों के लिए गाइड के रूप में रखे गए किसी अन्य चीज को नष्ट करना या हिलाना, या किसी ऐसे कार्य से जो ऐसे किसी संकेत या सिग्नल को नाविकों के लिए गाइड के रूप में कम उपयोगी बनाता है, को नष्ट कर दिया जाएगा। किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया गया;

(ई) किसी लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा तय किए गए किसी भी भूमि-चिह्न को नष्ट करना या स्थानांतरित करना, या किसी ऐसे कार्य से जो ऐसे भूमि-चिह्न को कम उपयोगी बनाता है, उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे एक तक बढ़ाया जा सकता है। एक साल, या जुर्माना, या दोनों;

(च) आग या किसी विस्फोटक पदार्थ से कृषि उपज सहित किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखता है, या यह जानते हुए कि वह इसके कारण नुकसान पहुंचाएगा, दोनों में से किसी भी तरह के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी देना होगा;

(छ) आग या कोई विस्फोटक पदार्थ, किसी भी इमारत को नष्ट करने का इरादा रखता है, या यह जानते हुए कि वह ऐसा करेगा, जिसका उपयोग आमतौर पर पूजा स्थल या मानव आवास के रूप में या स्थान के रूप में किया जाता है। संपत्ति की हिरासत, आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, या किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

बीएनएस धारा 327 क्या है |

BNS Section 327

रेल, विमान, डेक वाले जहाज या बीस टन वजन वाले जहाज को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के इरादे से शरारत

(1) जो कोई किसी रेल, विमान, या डेक वाले जहाज या बीस टन या उससे अधिक वजन वाले किसी भी जहाज को नष्ट करने या असुरक्षित करने के इरादे से शरारत करता है, या यह जानते हुए कि वह इस तरह नष्ट कर देगा या असुरक्षित कर देगा। असुरक्षित, रेल, विमान या जहाज, दोनों में से किसी भी प्रकार की कैद से दंडित किया जाएगा जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

(2) जो कोई आग या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा ऐसी शरारत करेगा, या करने का प्रयास करेगा, जैसा कि उपधारा (1) में वर्णित है, उसे आजीवन कारावास या एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे बढ़ाया जा सकता है। दस साल तक की सजा और जुर्माना भी देना होगा।

बीएनएस धारा 328 क्या है |

BNS Section 328

चोरी आदि करने के इरादे से जानबूझकर जहाज को किनारे या किनारे पर चलाने के लिए सजा

        जो कोई जानबूझकर किसी जहाज को किनारे या किनारे पर चलाता है, उसमें मौजूद किसी भी संपत्ति की चोरी करने या ऐसी किसी संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग करने का इरादा रखता है, या इस इरादे से कि ऐसी चोरी या संपत्ति का दुरुपयोग किया जा सकता है, उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 329 क्या है |

BNS Section 329

       अक्सर हम समाचारों के द्वारा घरों में चोरी, दुकानों में तोड़फोड़ और अन्य प्रकार के अतिक्रमण की घटनाएं सुनते हैं। ये घटनाएं न सिर्फ आर्थिक नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि लोगों की सुरक्षा और मानसिक शांति को भी प्रभावित करती हैं। चाहे वह आपका घर हो, दुकान हो या कार, अगर कोई व्यक्ति बिना अनुमति के आपके स्थान पर घुसता है और आपको धमकाता है।या कोई अन्य अपराध करता है, तो वह कानून गंभीर अपराध माने जाते है। इन घटनाओं के पीछे के कानूनी पहलू को समझना हम सभी के लिए बेहद जरूरी है। इस लेख की सहायता से हम ऐसे ही अपराध से संबधित भारतीय न्याय संहिता की धारा को जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 329 में गृह-अतिचार या आपराधिक अतिचार क्या है (BNS Section 329 )? धारा 329 कब व किन कार्यों को करने पर लागू होती है? BNS 329 के तहत सजा कितनी होती है और इस धारा के लगने पर जमानत मिलती है या नही?

        ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 441, 442 और 447 व 448 को लागू कर कार्यवाही की जाती थी। जो आपराधिक अतिचार और गृह-अतिचार के अपराध व उनकी सजाओं से संबंधित थीं। लेकिन IPC की जगह BNS के आने के बाद से अब इन अपराधों के लिए केवल एक ही कानूनी धारा यानि BNS की धारा 329 का प्रावधान किया गया है। अब जब भी किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य की संपत्ति पर बिना अनुमति के घुसपैठ या आपराधिक उद्देश्य से प्रवेश किया जाता है, तो इस मामले में बीएनएस की धारा 329 के तहत ही कानूनी कार्रवाई की जाती है।

बीएनएस की धारा 329 क्या है कब लगती है – BNS Section 329 

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 329 आपराधिक अतिचार (Criminal Trespass) और गृह-अतिचार (House Trespass) के मामलों के बारे में विस्तार से बताती है। इस धारा के तहत यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति (Property) में प्रवेश करता है या वहां रहता है, और ऐसा करने के पीछे उस व्यक्ति का उद्देश्य उस संपत्ति के मालिक को धमकाना, अपमानित करना या किसी अन्य अपराध को करने का होता है, तो ऐसी स्थिति में सेक्शन 329 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।

         सरल भाषा में कहे तो जब कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने के लिए किसी व्यक्ति के घर में बिना अनुमति के घुस जाता है, तो वह अपराधी (Criminal) माना जा सकता है।

       भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 329 के अपराध व अपराधों के उल्लंघन (Violation) पर दिए जाने वाली सजाओं को इसकी 4 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा बताया है, जो इस प्रकार से है:-

बीएनएस धारा 329 की उपधारा (1):- अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने के इरादे से यानि किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति में उसको डराने, अपमानित करने या परेशान करने के इरादे से प्रवेश करता है, तो इसे आपराधिक अतिचार (Criminal Trespass) कहा जाता है।

         यह स्थिति तब भी लागू होती है जब कोई व्यक्ति कानूनी तौर पर उस संपत्ति में प्रवेश करता है लेकिन बाद में अवैध (illegal) रूप से वहीं रहता है और उसका उद्देश्य उस संपत्ति के मालिक को डराना, अपमानित करना या परेशान करना होता है।

