Unregistered Sale Agreement Does Not Create Valid Title – सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
(Case: Mahnoor Fatima Imran & Ors. v. M/s. Visveswara Infrastructure Pvt. Ltd. & Ors., 2025 INSC 646)
भूमिका
भारत में अचल संपत्ति (Immovable Property) की खरीद-फरोख्त पर कड़े कानूनी प्रावधान लागू होते हैं, ताकि स्वामित्व (Ownership) और टाइटल (Title) की वैधता सुनिश्चित की जा सके। Transfer of Property Act, 1882 और Registration Act, 1908 के तहत यह स्पष्ट है कि किसी भी अचल संपत्ति का स्वामित्व तभी विधिक रूप से स्थानांतरित (Transfer) होता है जब पंजीकृत विक्रय विलेख (Registered Sale Deed) निष्पादित और पंजीकृत हो।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने Mahnoor Fatima Imran & Ors. v. M/s. Visveswara Infrastructure Pvt. Ltd. & Ors. (2025 INSC 646) मामले में यह दोहराया कि एक अपंजीकृत विक्रय समझौता (Unregistered Sale Agreement) से वैध स्वामित्व अधिकार प्राप्त नहीं किए जा सकते। यह निर्णय न केवल संपत्ति कानून की व्याख्या को स्पष्ट करता है, बल्कि संपत्ति लेन-देन में पारदर्शिता और सुरक्षा को भी मजबूती देता है।
मामले की पृष्ठभूमि
- तथ्य (Facts)
- याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्हें संपत्ति का स्वामित्व 19.03.1982 के एक विक्रय समझौते (Sale Agreement) के आधार पर प्राप्त हुआ।
- इस समझौते का कभी पंजीकरण नहीं हुआ, यहां तक कि वर्ष 2006 तक भी।
- इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं ने संपत्ति पर अपना टाइटल मानते हुए अधिकार जताया।
- विवाद का मूल मुद्दा
- क्या एक Unregistered Sale Agreement से अचल संपत्ति का वैध टाइटल प्राप्त हो सकता है?
- क्या केवल समझौते के आधार पर स्वामित्व का दावा करना कानूनी रूप से स्वीकार्य है?
कानूनी प्रावधान
1. Transfer of Property Act, 1882 – धारा 54
- “Sale” का अर्थ है किसी संपत्ति का स्वामित्व किसी मूल्य के बदले में स्थानांतरित करना।
- अचल संपत्ति (₹100 से अधिक मूल्य की) का विक्रय केवल पंजीकृत विलेख के माध्यम से ही वैध है।
2. Registration Act, 1908 – धारा 17
- कुछ दस्तावेजों का पंजीकरण अनिवार्य है, जिसमें अचल संपत्ति की बिक्री से संबंधित दस्तावेज भी शामिल हैं।
- अपंजीकृत दस्तावेज का कानून में कोई प्रवर्तन योग्य प्रभाव नहीं होता, सिवाय कुछ सीमित उद्देश्यों के।
3. Indian Evidence Act, 1872 – धारा 49
- अपंजीकृत दस्तावेज को स्वामित्व स्थानांतरण के सबूत के रूप में पेश नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
“No valid title passes unless there is a registered sale deed, as per the mandatory requirements of the Registration Act and the Transfer of Property Act. Proper title to immovable property can only be conveyed through a registered sale deed. An unregistered agreement cannot convey ownership rights.”
प्रमुख टिप्पणियां:
- Unregistered Sale Agreement = केवल एक वादा, स्वामित्व नहीं
- विक्रय समझौता केवल भविष्य में विक्रय करने का वादा है। यह अपने आप में स्वामित्व नहीं देता।
- Mandatory Registration
- Registration Act और TPA के तहत यह पंजीकरण अनिवार्य है; इसकी अनदेखी से दस्तावेज़ टाइटल ट्रांसफर में अमान्य हो जाता है।
- Specific Relief Act का अपवाद
- यदि कोई पक्ष समझौते के पालन (Specific Performance) के लिए मुकदमा करता है, तो अदालत उपयुक्त आदेश दे सकती है। लेकिन तब भी टाइटल तभी स्थानांतरित होगा जब पंजीकृत विलेख निष्पादित होगी।
- Possession Rights अलग, Ownership Rights अलग
- केवल कब्जा (Possession) का होना स्वामित्व का प्रमाण नहीं है। टाइटल के लिए पंजीकृत विक्रय विलेख आवश्यक है।
निर्णय का प्रभाव
- संपत्ति लेन-देन में स्पष्टता
- अब कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि केवल अपंजीकृत विक्रय समझौते के आधार पर स्वामित्व मिल गया।
- धोखाधड़ी की संभावना में कमी
- यह निर्णय संपत्ति विवादों और फर्जी लेन-देन को कम करने में मदद करेगा।
- कानूनी सुरक्षा
- खरीदारों को जागरूक रहना होगा कि केवल पंजीकृत दस्तावेज़ ही उन्हें पूर्ण अधिकार देता है।
व्यावहारिक सीख
- यदि आप संपत्ति खरीद रहे हैं, तो केवल एग्रीमेंट टू सेल (Agreement to Sell) पर भरोसा न करें; Registered Sale Deed प्राप्त करें।
- भुगतान करने के बाद भी यदि पंजीकरण नहीं होता, तो तुरंत Specific Performance के लिए मुकदमा करें।
- रियल एस्टेट लेन-देन में हमेशा रजिस्ट्री, स्टाम्प ड्यूटी और वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करें।
निष्कर्ष
Mahnoor Fatima Imran मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय संपत्ति कानून के मूल सिद्धांत को पुनः पुष्ट करता है—
“अचल संपत्ति का वैध स्वामित्व केवल पंजीकृत विक्रय विलेख से ही स्थानांतरित होता है; अपंजीकृत समझौता केवल एक अनुबंध है, स्वामित्व का दस्तावेज़ नहीं।”
यह फैसला न केवल न्यायिक स्पष्टता लाता है, बल्कि संपत्ति लेन-देन में ईमानदारी और कानूनी सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करता है।