“Arunkumar H Shah HUF बनाम Avon Arcade Society: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला — MOFA के तहत डिम्ड कन्वेयंस का अधिकार और न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाएं”

लेख शीर्षक:
“Arunkumar H Shah HUF बनाम Avon Arcade Society: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला — MOFA के तहत डिम्ड कन्वेयंस का अधिकार और न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाएं”

परिचय:
सुप्रीम कोर्ट ने Arunkumar H Shah HUF बनाम Avon Arcade Premises Co-operative Society Ltd. & Others मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है, जो महाराष्ट्र फ्लैट स्वामित्व अधिनियम, 1963 (MOFA) के तहत “डिम्ड कन्वेयंस” (Deemed Conveyance) की प्रक्रिया और न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाओं को स्पष्ट करता है। यह फैसला उन हज़ारों हाउसिंग सोसायटियों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है जो बिल्डरों द्वारा संपत्ति के हस्तांतरण में देरी या टालमटोल का सामना कर रही हैं।

मामले की पृष्ठभूमि:
इस केस में, Arunkumar H Shah HUF ने MOFA की धारा 11 के तहत ‘डिम्ड कन्वेयंस’ आदेश को चुनौती दी थी, जिसे Avon Arcade सोसायटी के पक्ष में पारित किया गया था। याचिकाकर्ता का तर्क था कि संपत्ति का हस्तांतरण उचित प्रक्रिया और सहमति के बिना हुआ है और यह अवैध है। इस विवाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने डिम्ड कन्वेयंस आदेश में हस्तक्षेप किया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि:

  1. MOFA की धारा 11 के तहत राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) को यह अधिकार प्राप्त है कि वह आवश्यक दस्तावेज़ों और साक्ष्यों की समीक्षा कर ‘डिम्ड कन्वेयंस’ का आदेश पारित कर सके।
  2. यह आदेश एक अंतिम प्रशासनिक निर्णय होता है और इसका उद्देश्य हाउसिंग सोसायटियों को उनकी संपत्ति का कानूनी स्वामित्व सुनिश्चित कराना होता है।
  3. हाई कोर्ट द्वारा ऐसे आदेशों में हस्तक्षेप केवल तभी किया जाना चाहिए जब आदेश स्पष्ट रूप से गैरकानूनी, मनमाना या न्याय के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध हो।

न्यायालय की टिप्पणियाँ:
पीठ ने कहा कि डिम्ड कन्वेयंस की व्यवस्था एक विधायी उपाय (Legislative Remedy) है, जिसका उद्देश्य फ्लैट मालिकों के हितों की रक्षा करना और बिल्डरों द्वारा संपत्ति के स्वामित्व के हस्तांतरण में जानबूझकर की गई देरी को समाप्त करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए न्यायालयों को “judicial restraint” अपनाना चाहिए।

फैसले का महत्व:

  • यह निर्णय हाउसिंग सोसायटियों को न्याय दिलाने के प्रयासों को बल देता है।
  • MOFA के तहत डिम्ड कन्वेयंस की प्रक्रिया को संवैधानिक वैधता और प्रशासनिक ताकत प्रदान करता है।
  • यह बिल्डरों और डेवलपर्स को संकेत देता है कि संपत्ति का स्वामित्व छिपा कर या स्थानांतरण में विलंब कर वे न्यायिक संरक्षण की आड़ नहीं ले सकते।

निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक संतुलित न्यायिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जिसमें कानून के उद्देश्य, अधिकारों की सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया की मर्यादा — तीनों का ध्यान रखा गया है। Arunkumar H Shah HUF बनाम Avon Arcade मामला अब मिसाल बन चुका है, जो भविष्य में MOFA के तहत कानूनी विवादों में दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करेगा।