बीएनएस धारा 329 की उपधारा (2): जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे भवन, तंबू, या जहाज में प्रवेश करता है या वहां रहता है। जिसे लोग अपने रहने के लिए उपयोग करते हैं, या जिसे पूजा स्थल या संपत्ति की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रवेश आपराधिक इरादे यानि अपराध करने के इरादे से होता है, तो इसे गृह-अतिचार (House Trespass) कहा जाता है।

स्पष्टीकरण: यदि कोई व्यक्ति आपराधिक इरादे (Criminal Intention) से किसी घर, पूजा स्थल, या संपत्ति की सुरक्षा वाली जगह में घुसता है, तो उसके शरीर का सिर्फ एक हिस्सा जैसे हाथ या पैर भी वहां प्रवेश कर जाए, तो भी इसे गृह-अतिचार माना जाएगा।

उदाहरण:- अगर कोई बिना अनुमति (Permission) के किसी के घर में चोरी के इरादे से खिड़की से हाथ डालता है, तो यह गृह-अतिचार कहलाएगा।

बीएनएस सेक्शन 329 की उपधारा (3): यदि कोई व्यक्ति उपधारा 329(1) में बताई गई बातों अनुसार आपराधिक अतिचार करता है, तो उसे सेक्शन 329(3) के तहत जेल व जुर्माना की सजा दी सा सकती है।

बीएनएस सेक्शन 329 की उपधारा (4):- यदि कोई व्यक्ति उपधारा 329(2) में बताए गए गृह-अतिचार के अपराध को करता है, तो उसे सेक्शन 329(4) के तहत दंडित किया जाता है।

धारा 329 के अपराध को साबित करने वाले आवश्यक तत्व
  1. अपराधिक उद्देश्य: इस धारा का मुख्य आधार यह है कि व्यक्ति का प्रवेश या निवास आपराधिक इरादे से हो, जैसे धमकी देना, चोट पहुंचाना, या अन्य अपराध करना।
  2. नुकसान पहुंचाने का इरादा: इस धारा के तहत अपराधी का इरादा किसी को शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाने का होता है।
  3. अवैध प्रवेश: यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति बिना किसी वैध अनुमति (Valid Permission) या अधिकार के किसी संपत्ति में प्रवेश करता है।
कुछ मुख्य कार्य जिनको करना BNS 329 के तहत अपराधी बना सकता है
  • किसी की संपत्ति या घर में चोरी करने के इरादे से अनाधिकृत (बिना अनुमति या अधिकार के) रूप से प्रवेश करना।
  • किसी की संपत्ति में बिना अनुमति के घुसकर वहां तोड़फोड़ करना या नुकसान पहुंचाना।
  • किसी को धमकाने, डराने या मानसिक रूप से प्रताड़ित (Tortured) करने के इरादे से उसके घर में जबरन घुसना।
  • किसी व्यक्ति पर शारीरिक हमला (Physical Attack) करने या हिंसा (Violence) करने के उद्देश्य से किसी के घर में घुसना।
  • किसी पूजा स्थल में अवैध रूप से प्रवेश करना और वहां अशांति फैलाना या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना।
  • किसी के घर या संपत्ति में घुसकर वहां से गुप्त या संवेदनशील जानकारी चुराना।
  • किसी अन्य की संपत्ति पर अवैध कब्जा जमाने या उसके अधिकार को समाप्त करने के उद्देश्य से घुसपैठ करना।
  • किसी आवासीय भवन (Residential Building) में बिना अनुमति के प्रवेश करके वहां रहने वालों को डराना या उनका मानसिक उत्पीड़न करना।
  • बिना अनुमति के किसी के घर में प्रवेश कर उसकी जासूसी करना या उसकी गतिविधियों की जानकारी एकत्र करना।
बीएनएस सेक्शन 329 का आपराधिक उदाहरण

        रमेश एक किराने की दुकान चलाता है। एक रात को मोहन रमेश की दुकान के पीछे की खिड़की तोड़कर अंदर घुस गया। जिसके बाद उसने दुकान से कुछ पैसे और सामान चुराया। अगली सुबह रमेश ने चोरी की घटना देखी और पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद पुलिस मौके पर वहाँ पहुँची और सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद मोहन की पहचान हुई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

         इस उदाहरण से पता चलता है कि कैसे मोहन ने रमेश की संपत्ति में बिना अनुमति के प्रवेश किया और चोरी की। इस मामले में मोहन को BNS Section 329 व चोरी की BNS धारा 303 के तहत कोर्ट द्वारा सजा दी जा सकती है।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 329 में सजा कितनी होती है?

      बीएनएस की धारा 329 के अपराध में सजा (Punishment) को इसकी दो उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा अलग-अलग अपराध व अपराध की गंभीरता के अनुसार बताया गया है। जो कि इस प्रकार से है:-

  • BNS Section 329(3) में आपराधिक अतिचार के लिए दंड:- यदि कोई व्यक्ति धारा 329(1) में बताई गई बातों अनुसार आपराधिक अतिचार करने का अपराध करता है, तो दोषी (Guilty) पाये जाने पर उस व्यक्ति को अधिकतम तीन महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इसके अलावा उस पर पांच हजार रुपये तक का जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है। कुछ मामलों में अपराध की गंभीरता के आधार पर दोनों सजा यानी कैद और जुर्माना एक साथ भी दिए जा सकते हैं।
  • BNS Section 329(4) में गृह-अतिचार के लिए दंड:- जब कोई व्यक्ति किसी घर, पूजा स्थल, या संपत्ति की सुरक्षा वाली जगह में अनाधिकृत (बिना किसी अधिकार या अनुमति के) रूप से प्रवेश करता है या वहां रहता है। जिसमें उसका उद्देश्य किसी अपराध को करने का होता है, जैसे चोरी करना, नुकसान पहुंचाना, या किसी को डराना। ऐसे में दोषी पाये जाने पर कोर्ट द्वारा अपराधी व्यक्ति को एक साल तक की जेल व जुर्माना लगाकर दंडित (Punished) किया जा सकता है।
बीएनएस की धारा 329 में जमानत के लिए कानूनी प्रावधान क्या है

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 329 में आपराधिक अतिचार और गृह-अतिचार के अपराध को संज्ञेय (Cognizable) माना गया है, जिसका मतलब यह है कि पुलिस अधिकारी बिना किसी न्यायिक आदेश (Judicial Order) के आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को गिरफ्तार कर सकता है।

