“धारा 49 BNS: ‘उकसाने वाला भी उतना ही दोषी’ – दुष्प्रेरण पर समान दंड का सिद्धांत”

“धारा 49 BNS: ‘उकसाने वाला भी उतना ही दोषी’ – दुष्प्रेरण पर समान दंड का सिद्धांत”

परिचय:

भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 49 न्याय का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और नैतिक आधार प्रस्तुत करती है – यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को अपराध करने के लिए उकसाता है (भले ही उसने खुद हाथ से वह अपराध न किया हो), लेकिन उसका उकसाया गया व्यक्ति वह अपराध कर देता है, तो उकसाने वाला उतना ही दोषी माना जाएगा जितना अपराध करने वाला।

यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि “पीछे से धक्का देने वाला अपराधी भी उसी सजा का हकदार है, जैसे आगे जाकर अपराध करने वाला व्यक्ति”।


धारा 49 का शब्दार्थ (सारांश):

“जब कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने के लिए उकसाता है (दुष्प्रेरण करता है), और वह अपराध वास्तव में घटित हो जाता है, तो उस व्यक्ति को वही सज़ा दी जाएगी जो उस अपराध के लिए दी जाती है।”


महत्वपूर्ण बिंदु:

  • अपराध की पूर्णता आवश्यक है (यानी, अपराध वास्तव में होना चाहिए)
  • दुष्प्रेरण के तीन रूप स्वीकार्य हैं:
    1. उकसाना (Instigation)
    2. षड्यंत्र (Conspiracy)
    3. सहायता (Aiding)

उदाहरण द्वारा व्याख्या:

उदाहरण 1:

‘राजेश’ अपने दुश्मन ‘सुनील’ को मारने के लिए ‘दीपक’ को पैसे देता है, हथियार मुहैया कराता है और योजना बनाता है। दीपक जाकर सुनील की हत्या कर देता है।

👉 भले ही हत्या दीपक ने की हो, लेकिन राजेश, जिसने यह सब उकसाया और मदद की, धारा 49 के तहत हत्या का दोषी होगा और उसे वही सजा मिलेगी जो दीपक को मिलेगी (जैसे, आजीवन कारावास या मृत्युदंड, जैसा उपयुक्त हो)।


कानूनी तत्व (Essential Ingredients):

  1. ✔️ किसी ने अपराध के लिए दुष्प्रेरण किया हो (उकसाना, योजना बनाना, सहायता देना आदि)
  2. ✔️ दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप वह अपराध वास्तव में हो गया हो
  3. ✔️ अपराध और दुष्प्रेरण के बीच स्पष्ट संबंध (Nexus) हो

ध्यान दें:

यदि अपराध हुआ ही नहीं, तो धारा 49 लागू नहीं होगी। उस स्थिति में केवल दुष्प्रेरण के प्रयास (attempt to abet) पर विचार किया जाएगा और संबंधित धारा (जैसे धारा 47 या 50) के अंतर्गत दंड निर्धारित होगा।


धारा 49 का उद्देश्य:

  • यह सिद्धांत स्थापित करता है कि “मानसिक अपराध” (Mens Rea) रखने वाला व्यक्ति, जो दूसरों के हाथों से अपराध करवाता है, वह भी उतना ही उत्तरदायी है।
  • इससे मास्टरमाइंड अपराधियों पर भी कानूनी शिकंजा कसा जा सकता है।

सम्बंधित धाराएं:

धारा विषय
धारा 46 दुष्प्रेरण की परिभाषा
धारा 47 भारत में बैठकर विदेश में अपराध कराने पर सज़ा
धारा 48 विदेश में बैठकर भारत में अपराध कराने पर सज़ा
धारा 50 दुष्प्रेरण के प्रयास पर दंड

न्यायिक दृष्टिकोण (Judicial View):

भारतीय न्यायपालिका ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि दुष्प्रेरण का कार्यकर्ता यदि यह जान-बूझकर करता है और उसके कारण ही अपराध घटित होता है, तो वह उतना ही दोषी होता है जितना अपराधी स्वयं।

प्रसिद्ध उदाहरण:

  • R v. Barret (UK) – अपराध का आदेश देने वाला व्यक्ति, जो घटना स्थल पर उपस्थित न था, फिर भी हत्या का दोषी पाया गया।

अभ्यास आधारित प्रश्न:

प्रश्न: ‘आरव’ ने ‘नीरज’ को चोरी करने के लिए उकसाया और उसे नक्शा व उपकरण दिए। नीरज ने चोरी कर ली। किस धारा के अंतर्गत आरव को सजा दी जाएगी?

उत्तर: आरव को धारा 49 BNS के अंतर्गत वही सज़ा मिलेगी जो चोरी के अपराध के लिए निर्धारित है।


निष्कर्ष:

धारा 49 BNS यह स्पष्ट रूप से स्थापित करती है कि —

“अपराध करवाने वाला अपराधी, उतना ही उत्तरदायी है जितना उसे अंजाम देने वाला।”

इस धारा के तहत, न्याय सिर्फ हाथ से अपराध करने वालों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पीछे की साजिश, दुष्प्रेरणा, और मानसिक षड्यंत्र को भी कानून के कठघरे में खड़ा करता है। यह कानून का वह पहलू है जो नैतिक जिम्मेदारी को भी दंडनीय बनाता है।