मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और पेटेंट कानून

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और पेटेंट कानून (Machine Learning Algorithms and Patent Law)

परिचय:

21वीं सदी में मशीन लर्निंग (Machine Learning – ML) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने तकनीकी और औद्योगिक दुनिया में अभूतपूर्व क्रांति ला दी है। ये तकनीकें न केवल डेटा को प्रोसेस कर रही हैं, बल्कि निर्णय ले रही हैं, समस्याओं का समाधान खोज रही हैं और यहां तक कि आविष्कार भी कर रही हैं। ऐसे में एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है – क्या मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को पेटेंट किया जा सकता है? और यदि हां, तो किस हद तक?

यह लेख मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के पेटेंट से जुड़े कानूनी, तकनीकी और नैतिक पहलुओं का विश्लेषण करता है।


मशीन लर्निंग एल्गोरिदम क्या है?

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम एक गणितीय और सांख्यिकीय प्रक्रिया है, जो डेटा से सीखकर स्वतः निर्णय लेने की क्षमता विकसित करती है। यह एल्गोरिदम विभिन्न फॉर्म में हो सकते हैं जैसे:

  • Supervised Learning (उदाहरण: Linear Regression, SVM)
  • Unsupervised Learning (उदाहरण: Clustering)
  • Reinforcement Learning

इन एल्गोरिदम का उपयोग स्वचालित कारें, चेहरा पहचान प्रणाली, स्वास्थ्य निदान, वित्तीय भविष्यवाणी, रोबोटिक्स, और साइबर सुरक्षा जैसे अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है।


पेटेंट कानून का उद्देश्य:

पेटेंट कानून का मूल उद्देश्य है – नवाचार को प्रोत्साहित करना और आविष्कारक को उनके तकनीकी आविष्कारों पर एक सीमित समय के लिए एकमात्र अधिकार देना। भारत में यह अधिकार भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 के अंतर्गत मिलता है।

किसी आविष्कार को पेटेंट योग्य होने के लिए तीन शर्तें आवश्यक होती हैं:

  1. नवीनता (Novelty)
  2. नवोन्मेषकारी कदम (Inventive Step or Non-obviousness)
  3. औद्योगिक उपयोगिता (Industrial Applicability)

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम पर पेटेंट का प्रश्न:

क्या एल्गोरिदम पेटेंट योग्य हैं?

भारतीय कानून में “केवल एक गणितीय या व्यावसायिक पद्धति” को पेटेंट नहीं माना जाता (अनुच्छेद 3(k) के अंतर्गत)। इसका अर्थ यह हुआ कि शुद्ध रूप से गणितीय एल्गोरिदम पेटेंट योग्य नहीं है।

लेकिन जब कोई एल्गोरिदम किसी व्यावहारिक अनुप्रयोग (practical application) के रूप में प्रस्तुत किया जाए – जैसे किसी मशीन, डिवाइस या औद्योगिक प्रक्रिया में – तो वह पेटेंट योग्य हो सकता है।


अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण:

1. अमेरिका (USPTO):

अमेरिका में पेटेंट नियम अधिक लचीले हैं। सॉफ़्टवेयर और एल्गोरिदम को अगर वे किसी ठोस तकनीकी समस्या का समाधान देते हैं, तो पेटेंट दिया जा सकता है।

अहम निर्णय – Alice Corp. v. CLS Bank (2014):
यह निर्णय निर्धारित करता है कि यदि कोई आविष्कार केवल “abstract idea” है और उसमें कोई तकनीकी सुधार नहीं है, तो वह पेटेंट योग्य नहीं है।

2. यूरोपीय संघ (EPO):

EPO में एल्गोरिदम तब तक पेटेंट योग्य नहीं माने जाते जब तक वे कोई “technical effect” उत्पन्न न करें।

3. भारत:

भारत में सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम पर पेटेंट तभी स्वीकार किया जाता है जब वे किसी हार्डवेयर के साथ मिलकर किसी तकनीकी समस्या को हल करते हों।


चुनौतियाँ:

1. अमूर्तता (Abstractness):

एल्गोरिदम अमूर्त (abstract) होते हैं – और पेटेंट केवल ठोस, भौतिक और व्यावसायिक अनुप्रयोगों पर ही दिया जा सकता है।

2. बौद्धिक संपदा और गोपनीयता:

ML एल्गोरिदम बहुत बार उपयोगकर्ता के डेटा पर आधारित होते हैं। यदि पेटेंट दिया जाता है, तो उस एल्गोरिदम में प्रयुक्त डेटा और मॉडल संरचना गोपनीय नहीं रह पाती।

3. खुलापन बनाम संरक्षण:

टेक्नोलॉजी को सार्वजनिक रूप से साझा करना विज्ञान की प्रगति को बढ़ाता है, लेकिन पेटेंट प्रणाली नवाचार को ‘बंद’ कर सकती है। यह AI और ML जैसे तेजी से विकसित होते क्षेत्रों के लिए एक नैतिक प्रश्न है।


क्या पेटेंट का विकल्प है?

यदि मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को पेटेंट न मिले, तो कई कंपनियाँ उसे Trade Secret के रूप में संरक्षित करती हैं। उदाहरण के लिए:

  • Google का खोज एल्गोरिदम
  • Facebook का कंटेंट सिफारिश इंजन
  • Amazon का प्राइसिंग और विज्ञापन एल्गोरिदम

ये सभी पेटेंट नहीं हैं, लेकिन गोपनीयता और अनुबंध के माध्यम से संरक्षित हैं।


भारत में न्यायिक प्रवृत्तियाँ और नीति:

भारत सरकार और पेटेंट कार्यालय (IPO) ने साफ किया है कि “स्टैंडअलोन सॉफ्टवेयर” या “मात्र कंप्यूटर प्रोग्राम” को पेटेंट नहीं मिलेगा। परंतु अगर वह किसी मशीन/प्रक्रिया में सुधार करता है, तो उसे पेटेंट किया जा सकता है।

उदाहरण:

यदि एक ML एल्गोरिदम स्वास्थ्य निदान में रोग की पहचान की सटीकता को बढ़ा देता है और उसे एक चिकित्सा उपकरण में एम्बेड किया जाता है, तो पूरी प्रणाली पेटेंट योग्य हो सकती है।


भविष्य की दिशा:

  1. कानूनों का अद्यतन:
    भारत सहित अनेक देशों को पेटेंट कानूनों में संशोधन करने की आवश्यकता है ताकि वे AI और ML के अनुकूल बन सकें।
  2. नवाचार और संरक्षण के बीच संतुलन:
    एक ऐसा ढांचा विकसित करना चाहिए जो नवाचार को खुला बनाए रखते हुए आविष्कारक को पर्याप्त संरक्षण दे।
  3. साफ मानदंडों का निर्माण:
    किस एल्गोरिदम को पेटेंट योग्य माना जाए, इसके लिए स्पष्ट और पारदर्शी दिशा-निर्देश आवश्यक हैं।

निष्कर्ष:

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम आधुनिक युग के सबसे शक्तिशाली उपकरण बन चुके हैं, लेकिन इन्हें पेटेंट के तहत संरक्षित करने की प्रक्रिया तकनीकी और कानूनी दृष्टिकोण से अत्यंत जटिल है। भारत सहित अधिकांश देशों के वर्तमान कानून इस जटिलता को पूर्ण रूप से संबोधित नहीं करते हैं। इसलिए आवश्यक है कि बौद्धिक संपदा कानूनों में AI और ML को ध्यान में रखकर परिवर्तन लाया जाए, जिससे नवाचार को सुरक्षित और प्रोत्साहित किया जा सके।