“नामांकन के अभाव में बैंक, पोस्ट ऑफिस, या वित्तीय संस्थान में जमा राशि प्राप्त करने की प्रक्रिया: एक वैध उत्तराधिकारी के लिए विस्तृत कानूनी मार्गदर्शिका”
परिचय
भारतीय समाज में अक्सर देखा गया है कि लोग अपने खातों में नामांकन (Nomination) नहीं करते या समय रहते अपडेट नहीं करते। ऐसे में जब खाता धारक की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिजन विशेष रूप से पत्नी, बच्चे या माता-पिता, काफी परेशान हो जाते हैं कि अब बैंक या पोस्ट ऑफिस में जमा धनराशि कैसे प्राप्त की जाए।
यह लेख विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिन्हें:
- किसी मृत व्यक्ति के बैंक/PPF/FD खाते से पैसे प्राप्त करने हैं
- और उस खाते में कोई नामांकित व्यक्ति नहीं है
नामांकन (Nomination) और उसके अभाव का कानूनी महत्व
नामांकन, बैंकिंग और निवेश क्षेत्रों में यह एक सामान्य कानूनी प्रक्रिया है जिसमें खाता धारक अपने जीवनकाल में ही किसी व्यक्ति को नामांकित कर देता है जो उसकी मृत्यु के बाद खाते की राशि प्राप्त कर सके।
यदि नामांकित व्यक्ति नहीं है, तो संबंधित संस्था (बैंक, पोस्ट ऑफिस, म्यूचुअल फंड, PPF आदि) बिना किसी वैध प्रमाणपत्र के राशि नहीं देती। ऐसे में उत्तराधिकारी को अदालत का सहारा लेना पड़ता है।
किन वित्तीय संस्थानों में यह प्रक्रिया लागू होती है?
- बैंक (Savings Account, FD, RD)
- पोस्ट ऑफिस (MIS, PPF, NSC)
- LIC और बीमा कंपनियाँ
- म्यूचुअल फंड्स
- EPF और GPF
- शेयर/डिबेंचर कंपनियाँ
- पेंशन/ग्रेच्युटी विभाग
नामांकित व्यक्ति न होने पर वैध उत्तराधिकारी कैसे राशि प्राप्त करें?
1. मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करें
- नगरपालिका/पंचायत से अधिकृत मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करें
- बैंक या संस्थान को मृत्यु की सूचना दें
2. वैध उत्तराधिकारी का निर्धारण करें
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार यदि वसीयत नहीं है:
पत्नी, बेटे-बेटी, माता-पिता उत्तराधिकारी माने जाते हैं - यदि वसीयत है:
Probate प्रक्रिया से उस वसीयत को न्यायालय से सत्यापित कराना होगा
3. दो विकल्प: Succession Certificate या Legal Heir Certificate
📌 (A) Legal Heir Certificate (वारिस प्रमाणपत्र)
- तहसील या नगरपालिका कार्यालय से प्राप्त किया जाता है
- सामान्य पहचान के लिए प्रयोग होता है
- कुछ बैंक इसे स्वीकार करते हैं लेकिन सभी नहीं
- केवल पहचान के लिए पर्याप्त, स्वामित्व के लिए नहीं
📌 (B) Succession Certificate (उत्तराधिकार प्रमाणपत्र)
- जिला सिविल न्यायालय द्वारा जारी होता है
- केवल चल संपत्ति (bank deposits, PPF, insurance, mutual fund) के लिए
- प्रमाणित करता है कि कौन व्यक्ति मृतक की संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार रखता है
- अधिकांश संस्थान केवल इसी के आधार पर राशि हस्तांतरित करते हैं
उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया
Step 1: याचिका दाखिल करें (District Civil Court में)
- फॉर्म में आवेदन करें
- मृतक की मृत्यु की तिथि, संपत्ति का विवरण, और संबंध बताएँ
- मृत्यु प्रमाणपत्र संलग्न करें
- कोर्ट फीस जमा करें (उत्तर प्रदेश में 3% तक – अधिकतम ₹75,000)
Step 2: कोर्ट की सार्वजनिक सूचना (Public Notice)
- कोर्ट एक सार्वजनिक नोटिस अखबार में प्रकाशित कराता है
- कोई आपत्ति आती है या नहीं – 30–45 दिन का समय
Step 3: सुनवाई और जांच
- कोर्ट सुनवाई करता है
- आपत्ति न होने पर प्रमाणपत्र जारी करता है
Step 4: प्रमाणपत्र मिलने के बाद बैंक में आवेदन करें
- Succession Certificate की प्रति बैंक/पोस्ट ऑफिस में जमा करें
- साथ में:
- मृत्यु प्रमाणपत्र
- पहचान पत्र
- बैंक खाता विवरण
- आवेदन पत्र (Bank Claim Form)
बैंक और पोस्ट ऑफिस की प्रक्रिया
हर संस्था की अलग प्रक्रिया होती है, लेकिन सामान्यतः ये दस्तावेज़ माँगे जाते हैं:
- Claim Form (जैसे SBI में Form G, Post Office में Claim Application)
- Succession Certificate की सत्यापित प्रति
- पहचान पत्र और फोटो
- बैंक पासबुक की कॉपी
- मृतक का मृत्यु प्रमाणपत्र
- संयुक्त शपथ पत्र (यदि एक से अधिक उत्तराधिकारी हों)
महिला (पत्नी) को विशेष अधिकार
यदि मृतक विवाहित था और नामांकन नहीं किया गया था, तो पत्नी को प्राथमिक उत्तराधिकारी माना जाता है। हालांकि, कानूनी रूप से प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है।
यदि पति की मृत्यु हो गई है, और पत्नी जीवित है, तो:
- वह अकेली उत्तराधिकारी हो सकती है
- या बच्चों/सास-ससुर के साथ संयुक्त रूप से दावा कर सकती है
यदि संपत्ति विवादित हो तो क्या करें?
यदि:
- दो या अधिक व्यक्ति उत्तराधिकार का दावा करें
- वसीयत विवादित हो
- परिवार में मतभेद हों
तो न्यायालय में विवाद समाधान (Dispute Resolution) के तहत मामला सिविल वाद के रूप में चलेगा, और अंतिम निर्णय कोर्ट द्वारा ही किया जाएगा।
महत्वपूर्ण बातें
- Nominee होने का मतलब स्वामित्व नहीं होता, केवल ‘ट्रस्टी’ माना जाता है
- Succession Certificate न होने पर संस्थान राशि रोक सकता है
- Legal Heir Certificate केवल पहचान है, संपत्ति हस्तांतरण के लिए पर्याप्त नहीं
- प्रक्रिया लंबी (2–6 महीने) हो सकती है
- वकील की मदद लेना उपयोगी रहता है
निष्कर्ष
बिना नामांकन के वित्तीय संस्थान से राशि प्राप्त करना पूरी तरह से संवैधानिक और न्यायिक प्रक्रिया पर आधारित है। एक वैध उत्तराधिकारी को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के माध्यम से अपना अधिकार स्थापित करना होता है। यह लेख इस पूरी प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करता है ताकि कोई भी व्यक्ति, विशेषतः महिलाएँ, बिना किसी भ्रम के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें।