मादक पदार्थ निषेध अधिनियम, 1985 (NDPS Act): नशीले पदार्थों के नियंत्रण की भारतीय विधिक व्यवस्था

शीर्षक: मादक पदार्थ निषेध अधिनियम, 1985 (NDPS Act): नशीले पदार्थों के नियंत्रण की भारतीय विधिक व्यवस्था


भूमिका:
नशीली दवाओं और मादक पदार्थों का अवैध उत्पादन, तस्करी और उपयोग न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा है। भारत सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए “मादक द्रव्य और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985” (The Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985) लागू किया, जो मादक पदार्थों के उत्पादन, वितरण, उपभोग, तस्करी और पुनर्वास संबंधी पहलुओं को नियंत्रित करता है।


1. अधिनियम की पृष्ठभूमि और उद्देश्य:
NDPS अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है –

  • मादक द्रव्यों और मनःप्रभावी पदार्थों के दुरुपयोग को रोकना
  • उनके अवैध उत्पादन, व्यापार, और वितरण पर पूर्ण नियंत्रण
  • दोषियों को कठोर दंड देना
  • नशा करने वालों के लिए पुनर्वास और उपचार की व्यवस्था करना
  • अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करना (जैसे UN Convention on Narcotic Drugs)

2. अधिनियम के अंतर्गत नियंत्रित पदार्थ:
NDPS अधिनियम के अंतर्गत दो प्रमुख श्रेणियों को नियंत्रित किया जाता है:

  • मादक द्रव्य (Narcotic Drugs): जैसे अफीम, हेरोइन, मॉर्फीन
  • मनःप्रभावी पदार्थ (Psychotropic Substances): जैसे एलएसडी, डायजेपाम, एम्फेटामिन
    इसके अलावा, कोका, अफीम पोस्ता, और गांजा जैसे पौधों के उत्पादन एवं खेती पर भी अधिनियम के तहत प्रतिबंध है (कुछ औषधीय अपवादों को छोड़कर)।

3. प्रमुख प्रावधान:

  • धारा 8: अवैध उत्पादन, व्यापार और उपभोग पर प्रतिबंध
  • धारा 20: गांजा से संबंधित अपराधों के लिए दंड
  • धारा 21-22: मादक और मनःप्रभावी पदार्थों से संबंधित अपराधों की सजा
  • धारा 25: यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का उपयोग मादक पदार्थों के लिए करने देता है, तो वह भी दोषी होगा
  • धारा 27: नशा करने वाले व्यक्ति पर दंड
  • धारा 31A: दोहराव अपराध के मामलों में मृत्युदंड तक का प्रावधान

4. सजा का निर्धारण – मात्रा के आधार पर:
अधिनियम के तहत सजा पदार्थ की मात्रा के अनुसार तय होती है:

  • छोटी मात्रा (Small Quantity): अधिकतम 1 वर्ष कारावास या ₹10,000 जुर्माना या दोनों
  • व्यावसायिक मात्रा (Commercial Quantity): न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम 20 वर्ष कारावास, ₹1 लाख से ₹2 लाख तक जुर्माना
  • मध्यवर्ती मात्रा (Intermediate Quantity): अदालत के विवेकानुसार सजा

5. जब्ती, तलाशी और गिरफ्तारी संबंधी अधिकार:
NDPS अधिनियम में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के लिए विस्तृत प्रावधान हैं:

  • धारा 42 व 43: तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया
  • धारा 50: अभियुक्त की उपस्थिति में तलाशी के अधिकार
  • अधिकारियों को विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं, परंतु नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी संतुलन जरूरी है।

6. न्यायिक प्रक्रिया और विशेष न्यायालय:

  • NDPS मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है
  • सामान्य आपराधिक मामलों की तुलना में इनकी प्रक्रिया अधिक सख्त होती है
  • जमानत NDPS अधिनियम के अंतर्गत कठिन है और केवल विशेष परिस्थितियों में दी जाती है

7. पुनर्वास और नशा मुक्ति उपाय:

  • NDPS अधिनियम केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि सुधारात्मक भी है
  • नशा करने वालों के लिए नशा मुक्ति केंद्र और मेडिकल इलाज की व्यवस्था
  • स्वैच्छिक समर्पण की स्थिति में सजा से छूट के प्रावधान भी हैं (धारा 64A)

8. लागू एजेंसियाँ और कार्यप्रणाली:

  • नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)
  • राज्य पुलिस एवं सीमा शुल्क विभाग
  • सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED)
  • सीमा सुरक्षा बल (BSF) और अन्य खुफिया एजेंसियाँ
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: UNODC, INTERPOL आदि के साथ समन्वय

9. सुप्रीम कोर्ट की व्याख्याएँ और दिशा-निर्देश:
NDPS अधिनियम की कठोरता के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्णयों में न्यायसंगत संतुलन बनाए रखने पर ज़ोर दिया है।
प्रमुख केस:

  • Tofan Singh v. State of Tamil Nadu (2020) – अधिकारियों द्वारा दिए गए इकबालिया बयान को साक्ष्य मानने पर प्रश्नचिन्ह
  • Mohd. Sahabuddin v. State of Assam – जमानत से संबंधित दिशा-निर्देश

10. चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता:

  • अभियोजन की जटिलता और साक्ष्य की कमी
  • निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी की संभावना
  • अवैध ऑनलाइन ड्रग व्यापार
  • नशा मुक्त जागरूकता अभियान की सीमित पहुँच

सुझाव:

  • जांच अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण
  • डिजिटल निगरानी प्रणाली का विकास
  • समाज-आधारित पुनर्वास केंद्रों को प्रोत्साहन
  • स्कूली पाठ्यक्रमों में नशा विरोधी शिक्षा

निष्कर्ष:
मादक पदार्थ निषेध अधिनियम (NDPS Act, 1985) भारत में मादक पदार्थों की समस्या से निपटने का एक सशक्त कानूनी उपकरण है। यद्यपि यह कानून सख्त है, परंतु इसे सामाजिक दृष्टिकोण के साथ लागू करने की आवश्यकता है, ताकि एक संतुलन स्थापित किया जा सके – अपराधियों को दंड और पीड़ितों को उपचार। नशा मुक्त, स्वस्थ और सुरक्षित समाज की दिशा में NDPS अधिनियम एक महत्त्वपूर्ण कदम है।