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BNS की धारा 140(3): गुप्त और सदोष परिरोध के इरादे से अपहरण

BNS की धारा 140(3): गुप्त और सदोष परिरोध के इरादे से अपहरण — विस्तृत कानूनी विश्लेषण

परिचय

       भारत में नागरिकों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और प्रतिष्ठा को सर्वोच्च महत्व दिया गया है। कोई व्यक्ति स्वतंत्र रूप से कहीं जा सके, किसी से मिल सके और अपनी इच्छा के अनुसार सामान्य जीवन जी सके — यह संविधान द्वारा दिया गया मूल अधिकार है। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध कहीं ले जाता है या छिपाकर बंदी बनाता है, तो यह अपराध न केवल उसकी स्वतंत्रता का हनन है, बल्कि समाज के लिए भी गंभीर खतरा है।

     भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 140 इसी श्रेणी के अपराध को नियंत्रित करती है। धारा 140 कुल मिलाकर कई उपधाराओं में विभाजित है, जो विभिन्न इरादों से किए गए व्यपहरण (Abduction) अथवा अपहरण (Kidnapping) को अपराध घोषित करती है।

     धारा 140 का तीसरा उपखंड, यानी BNS की धारा 140(3), विशेष रूप से उन मामलों में लागू होती है जहाँ किसी व्यक्ति को इस उद्देश्य से उठाया (व्यपहरण/अपहरण) जाता है कि उसे गुप्त रूप से और गलत तरीके से बंदी बनाए रखा जाए — अर्थात Wrongful Confinement


धारा 140(3) क्या कहती है? — सरल भाषा में समझें

     यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति का अपहरण (Kidnapping) या व्यपहरण (Abduction) इस इरादे से करता है कि:

  • उसे किसी गुप्त स्थान पर रखा जाए,
  • उसे गलत ढंग से बंदी बनाकर रखा जाए,
  • और उसके बारे में दूसरों को पता न चले,

तो यह कार्य धारा 140(3) के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।

इस धारा में सज़ा

अधिकतम — 7 वर्ष तक का कारावास, और साथ में जुर्माना।


यह धारा किन मामलों में लागू होती है?

निम्न परिस्थितियाँ धारा 140(3) को लागू बना सकती हैं:

✔ किसी को जबरन गाड़ी में डालकर ले जाना और तहखाने, फार्महाउस या किराए के फ्लैट में छिपाना
✔ किसी महिला/पुरुष को व्यक्तिगत दुश्मनी में उठाकर उससे संपर्क बंद करना
✔ परिवार या समाज से छुपाकर किसी को कमरे में कैद करना
✔ किसी को पैसे के विवाद में उठा ले जाकर बंदी बनाना (यदि फिरौती का इरादा हो तो यह अधिक गंभीर अपराध बन जाता है)
✔ किसी लड़की या लड़के को पसंद न आने वाले प्रेम संबंध की वजह से परिवार द्वारा बंदी बनाना


धारा 140(3) लागू होने के आवश्यक तत्व (Ingredients)

कोर्ट में इस अपराध को सिद्ध करने के लिए इन तत्वों का प्रमाण होना आवश्यक है:

तत्व विवरण
1. अपहरण या व्यपहरण व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध ले जाया गया
2. दुराशयपूर्ण इरादा इरादा उसे गुप्त रूप से बंदी बनाए रखना था
3. गुप्तता व्यक्ति को छिपाया गया
4. गलत रोक उसे आने-जाने या संपर्क करने की स्वतंत्रता नहीं दी गई
5. स्वेच्छा की अनुपस्थिति पीड़ित ने सहमति नहीं दी

यदि ये पाँचों तत्व मौजूद होते हैं, तो कानून के अनुसार यह अपराध धारा 140(3) के अंतर्गत सिद्ध किया जा सकता है।


महत्वपूर्ण शब्दों का सरल अर्थ

शब्द अर्थ
अपहरण (Kidnapping) कानूनी संरक्षक की अनुमति के बिना नाबालिग या अक्षम व्यक्ति को ले जाना
व्यपहरण (Abduction) किसी भी वयस्क को बल या धोखे से ले जाना
गुप्त परिरोध (Secret Confinement) बंदी बनाकर रखना और दूसरों से छिपाना
सदोश परिरोध (Wrongful confinement) बिना विधिक अधिकार के किसी की स्वतंत्रता छीनते हुए बंदी बनाना

धारा 140(3) और “Wrongful Confinement” के बीच संबंध

BNS में बंदी बनाना — धारा 130 से 138 तक विभिन्न रूपों में परिभाषित है।
लेकिन 140(3) एक संयुक्त अपराध है जिसमें:

➡ पहले व्यक्ति को उठाया जाता है (Abduction/Kidnapping)
➡ और फिर गुप्त रूप से बंदी बनाया जाता है

इसलिए इसे दो अपराधों का संयोजन माना जाता है:

