राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP): बाल श्रमिकों की पहचान और पुनर्वास की दिशा में एक प्रभावी पहल

राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP): बाल श्रमिकों की पहचान और पुनर्वास की दिशा में एक प्रभावी पहल

प्रस्तावना:
भारत जैसे विकासशील देश में बाल श्रम एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य और बचपन के अधिकारों से वंचित इन बच्चों को काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस समस्या से निपटने और बच्चों को गरिमामय जीवन देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाईं, जिनमें राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (National Child Labour Project – NCLP) एक प्रमुख और क्रांतिकारी पहल है। यह परियोजना बाल श्रमिकों की पहचान, उन्हें खतरनाक कार्यों से मुक्त कराना, पुनर्वास करना और उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में लाना सुनिश्चित करती है।


परियोजना की पृष्ठभूमि और स्थापना:
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना की शुरुआत भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा वर्ष 1988 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था खतरनाक और शोषणकारी परिस्थितियों में कार्य कर रहे बाल श्रमिकों की पहचान करके उन्हें शिक्षित करना और उनका सामाजिक पुनर्वास करना। यह योजना उन जिलों में आरंभ की गई जहाँ बाल श्रम की समस्या अत्यधिक गंभीर थी। प्रारंभ में यह योजना 12 जिलों में शुरू हुई, लेकिन बाद में इसे पूरे देश में विस्तारित किया गया।


NCLP का मुख्य उद्देश्य:

  1. बाल श्रमिकों की पहचान करना
  2. उन्हें खतरनाक उद्योगों और कार्यस्थलों से मुक्त कराना
  3. पुनर्वास केंद्रों (विशेष विद्यालयों) में प्रवेश दिलाना
  4. बच्चों को औपचारिक शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं और मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान करना
  5. अभिभावकों को आजीविका सहायता के माध्यम से प्रोत्साहित करना ताकि वे बच्चों को दोबारा श्रम में न लगाएं
  6. जागरूकता फैलाना कि बाल श्रम एक अपराध है और इसके खिलाफ समाज को खड़ा होना चाहिए।

प्रमुख कार्यप्रणाली:
NCLP के अंतर्गत प्रत्येक चिन्हित जिले में एक जिला परियोजना समाज (District Project Society – DPS) गठित की जाती है। इस समिति की अध्यक्षता जिलाधिकारी करते हैं। उनके निर्देश में यह समिति योजना के सभी घटकों का संचालन करती है।

इन समितियों के अंतर्गत विशेष प्रशिक्षण विद्यालय (Special Training Centres – STCs) संचालित किए जाते हैं, जहाँ 9 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को गैर-औपचारिक शिक्षा, भोजन, कपड़े, स्वास्थ्य सेवाएं और वजीफा प्रदान किया जाता है। पुनर्वासित बच्चों को बाद में औपचारिक विद्यालयों में नामांकित किया जाता है।


वित्तीय सहायता और वजीफा:
NCLP के तहत प्रत्येक बच्चा जो STC में अध्ययन करता है, उसे मासिक वजीफा (stipend) प्रदान किया जाता है। इससे उनके परिवारों को आर्थिक राहत मिलती है और बच्चे पुनः श्रम की ओर नहीं लौटते। साथ ही केंद्र सरकार परियोजना के लिए जिला प्रशासन को आवश्यक वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है।


महत्वपूर्ण पहल और संशोधन:
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना समय-समय पर अद्यतन की गई है ताकि बदलती सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप इसकी प्रभावशीलता बनी रहे। बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के बाद इस योजना में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन भी किए गए, जिससे योजना और सशक्त बनी।


उपलब्धियां:

  • हजारों बच्चों को खतरनाक कामों से मुक्त कराया गया।
  • पुनर्वास केंद्रों के माध्यम से लाखों बच्चों को औपचारिक शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ा गया।
  • बाल श्रम के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ी।
  • माता-पिता को वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान किए गए।
  • कई जिलों में बाल श्रम के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई।

चुनौतियां:

  • देश के दूरदराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बाल श्रम व्यापक रूप से व्याप्त है।
  • STC केंद्रों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।
  • वित्तीय और मानव संसाधनों की कमी के कारण कई बार योजनाएं धीमी हो जाती हैं।
  • कई बार पुनर्वासित बच्चे दोबारा श्रम में लौट जाते हैं।
  • योजना की निगरानी व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।

न्यायपालिका और बाल श्रम:
भारत का उच्चतम न्यायालय भी कई मामलों में बाल श्रम के उन्मूलन के लिए सरकार को निर्देश दे चुका है। एम.सी. मेहता बनाम तमिलनाडु राज्य (1996) में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष पुनर्वास कोष बनाने का आदेश दिया ताकि बाल श्रमिकों को शिक्षा और पुनर्वास के अवसर मिल सकें।


समापन:
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP) भारत सरकार की एक समर्पित और मानवीय पहल है जो बाल श्रमिकों को शिक्षा, पोषण और सम्मानजनक जीवन देने का कार्य करती है। यह परियोजना ना केवल बच्चों को श्रम से मुक्त करती है, बल्कि उनके सपनों को उड़ान भी देती है। हालांकि कई चुनौतियाँ अभी शेष हैं, फिर भी यह योजना समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इसके प्रभाव को और अधिक व्यापक बनाने के लिए सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक का सक्रिय सहयोग आवश्यक है।