“छोटे अपराधों में जेल नहीं, केवल जुर्माना: कारोबार सुगमता के लिए सरकार का नया विधेयक”

शीर्षक:
“छोटे अपराधों में जेल नहीं, केवल जुर्माना: कारोबार सुगमता के लिए सरकार का नया विधेयक”


भूमिका

भारत सरकार कारोबार सुगमता (Ease of Doing Business) और जीवनयापन की सुगमता (Ease of Living) को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कानूनी बदलाव करने जा रही है। छोटे अपराधों और मामूली प्रक्रियात्मक उल्लंघनों के लिए अब जेल की सजा के बजाय सिर्फ जुर्माना लगाने की तैयारी है।
यह कदम विशेष रूप से उद्यमियों, उद्योगों और कारोबारी वर्ग के लिए राहत लेकर आएगा। प्रस्तावित कानून का मसौदा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा तैयार किया जा रहा है, जिसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की योजना है।


कानून लाने का उद्देश्य

  1. कारावास के प्रावधानों को कम करना: छोटे-मोटे अपराधों को फौजदारी (Criminal) मामलों से हटाना।
  2. कारोबारी माहौल में सुधार: उद्योगों को कानूनी उलझनों से बचाना और निवेशकों के लिए आकर्षक माहौल बनाना।
  3. कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाना: ऐसे प्रावधानों को हटाना जो मामूली उल्लंघन पर भी जेल की सजा देते हैं।
  4. वैश्विक मानकों के अनुरूप बदलाव: विश्व स्तर पर कारोबार सुगमता रैंकिंग सुधारना।

वर्तमान स्थिति

भारत में केंद्र और राज्य स्तर के कई कानूनों में छोटे अपराधों के लिए भी जेल की सजा का प्रावधान है।
उदाहरण के तौर पर—

  • वाशरूम या कैंटीन में सफेदी (Whitewash) न कराने पर जेल की सजा।
  • कुछ लाइसेंस या पंजीकरण नवीनीकरण में देरी पर फौजदारी मामला।
  • छोटे-छोटे दस्तावेज़ी उल्लंघनों पर गिरफ्तारी का प्रावधान।

प्रस्तावित बदलाव

वर्तमान स्थिति प्रस्तावित बदलाव
छोटे अपराधों पर जेल की सजा केवल जुर्माना लगाया जाएगा
फौजदारी मुकदमा दर्ज अपराध को गैर-फौजदारी श्रेणी में बदला जाएगा
समय और संसाधन की बर्बादी त्वरित निपटारा और राहत
व्यापारिक छवि पर नकारात्मक प्रभाव व्यवसाय के लिए सकारात्मक माहौल

सरकारी योजना के मुख्य बिंदु

  • एक साझा कानून बनाया जाएगा जो विभिन्न कानूनों के छोटे अपराधों को फौजदारी श्रेणी से बाहर करेगा।
  • कारावास का प्रावधान हटाकर जुर्माने की व्यवस्था की जाएगी।
  • विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ चर्चा के बाद अंतिम मसौदा तैयार होगा।
  • संसद के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश करने की संभावना।

लाभ

उद्योग और कारोबार क्षेत्र के लिए:

  • कानूनी प्रक्रियाओं में आसानी।
  • अनावश्यक गिरफ्तारी से बचाव।
  • कारोबार करने में समय और धन की बचत।

सरकार और न्यायपालिका के लिए:

  • अदालतों पर छोटे मामलों का बोझ कम होगा।
  • पुलिस और प्रशासनिक संसाधनों की बचत।

समाज के लिए:

  • छोटे अपराधों पर जेल भेजने की प्रवृत्ति में कमी।
  • न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास में वृद्धि।

संभावित प्रभाव

  • Ease of Doing Business Ranking में सुधार।
  • विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ना।
  • उद्योग जगत में सकारात्मक संदेश।
  • न्यायिक प्रणाली का बोझ कम होना।

चुनौतियां

  1. छोटे अपराधों की सटीक परिभाषा: किन अपराधों को इसमें शामिल किया जाएगा, यह तय करना।
  2. राज्य और केंद्र के बीच समन्वय: विभिन्न राज्यों के कानूनों में संशोधन की आवश्यकता।
  3. दुरुपयोग रोकना: यह सुनिश्चित करना कि गंभीर अपराध गलती से इसमें न आ जाएं।

निष्कर्ष

सरकार का यह प्रस्तावित कानून भारत में कारोबार के माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। इससे न केवल छोटे अपराधों पर जेल की सजा खत्म होगी, बल्कि उद्यमियों और कारोबारियों के लिए सहज और सुरक्षित माहौल तैयार होगा।
यह पहल न केवल Ease of Doing Business को बढ़ावा देगी, बल्कि Ease of Living में भी सुधार लाएगी।
यदि यह कानून लागू होता है, तो यह भारत की न्याय व्यवस्था में एक सकारात्मक और प्रगतिशील सुधार माना जाएगा।