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BNS (भारतीय न्याय संहिता ) Part 10

बीएनएस धारा 287 क्या है |

BNS Section 287

आग या ज्वलनशील पदार्थ के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण

         जो कोई आग या किसी ज्वलनशील पदार्थ के साथ कोई कार्य इतनी तेजी से या लापरवाही से करता है कि मानव जीवन को खतरे में डाल सकता है, या किसी अन्य व्यक्ति को चोट या चोट पहुंचाने की संभावना हो या जानबूझकर या लापरवाही से किसी भी आग के साथ ऐसा आदेश लेने से चूक जाए या उसके कब्जे में कोई भी ज्वलनशील पदार्थ, जो ऐसी आग या ज्वलनशील पदार्थ से मानव जीवन को होने वाले किसी भी संभावित खतरे से बचाने के लिए पर्याप्त है, को छह महीने तक की अवधि के लिए कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाएगा। दो हजार रुपये, या दोनों के साथ.

बीएनएस धारा 288 क्या है |

BNS Section 288

विस्फोटक पदार्थ के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण

       जो कोई किसी विस्फोटक पदार्थ के साथ इतनी तेजी से या लापरवाही से कोई कार्य करता है कि मानव जीवन को खतरे में डाल सकता है, या किसी अन्य व्यक्ति को चोट या चोट पहुंचाने की संभावना हो, या जानबूझकर या लापरवाही से किसी भी विस्फोटक पदार्थ के साथ ऐसा आदेश लेने से चूक जाता है। यदि उसका कब्ज़ा उस पदार्थ से मानव जीवन को होने वाले किसी भी संभावित खतरे से बचाने के लिए पर्याप्त है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 289 क्या है |

BNS Section 289

मशीनरी के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण

        जो कोई भी, किसी भी मशीनरी के साथ, इतनी तेजी से या लापरवाही से कोई कार्य करता है कि मानव जीवन को खतरे में डाल सकता है या किसी अन्य व्यक्ति को चोट या चोट पहुंचाने की संभावना हो या जानबूझकर या लापरवाही से अपने कब्जे में या उसके अधीन किसी भी मशीनरी के साथ ऐसा आदेश लेने से चूक जाता है। ऐसी मशीनरी से मानव जीवन को होने वाले किसी भी संभावित खतरे से बचाने के लिए पर्याप्त देखभाल के लिए छह महीने तक की कैद की सजा या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 290 क्या है |

BNS Section 290

इमारतों को गिराने, मरम्मत करने या निर्माण करने आदि के संबंध में लापरवाही भरा आचरण

       जो कोई किसी इमारत को गिराने, मरम्मत करने या निर्माण करने में जानबूझकर या लापरवाही से उस इमारत के साथ ऐसे उपाय करने से चूक जाता है जो उस इमारत या उसके किसी हिस्से के गिरने से मानव जीवन को होने वाले किसी भी संभावित खतरे से बचाने के लिए पर्याप्त हो। छह महीने तक की कैद या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 291 क्या है |

BNS Section 291

जानवर के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण

       जो कोई जानबूझकर या लापरवाही से अपने कब्जे में किसी भी जानवर के साथ ऐसे उपाय करने से चूक जाता है जो मानव जीवन के लिए किसी भी संभावित खतरे, या ऐसे जानवर से गंभीर चोट के किसी भी संभावित खतरे से बचाने के लिए पर्याप्त है, उसे दोनों में से किसी भी तरह के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसकी अवधि छह महीने तक बढ़ सकती है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक बढ़ सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 292 क्या है |

BNS Section 292

क्या आप जानते हैं कि सड़क पर कूड़ा फेंकना या ज़ोर से संगीत बजाना भी एक अपराध है? जी हाँ हम सभी का यह जानना बेहद ज़रूरी है कि हम अपने दैनिक जीवन में कौन से कार्य कर रहे हैं जो कानून के विरुद्ध हैं। आजकल हम सार्वजनिक स्थानों पर लोगों द्वारा किए जाने वाला शोर-शराबा, गंदगी और गंदे व्यवहार को देखते हैं। ये सभी कार्य न केवल हमारे आसपास के वातावरण को प्रदूषित करते हैं बल्कि सार्वजनिक शांति और व्यवस्था को भी भंग करते हैं। आज हम सार्वजनिक उपद्रव के अपराध से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में समझेंगे कि बीएनएस धारा 292 क्या हैं? (BNS Section 292 )? BNS 292 के तहत सजा कितनी है और यह धारा जमानती है या गैर जमानती?

जैसे-जैसे समाज बदलता है वैसे-वैसे कानूनों में भी बदलाव होते रहते हैं। पहले ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 290 लागू होती थी? लेकिन अब जब से भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू हुई है, तब से ही ऐसे मामलों पर बीएनएस की धारा 292 के तहत कार्रवाई की जाती है। यह लेख आपके लिए बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि यह आपको आपके अधिकारों के बारे में जागरूक करेगा। जिसकी मदद से आप जान पाएंगे कि कौन से कार्य कानून के विरुद्ध हैं और आप कैसे अपने आप को इन अपराधों में की जाने वाली कानूनी कार्यवाही से बचा सकते हैं।

बीएनएस धारा 292 क्या है और यह किस अपराध में लागू होती है – BNS Section 292 

भारतीय न्याय संहिता की धारा 292 सार्वजनिक उपद्रव (Public Nuisance) के अपराध से संबंधित है। यह धारा उन कार्यों को अपराध मानती है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा, नैतिकता के लिए हानिकारक होते हैं। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर ऐसे कार्य करता है जो समाज की भलाई के खिलाफ होते हैं, तो वह इस धारा के अंतर्गत आ सकता है। उदाहरण के लिए सड़क पर कूड़ा फेंकना, ज़ोर से संगीत बजाना, सार्वजनिक स्थान पर गलत व्यवहार करना।

यह धारा तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति का कार्य सार्वजनिक शांति (Public peace) और व्यवस्था को भंग करता है। यह किसी भी प्रकार के सार्वजनिक उपद्रव को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है, चाहे वह सड़क पर हो, पार्क में हो या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान (Public Place) पर।

BNS Section 292 लगने के मुख्य तत्व
  • यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर ऐसी गतिविधियों (Activities) में शामिल होता है जो दूसरों के लिए परेशानी या असुविधा का कारण बनती हैं, तो यह धारा लागू हो सकती है।
  • यह धारा निजी संपत्तियों (Private Properties) पर भी लागू हो सकती है यदि वहां की गतिविधियां सार्वजनिक उपद्रव का कारण बनती हैं।
  • इसमें साधारण उल्लंघन (Simple Violation) जैसे कि सार्वजनिक जगह पर गंदगी फैलाना और गंभीर उल्लंघन (Serious Violation) जैसे कि सार्वजनिक शांति को खतरे में डालना शामिल है।
  • धारा 292 का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है।
बीएनएस सेक्शन 292 के अपराध का उदाहरण

अजय और जतिन दो पड़ोसी हैं। अजय रात-रात भर अपने घर में लाउडस्पीकर पर तेज संगीत बजाता हैं। इससे जतिन और मोहल्ले के अन्य लोगों को नींद नहीं आती और उन्हें परेशानी होती है। जतिन ने अजय से कई बार अनुरोध किया कि वह रात में संगीत कम आवाज में बजाएं लेकिन अजय नहीं माना।

         जिसके बाद जतिन को पुलिस में अजय के खिलाफ शिकायत करनी पड़ी। पुलिस ने अजय के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 292 के तहत मामला दर्ज किया। क्योंकि अजय के द्वारा तेज संगीत चलाना सार्वजनिक शांति और व्यवस्था को भंग कर रहा था।

BNS 292 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ मुख्य कार्य
  • सड़क पर कूड़ा, प्लास्टिक या अन्य अवशेष फेंकना जिससे सार्वजनिक स्थान गंदा और अस्वच्छ हो जाए।
  • सार्वजनिक स्थानों पर या रात के समय ज़ोर से संगीत बजाना, जिससे दूसरों की शांति और आराम प्रभावित हो।
  • सार्वजनिक रूप से नशे की हालत में होना गंदी भाषा का प्रयोग करना।
  • सड़क किनारे बिना अनुमति के छोटे स्टॉल या दुकानें लगाना जो लोगों के आने जाने के रास्ते में रुकावट का कारण बने।
  • सार्वजनिक शौचालयों का गलत तरीके से उपयोग करना या उनमें तोड़-फोड़ करना।
  • बिना अनुमति के प्रदर्शनी, सभाएं, या अन्य आयोजन करना जो समाज की व्यवस्था को प्रभावित करें।
  • सार्वजनिक दीवारों पर अश्लील चित्र या गंदे शब्दों को लिखना।
  • सार्वजनिक स्थलों पर अत्यधिक शोर मचाना या लोगों को परेशान करना।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 292 के अपराध में मिलने वाली सजा

बीएनएस की धारा 292 के तहत सार्वजनिक उपद्रव करने पर दंड (Punishment) का प्रावधान है। इस धारा का उद्देश्य सार्वजनिक शांति और व्यवस्था को बनाए रखना है, और इसके उल्लंघन (Violation) पर दोषी (Guilty) व्यक्ति को जेल की सजा ना देकर जुर्माने की सजा दी जा सकती है, जो कि इस प्रकार है।

  • जुर्माना: BNS की सेक्शन 292 के उल्लंघन पर दोषी व्यक्ति को अधिकतम एक हजार रुपये तक का जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है। यह जुर्माना (Fine) अपराध की गंभीरता और प्रकृति के आधार पर तय किया जाता है।
  • गंभीर अपराध: यदि उल्लंघन की प्रकृति गंभीर है या उल्लंघन बार-बार किया गया है, तो दोषी व्यक्ति पर अन्य कानूनी प्रावधानों (Legal Provisions) के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें अतिरिक्त जुर्माना, या अन्य कार्यवाही शामिल हो सकती हैं।
बीएनएस की धारा 292 जमानती है या गैर-जमानती?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 292 में कारावास (Imprisonment) की सजा नहीं है, इसमें मुख्य रुप से जुर्माने की सजा का ही प्रावधान होता है। जेल की सजा ना होने के कारण इसमें जमानत की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन यदि किसी कारण से किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी होती भी है तो यह एक जमानती (Bailable) धारा होती है। इसका मतलब है कि अगर किसी भी कारण से इस धारा के तहत आरोपी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाती है तो आसानी से जमानत मिल जाती है।

