Bharatiya Nyaya Sanhita 2023 vs IPC 1860: एक विस्तृत तुलना (Full Comparison in Hindi)

शीर्षक: Bharatiya Nyaya Sanhita 2023 vs IPC 1860: एक विस्तृत तुलना (Full Comparison in Hindi)


भूमिका:

भारतीय दंड संहिता, 1860 (Indian Penal Code – IPC) भारत की औपनिवेशिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। इसे लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में तैयार किया गया था और यह वर्षों तक भारत में आपराधिक कानून का प्रमुख स्तंभ रहा। लेकिन 2023 में केंद्र सरकार ने इसे पूरी तरह से बदलकर भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) को पारित किया। यह नया कानून आधुनिक भारत की आवश्यकताओं, संवैधानिक मूल्यों और तकनीकी युग की चुनौतियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

इस लेख में हम IPC 1860 और BNS 2023 के बीच एक व्यापक तुलना करेंगे।


1. उद्देश्य और दृष्टिकोण (Objective and Approach)

बिंदु IPC 1860 BNS 2023
मूल उद्देश्य औपनिवेशिक शासन की रक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना न्याय-सुलभता, पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण, न्याय का त्वरित वितरण
कानून निर्माण की पृष्ठभूमि ब्रिटिश हुकूमत की जरूरतों पर आधारित भारतीय संविधान, मानवीय अधिकार और तकनीकी विकास को ध्यान में रखकर

2. संरचना (Structure)

बिंदु IPC 1860 BNS 2023
धाराओं की कुल संख्या लगभग 511 कुल 358 धाराएँ
अध्यायों की संख्या 23 अध्याय 20 अध्याय
भाषा जटिल, कानूनी अंग्रेज़ी सरल, आम आदमी की समझ में आने योग्य भाषा
पुनरावृत्त धाराएँ कई स्थानों पर दोहराव दोहराव को हटाया गया, संक्षिप्त और स्पष्ट बनाया गया

3. प्रमुख परिवर्तन (Major Changes)

A. राजद्रोह की धारा (Sedition – Section 124A IPC)

  • IPC में विवादास्पद धारा 124A थी जिसे राजद्रोह माना जाता था।
  • BNS 2023: यह धारा पूरी तरह समाप्त कर दी गई है और इसके स्थान पर “राज्य के विरुद्ध युद्ध” और “देशद्रोही कार्य” जैसी नई परिभाषाएँ जोड़ी गई हैं।

B. गंभीर अपराधों की नई परिभाषा

  • IPC में बलात्कार, हत्या, डकैती आदि की परिभाषाएँ थीं, लेकिन कई आधुनिक अपराधों की जानकारी नहीं थी।
  • BNS 2023: आतंकवाद, संगठित अपराध, साइबर अपराध, मॉब लिंचिंग, जेंडर न्यूट्रल सेक्शुअल ऑफेंसेज़ आदि को विशेष रूप से शामिल किया गया है।

C. हत्या और गैर-इरादतन हत्या (Murder vs Culpable Homicide)

  • IPC में धारा 302 और 304 के तहत विभाजन था।
  • BNS 2023: इसे और स्पष्ट किया गया है, जैसे कि धारा 105 हत्या के लिए है।

4. तकनीकी समावेश (Technological Inclusion)

क्षेत्र IPC 1860 BNS 2023
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सीमित प्रावधान विस्तार से प्रावधान जैसे ऑडियो, वीडियो, डिजिटल ट्रेल
साइबर अपराध न के बराबर उल्लेख विस्तृत वर्गीकरण और सज़ा

5. न्यायिक प्रक्रिया में बदलाव (Procedural Shifts)

क्षेत्र IPC 1860 BNS 2023
FIR दर्ज करने की प्रक्रिया ऑफलाइन, थाने जाना अनिवार्य ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा
पीड़ित का अधिकार सीमित न्याय के हर चरण में पीड़ित की भागीदारी सुनिश्चित
सुनवाई की गति लंबी प्रक्रिया अधिकतम समय सीमा तय की गई – 90 दिन में जांच और 180 दिन में ट्रायल समाप्त करना होगा

6. दंड (Punishment) में बदलाव

  • कुछ अपराधों के लिए न्यूनतम दंड तय किए गए हैं।
  • मौत की सजा के विकल्प के रूप में आजीवन कारावास को बढ़ावा।
  • सामूहिक बलात्कार और बाल यौन शोषण के मामलों में कठोर दंड।

7. नामकरण में बदलाव

पुराना नाम (IPC) नया नाम (BNS)
Indian Penal Code Bharatiya Nyaya Sanhita
Criminal Procedure Code Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita
Indian Evidence Act Bharatiya Sakshya Adhiniyam

8. आलोचना और समर्थन (Criticism & Support)

समर्थन के तर्क:

  • आधुनिक अपराधों की स्पष्ट पहचान।
  • भारतीय संदर्भ में बनाया गया कानून।
  • पीड़ित को केंद्र में रखा गया।
  • प्रक्रिया में पारदर्शिता और तकनीकी समावेश।

आलोचना के तर्क:

  • संसद में पर्याप्त बहस के बिना पारित।
  • कुछ धाराओं में अस्पष्टता बनी हुई।
  • कानूनी विशेषज्ञों और वकीलों के लिए नए कानून को समझने और लागू करने की चुनौती।

निष्कर्ष (Conclusion):

Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 भारत के आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए एक नई शुरुआत है। यह केवल एक कानूनी बदलाव नहीं बल्कि न्यायिक व्यवस्था को मानवीय, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जहां IPC 1860 ने कानून का ढांचा दिया, वहीं BNS 2023 उसे 21वीं सदी के अनुरूप ढालता है। आने वाले वर्षों में इसके क्रियान्वयन और व्याख्या से जुड़े निर्णय यह तय करेंगे कि यह बदलाव कितना प्रभावशाली और न्यायोचित सिद्ध होता है।