        इसके साथ ही धारा 329 के इन दोनों अपराधों को जमानती (Bailable) रखा गया है। यानी अगर किसी व्यक्ति पर इन अपराधों के तहत आरोप लगते है या उसके खिलाफ मामला दर्ज होता है, तो उसे गिरफ्तारी के बाद जमानत (Bail) मिलने का अधिकार है। यह जमानत कोर्ट से आसानी से प्राप्त की जा सकती है। इस अपराध से जुड़े मामले किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होते है।

निष्कर्ष:- BNS Section 329 का उद्देश्य लोगों की संपत्ति को सुरक्षित रखना और अतिक्रमण को रोकना है। यदि कोई व्यक्ति इस धारा का उल्लंघन करता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप या आपका कोई साथी इस अपराध में कानूनी सहायता घर बैठे पाना चाहते है तो आप आज ही हमारे वकीलों से बात कर सकते है।

बीएनएस धारा 330 क्या है |

BNS Section 330

घर-अतिचार और घर-तोड़ना

(1) जो कोई किसी व्यक्ति से ऐसे गृह-अतिचार को छिपाने के लिए सावधानी बरतते हुए गृह-अतिचार करता है, जिसके पास अतिचारी को उस इमारत, तंबू या जहाज से, जो अतिचार का विषय है, बाहर निकालने या बाहर निकालने का अधिकार है, ऐसा कहा जाता है “गुप्त गृह अतिचार” करें।

(2) ऐसा व्यक्ति “गृह-भेदन” करने वाला माना जाता है जो गृह-अतिचार करता है यदि वह इसके बाद वर्णित छह तरीकों में से किसी एक में घर या उसके किसी हिस्से में प्रवेश करता है; या यदि, अपराध करने के उद्देश्य से घर या उसके किसी हिस्से में रहते हुए, या उसमें अपराध करने के बाद, वह निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से घर या उसके किसी हिस्से को छोड़ देता है, अर्थात्:––

(ए) यदि वह गृह-अतिचार करने के लिए स्वयं, या गृह-अतिचार के किसी दुष्प्रेरक द्वारा बनाए गए मार्ग से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है;
(बी) यदि वह किसी ऐसे मार्ग से प्रवेश करता है या छोड़ देता है जो मानव प्रवेश के लिए उसके या अपराध के दुष्प्रेरक के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इरादा नहीं है; या किसी मार्ग से होकर जिस तक उसने किसी दीवार या इमारत पर चढ़कर या चढ़कर पहुंच प्राप्त की है;
(सी) यदि वह किसी ऐसे मार्ग से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है जिसे उसने या गृह-अतिचार के किसी दुष्प्रेरक ने किसी भी माध्यम से गृह-अतिचार करने के लिए खोला है, जिसके द्वारा वह मार्ग घर के कब्जे वाले द्वारा इरादा नहीं था खोला जाना है;
(डी) यदि वह गृह-अतिचार करने के लिए, या गृह-अतिचार के बाद घर छोड़ने के लिए कोई ताला खोलकर प्रवेश करता है या बाहर निकलता है;
(ई) यदि वह आपराधिक बल का प्रयोग करके या हमला करके, या किसी व्यक्ति को हमले की धमकी देकर प्रवेश या प्रस्थान करता है;
(च) यदि वह किसी ऐसे मार्ग से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है जिसके बारे में वह जानता है कि उसे ऐसे प्रवेश या प्रस्थान के विरुद्ध बांधा गया है, और उसे स्वयं या गृह-अतिचार के दुष्प्रेरक द्वारा खोला गया है।

स्पष्टीकरण. -कोई भी आउट-हाउस या भवन जिस पर किसी घर का कब्ज़ा है, और जिसके और ऐसे घर के बीच तत्काल आंतरिक संचार है, इस धारा के अर्थ के तहत घर का हिस्सा है।

रेखांकन

(ए) ए ज़ेड के घर की दीवार के माध्यम से एक छेद बनाकर और छेद के माध्यम से अपना हाथ डालकर घर-अतिचार करता है। यह घर तोड़ना है।
(बी) डेक के बीच पोर्ट-होल पर जहाज में रेंगकर ए गृह-अतिचार करता है। यह घर तोड़ना है।
(सी) ए एक खिड़की के माध्यम से ज़ेड के घर में प्रवेश करके घर-अतिचार करता है। यह घर तोड़ना है।
(डी) ए ज़ेड के घर में दरवाजे के माध्यम से प्रवेश करके, एक दरवाजा खोलकर, जो कि बांधा गया था, गृह-अतिचार करता है। यह घर तोड़ना है।
(ई) ए ज़ेड के घर में दरवाजे के माध्यम से प्रवेश करके, दरवाजे में एक छेद के माध्यम से एक तार डालकर कुंडी उठाकर गृह-अतिचार करता है। यह घर तोड़ना है।
(एफ) ए को ज़ेड के घर के दरवाज़े की चाबी मिल जाती है, जो ज़ेड खो गई थी, और उस चाबी से दरवाज़ा खोलकर ज़ेड के घर में प्रवेश करके गृह-अतिचार करता है। यह घर तोड़ना है।
(छ) Z अपने द्वार पर खड़ा है। A, Z को नीचे गिराकर जबरदस्ती रास्ता बनाता है, और घर में प्रवेश करके गृह-अतिचार करता है। यह घर तोड़ना है।
(ज) Z, Y का द्वारपाल, Y के द्वार पर खड़ा है। क घर में घुसकर गृह-अतिचार करता है, और उसे पीटने की धमकी देकर उसका विरोध करने से रोकता है। यह घर तोड़ना है.

बीएनएस धारा 331 क्या है |

BNS Section 331

        आज के समय में जब लोग अपनी जिंदगी में व्यस्त रहते हैं और घर पर अकेले आराम कर रह रहे होते हैं। ऐसे में चोरों को चोरी करने के लिए मौका मिलना आसान हो जाता है। वे खिड़कियां तोड़ते हैं, ताले तोड़ते हैं और घरों में घुसकर कीमती सामान चुरा ले जाते हैं। कई बार तो वे लोगों को डराते भी हैं और उनके साथ मारपीट भी करते हैं। इस आर्टिकल के द्वारा हम घर में अतिक्रमण करने या घर तोड़ने के अपराध से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धारा को जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 331 का अपराध क्या है (BNS Section 331)? अतिक्रमण करने​ के अपराध के लिए दंड क्या है? धारा 331 में जमानत का क्या प्रावधान है?

        भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलकर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) बनाया गया है। इस बदलाव के साथ ही कई धाराओं में बदलाव हुए हैं और कुछ नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं। घरों में तोड़फोड़ होने पर कुछ समय पहले तक पुलिस में मामला दर्ज कराने पर IPC की धारा 453 से 460 के तहत कार्रवाई होती थी। लेकिन अब इस तरह के मामलों में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 331 लागू होती है। इस लेख को पढ़ने के बाद आप इस अपराध के बारे में पूरी तरह से जान जाएंगे और ऐसी किसी भी कानूनी समस्या आने पर अपने बचाव के लिए आवश्यक कदम उठा सकेंगे।

बीएनएस की धारा 331 क्या है – BNS Section 331

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 331 उन अपराधों से संबंधित है, जहां कोई व्यक्ति बिना अनुमति (Permission) किसी घर या इमारत में जबरदस्ती घुसता है या तोड़फोड़ करता है। यह धारा उन व्यक्तियों के लिए लागू होती है जो किसी की निजी संपत्ति (Private property) में अवैध तरीके से प्रवेश (Illegal Entry) करते हैं या जानबूझकर उसे नुकसान पहुंचाते हैं।

उदाहरण:- मान लीजिए कि कोई व्यक्ति किसी घर में बिना अनुमति के घुसता है और जानबूझकर घर की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है। इस स्थिति में उस व्यक्ति के खिलाफ BNS 331 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे दंडित (Punished) किया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 331 में घर में घुसकर तोड़ फोड़ करने के अपराध को 8 उपधाराओं (Sub-Sections) में इसके अंदर किए जाने वाले अपराधों की गंभीरता के अनुसार बताया गया है, जो इस तरह से है:-

(1):- जो कोई भी व्यक्ति किसी घर में गुप्त (Secret) रूप से घुसपैठ (intrusion) करता है या तोड़फोड़ करता है। यानी बिना अनुमति के या गलत तरीके से किसी की निजी संपत्ति में प्रवेश करता है और उस संपत्ति में तोड़ फोड़ करता है, तो उसे धारा 331(1) के तहत दंडित किया जाएगा।

(2):- अगर कोई व्यक्ति सूर्यास्त (Sunset) के बाद और सूर्योदय (Sunrise) से पहले किसी घर में चोरी-छिपे घुसता है या सेंधमारी (अपराध करने के लिए दीवारों में छेद करके घुसना) करता है, तो उसे इस अपराध के लिए धारा 331(2) के तहत सख्त दंड मिल सकता है।

(3):– यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराध को करने के इरादे से किसी घर में चोरी-छिपे घुसता है या सेंधमारी करता है, जिसके लिए उसे कारावास (Imprisonment) की सजा मिल सकती है, तो यह गंभीर अपराध माना जाएगा। जिसके लिए उस व्यक्ति पर धारा 331(3) में मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।
चोरी के मामले में सख्त सजा: अगर वह अपराध जो किया जा रहा है, चोरी (Theft) से संबंधित है, तो सजा और भी कठोर हो सकती है।

(4):- अगर कोई व्यक्ति रात के समय किसी अपराध को अंजाम देने के इरादे से चोरी-छिपे किसी घर में घुसता है या सेंधमारी करता है, तो उसे इस अपराध के लिए इस उपधारा के तहत सख्त सजा मिलेगी।

(5):- यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने, उसे गलत तरीके से रोकने, या उसे चोट या हमले का डर दिखाकर धमकाने के इरादे से चोरी-छिपे किसी के घर में घुसता है। तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 331(5) लागू की जा सकती है।

(6):- अगर कोई व्यक्ति रात के समय किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने, उस पर हमला करने, उसे अवैध रूप से रोकने, के डर में डालने के इरादे से चोरी-छिपे किसी के घर में घुसेगा या तोड़फोड़ करेगा। उस व्यक्ति के खिलाफ धारा 331(6) में मामला दर्ज किया जाएगा।

(7):- अगर कोई व्यक्ति गुप्त रूप से किसी के घर में घुसते समय या सेंधमारी करते समय किसी व्यक्ति को गंभीर चोट (Serious Injury) पहुँचाता है, या उसकी हत्या (Murder) करने की कोशिश करता है। ऐसे व्यक्ति पर धारा 331(7) के तहत मामला दर्ज कर सजा के लिए कार्यवाही की जाएगी।

(8):- यदि कोई व्यक्ति रात के समय गुप्त (Secret) रूप से किसी घर में घुसने या सेंधमारी करते समय जानबूझकर किसी को जान से मारने या गंभीर चोट पहुंचाने का प्रयास करता है, तो धारा 331(8) के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
यदि ऐसे अपराधों को करने की घटना में कई लोग शामिल हैं, तो सभी को इस अपराध के लिए संयुक्त रूप से यानि सभी को एक सामान रुप से दंडित किया जाएगा।

BNS 331 के अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व
  1. घर या इमारत: अपराध किसी घर या इमारत (House or Building) में ही किया गया हो। इसमें आवासीय घर, कार्यालय, दुकान या कोई अन्य इमारत शामिल हो सकती है।
  2. बिना इजाजत: आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को घर या इमारत में घुसने या तोड़ने की कोई वैध अनुमति (Valid Permission) नहीं थी।
  3. घुसना या तोड़ना: आरोपी ने घर या इमारत में घुसने के लिए दरवाजा, खिड़की या कोई अन्य हिस्सा तोड़ा हो या फिर बिना इजाजत किसी खुले हुए दरवाजे या खिड़की से घर के अंदर गया हो।
  4. अपराध करने का इरादा: आरोपी का घर में घुसने या तोड़ने का इरादा कोई अपराध करने का होना चाहिए। यह अपराध चोरी, डकैती, हत्या या कोई अन्य अपराध हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की सेक्शन 331 के जुर्म का सरल उदाहरण

       अजय एक छोटे से शहर में रहता है। एक दिन उसे पता चलता है कि उसके पड़ोसी कपिल के पास एक नया व बहुत ही कीमती मोबाइल फोन है। अजय उस फोन को पाने के लिए बहुत लालच करता है। एक रात जब कपिल के घर में सभी सो रहे होते हैं, तो अजय खिड़की तोड़कर कपिल के कमरे में घुस जाता है। जिसके बाद वो कपिल का मोबाइल फोन चुरा लेता है और चुपचाप वहां से भाग जाता है।

       इस मामले में अजय कपिल के घर में बिना अनुमति घुसा व उसने घर में घुसने के लिए तोड़फोड़ की और इसका साथ ही चोरी का अपराध भी किया। जिसके लिए अजय के खिलाफ BNS सेक्शन 331 व इसकी अन्य उपधाराओं के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती है।

बीएनएस धारा 331 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
  • किसी के घर में बिना अनुमति या बुलावे के घुस जाना।
  • किसी घर की खिड़की या दरवाजा तोड़कर अंदर जाना।
  • किसी घर की छत या दीवार में छेद करके अंदर जाना।
  • घर का ताला तोड़कर अंदर जाना।
  • घर में घुसने का मकसद अगर चोरी करना हो तो यह अपराध भी धारा 331 के अंतर्गत आता है।
  • घर में घुसकर किसी को डराकर या चोट पहुंचाकर लूटपाट करना।
  • किसी को मारने के इरादे से घर में घुसना।
  • किसी को डराने या परेशान करने के लिए घर में घुसना।
  • घर में घुसने का मकसद अगर कोई अन्य अपराध करना हो तो यह भी इस धारा के अंतर्गत आता है।
बीएनएस की धारा 331 के अपराध के लिए मिलने वाला दंड

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 331 के अपराध में सजा (Punishment) को इसकी अलग-अलग उपधाराओं (Sub-Sections) में अपराध की गंभीरता के आधार पर ही बताया गया है जो इस प्रकार है:-

  • BNS 331(1) :- अगर कोई व्यक्ति किसी के घर में चोरी-छिपे घुसता है या सेंधमारी करता है, तो उसे अधिकतम 2 साल तक जेल की सजा हो सकती है और साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 331(2) :- अगर कोई व्यक्ति रात के समय, जब अंधेरा हो, किसी के घर में चोरी-छिपे घुसता है या सेंधमारी (Burglary) करता है, तो उसे अधिकतम 3 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 331(3) :- अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध को अंजाम देने के लिए चोरी-छिपे किसी के घर में घुसता है या सेंधमारी करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है। लेकिन यदि वह अपराध चोरी का है, तो उसकी जेल की सजा दस साल तक बढ़ाई जा सकती है और साथ ही उसे जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
  • BNS 331(4) :- अगर कोई व्यक्ति रात के समय किसी गंभीर अपराध (Serious Offence) को अंजाम देने के लिए चोरी-छिपे किसी के घर में घुसता है या सेंधमारी करता है, तो उसे पांच साल तक की जेल हो सकती है। लेकिन अगर किया गया अपराध चोरी है, तो उसे चौदह साल तक कैद की सजा और जुर्माना (Punishment Or fine) भरना पड़ सकता है।
  • BNS 331(5) :- अगर कोई व्यक्ति किसी को चोट पहुंचाने, हमला करने, अवैध रूप से रोकने या डराने के उद्देश्य से चोरी-छिपे किसी के घर में घुसता है। या तोड़फोड़ करता है, तो उसे दस साल तक की जेल की सजा हो सकती है और साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 331(6) :- अगर कोई व्यक्ति रात के समय किसी को चोट पहुंचाने, हमला करने, अवैध रूप से रोकने या डराने के इरादे से चोरी-छिपे किसी के घर में घुसता है या सेंधमारी करता है, तो उसे चौदह साल तक की जेल की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
  • BNS 331(7) :- अगर कोई व्यक्ति चोरी-छिपे घर में घुसने या सेंधमारी के दौरान किसी को गंभीर चोट (Serious Injury) पहुंचाता है या उसकी हत्या करने का प्रयास करता है, तो उसे आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा हो सकती है, या दस साल तक जेल हो सकती है, और जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
  • BNS 331(8) :- अगर कोई व्यक्ति रात के समय किसी के घर में चोरी-छिपे घुसता है और जानबूझकर किसी को मारने या गंभीर चोट पहुंचाने की कोशिश करता है, तो उसे आजीवन जेल हो सकती है। यदि इस काम में कई लोग शामिल हैं, तो सभी को सजा मिल सकती है, जो दस साल तक हो सकती है, और उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 331 में जमानती है या गैर-जमानती

         बीएनएस की धारा 331 के तहत घर में अतिक्रमण या घर तोड़ने का अपराध संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-bailable) होता है। जिसका अर्थ है कि इस अपराध में पुलिस आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही कर सकती है। गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) होने के कारण इस अपराध में आरोपी को जमानत (Bail) मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु ऐसे मामले में यदि आरोपी व्यक्ति किसी अनुभवी वकील (Lawyer) की सहायता लेता है तो वह अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए आवेदन कर जमानत प्राप्त कर सकता है।

बीएनएस धारा 332 क्या है |

BNS Section 332

       आजकल घर में घुसकर किए जाने वाले अपराधों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। चोरी, डकैती और अन्य अपराधों के लिए घरों को निशाना बनाया जा रहा है। इन घटनाओं ने लोगों की सुरक्षा और निजता पर एक गहरा असर डाला है। इसीलिए सभी को धारा 332 के प्रावधानों के बारे में जानना बेहद जरूरी है इसके अलावा हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि कोई भी व्यक्ति इस तरह की स्थिति में फंस जाता हैं तो उसको क्या करना चाहिए। आज हम घर में घुसने की भारतीय न्याय संहिता की धारा जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 332 क्या है (BNS Section 332)? यह धारा किस अपराध में कब लागू होती है और इस धारा में सजा और जमानत का क्या प्रावधान है?