निष्कर्ष:- BNS Section 292 एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करता है। यह धारा हमें सार्वजनिक स्थानों पर शालीनता और सम्मान के साथ व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती है।

बीएनएस धारा 293 क्या है |

BNS Section 293

उपद्रव रोकने के आदेश के बाद भी उपद्रव जारी रखना

       जो कोई सार्वजनिक उपद्रव को दोहराता है या जारी रखता है, उसे किसी ऐसे लोक सेवक द्वारा शामिल किया गया है जिसके पास ऐसे उपद्रव को न दोहराने या जारी रखने के लिए ऐसा निषेधाज्ञा जारी करने का कानूनी अधिकार है, तो उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह महीने तक हो सकती है, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से।

बीएनएस धारा 294 क्या है |

BNS Section 294

अश्लील पुस्तकों आदि की बिक्री, आदि

(1) उप-धारा (2) के प्रयोजनों के लिए, एक किताब, पैम्फलेट, कागज, लेखन, ड्राइंग, पेंटिंग, प्रतिनिधित्व, आकृति या कोई अन्य वस्तु, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप में किसी भी सामग्री का प्रदर्शन शामिल है, को माना जाएगा यदि यह कामुक है या धार्मिक हित को आकर्षित करता है या इसका प्रभाव है, या (जहां इसमें दो या दो से अधिक अलग-अलग आइटम शामिल हैं) तो इसके किसी भी आइटम का प्रभाव अश्लील है, यदि समग्र रूप से लिया जाए, जैसे कि भ्रष्ट करने की प्रवृत्ति होती है और भ्रष्ट व्यक्ति, जो सभी प्रासंगिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, इसमें निहित या सन्निहित मामले को पढ़ने, देखने या सुनने की संभावना रखते हैं।

(2) जो भी—
(ए) किसी भी अश्लील पुस्तक, पैम्फलेट को बेचता है, किराए पर देता है, वितरित करता है, सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करता है या किसी भी तरीके से प्रचलन में लाता है, या बिक्री, किराए, वितरण, सार्वजनिक प्रदर्शनी या परिसंचरण के प्रयोजनों के लिए बनाता है, उत्पादन करता है या अपने कब्जे में रखता है। कागज, ड्राइंग, पेंटिंग, प्रतिनिधित्व या आकृति या कोई अन्य अश्लील वस्तु, चाहे वह किसी भी तरीके से हो; या
(बी) उपरोक्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी अश्लील वस्तु का आयात, निर्यात या संप्रेषण करता है, या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसी वस्तु बेची जाएगी, किराए पर दी जाएगी, वितरित की जाएगी या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएगी या किसी भी तरीके से प्रचलन में लाई जाएगी; या
(सी) किसी ऐसे व्यवसाय में भाग लेता है या उससे लाभ प्राप्त करता है जिसके दौरान वह जानता है या उसके पास विश्वास करने का कारण है कि उपरोक्त किसी भी उद्देश्य के लिए ऐसी किसी भी अश्लील वस्तु का उत्पादन, खरीद, रखा, आयात, निर्यात, संप्रेषण किया जाता है। , सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित या किसी भी तरीके से प्रचलन में लाया गया; या
(डी) विज्ञापन देता है या किसी भी माध्यम से यह बताता है कि कोई व्यक्ति किसी ऐसे कार्य में लगा हुआ है या शामिल होने के लिए तैयार है जो इस धारा के तहत अपराध है, या ऐसी कोई अश्लील वस्तु किसी व्यक्ति से या उसके माध्यम से प्राप्त की जा सकती है; या
(ई) कोई ऐसा कार्य करने की पेशकश करता है या प्रयास करता है जो इस धारा के तहत अपराध है, तो पहली बार दोषी पाए जाने पर दो साल तक की कैद और पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। और, दूसरी या बाद की सजा की स्थिति में, किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी, जो दस हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

अपवाद.—यह खंड—तक विस्तारित नहीं है

(ए) कोई किताब, पैम्फलेट, कागज, लेखन, ड्राइंग, पेंटिंग, प्रतिनिधित्व या आकृति –

(i) जिसका प्रकाशन इस आधार पर जनता की भलाई के लिए उचित साबित हो कि ऐसी पुस्तक, पैम्फलेट, कागज, लेखन, ड्राइंग, पेंटिंग, प्रतिनिधित्व या चित्र विज्ञान, साहित्य, कला या सीखने के हित में है या सामान्य चिंता की अन्य वस्तुएँ; या

(ii) जिसे धार्मिक उद्देश्यों के लिए वास्तविक रूप से रखा या उपयोग किया जाता है;

(बी) कोई भी प्रतिनिधित्व मूर्तिकला, उत्कीर्ण, चित्रित या अन्यथा प्रस्तुत किया गया है—

(i) प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के अर्थ के अंतर्गत कोई भी प्राचीन स्मारक; या

(ii) किसी भी मंदिर पर, या मूर्तियों के परिवहन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किसी कार पर, या किसी धार्मिक उद्देश्य के लिए रखी या इस्तेमाल की जाने वाली।

बीएनएस धारा 295 क्या है |

BNS Section 295

       आजकल अश्लील फिल्में या अश्लील पुस्तकें मिलना इतना आसान हो गया है, जिसके संपर्क में छोटे बच्चे भी आ जाते है। जिनके कारण उन के दिमागी विकास पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। ऐसे माहौल से अपने बच्चों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। इसके साथ ही बच्चों तक ऐसी गंदी चीजे पहुँचाने वाले लोगों पर कार्यवाही करने के लिए भी सख्त कानून बनाए गए है। जिसकी जानकारी हम सभी को होना बहुत ही जरुरी है, ताकि ऐसे अपराध करने वाले लोगों पर कार्यवाही की जा सके। इसलिए आज हम भारतीय न्याय संहिता में बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाई गई धारा 295 के बारे में जानेंगे की, बीएनएस की धारा 295 क्या है और यह कब लागू होती है? BNS Section 295 में सज़ा और जमानत का प्रावधान क्या है?

      बच्चों से जुड़े मामलों को बहुत ही गंभीरता से लिया जाता है, जिनमें आवश्यकता पड़ने पर बदलाव भी किए जाते है। इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) 293 को नए कानून यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 295 से बदल दिया गया है। अब इस प्रकार के सभी मामलों में BNS Section 295 के तहत ही कार्यवाही की जाएगी। आज का यह लेख इस अपराध के पीड़ित व आरोपी दोनों प्रकार के व्यक्तियों को आगे की कार्यवाही से जुड़ी सारी जानकारी प्रदान करता है। इसलिए कम से कम समय में इस अपराध की सारी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को खुद भी पढ़े व अन्य लोगों को भी जरुर शेयर करें।

बीएनएस धारा 295 क्या है – कब लगती है?

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 295 बच्चों को अश्लील वस्तुएँ (Pornographic Content) बेचने के अपराध से संबंधित है। जिसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री बेचता है, किराए पर देता है, या प्रदर्शित करने का अपराध करता है। उस व्यक्ति पर बीएनएस धारा 295 का उल्लंघन करने के लिए कार्यवाही की जाती है।

         “अश्लील वस्तु” या अश्लील सामग्री के बारे में बीएनएस की धारा 294 में परिभाषा दी गई है। जिसमें ऐसी वस्तु शामिल होती है जो यौन-संबंधी (Sexual) बातों को दर्शाती है, और जिनको सार्वजनिक रूप से बेचना, प्रदर्शित करना या वितरित करना गैर-कानूनी (Illegal) माना जाता है। जैसे:- अश्लील तस्वीरें, फिल्में, किताबें, पत्रिकाएं आदि।

बीएनएस सेक्शन 295 की मुख्य बातें।

  • किसी बच्चे को अश्लील वस्तु बेचना, दिखाना, या उनको संभाल कर रखने के लिए देना।
  • किसी भी बच्चे को गंदी फिल्में दिखाने के लिए मजबूर करना।
  • इसमें Online और Offline दोनों तरीके से बच्चे को अश्लील वस्तु भेजना अपराध माना जाता है।
  • जो भी व्यक्ति इस प्रकार का गंभीर अपराध करता है, उस व्यक्ति को धारा 295 के तहत कारावास व जुर्माने की सजा का प्रावधान (Provision) दिया गया है।
बीएनएस की धारा 295 का उदाहरण:-

         सुरेश नाम का एक व्यक्ति मोबाईल की दुकान चलाता था, रोजाना उसके पास बहुत सारे ग्राहक अपना फोन रिपेयर कराने आते थे। उसी दुकान में सुरेश कुछ गैर-कानूनी काम भी करता था। सुरेश अपनी दुकान पर आने वाले लोगों से पैसे लेकर उनके फोन में अश्लील फिल्में डालता था। उसकी दुकान पर स्कूल में पढ़ने वाले छात्र भी आते थे, और सुरेश उन्हें गंदी लत लगाने के लिए ऐसी फिल्में दे देता था।

        एक दिन किसी व्यक्ति को सुरेश के इन गैर-कानूनी कार्यों की जानकारी हो जाती है, जिसकी शिकायत वो व्यक्ति पुलिस को कर देता है। कुछ ही समय बाद पुलिस वहाँ आ जाती है, और सुरेश को BNS 295 के आरोप के तहत गिरफ्तार कर लेती है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 295 के अपराध की सज़ा

        बीएनएस की धारा 295 के तहत किसी बच्चे को अश्लील सामग्री बेचने के अपराध में दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को 2 प्रकार की सजा से दंडित किया जा सकता है।

