अधिग्रहण किए गए व्यक्ति के अधिकार (Rights of an Arrested Person under Bhartiya Nyaya Sanhita, 2023 & Constitution of India)

अधिग्रहण किए गए व्यक्ति के अधिकार (Rights of an Arrested Person under Bhartiya Nyaya Sanhita, 2023 & Constitution of India)


🔷 परिचय

भारतीय संविधान और भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyaya Sanhita – BNSS), 2023 गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों की व्यापक सुरक्षा प्रदान करते हैं। भारत में यह माना गया है कि किसी भी व्यक्ति को तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक कि न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध न कर दिया जाए। इसी सिद्धांत के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति (Arrested Person) को कुछ मूलभूत और विधिक अधिकार प्राप्त हैं जो उसे मनमाने और अवैध व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करते हैं।


🔶 1. गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार

(Right to Know the Grounds of Arrest)

  • संविधान का अनुच्छेद 22(1): प्रत्येक व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के कारणों को जानने का अधिकार है।
  • BNSS की धारा 47: पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तारी का कारण बताना आवश्यक है।

📌 यह अधिकार मनमानी और गुप्त गिरफ्तारी के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।


🔶 2. मौन रहने का अधिकार

(Right to Silence)

  • अनुच्छेद 20(3) संविधान: कोई भी व्यक्ति स्वयं के विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
  • यह सिद्धांत “Self-incrimination” के विरुद्ध सुरक्षा देता है।

📌 यह अधिकार आरोपी को मजबूरी में कोई बयान देने से बचाता है जो बाद में उसके विरुद्ध प्रयोग हो सकता है।


🔶 3. निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार

(Right to Fair Trial)

  • अनुच्छेद 14: सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार है, जो निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को समाहित करता है।
  • महत्वपूर्ण निर्णय: Hussainara Khatoon v. State of Bihar — इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने विचाराधीन कैदियों के अधिकारों को रेखांकित किया।

📌 यह अधिकार न्याय की निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।


🔶 4. गिरफ्तारी की सूचना दिए जाने का अधिकार

(Right to Notification of Arrest)

  • BNSS की धारा 48: गिरफ्तार व्यक्ति को उसके परिजनों/मित्रों को गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार है।
  • पुलिस को गिरफ्तारी की सूचना तुरंत देने की बाध्यता है।

📌 यह पारिवारिक सहायता और कानूनी सलाह के लिए आवश्यक है।


🔶 5. वकील से सलाह और विधिक सहायता का अधिकार

(Right to Consult and Legal Aid)

  • अनुच्छेद 22(1): गिरफ्तार व्यक्ति को वकील से परामर्श का अधिकार है।
  • अनुच्छेद 39A: गरीबों और असहाय व्यक्तियों के लिए नि:शुल्क विधिक सहायता का प्रावधान।
  • BNSS की धारा 341: गिरफ्तारी के तुरंत बाद वकील से सलाह का अधिकार सुनिश्चित करती है।

📌 यह न्याय प्राप्त करने के लिए सबसे मूलभूत अधिकारों में से एक है।


🔶 6. 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेशी का अधिकार

(Right to be Taken to Magistrate Within 24 Hours)

  • अनुच्छेद 22(2) संविधान: गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • BNSS की धारा 57: पुलिस हिरासत 24 घंटे से अधिक नहीं हो सकती (यात्रा का समय छोड़कर)।

📌 यह अनावश्यक पुलिस हिरासत से सुरक्षा प्रदान करता है।


🔶 7. चिकित्सकीय परीक्षण का अधिकार

(Right to be Examined by a Medical Practitioner)

  • BNSS की धारा 53: गिरफ्तार व्यक्ति का चिकित्सकीय परीक्षण एक योग्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा कराया जाना आवश्यक है।

📌 यह अधिकार हिरासत में यातना और शारीरिक शोषण से सुरक्षा सुनिश्चित करता है।


🔶 8. कस्टडी मेमो और दस्तावेजीकरण का अधिकार

(Right to Custody Memo and Documentation)

  • BNSS की धारा 54: गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी ज्ञापन (Custody Memo) तैयार किया जाना अनिवार्य है। इसमें गिरफ्तारी की तिथि, समय और स्थान, गवाहों की उपस्थिति आदि का उल्लेख आवश्यक है।

📌 यह पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है।


🔷 निष्कर्ष

गिरफ्तार व्यक्ति के ये अधिकार लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि कानून का पालन करते हुए व्यक्ति के मूल अधिकारों की रक्षा की जाए। चाहे वह किसी भी अपराध में संलिप्त हो, एक आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक उसके अपराध सिद्ध न हो जाएं। इसलिए, BNSS 2023 और भारतीय संविधान मिलकर न्याय का मूल उद्देश्य – निष्पक्षता, समानता और मानवाधिकारों की रक्षा – को साकार करते हैं।