चेक बाउंस हुआ? जानिए आपकी कानूनी कार्यवाही का तरीका (Cheques Bounce Legal Procedure in Hindi – A Detailed Guide)

शीर्षक: चेक बाउंस हुआ? जानिए आपकी कानूनी कार्यवाही का तरीका
(Cheques Bounce Legal Procedure in Hindi – A Detailed Guide)


परिचय:

चेक बाउंस (Cheque Bounce) एक आम लेकिन गंभीर वित्तीय समस्या है, जो अक्सर उधारी, लेन-देन, व्यापार या व्यक्तिगत भुगतान के दौरान सामने आती है। जब कोई व्यक्ति या संस्था बैंक में चेक जमा करता है और वह पर्याप्त फंड न होने या अन्य कारणों से “डिश honoured” यानी अस्वीकृत हो जाता है, तो इसे चेक बाउंस कहा जाता है। भारतीय विधि के अनुसार, यह केवल एक बैंकिंग गलती नहीं बल्कि भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक आपराधिक अपराध भी है।

यह लेख इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझाएगा कि चेक बाउंस होने पर आपको क्या करना चाहिए, किस कानून के तहत कार्यवाही होती है, और न्याय पाने के लिए कौन-कौन से कानूनी कदम उठाने होते हैं।


1. चेक बाउंस क्या है?

जब कोई चेक किसी व्यक्ति को भुगतान के लिए दिया जाता है और बैंक द्वारा निम्नलिखित कारणों से उसे अस्वीकार कर दिया जाता है, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है:

  • बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं है
  • खाता बंद हो गया है
  • हस्ताक्षर मेल नहीं खाते
  • चेक पर तारीख गलत है या ओवरराइटिंग है
  • स्टॉप पेमेंट निर्देश दिया गया है

2. चेक बाउंस से संबंधित कानून:

चेक बाउंस के मामलों को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है:

👉 धारा 138 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881)

यह धारा कहती है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर चेक देता है और उसके खाते में पर्याप्त राशि नहीं है, तो यह एक दंडनीय अपराध है, जिसकी सजा दो साल तक की जेल, दोगुने तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।


3. पीड़ित को क्या करना चाहिए? (कानूनी प्रक्रिया)

यदि आपका चेक बाउंस हुआ है, तो निम्नलिखित चरणों को अपनाना चाहिए:


चरण 1: चेक बाउंस प्रमाण प्राप्त करें

  • बैंक से चेक रिटर्न मेमो प्राप्त करें, जिसमें बाउंस का कारण लिखा हो।
  • चेक की एक प्रति अपने पास सुरक्षित रखें।

चरण 2: विधिक नोटिस (Legal Notice) भेजें

  • आपको चेक बाउंस होने की जानकारी मिलने के 30 दिनों के भीतर चेक देने वाले (Drawer) को लिखित कानूनी नोटिस भेजना होता है।
  • नोटिस में निम्नलिखित बातें स्पष्ट होनी चाहिए:
    • चेक का विवरण (तिथि, राशि, बैंक)
    • बाउंस होने का कारण
    • भुगतान की मांग
    • 15 दिनों की समयसीमा के भीतर भुगतान करने की चेतावनी

👉 नोटिस Registered Post AD या Speed Post के जरिए भेजें और प्रूफ रखें।


चरण 3: केस दर्ज करना (Complaint Filing)

  • यदि नोटिस भेजने के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो आप अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  • शिकायत दाखिल करने की समय-सीमा: नोटिस अवधि खत्म होने के 30 दिनों के भीतर केस दायर करना अनिवार्य है।

जहां केस दर्ज करें:

  • जहाँ चेक प्रस्तुत किया गया था (आपका बैंक), या
  • जहाँ भुगतान होना था।

4. आवश्यक दस्तावेज़:

मामला दर्ज करते समय निम्नलिखित दस्तावेज़ जरूरी होते हैं:

  • मूल चेक की प्रति
  • चेक रिटर्न मेमो (बैंक से प्राप्त)
  • विधिक नोटिस की कॉपी
  • डाक की रसीद या AD कार्ड
  • पहचान पत्र
  • भुगतान के अन्य सबूत (जैसे बिल, एग्रीमेंट)

5. सजा और परिणाम:

धारा 138 के तहत दोषी पाए जाने पर:

  • 2 वर्ष तक की सजा
  • दोगुना तक का जुर्माना
  • चेक की रकम के साथ ब्याज सहित भुगतान का आदेश

न्यायालय समझौते के आधार पर भी आदेश दे सकता है, बशर्ते दोनों पक्ष राज़ी हों।


6. क्या सिविल कार्यवाही भी संभव है?

जी हां। आप आपराधिक मामला दर्ज करने के साथ-साथ सिविल सूट भी दायर कर सकते हैं — ताकि चेक की राशि वसूल की जा सके।

  • सिविल कोर्ट में मनी रिकवरी सूट दाखिल किया जा सकता है।
  • यह केस दीवानी न्यायालय में चलेगा, जहां केवल राशि वसूली का निर्णय लिया जाएगा।

7. क्या FIR दर्ज की जा सकती है?

नहीं, धारा 138 के अंतर्गत पुलिस FIR दर्ज नहीं करती, क्योंकि यह प्रत्यक्ष आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि अदालत में शिकायत के माध्यम से चलता है।

हालांकि, कुछ विशेष मामलों में IPC की धाराएं जैसे 420 (धोखाधड़ी) जोड़कर पुलिस शिकायत की जा सकती है।


8. क्या अग्रिम जमानत मिल सकती है?

हां, चेक बाउंस मामलों में आमतौर पर अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) मिल जाती है क्योंकि ये अपराध जमानती होते हैं।


9. समझौता और मध्यस्थता के विकल्प:

न्यायालय अक्सर समझौते को बढ़ावा देता है ताकि समय और धन की बचत हो सके।
यदि आरोपी चेक की राशि चुका देता है, तो वादी समझौता कर केस वापस ले सकता है।

सरकारी या निजी मध्यस्थता केंद्रों के माध्यम से भी समाधान हो सकता है।


10. सावधानियां और सुझाव:

  • चेक देते समय सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त धन हो।
  • कोई चेक लेने से पहले पक्षकार का रिकॉर्ड जांचें।
  • चेक की तारीख, हस्ताक्षर और राशि ठीक से जांचें।
  • चेक से संबंधित सभी रिकॉर्ड और संचार सुरक्षित रखें।
  • चेक बाउंस हुआ है तो समय सीमा का पालन करें — 30+15+30 दिन की प्रक्रिया को न भूलें।

निष्कर्ष:

चेक बाउंस केवल एक वित्तीय गलती नहीं बल्कि एक कानूनी अपराध है, जो वादी को न्यायिक प्रक्रिया द्वारा सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति जागरूक रहे, समय पर कानूनी नोटिस भेजे और समयसीमा का पालन करते हुए कार्यवाही करे। न्यायालयों में ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाता है, और यदि सभी प्रक्रिया सही ढंग से पूरी की गई हो, तो वादी को निश्चित रूप से न्याय मिलता है।

अतः अगर आपका चेक बाउंस हुआ है, तो घबराने के बजाय कानूनी उपायों की सही जानकारी लेकर कार्यवाही करें। न्याय आपके साथ है — बशर्ते आप सही कदम उठाएं।