  1. यदि कोई व्यक्ति पहली बार इस अपराध को करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे 3 साल तक की कैद व 2000 रुपये के जुर्माने से दंडित (Punished) किया जाता है।
  2. परन्तु अगर कोई व्यक्ति एक से ज्यादा बार या बार-बार इस अपराध को करता है, तो दोषी पाये जाने पर उसे 7 साल तक की कैद व 5000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 295 में जमानत कब व कैसे मिलती है

         यह धारा अपराध बच्चों के साथ होने वाले अपराध से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह एक संज्ञेय (Cognizable) यानी गंभीर अपराध होता है। यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार का अपराध करते हुए पाया जाता है तो पुलिस उस व्यक्ति को तुरन्त गिरफ्तार कर सकती है। इसके साथ ही यह अपराध गैर-जमानती (Non-Bailable) है, जिसमें गिरफ्तारी के बाद आरोपी को अधिकार के तौर पर जमानत (Bail) नहीं दी जाती है।

जमानत के लिए कुछ आवश्यक बाते:-

        वैसे तो BNS 295 गैर-जमानती है, लेकिन कुछ ऐसी बाते है जिनके आधार पर आरोपी व्यक्ति जमानत के लिए अदालत में आवेदन कर सकता है।

  • यदि आरोपी के खिलाफ कम सबूत या गलत सबूत पाये जाते है।
  • आरोपी का पुराना कोई भी आपराधिक इतिहास (Criminal History) नहीं होना चाहिए।
  • किसी भी प्रकार की मेडिकल समस्या होने पर। जैसे:- कोई गंभीर बीमारी होने पर।

ऐसी किसी भी स्थिति में आप अपने वकील की सहायता से जमानत के लिए आवेदन दायर कर सकते है, जिसके बाद आपको जमानत देने का फैसला अदालत के उपर ही निर्भर करता है।

बीएनएस​ धारा 295 के आरोपी व्यक्ति के लिए बचाव के कुछ उपाय:-

      यहां कुछ बचाव के उपाय दिए गए हैं जिन पर आपका वकील विचार कर सकता है:-

  1. धारा 295 के अपराध के लिए यदि आप पर आरोप (Blame) लगाए जाते है, तो सबसे पहले आपको किसी वकील के पास जाकर सारी घटना के बारे में बताना चाहिए।
  2. यदि आपके पास खुद को निर्दोष (innocent) साबित करने वाले कोई भी सबूत मौजूद है, तो उन्हें अपने वकील को जरुर दिखाए।
  3. यदि आपके पास अश्लील सामग्री रखने या वितरित करने का कोई सही कारण था, तो आप न्यायालय में इस बात को जरुर बताए। जैसे कोई शिक्षक कक्षा में बच्चों को पढ़ाने के लिए यौन शोषण से जुड़े मामलों को सिखाने के लिए इस्तेमाल करता हो।
  4. यदि आप किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या (Mental Problem) से पीड़ित थे, जिसके कारण आपसे ये अपराध हुआ है। तो आपका वकील आपकी मेडिकल रिपोर्ट को भी आपके बचाव के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
  5. कोर्ट में हमेशा अपने वकील के निर्देशों का पालन करें, यदि आपने कोई अपराध नहीं किया होगा तो अदालत सबूतों के आधार पर आप पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर सकती है।
BNS Section 295 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ कार्य:-
  • किसी बच्चे को इंटरनेट, फोन, या किसी अन्य माध्यम से अश्लील फोटो या वीडियो दिखाना।
  • किसी बच्चे को अश्लील किताबें या पत्रिकाएं देना, इसमें ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों प्रकार की सामग्री शामिल है।
  • किसी बच्चे को अश्लील चीजें बनाने के मजबूर करना इसमें उन्हें फोटो, वीडियो या अन्य सामग्री बनाने के लिए कहना शामिल है।
  • किसी बच्चे को ऐसे जगह पर ले जाना जहां उन्हें गंदी चीजें दिखाई दे।
  • बच्चों को अश्लीलता के बारे में सिखाना या उन्हें इसके प्रति रुचि पैदा करना शामिल है।

       इनसे अलग भी ऐसे बहुत सारे कार्य हो सकते है जिनको करने वाले व्यक्ति पर इस धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है।

निष्कर्ष :- निष्कर्ष BNS की धारा 295 भारत में बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा के रूप में कार्य करती है। अश्लील सामग्री की बिक्री और वितरण पर रोक लगाकर, यह उनके बढ़ने और विकसित होने के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाता है।

बीएनएस धारा 296 क्या है |

BNS Section 296

       अक्सर भीड़-भाड़ वाली जगहों पर कुछ ऐसे लोग दिखाई दे जाते है, जो गंदे गाने गाकर या गाली-गलौज करके दूसरे लोगों को परेशान करते है। चाहे सड़क किनारे हो, पार्कों में या किसी अन्य सार्वजनिक स्थल पर ऐसे व्यवहार के कारण बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों पर बहुत ही बुरा असर होता है। सार्वजनिक जगहों पर कोई भी ऐसा गलत कार्य करना जिससे वहाँ मौजूद लोगों के लिए परेशानी हो, कानूनी रुप से एक दंडनीय अपराध है। जिसकी जानकारी के अभाव में हम हँसी मजाक में किए गए कार्यों के कारण भी अपराधी बन सकते है। आज हम ऐसे ही अपराध से जुडी भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में समझेंगे कि, बीएनएस की धारा 296 क्या है (BNS Section 296) और यह कब लगाई जाती है? धारा 296 के तहत सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?

       हमारे देश में ऐसी अश्लील हरकतों को रोकने के लिए आवश्यक कानून बनाए गए हैं। पहले इस तरह के मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 लगाई जाती थी। लेकिन कानून में बदलाव किए जाने के बाद ऐसे मामलों में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 296 लगाई जाती है। इस लेख के माध्यम से हम बीएनएस की धारा 296 के बारे में जानेंगे और समझेंगे कि यह धारा हमारे समाज को कैसे सुरक्षित बनाती है। अगर आप भी इस विषय में अधिक जानना चाहते हैं, तो इस लेख को पूरा पढ़ेंl

बीएनएस की धारा 296 क्या है – BNS Section 296 

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 296 सार्वजनिक स्थानों (Public Places) पर अश्लीलता और अशांति फैलाने वाले कार्यों से संबंधित है। यह धारा समाज में शांति और सद्भाव (Harmony) बनाए रखने के लिए बनाई गई है। इस धारा के तहत ऐसे कामों को अपराध माना जाता है जो दूसरों के लिए परेशानी पैदा करते हैं। इसे दो हिस्सों में बांटा गया है:-

  1. अश्लील हरकत करना: अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान (लोगों के आने-जाने की जगह) पर ऐसी कोई हरकत करता है, जो अश्लील (obscene) मानी जाए और जिससे अन्य लोग असुविधा या परेशानी महसूस करें, तो ऐसा करना इस कानून का उल्लंघन माना जाएगा।
  2. अश्लील गाना या बोलना: यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर या उसके आस-पास अश्लील व गंदे गाने गाता है। जिससे वहाँ मौजूद लोगों का अपमान (Insult) होता है और उन्हें परेशानी होती है, तो यह भी BNS की धारा 296 के तहत अपराध माना जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 296 लगने के मुख्य बिंदु
  • सार्वजनिक स्थान: अपराध किसी सार्वजनिक स्थान पर या उसके आसपास हुआ हो। सार्वजनिक स्थान का अर्थ किसी भी ऐसी जगह से है जहां आम जनता का आना-जाना हो, जैसे सड़क, पार्क, बाजार, बस स्टॉप आदि।
  • अश्लील कृत्य: आरोपी (Accused) ने कोई ऐसा कार्य किया होगा जो आम तौर पर अश्लील या गलत माना जाता हो। अश्लीलता की परिभाषा समय और समाज के अनुसार बदलती रहती है, लेकिन यह आम तौर पर ऐसी हरकत को बताता है जो दूसरों को अपमानित करती हो या उनकी भावनाओं को आहत (Hurt) करती हो।
  • सार्वजनिक रूप से करना: यह अपराध सार्वजनिक रूप से किया गया हो। यानी ऐसा गंदा कार्य जो दूसरों द्वारा देखा या सुना जा सके।
  • अनैतिक उद्देश्य: आरोपी ने यह कार्य किसी गलत उद्देश्य से किया होगा। जैसे कि दूसरों को परेशान करना, शर्मिंदा करना या किसी का अपमान करना।
BNS Section 296 में अपराध माने जाने वाले कुछ कार्य
  • सार्वजनिक जगह (Public Places) पर जोर से अश्लील गाने-गाना।
  • सार्वजनिक स्थान पर गाली-गलौज (Abuse) या अश्लील भाषा का इस्तेमाल करना।
  • सड़क, पार्क, या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर अश्लील चित्र या वीडियो दिखाना।
  • लोगों के आने जाने की जगहों पर किसी भी व्यक्ति की तरफ गंदे इशारे करना।
  • किसी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील तरीके से नाचना या किसी गलत चीज का प्रदर्शन करना जिससे दूसरों को परेशानी महसूस हो।
  • सार्वजनिक रूप से अपने किसी दोस्तों के साथ अश्लील बातें करना जो और लोगों को भी सुनाई दे।
  • किसी व्यक्ति को गलत शब्द बोलकर उसका अपमान करने की कोशिश करना।
बीएनएस की धारा 296 का उदाहरण

        मोहन व सुमित दो बहुत ही अच्छे दोस्त थे जो अपना अधिकतर समय एक साथ ही बिताते थे। एक दिन वो दोनों शाम को एक पार्क में चले जाते है, जहाँ बहुत सारे लोग सैर कर रहे थे, और बच्चे खेल रहे थे। अचानक सुमित पार्क में घूमते समय जोर-जोर से अश्लील गाने गाना शुरू कर देता है। इसके साथ ही वह गाने के साथ-साथ अश्लील इशारे भी करने लगा, जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग पर बहुत परेशान होने लगे। मोहन ने सुमित को समझाया भी की वो ऐसा ना करें, लेकिन सुमित नहीं माना।