          हम सभी अपनी निजता और सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर में घुस कर किए जाने वाले अपराधों के लिए कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 449, 450 व 451 का इस्तेमाल होता था। लेकिन कानून में किए गए बदलाव के बाद से इन मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 332 के तहत दर्ज किया जाता है। इसलिए इस लेख को पढ़कर आप समझ पाएंगे कि घर में बिना अनुमति घुसने व अपराध करने पर किन परिस्थितियों में कार्रवाई की जा सकती है और आप खुद को इन अपराधों से कैसे बचा सकते हैं।

बीएनएस की धारा 332 क्या है – BNS Section 332 

         BNS की धारा 332 उस स्थिति से संबंधित है जब कोई व्यक्ति किसी घर, इमारत या संपत्ति में बिना उसके मालिक की अनुमति के प्रवेश करता है और उसका इरादा वहां कोई अपराध (Crime) करने का होता है। यह धारा अवैध प्रवेश (Trespass) और आपराधिक मंशा (Criminal Intent) के अपराध को एक साथ बताती है, जिससे यह अपराध और भी गंभीर हो जाता है।

बीएनएस धारा 332 कब लागू होती है?

        इस धारा को लागू किए जाने के लिए मुख्य रुप से दो प्रमुख स्थितियां होती हैं:

  1. बिना अनुमति के घर में प्रवेश: जब कोई व्यक्ति किसी घर, इमारत, या संपत्ति में उसके मालिक की अनुमति या कानूनी अधिकार के बिना प्रवेश करता है।
  2. अपराध करने का इरादा: इस अवैध रुप से प्रवेश करने के पीछे उस व्यक्ति की मंशा या उद्देश्य किसी अपराध को अंजाम देना होता है। यह अपराध चोरी, हत्या, या अन्य किसी गैरकानूनी गतिविधि (Illegal Activities) से जुड़ा हो सकता है।

       इसके अलावा BNS की सेक्शन 332 को इसकी 3 उपधाराओं (Sub-Sections) के माध्यम से अपराधों की गंभीरता व सजा के अनुसार विस्तार से बताया गया है।

बीएनएस सेक्शन 332 (a) अगर कोई व्यक्ति बिना अनुमति (Permission) के किसी के घर में घुसता है और किसी ऐसे अपराध को करता है या करने का इरादा रखता है जिसकी सजा मृत्युदंड (Capital Punishment) होती है, तो उस व्यक्ति पर धारा 332 (a) के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

उदाहरण: मान लीजिए एक व्यक्ति ने बिना अनुमति के किसी के घर में घुसकर वहां चोरी करने का इरादा किया। उसने देखा कि घर में एक व्यक्ति सो रहा है जिसके बाद वो चोर सोचता है कि अगर सो रहा व्यक्ति उठ गया और उसने चोर को पकड़ लिया गया, तो वह चोर उस व्यक्ति को जान से मार देगा। इस स्थिति में उस व्यक्ति पर IPC की धारा 332 (a) के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है, क्योंकि उसने बिना अनुमति के घुसपैठ की और हत्या (Murder) का इरादा भी किया।

बीएनएस सेक्शन 332 (b) अगर कोई किसी व्यक्ति के घर में घुसकर किसी ऐसे अपराध को अंजाम देता है जिसकी सजा आजीवन कारावास (Life Imprisonment) तक हो सकती है या कोई अन्य गंभीर अपराध करता है तो उस व्यक्ति पर धारा 332(b) के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

बीएनएस सेक्शन 332 (c) यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के घर में बिना उसकी अनुमति के घुसता है और कोई ऐसा अपराध करता है जो कम गंभीर है लेकिन कारावास की सजा से दंडनीय (Punishable) है। तो उस व्यक्ति पर धारा 332 (C ) के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।

BNS 332 में अपराध को साबित करने वाले मुख्य तत्व

      भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 332 के अपराध को साबित करने के लिए कुछ मुख्य तत्वों का होना आवश्यक है। ये तत्व निम्नलिखित हैं:

  • घर या इमारत में प्रवेश: इस अपराध के लिए इस बात का होना आवश्यक है कि आरोपी ने किसी घर या इमारत में प्रवेश किया हो। इसमें आवासीय घर, कार्यालय, दुकान, गोदाम आदि सभी शामिल हैं। प्रवेश का मतलब केवल अंदर जाना ही नहीं बल्कि किसी हिस्से में घुसना भी हो सकता है।
  • बिना अनुमति: प्रवेश बिना मालिक या उसमें रहने वाले व्यक्ति की अनुमति के होना चाहिए। अनुमति स्पष्ट रूप से दी गई होनी चाहिए।
  • अपराध करने का इरादा: आरोपी का इरादा उस घर या इमारत में कोई अपराध करने का होना चाहिए। यह इरादा स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए। अपराध का प्रकार कोई भी हो सकता है, जैसे चोरी, डकैती, हत्या आदि।
इस धारा के लगने का आपराधिक उदाहरण

         एक बार रात के गहरे अंधेरे में राहुल नाम का एक व्यक्ति अपने घर में सो रहा था। तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी। उसने धीरे से आँखें खोलीं और देखा कि एक अजनबी व्यक्ति उसकी खिड़की से अंदर आ रहा है। राहुल डर गया और चुपचाप बिस्तर पर लेट गया। उस अजनबी ने राहुल के कमरे में रखे हुए जेवरात और नकदी को चुराया और फिर खिड़की से बाहर निकल गया।

       इस घटना में अजनबी व्यक्ति ने राहुल के घर में बिना उसकी अनुमति के घुसकर चोरी की। इस घटना के अगले दिन राहुल पुलिस में शिकायत देता है। जिसके बाद पुलिस कुछ ही समय बाद उस आरोपी व्यक्ति को पकड़ लेती है, और उसके खिलाफ BNS Section 332 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करती है।

BNS Section 332 के तहत कुछ अन्य आपराधिक कृत्य
  • किसी घर का दरवाजा या खिड़की तोड़कर अंदर जाना।
  • छत के रास्ते से किसी घर में प्रवेश करना।
  • घर की चाबी चुराकर या नकली चाबी बनाकर अंदर जाना।
  • किसी ऊंची खिड़की से चढ़कर घर में प्रवेश करना।
  • दरवाजे को उखाड़कर या तोड़कर अंदर जाना।
  • दीवार या छत में छेद करके अंदर जाना।
  • किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर योजना बनाकर घर में घुसना।
  • घर में रहने वाले व्यक्ति को धमकाकर या डराकर घर में प्रवेश करना।
  • किसी चोरी या अपराध के बाद सामान को घर में छिपाने के लिए घुसना।
  • घर में घुसकर किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाना या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 238 में सजा का प्रावधान

     बीएनएस की धारा 332 के तहत सजा (Punishment) को तीन प्रकार से बताया गया है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती हैं।

