साइबर स्टॉकिंग और ट्रोलिंगः महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा
भूमिका
डिजिटल युग में जहां इंटरनेट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक जुड़ाव और सूचनाओं की सहज उपलब्धता को संभव बनाया है, वहीं इसके काले पक्ष भी उभर कर सामने आए हैं।
विशेष रूप से महिलाएं आज साइबर स्टॉकिंग (Cyberstalking) और ट्रोलिंग (Trolling) जैसे अपराधों का अधिक शिकार हो रही हैं। ये अपराध केवल डिजिटल हमले नहीं, बल्कि मानसिक उत्पीड़न, भय और आत्मविश्वास की हानि का कारण भी बनते हैं।
इस लेख का उद्देश्य है – इन अपराधों को समझना, इनके कानूनी दायरे को जानना, और महिलाओं को संरक्षण व न्याय के उपायों से परिचित कराना।
1. साइबर स्टॉकिंग क्या है?
परिभाषा:
साइबर स्टॉकिंग वह स्थिति है जब कोई व्यक्ति किसी महिला को बार-बार, अनचाहे और आपत्तिजनक तरीके से इंटरनेट, ईमेल, सोशल मीडिया या किसी अन्य ऑनलाइन माध्यम से परेशान करता है, उसका पीछा करता है या उसकी निजी जानकारी इकट्ठा करता है।
उदाहरण:
- लगातार इंस्टाग्राम/फेसबुक पर संदेश भेजना
- निजी तस्वीरों पर अश्लील कमेंट करना
- GPS या कैमरा के ज़रिए निगरानी करना
- महिला की गतिविधियों पर सोशल मीडिया के ज़रिए नज़र रखना
- फर्जी प्रोफाइल बनाकर उसकी छवि को नुकसान पहुंचाना
2. ट्रोलिंग क्या है?
परिभाषा:
ट्रोलिंग एक ऐसा व्यवहार है जिसमें कोई व्यक्ति जानबूझकर इंटरनेट पर किसी महिला को अपमानित करने, उकसाने, डराने या बदनाम करने के लिए अभद्र, अपमानजनक या भड़काऊ टिप्पणियाँ करता है।
उदाहरण:
- महिला पत्रकारों, ऐक्टिविस्ट्स, और पब्लिक फिगर्स को गालियाँ देना
- धार्मिक या राजनीतिक विचारों पर घृणित टिप्पणी करना
- बॉडी शेमिंग, रंगभेद, या सेक्सिस्ट टिप्पणियाँ करना
- ऑनलाइन गैंगिंग—ट्रोलर्स का सामूहिक हमला
3. क्यों महिलाओं को अधिक निशाना बनाया जाता है?
- लिंग भेदभाव और पितृसत्तात्मक मानसिकता
- इंटरनेट को ‘पुरुष प्रधान’ मंच मानना
- महिलाओं की सामाजिक सक्रियता से असहजता
- महिलाओं की ऑनलाइन सफलता से ईर्ष्या
- सेक्सुअल कंटेंट की मांग और उसकी नाजायज़ कोशिश
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर 3 में से 1 महिला ने स्वीकार किया है कि उन्होंने कभी न कभी ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना किया है।
4. इन अपराधों के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव
- तनाव, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति
- ऑनलाइन उपस्थिति छोड़ना (डिजिटल साइलेंस)
- आत्मविश्वास की कमी
- सामाजिक कलंक और शर्मिंदगी
- पारिवारिक तनाव और सुरक्षा की चिंता
5. महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा – भारत में मौजूदा कानून
भारत सरकार ने महिलाओं को साइबर अपराधों से बचाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), 2000 और भारतीय दंड संहिता (IPC) में कई महत्वपूर्ण धाराएं जोड़ी हैं।
5.1 साइबर स्टॉकिंग से संबंधित धाराएं
धाराएं | विवरण |
---|---|
IPC धारा 354D | बार-बार ऑनलाइन पीछा करना, निगरानी करना या संपर्क करना — पहली बार पर 3 साल तक की सज़ा, दोहराने पर 5 साल |
IT Act धारा 66E | किसी की निजी तस्वीर या जानकारी को अनुमति के बिना प्रकाशित करना |
IT Act धारा 72 | गोपनीय जानकारी का उल्लंघन करने पर सज़ा |
IPC धारा 507 | गुमनाम तरीके से धमकी देना |
5.2 ट्रोलिंग से संबंधित धाराएं
धाराएं | विवरण |
---|---|
IPC धारा 509 | किसी महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी या हरकत |
IPC धारा 500 | मानहानि (Defamation) – 2 साल तक की सज़ा |
IT Act धारा 67 | अश्लील या आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करना |
IPC धारा 153A | दो समूहों में नफरत फैलाने वाली टिप्पणी करना |
6. शिकायत कैसे और कहां करें?
1. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म:
National Cyber Crime Reporting Portal
🔗 www.cybercrime.gov.in
- ‘Women/Child Related Crime’ सेक्शन पर क्लिक करें
- घटना का विवरण, सबूत (स्क्रीनशॉट, लिंक आदि) अपलोड करें
- पहचान गुप्त रखने का विकल्प चुन सकते हैं
2. साइबर सेल / पुलिस स्टेशन:
- आपके शहर या ज़िले की साइबर सेल में शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है
- FIR दर्ज कराना आपका संवैधानिक अधिकार है
3. महिला आयोग / महिला हेल्पलाइन:
- 1091 – महिला हेल्पलाइन नंबर
- 181 – महिला सहायता केंद्र
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW):
🔗 www.ncw.nic.in
7. रिपोर्ट करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
- स्क्रीनशॉट्स, चैट हिस्ट्री, वीडियो आदि सबूत के रूप में रखें
- अपराधी की प्रोफाइल/ईमेल/फोन नंबर को नोट करें
- घटना की तारीख, समय, प्लेटफ़ॉर्म स्पष्ट रूप से लिखें
- गवाह हों तो उनका ज़िक्र करें
- कभी भी सबूत को डिलीट न करें
8. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर क्या विकल्प हैं?
प्लेटफ़ॉर्म | फीचर |
---|---|
Report, Block, Restrict, Privacy Settings | |
Report, Block, Hide Story, Restrict Comments | |
Twitter (X) | Report Tweet/User, Mute, Block |
YouTube | Report Channel/Video, Disable Comments |
Report Contact, Block, Privacy Control |
इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर रिपोर्ट करने से कई बार कंटेंट हट जाता है और अकाउंट निलंबित भी किया जा सकता है।
9. महिला की पहचान और गोपनीयता की सुरक्षा
कानून के अनुसार यदि कोई महिला किसी यौन उत्पीड़न, स्टॉकिंग या अश्लील कंटेंट का शिकार होती है, तो:
- उसकी पहचान को मीडिया में उजागर नहीं किया जा सकता (IPC धारा 228A)
- पुलिस को चाहिए कि शिकायत लेते समय गोपनीयता बनाए रखें
- महिला को चाहें तो महिला पुलिस अधिकारी के समक्ष बयान देने का अधिकार है
10. महिलाओं के लिए डिजिटल सुरक्षा के उपाय
सुरक्षित रहने के 10 आसान नियम:
- सोशल मीडिया प्रोफाइल को Private रखें
- अनजान लोगों को फ्रेंड/फॉलो रिक्वेस्ट न स्वीकारें
- पर्सनल जानकारी (फोन नंबर, पता) कभी साझा न करें
- अपने डिवाइस में मजबूत पासवर्ड रखें
- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) सक्रिय करें
- अश्लील, आपत्तिजनक, या धमकी भरे संदेशों को नज़रअंदाज़ न करें
- तुरंत स्क्रीनशॉट लेकर सबूत इकट्ठा करें
- नियमित रूप से अपने सोशल मीडिया की प्राइवेसी सेटिंग्स चेक करें
- बच्चों को भी साइबर सुरक्षा सिखाएं
- अपने डिजिटल अधिकारों के प्रति सजग रहें
11. मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समर्थन
साइबर स्टॉकिंग और ट्रोलिंग का असर केवल डिजिटल नहीं होता, यह पीड़िता की मानसिक स्थिति को गहराई से प्रभावित करता है। कई बार:
- महिलाएं अकेलेपन, शर्म और अवसाद से जूझती हैं
- किसी से बात नहीं कर पातीं
- अपराधी खुला घूमता रहता है और पीड़िता खुद को दोषी मानती है
इसलिए यह जरूरी है कि:
- मनोवैज्ञानिक परामर्श लिया जाए
- मित्रों/परिवार से बात की जाए
- सहायता समूहों से जुड़ा जाए
12. क्या कहती हैं कुछ पीड़ितों की सच्ची कहानियाँ (संक्षिप्त रूप में)?
- दिल्ली की एक पत्रकार को राजनीतिक विचारों पर ट्रोल किया गया, बलात्कार की धमकी मिली। उसने NCW और पुलिस में शिकायत की, कई ट्रोलर्स को गिरफ्तार किया गया।
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बेंगलुरु की एक छात्रा का इंस्टाग्राम अकाउंट हैक कर उसकी तस्वीरों का दुरुपयोग हुआ। साइबर क्राइम पोर्ट