       थोड़ी देर बाद पार्क में मौजूद लोग सुमित की ऐसी हरकतों से बहुत परेशान हो गए, और उसकी शिकायत पुलिस में कर देते है। कुछ ही देर बाद पुलिस वहाँ आ जाती है और सुमित को सार्वजनिक स्थान पर अश्लील गाने गाने और इशारे करने कि BNS की धारा 296 के तहत गिरफ्तार कर लेते है।

बीएनएस की धारा 296 में सजा – BNS Section 296 Punishment 

       BNS की धारा 296 के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर जाकर गंदे गाने (Dirty Songs) गाकर या अश्लील हरकत (Obscene Act) करके लोगों को परेशान करने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है। उसे इस अपराध की सजा के तौर पर तीन महीने तक की जेल या 1000 रुपये के जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 296 में जमानत के लिए कानूनी प्रावधान क्या है

        बीएनएस की धारा 296 एक जमानती व संज्ञेय अपराध (Bailable or Cognizable Offense) है। जिसमें अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर ऐसी कोई गलत हरकत करते हुए पाया जाता है, तो शिकायत के आधार पर ही पुलिस उसे तुरन्त गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन धारा 296 के जमानती (Bailable) होने के कारण आरोपी व्यक्ति को जमानत भी बहुत ही आसानी से मिल जाती है।

निष्कर्ष :- BNS Section 296 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक स्थानों पर ऐसा कोई कार्य न किया जाए, जिससे अन्य लोग परेशान हो। इसमें अश्लील हरकतें करना या अश्लील भाषा का इस्तेमाल करना शामिल है। अगर कोई व्यक्ति ऐसी हरकतें करता है, तो उसे जेल या जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।

बीएनएस धारा 297 क्या है |

BNS Section 297

        क्या आप जानते हैं कि एक साधारण लॉटरी टिकट किसी व्यक्ति को जेल भी पहुंचा सकता है? आपने अक्सर देखा होगा कि कई जगहों पर तरह-तरह की लॉटरी चलती रहती हैं। इनमें से कुछ लॉटरी सरकार द्वारा अधिकृत होती हैं, जबकि कुछ पूरी तरह से अवैध होती हैं। इन अवैध लॉटरी में भाग लेना एक अपराध है, और इसके लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। कई बार लोग आसानी से पैसे कमाने के लालच में इन लॉटरी में फंस जाते हैं। हमें यह जरुर जानना चाहिए कि इन अवैध लॉटरी में शामिल होने के क्या-क्या परिणाम हो सकते हैं। आज हम ऐसे ही अपराध से जुडी भारतीय न्याय संहिता की धारा को समझेंगे कि, बीएनएस की धारा 297 क्या है, यह कब लागू होती है (BNS Section 297)? अवैध लॉटरी ऑफिस खोलने की धारा में सजा और जमानत का प्रावधान?

        अनधिकृत लॉटरी यह एक ऐसा अपराध है जो न केवल व्यक्तिगत जीवन को बर्बाद कर सकता है बल्कि समाज को भी नुकसान पहुंचाता है। पहले इस तरह के अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294a के तहत कार्रवाई की जाती थी। हालांकि, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के लागू होने के बाद इस तरह के मामलों को अब बीएनएस की धारा 297 के तहत लागू किया जाने लगा है। यह नई संहिता अधिक स्पष्ट परिभाषाएं और कड़े दंड प्रदान करती है, जिससे ऐसे अपराधों में जल्द से जल्द कार्यवाही करने व दंड देने की संभावना बढ़ जाती है।

बीएनएस की धारा 297 क्या है – BNS Section 297 (1) (2) 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 297 लॉटरी कार्यालय (Lottery Office) रखने के अपराध से संबंधित है जिसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति राज्य सरकार की अनुमति के बिना लॉटरी का कार्यालय चलाता है, तो वह BNS 297 के तहत अपराध कर रहा होता है।

        गैर-अधिकृत लॉटरी (non-authorized lottery) का मतलब ऐसी लॉटरी से है जो राज्य सरकार द्वारा अधिकृत या स्वीकृत (Accepted) नहीं है। केवल राज्य सरकार या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाएं ही लॉटरी चला सकती हैं। यदि कोई व्यक्ति या संगठन राज्य सरकार की अनुमति के बिना लॉटरी का आयोजन करता है, तो वह गैर-कानूनी (Illegal) माना जाएगा।

इस अपराध को 2 उपधाराओं (Sub-Sections) के द्वारा विस्तार से बताया गया है जो कि इस प्रकार है:-

बीएनएस की धारा 297 (1):- यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति अनधिकृत लॉटरी का कार्यालय चलाता है यानी राज्य सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त किए बिना लॉटरी का कार्यालय चलाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी गैर-अधिकृत लॉटरी को चलाने के लिए कोई स्थान (जैसे कार्यालय, दुकान, या अन्य जगह) का प्रबंध करता है या रखता है, तो यह धारा 297(1) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

बीएनएस की धारा 297 (2):- यदि कोई व्यक्ति किसी समाचार पत्र, वेबसाइट, सोशल मीडिया, या किसी अन्य माध्यम से इस तरह का विज्ञापन या प्रस्ताव (Advertisement or Offer) प्रकाशित करता है, जिसमें वह किसी घटना (जैसे लॉटरी का टिकट) से जुड़ी राशि या सामान जीतने की बात करता है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।
उदाहरण के लिए अगर कोई विज्ञापन प्रकाशित करता है कि “इस लॉटरी टिकट को खरीदें और इनाम जीतें,” जबकि वह लॉटरी सरकार द्वारा अधिकृत नहीं है, तो यह व्यक्ति कानून का उल्लंघन कर रहा है।

इस धारा के लागू होने के लिए मुख्य तत्व
  • इस धारा का उद्देश्य उन लॉटरी कार्यालयों को रोकना है जो राज्य सरकार (State Government) द्वारा अनुमति नहीं प्राप्त करते हैं।
  • अपराधी को जेल की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
  • यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा अनुमति नहीं प्राप्त लॉटरी कार्यालय चलाता है।
  • धारा 297 के तहत, लॉटरी कार्यालय चलाने के अलावा, लॉटरी में भाग लेना भी अपराध माना जा सकता है।
धारा 297 लागू होने के लिए कुछ आपराधिक कृत्य
  • बिना सरकारी अनुमति के लॉटरी कार्यालय खोलना।
  • अनधिकृत लॉटरी टिकट बेचना।
  • गैर कानूनी रुप से लॉटरी खरीदना जैसे कि टिकट खरीदना, परिणाम देखना, या पुरस्कार जीतना।
  • अनधिकृत लॉटरी का प्रचार करना चाहे वह किसी भी माध्यम से हो, जैसे कि सोशल मीडिया, अखबार, या व्यक्तिगत रूप से।
  • अनधिकृत लॉटरी का आयोजन करना चाहे वह छोटे स्तर पर हो या बड़े स्तर पर।
  • अनधिकृत लॉटरी के लिए जगह उपलब्ध कराना जैसे कि किसी भवन या संपत्ति को किराए पर देना।
बीएनएस सेक्शन 297 के अपराध का उदाहरण

       रामू का एक छोटी सी किरयाने की दुकान चलाता था। एक दिन श्याम नाम का एक व्यक्ति रामू की दुकान पर आता है और उसे एक लॉटरी स्कीम के बारे में बताता है। वो उसे कहता है कि इसमें निवेश करने वाले को बड़ा इनाम जीतने का मौका मिलेगा। बस तुम्हें मेरी लॉटरी के टिकट बेचने होंगे।” रामू पैसे के लालच में आकर इस काम को करने लगता है।

        रामू ने श्याम की बात मान ली और अगले दिन उसने अपनी दुकान के बाहर एक बड़ा पोस्टर लगा दिया। उस पोस्टर में लिखा था, “बड़ी इनामी लॉटरी! केवल 50 रुपये में टिकट खरीदें और लाखों का इनाम जीतें।” कई लोग रामू की दुकान पर आए और टिकट खरीदने लगे। लेकिन कुछ दिनों बाद पुलिस रामू की दुकान पर आती है और उसे बताती है कि यह एक गैर-कानूनी कार्य है। जिसके बाद पुलिस रामू के खिलाफ धारा 297 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही करती है।

लॉटरी कार्यालय खोलने की बीएनएस धारा 297 में सजा

       बीएनएस की धारा 297 के अपराध का उल्लंघन (Violation) करने वाले व्यक्तियों को इसकी 2 मुख्य उपधाराओं (Sub-Sections) के तहत सजा के प्रावधान के बारे में बताया गया है:-

  • BNS 297 (1) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति किसी प्रकार की गैर-कानूनी लॉटरी (Illegal lottery) की गतिविधि में शामिल पाया जाता है, तो उसे छह महीने तक की कैद, जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
  • BNS 297 (2) की सजा:- यदि कोई बिना सरकारी अनुमति के किसी लॉटरी का प्रचार (Publicity) करने का दोषी पाया जाता है तो उसे इस अपराध के लिए सजा के रूप में पाँच हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 297 में जमानत का प्रावधान

        बीएनएस की धारा 297 के प्रावधान अनुसार गैर-कानूनी रुप से लौटरी बेचने या उसका प्रचार करने का यह अपराध गैर-संज्ञेय (Non-Cognizable) होता है, जिसका मतलब है कि यह ज्यादा गंभीर अपराध नहीं है। इसके साथ ही इस यह एक जमानती अपराध (Bailable Offence) भी होता है, जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) बहुत ही आसानी से मिल जाती है।

निष्कर्ष: BNS की धारा 297 में अनधिकृत लॉटरी एक गंभीर अपराध है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को बर्बाद कर सकता है, बल्कि समाज पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इस लेख के माध्यम से हमने समझा है कि अनधिकृत लॉटरी क्या है, इसके खतरे क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।

बीएनएस धारा 298 क्या है |

BNS Section 298

       आजकल धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करने वाले मामले रोजाना सुनने व देखने को मिल ही जाते है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयान और पोस्ट आम हो गए हैं। धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले अपराध न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज के स्तर पर भी गंभीर परिणाम पैदा कर सकते हैं। इन अपराधों से धार्मिक समुदायों के बीच तनाव बढ़ता है और हिंसा भी भड़क सकती है। इसलिए, इस मुद्दे के बारे में जागरूक होना और इसे गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है। इसी विषय के संबंध में भारतीय न्याय संहिता की धारा 298 के द्वारा हम जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 298 क्या है (BNS Section 298 in Hindi)? यह धारा कब लगती है और इस धारा में जमानत और सजा का क्या प्रावधान है?

