“रेस ज्यूडीकेटा का अतिरिक्त मुद्दा अंतिम निर्णय में बिना पक्षों को सुनवाई का अवसर दिए नहीं जोड़ा जा सकता: बॉम्बे हाई कोर्ट”

“रेस ज्यूडीकेटा का अतिरिक्त मुद्दा अंतिम निर्णय में बिना पक्षों को सुनवाई का अवसर दिए नहीं जोड़ा जा सकता: बॉम्बे हाई कोर्ट”


भूमिका:
भारतीय विधि में Res Judicata (पूर्व निर्णय की बाध्यता) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो दोहराए गए मुकदमों की रोकथाम करता है। हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि ‘Res Judicata’ के आधार पर कोई अतिरिक्त मुद्दा अंतिम निर्णय में नहीं जोड़ा जा सकता, जब तक कि संबंधित पक्षों को सुनने का उचित अवसर न दिया जाए। यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की पुष्टि करता है।


मामले का सारांश:
यह मामला एक दीवानी वाद से संबंधित था, जिसमें निचली अदालत ने फैसला सुनाते समय अपने अंतिम निर्णय में ‘Res Judicata’ का एक अतिरिक्त मुद्दा स्वतः ही जोड़ दिया, बिना यह सुनिश्चित किए कि दोनों पक्षों को इस मुद्दे पर बहस और जवाब देने का मौका दिया गया हो। याचिकाकर्ता ने इसे न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन बताते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी।


बॉम्बे हाई कोर्ट का निर्णय:
न्यायमूर्ति की पीठ ने स्पष्ट किया कि:

  1. Res Judicata, जो कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 11 में निहित है, एक तकनीकी और तथ्यों पर आधारित कानूनी सिद्धांत है।
  2. यदि कोई अदालत इस आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना चाहती है, तो यह अनिवार्य है कि संबंधित पक्षों को नोटिस देकर सुनवाई का उचित अवसर दिया जाए
  3. अंतिम निर्णय में, बिना पूर्व सूचना और बहस के, ऐसे किसी भी अतिरिक्त मुद्दे को जोड़ना प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है।
  4. न्यायालय ने यह भी कहा कि न्यायाधीश का यह कर्तव्य है कि वह निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन करें और पक्षों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

प्रभाव और महत्व:
यह निर्णय न्यायिक प्रणाली के नैसर्गिक न्याय (Natural Justice) के मूल सिद्धांत – “Audi Alteram Partem” यानी “दूसरे पक्ष को भी सुना जाए” – को बल प्रदान करता है। साथ ही यह फैसला इस बात की भी पुनः पुष्टि करता है कि न्यायालय अपनी भूमिका में निष्पक्ष रहकर, किसी पक्ष को अंधेरे में रखकर निर्णय नहीं दे सकते।


निष्कर्ष:
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह निर्णय भारतीय न्याय प्रणाली में न्यायिक जवाबदेही और निष्पक्षता को पुनः स्थापित करता है। यह आदेश स्पष्ट करता है कि ‘Res Judicata’ जैसे तकनीकी सिद्धांतों का उपयोग करते समय भी पारदर्शिता और सुनवाई का अधिकार सर्वोपरि है। सभी न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी निर्णय एकतरफा या बिना सुनवाई के न लिया जाए।