(अपहरण + दोषपूर्ण परिरोध) = धारा 140(3)


आसान उदाहरण (Hypothetical Example)

उदाहरण:
रोहन अपनी पूर्व प्रेमिका नेहा से बदला लेना चाहता है। वह दोस्तों की मदद से नेहा को सड़क से जबरन कार में खींचकर एक दूर स्थित तहखाने में बंद कर देता है, ताकि वह समाज से कटा हुआ महसूस करे और मानसिक रूप से परेशान हो जाए।

कानूनी स्थिति:

  • यह व्यपहरण है, क्योंकि नेहा को बलपूर्वक ले जाया गया।
  • यह गुप्त परिरोध है, क्योंकि उसे छिपाकर बंद किया गया।

⇒ इसलिए रोहन ने BNS की धारा 140(3) के तहत अपराध किया है, जिसकी सज़ा 7 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना हो सकती है।


धारा 140(3) किन मामलों में लागू नहीं होती? (Defences)

यह धारा तब लागू नहीं हो सकती जब:

✦ व्यक्ति स्वेच्छा से साथ गया हो
✦ माता-पिता अपने नाबालिग को अनुशासन के लिए रोकें (यथोचित सीमा तक)
✦ पुलिस वैध आदेश पर गिरफ्तारी या हिरासत करे
✦ मानसिक रोगी को चिकित्सकीय कारणों से नियंत्रित रखा जाए
✦ किसी की सुरक्षा के लिए अस्थायी रोक की जाए
✦ इरादा बंदी बनाने का न होकर केवल झगड़ा, डराना या धमकाना हो (तब दूसरी धाराएँ लग सकती हैं)


धारा 140(3) और अन्य धाराें में अंतर

धारा अपराध अधिकतम सज़ा
BNS 138 Wrongful Confinement 1 वर्ष
BNS 139 Secret Confinement 2 वर्ष
BNS 140(1) हत्या या गंभीर अपराध के इरादे से अपहरण आजीवन
BNS 140(3) गुप्त और दोषपूर्ण परिरोध हेतु अपहरण 7 वर्ष

इस तुलना से स्पष्ट है कि 140(3) न तो सबसे हल्की और न ही सबसे गंभीर सज़ा वाली धारा है।
यह मध्यम श्रेणी का अपराध माना जाता है जिसमें इरादा प्रमुख भूमिका निभाता है।


क्या यह अपराध जमानती है या गैर-जमानती?

  • यह इस बात पर निर्भर करता है कि मामला किस प्रकार का है।
  • कई मामलों में कोर्ट शर्तों के साथ जमानत दे सकती है।
  • लेकिन यदि व्यक्ति को लम्बे समय तक छिपाकर रखा गया हो, हिंसा हुई हो, या महिला एवं नाबालिग शामिल हों — तो जमानत कठिन हो सकती है।

अभियोजन सिद्ध कैसे करता है यह अपराध?

कोर्ट में निम्न प्रकार के साक्ष्य महत्वपूर्ण होते हैं:

✔ पीड़ित का बयान
✔ CCTV फुटेज
✔ कॉल रिकॉर्ड/लोकेशन
✔ गवाहों के बयान
✔ चोट के मेडिकल प्रमाण
✔ इलाज या कैद रखने के निशान
✔ मनोवैज्ञानिक प्रभाव संबंधी रिपोर्ट

इरादे को साबित करना केस का मुख्य बिंदु है।


इस धारा के लागू होने से समाज को क्या लाभ?

  1. व्यक्तिगत आज़ादी की सुरक्षा
  2. दुश्मनी में किए जाने वाले बंदीकरण पर रोक
  3. महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा
  4. ऑनर किलिंग और प्रेम विवाह विरोध में होने वाले परिरोध पर नियंत्रण
  5. मानसिक उत्पीड़न को अपराध मानना

निष्कर्ष

BNS की धारा 140(3) यह सुनिश्चित करती है कि किसी व्यक्ति की आज़ादी, उसकी इच्छा और सम्मान के विरुद्ध कोई उसे उठाकर छिपाकर कैद न कर सके। यह धारा उन मामलों में अत्यधिक महत्वपूर्ण है जहाँ अपहरण केवल स्थानांतरण तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसे गुप्त रूप से बंदी बनाकर सामाजिक, मानसिक या आर्थिक हानि पहुँचाने का उद्देश्य होता है। समाज में ऐसी घटनाएँ अक्सर व्यक्तिगत दुश्मनी, प्रेम प्रसंग, व्यापारिक विवाद या बदले की भावना के चलते होती हैं। कानून ऐसे कार्यों को कठोर दंड से नियंत्रित करता है।

इस धारा का प्रभाव यह संदेश देता है कि — “किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता अमूल्य है; उसे बलपूर्वक छीनने पर कड़ा दंड मिलेगा।”