        भारत में धर्म व धार्मिक चीजें हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले अपराधों से निपटने के लिए आईपीसी (Indian Penal Code) में पहले धारा 295 का प्रावधान (Provision) था। लेकिन समय के साथ-साथ कानूनी व्यवस्था में बदलाव हुए और अब ऐसे मामलों पर बीएनएस (Bhartiya Nyaya Sanhita) की धारा 298 के तहत कार्रवाई की जाती है। धारा 298 धार्मिक भावनाओं को आहत करने के अपराध को और अधिक गंभीरता से लेती है और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान करती है।

बीएनएस की धारा 298 क्या है – BNS Section 298 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 298 धार्मिक भावनाओं (Religious Sentiments) को आहत करने के अपराध से संबंधित है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी धर्म या धार्मिक विश्वासों (Religious Beliefs) को अपमानित करने के उद्देश्य से किसी धर्मस्थल, पूजा स्थल, या किसी धर्म के प्रतीक या उससे संबंधित वस्तु को नष्ट करता है, क्षति पहुंचाता है, या अपवित्र करता है। तो ऐसे व्यक्ति पर BNS की धारा 298 लागू कर दंड के लिए कानूनी कार्यवाही की जाती है।

बीएनएस सेक्शन 298 के महत्वपूर्ण बिंदु:-
  • आरोपी का उद्देश्य किसी धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान (Insult) करना होना चाहिए।
  • किसी धार्मिक स्थल, पूजा स्थान, या धार्मिक प्रतीक (Religious Symbols) को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना या अपवित्र (Impure) करना।
  • यह साबित होना चाहिए कि यह कार्य जानबूझकर किया गया है, गलती से नहीं।
  • यह कृत्य धार्मिक भावनाओं को आहत करके समाज में अशांति या विवाद पैदा कर सकता है।
  • इस धारा के तहत दोष पाए जाने पर कारावास और जुर्माना (Imprisonment Or fine) हो सकता है।
धारा 298 के तहत किन कार्यों को अपराध माना जा सकता है?
  • जानबूझकर किसी धर्म के देवताओं की मूर्ति को तोड़ना या नुकसान पहुंचाना।
  • मस्जिद की दीवारें या अन्य चीजों को जानबूझकर (Intentionally) नुकसान पहुंचाना।
  • पुजा स्थल के अंदर कचरा या अन्य अपवित्र वस्तुएं फेंकना।
  • धार्मिक पुस्तकों जैसे गीता, कुरान, बाइबिल आदि को जलाना।
  • किसी मंदिर, मस्जिद, चर्च, या गुरुद्वारे में गोबर, खून, या अन्य अपवित्र पदार्थ फेंकना।
  • धार्मिक स्थलों की दीवारों पर अश्लील या आपत्तिजनक चित्र बनाना।
  • किसी धर्म के प्रतीक झंडे को जलाना या अपमानित करना।
  • किसी धर्म के धार्मिक समारोह को जबरन रोकना या उसमें बाधा डालना।
  • जानबूझकर धार्मिक स्थल पर शोर-शराबा या विवाद पैदा करना।
  • किसी धार्मिक आयोजन को जानबूझकर रोकने की कोशिश करना।
बीएनएस सेक्शन 298 के अपराध का उदाहरण

         अजय का परिवार एक धार्मिक उत्सव के लिए पार्क में विशेष पूजा आयोजन कर रहा था। पार्क में उन्होंने पूजा के लिए धार्मिक प्रतीकों और झंडों को सजाया था। पूजा समाप्त होने के बाद अजय और उसके परिवार ने झंडों और अन्य पूजा सामग्री को साफ-सुथरा रखने का ध्यान रखा। राकेश जो धार्मिक प्रतीकों की कद्र नहीं करता था, पार्क से गुज़रते समय उसने गलत ढंग से उन धार्मिक झंडों को फाड़ दिया और पूजा सामग्री को कुचल दिया। यह सब देखकर अजय बहुत दुखी और नाराज हो गया।

        अजय ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और राकेश के खिलाफ धारा 298 के तहत शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने राकेश को पूछताछ के लिए बुलाया और उसे धार्मिक प्रतीकों को नुकसान पहुंचाने के लिए सजा दी।

BNS Section 298 के तहत अपराध की सजा

       बीएनएस की धारा 298 उन अपराधों को दंडित (Punished) करती है, जो धार्मिक स्थलों, पूजा स्थलों, या धार्मिक प्रतीकों के अपमान या नुकसान से संबंधित होते हैं। इसलिए धारा 298 के तहत दोषी (Guilty) पाए गए व्यक्तियों को 2 वर्ष की कारावास व जुर्माने (Imprisonment Or Fine) से दंडित किया जाता है।

बीएनएस की धारा 298 में जमानत का प्रावधान

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 298 के तहत दर्ज किए गए मामलों को गैर-जमानती व संज्ञेय अपराध (Non-Bailable Or Cognizable Offence) माना जाता है। संज्ञेय अपराध की स्थिति में पुलिस को तत्काल कार्यवाही का अधिकार होता है और आरोपी की गिरफ्तारी तुरंत की जा सकती है। गैर-जमानती होने के कारण इस अपराध के आरोपी (Accused) को जमानत (Bail) पर छोड़े जाने की संभावना नहीं होती है। यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।

निष्कर्ष:- BNS की धारा 298 भारतीय समाज में धार्मिक सद्भाव बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कानून है। यह कानून हमें याद दिलाता है कि हर व्यक्ति को अपने धार्मिक विश्वासों का पालन करने का अधिकार है और किसी को भी किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार नहीं है। धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले बयान या कृत्य न केवल कानून का उल्लंघन होते हैं, बल्कि समाज में अशांति फैलाते हैं।

बीएनएस धारा 299 क्या है |

BNS Section 299

जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है

        जो कोई, भारत के नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से, मौखिक या लिखित शब्दों से, संकेतों द्वारा या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से या अन्यथा अपमान करता है या अपमान करने का प्रयास करता है। धर्म या उस वर्ग की धार्मिक मान्यताओं का उल्लंघन करने पर किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 300 क्या है |

BNS Section 300

धार्मिक सभा में विघ्न डालना

जो कोई भी स्वेच्छा से धार्मिक पूजा, या धार्मिक समारोहों के प्रदर्शन में कानूनी रूप से लगे किसी भी जमावड़े में अशांति पैदा करेगा, उसे एक अवधि के लिए कारावास, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 301 क्या है |

BNS Section 301

कब्रिस्तान आदि पर अतिक्रमण करना

        जो कोई किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से, या किसी व्यक्ति के धर्म का अपमान करने के इरादे से या यह जानते हुए कि किसी व्यक्ति की भावनाएँ आहत होने की संभावना है, या किसी व्यक्ति के धर्म का अपमान करने की संभावना है। इससे अपमानित, किसी पूजा स्थल या किसी कब्रगाह पर, या अंतिम संस्कार के लिए या मृतकों के अवशेषों के भंडार के रूप में अलग किए गए किसी स्थान पर कोई अतिक्रमण करता है, या किसी मानव शव को कोई अपमान प्रदान करता है, या अंतिम संस्कार समारोहों के प्रदर्शन के लिए इकट्ठे हुए किसी भी व्यक्ति को परेशान करता है, तो उसे एक वर्ष तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 302 क्या है |

BNS Section 302

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के जानबूझकर इरादे से शब्दों आदि का उच्चारण करना

        जो कोई, किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के जानबूझकर इरादे से, उस व्यक्ति की सुनवाई में कोई शब्द बोलता है या कोई आवाज निकालता है या उन व्यक्तियों की दृष्टि में कोई इशारा करता है या उस व्यक्ति की दृष्टि में कोई वस्तु रखता है , किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

बीएनएस धारा 303 क्या है |

BNS Section 303

चोरी

          चोरी एक ऐसा अपराध है, जो देश के हर राज्य व हर क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ता जा रहा है। कभी न्यूज चैनलों व कभी इंटरनेट पर जहाँ देखो वहाँ चोरी के मामले दिखाई दे जाते है। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए हमारे देश में सख्त से सख्त कानून बनाए गए है, जो अपराधियों को उनके किए गए अपराध के लिए सजा (Punishment) देते है। लेकिन ऐसे अपराधों से बचने के लिए हम सभी का कानूनी जानकारियों से अवगत होना भी बहुत जरुरी है। इसलिए आज हम चोरी (Theft) के अपराध से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धारा 303 के बारे में जानेंगे कि, बीएनएस की धारा 303 क्या हैचोरी करने पर कौन सी धारा लगती हैBNS Section 303 में जमानती है या गैर जमानती?

       चोरी जैसा अपराध कभी भी किसी के साथ भी हो सकता है। इसीलिए ऐसे जुर्म (Crime) के खिलाफ हम तभी कोई कार्यवाही कर सकते है जब हमें भारतीय कानून की सही जानकारी प्राप्त हो। चोरी जैसे जुर्म में सजा देने के लिए पहले आईपीसी की धारा 379 (पुराने कानून) के तहत कार्यवाही की जाती थी। जिसे अब नए कानून यानि भारतीय न्याय संहिता की धारा 303 से बदल दिया गया है।

बीएनएस की धारा 303 क्या है – BNS Section 303 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा (BNS Section) 303 चोरी के अपराध से संबंधित है। इसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति बेईमानी (Dishonesty) से किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे (Possession) से उसकी सहमति के बिना किसी संपत्ति को अपने कब्ज़े मैं करने का इरादा रखता है। या उस संपत्ति को अपने साथ छिपा कर ले जाता है, वह चोरी कहलाती है।

        सरल भाषा द्वारा समझे तो इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को बेईमानी से अपने पास रखने के लिए साथ ले जाता है। साथ ही ऐसा कार्य वो उस संपत्ति के मालिक की अनुमति के बिना करता है, यानी चोरी करने के इरादे से उस वस्तु को अपने साथ ले जाता है। उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 303 लागू होती है, जिसमें आरोपी व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही कर उसे दंड दिया जाता है।

बीएनएस की धारा 303 के मुख्य बिंदु क्या है?
  • बेईमानी का इरादा: आरोपी का इरादा किसी संपत्ति को बेईमानी से लेने का होना चाहिए। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति उस संपत्ति को अपने साथ रखने के लिए उसके असल मालिक (Real owner) से उस संपत्ति को दूर कर देता है।
  • चल संपत्ति: चोरी की गई वस्तु चल संपत्ति (Moveable property) होनी चाहिए। ज़मीन, इमारतें और ज़मीन से जुड़ी हुई वस्तुओं को तब तक चल संपत्ति नहीं माना जाता जब तक कि उन्हें अलग न कर दिया जाए।
  • कब्जे से लेना: संपत्ति लेने के समय किसी दूसरे व्यक्ति के कब्जे में होनी चाहिए। यानी जो संपत्ति हम प्राप्त कर रहे है उस संपत्ति का कोई मालिक होना चाहिए।
  • बिना सहमति के लेना:- किसी संपत्ति को बिना उसके मालिक की सहमति के ले जाना। बल, जबरदस्ती या धोखे से प्राप्त हुई सहमति को वैध (Valid) नहीं माना जाएगा।
  • संपत्ति की आवाजाही: आरोपी ने संपत्ति को ले जाने के लिए किसी तरह से उसे हिलाया होगा। ऐसा उसके रास्ते में आने वाली बाधा को हटाना या उसे किसी और चीज़ से अलग करना हो सकता है।
चोरी के अपराध की धारा 303 का उदाहरण

       माया एक दिन अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्क में पिकनिक मनाने के लिए गई हुई थी। वही पार्क में माया ने अपने पर्स व फोन को रख दिया था। जिसके बाद माया अपने दोस्तों के साथ पार्क में ही थोड़ी दूरी पर खेलने लग जाती है। उसी समय राहुल नाम के एक लड़के की नजर माया के पर्स व फोन पर पड़ जाती है।

        माया का ध्यान पुरी तरह से खेलने में लगा हुआ था, इसी बात का फायदा उठाकर राहुल माया के पर्स व फोन को बिना उसकी अनुमति के अपने साथ ले जाने के इरादे से उठा ले जाता है। जब माया वहाँ आकर देखती है तो उसे अपना पर्स व फोन दोनों उस जगह से गायब दिखाई देते है।

       उसी समय जब राहुल माया को पर्स व फोन ले जा रहा होता है, तो एक व्यक्ति उसे पकड़ लेता है। जिसके बाद वो व्यक्ति वहाँ पर पुलिस बुला लेता है, और माया को उसका पर्स व फोन लौटा देता है। वही पुलिस राहुल पर बीएनएस के तहत आने वाली चोरी करने की धारा BNS Section 303 के तहत शिकायत दर्ज (Complaint Register) कर उस पर कार्यवाही करती है।

भारतीय न्याय संहिता में चोरी की धारा 303 में सजा – Punishment 

         Bhartiya Nyaya Sanhita की धारा 303 में चोरी के लिए सजा (Punishment For Theft) के बारे में बताया गया है, कि जो कोई भी व्यक्ति चोरी करने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है। उसे सजा के तौर पर तीन साल तक की कैद व जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। वही बार-बार इस तरह के अपराध करने वालों के लिए सज़ा ज़्यादा सख्त हो सकती है। जिसमें कम से कम एक साल की सज़ा से लेकर 5 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों शामिल है।

BNS Section 303 में जमानत कब और कैसे मिलती है

       भारतीय न्याय संहिता की धारा 303 के प्रावधान (Provision) अनुसार चोरी करना कानून एक गंभीर अपराध माना जाता है, जिसे संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) की श्रेणी में रखा गया है। जिसके कारण यह एक गैर-जमानती (Non-bailable) सेक्शन है, जिसका सीधा मतलब यह है कि चोरी करने वाले व्यक्ति को जमानत मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

       लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते है, जिनमें किसी संपत्ति की चोरी उसकी कीमत पर निर्भर करती है। सरल भाषा में समझे तो यदि चोरी की गई वस्तु ज्यादा महंगी नहीं है तो उस केस में आपको एक वकील की सहायता से जमानत (Bail) मिलने में आसानी हो जाती है।

कुछ ऐसे कार्य जो बीएनएस सेक्शन 303 के तहत चोरी की श्रेणी में आते है
  • किसी की जमीन, घर, या वाहन को बिना अनुमति के ले लेना।
  • नकद, क्रेडिट कार्ड, या बैंक खाते से पैसे चुराना।
  • किसी कंपनी से उपकरण, सामान, या सेवाएं बिना अनुमति के ले लेना।
  • इंटरनेट पर हैकिंग करके जानकारी, डेटा, या फाइलें चुराना।
  • दुकान या स्टोर से किसी वस्तु को बेईमानी के इरादे से अपने साथ ले जाना।
  • किसी की सेवाओं (services) का उपयोग करना और उसके बदले में उचित भुगतान (Payment) न करना।
  • किसी के खेत से फसल चुराना या किसी के पेड़ से फल बिना अनुमति के लेना।
  • ऐतिहासिक या सांस्कृतिक वस्तुओं को अवैध (Illegal) रूप से लेना या बेचना।
  • निजता की चोरी: किसी की व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि पहचान पत्र, पासवर्ड, या अन्य व्यक्तिगत दस्तावेज़ (Personal Documents) चुराना।

बीएनएस धारा 304 क्या है |

BNS Section 304

        छीना-झपटी (Snatching) बहुत ही तेजी से बढ़ने वाला एक ऐसा अपराध है जो सड़क पर चलते समय या सार्वजनिक जगह पर किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है। इस अपराध में केवल संपत्ति का ही नुकसान नहीं होता, बल्कि कई बार ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति को चोट भी लग जाती है। ऐसे अपराधों से अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए हम सभी को कानूनी उपायों की जानकारी होना बहुत जरुरी है। इसलिए ऐसे गंभीर अपराधों से निपटने के लिए बनाई गई भारतीय न्याय संहिता की एक बहुत ही उपयोगी धारा के बारे में हम जानेंगे, कि बीएनएस की धारा 304 क्या है? व यह कब लागू होती है? BNS में सजा (Punishment) कितनी है? धारा 304 में जमानत (Bail) का क्या प्रावधान है?

         हमारे देश में BNS के लागू होने से पहले भारतीय दंड संहिता (IPC ) में स्नैचिंग के लिए अलग से कोई कानून नहीं था। बल्कि ऐसे मामलों को चोरी की आईपीसी धारा 378 या डकैती की आईपीसी धारा 392 के तहत दर्ज किया जाता था। जिसमें दोषी व्यक्तियों को उनके अपराध की पूरी सजा नहीं मिल पाती थी। इसलिए भारतीय न्याय संहिता को नए कानून के रुप में लागू कर धारा 304 को स्नैचिंग जैसे मामलों से निपटने के लिए बनाया गया है। जिसकी मदद से छीना-झपटी जैसे अपराधों से निपटने में आवश्यक मदद मिलेगी।

बीएनएस धारा 304 क्या है व यह कब लगती है – BNS Section 304 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 304 में स्नैचिंग यानी छीना-झपटी के अपराध के बारे में बताया गया है। धारा 304 को मुख्य रुप से 2 उपधाराओं (Sub-Sections) में बाँटा गया है, धारा 304(1) व धारा 304(2).

बीएनएस की उपधारा 304(1):-

         BNS Section 304 (1) में बताया गया है, कि जब किसी व्यक्ति से उसकी कोई ऐसी संपत्ति जिसे वो अपने साथ कही भी ले जा सकता है, जैसे फोन, घड़ी, आभूषण आदि। उस संपत्ति को कोई व्यक्ति अचानक से आकर जबरदस्ती छीन (Forcefully Snatched) लेता है, तो वह छीना झपटी कहलाती है। इसमें अचानक (Suddenly) आकर व बल के द्वारा छिने जाने की बात पर विशेष जोर दिया गया है, जो छीना झपटी के अपराध को सामान्य चोरी (Theft) के अपराध से अलग करती है।

        आसान भाषा में समझें तो यदि कोई व्यक्ति अचानक से आपके किसी सामान को छीन कर भाग जाता है, तो ऐसे व्यक्ति पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 304(1) के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।

जैसे:- किसी महिला ने कोई आभूषण (Jewelry) पहन रखा हो, और रास्ते में कोई व्यक्ति उस आभूषण पर झपटा मारकर छीन ले जाए।

बीएनएस की उपधारा 304(2):-

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 304(2) में छीना-झपटी के अपराध के किए जाने पर दोषी (Guilty) व्यक्ति को दिए जाने वाले दंड (Punishment) के बारे में बताया गया है। जिसके बारे में हम आगे विस्तार से आपको बताएंगे।

BNS Section 304: आसान शब्दों में मुख्य बिंदु
  • स्नैचिंग एक ऐसा अपराध है जिसमें अचानक से या बलपूर्वक कुछ चुराना शामिल है, जैसे पर्स या फोन छीनना।
  • सामान्य चोरी में अचानक या बलपूर्वक चोरी करना शामिल नहीं होता है। बीएनएस की धारा 304 सामान्य चोरी व बलपूर्वक की गई चोरी में अंतर को दर्शाती है।
  • इसके तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों को कठोर सजा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
  • संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) होने के कारण ऐसे मामलों में पुलिस ज्यादा तेजी से कार्यवाही कर सकती है। पुलिस अदालत की अनुमति का इंतजार किए बिना ही आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार (Arrest) कर सकती है।
  • इस मामले की सुनवाई निचली अदालत (Trial Court) के न्यायाधीश द्वारा की जाती है, ताकि जल्द से जल्द न्याय मिल सकें।

