सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (Right to Information Act, 2005) – एक विस्तृत उत्तर

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (Right to Information Act, 2005) – एक विस्तृत उत्तर


🔷 परिचय (Introduction)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (Right to Information Act, 2005 – RTI Act) भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही को सशक्त बनाने वाला एक ऐतिहासिक कानून है। इस अधिनियम का उद्देश्य नागरिकों को सरकारी कार्यों, निर्णयों और नीतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देना है, ताकि वे एक जागरूक और उत्तरदायी नागरिक के रूप में कार्य कर सकें।


🔷 अधिनियम की पृष्ठभूमि (Background of the Act)

RTI अधिनियम 2005 के लागू होने से पहले भारत में सूचना पाने का कोई व्यापक संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं था। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) की व्याख्या में यह कहा गया था कि सूचना पाने का अधिकार इस स्वतंत्रता का हिस्सा है। लेकिन कोई विशिष्ट कानून नहीं था। इसलिए, नागरिकों को सरकारी प्रक्रियाओं तक पहुंच दिलाने के लिए यह अधिनियम लाया गया।


🔷 मुख्य उद्देश्य (Objectives of RTI Act, 2005)

  1. सरकार में पारदर्शिता लाना।
  2. जनता को सरकारी कार्यप्रणाली की जानकारी देना।
  3. भ्रष्टाचार को कम करना।
  4. प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करना।
  5. लोकतंत्र को मजबूत बनाना।

🔷 प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)

  1. सूचना का अधिकार (Section 3):
    प्रत्येक नागरिक को सूचना पाने का अधिकार है।
  2. सार्वजनिक प्राधिकरण (Public Authority) (Section 2(h)):
    सरकार के अधीन कोई भी संस्था, निकाय या एनजीओ जो सरकार से धन प्राप्त करता है, वह RTI के अंतर्गत आता है।
  3. Public Information Officer (PIO):
    हर सार्वजनिक प्राधिकरण को एक PIO नियुक्त करना होता है, जो RTI आवेदन प्राप्त करके 30 दिनों के भीतर उत्तर देता है।
  4. सूचना का प्रकार:
    • दस्तावेज़, ईमेल, नोट, सलाह, राय, प्रेस रिलीज़, सैंपल आदि।
    • निरीक्षण, प्रमाणित प्रतियां, नमूने इत्यादि।
  5. समय-सीमा:
    • सामान्यत: 30 दिनों में जानकारी दी जाती है।
    • यदि जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित हो, तो 48 घंटों में।
  6. फीस:
    • आवेदन शुल्क सामान्यतः ₹10 होता है।
    • BPL (गरीबी रेखा से नीचे) व्यक्ति को शुल्क से छूट है।
  7. अस्वीकृति (Denial of Information):
    कुछ संवेदनशील मामलों में सूचना देने से छूट है जैसे:

    • राष्ट्रीय सुरक्षा
    • विदेश नीति
    • न्यायालय की अवमानना
    • वाणिज्यिक गोपनीयता
    • जीवन की सुरक्षा इत्यादि (Section 8)।
  8. अपील और शिकायत की प्रक्रिया:
    • प्रथम अपील – संबंधित विभाग के उच्च अधिकारी से।
    • द्वितीय अपील – केंद्रीय/राज्य सूचना आयोग से।

🔷 सूचना आयोग (Information Commissions)

  1. केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission):
    केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले विभागों के मामलों को देखता है।
  2. राज्य सूचना आयोग (State Information Commission):
    राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले विभागों के मामलों की सुनवाई करता है।

🔷 महत्त्व और प्रभाव (Importance and Impact)

  1. भ्रष्टाचार पर अंकुश:
    RTI अधिनियम ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  2. लोक प्रशासन में सुधार:
    अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ी है।
  3. नागरिक अधिकारों की सुरक्षा:
    नागरिकों को जानकारी मिलने से वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुए हैं।
  4. न्यायिक हस्तक्षेप:
    RTI अधिनियम के माध्यम से कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने भ्रष्टाचार को उजागर किया है।

🔷 चुनौतियाँ (Challenges)

  1. जानकारियों में देरी या टालमटोल।
  2. PIO की प्रशिक्षण की कमी।
  3. जानकारी देने से मना करना या गुमराह करना।
  4. RTI कार्यकर्ताओं पर हमले और धमकियाँ।
  5. सूचना आयोगों में अपीलों की लंबित स्थिति।

🔷 नवीनतम सुधार/संशोधन (Amendments)

RTI Amendment Act, 2019:
इस संशोधन में सूचना आयुक्तों की सेवा शर्तों को सरकार के अधीन कर दिया गया है, जिससे उनकी स्वायत्तता पर प्रश्न उठे हैं।


🔷 निष्कर्ष (Conclusion)

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 भारत में नागरिक सशक्तिकरण का एक क्रांतिकारी कदम है। यह लोकतंत्र के उस मूलभूत सिद्धांत को साकार करता है जिसमें जनता को “जानने का अधिकार” प्राप्त है। हालाँकि इसके प्रभावी क्रियान्वयन में चुनौतियाँ हैं, फिर भी यह एक ऐसा औज़ार है जो आम नागरिक को शासन में भागीदारी का अवसर देता है। यदि इसे मजबूती से लागू किया जाए और नागरिक जागरूक हों, तो यह अधिनियम जनहित में मील का पत्थर साबित हो सकता है।