BNS 332 (a) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति किसी के घर में बिना अनुमति के घुसता है और किसी ऐसे अपराध को करता है जिसकी सजा मृत्यु दंड हो सकती है तो ऐसे अपराध को करने के दोषी (Guilty) पाये जाने पर उस व्यक्ति को 10 साल तक की कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) की सजा दी जा सकती है।

BNS 332 (b) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति किसी के घर में घुसकर ऐसे अपराध को करता है जिसकी सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है, तो दोषी पाये जाने पर उस व्यक्ति को 10 साल तक की कठोर कारावास व जुर्माने (Fine) की सजा दी जाएगी।

BNS 332 (C) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति किसी के घर में घुसता है और कोई भी कम गंभीर अपराध करता है, तो उसे कारावास (Imprisonment) की सजा दी जाएगी। यह सजा एक निश्चित अवधि के लिए होगी जो आमतौर पर दो साल तक हो सकती है। इसका मतलब है कि दोषी व्यक्ति को दो साल तक जेल में रहना पड़ सकता है।

        लेकिन अगर कोई व्यक्ति घर में घुसकर चोरी (Theft) का अपराध करता है, तो सजा की अवधि और भी अधिक हो सकती है। इस स्थिति में कारावास की अवधि सात साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसका मतलब है कि यदि व्यक्ति चोरी करने के इरादे से घर में घुसता है, तो उसे अधिक गंभीर सजा का सामना करना पड़ेगा।

बीएनएस की धारा 332 में जमानत कब व कैसे मिल सकती है

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 332 के अनुसार किसी व्यक्ति का बिना अनुमति के किसी के घर में घुसना और वहां कोई अपराध करना एक गंभीर अपराध है। इसे संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध (Cognizable Or Non-Bailable Offence) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस प्रकार के अपराधों में पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर तुरंत कार्रवाई कर सकती है, जैसे कि गिरफ्तारी या सबूत इकट्ठा करना।

        गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) होने के कारण इसमें आरोपी को जमानत (Bail) प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को जेल में रहना पड़ सकता है, जब तक कि उसका मामला अदालत में न सुन लिया जाए।

निष्कर्ष:- BNS की धारा 332 जो व्यक्तिगत संपत्ति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह धारा हमें याद दिलाती है कि हर व्यक्ति को अपने घर और संपत्ति में सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है। बिना अनुमति के किसी के घर में घुसना न केवल एक अपराध है, बल्कि यह व्यक्ति के लिए एक बड़ा नुकसान भी हो सकता है।

बीएनएस धारा 333 क्या है |

BNS Section 333

        हम सभी के लिए अपना घर ही एक ऐसा स्थान होता है, जिसे सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है। अपने घर में हम सभी अपने परिवार के सदस्यों के साथ होने से बहुत ही सुरक्षित महसूस करते है। लेकिन क्या हो, जब कोई व्यक्ति हमारे ही घर में हमारी जबरदस्त घुस कर हमें व हमारे परिवार को चोट पहुँचाने व कैद करने की कोशिश करें। घर में घुसकर किसी को चोट पहुँचाना या जबरदस्ती रोकना न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा है। आज हम भारतीय न्याय संहिता की एक ऐसे ही अपराध से निपटने वाली धारा को जानेंगे, कि बीएनएस की धारा 333 क्या है (BNS Section 333)? यह कब लगती है? BNS 333 में सजा जमानत और बचाव के प्रावधान?

         किसी के घर में जबरदस्ती घुसकर उसे नुकसान पहुँचाने जैसे अपराधों पर पहले से ही कानून बनाए गए थे। जिनको कुछ समय पहले तक भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 452 के अंतर्गत लागू कर दण्ड की कार्यवाही की जाती थी। परन्तु बीएनएस के आने के बाद से इसमें कानूनी बदलाव करते हुए अब इस प्रकार के मामलों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 333 के तहत लागू कर दण्ड के लिए कार्यवाही की जाएगी। नए कानूनी बदलावों की जानकारी व ऐसे अपराधों के बचाव उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करना देश के हर नागरिक के लिए आवश्यक है। इसलिए इस लेख के माध्यम से BNS Section 333 की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे साथ ऐसे ही बने रहे।

बीएनएस की धारा 333 क्या है और यह कब लगती है – BNS Section 333 

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 333 एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो किसी व्यक्ति के घर में घुसकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को दंडित (Punished) करती है। इस धारा में बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने, हमला करने या गलत तरीके से रोकने के लिए उसके घर में घुसता है। उस व्यक्ति पर BNS Section 333 के तहत मुकदमा दर्ज कर दंड देने के लिए कार्यवाही की जा सकती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 333 के आवश्यक तत्व:-
  • आरोपी (Accused) ने बिना किसी कानूनी अधिकार या अनुमति के किसी घर में प्रवेश किया हो।
  • आरोपी ने घर में प्रवेश करने से पहले किसी व्यक्ति को शारीरिक चोट पहुंचाने, हमला करने या गलत तरीके से रोकने की तैयारी की हो।
  • आरोपी का इरादा (Intention) यह होना चाहिए कि वह घर में घुसकर किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाएगा।
  • इस अपराध के दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को जेल की सजा व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
BNS 333 के तहत अपराध में शामिल कुछ कार्य
  • बिना अनुमति के किसी के घर में जबरदस्ती (Forcefully) प्रवेश करना।
  • किसी व्यक्ति के घर में दरवाजे या खिड़की को तोड़कर अंदर जाना।
  • किसी को धमकाकर घर में प्रवेश करने की अनुमति लेना।
  • घर में चोरी (Theft) करने के इरादे से प्रवेश करना।
  • व्यक्ति को चोट (Injury) पहुंचाने के इरादे से प्रवेश करना।
  • घर में किसी व्यक्ति को डराने-धमकाने के इरादे से प्रवेश करना।
  • किसी व्यक्ति को बंधक बनाने के इरादे से प्रवेश करना।
  • संपत्ति (Property) को नुकसान पहुंचाने के इरादे से प्रवेश करना।
बीएनएस सेक्शन 333 के जुर्म का उदाहरण