उदाहरण:-

        रिया एक कॉलेज की छात्रा है, एक दिन वह अपनी किसी दोस्त से फोन पर बातें करते हुए पैदल घर की तरफ जा रही थी। अचानक से रिया के पास एक बाइक आती है, और उसमें पीछे बैठा एक व्यक्ति रिया का फोन छीन लेता है। रिया अचानक हुई इस घटना से बहुत परेशान हो जाती है, लेकिन तभी वहाँ पर कुछ लोग रिया की मदद करने आ जाते है।

       जिनमें से एक व्यक्ति पुलिस के पास फोन कर इस घटना की जानकारी दे देता है। पुलिस के आने के बाद रिया ने सारी घटना के बारे में उन्हें बताया, जिसके बाद पुलिस ने तलाशी शुरु कर दी। कुछ ही घंटों बाद पुलिस उन दोनों आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लेती है, और उनसे रिया का फोन भी बरामद कर लेती है। जिसके बाद उन दोनों आरोपी व्यक्तियों पर BNS Section 304 के तहत सजा के लिए कार्यवाही की जाती है।

BNS Section 304 में सजा (Punishment) का क्या प्रावधान है

        बीएनएस सेक्शन 304 के अपराध में सजा को उपधारा (2) में बताया गया है। जिसके अनुसार दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को उसके किए गए अपराध के लिए तीन साल तक की कैद व जुर्माना हो सकता है। यह सजा आमतौर पर चोरी के लिए लगाए जाने वाले दंड से अधिक कठोर होती है, जो स्नैचिंग के अपराध की गंभीरता को दर्शाता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 304 में जमानत कब व कैसे मिलती है

      बीएनएस की धारा 304 को संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) की श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। इसके साथ ही यह गैर-जमानती (Non-Bailable) भी है, जिसका अर्थ है कि आरोपी (Accused) अधिकार के रूप में जमानत (Bail) पर रिहाई की मांग नहीं कर सकता है।

        इसके अतिरिक्त यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौते के योग्य नही है, यानी पीड़ित और अपराधी के बीच निजी तौर पर इस केस को सुलझाया नहीं जा सकता है।

निष्कर्ष:- सबसे मुख्य बात यह है कि BNS Section 304 छीना – झपटी करने वाले लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी करती है, और पीड़ित व्यक्तियों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने में मदद करती है। यदि आप ऐसे मामलों से संबंधित किसी भी कानूनी प्रक्रिया के लिए हमारे अनुभवी वकील से परामर्श ले सकते है।

बीएनएस धारा 305 क्या है |

BNS Section 305

        आजकल हर जगह चोरी (Theft) के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। चाहे वह घरों में घुसकर चोरी हो, या फिर सार्वजनिक जगहों पर हर जगह चोरों का खतरा मंडरा रहा है। इन अपराधों से न केवल हमारा सामान चोरी होता है बल्कि हमारी मानसिक शांति भी भंग होती है। इसलिए ऐसे अपराधों से अपनी व अपने सामान की सुरक्षा के लिए हम सभी को बीएनएस की धारा 305 के बारे में जानना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम आपको इस धारा के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे कि, बीएनएस की धारा 305 क्या है (BNS Section 305)? और यह कब व कैसे लागू होती है? इस धारा के लगने पर सजा और जमानत का क्या प्रावधान है?

       पहले जब किसी तंबू या जहाज में से कुछ चोरी (Theft) हो जाता था, तो उस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) 380 के तहत मामला दर्ज किया जाता था। लेकिन BNS के लागू होने के बाद से चीजें बदल गई हैं। अब इस तरह के मामलों में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 305 के तहत कार्रवाई की जाती है। बीएनएस की धारा 305 में IPC की धारा 380 के अंदर बताई गई चोरी की जाने वाली जगहों से अलग नई जगहों को जोड़ा गया है। जैसे किसी आवास, परिवहन के साधन या पूजा स्थल।

बीएनएस की धारा 305 क्या है | BNS Section 305 

        भारतीय न्याय संहिता की धारा 305 चोरी के अपराधों के बारे में बताती है, जो आवास, परिवहन के साधन या पूजा स्थल में चोरी जैसे अपराधों से संबंधित है। यह धारा उन मामलों को कवर करती है जहां चोरी किसी निजी स्थान या सार्वजनिक परिवहन (Public Transportation) में की जाती है।

           आसान भाषा में समझे तो जो व्यक्ति इंसानों के रहने वाली जगहों, पुजा स्थानों व लोगों के घूमने फिरने के लिए बनाए गए परिवहन (Transportation) के साधनों में चोरी करता है, जैसे रेल, जहाज, बस आदि। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्तियों पर बीएनएस की धारा 305 के अपराध का उल्लंघन (Violation) करने पर कार्यवाही की जाती है।

धारा 305 कब लागू होती है?
  • (ए) किसी भी इमारत, तंबू या जहाज में जो मानव आवास के लिए उपयोग किया जाता है या किसी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग होता है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति घर, ऑफिस, स्कूल, होटल, या किसी ऐसी जगह से चोरी करता है, जहां लोग रहते हैं, तो उस व्यक्ति पर इस धारा को लागू (Apply) कर कार्यवाही की जाती है।
  • (बी) ऐसे वाहन से चोरी करने पर जो माल या यात्रियों (Cargo Or passengers) को ले जाने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि बस, ट्रक, ट्रेन, जहाज आदि।
  • (सी) यदि कोई व्यक्ति किसी मालवाहक या यात्री वाहन से कुछ चुराता है, तो यह भी चोरी के अंतर्गत आता है।
  • (डी) किसी पूजा स्थल से मूर्तियों या प्रतीकों (Idols Or symbols) की चोरी करना। जैसे कि मंदिर से भगवान की मूर्तियों की चोरी।
  • (ई) सरकारी या स्थानीय प्राधिकरण (Govt. Or Local Authority) की संपत्ति से चोरी। उदाहरण के लिए, सरकारी कार्यालयों या स्थानीय निकायों की किसी भी प्रकार की संपत्ति की चोरी करना।
बीएनएस धारा 305 लगने के मुख्य बिंदु
  • आरोपी का किसी संपत्ति को चुराने का इरादा (Intention) होना चाहिए।
  • संपत्ति को बेईमानी (Dishonesty) से लिया गया होगा, यानी उस संपत्ति के मालिक की सहमति या अनुमति के बिना।
  • चोरी की गई संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति की होनी चाहिए, न कि आरोपी (Accused) की।
  • चोरी किसी आवासीय घर (Residential House) परिवहन के साधन या धारा में उपर बताई गई जगहों या स्थानों पर होनी चाहिए।
  • धारा 305 के अनुसार दोषी व्यक्ति को जेल व जुर्माने (Prison & Fines) की सजा दी जा सकती है।
धारा 305 के तहत कौन से कार्य अपराध माने जाते हैं?
  • किसी के घर में घुसकर नकदी, गहने या अन्य कीमती सामान चुरा लेना।
  • किसी खड़ी गाड़ी से सामान चुराना जैसे कि मोबाइल, पर्स, या अन्य सामान।
  • किसी दुकान या गोदाम में घुसकर सामान चुराना।
  • मंदिर, मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थलों से मूर्तियाँ, धार्मिक ग्रंथ या अन्य धार्मिक वस्तुएँ चुराना।
  • स्कूल या कॉलेज में से किताबें, लैपटॉप, या अन्य सामान चुराना।
  • बस, ट्रेन व जहाज में यात्रा के दौरान अन्य यात्रियों के सामान चुराना।
  • सरकारी कार्यालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज (Important Documents) उपकरण या अन्य सामान चुराना।
बीएनएस सेक्शन 305 के अपराध का उदाहरण

        नेहा एक दिन अपने पति के साथ एक लंबी ट्रेन यात्रा पर जा रही थी। ट्रेन में कुछ समय तक वह अपने पति से बात करती रही और फिर वे दोनों साथ में खाना खाने लग जाते है। कुछ ही समय बाद बगल वाली सीट पर एक व्यक्ति आकर बैठ जाता है। कुछ देर और यात्रा करने के बाद नेहा व उसके पति दोनों को नींद आ जाती है। इसी दौरान उनके बगल वाली सीट पर बैठा वो व्यक्ति नेहा के बैग से उसका मोबाइल फोन चुरा कर ले जाता है।

       जब नेहा सो कर उठती है तो उसे अपना मोबाइल कही पर भी नहीं मिलता है। नेहा तुरन्त अपने पति को यह बात बताती है जिसके बाद उसका पति ट्रेन के टीटीई को इस घटना के बारे में बताता है और शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवाता है। उस व्यक्ति ने एक चलती ट्रेन से चोरी की है, इसलिए इस मामले में BNS की धारा 305 लागू होगी।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 305 के तहत सजा

        BNS Section 305 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति पर परिवहन के साधनों, पुजा स्थानों व उपर बताई गई किसी भी जगह से चोरी करने का अपराध साबित हो जाने पर निम्नलिखित सजा का प्रावधान (Provision) है:-

  • कैद: दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को न्यायालय द्वारा अधिकतम 7 साल की कैद की सजा दी जा सकती है।
  • जुर्माना: इसके साथ ही उस व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है, जुर्माने की रकम (Amount) अदालत द्वारा अपराध की गंभीरता व चोरी की गई वस्तु के मूल्य के आधार पर भी निर्धारित की जा सकती है।
BNS Section 305 में जमानत (Bail) का प्रावधान

        बीएनएस की धारा 305 में उपर बताए गए विशेष स्थानों के अंदर चोरी करने का अपराध संज्ञेय व गैर-जमानती (Cognizable or Non-bailable) होता है, जिसका मतलब है कि इस अपराध के आरोपी व्यक्ति को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करने के बाद जमानत (Bail) मिलना कठिन होता है। धारा 305 का यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है, और इसमें कोई समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता के तहत चोरी के अपराध की धारा 303 और धारा 305 में अंतर

