“झूठे विवाह वादे पर शारीरिक संबंध बनाना: भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 69 के तहत दंडनीय अपराध”

“झूठे विवाह वादे पर शारीरिक संबंध बनाना: भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 69 के तहत दंडनीय अपराध”


🔷 प्रस्तावना:

समाज में अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जहाँ कोई पुरुष किसी महिला से विवाह का झूठा वादा करता है और उसी झूठे वादे के आधार पर शारीरिक संबंध स्थापित करता है। बाद में वह व्यक्ति न तो विवाह करता है और न ही किसी उत्तरदायित्व को स्वीकार करता है। यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि अब यह भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 69 के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध भी है।


🔷 BNS धारा 69 का प्रावधान:

🔸 धारा 69: महिलाओं के साथ छलपूर्वक यौन संबंध बनाना

यदि कोई पुरुष किसी महिला से शादी का झूठा वादा करता है और उसी वादे के आधार पर उससे यौन संबंध बनाता है, लेकिन विवाह की कोई वास्तविक मंशा नहीं रखता था —
तो यह कार्य “कपटपूर्ण यौन संबंध” (Fraudulent Sexual Intercourse) के अंतर्गत आता है।

दंड:

  • 10 वर्ष तक का कठोर कारावास,
  • साथ में जुर्माना,
  • और मामले की गंभीरता के आधार पर अधिकतम सजा भी दी जा सकती है।

🔷 अपराध के तत्व (Essential Elements):

  1. झूठा वादा या कपटपूर्ण आश्वासन:
    शादी का वादा केवल शारीरिक संबंध बनाने के उद्देश्य से किया गया हो।
  2. यौन संबंध:
    महिला ने विवाह के विश्वास के आधार पर संबंध बनाया हो।
  3. बाद में विवाह से इनकार:
    पुरुष ने शादी करने से इनकार कर दिया या पहले से ही विवाहित था।
  4. निष्कर्ष:
    यह यौन शोषण और भावनात्मक धोखाधड़ी दोनों का मिश्रण है।

🔷 पीड़िता क्या कर सकती है?

  1. एफआईआर दर्ज कराना:
    महिला संबंधित थाने में धारा 69 BNS के तहत एफआईआर दर्ज करा सकती है।
  2. प्रमाण एकत्र करना:
    यदि कोई चैट, कॉल रिकॉर्डिंग, वादा किए गए संदेश या गवाह हो, तो उसे साक्ष्य के रूप में संलग्न करें।
  3. मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान:
    बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराना धारा 183 BNSS के तहत कानूनी रूप से मान्य होता है।
  4. मानसिक उत्पीड़न या धोखा:
    मानसिक पीड़ा, भावनात्मक धोखा या गर्भधारण जैसे मामलों में अतिरिक्त धाराएँ भी जोड़ी जा सकती हैं।

🔷 न्यायालयी दृष्टिकोण (Judicial View):

भारतीय न्यायालयों ने कई मामलों में यह निर्णय दिया है कि झूठे वादे पर सहमति से बना यौन संबंध भी बलात्कार की श्रेणी में आ सकता है, यदि यह साबित हो जाए कि
👉 पुरुष की मंशा शुरू से ही धोखाधड़ी की थी।

उदाहरण:

“XYZ बनाम राज्य” मामले में अदालत ने कहा कि यदि पुरुष की मंशा शुरू से विवाह की नहीं थी, तो यह यौन अपराध है और इसे केवल सहमति नहीं माना जाएगा।


🔷 निष्कर्ष:

भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सशक्त कानूनी हथियार है। यह समाज में फैले उस धोखे को रोकने की दिशा में अहम कदम है जिसमें पुरुष शादी का बहाना बनाकर महिलाओं का भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक शोषण करते हैं।
इस धारा के अंतर्गत अब ऐसे पुरुषों को कठोर सजा का सामना करना पड़ेगा, और पीड़ित महिलाओं को न्याय और सम्मान मिलेगा।