        शीतल नाम की एक औरत अपने घर में शांति से रहती थी। लेकिन कुछ ही महीने पहले उनके पड़ोस में राज नाम का एक नया पड़ोसी रहने को आता है। राज रात के समय बहुत ही तेज आवाज में गाने चलाता था और शीतल के घर के बाहर कूड़ा भी फेंक देता था। शीतल जब भी उसे ऐसा ऐसे कार्यों को करने से रोकने के बोलती तो वह उसके साथ गाली-गलौज भी करता है। इस सब से परेशान होकर शीतल ने पहले कई बार उसकी शिकायत भी की थी, लेकिन वो फिर भी नहीं सुधरा।

        एक दिन राज बहुत नशे में होकर शीतल के घर के दरवाजे को जोर से मारकर जबरदस्ती घुस जाता है, जिससे शीतल बहुत डर जाती है। जिसके बाद शीतल तुरन्त पुलिस को फोन करके बुला लेती है, पुलिस कुछ ही समय में वहाँ आ जाती है। इसके बाद पुलिस राज को शीतल के घर में जबरदस्ती घुस के नुकसान पहुँचाने की धारा 333 के अपराध में गिरफ्तार कर आगे की कार्यवाही करती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 333 की सजा – Punishment Of BNS Section 333

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 333 के प्रावधान अनुसार जो कोई भी किसी व्यक्ति के घर में जबरदस्ती घुस कर नुकसान पहुँचाने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उस दोषी व्यक्ति को सात साल तक की अवधि के लिए कारावास (Imprisonment) की सज़ा हो सकती है व साथ ही जुर्माना (Fine) भी देना होगा। सज़ा में कमी या बढ़ोतरी अपराध की गंभीरता और पीड़ित को पहुँचाए जाने वाले नुकसान के हिसाब से की जा सकती है।

BNS 333 में जमानत कब और कैसे मिलती है

         बीएनएस की धारा 333 के अनुसार किसी के घर में घुसकर उन्हें कैद करना या नुकसान पहुँचाना एक गंभीर अपराध माना जाता है। जो की एक संज्ञेय व गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable Offence) अपराध होता है। इसलिए जिस भी व्यक्ति को इस गंभीर अपराध के तहत गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे जमानत (Bail) मिलना आसान नहीं होता।

          जमानत के लिए कुछ न्यायालय द्वारा कुछ जरुरी बाते देखी जाती है, जिनके बाद ही किसी व्यक्ति को जमानत देनी है या नहीं इन बातों पर कोर्ट द्वारा फैसला लिया जाता है।

  • जितना गंभीर अपराध होगा, जमानत मिलने की संभावना उतनी ही कम होगी।
  • आरोपी ने यदि पहले भी कई अपराध किए है तो जमानत मिलना बहुत ही मुश्किल होता है।
  • यदि आप के पास अपने निर्दोष (Innocent) होने के सभी सबूत मौजूद है तो आपको जमानत मिल सकती है।
  • यदि दूसरे पक्ष के पास आप पर लगाए गए आरोप झूठे है तो भी आपकी जमानत मिल सकती है।

        इससे अलग भी बहुत सी ऐसी बातें हो सकती है जो जमानत में काम आ सकती है। ऐसे मामलों में आपको किसी वकील की सहायता लेनी चाहिए, जो आपको जमानत दिलाने में सहायता करेगा।

BNS Section 333 के अपराध में बचाव के लिए उपाय:-
  • किसी भी व्यक्ति के घर में बिना उसकी अनुमति (Permission) के कभी-भी ना जाए।
  • शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करके किसी के भी घर में ना जाए।
  • यदि आपके खिलाफ इस अपराध के आरोप (Blame) लगाया जाता है, तो तुरंत एक वकील से संपर्क करें। वकील आपको ऐसे अपराधों से बचाने के लिए हर आवश्यक कोशिश करेगा।
  • आप अपने बचाव (Defence) के लिए गवाहों को पेश कर सकते है जो आपके पक्ष में गवाही दें और यह साबित करें कि आपने कोई अपराध नहीं किया है।
  • यदि पुलिस ने आप के खिलाफ झूठा मुकदमा (False Case) दर्ज किया है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है तो अपने वकील की सहायता से न्यायालय में इस बात को अपने बचाव के लिए रख सकते है।
  • इस अपराध से बचने के लिए आपको यह साबित करना होगा की आपने किसी के घर में प्रवेश करने की कोशिश नहीं की या किसी को नुकसान पहुंचाने का आपका कोई इरादा नहीं था।
  • यदि किसी व्यक्ति ने खुद आपको अपने घर बुलाया था, और बाद में आपको फंसाने के लिए उसने झूठे आरोप (False Blame) लगाए। तो उससे संबंधित सबूत भी आप कोर्ट में पेश कर सकते है। जैसे:- उसने आपको फोन या मैसेज करके बुलाया होगा।

        इस प्रकार के मामलों में बचाव के लिए आप सभी को एक अनुभवी वकील की सहायता जरुर लेनी चाहिए। एक वकील आपको कानूनी प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन दे सकता है और आपके बचाव के लिए आपकी मदद कर सकता है।

निष्कर्ष :- BNS Section 333 हमारे घर में घुसकर हम सभी के साथ किए जाने वाले किसी भी नुकसान या अपराध के दोषी व्यक्तियों को सख्त से सख्त सजा का प्रावधान (Provision) करती है। जिससे हम सभी अपने घरों में अपने परिवार के साथ सुरक्षित रह सकते है। यदि आप भी ऐसे अपराधों से पीड़ित (Victim) है या आप पर इस अपराध के आरोप लगे है। तो आप आज ही घर बैठे अपने क्षेत्र के वकीलों से भी हमारे माध्यम से बात करके कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते है।

बीएनएस धारा 334 क्या है |

BNS Section 334

बेईमानी से संपत्ति वाले पात्र को तोड़ना

(1) जो कोई बेईमानी से या शरारत करने के इरादे से, किसी बंद पात्र को तोड़ता है या खोलता है जिसमें संपत्ति होती है या जिसके बारे में उसका मानना ​​है कि उसे दो साल तक की अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, या जुर्माने से, या दोनों से।

(2) जो कोई किसी बंद पात्र को सौंपा गया है जिसमें संपत्ति है या जिसके बारे में उसका मानना है कि उसे खोलने का अधिकार नहीं है, बेईमानी से, या शरारत करने के इरादे से, उस पात्र को तोड़ देगा या खोल देगा, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा। किसी भी प्रकार की अवधि के लिए जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।