      BNS की धारा 303 सामान्य चोरी (Common Theft) को परिभाषित करती है, जिसमें अपराध किसी व्यक्ति की संपत्ति बिना उसके मालिक की सहमति के जानबूझकर और बेईमानी से लेना है। यह धारा किसी भी स्थान पर और किसी भी प्रकार की संपत्ति के साथ सामान्य चोरी को कवर करती है।

बीएनएस धारा 305

         BNS की धारा 305 विशिष्ट परिस्थितियों (Specific Circumstances) में होने वाली चोरी से संबंधित है। इसमें कुछ विशेष स्थानों पर या विशेष प्रकार की संपत्ति के साथ की गई चोरी के बारे में बताया गया है। जैसे, परिवहन के साधनों की चोरी करना, पूजा स्थलों से मूर्तियों या प्रतिमाओं की चोरी करना आदि।

BNS 305 के तहत आरोपी व्यक्तियों के लिए बचाव
  • अपने वकील की सहायता से ये पता लगाने की कोशिश करें कि आपके खिलाफ जो सबूत (Evidence) पेश किए गए है वे सबूत सही है भी या नहीं।
  • आप घटना के समय कहां थे, इसके लिए गवाहों या सबूतों को पेश करना आपके बचाव (Defence) में काम आ सकता है।
  • आरोपी यह साबित कर सकता है कि उसका चोरी करने का कोई इरादा नहीं था, बल्कि वह गलती से कोई चीज अपने साथ ले गया और उसे पता ही नहीं चला।
  • गलती से कोई वस्तु अपने साथ ले जाने पर उसे उसके असली मालिक तक जरुर पहुंचा दे इससे भी आगे की कानूनी कार्यवाही से आपका बचाव हो सकता है।
  • अगर आपको लगता है कि आपको फंसाने के लिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है तो अपनी इस बात को वकील की सहायता से कोर्ट के सामने जरुर बताए।
  • अगर आरोपी मानसिक रूप से किसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिसके कारण उसे अपने किए गए कार्यों की जानकारी नहीं रहती, तो उसकी मेडिकल रिपोर्ट बचाव के काम आ सकती है।
  • अगर आपके खिलाफ दूसरे पक्ष के पास वैध सबूत (Valid Evidence) नहीं हैं तो आपको बरी किया जा सकता है।
  • ध्यान रखे ऐसे किसी भी आपराधिक मामलों में एक अनुभवी वकील (Experienced Lawyer) की सहायता जरुर ले जो आपको आपके मामले में सबसे अच्छा बचाव प्रदान कर सकता है।

निष्कर्ष:- BNS Section305, भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो चोरी जैसे अपराधों से संबंधित है। इस धारा के तहत आरोपी होने पर व्यक्ति को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, उचित कानूनी सहायता और मजबूत बचाव के साथ आरोपी व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।

बीएनएस धारा 306 क्या है |

BNS Section 306

मालिक के कब्जे में संपत्ति की क्लर्क या नौकर द्वारा चोरी

         जो कोई क्लर्क या नौकर होते हुए, या क्लर्क या नौकर की हैसियत से नियोजित होते हुए, अपने मालिक या नियोक्ता के कब्जे में किसी संपत्ति के संबंध में चोरी करेगा, उसे एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा। सात साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना होगा।

बीएनएस धारा 307 क्या है |

BNS Section 307

        आजकल चोरी के साथ-साथ हिंसा के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। चोर अब सिर्फ सामान चुराने तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि वे लोगों को डराने-धमकाने और चोट पहुंचाने से भी नहीं चूकता। वैसे तो चोरी एक छोटा सा अपराध है, लेकिन क्या होगा अगर चोरी के दौरान कोई व्यक्ति किसी को मारने या चोट पहुंचाने की कोशिश करे? आज के इस आर्टिकल में हम चोरी करने के लिए मृत्यु, चोट या अवरोध उत्पन्न करने की तैयारी के बाद चोरी करने के अपराध से जुड़ी भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में समझेंगे की, बीएनएस की धारा 307 क्या होती है (BNS Section 307)? ये धारा कब लगती है और इस सेक्शन में जमानत और सजा का क्या प्रावधान है?

        क्या आप जानते हैं कि चोरी जैसे मामलों में अब कानून और कड़ा हो गया है? पहले अगर कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को डराता या धमकाता था, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 382 लगाई जाती थी। लेकिन अब ऐसे मामलों में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 307 लागू होती है। यह धारा उन मामलों के लिए है जहां चोरी के साथ-साथ हिंसा या किसी को डराने-धमकाने की भी कोशिश की जाती है। ये कानून इसलिए बनाए गए हैं ताकि चोरों को सख्त सजा मिले और लोग सुरक्षित महसूस करें।

बीएनएस धारा 307 क्या है और यह कब लगती है- BNS Section 307

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 307 चोरी (Theft) के अपराध को अधिक गंभीर बनाती है जब चोरी करने वाले व्यक्ति ने चोरी के दौरान या चोरी के बाद किसी व्यक्ति को मौत, चोट, या अवरोध उत्पन्न करने की तैयारी की हो। इस धारा का उद्देश्य उन मामलों को कवर करना है जहां चोरी केवल संपत्ति (Property) लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें किसी व्यक्ति को जान से मारने का खतरा, चोट, या बंधक बनाने का इरादा भी शामिल हो।

         सरल भाषा में समझे तो यह धारा उन सभी व्यक्तियों पर लागू होती है जो चोरी करते समय या उसके बाद पीड़ित व्यक्ति की जान-माल को नुकसान पहुंचाने की तैयारी करते हैं या उसकी धमकी देते हैं।

BNS 307 के अपराध से संबंधित मुख्य तत्व
  • इसमें अपराधी का इरादा चोरी करना होता है।
  • अपराधी ने चोरी करने से पहले या बाद में किसी व्यक्ति को मौत, चोट पहुँचाने की तैयारी की हो।
  • चोरी के बाद भागने के समय भी अपराधी द्वारा जान-माल को नुकसान पहुंचाने की संभावना होती है।
  • अपराध में हथियार, धमकी, या हिंसा का उपयोग किया गया हो।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 307 का उदाहरण

        कपिल नाम का व्यक्ति एक दुकान में चोरी करने की योजना बनाता है। वह चोरी के लिए दुकान में घुसता है और कुछ सामान चुराने लगता है। चोरी करते समय, दुकान का मालिक उसे पकड़ने की कोशिश करता है। कपिल ने पहले से ही एक चाकू अपने साथ रखा होता है ताकि अगर कोई उसे पकड़ने का प्रयास करें तो वह उसका सामना कर सके। कपिल चाकू निकालकर मालिक को धमकी देता है ताकि वह भाग सके। इस स्थिति में कपिल का अपराध BNS की धारा 307 के तहत आता है क्योंकि उसने चोरी करने के साथ-साथ किसी को चोट पहुंचाने की तैयारी भी की थी।

BNS Section 307 के तहत अपराध से संबंधित कुछ कार्य
  • अगर कोई व्यक्ति किसी दुकान या घर से कुछ चुरा रहा है और किसी के रोकने की कोशिश करने पर उसे चाकू से घायल कर देता है, तो यह धारा 307 के तहत अपराध होगा।
  • कोई व्यक्ति किसी को मारने की नीयत से चोरी कर रहा है, जैसे कि किसी को गोली मारने या गला घोंटने की कोशिश करना, तो यह सबसे गंभीर अपराध होगा।
  • कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को डराने के लिए बंदूक, पिस्तौल या कोई और हथियार (Weapon) दिखाता है, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • अगर कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को बंधक बना लेता है, तो यह भी एक गंभीर अपराध होगा।
  • कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को मारने की धमकी देता है, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • अगर कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को रोकने से रोकने के लिए बल प्रयोग करता है, जैसे कि धक्का देना, खींचना या मारना, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • अगर कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को डराने के लिए जानवरों का इस्तेमाल करता है, जैसे कि कुत्ते को भड़काना, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
  • कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को डराने के लिए आग लगाता है, तो यह भी एक गंभीर अपराध होगा।
  • अगर कोई व्यक्ति चोरी करते समय किसी को डराने के लिए झूठी सूचना देता है, जैसे कि बम होने का झूठा अलार्म देना, तो यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 307 के दोषी को मिलने वाली सजा

       बीएनएस की धारा 307 के अपराध के दोषी (Guilty) व्यक्ति को कठोर कारावास (Rigorous imprisonment) की सजा दी जाती है, जो दस साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त उस व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है। यदि अपराधी ने चोरी के दौरान किसी व्यक्ति को गंभीर चोट (Serious Injury) पहुंचाई है, तो सजा की अवधि बढ़ सकती है और जुर्माने की राशि भी अधिक हो सकती है। यह सजा अपराध की गंभीरता और अपराधी के इरादे के आधार पर निर्धारित की जाती है।

बीएनएस की धारा 307 में आरोपी व्यक्ति को जमानत मिलती है या नही?

         भारतीय न्याय संहिता की धारा 307 के तहत आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को जमानत प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि यह एक गंभीर अपराध है जिसमें किसी की जान-माल को खतरा उत्पन्न करने की संभावना होती है। इस अपराध को संज्ञेय और गैर-जमानती (Cognizable Or Non-Bailable) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, और जमानत (Bail) के लिए न्यायालय का निर्णय आवश्यक होता है। न्यायालय जमानत पर निर्णय लेने से पहले आरोपी के इरादे, अपराध की गंभीरता, और अपराधी के पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखता है।

निष्कर्ष:- BNS Section 307 चोरी के दौरान हिंसा या बाधा का प्रयास करने के अपराध से संबंधित है। यह धारा अपराध की गंभीरता को मान्यता देती है और अपराधियों को कड़ी सजा का प्रावधान करती है। यह व्यक्ति की सुरक्षा और संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण धारा है।